वाशिंगटन, 30 अक्टूबर। अमेरिकी बायोटेक्नोलॉजी कंपनी मॉडर्ना ने घोषणा की कि वह अपने कोविड-19 वैक्सीन के वैश्विक लॉन्च की तैयारी कर रही है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने गुरुवार को एक बयान में मॉडर्ना के सीईओ स्टीफन बैंसेल के हवाले से बताया, "हम एमआरएनए-1273 के लॉन्चिंग के लिए सक्रिय रूप से तैयारी कर रहे हैं और हमने दुनियाभर की सरकारों के साथ कई आपूर्ति समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं।"
बैंसेल के अनुसार, कोविड-19 वैक्सीन एमआरएनए-1273 के तीसरे चरण के अध्ययन के अलावा मॉडर्ना के पास अब दूसरे चरण के चार प्रोग्राम हैं।
उन्होंने आगे कहा, "मॉडर्ना उच्चतम डेटा गुणवत्ता मानकों और कठोर वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए प्रतिबद्ध है, हमने एमआरएनए-1273 को आगे बढ़ाने के लिए नियामकों के साथ काम करना जारी रखा है।"
गौरतलब है कि 22 अक्टूबर को एमआरएनए-1273 के तीसरे चरण के अध्ययन ने विविध समुदायों के लगभग 37 प्रतिशत प्रतिभागियों के साथ 30,000 प्रतिभागियों पर इनरोल्मेंट पूरा किया था।
वहीं 14 जुलाई को द न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित वैक्सीन के पहले चरण के अंतरिम विश्लेषण से पता चला कि एमआरएनए-1273 ने सभी आयु वर्गों के लोगों पर अच्छी तरह से काम किया और सार्स-सीओवी-2 के खिलाफ तेजी से काम किया। (आईएएनएस)
फ़्रांस के नीस शहर के एक चर्च में गुरुवार को एक शख़्स ने चाक़ू से हमला किया जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई.
फ़्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने इसे 'इस्लामी आतंकवादी हमला' बताया है.
उन्होंने कहा कि फ़्रांस अपने बुनियादी मूल्यों का समर्पण नहीं करेगा.
अधिकारियों के मुताबिक़, नीस में हुए हमले में एक बूढ़ी महिला का 'सिर काट' दिया गया जबकि एक पुरुष और एक महिला की भी मौत हुई है.
संदिग्ध हमलावर को गोली मारी गई है और उसे हिरासत में लिया गया है.
आतंक-विरोधी अभियोजकों ने इस हमले की जांच शुरू कर दी है और फ़्रांस ने राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर रेड अलर्ट घोषित कर दिया है.
फ़्रांस के मुख्य आतंकवाद-विरोधी अभियोजक ज़्यां फ़ोंसा हिकाख़ ने बताया है कि पुलिस की जवाबी कार्रवाई में हमलावर गंभीर रूप से घायल हुआ है.
कौन है हमलावर
हिकाख़ का कहना है कि संदिग्ध 21 वर्षीय ट्यूनीशियाई नागरिक है जो इस महीने की शुरुआत में फ़्रांस आया था. उसके पास इटली के रेड क्रॉस द्वारा जारी किए गए दस्तावेज़ थे.
पुलिस सूत्रों ने हमलावर का नाम ब्राहिम एइसोई बताया है. उनका कहना है कि वो व्यक्ति सितंबर में ट्यूनीशिया से नाव के ज़रिए इटली के लैम्पेडूसा द्वीप पर पहुंचा था.
कोरोना वायरस के कारण क्वारंटीन का समय पूरा करने के बाद उसे इटली छोड़ने के लिए कहा गया था.
नीस के मेयर क्रिश्चियन एस्ट्रोसी ने घटना को 'इस्लामी फ़ासीवाद' बताते हुए कहा कि संदिग्ध हमलावर बार-बार 'अल्लाहू अकबर' (अल्लाह महान है) चिल्ला रहा था.
हिकाख़ ने बताया है कि हमलावर के पास से एक क़ुरान, दो टेलीफ़ोन और एक 12 इंच लंबा चाक़ू मिला है.
उन्होंने कहा, "हमलावर का एक बैग भी हमें मिला है. इस बैग में दो और चाक़ू थे जिनका इस्तेमाल नहीं हुआ था."
इस हमले के अलावा गुरुवार को ही फ़्रांस और सऊदी अरब में एक-एक हमला हुआ.
दक्षिणी फ़्रांसीसी शहर एविन्यू के नज़दीक मोंफ़ेवे में एक शख़्स को गोली मारी गई है क्योंकि वो हैंडगन से पुलिस को धमकी दे रहा था. इसमें उसकी मौत हो गई है.
वहीं, सऊदी अरब के जेद्दा में फ़्रांस वाणिज्य दूतावास के बाहर एक सुरक्षाकर्मी पर हमला किया गया. संदिग्ध हमलावर को हिरासत में लिया गया है जबकि सुरक्षाकर्मी को अस्पताल में भर्ती कराया गया.
फ़्रांस की धर्मनिरपेक्षता पर क्यों उठ रहे सवाल?
नीस के दौरे के बाद राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा, "अगर हम पर एक बार फिर हमला होता है तो उसकी वजह हमारे मूल्य हैं: आज़ादी, हमारी धरती पर स्वतंत्र रहने और आतंक की किसी भावना को न पलने देना मुमकिन है."
"मैं साफ़तौर पर आज फिर कह देना चाहता हूं कि हम समर्पण नहीं करेंगे."
राष्ट्रपति ने कहा है कि सार्वजनिक जगहों की सुरक्षा के लिए देश में सुरक्षाकर्मियों की संख्या 3,000 से 7,000 की जाएगी.
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नीस के मेयर क्रिश्चियन एस्ट्रोसी ने इस हमले की तुलना हाल में शिक्षक सैमुएल पैटी की हुई हत्या से की है. इस महीने की शुरुआत में पेरिस में एक स्कूल के बाहर उनका सिर कलम कर दिया गया था.
नीस में हुए हमले का क्या उद्देश्य था यह अभी तक साफ़ नहीं है.
हालांकि, व्यंग्य पत्रिका शार्ली एब्दो में छपे पैग़ंबर मोहम्मद के कार्टून का बचाव करने पर कई मुस्लिम बहुल देशों में फ़्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन हुए हैं.
