किंशासा, 12 सितंबर (आईएएनएस)| अफ्रीकी देश कांगो में एक सोने की खान धंसने से कम से कम 50 लोगों की मौत हो गई। एक स्थानीय एनजीओ ने यह जानकारी दी है।
स्काई न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, इनिशिएटिव ऑफ सपोर्ट एंड सोशल सुपरविजन ऑफ वूमेन की अध्यक्ष एमिलियेन इटोंगा ने कहा कि शुक्रवार को भारी बारिश के बाद कामितुगा के पास स्थित साइट दोपहर करीब 3 बजे ढह गई।
बीबीसी ने बताया कि देश के इस अनौपचारिक खनन क्षेत्र में ऐसी दुर्घटनाएं आम हैं क्योंकि इन जगहों पर सुरक्षा के मानक सही नहीं है।
इससे पहले पिछले अक्टूबर में पूर्वी शहर केम्पेन में सोने की एक अवैध खदान धसकने से 21 लोग मारे गए थे। वहीं जून 2019 में लुआलाबा प्रांत में तांबे और कोबाल्ट की खदान धंसने से दर्जनों मजदूर मारे गए थे।
कोरोना वायरस का दुनिया भर में प्रकोप जारी है। इस बीच चीन एक वैज्ञानिक ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। उसने दावा किया है कि कोरोना वायरस चीन द्वारा मानव निर्मित है।
वीरोलॉजिस्ट लि-मेंग यान ने कहा है कि उनके पास कोरोनावायरस को मानव निर्मित साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं जिसे वह जल्द पेश करेंगी। उन्होंने चीन सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि इस वायरस को लेकर चीन बहुत कुछ छुपा रहा है और मैं दावे के साथ कह सकती हूं कि यह एक चीन द्वारा मानव निर्मित वायरस है।
इतना ही नहीं उन्होंने ये भी दावा किया है कि कोरोना वायरस वुहान के मीट मार्केट से नहीं आया है। इसके पीछे उन्होंने वजह बताई कि यह मीट मार्केट एक स्मोक स्क्रीन है, जबकि यह वायरस प्रकृति की देन नहीं है।
उन्होंने आगे कहा कि इस वायरस का जीनोम अनुक्रम एक मानव फिंगर प्रिंट की तरह है और इसके आधार पर ही वे साबित कर देंगी कि यह एक मानव निर्मित वायरस है। उन्होंने कहा कि किसी भी वायरस में मानव फिंगर प्रिंट की उपस्थिति यह बताने के लिए काफी है कि इसकी उत्पत्ति मानव द्वारा की गई है।
लि-मेंग ने का कहना है कि अगर किसी के पास जीव विज्ञान की जानकारी नहीं हो तो लेकिन इसके इसके आकार से इस वायरस की उत्पत्ति की पहचान कर लेंगे। इस दौरान उन्होंने चीन सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि चीन सरकार की धमकी के बाद मैं हांगकांग छोड़कर अमेरिका चली गई। सरकार मुझे झूठा साबित करने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रही है और हत्या करने तक का आरोप लगा रही है, लेकिन मैं अपने लक्ष्य से पीछे हटने वाली नहीं हूं।
उन्होंने कहा कि मैं हर चुनौती का सामना करने को तैयार हूं और जल्द ही साबित कर दूंगी कि यह वायरस मानव निर्मित है।(navjivan)
रियो डी जनेरियो, 12 सितंबर (आईएएनएस)| ब्राजील सरकार ने शुक्रवार को जानकारी दी कि देश में पिछले 24 घंटों में कोविड-19 से और 874 मौतें दर्ज करने के बाद यहां मौत का आंकड़ा 130,000 को पार कर गया हैं। संक्रमण से अब तक कुल 130,396 मौतें हो गई हैं।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, देश में कोविड-19 के 43,718 नए मामले सामने आए हैं, जिसके बाद संक्रमण के कुल मामले 4,282,164 हो गए हैं।
देश में सबसे अधिक आबादी वाला राज्य साओ पाउलो संक्रमण से सर्वाधिक प्रभावित हैं, जहां 882,809 मामले और 32,338 मौतें दर्ज की गई हैं, इसके बाद रियो डी जनेरियो में 240,453 मामले और 16,883 मौतें हुई हैं।
लैटिन अमेरिका में ब्राजील में कोविड-19 मामलों और मौतों की संख्या सबसे अधिक है।
अरुल लुईस
संयुक्त राष्ट्र, 11 सितम्बर (आईएएनएस)| भारत ने सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों से परिषद द्वारा अपेक्षित स्तर पर अपने देश के बच्चों और स्कूलों की सुरक्षा के प्रति दायित्व को पूरा करने के लिए आतंकी समूहों के खिलाफ कार्रवाई का आह्वान किया है।
भारत ने गुरुवार को सुरक्षा परिषद को लिखे एक बयान में कहा, "सदस्य देशों को आतंकवाद के अपराधियों और उनके सहयोगियों और प्रायोजकों को पकड़ने के लिए अधिक से अधिक राजनीतिक इच्छाशक्ति दर्शाने की आवश्यकता है, विशेष रूप से परिषद द्वारा अनुमोदित बाल संरक्षण दायित्वों को पूरा करने के लिए।"
भारत ने कहा, "आतंकवादी संगठनों और परिषद द्वारा निषिद्ध व्यक्ति बाल अधिकारों के दुरुपयोग के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार हैं।"
हालांकि, भारत ने किसी भी देश का नाम नहीं लिया, लेकिन यह टिप्पणी पाकिस्तान के संदर्भ में मालूम पड़ी, जहां जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम), लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और लश्कर-ए-झंगवी हैं, जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा खुले तौर पर प्रतिबंधित हैं ।
भारत ने कहा, "परिषद के बाल संरक्षण एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए, आतंकवाद से मुकाबला करने के लिए कार्रवाई करने की जरूरत है।"
भारत ने कहा कि जैसा कि आतंकवादी नेटवर्क सीमाओं पर अपने जाल फैलाते हैं, बच्चे ही इससे सबसे अधिक प्रभावित होते हैं क्योंकि वे भय और अनिश्चितता के माहौल में रहते हैं और अक्सर शिक्षा के अपने अधिकार से वंचित होते हैं।
वहीं, बच्चों और सशस्त्र संघर्ष मामलों के लिए संयुक्त राष्ट्र की विशेष प्रतिनिधि वर्जीनिया गैम्बा ने कहा कि स्कूलों पर आतंकवादी हमलों को बच्चों, समुदायों और किसी भी सुरक्षा, भविष्य की आशा को लूटने, खत्म करने के मकसद को ध्यान में रखकर अंजाम दिया जाता है।
वॉशिंगटन, 11 सितम्बर (आईएएनएस)| अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिका में टिकटॉक को अपना कारोबार बेचने के लिए 20 सितंबर तक का समय दिया था और अब उन्होंने स्पष्ट रूप से यह कह दिया है कि वह इस समय सीमा का विस्तार नहीं करेंगे। चीन स्थित टिकाटॉक की मूल कंपनी बाइटडांस को या तो इस बीच यूएस में अपना कारोबार बेचना होगा या पूर्ण प्रतिबंध का सामना करना होगा।
