बलौदा बाजार

गांव के समीप पहुंचने से दहशत
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कसडोल, 7 सितंबर। कसडोल नगर से महज 5 किलोमीटर दूर हटौद में स्थित सिंचाई विभाग के खोलिया बांध के पास पहुंचे 5 हाथियों के दल को पुन: अभ्यारण्य कोठारी में वापस जाने की जानकारी मिली है। वन विभाग टीम की लगातार निगरानी में था। जिसे भारी मशक्कत के बाद जिस रास्ते से दस्तक दी थी उसी रास्ते वापस चले गए है।ं जिससे आसपास के ग्रामीणों को राहत मिली है।
जानकारी के अनुसार 3 सितंबर को शाम करीब 4 बजे अचानक चरवाहों को हाथियों का झुंड दिखा। जिससे मवेशियों को जल्द हकालते हुआ सुरक्षित निकल गए। चरवाहों को दूसरे दिन सुबह 10 बजे जब चरवाहे मवेशी लेकर चराने पहुंचे तो उसी जंगल के आसपास हाथियों को देखा। जिससे गांव के समीप ही मवेशियों को चराए।
इस संबंध में परिक्षेत्र अधिकारी गोविंदसिंह राजपूत तथा उपवनमण्डल अधिकारी विनोद सिंह ठाकुर से भेंट में ‘छत्तीसगढ़’ को बताया कि हाथी दल टीम की लगातार निगरानी में थी जिससे 5 सितम्बर की रात को पुन: कोठारी के जंगल में पहुंचने की पुष्टि की है।
बताया गया है कि हाथियों की संख्या 17 है। पिछले 3-4 साल से अभ्यारण्य कोठारी के जंगल को अपना स्थाई निवास बना लिया है। जो अब टुकडिय़ों में अलग-अलग गांव के नजदीक पहुंचना शुरू कर दिया है। वन परिक्षेत्र अभ्यारण्य कोठारी, बार नवापारा, वन विकास निगम रवान के अलावा सामान्य वन परिक्षेत्र लवन, देवपुर सोनाखान अर्जुनी बिलाईगढ़ परिक्षेत्र आपस में जुड़े हैं। जिसके अंतर्गत करीब 100 गांव प्रभावित हैं। हाथियों का टुकड़ी दल दो चार दिनों में किसी भी परिक्षेत्र के जंगल और गांव के समीप पहुंचने की खबर मिल रही है।
गौरतलब हो कि 29 एवं 30 अगस्त को 4 हाथियों का दल सिद्धखोल जल प्रपात पर्यटन स्थल पहुंचा था। जिसे रेस्क्यू कर जंगल भेजा गया था। इतना ही नहीं जंगल के रास्ते पिथौरा महासमुंद सिरपुर गरियाबंद के जंगलों में चले जाता है और पुन: कोठारी के जंगल पहुंच जाता है। क्योंकि यहां पर्याप्त पानी और जंगल का पेड़ भोजन मिल जाता है।
हाथियों के स्वच्छंद विचरण और गांव के नजदीक पहुंचने का सिलसिला ग्रामीण लोगों को भय और दहशत में डाल दिया है। लोग जंगल जाना बंद कर दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि जंगल से सटे खेतों में खरीफ फसल धान की खेती किए हैं। जहां काम करने में डरे रहते हैं। किसानों का कहना है कि एक माह बाद फसल पकने वाला है। जंगली जानवरों से फसल सुरक्षा के लिए किसान खेतों में मचान बनाकर रहते हैं। बताया गया कि जब से हाथी का प्रवेश हुआ है। जंगल के लोग मचान जाना बंद कर दिया है। इस तरह जंगली जानवर के अलावा हाथियों के दस्तक से दो तरफा भय बना हुआ है। जंगल क्षेत्र के किसानों का कहना है कि खरीफ फसल धान अब भगवान भरोसे छोड़ दिया जाता है।