कुछ देशों में फ़्रांस के सामान के बहिष्कार की भी मांग की गई है.
हमले के पीड़ित कौन हैं?
गुरुवार की सुबह चर्च में दिन की पहली प्रार्थना से पहले हुए हमले में तीन लोगों को निशाना बनाया गया.
चर्च के अंदर एक 60 वर्षीय महिला और एक 55 वर्षीय पुरुष की हत्या कर दी गई.
मारे गए पुरुष चर्च के रख-रखाव करने वाले स्टाफ़ के सदस्य थे.
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वहीं, दूसरी मारी गई महिला की आयु 44 वर्ष है. हमलावर ने उन्हें भी चाक़ूओं से गोदा था लेकिन वो भागकर पास के कैफ़े में चली गईं जहां पर उनकी मौत हुई.
इसके बाद एक चश्मदीद ने शहर में लगाए गए स्पेशल प्रोटेक्शन अलार्म को दबाया.
क्लोए नामक चश्मदीद चर्च के नज़दीक ही रहती हैं उन्होंने बीबीसी से कहा, "हमने सुना की कई लोग सड़क पर चिल्ला रहे हैं. हमने खिड़की से देखा, बहुत सारे पुलिसकर्मी आ रहे हैं और गोलियां चल रही हैं."
मुख्य आतंकवाद-विरोधी अभियोजक ने बताया कि घटनास्थल पर चार पुलिसकर्मी पहुंचे थे और उन्होंने हमलावर को गोली मारी और उसे हिरासत में ले लिया.
चार साल पहले नीस फ़्रांस में अब तक हुए सबसे भयानक जिहादी हमले का गवाह बना था.
14 जुलाई 2016 को एक ट्यूनीशियाई ट्रक ड्राइवर ने भीड़ पर ट्रक चढ़ा दिया था जिस घटना में 86 लोगों की मौत हुई थी.(bbc)
इस्लामाबाद, 29 अक्टूबर | पाकिस्तान में इस्लामिक विचारधारा परिषद (इस्लामिक आइडियोलॉजी काउंसिल) ने सरकार को सलाह दी है कि वह राजधानी इस्लामाबाद के सैदपुर गांव में स्थानीय हिंदू समुदाय के लिए पहले से मौजूद एक हिंदू मंदिर को खोले।
इससे पहले पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में एक हिंदू मंदिर के निर्माण को लेकर बड़ा विवाद पैदा हो गया था, क्योंकि कई धार्मिक समूहों की ओर से मंदिर निर्माण का विरोध किया गया था। अब यह मुद्दा विचारधारा और इस्लामिक विचारधारा परिषद (सीआईआई) की समीक्षा के अधीन है, जिसने इसके बजाय सिफारिश की है भूमि आवंटित करने और एक नए हिंदू मंदिर के निर्माण के बजाय पाकिस्तानी राजधानी के सैदपुर गांव में पहले से ही स्थापित मंदिर को खोला जाना चाहिए।
सीआईआई के एक बयान में कहा गया है, "इस्लामाबाद में मौजूदा आबादी को देखते हुए, सैदपुर गांव में प्राचीन मंदिर और निकटवर्ती धर्मशाला को हिंदुओं के लिए खोलना चाहिए और उन्हें उनकी मान्यताओं के अनुसार धार्मिक कर्मकांड करने के लिए वहां पहुंचने की सुविधा दी जानी चाहिए।"
सीआईआई ने विवाह समारोहों को आयोजित करने और हिंदू समुदाय के लिए धार्मिक अनुष्ठानों को करने के लिए एक सामुदायिक केंद्र के साथ-साथ एक श्मशान घाट की स्थापना के लिए भी जगह आवंटित करने के लिए सकारात्मक संकेत दिया है।
सीआईआई का निर्णय विभिन्न आवेदकों से तर्क और संकेत सुनने के बाद आया, जिसमें धार्मिक मौलवी और हिंदू समुदाय के प्रतिनिधि शामिल हैं। परिषद ने इस मामले की विस्तृत और गहराई से समीक्षा करने के बाद अपना निर्णय लिया है।
इस्लामी मानदंडों और कानूनों को ध्यान में रखते हुए, परिषद ने माना कि अनाधिकृत पूजा स्थलों के लिए सरकारी धन आवंटित नहीं किया जा सकता है।
हालांकि, पाकिस्तान के नागरिकों के रूप में राज्य हिंदू समुदाय की भलाई के लिए धन का अनुमोदन कर सकता है।
पाकिस्तान में इस्लामाबाद के सेक्टर एच-9/2 में हिंदू मंदिर के निर्माण के लिए भूमि और धन के आवंटन को मंजूरी देने के बाद, इमरान खान की अगुवाई वाली सरकार गंभीर दबाव में आ गई थी और उसे और आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। 2017 के बाद से मंदिर निर्माण को लेकर किया जाने वाला निर्णय लंबित है, जब पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नमाज (पीएमएल-एन) सरकार ने इसी उद्देश्य के लिए 2,400 वर्ग गज भूमि आवंटित की।
कई कानूनविदों और धार्मिक समूहों ने मंदिर बनाने वाले निर्णय को इस्माम के खिलाफ बताते हुए इसका पुरजोर विरोध किया है।
इस वर्ष जून में इमरान खान सरकार ने एक बड़ा निर्णय लेते हुए घोषणा की थी कि वह मंदिर बनाने के लिए 10 करोड़ पीकेआर (पाकिस्तानी रुपया) देंगे। इस धनराशि को मंजूरी दिए जाने के बाद विपक्षी दलों समेत खान सरकार कट्टरपंथियों के निशाने पर भी आ गई थी।
स्थानीय लोगों में बढ़ते गुस्से के बीच, राजधानी विकास प्राधिकरण (सीडीए) ने निर्माण कार्य रोक दिया था, जिसने मंदिर के लिए भूखंड पर चारदीवारी का निर्माण भी कर दिया था।
जुलाई में धार्मिक मामलों के संघीय मंत्रालय द्वारा सीआईआई को एक आवेदन भेजा गया था, जिसमें हिंदू मंदिर के निर्माण के लिए भूमि आवंटित करने की सिफारिश की गई थी।
--आईएएनएस
पेरिस, 29 अक्टूबर | फ़्रांस के नीस शहर में एक संदिग्ध हमलावर ने कई लोगों पर चाकू से हमला किया है. फ़्रांस की पुलिस के मुताबिक़ हमले में कम से कम तीन लोगों की मौत हुई है जिसमें एक महिला का सिर काट दिया गया है.