चीन द्वारा अपने प्रौद्योगिकी निर्यात नियम में बदलाव किए जाने के बाद अमेरिका में टिकटॉक के कारोबार बेचने की बात कुछ समय के लिए रूक गई थी।
अपडेट में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जिसका इस्तेमाल टिकटॉक के मालिकाना हक वाली चीनी कंपनी बाइटडांस करती है।
सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप ने गुरुवार पत्रकारों को बताया, "देखते हैं क्या होता है। इसे या तो पूरी तरह से बंद कर दिया जाएगा या उन्हें बेचना होगा।"
ट्रंप ने इस दौरान स्पष्ट कर दिया कि टिकटॉक के लिए समयसीमा में कोई विस्तार नहीं किया जाएगा।
बाइटडांस ने इधर कहा है कि कंपनी चीन द्वारा लगाए गए निर्यात के नए नियमों का सख्ती से पालन करेगी।
बेरूत, 10 सितम्बर (आईएएनएस)| लेबनान के बेरूत बंदरगाह में गुरुवार को भीषण आग लगने की घटना सामने आई है। इससे लगभग एक माह पहले बंदरगाह और इसके आस-पास का क्षेत्र जोरदार धमाके से दहल गया था। अल जजीरा की रिपोर्ट के अनुसार, आग लगने के कारणों का पता नहीं चल पाया है। आग की वजह से आसमान में काला धुंआ छा गया।
यहां 4 अगस्त को हुए विस्फोट में 191 लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों लोग घायल हो गए थे। दरअसल बंदरगाह के वेयरहाउस में करीब सात साल से 2750 टन अमोनियम नाइट्रेट रखा हुआ था, जिसमें धमाका हो गया था।
--आईएएनएस
वाशिंगटन, 10 सितंबर (आईएएनएस)। अमेरिकी एयरोस्पेस और रक्षा प्रौद्योगिकी कंपनी नॉथ्रेप ग्रुमैन ने दिवंगत अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला के नाम पर एक स्पेसक्राफ्ट का नाम रखा है। कल्पना चावला अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय मूल की महिला थीं। स्पेसक्राफ्ट का नाम एस.एस. कल्पना चावला रखा जाएगा, यह इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) तक कार्गो ले जाएगा।
कंपनी ने कहा, "पूर्व अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला के नाम पर एनजी -14 सिग्नस स्पेसक्राफ्ट का नाम रखने को लेकर नॉथ्र्राॅप ग्रुमैन को गर्व है।"
सिग्नस स्पेसक्राफ्ट 'एस.एस. कल्पना चावला' को ले जाने वाले एंटेरास रॉकेट का प्रक्षेपण 29 सितंबर को वर्जीनिया के वॉलॉप्स द्वीप से होने वाला है।
नॉथ्र्राॅप ग्रुमैन ने कहा कि यह कंपनी की परंपरा रही है कि प्रत्येक सिग्नस का नाम एक ऐसे व्यक्ति के नाम पर रखा जाए, जिसने मानव अंतरिक्ष यान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हो।
कल्पना चावला का जन्म 1 जुलाई, 1961 को हरियाणा के करनाल में हुआ था। वह पहली बार 1997 में अंतरिक्ष में गई थी और राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाली दूसरी भारतीय सदस्य बनीं।
उन्होंने 1982 में पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में बैचलर ऑफ साइंस की डिग्री हासिल की और 1984 में यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सस-आलिर्ंगटन से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर ऑफ साइंस की डिग्री हासिल की। उन्हें 1988 में यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पीएचडी से सम्मानित किया गया।
नासा के अनुसार, चावला ने एसटीएस-87 (1997) और एसटीएस-107 (2003) में उड़ान भरी थी और 30 दिन, 14 घंटे और 54 मिनट में अंतरिक्ष में प्रवेश किया था।
साल 2003 में कोलंबिया अंतरिक्ष यान आपदा में उनकी मृत्यु हो गई। पृथ्वी के वायुमंडल में पुन: प्रवेश के दौरान टेक्सस में शटल विध्वंस हो गया था। यह हादसा निर्धारित लैंडिंग से मात्र 16 मिनट पहले हुआ था।
मृत्युंजय कुमार झा
कौन है मोहम्मद याकूब उर्फ मौलवी याकूब? कुछ साल पहले तक किसी ने इसका नाम नहीं सुना था। 2015 में तालिबान ने अपने सुप्रीम कमांडर अमीर मुल्ला मोहम्मद उमर की मौत का ऐलान किया था.उसमें कहा गया था कि मुल्ला उमर पाकिस्तान के पेशावर में 2013 से ही बीमार थे। क्या बीमारी थी, कब से बीमार थे, कब मरे, इसका इसका कोई खुलासा नहीं हुआ।
उसी समय पहली बार तालिबान के एक आंख वाले अमीर, मुल्ला उमर का बेटा मोहम्मद याकूब सामने आया था। उसने लोगों को भरोसा दिलाया कि उसके पिता की मौत के पीछे कोई साजिश नहीं थी। उसने अपने पिता का हवाला देते हुए तमाम तालिबानी नेताओं से एकता बनाए रखने की गुजारिश की थी। उसके बाद कुछ सालों तक वह गायब रहा। लोगों की निगाहों से दूर जरूर था लेकिन याकूब का रुतबा तालिबान के अंदरुनी खेमे में बढ़ता जा रहा था।
इस साल 29 फरवरी को अमेरिका और तालिबान के समझौते के 3 महीने बाद मोहम्मद याकूब का नाम चर्चा में आया। तालिबान की सुप्रीम काउंसिल ने मोहम्मद याकूब को तालिबान की मिल्रिटी विंग का कमांडर नियुक्त किया था। मोहम्मद याकूब अब कमांडर मुल्ला याकूब बन चुका है। जिन लोगों को लगा था कि मुल्ला उमर के बाद उनके परिवार का तालिबान पर कुछ भी प्रभाव नहीं रहेगा, वे सभी गलत साबित हुए हैं।
पत्रकार रहीमुल्लाह युसुफजई का मानना है कि, तालिबान में याकूब से कई ज्यादा अनुभवी नेता हैं, जिन्होंने मुल्ला उमर के साथ काम किया है। माना जा रहा था कि मिल्रिटी चीफ का पद किसी पुराने वफादार को मिलेगा, लेकिन याकूब की नियुक्ति ने यह बात साफ कर दी कि तालिबान पर मुल्ला उमर के परिवार का दबदबा कायम है। जानकारों के अनुसार, पिछले कई महीनों से तालिबान में मिल्रिटी कमांडर के पद को लेकर अंदरुनी खींचतान चल रही थी। तब याकूब डिप्टी कमांडर था।
पत्रकार एंटोनियो जियोस्टोज्जी 2010 से तालिबान पर रिसर्च कर रहे हैं और उन्होंने सभी तालिबानी नेताओं का इंटरव्यू किया है। उनका कहना है कि मुल्ला उमर का बड़ा बेटा याकूब, तालिबान की मौजूदा लीडरशिप में सबसे नरमपंथी रवैये वाला नेता है और अलकायदा की तरह वह अमेरिका और दूसरे पश्चिम देशों का दुश्मन नहीं है।
