पॉल किर्बी
यूक्रेन के साथ रूस के युद्धविराम की उम्मीदें अब और धुंधली पड़ती जा रही हैं. रूस ने कहा है कि उसने यूक्रेन के 'जिन नए इलाकों' को अपने कब्जे में लिया है, उन्हें पश्चिमी देशों ने मान्यता देने से इनकार किया है. इससे शांति के लिए बातचीत और मुश्किल हो गई है.
रूस का ये बयान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के उस संकेत के बाद आया जिसमें उन्होंने कहा था कि वह व्लादिमीर पुतिन से मिलने के लिए तैयार हैं.
रूस ने कहा है कि वह बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन इसके लिए पश्चिमी देशों की ओर से यूक्रेन से वापस लौटने की मांग नहीं मानी जाएगी.
रूस ने सितंबर के अंत में यूक्रेन के चार इलाकों को अवैध रूप से खुद में मिला लिया है. इनमें से किसी पर उसका नियंत्रण नहीं था.
हालांकि युद्ध के नौ महीने के बाद रूस के हाथ से वे आधे इलाके निकल गए हैं, जिन पर उसने कब्जा किया था.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने गुरुवार को संवाददाताओं से कहा था कि वह रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिलने के लिए तैयार हैं. हालांकि ये देखना होगा कि वो इस युद्ध से निकलने का रास्ता ढूंढने के लिए तैयार हैं या नहीं.
इस मौके पर उनके साथ फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों भी मौजूद थे. उन्होंने कहा, ''वो और अमेरिकी राष्ट्रपति यूक्रेन को ऐसा कोई समझौता करने के लिए नहीं कहेंगे जो उसे मंजूर न हो. ''
रूस और यूक्रेन के बीच अभी भी घमासान जारी है. दोनों ओर से युद्ध रोकने के संकेत नहीं मिल रहे हैं. बातचीत के लिए कोई उत्साह नहीं दिखाई पड़ रहा. यही वजह है कि शांति वार्ता के लिए राजनयिक कोशिशें एक बार फिर तेज़ हो गई हैं.
इस बीच, यूक्रेन ने कई जगहों पर रूसी सेना को पीछे धकेल दिया है. दक्षिणी यूक्रेन में रूसी सेनाओं को पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ा है. यूक्रेनी सेना के हाथों पीछे धकेले जाने से गुस्साई रूसी सेना अब शहरों और शहरी इन्फ्रास्ट्रक्चर पर ताबड़तोड़ हमले कर रही है.
शुक्रवार को जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने सितंबर के बाद पुतिन से पहली बार बातचीत की. एक घंटे की बातचीत के दौरान जर्मनी ने बताया कि चासंलर ने पुतिन से जल्दी से इस समस्या का राजनयिक हल निकालने को कहा ताकि रूसी सेना ''जितनी जल्दी संभव हो'' यूक्रेन से चले जाएं.
रूस ने इसकी पुष्टि की. उसने कहा कि जर्मनी ने युद्ध खत्म करने की अपील की है. लेकिन पुतिन ने जर्मनी से कहा कि वह यूक्रेन में हो रही घटनाओं को लेकर अपने नजरिये पर पुनर्विचार करे.
इस बातचीत में पुतिन ने 'जर्मनी समेत दूसरे पश्चिमी देशों के विध्वंसक नज़रिये'' की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा था कि यूक्रेन ने बातचीत के विचार को सिरे से खारिज कर दिया है.
इससे पहले रूसी प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा था कि पुतिन बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन वह ''रूस के हितों को सुरक्षित'' रखना चाहते हैं.
बातचीत के लिए रूस अमेरिकी शर्तों को मानने के लिए तैयार नहीं है. उनसे पूछा गया कि जो बाइडन ने बातचीत के बारे में क्या कहा.
इस पर पेस्कोव ने कहा कि अमेरिका ने कहा कि बातचीत तभी होगी जब रूस यूक्रेन छोड़ दे.
उन्होंने कहा कि अमेरिका की इस शर्त से बातचीत के लिए दोनों पक्षो का राजी होना मुश्किल हो गया है. अमेरिका यूक्रेन में 'नए इलाकों' को मान्यता नहीं देता. जबकि रूस इस पर जोर दे रहा है.