यह हमला फ़्रांस के मशहूर नॉट्रे डाम चर्च के पास हुआ है. हमले में कुछ लोग घायल भी हुए हैं.
नीस के मेयर क्रिश्चियन एस्ट्रोसी ने पत्रकारों को बताया कि संदिग्ध हमलावर बार-बार 'अल्लाहू अकबर' (अल्लाह महान है) चिल्ला रहा था. हमलावर को गिरफ़्तार कर लिया गया है.
मेयर ने कहा कि जिस तरह यह हमला हुआ है, उससे इसके 'आतंकी हमला होने के' संकेत मिलते हैं.
फ़्रांस की राष्ट्रीय आतंकविरोधी टीम ने मामले की जाँच शुरू कर दी है. नीस भूमध्य सागर के तट पर स्थित दक्षिणी फ़्रांस का एक प्रमुख शहर है.
कुछ ही दिनों पहले शिक्षक का सिर काटा गया था
नीस के स्थानीय प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वो फ़्रेंच रिवेरा सिटी के इलाक़े में जाने से बचें.
फ़्रांसीसी गृह मंत्री जेराल्ड डारमेनान ने कहा है कि वो पेरिस में एक आपातकालीन बैठक बुला रहे हैं.
हमले के बाद फ़्रांस की संसद में शोक ज़ाहिर करने के लिए एक मिनट का मौन रखा गया.
फ़्रांसीसी प्रधानमंत्री ज्याँ कैस्टेक्स ने लोगों से एकता और संयम बनाए रखने की अपील की. उन्होंने कहा, "इसमें कोई शक़ नहीं कि ये एक गंभीर चुनौती है जो हमारे देश के सामने खड़ी हो रही है."
हाल के कुछ वर्षों में फ़्रांस की नीस शहर ख़तरनाक हमलों का शिकार हुआ है. साल 2016 में यहाँ एक ट्यूनीशियाई ड्राइवर ने लोगों को ट्रक से कुचल दिया था. इस घटना में 86 लोगों की मौत हो गई थी.
इससे कुछ ही दिनों पहले फ़्रांस की राजधानी पेरिस में एक हमलावर ने एक शिक्षक का सिर काट दिया था. अगली सुबह चर्च में सामूहिक प्रार्थना के दौरान एक पादरी का गला काट दिया गया था.
फ़्रांस और मुसलमान देशों में तनाव
अभी कुछ ही दिनों पहले फ़्रांस की राजधानी पेरिस में एक हमलावर ने सैमुअल पैटी नाम के एक शिक्षक का सिर काट दिया था. सैमुअल एक स्कूल में इतिहास और भूगोल पढ़ाते थे.
पुलिस का कहना है कि उन्होंने अपनी एक कक्षा में अभिव्यक्ति की आज़ादी पढ़ाते हुए व्यंग्य पत्रिका शार्ली एब्दो में प्रकाशित पैगंबर मोहम्मद का कार्टून दिखाया था.
फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने शिक्षक का सिर काटे जाने के अपराध को 'इस्लामिक आतंकवाद' का नतीजा बनाया था. उनके इस बयान पर कई मुसलमान और अरब देशों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी.
तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप अर्दोआन ने यहाँ तक कह दिया था कि मैक्रों का 'दिमाग़ खराब' हो गया है.
इसके अलावा, कई अरब देशों में फ़्रांसीसी उत्पादों का बहिष्कार करने की अपील की गई है और कई दुकानों से फ़्रांस में बने सामान हटा दिए गए हैं. इन सबके बीच फ़्रांस और दुनिया भर में सेक्युलर मूल्यों को लेकर बहस जारी है.
इस बीच फ़्रांसीसी व्यंग्य पत्रिका शार्ली एब्दो ने तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन का मज़ाक़ उड़ाते हुए एक कार्टून प्रकाशित किया और तुर्की ने फ़्रांस के ख़िलाफ़ क़ानूनी और कूटनीतिक कार्रवाई की धमकी दे डाली.
इस कार्टून में टी-शर्ट और अंडरपैंट में दिख रहे अर्दोआन कुर्सी पर बैठे हैं. उनके दाएँ हाथ में बीयर है जबकि बाएँ हाथ से वो हिजाब पहने एक महिला की स्कर्ट को पीछे से उठाते दिखाए गए हैं.
पूर्व भूमध्य सागर में तुर्की के प्रतिद्वंद्वी ग्रीस को फ़्रांस से मिल रहे समर्थन पर दोनों देश पहले से ही आपस में उलझे हुए हैं.
जब राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने इस्लामी अलगाववाद पर शिकंजा कसने के लिए नए क़दम उठाने की घोषणा की तो तुर्की के राष्ट्रपति अर्दोआन ने कहा कि मैक्रों के मानसिक स्वास्थ्य की जाँच होनी चाहिए.
भारत का क्या रुख है?
भारत ने इस पूरे मामले में फ़्रांस और फ़्रांसीसी राष्ट्रपति का समर्थन किया है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने बुधवार को बयान जारी किया.
बयान में कहा गया है, "अंतरराष्ट्रीय वाद-विवाद के सबसे बुनियादी मानकों के उल्लंघन के मामले में राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के ख़िलाफ़ अस्वीकार्य भाषा में व्यक्तिगत हमलों की हम निंदा करते हैं. हम साथ ही भयानक तरीक़े से क्रूर आतंकवादी हमले में फ़्रांसीसी शिक्षक की जान लिए जाने की भी निंदा करते हैं.''
''हम उनके परिवार और फ्रांस के लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हैं. किसी भी कारण से या किसी भी परिस्थिति में आतंकवाद के समर्थन का कोई औचित्य नहीं है."
भारतीय विदेश मंत्रालय के बयान को भारत में फ़्रांस के राजदूत इमैनुएल लीनैन ने ट्वीट किया है.