2015 से पहले मोहम्मद याकूब को तालिबान में कोई पद नहीं मिला था। याकूब अमेरिका से समझौते के पक्ष में रहा है। यही वजह है कि पिछले दो महीनों में तालिबान ने अमेरिका से हुए समझौते का पालन करते हुए, अमेरिकी फौज या ठिकानों पर हमला नहीं किया है, लेकिन वह अलकायदा को ऐसा करने से रोकने में नाकाम रहा। मुल्ला याकूब अफगानिस्तान की सरकार में भागीदारी चाहता है। या यूं कहें कि मौजूदा सरकार के बारे में उसकी राय यह है कि यह सरकार अफगानों पर थोपी हुई सरकार है। यही वजह है कि तालिबान ने समझौते के बाद भी अफगान सरकार के ठिकानों और उसकी सेना पर हमला जारी रखा है।
याकूब से पहले इब्राहिम सद्र तालिबान का मिल्रिटी चीफ था और अमेरिका और अफगानिस्तान की गनी सरकार से समझौते के खिलाफ था। अमेरिका की मोस्टवॉन्टेड लिस्ट में सद्र का नाम भी है। कई बार ड्रोन से उस पर हमला किया गया, लेकिन वह हर बार बच निकला। कहा जाता है कि उसे ईरान का समर्थन हासिल है। कुछ महीने पहले अपने समर्थकों को लेकर सद्र ने तालिबान से अलग होकर एक नया संगठन हिज्ब-ए-वलायत-ए-इस्लामी बना लिया। मुल्ला उमर के कुछ साथी कंमाडर मुल्ला कयूम जाकिर को तालिबान का मिल्रिटी चीफ बनाना चाहते थे। जाकिर भी अमेरिका से समझौते के खिलाफ था, उसे भी पार्टी से हटा दिया गया।
मुल्ला याकूब के बारे में कहा जाता है कि उसे सऊदी अरब के राजशाही सउद परिवार का पूरा समर्थन हासिल है और तालिबान को जिस धन की जरुरत है, वो सऊदी अरब से मिलता है। एंटोनियो जियोस्टोज्जी का कहना है कि सऊदी और अमेरिका दोनों तालिबान के उन लोगों को बाहर रखना चाहते हैं, जिनका संबंध ईरान से है।
2001 में अमेरिका के अफगानिस्तान पर हमले के दौरान याकूब अपने परिवार के साथ पेशावर में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के संरक्षण आ गया। वहीं उसने तालिबान और अल-कायदा के कट्टरपंथी मदरसों में तालीम हासिल की। जैश-ए-मोहम्मद के चीफ मसूद अजहर की निगरानी में उसने गुरिल्ला की लड़ाई सीखी। इसी दौरान लश्कर-ए-तैयबा के हाफिज सईद के साथ मुजफ्फराबाद में भी रहा और वहां भी हथियारों की ट्रेनिंग ली।
पाकिस्तान को पता था कि मुल्ला उमर की अहमियत क्या है और जब भी अमेरिकी फौज अफगानिस्तान से हटेगी, तालिबान की अहम भूमिका रहेगी। यही वजह थी कि पाकिस्तान याकूब को भविष्य के लिए पूरी तरह से तैयार कर रहा था। तालिबान में कुछ पुराने कंमाडरों ने इसके खिलाफ आवाज उठाने की कोशिश की, लेकिन उमर के परिवार के पास धन की कमी नहीं थी और सबको खरीद कर उनका मुंह बंद करा दिया गया। एक अनुमान के मुताबिक तालिबान अभी भी अपने कब्जे वाले इलाके में अफीम की खेती, गैरकानूनी माईनिंग से करीब चार अरब डॉलर सालाना कमा रहा है। इस कमाई का लेखा-जोखा मुल्ला उमर के परिवार के पास है।
2015 में मुल्ला उमर की मौत के बाद उसके भाई मुल्ला अब्दुल मनान ने कुछ वक्त के लिए तालिबान प्रमुख का काम संभाला था और उसी समय उसने भतीजे मुल्ला याकूब को अफगानिस्तान के 34 में से 15 राज्यों का मिल्रिटी डिप्टी चीफ बना दिया था। अफगान इंटेलिजेंस के मुताबिक याकूब ज्यादा सफल नहीं रहा। क्योंकि एक तो उसे अफगानिस्तान की जमीनी हकीकत का पता नहीं था, दूसरा तालिबान में अंदर ही कुछ लोग ऐसे थे, जिन्हें लगता था कि याकूब को यह ओहदा काबिलियत के चलते नहीं बल्कि विरासत के चलते मिला था।
पत्रकार रहीमुल्ला युसुफजई ने बचपन से याकूब को देखा है। उनके मुताबिक याकूब सेल्फ सेंटर्ड है और इंट्रोवर्ट है। उसे लगता है पिता के बाद तालिबान पर उसका ही अधिकार है.जैसे राजशाही में होता है। उसकी उमर क्या है .कोई तीस के पास.लेकिन बचपन से उसने दुनिया देखी है।
याकूब को पता है कि अमेरिका से दुश्मनी लेकर उसका जिंदा रहना मुश्किल है। उसे पता है कि बिन लादेन का क्या अंत हुआ? साथ ही उसके पिता को जान के लाले पड़ गए थे। पाकिस्तान में छुपकर रहना पड़ा था। यही वजह थी कि तालिबान प्रमुख मौलवी हिबतुल्लाह अखुंदजादा ने उसे मिल्रिटी कमीशन के चीफ के साथ-साथ अपना डिप्टी भी नियुक्त किया। यानि तालिबान में नंबर दो।
अफगानिस्तान के आंतरिक सुरक्षा मामलों के पूर्व मंत्री अली जलाली का कहना है, तालिबान और अफगान सरकार के बीच अगर कोई समझौता होता है.चाहे आज या फिर कभी, तालिबान की भूमिका बढ़ेगी। यकीनन याकूब तालिबान का चेहरा होगा जो तालिबान की मिल्रिटी और पॉलिटकल विंग के बीच कड़ी होगा। देखिए, अगर उसे मेन स्ट्रीम में आना है तो तालिबन वो नहीं रह सकता जो 2001 के पहले था।
जलाली ने कहा कि 19 साल की लंबी लड़ाई और अस्थिरता के बाद तालिबान और अफगानिस्तान सरकार के बीच बातचीत की कोशिशें हो रही हैं। जबकि तालिबान को न तो सरकार पर भरोसा है, न ही सरकार को तालिबान पर। रही बात अफगानिस्तान के लोगों की.वो तो तालिबान के शासन की याद करते ही कांप उठते हैं। उनका मानना है कि तालिबान कितना भी दावा करे, लेकिन अपनी बुनियादी कट्टरपंथी नीतियों को नहीं छोड़ सकता। पिछले महीने मुल्ला याकूब के मारे जाने की खबर भी उड़ी थी, लेकिन तालिबान ने इससे इनकार किया था।
(यह कंटेंट इंडिया नैरेटिव डॉट कॉम के साथ साझेदारी के तहत है)
लाहौर, 10 सितम्बर (आईएएनएस)| पाकिस्तान में रह रहे सिख समुदाय ने कहा है कि वह गुरु ग्रंथ साहिब की एक हस्तलिखित प्रति को गुरुद्वारा डेरा साहिब में रखना चाहता है। अभी यह प्रति लाहौर के एक संग्रहालय में डिस्प्ले में रखी हुई है। अनुमान है कि यह प्रति करीब 300 साल पुरानी है। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने बुधवार को एक रिपोर्ट में कहा है कि विशेषज्ञों के मुताबिक सिखों के पवित्र ग्रंथ की हस्तलिखित प्रति बेहद दुर्लभ है।
शोधकर्ता और लाहौर संग्रहालय में सिख धर्म को समर्पित सेक्शन की प्रभारी अलीजा सबा रिजवी ने कहा, "हालांकि इस पर कोई तारीख नहीं है लेकिन इसके लेखन और स्याही से पता चलता है कि यह तीन सौ साल से अधिक पुराना है।"