युद्ध में मौतों की संख्या पर दावे
सितंबर के अंत में रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने रूस के चार इलाकों को अपना घोषित कर दिया था. लेकिन भले ही रूस ने पूर्वी यूक्रेन में लुहांस्क के अधिकांश इलाकों पर कब्जा कर लिया है. लेकिन दोनेस्त्सक में उसे रोक दिया गया है. खेरसोन और जपोरिजिया में भी रूसी सैनिक पीछे हट रहे हैं.
शुक्रवार को जर्मनी के चासंलर और पुतिन के बीच बातचीत से पहले रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोफ ने कहा कि पश्चिमी देशों के पास मध्यस्थता के लिए कोई ठोस प्रस्ताव नहीं है.
लावरोफ ने बताया कि फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों पिछले दो सप्ताह से कह रहे हैं कि वो पुतिन से बातचीत की योजना बना रहे हैं. लेकिन रूस को राजनयिक चैनलों के जरिये इसका कोई संकेत नहीं मिला है ''
लावरोफ ने पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी का नाम लेते हुए कहा कि उन्हीं के जैसा व्यक्ति इस समस्या का समाधान निकाल सकता है और सही में दोनों देशों को बातचीत में शामिल कर सकता है.
इटली कि विदेश मंत्री एंटोनियो तजानी ने भी शुक्रवार को कहा कि समय आ गया है कि यूक्रेन में शांति के लिए काम किया जाए. लेकिन यह यूक्रेन की आजादी के बाद ही आएगी, उसके हथियार डालने से नहीं. रूस को नागरिकों को बम गिराने के बजाय शांति के ठोस संकेत देना चाहिए. ये बात उन्होंने 'ला रिपब्लिका' अख़बार से कही थी.
इस बीच यूक्रेन के दौरे पर केंटरबरी के आर्कबिशप जस्टिन वेलबाई ने कहा कि यूक्रेन में रूस जो कह रहा है उसके बारे में झूठ न बोले तभी शांति हो सकती है. उन्होंने बूचा में हुए कथित नरसंहारों का जिक्र करते हुए कहा कि झूठ के दम पर आगे नहीं बढ़ा जा सकता. यहां अत्याचार हुआ है. ''
इससे पहले एक यूक्रेनी अधिकारी ने कहा कि रूस की ओर से 24 फरवरी के हमला किए जाने के बाद इसके दस से तेरह हजार सैनिकों की मौत हो चुकी है.
यूक्रेन और रूस ने अभी तक हताहतों की संख्या का एलान करते नहीं दिख रहे हैं. यूक्रेन के राष्ट्रपति के सलाहकार मिखाइलो पोदोलेक ने यूक्रेनी सेना की ओर से बताई गई मौतों की संख्या की पुष्टि नहीं की है.
पिछले महीने सबसे वरिष्ठ अमेरिकी जनरल मार्क मिले ने कहा कि युद्ध शुरू होने के बाद से रूस और यूक्रेन को एक-एक लाख सैनिक मरे या घायल हुए हैं.
यूक्रेनी टीवी आउटलेट चैनल24 से बात करते हुए पोदोलेक ने कहा कि यूक्रेन मौतों की संख्या के बारे में खुलकर बोल रहा है. उन्होंने कहा कि नागरिकों मौतों की संख्या 'अच्छी खासी' हो सकती है. उन्होंने कहा कि हमले के बाद एक लाख रूसी सैनिक मारे गए होंगे.
एक वीडियो संदेश में बुधवार को यूरोपीयन कमीशन की प्रमुख उर्सला वॉन डेर लियेन ने कहा कि एक लाख रूसी सैनिक मारे गए हैं. हालांकि कमीशन के एक प्रवक्ता ने बताया ये आंकड़ा गलत था. प्रवक्ता का कहना था कि इसमें मरने और घायल होने वाले दोनों तरह के सैनिकों का आंकड़ा है. बाद में डेर लियेन कहा कि 20 हजार नागरिक मारे गए हैं.(bbc.com/hindi)