भारतीय विदेश मंत्रालय का शुक्रिया अदा करते हुए उन्होंने कहा है कि आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई में फ़्रांस और भारत हमेशा एक-दूसरे पर भरोसा कर सकते हैं. (bbc)
पेशावर, 29 अक्टूबर (आईएएनएस)| पेशावर मदरसा विस्फोट मामले में कम से कम 55 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इस सप्ताह की शुरुआत में हुए विस्फोट में आठ लोगों की मौत हो गई थी और 120 अन्य घायल हो गए थे। डॉन न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, बुधवार को जारी बयान में, पुलिस ने कहा कि एक बड़ी कार्रवाई के तहत गिरफ्तारियां की गई, जिसके तहत, त्वरित प्रतिक्रिया बल, महिला पुलिस और बम डिस्पोजल यूनिट ने जामिया जुबेरिया मदरसा के पास दीर कॉलोनी में कार्रवाई की।
बयान में कहा गया कि संदिग्धों से पूछताछ के लिए विशेष जांच टीम का गठन किया गया है।
इसबीच, आतंकवाद-रोधी विभाग ने मंगलवार को हुए विस्फोट के लिए अज्ञात हमलावारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया है।
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, यह विस्फोट तब हुआ, जब मदरसे में 40-50 बच्चे मौजूद थे।
अभी तक किसी भी आतंकवादी संगठन ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है।
हनोई, 29 अक्टूबर| वियतनाम में मोलावे तूफान के कारण भारी बारिश से गुरुवार को दो अलग-अलग जगहों पर भूस्खलन में करीब आठ लोगों की मौत होने और 45 अन्य के लापता होने की जानकारी सामने आई है। यह सूचना राज्य की स्थानीय मीडिया से मिली।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, दो अलग-अलग भूस्खलन क्वांग नाम प्रांत के नाम ट्रा माई जिले में ट्रा वेन और ट्रा लेंग कम्यून्स में हुई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रा वेन से अब तक आठ शव बरामद किए गए हैं।
राज्य मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रा लेंग से 45 लोगों के लापता होने की सूचना मिली है। वहीं बचाव कार्य के लिए सैन्य कर्मचारियों, वाहनों और उपकरणों को तैनात किया गया है।
प्रधानमंत्री गुयेन जुआन फुक ने बुधवार को देश की नेशनल कमेटी फॉर डिजास्टर रिस्पांस(तलाशी और बचाव) सैन्य बलों और स्थानीय अधिकारियों से अनुरोध किया कि वे भूस्खलन के पीड़ितों को जल्द से जल्द बचाव के लिए आवश्यक हर तरह के उपायों का प्रयोग करें। (आईएएनएस)
वाशिंगटन, 29 अक्टूबर| डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बाइडेन ने 3 नवंबर के चुनाव के लिए अपने गृह राज्य डेलावेयर में शुरूआती मतदान किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि वह अमेरिकियों को बेहतर स्वास्थ्य देखभाल देने के लिए अफोर्डेबल केयर एक्ट (एसीए) में सुधार करने रिपब्लिकन के साथ काम करेंगे। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, अपनी पत्नी जिल का हाथ थामकर अपने गृहनगर में कारवेल स्टेट ऑफिस की बिल्डिंग से बाहर निकलते हुए पूर्व उप-राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा, "हमने अभी मतदान किया है। मेरे पास एक प्रस्ताव है जिसके जरिए हम अफोर्डेबल केयर एक्ट को बेहतर बना सकते हैं। मैं और बराक इसमें पब्लिक ऑप्शन जोड़ना चाहते थे जो लोगों को निजी बीमा को रखने की अनुमति देता है। अब हम इस पर काम करेंगे।"
इससे पहले 24 अक्टूबर को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फ्लोरिडा के पाम बीच में मतदान किया था। उन्होंने 2019 में अपने मूल राज्य न्यूयॉर्क से अपना निवास स्थान बदलकर फ्लोरिडा कर लिया था। मतदान के बाद राष्ट्रपति ने कहा कि "उन्होंने ट्रंप नाम के एक व्यक्ति को वोट दिया है"।
बता दें कि बुधवार दोपहर तक 75 मिलियन यानि कि साढ़े सात करोड़ से अधिक वोट डाले जा चुके हैं जो कि 2016 में डले कुल 13.8 करोड़ बैलेट के लगभग आधे हैं। उन मतपत्रों में ढाई करोड़ लोगों ने खुद जाकर वोट डाले थे, वहीं 5 करोड़ मेल के जरिए डाले गए थे।
दोनों पार्टियों ने महामारी के कारण अपने समर्थकों को जल्दी वोट डालने के लिए कहा है ताकि मतदान केन्द्रों पर भीड़ इकट्ठा न हो। इस बीच बुधवार को जारी एक सीएनएन पोल से पता चला कि बाइडेन की ट्रंप पर पर्याप्त बढ़त थी क्योंकि 54 प्रतिशत पंजीकृत मतदाता पूर्व उपराष्ट्रपति का समर्थन कर रहे थे वहीं 42 प्रतिशत ने राष्ट्रपति का समर्थन किया। (आईएएनएस)
सैन फ्रांसिस्को, 29 अक्टूबर| अल्फाबेट और गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने कहा है कि अमेरिका की कम्युनिकेशन डिसेंसी एक्ट की धारा 230 गूगल को सूचनाओं की व्यापक श्रृंखला तक पहुंचने की सुविधा देती है। साथ ही उच्च श्रेणी की स्थानीय पत्रकारिता को भी ऐसी ही पहुंच देती है और लोगों की जानकारियों को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी भी लेती है। बुधवार की शाम ट्विटर सीईआई जैक डोर्सी और फेसबुक के सीईओ मार्क जकरबर्ग के साथ अमेरिकी सीनेट के सामने पेश होने से पहले पिचई ने कहा, "मैं समिति से धारा 230 में किसी भी बदलाव के बारे में विचार करने और परिवर्तनों से होने वाले परिणामों को लेकर जागरूक रहने का आग्रह करूंगा क्योंकि इसका असर व्यवसाय और ग्राहकों पर हो सकता है।"