रिजवी के अनुसार, यह पांडुलिपि अन्य कलाकृतियों के साथ संग्रहालय को विभिन्न व्यक्तियों और संगठनों द्वारा किए गए दान में मिली थी।
रिजवी ने कहा, "यह गुरु ग्रंथ साहिब की एक दुर्लभ प्रति है। ऐसी ही एक प्रति भारत के अमृतसर में स्वर्ण मंदिर में है।"
अब पाकिस्तान में सिख समुदाय चाहता है कि इस पवित्र ग्रंथ को गुरुद्वारा डेरा साहिब के अंदर रखा जाए। यह गुरुद्वारा लाहौर के मध्य में उस जगह पर बना है, जहां 1606 में गुरु अर्जन देव की मृत्यु हुई थी।
एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने समुदाय के एक वरिष्ठ सदस्य के हवाले से कहा, "गुरु ग्रंथ साहिब की इस प्राचीन प्रति को गुरुद्वारा साहिब में रखा जाना चाहिए।"
पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (पीएसजीपीसी) के पूर्व प्रमुख सरदार बिशन सिंह ने कहा, "इसे किसी भी साधारण किताब की तरह एक कोठरी में नहीं रखा जा सकता है। इसे गुरुद्वारे के अंदर ही रखा जाना चाहिए।"
उन्होंने यह भी कहा कि वह पीएसजीपीसी की अगली बैठक में यह मांग रखेंगे।
सिंह ने यह सुझाव भी दिया कि संग्रहालय को या तो दुर्लभ ग्रंथ को गुरुद्वारे में स्थानांतरित कर देना चाहिए या पवित्र ग्रंथ की सिख रीति-रिवाजों के अनुसार देखभाल करने के लिए समुदाय का एक आदमी रखना चाहिए।
सिएटल, 10 सितंबर (आईएएनएस)| भारतीय मूल के एक फेसबुक इंजीनियर अशोक चंदवाने ने कंपनी पर अमेरिका और पूरी दुनिया में सोशल मीडिया नेटवर्क पर 'नफरत से पेश आने' का आरोप लगाते हुए नौकरी छोड़ दी है। पिछले 5 से ज्यादा साल से फेसबुक पर काम करने वाले चंदवने ने इस सोशल मीडिया दिग्गज को अपने प्लेटफॉर्म के जरिए नफरत फैलाने वाले भाषण और गलत सूचना का प्रसार करने के कारण आड़े हाथों लिया है।
चंदवने ने इस सप्ताह एक फेसबुक पोस्ट में लिखा, "मैं इसे इसलिए छोड़ रहा हूं क्योंकि मैं अब ऐसे संगठन में योगदान नहीं दे सकता, जो अमेरिका और दुनिया भर में नफरत को बढ़ावा दे रहा है।"
चंदवने ने म्यांमार में रोहिंग्याओं के नरसंहार और एक मिलिशिया समूह की पोस्ट को लेकर लिखा, जिसमें विस्कॉन्सिन के केनोशा में जैकब ब्लेक के विरोध प्रदर्शन में सशस्त्र नागरिकों को हिस्सा लेने के लिए कहा गया था।
उन्होंने लिखा, "घृणा करने वाले हिंसक समूह और फार-फाइट मिलिशिया वहां मौजूद हैं और वे फेसबुक का इस्तेमाल कर लोगों की भर्ती करने और उन्हें कट्टरपंथी बनाने के लिए कर रहे हैं। इस बारे में मानदंड कहां हैं?"
बता दें कि केनोशा में हुई गोलीबारी में दो लोगों के मरने के बाद फेसबुक ने उस पोस्ट को हटा दिया था। जुकरबर्ग ने इसे थर्ड पार्टी के कॉन्ट्रैक्टर्स और समीक्षकों की 'ऑपरेशनल गलती' बताया था।
चंदवेनी ने अपने त्याग पत्र में कहा है, "फेसबुक इतिहास के गलत पक्ष को चुन रहा है।"
उन्होंने कहा, "यदि चाहते तो समय रहते सही निर्णय करके इन्हें रोक सकते थे। ऐसा लगता है कि फेसबुक को प्लेटफॉर्म से घृणा को दूर करने के लिए सही व्यापार मूल्य नहीं मिला है। जबकि उस पर नागरिकों, उसके अपने कर्मचारियों, सलाहकारों और ग्राहकों के बहिष्कार करने का दबाव है।"
वाशिंगटन, 10 सितंबर (आईएएनएस)| अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को अगले साल के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया गया है। इजरायल और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच शांति समझौते में ट्रंप की अहम भूमिका को देखते हुए यह फैसला किया गया है। न्यूज एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, नॉर्वे संसद के अति रूढ़िवादी सांसद क्रिश्चियन टाइब्रिंग गजेड ने ट्रंप को इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए नामित किया है, जिन्होंने ट्रंप की दुनिया भर में संघर्षों के समाधान के लिए उनके प्रयासों की प्रशंसा की है।
सिंगापुर में किम जोंग-उन के साथ मुलाकात के लिए 2018 में ट्रंप को नामांकित करने वाले एक टाइब्रिंग गजेड ने अमेरिकी राष्ट्रपति से जुड़े नहीं होने का दावा किया है।
ट्रंप समर्थक नहीं होने का दावा करते हुए गजेड ने फॉक्स न्यूज को बताया, "उनकी योग्यता को देखते हुए मुझे लगता है कि उन्होंने अधिकांश अन्य शांति पुरस्कार नोमनी की तुलना में राष्ट्रों के बीच शांति बनाने के लिए अधिक प्रयास किए हैं।"
उन्होंने कहा, "जिन लोगों ने हाल के वर्षो में शांति पुरस्कार प्राप्त किया है, उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप की तुलना में बहुत कम काम किया है। उदाहरण के लिए, बराक ओबामा ने कुछ नहीं किया है।"
नॉर्वे की प्रोग्रेस पार्टी से चार बार के सांसद और नाटो संसदीय सभा के चेयरमैन क्रिश्चियन टाइब्रिंग गजेड ने कहा कि ट्रंप प्रशासन यूएई और इजरायल के बीच संबंधों की स्थापना में अपनी भूमिका के लिए सम्मानित होने के योग्य है।
नई दिल्ली, 10 सितंबर (आईएएनएस)| भारतीय और चीनी सैन्य प्रतिनिधियों ने बुधवार को पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव को कम करने के लिए सौहार्दपूर्ण तरीके से मुलाकात की, लेकिन वार्ता बेनतीजा रही। दोनों देशों के सैन्य प्रतिनिधि फिर से विचार-विमर्श के लिए मिलेंगे।
चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिकों ने सात सितंबर को एलएसी पर तैनात भारतीय सैनिकों को उनकी पोजिशन से विचलित करने के लिए एक उत्तेजक सैन्य प्रयास किया था और चेतावनी के तौर पर फायरिंग भी की थी।
एक सूत्र ने कहा, "दोनों देशों के ब्रिगेड कमांडरों के बीच आज वार्ता हुई।"
सूत्र ने आगे कहा कि भारत ने बैठक के दौरान स्पष्ट रूप से कहा है कि अगर चीनी सैनिक उत्तेजक सैन्य कार्रवाई को अंजाम देंगे, तो भारतीय सैनिक जवाबी कार्रवाई करेंगे।
इससे पहले दिन में यह देखा गया कि चीन ने पैंगोंग झील के उत्तर में फिंगर क्षेत्र में एक ताजा निर्माण शुरू किया।
पीएलए सैनिकों की तैनाती मंगलवार शाम से बढ़ गई है। वे अधिक सामग्री और लॉजिस्टिक आइटम भी ला रहे हैं।
