बलौदा बाजार

वनांचल के गांवों में हाथियों का आतंक जारी
02-Oct-2021 8:02 AM
वनांचल के गांवों में हाथियों का आतंक जारी

अभ्यारण्य बार नवापारा, हरदी में फसलों को किया बर्बाद

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

कसडोल, 1 अक्टूबर। कसडोल क्षेत्र के जंगल अथवा सटे राजस्व ग्रामों में हर रोज किसी न किसी गांव से हाथियों के गांव तक आने फसल रौंदने की शिकायतें आने लगी है। वनवासी पिछले तीन-चार वर्षों से फसल की खेतों में रखवाली करना बंद कर दिया है। किसान फसलों की बर्बादी से मायूस हैं।

वनांचल क्षेत्र वासियों के लिए इन दिनों जंगली हाथियों ने मुसीबत खड़ी कर दी है। अलग-अलग समूह में विचरण होने से लोगों की यह परेशानी और भी बढ़ गई। हर रोज किसी न किसी गांव में ये हाथी दल नुकसान पहुंचा रहे हैं। ज्यादातर कृषि फसलों में धान के अलावा भी अन्य तरह के सम्पत्तिक हानियों में कृषि सोलर पैनल पंप व घरों को भी हाथी तोडफ़ोड़ कर क्षति पहुंचते रहे हैं। पूरे क्षेत्र में दहशत का माहौल है।

वन विभाग के अमलों द्वारा रात्रि में कृषि फसलों के लिए गांव सीमाओं में घुसते ऐसे हाथियों को रोक पाना मुश्किल हो गया है। हालांकि सूचना पर क्षतिपूर्ति प्रकरण तैयार किया जा रहा है। हाल के दो-तीन दिनों में मंगलवार से लगातार रात में हाथी दल ग्राम हरदी व बार के कुछ किसानों के धान खड़ी फसलों को रौंद-खाकर भारी नुकसान पहुंचाया है, जिसमें मंगलवार को हरदी के किसान रतिराम बुड़ेक,मुक्ति राम,कन्हैया भोई के साथ बार के भी कृषकों को भारी क्षति धान खड़ी फसल के रूप में हुई है। जबकि इसके पहले भी आसपास के विभिन्न ग्रामों के किसान इस प्रकार के नुकसान का सामना करते रहे हैं।

बहरहाल अभी की स्थिति में किसी प्रकार कोई जनहानि की सूचना नहीं है, लेकिन क्षेत्रान्तर्गत विचरणशील हाथियों से खतरा बना हुआ है।

वन अधीक्षक बार नवापारा अभ्यारण्य आनंद कुदरिया ने इस तरह हर रोज हाथियों की वजह से हो रही क्षति के संबंध में इसे नकारते हुए कहा कि जिस समय धान फसल में दूध भरते रहता है। उस समय हाथी अपने बच्चों के साथ खेतों तक आ जाते हैं। फसलों के पकने या उसके बाद उतना नुकसान नही पहुंचाते।उन्होंने कहा कि क्षति को रोकने का कोई तरीका नहीं है। वन क्षेत्रांतर्गत मुआवजा दिया जाता है।

उन्होंने लंबित मुवाआजा के सवाल पर बताया कि सूचना पर तुरंत प्रकरण बनाने की बात करते हुए कहा कि अगस्त तक मुवाआजा वितरित हो चुका है। मेरे स्तर में प्रकरण लंबित नहीं है। हाल में दो-तीन दिनों के भीतर दर्ज क्षतिपूर्ति मुवाआजा प्रकरण के बारे में उन्होंने कहा कि अभी इस बारे में नही बता सकता हूं। परिक्षेत्र स्तर में जांच-निरीक्षण बाद हम कुछ बता पायेंगे।

उन्होंने इस दौरान बताया कि पिछले तीन साल में यहां कोई कैज्युल्टी जनहानि नही हुई।वर्तमान में हाथी दल की संख्या 12 के आसपास बताते हुए कहा कि दो-तीन हाथी अलग चल रहे हैं। वहीं हाथी निगरानी दल को लेकर बताया कि स्थानीय स्तर पर  वायरलेस,समिति है। इस माध्यम से सूचना प्रसारित कर लोगों एवं गांवों में मुनादी से संतर्क किया जाता है।


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