धारा 230 में कहा गया है कि "इंटरैक्टिव कंप्यूटर सेवा देने वाला कोई भी सर्विस प्रोवाइडर या उपयोगकर्ता किसी अन्य सूचना प्रदाता द्वारा दी गई किसी भी जानकारी का प्रकाशक या वक्ता नहीं माना जाएगा।" अमेरिकी कानून के तहत इंटरनेट फर्मों को आमतौर पर उन सामग्रियों की जिम्मेदारी से छूट दी जाती है जो उपयोगकर्ता प्लेटफॉर्म पर पोस्ट करते हैं।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसे कार्यकारी आदेश के माध्यम से चुनौती दी है, जो कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म द्वारा 'संपादकीय निर्णयों' को लेकर दी जाने वाली चेतावनी को हटाने की धमकी देता है।
पिचई ने कहा कि गूगल इंटरनेट के अवसरों और जोखिमों दोनों के बारे में गहराई से जागरूक है। उन्होंने कहा, "मुझे गर्व है कि सर्च, जीमेल, मैप्स और फोटोज जैसी गूगल की फ्री सूचना सेवाएं औसत तौर पर हर अमेरिकी को हजारों डॉलर देती हैं। हमने उच्च गुणवत्ता वाली पत्रकारिता को बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं, इसमें हर महीने पूरी दुनिया में समाचार वेबसाइटों को 24 बिलियन विजिट भेजने से लेकर समाचार प्रकाशकों के साथ हाल ही में साझेदारी में किए गए 1 बिलियन डॉलर के निवेश तक शामिल है।" (आईएएनएस)
त्रिपोली, 29 अक्टूबर (शिन्हुआ)। लीबिया की राजधानी त्रिपोली से लगभग 90 किलोमीटर दक्षिण में स्थित तारहुना में बड़े पैमान पर कब्रों का पता चला है और यहां से कम से कम 12 अज्ञात शव बरामद हुए हैं।
गुमशुदा की तलाश एवं पहचान के लिए गठित सामान्य प्राधिकरण के प्रवक्ता अब्दुल अजीज जाफरी ने बुधवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि शहर के चार नए कब्रों से ये शव बरामद हुए हैं।
उन्होंने बताया कि जून से अब तक तारहुना में 98 अज्ञात लाशें बरामद हो चुकी हैं।
संयुक्त राष्ट्र समर्थित सरकार ने पूर्वी क्षेत्र के विद्रोही सेना पर तारहुना में बड़े पैमाने पर लोगों की हत्या करने का आरोप लगाया है। (univarta.com)
फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने देश में दूसरे राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की है जो कम से कम पूरे नवंबर महीने में लागू रहेगा.
मैक्रों ने राष्ट्र के नाम संबोधन में शुक्रवार से शुरू हो रहे लॉकडाउन के नए प्रतिबंधों के बारे में जानकारी दी. इसमें लोगों को सिर्फ़ बेहद ज़रूरी कामों या स्वास्थ्य कारणों से ही घर छोड़ने की इजाज़त होगी.
रेस्टॉरेंट्स और बार जैसे ग़ैर-ज़रूरी व्यवसाय बंद रहेंगे जबकि स्कूल और फ़ैक्ट्रियां खुली रहेंगी.
कोविड-19 के कारण होने वाली मौतों का फ़्रांस में आंकड़ा अप्रैल के बाद से सबसे उच्च स्तर पर है. मंगलवार को 33,000 नए मामलों की पुष्टि हुई है.
मैक्रों ने कहा कि देश में 'दूसरी लहर का ख़तरा पहुंच चुका है जिसमें कोई शक नहीं है कि यह पहले वाले से ज़्यादा गहरा होगा.'
इससे पहले जर्मन चांसलर एंगेला मर्केल ने कहा था कि उनके देश को 'अभी कार्रवाई' करने की ज़रूरत है और कोरोना वायरस का प्रसार रोकने के लिए 'बड़े राष्ट्रव्यापी प्रयासों' की ज़रूरत है.
कई यूरोपीय देशों में संक्रमण तेज़ी से बढ़ रहा है.
फ़्रांस में 4.6 करोड़ लोगों के साथ कई देशों के नागरिक रात्रि कर्फ़्यू का सामना कर रहे हैं. एक मंत्री ने शिकायत की है कि वे सामाजिक संपर्क को स्थगित करने में नाकाम रहे हैं.
फ़्रांस में कैसे हैं हालात?
राष्ट्र को संबोधित करते हुए मैक्रों ने कहा कि फ़्रांस को 'महामारी के प्रसार में समा जाने से' बचने के लिए तुरंत 'ब्रेक लगाने जैसी निर्दयता' करनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि फ़्रांस के अस्पतालों में सभी आईसीयू बेड कोविड मरीज़ों से भरे हैं.
राष्ट्रपति ने कहा कि लोगों को अपने घर छोड़ने के लिए एक फ़ॉर्म भरना होगा जैसे मार्च में हुए शुरुआती लॉकडाउन के दौरान करना होता था. सामाजिक मिलने-जुलने पर प्रतिबंधित रहेगा.
उन्होंने कहा, "वसंतु ऋतु की तरह ही, आप सिर्फ़ काम पर जाने के लिए, मेडिकल अपाइंटमेंट के लिए, रिश्तेदारों की मदद के लिए, ज़रूरी चीज़ों की ख़रीदारी के लिए या फिर अपने घर के पास ताज़ी हवा लेने के लिए ही घर छोड़ पाएंगे."
कोरोना वायरस के लिए चमगादड़ों को दोष देना कितना सही?
नागरिकों को व्यायाम के लिए एक घंटा दिया जाएगा और काम के लिए यात्रा करने की अनुमति तभी होगी जब एम्प्लॉयर का मानना होगा कि घर से काम करना असंभव है.
मैक्रों ने यह भी कहा कि केयर होम्स जाने की इजाज़त होगी जिसकी मार्च में शुरू हुए दो महीने के लॉकडाउन के दौरान नहीं थी.
यह प्रतिबंध 1 दिसंबर तक लागू रहेंगे और हर दो सप्ताह के बाद इनका मूल्यांकन किया जाएगा.
राष्ट्रपति ने कहा कि उनकी 'उम्मीद बरक़रार है कि क्रिसमस पर सभी परिवार फिर से मिल पाने में समर्थ होंगे.'(bbc)
अमरीका में कोरोना महामारी की रोकथाम को देेखने वाले वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एंथनी फाउची ने राष्ट्रपति ट्रंप के चुनाव प्रचार की आलोचना की है. उन्होंने बीबीसी से एक इंटरव्यू में कहा है कि राष्ट्रपति ट्रंप की चुनावी रैलियों से कोविड-19 फैलना तय है.