दोनों पक्षों के सैनिक एक दूसरे से थोड़ी ही दूरी पर हैं। एक सरकारी सूत्र ने कहा, "वे स्पष्ट दृश्यमान सीमा के भीतर हैं (एक-दूसरे को अच्छे से देख सकते हैं) और भारतीय सैनिक उनकी गतिविधियों पर कड़ी नजर रख रहे हैं।"
मंगलवार को भी पूर्वी लद्दाख के रेजांग ला के उत्तर में भारतीय सेना के ठिकानों से कुछ ही मीटर दूर तकरीबन 40 से 50 चीनी सैनिक भाले, बंदूक और धारदार हथियारों से लैस होकर पहुंचे थे।
पीएलए के सैनिक भारतीय सेना को उसके ठिकानों से हटाने के लिए नए सिरे से प्रयास कर रहे हैं।
यह घटनाक्रम झील के दक्षिणी तट पर सात सितंबर को एक झड़प होने के तुरंत बाद शुरू हुआ है, जहां भारतीय सेना अपनी पहुंच बनाए हुए है।
भारतीय सेना ने पैंगोंग झील के दक्षिणी तट के आसपास के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण ऊंचाइयों पर अपनी पहुंच बना ली है और चीन ने यहां कई अन्य पोजिशन पर अपना कब्जा करने के लिए कई प्रयास किए हैं।
यह नया गतिरोध बिंदु बन गया है, क्योंकि भारतीय सेना यहां एक लाभप्रद स्थिति में है।
भारतीय सेना ने उन ऊंचाइयों पर कब्जा कर लिया है, जो इसे चीनी नियंत्रण के तहत आने वाले चीनी मोल्दो गैरीसन और स्पंगुर गैप पर हावी होने में फायदा पहुंचा सकती है। भारत और चीन दोनों इनमें से कुछ ऊंचाइयों पर अपना दावा करते हैं।
भारतीय सेना की सबसे महत्वपूर्ण ऊंचाइयों में से एक है रेचिन ला, जिसका चीनी विरोध कर रहे हैं।
भारत और चीन की सेना पूर्वी लद्दाख में एलएसी के पास चार महीने से आमने-सामने है। कई दौर की बातचीत के बावजूद कोई सफलता नहीं मिली है और गतिरोध जारी है।
न्यूयॉर्क, 10 सितंबर (आईएएनएस)| जॉन्स होपकिंस विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर सिस्टम साइंस एंड इंजीनियरिंग (सीएसएसई) के अनुसार, वैश्विक स्तर पर कोविड -19 से हुई मौतों की संख्या 900,000 से अधिक हो गई हैं।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, सीएसएसई के आंकड़ों से खुलासा हुआ कि वैश्विक स्तर पर मौत का आंकड़ा बुधवार को बढ़कर 900,079 हो गया, वहीं दुनियाभर में कोविड-19 के मामले 2.76 करोड़ से अधिक हो गए थे।
अमेरिका महामारी से सर्वाधिक प्रभावित देश है। यहां 6,356,310 मामले और संक्रमण से हुई 190,649 मौतें दर्ज की गई हैं, जो कि वैश्विक स्तर पर हुई मौत का 20 प्रतिशत से अधिक हिस्सा है।
अमेरिका के बाद ब्राजील में सबसे अधिक मौतें 127,464 दर्ज की गई हैं, इसके बाद भारत 73,890 का स्थान है। सीएसएसई के अनुसार, भारत ने हाल ही में मामलों की ²ष्टि से ब्राजील को पीछे कर दिया है और यहां 43 लाख मामले दर्ज किए गए हैं।
वहीं 30,000 से अधिक मौतों वाले देशों में मैक्सिको, ब्रिटेन, इटली, फ्रांस और पेरू भी शामिल हैं।
अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस बात को जानते थे कि कोरोना वायरस फ़्लू की तुलना में ज़्यादा ख़तरनाक है, लेकिन उन्होंने जानबूझकर इस महामारी के प्रकोप को कम करके बताया.
अमरीका से छपने वाली एक नई किताब में ये दावा किया गया है.
किताब लिखने वाले हैं 70 के दशक में वाटरगेट स्कैंडल को उजागर करने वाले मशहूर पत्रकार और लेखक बॉब वुडवर्ड.
बॉब वुडवर्ड का दावा है कि उन्होंने दिसंबर 2019 से जुलाई 2020 तक ट्रंप का 18 बार इंटरव्यू किया है.
किताब में ट्रंप के हवाले से दावा किया गया है कि अमरीका में कोरोना से पहली मौत होने से पहले ही ट्रंप ने उन्हें बताया था कि कोरोना एक 'जानलेवा' बीमारी है.
इस किताब पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्रंप ने कहा कि वो नहीं चाहते थे कि कोरोना को लेकर लोगों में अफ़रा-तफ़री मच जाए.
अमरीका में अब तक कोरोना से एक लाख 90 हज़ार लोग मारे जा चुके हैं.
बुधवार को कुछ अमरीकी मीडिया ने ट्रंप और बॉब वुडवर्ड के बीच हुई बातचीत के कुछ अंशों को छापा जिसमें बताया गया है कि ट्रंप कोरोना महामारी, नस्लवाद और दूसरे मुद्दों पर क्या सोचते हैं.
बॉब वुडवर्ड की ये किताब 'रेज' 15 सितंबर को आधिकारिक रूप से बाज़ार में आएगी.
किताब में ट्रंप और कोरोना के बारे में क्या कहा गया है?
ट्रंप ने साफ़ इशारा किया था कि कोरोना कितना ख़तरनाक है इस बारे में वो अच्छे से जानते थे लेकिन वो सार्वजनिक रूप से कभी भी यह नहीं कहते थे.
फ़रवरी में हुई एक बातचीत के दौरान ट्रंप ने वुडवर्ड से कहा था कि कि कोरोना फ़्लू से ज़्यादा जानलेवा है.
ट्रंप ने सात फ़रवरी को बातचीत के दौरान कहा था, "यह हवा के ज़रिए फैलता है. आपको इसे छूने की भी ज़रूरत नहीं. आप सिर्फ़ सांस लें और यह आपतक आ जाएगा. यह फ़्लू से ज़्यादा ख़तरनाक और जानलेवा है."
फ़रवरी के ही महीने में ट्रंप ने कहा था कि वायरस पूरी तरह नियंत्रण में है और बहुत जल्द ही कोरोना संक्रमितों की संख्या शून्य के बराबर हो जाएगी. और उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा कि फ़्लू कोरोना से ज़्यादा ख़तरनाक है.
10 मार्च को उन्होंने राजधानी वाशिंगटन में कहा था, "आप बस शांत रहें. यह (कोरोना) चला जाएगा."
नौ दिनों के बाद जब तक अमरीका में कोरोना महामारी को राष्ट्रीय इमरजेंसी घोषित किया जा चुका था, ट्रंप ने वुडवर्ड से कहा था, "मैं हमेशा से ही इसे (कोरोना) को कम करके दिखाना चाहता था. मैं अभी भी इसे कम करके ही बताना चाहता हूं, क्योंकि मैं नहीं चाहता कि लोगों में घबराहट और दहशत फैल जाए."
व्हाइट हाउस की प्रतिक्रिया
बुधवार को पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने कहा, "मैं नहीं चाहता कि लोग ख़ौफ़ज़दा हों, मैं नहीं चाहता कि अफ़रा-तफ़री मचे, और निश्चित तौर पर मैं इस देश और दुनिया के लोगों में उन्माद फैले. हमलोग आत्मविश्वास दिखाना चाहते हैं, अपनी ताक़त दिखाना चाहते हैं."
किताब की आलोचना करते हुए ट्रंप ने कहा, "वुडवर्ड की किताब राजनीतिक रूप से मेरे ऊपर हमला है."