डॉ फाउची ने कहा कि लोगों का बिना मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के इस तरह जुटना संभावित सुपरस्प्रेडिंग आयोजन है.
उन्होंने व्हाइट हाउस में एक सभा के बाद ट्रंप प्रशासन के कई कर्मचारियों के कोरोना पॉज़िटिव होने की घटना का हवाला दिया.
डॉ फाउची ने कहा कि वो इस बात को मानते थे कि अमरीका में पूरे देश में लॉकडाउन लगाना मददगार हो सकता था और इसपर विचार हो रहा था.
उन्होंने माना कि इसकी एक आर्थिक क़ीमत चुकानी पड़ी लेकिन ऑस्ट्रेलिया का उदाहरण दिखाता है कि मेलबर्न में लगाया गया लॉकडाउन बहुत असरदार हो सकता है.
दरअसल मेलबर्न कोरोना महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुआ था, जिसके बाद वहां तब तक लॉकडाउन जारी रहा जब तक कि वहाँ कोरोना संक्रमण के मामले आने पूरी तरह से बंद नहीं हो गए.(bbc)
सऊदी अरब, 28 अक्टूबर | पीओके कार्यकर्ता अमजद अयूब मिर्जा ने बुधवार को कहा कि सऊदी अरब ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) और गिलगित-बाल्टिस्तान को पाकिस्तान के नक्शे से हटा दिया है. उन्होंने एक तस्वीर भी ट्वीट की, जिसमें कैप्शन दिया गया था, भारत के लिए सऊदी अरब का दिवाली गिफ्ट – पाकिस्तान के नक्शे से गिलगित-बाल्टिस्तान और कश्मीर गायब.
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार सऊदी अरब ने 21-22 नवंबर को जी -20 शिखर सम्मेलन के आयोजन की अपनी अध्यक्षता के लिए एक 20 रियाल का बैंकनोट जारी किया. यह बताया गया कि बैंकनोट पर प्रदर्शित विश्व मानचित्र में गिलगित-बाल्टिस्तान (जीबी) और कश्मीर को पाकिस्तान के हिस्सों के रूप में नहीं दिखाया गया है. इसमें सामने की तरफ सऊदी किंग सलमान बिन अब्दुल अजीज का फोटो और एक स्लोगन है. दूसरे हिस्से के मैप में जी-20 देशों को अलग-अलग रंगों में दिखाया गया है. इसमें PoK के अलावा गिलगित और बाल्तिस्तान को पाकिस्तान का हिस्सा नहीं बताया गया.
इससे गिलगित-बाल्टिस्तान पर क्या था भारत ने
मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि सऊदी अरब का कदम पाकिस्तान को अपमानित करने के प्रयास से कम नहीं है. विदेश मंत्रालय (MEA) ने सितंबर में कहा था कि उन्होंने 15 नवंबर को होने वाले तथाकथित “गिलगित-बाल्टिस्तान” विधानसभा के चुनावों के बारे में रिपोर्ट देखी है और इस पर कड़ी आपत्ति ज़ाहिर की है.
विदेश मंत्रालय ने कहा, भारत सरकार ने पाकिस्तान सरकार को कड़ा विरोध जताया और दोहराया कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख, तथाकथित गिलगित और बाल्टिस्तान सहित भारत का एक अभिन्न हिस्सा हैं.
इमरान सरकार ने ये कहकर दी थी विवाद को हवा
इमरान खान सरकार ने पहले पाकिस्तान का एक नया राजनीतिक मानचित्र जारी किया था, जिसमें दावा किया गया कि गुजरात के जूनागढ़, सर क्रीक और गुजरात, मानवादार, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के हिस्से हैं. पाक की ये हरकत धारा 370 को निरस्त करने के भारत सरकार के फैसले की पहली वर्षगांठ के बाद सामने आई थी.(https://www.tv9bharatvarsh.com/)
इस्लामाबाद, 28 अक्टूबर | पाकिस्तान के संघीय गृह मंत्रालय ने इस्लामाबाद हाईकोर्ट (आईएचसी) को बताया है कि जासूसी और आतंकवाद के आरोप में मिली सजा को पूरा करने के बाद पांच भारतीय जासूसों को वापस भारत भेज दिया गया।
मंत्रालय भारतीय उच्चायोग द्वारा दायर एक याचिका का जवाब दे रहा था, जिसमें बिचरे, बंग कुमार, सतीश भाग और सोनू सिंह सहित कम से कम पांच जासूसों को पाकिस्तानी जेल से रिहा करने की मांग की गई थी, क्योंकि उन्होंने अपनी सजा पूरी कर ली थी।
याचिका में कहा गया, "सजा पूरी करने के बाद कैदियों को जेल में रखना पाकिस्तान के संविधान के तहत अधिकारों की अवहेलना है।" भारतीय उच्चायोग ने कहा कि कानूनी तौर पर उन्हें जेल में रखने का कोई कारण नहीं बनता। कैदियों को रिहा किया जाना चाहिए और उनके भारत लौटने की व्यवस्था की जानी चाहिए।
हालांकि, पाकिस्तान के गृह मंत्रालय ने इस्लामाबाद हाईकोर्ट को सूचित किया कि जासूसी के दोषी पांच भारतीय कैदियों को उनकी सजा पूरी करने के बाद 26 अक्टूबर को रिहा कर दिया गया और वापस भारत भेज दिया गया। जबकि एक अपनी सजा पूरा होने के बाद भी वापस नहीं जाना चाहता था। हालांकि, उसे डिपोर्ट कर दिया गया।
मंत्रालय ने अपने जवाब में कहा, "गृह मंत्रालय ने पांच भारतीय कैदियों को डिपोर्ट कर दिया है।"
आईएचसी के मुख्य न्यायाधीश अतहर मिनल्लाह ने याचिकाओं की सुनवाई की अगुवाई की और पूछा, "आप उन्हें उनकी सजा से अधिक समय तक कैसे रख सकते हैं?"
उन्होंने कहा कि अगर भारतीय कैदियों ने सजा पूरी कर ली है तो उन्हें वापस भेज दें।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "सजा पूरी होने के बाद कैदी को जेल में रखना एक अपराध है। जिन कैदियों ने अपनी सजा पूरी की हैं, उन्हें कानून के अनुसार जेल से रिहा किया जाना चाहिए।"
तीन और भारतीय कैदियों की रिहाई और वापसी की मांग करने वाली एक अलग याचिका को 5 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
याचिका की सुनवाई के दौरान भारतीय उच्चायोग ने उल्लेख किया कि तीन और नागरिक हैं, जो अपनी सजा पूरी करने के बावजूद पाकिस्तानी जेल में मौजूद हैं।
डिप्टी अटॉर्नी जनरल (डीएजी) तैय्यब शाह ने जवाब दिया कि अदालत आने वाले दिनों में शेष तीन कैदियों के मामले को भी देखेगी।
--आईएएनएस
अमरीका, 28 अक्टूबर | अमरीका के फ़िलाडेल्फ़िया शहर में एक काले नागरिक की मौत को लेकर दूसरे दिन भी हंगामा जारी है.
फ़िलाडेल्फ़िया पुलिस ने कहा है कि तनाव के बीच सैकड़ों लोगों की भीड़ ने सड़कों पर लूटपाट और आगज़नी की.
स्थानीय प्रशासन के अनुसार, फ़िलाडेल्फ़िया शहर में अतिरिक्त पुलिस बल और नेशनल गार्ड तैनात करने पड़े हैं.
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक़, उग्र भीड़ को नियंत्रित करने में अब तक 30 से अधिक पुलिसकर्मियों को चोट पहुँची है.
पुलिस का कहना है, "27 वर्षीय वॉल्टर वॉलेस से पुलिसकर्मियों ने उनके आदेश मानने को कहा था, पुलिस ने उनसे कहा था कि उनके हाथ में जो चाक़ू है, उसे वो नीचे डाल दें, लेकिन वे नहीं माने, जिसके बाद पुलिसकर्मियों ने उन्हें गोली मार दी."
वॉलेस के परिवार का कहना है कि वे मानसिक स्वास्थ्य संकट से जूझ रहे थे.
*Alert* A large crowd of appx 1000 is looting businesses in the area of Castor and Aramingo. Avoid the area
— Philadelphia Police (@PhillyPolice) October 28, 2020
फ़िलाडेल्फ़िया में कैसी है स्थिति?
मंगलवार रात फ़िलाडेल्फ़िया पुलिस ने चेतावनी जारी की कि 'शहर के कास्टर और अरामिंगो इलाक़े में लगभग 1,000 लोगों की भीड़ लूटपाट कर रही है, इन इलाक़ों में जाने से बचें.'
स्थानीय प्रशासन ने लोगों से यह भी अपील की कि 'वॉल्टर वॉलेस की मौत को लेकर हो रहे प्रदर्शन कुछ जगहों पर उग्र हो गए हैं, इसलिए स्थानीय नागरिक बाहर निकलने से बचें और अपने घरों में ही रहें.'
फ़िलाडेल्फ़िया पुलिस के अनुसार, "प्रदर्शनकारियों का कई जगह पुलिस से टकराव हुआ. भीड़ ने कई जगहों पर पुलिस के बैरिकेड उखाड़ दिए. भीड़ पर नियंत्रण करने के लिए पुलिस को 'मिर्च के स्प्रे' का प्रयोग करना पड़ा."
मंगलवार शाम को शहर की सभी दुकानें वक़्त से काफ़ी पहले बंद करा दी गई थीं और शहर के कई रास्तों को पुलिस ने बैरिकेड लगाकर बंद कर दिया था.
शहर के अधिकारी क्या कह रहे हैं?
मेयर जिम केनी डेमोक्रेट नेता हैं. उन्होंने कहा है कि "सोमवार को हुई वॉल्टर वॉलेस की शूटिंग का वीडियो कई गंभीर सवाल खड़े करता है जिनके जवाब दिए जाने चाहिए."
उन्होंने विस्तार से इस बारे में कुछ नहीं कहा, लेकिन उन्होंने इतना ज़रूर कहा कि 'वॉल्टर वॉलेस, उनके परिवार, अधिकारियों और फ़िलाडेल्फ़िया के लिए एक तेज़ और पारदर्शी हल निकलना ज़रूरी है.'
फ़िलाडेल्फ़िया की पुलिस कमिश्नर डैनियल आउटलॉ ने कहा कि "वे घटनास्थल का मुआयना कर चुकी हैं और मानती हैं कि स्थानीय लोगों में इस घटना को लेकर काफ़ी ग़ुस्सा है."
मंगलवार को प्रेस से बात करते हुए उन्होंने कहा, "अभी और तनाव देखने को मिल सकता है. लोगों में काफ़ी ग़ुस्सा है. लेकिन हम सभी ज़रूरी तैयारियाँ कर रहे हैं, ताकि परिस्थिति ना बिगड़े और क़ानून व्यवस्था बनी रहे. शहर में कुछ मुख्य जगहों पर अतिरिक्त पुलिस बल तैनात करने का निर्णय किया गया है."
इसी साल, मिनेसोटा में जॉर्ज फ़्लॉयड की मौत के बाद भी फ़िलाडेल्फ़िया में काफ़ी उग्र प्रदर्शन हुए थे. जॉर्ज फ़्लॉयड को उनके अंतिम वीडियो में साँस न आने की तकलीफ़ ज़ाहिर करते देखा गया था, लेकिन गोरे पुलिस अधिकारी डेरेक शॉविन ने उनकी गर्दन से तब तक अपना घुटना नहीं हटाया, जब तक जॉर्ज की मौत नहीं हो गई.
जॉर्ज फ़्लॉयड की मौत के बाद पूरी दुनिया में नस्लभेद और पुलिस की बर्बरता के ख़िलाफ़ बड़े प्रदर्शन हुए थे.
बहरहाल, सोमवार को वॉल्टर वॉलेस की मौत के बाद 300 से ज़्यादा लोग सड़क पर प्रदर्शन करने उतरे थे, जिनमें से 91 लोगों को पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया था.
ये प्रदर्शन शांतिपूर्ण थे और लोग मंगलवार सुबह तक अपनी जगहों पर बने रहे. पुलिस के अनुसार, रात में कई बार भीड़ हिंसक भी हुई. लेकिन मंगलवार शाम तक पूरा माहौल गर्म हो गया और लूटपाट-आगजनी की ख़बरें आने लगीं.