किताब के बारे में पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए ट्रंप की प्रेस सचिव केले मैकएनानी ने कहा, "राष्ट्रपति ने कभी भी कोरोना वायरस के ख़तरे को कम नहीं आंका. राष्ट्रपति लोगों का ढाढस बंधाना चाहते थे. राष्ट्रपति इसको लेकर काफ़ी गंभीर थे."
ट्रंप के चुनावी प्रतिद्वंद्वी जो बाइडन ने ट्वीट कर कहा, "जब एक जानलेवा वायरस हमारे देश को तबाह कर रहा था, राष्ट्रपति जानबूझकर अपना काम करने में नाकाम रहे हैं. यह अमरीकी लोगों के साथ धोखा है जो कि ज़िंदगी और मौत का सवाल है."
बाइडन ने कहा कि ट्रंप ने सिर्फ़ दो हफ़्ते पहले कार्रवाई की होती तो सिर्फ़ मार्च और अप्रैल में ही 54 हज़ार लोगों की जान बचाई जा सकती थी, लेकिन राष्ट्रपति ने ख़तरे को कम दर्शाया और कार्रवाई करने से मना कर दिया, जिससे लोगों की जान गई और हमारी अर्थव्यवस्था को भी नुक़सान हुआ.
बाइडन के मुताबिक़ ये सरासर लापरवाही है जिसको कभी भी उचित नहीं ठहराया जा सकता.
किताब और क्या कहती है?
वुडवर्ड कहते हैं कि उन्होंने 19 जून को ट्रंप से हुई बातचीत में 'ब्लैक लाइव्स मैटर' आंदोलन का ज़िक्र किया था और कहा था कि उन जैसे लोगों को यह समझने की कोशिश करनी चाहिए कि अमरीका में काले लोग इस बारे में क्या महसूस कर रहे हैं. इस पर ट्रंप ने वुडवर्ड का मज़ाक़ उड़ाते हुए कहा था, "आपने सचमुच में कूल-एड पी रखी है."
कूल-एड एक तरह का फ़्लेवर्ड जूस है जो अमरीका में बच्चों के बीच काफ़ी पसंद किया जाता है.
मई के महीने में जॉर्ड फ़्लॉयड नाम के एक काले अमरीकी की पुलिस के हाथों हुई मौत के बाद पूरे अमरीका में पुलिस बर्बरता और नस्लभेद के ख़िलाफ़ प्रदर्शन हो रहे थे.
वुडवर्ड के अनुसार ट्रंप बार-बार यही कहते रहे कि उन्होंने अब्राहम लिंकन के बाद किसी भी अमरीकी राष्ट्रपति की तुलना में अफ़्रीकी-अमरीकी लोगों के लिए ज़्यादा किया है.
लिंकन ने अपने कार्यकाल में अमरीका से ग़ुलामी ख़त्म कर दी थी.
आठ जुलाई को ट्रंप ने एक बार फिर कहा था कि उन्होंने काले लोगों के लिए बहुत काम किया है लेकिन उन्हें उनकी तरफ़ से कोई प्यार का एहसास नहीं होता.
वाशिंगटन अख़बार में भी एक इंटरव्यू छपा है जिसमें वुडवर्ड ट्रंप से पूछते हैं कि क्या अमरीका में संस्थागत रूप से नस्लभेद है.
इस पर ट्रंप का जवाब था, "इस तरह की समस्याएं हर जगह होती हैं. मेरा मानना है कि दूसरी जगहों की तुलना में यहां कम है, कई जगहों से कम है."
ट्रंप ने इस बात को स्वीकार किया कि नस्लभेद ने अमरीकी लोगों की ज़िंदगी को प्रभावित किया है और इसे उन्होंने दुर्भाग्यपूर्ण क़रार दिया था.
वुडवर्ड की किताब में ट्रंप और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन के बीच दर्जनों ख़त का भी ज़िक्र है. उन ख़तों में किम जोंग उन बहुत सम्मान के साथ ट्रंप को संबोधित करते हुए कहते हैं कि 'उनकी गहरी और विशेष दोस्ती एक मैजिक की तरह काम करेगी.'
अमरीकी मीडिया के अनुसार ट्रंप ने किम के साथ अपने संबंधों के बारे में वुडवर्ड से कहा था, "आप एक महिला से मिलते हैं. एक ही सेकंड में आपको पता चलजाता है कि बात आगे बढ़ने वाली है या नहीं. आपको दस मिनट या छह हफ़्ते नहीं लगते. एक सेकंड से भी कम समय में आपको पता चल जाता है."
ट्रंप ने वुडवर्ड से पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के बारे में कहा था कि उन्हें लगता है कि ओबामा को बहुत बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया जाता है.
ट्रंप ने कहा था, मुझे नहीं लगता कि ओबामा स्मार्ट हैं और मुझे नहीं लगता कि वो एक महान स्पीकर हैं.
सीएनएन के अनुसार ट्रंप ने वुडवर्ड से कहा था कि उन्होंने राष्ट्रपति जॉर्ज बुश को एक 'बेवक़ूफ़ व्यक्ति बना दिया था जो कि वो सचमुच में थे.'(bbc)
वाशिंगटन 09 सितंबर (स्पूतनिक) अमेरिका में कैलिफोर्निया के गवर्नर गेविन न्यूजोम ने कहा है कि प्रांत के जंगलों में लगी आग के कारण 20.30 लाख एकड़ में फैला जंगल जल गया है जो एक वर्ष में इतने बड़े क्षेत्र में जंगल जलने की सबसे बड़ी घटना है।
वहीं 2019 में आग की वजह से 118,000 एकड़ में फैला जंगल नष्ट हो गया था। श्री गेविन ने यह बातें मंगलवार को संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कही।
उधर, कैलिफोर्निया के वानिकी एवं अग्नि नियंत्रण विभाग के अनुसार सैन डिएगो के जंगलों में लगी आग सोमवार तक 17000 एकड़ क्षेत्रफल में फैल चुकी थी। विभाग ने कहा था कि लगभग 14000 दमकलकर्मी आग बुझाने की कोशिश कर रहे हैं। आग में जलने के कारण कम से कम आठ लोगों की मौत हो गयी है तथा 3300 संरचनाएं नष्ट हो गयी हैं।
कोरोना वायरस पर क़ाबू पाने के लिए बन रही वैक्सीन को उस वक़्त एक बड़ा धक्का लगा जब एस्ट्राज़ेनेका और ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी को वैक्सीन के ट्रायल को रोकना पड़ा.
ऐसा उन्हें इसलिए करना पड़ा क्योंकि मानव परीक्षण में शामिल एक व्यक्ति बीमार पड़ गया.
एस्ट्राज़ेनेका ने कहा कि यह एक रूटीन रुकावट है क्योंकि परीक्षण में शामिल व्यक्ति की बीमारी के बारे में अभी तक कुछ समझ में नहीं आ रहा है.
ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी में वैक्सीन के ट्रायल पर पूरी दुनिया की निगाहें टिकी हुईं हैं.
इस वक़्त दुनिया भर में क़रीब एक दर्जन जगहों पर कोरोना वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है लेकिन जानकारों का मानना है कि ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी का ट्रायल सबसे आगे है.
यहां तीसरे फ़ेज़ की ट्रायल हो रही है और बहुत उम्मीद है कि बाज़ार में सबसे पहले आने वाले वैक्सीन में ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन हो.
वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल में हज़ारों लोग शामिल होते हैं और इसमें कई बार कई साल लगते हैं.
कोरोना वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल में क़रीब 30 हज़ार लोग शामिल हैं.
बीबीसी के मेडिकल एडिटर फ़र्गस वॉल्श के अनुसार पूरी दुनिया में चल रहे ट्रायल को रोक दिया गया है और अब एक स्वतंत्र जाँच होगी जो कि सुरक्षा मानकों की समीक्षा करेगी उसके बाद नियामक ये तय करेंगे कि ट्रायल दोबारा शुरू की जाए या नहीं.
ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता ने कहा, "बड़े ट्रायल में बीमार पड़ने की पूरी आशंका है लेकिन इसको ध्यानपूर्वक चेक करने के लिए इसकी स्वतंत्र पुनरीक्षण बहुत ज़रूरी है."
ये दूसरी बार हुआ है जब ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी में कोरोना वायरस के वैक्सीन के ट्रायल को रोका गया है. बड़े ट्रायल में ऐसा होना बहुत सामान्य बात है और जब कभी भी परीक्षण में शामिल किसी व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती कराया जाता है और उसके बीमार पड़ने का कारण फ़ौरन पता नहीं चल पाता है तो ट्रायल को रोक दिया जाता है.
माना जा रहा है कि कुछ दिनों में ट्रायल दोबारा शुरू होगी.(bbc)
सियोल, 8 सितम्बर (आईएएनएस)| दक्षिण कोरिया के तीसरे सबसे बड़े मोबाइल कैरियर एलजी यूप्लस ने मंगलवार को कहा कि उसने अपने ग्लोबल पार्टनर्स के साथ एडवांस्ड सेलुलर मॉड्यूल तकनीक विकसित की है, जिसमें सब्सक्राइबर आईंडिफिकेशन मॉड्यूल (सिम) कार्ड की जरूरत नहीं है। योनहाप न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक सेलुलर चिपसेट बनाने वाली कम्पनी सोनी सेमीकंडक्टर इजरायल, लोकल कम्यूनिकेशन मॉड्यूल मेकर एनटीमोर और जर्मन डिजिटल सिक्यूरिटी सॉल्यूशंस प्रोवाइडर गीसेक डेवरिएंट की मदद से एलजी यूप्लस ने एक वेरीफाइड इंटीग्रेटेड यूनिवर्सल इंटीग्रेटेड सर्किट कार्ड (आईयूआईसीसी) सॉल्यूशंस विकसित किया है।
सिम कार्ड यूजर के पर्सनल जानकारियों की स्टोर करता है और मोबाइल कैरियर को उसके प्लांस और सर्विस को पहचानने में मदद करता है।
आईयूआईसीसी तकनीक में सिम का काम एक कम्यूनिकेशन चिप करेगा, जो व्वाइस और डाटा कनेक्शन को भी अंजाम देगा।
इस तकनीक के बाद मोबाइल फोन बनाने वाली कम्पनियों को छोटे आकार के प्रॉडक्ट्स बनाने की आजादी होगी क्योंकि उन्हें इसमं सिम कार्ड के लिए जगह देने की जरूरत नहीं होगी। साथ ही इससे मोबाइल कम्पनियों को खर्च में कटौती करने में भी मदद मिलेगी।
बीजिंग, 8 सितम्बर (आईएएनएस)| डब्ल्यूएचओ के वरिष्ठ सलाहकार ब्रूस आयलवर्ड ने 7 सितंबर को आयोजित न्यूज ब्रीफिंग में कहा कि चीन में लगातार 20 से अधिक दिन से कोविड-19 का कोई घरेलू मामला सामने नहीं आया है। इसका मील के पत्थर का महत्व है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ दल के साथ चीन की यात्रा की। उनका विचार है कि तीन कारकों से चीन को महामारी को रोकने की लड़ाई में सफलता मिली। पहला है सार्वजनिक स्वास्थ्य के बुनियादी संस्थापनों में चीन का निवेश। चीन ने राष्ट्रीय स्तर से प्रांतों और शहरों के समुदाय तक एक सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली स्थापित की है। जिससे जानकारी और अनुभव को प्रवाहित करने की अनुमति दी जा सकती है, जिसने महामारी के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वहीं दूसरा है चीनी लोगों की व्यक्तिगत जिम्मेदारी की भावना। तीसरा है महामारी की रोकथाम के कार्य पर चीन के विभिन्न स्तरों के अधिकारियों का बड़ा ध्यान।
जिनेवा, 8 सितम्बर (आईएएनएस)| 'इंटरनेशनल हेल्थ रेगुलेशंस' (आईएचआर) की समीक्षा समिति कोविड-19 महामारी के दौरान आईएचआर के अब तक के कामकाज का मूल्यांकन करने के लिए मंगलवार को अपना काम शुरू करेगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के प्रमुख ने यह जानाकरी दी। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, सोमवार को वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक ट्रेडोस एडनोम गेब्रेयसस ने कहा, "इंटरनेशनल हेल्थ रेगुलेशंस स्वास्थ्य सुरक्षा में सबसे महत्वपूर्ण कानूनी साधन है।"
उन्होंने कहा, "एक रिमाइंडर के तौर पर, समीक्षा समिति महामारी के दौरान अब तक आईएचआर द्वारा किए गए कामकाज का मूल्यांकन करेगी और किसी भी आवश्यक परिवर्तन को मानने की सिफारिश करेगी।"
उन्होंने कहा कि यह आपातकालीन समिति बुलाकर, अंतर्राष्ट्रीय चिंता के संदर्भ में एक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल की घोषणा, नेशनल आईएचअर फोकल बिंदुओं की भूमिका और कार्यप्रणाली की समीक्षा करेगा, और पिछले इंटरनेशनल हेल्थ रेगुलेशन समीक्षा समितियों की सिफारिशों को लागू करने में हुई प्रगति की जांच करेगा।
उन्होंने कहा कि समिति नवंबर में फिर से शुरू होने वाली विश्व स्वास्थ्य असेंबली के लिए एक अंतरिम प्रगति रिपोर्ट और मई 2021 में असेंबली को फाइनल रिपोर्ट पेश कर सकती है।
डब्ल्यूएचओ की वेबसाइट के अनुसार, समीक्षा समिति की जल्द ही पहली बैठक आयोजित किए जाने की उम्मीद है।
इसकी सह-अध्यक्षता न्यूजीलैंड की पूर्व प्रधानमंत्री हेलेन क्लार्क और लाइबेरिया की पूर्व राष्ट्रपति एलेन जॉनसन सरलीफ करेंगी।
वाशिंगटन 08 सितंबर (स्पूतनिक) अमेरिका में कैलिफोर्निया की सैन डिएगो काउंटी के जंगलों में लगी आग 17000 एकड़ से अधिक क्षेत्रफल में फैल गयी है तथा सिर्फ तीन फीसदी क्षेत्र में आग पर काबू पाया जा सका है।
कैलिफोर्निया के वानिकी एवं अग्नि नियंत्रण विभाग ने सोमवार को यह जानकारी दी। विभाग ने ट्वीट कर कहा, " जंगलों में लगी आग 17345 एकड़ क्षेत्रफल में फैल चुकी है और सिर्फ तीन फीसदी क्षेत्र की आग बुझायी जा सकी है।"
विभाग के अनुसार आग के कारण आठ लोगों की मौत हो चुकी है तथा 33 से अधिक संरचनाएं नष्ट हो गयी हैं।
इससे पहले विभाग ने सोमवार सुबह जानकारी दी थी कि आग ने रात भर में और 408 एकड़ क्षेत्र को चपेट में ले लिया है और अब यह कुल 10258 एकड़ में फैल चुकी है।
आग पर काबू पाने के लिए आठ एयर टैंकर तथा 10 से अधिक हेलिकॉप्टरों को लगाया गया है। साथ ही लगभग चार सौ दमकलकर्मी आग बुझाने में जुटे हुए हैं।
विभाग ने कहा, "आज मौसम सर्द है और हल्की हवा चलने के आसार है, इसलिए आग के फैलने की रफ्तार थोड़ी कम होने की संभावना है।"
वाशिंगटन, 8 सितम्बर (आईएएनएस)| दुनियाभर में कोरोनावायरस के कुल मामलों की संख्या 2 करोड़ 70 लाख के पार पहुंच गई है जबकि 891,000 से अधिक लोग इस बीमारी से जान गंवा चुके हैं। जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी ने यह जानकारी दी। यूनिवर्सिटी के 'सेंटर फॉर सिस्टम्स ऑफ साइंस एंड इंजीनियरिंग' (सीएसएसई) ने अपने नवीनतम अपडेट में खुलासा किया कि मंगलवार की सुबह तक, कुल मामलों की संख्या 27,002,224 रही और इस बीमारी से मरने वालों की संख्या बढ़कर 882,053 हो गई।
सीएसएसई के अनुसार, कोरोना के 6,300,431 मामलों और 189,206 मौतों के साथ अमेरिका दुनिया में शीर्ष पर है।
वहीं, 4,204,613 मामलों के साथ भारत दूसरे स्थान पर है, जबकि देश में 71,642 लोग इस बीमारी से जान गंवा चुके हैं।
सीएसएसई के आंकड़ों ने दर्शाया कि कोरोना मामलों के संदर्भ में ब्राजील तीसरे (4,147,794) स्थान पर है और उसके बाद रूस (1,027,334), पेरू (689,977), कोलंबिया (666,521), दक्षिण अफ्रीका (639,362), मेक्सिको (637,509), स्पेन (525,549), अर्जेंटीना (488,007), चिली (424,274), ईरान (388,810), फ्रांस (367,174), ब्रिटेन (352,451), बांग्लादेश (327,359), सऊदी अरब (321,456), पाकिस्तान (298,903), तुर्की (281,509), इटली (278,784), इराक (264,684), जर्मनी (253,626), फिलीपींस (238,727), इंडोनेशिया (196,989), यूक्रेन(141,424), कनाडा (134,295), इजरायल (133,975), बोलीविया (120,769), कतर (120,348), इक्वाडोर (110,092), कजाकिस्तान (106,361) और मिस्र (100,041) हैं।
वहीं, 10,000 से अधिक मौतों वाले अन्य देश ब्राजील (126,960), मेक्सिको (67,781), ब्रिटेन (41,643), इटली (35,553), फ्रांस (30,732), पेरू (29,838), स्पेन (29,516), ईरान (22,410), कोलंबिया (21,412), रूस (17,818), दक्षिण अफ्रीका (15,004), चिली (11,652) और अर्जेटीना (10,129) हैं।
मास्को, 08 सितंबर (स्पूतनिक) विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक टेड्रोस अदनोम गेब्रेयसस ने सोमवार को कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण आखिरी महामारी नहीं है और दुनिया भर के देशों को भविष्य में आने वाले संकटों को लेकर तैयार रहना होगा।
श्री गेब्रेयसस ने एक वर्चुअल संवाददाता सम्मेलन में कहा, “यह आखिरी महामारी नहीं होगी। इतिहास ने हमें सिखाया है कि महामारी जीवन का एक हिस्सा है। लेकिन अगली बार महामारी आने पर हम सबको इसके लिए तैयार रहना होगा।”
उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकियों में काफी प्रगति के बावजूद कई देशों ने अभी तक अपने सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों पर सही दिशा में ध्यान नहीं दिया है।
गौरतलब है कि डब्ल्यूएचओ ने 11 मार्च को कोरोना वायरस संक्रमण को वैश्विक महामारी घोषित किया। सोमवार को जारी हुए आंकड़ों के मुताबिक इस महामारी से अबतक 890,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
तेहरान, 7 सितंबर। ईरान के गुलिस्तान प्रांत के रामियान काउंटी में सोमवार को 5.1 तीव्रता के भूकंप की वजह से 34 लोग घायल हो गए। न्यूज एजेंसी सिन्हुआ ने ईरान के आपातकालीन संगठन के प्रमुख मोजतबा खालिदी के हवाले से बताया कि भूकंप की वजह से अभी मौत की कोई सूचना नहीं मिली है।
रामियान के गवर्नर हामिद रेजा चोबदारी ने कहा इस क्षेत्र में भूकंप से 50 घरों को नुकसान पहुंचा है।
ईरान के भूकंपीय केंद्र के अनुसार, भूकंप का उपकेंद्र जमीन से नौ किमी की गहराई में था, जो कि 37.021 डिग्री उत्तरी अक्षांश और 55.101 डिग्री पूर्वी देशांतर पर था।(IANS)
वारसा, 7 सितम्बर। जर्मनी के भाला फेंक एथलीट योहानेस वेटर भाला फेंक स्पर्धा में विश्व रिकॉर्ड तोड़ने के करीब आकर चूक गए। वेटर ने पोलैंड के विश्व एथलेटिक्स कॉटिनेंटल टूर गोल्ड टूर्नामेंट में 97.76 मीटर दूरी का भाला फेंका। वह ऐसा करने वाले वे इतिहास के दूसरे खिलाड़ी बन गए हैं।
वेटर चेकोस्लोवाकिया के जन जेलेज्नी के 24 साल पुराने रिकॉर्ड तोड़ने से 72 सेंटीमीटर पीछे रह गए। जेलेज्नी ने 1996 में 98.48 मीटर भाला फेंका था।
वेटर ने 2017 के लंदन में हुई विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीता था। उन्होंने खुद का पुराना रिकॉर्ड तोड़ा। उन्होंने अपने पिछले रिकॉर्ड से तीन मीटर ज्यादा दूर फेंका।
विश्व एथलेटिक्स ने वेटर के हवाले से कहा, " मुझे नहीं पता कि क्या कहना है। यह वास्तव में एक आदर्श क्षण के करीब था। जब आप अच्छा फेंकते हैं तो आप इसे अपने शरीर में महसूस कर सकते हैं।"(IANS)
बीजिंग, 7 सितम्बर। चीन में स्थित संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम के उपाध्यक्ष महा अहमद ने 6 सितंबर को कहा कि नए कोरोनावायरस महामारी की वजह से यह अनुमान है कि इस वर्ष 7 करोड़ से 10 करोड़ लोग अत्यधिक गरीबी में गिरेंगे। वर्तमान में, संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम 10 करोड़ लोगों की खाद्य जरूरतों को पूरा करने के लिए सक्रिय रूप से संसाधन जुटा रहा है। 6 तारीख को 23 वां चीन कृषि उत्पाद प्रसंस्करण उद्योग निवेश और व्यापार मेला चीन के हनान प्रांत के च्वूमात्येन शहर में उद्घाटित हुआ। अहमद ने उद्घाटन समारोह में कहा कि संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम के अनुमानों के अनुसार, महामारी से पहले 79 देशों में गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना करने वाले लोगों की संख्या 14.7 करोड़ से बढ़कर 2020 के अंत तक 27 करोड़ तक पहुंच जाएगी और हर कम-आय या मध्यम-आय वाले देश को खतरों का सामना करना पड़ेगा।
महा अहमद ने यह भी बताया कि संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम सामाजिक सुरक्षा, पोषण सेवाओं में सुधार और खाद्य प्रणाली का समर्थन करने जैसे तरीकों के माध्यम से कमजोर समूहों की मदद करने के लिए सक्रिय रूप से संसाधन जुटा रहा है।(IANS)
(साभार---चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)