गोलीबारी के बारे में जो पता है?
पुलिस का कहना है कि 'घटना सोमवार शाम 4 बजे की है, जब दो पुलिस अधिकारियों को पश्चिमी फ़िलाडेल्फ़िया के कॉब्स क्रीक इलाक़े से एक शख़्स की शिकायत मिली कि वो हाथ में चाक़ू लेकर घूम रहा है.'
पुलिस की प्रवक्ता तान्या लिटिल ने प्रेस से बातचीत में कहा, "एक शख़्स जिसकी बाद में वॉल्टर वॉलेस के रूप में पहचान हुई, उसने हाथ में एक चाक़ू लिया हुआ था. जब पुलिस अफ़सर मौक़े पर पहुँचे, तो उन्होंने उनसे चाक़ू नीचे डालने को कहा, लेकिन चाक़ू फेंकने की बजाय वो पुलिसकर्मियों की तरफ़ बढ़े."
उन्होंने बताया, "दोनों अफ़सरों ने कई फ़ायर किए, कुछ गोलियाँ वॉलेस के सीने और कंधे पर लगीं."
उनमें से एक अधिकारी वॉल्टर वॉलेस को अस्पताल लेकर दौड़ा, लेकिन अस्पताल ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.
सोशल मीडिया पर इस घटना का जो वीडियो शेयर हो रहा है, उसमें देखा जा सकता है कि वॉल्टर वॉलेस दोनों पुलिस अधिकारियों की ओर बढ़ रहे हैं और दोनों ने उन पर बंदूक़ें तानी हुई हैं.
पुलिस विभाग का कहना है कि मौक़े पर मौजूद पुलिस अधिकारियों ने पीछे हटते हुए वॉल्टर वॉलेस को हथियार डालने की चेतावनी दी थी.
वॉलेस के पिता ने जाँचकर्ताओं से कहा है कि उनका बेटा मानसिक स्वास्थ्य संकट से जूझ रहा था, जिसके लिए उसकी दवा चल रही थी.
उनके पिता ने सवाल किया कि 'पुलिसकर्मियों ने टेज़र गन (करंट मारने वाली बंदूक़) क्यों नहीं ले रखी थी?'
प्रेस कॉन्फ़्रेंस में पुलिस विभाग के अधिकारियों ने बताया कि दोनों पुलिसकर्मियों ने सात-सात फ़ायर किए, जिनमें से कुछ वॉलेस को लगे. पुलिस विभाग ने दोनों अधिकारियों के नाम तो नहीं बताए, लेकिन कहा गया कि दोनों ने बॉडी-कैमरा पहना हुआ था और दोनों के पास शॉट गन (छर्रे वाली बंदूक़) नहीं थी.
इस बीच वॉलेस परिवार की वकील ने कहा कि 'वॉल्टर की मानसिक स्थिति को देखते हुए परिवार ने एंबुलेंस बुलाई थी, पुलिस नहीं.'
वकील शाका जॉनसन ने बताया कि 'वॉल्टर की गर्भवती पत्नी के अनुसार वो बाइपोलर मनोरोग से ग्रस्त थे और उनकी दवा चल रही थी.'
डेमोक्रेटिक पार्टी से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बाइडन और उनकी सहयोगी कमला हैरिस ने इस घटना पर दुख ज़ाहिर किया है.
उन्होंने एक बयान में कहा कि 'इस घटना से उनका दिल दुखा है. वे नहीं चाहेंगे कि कभी किसी मनोरोग से ग्रसित शख़्स का अंत इस तरह की मौत से हो.'
फ़िलाडेल्फ़िया पेन्सिलवेनिया प्रांत का सबसे बड़ा शहर है, जिसे अगले सप्ताह होने वाले चुनाव के लिहाज़ से काफ़ी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.(https://www.bbc.com/hindi)
इस्लामाबाद, 28 अक्टूबर | पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने बुधवार को कहा कि कुछ ताकतें देश को अस्थिर करना चाहती हैं। पेशावर विस्फोट पर प्रतिक्रिया देते हुए मंत्री ने जोर देकर कहा कि संघीय और प्रांतीय सरकारों को अलर्ट रहना होगा। इस हमले में कम से कम आठ लोगों की मौत हो गई थी।
उन्होंने कहा कि सुरक्षा के लिए लोगों का समर्थन जरूरी है। उन्होंने साथ ही धार्मिक सद्भाव बनाए रखने की अपील की।
उन्होंने जीयो टीवी से कहा, "कुछ तत्व ईशनिंदा मामले का राजनीतिकरण करना चाहते हैं। सरकार अपने दायित्व के प्रति लापरवाह नहीं है।"
विदेश मंत्री ने कहा कि सरकार ईद मिलाद-उल-नबी उत्सव के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।
जीओ पाकिस्तान से बात करते हुए, कुरैशी ने अपने अफगान समकक्ष मोहम्मद हनीफ अतमर से क्वेटा और पेशावर में हाल में हुए आतंकवादी हमलों के बारे में हुई बातचीत को याद किया।
मंत्री ने कहा कि उन्होंने अतमर को अफगानिस्तान की धरती पर आतंकवादी तत्वों को पनपने के खिलाफ आगाह किया। मंत्री ने अफगानी समकक्ष से कहा था, "कुछ तत्व पाक-अफगान संबंध में व्यवधान उत्पन्न करना चाहते हैं।"
--आईएएनएस
दुबई, 28 अक्टूबर| संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में रहने वाले प्रवासी भारतीय अब अपने पासपोर्ट में दर्ज कराने के लिए स्थानीय पता दे सकते हैं। दुबई में भारतीय वाणिज्य दूतावास में कॉन्सल, पासपोर्ट और अटेस्टेशन सिद्धार्थ कुमार बरैली ने कहा कि भारत सरकार ने अपने विदेशी नागरिकों को अपने निवास स्थान में अपने स्थानीय पते को जोड़ने की अनुमति देने का फैसला किया है, यह मुख्य रूप से उन लोगों के लिए हैं जिनके पास भारत में स्थायी या वैध पते नहीं हैं।
उन्होंने कहा, "हम समझते हैं कि बहुत से लोग जो लंबे समय से यूएई में रह रहे हैं, उनका भारत में कोई वैध पता नहीं है। वे अपने पासपोर्ट में अपना स्थानीय यूएई पता जोड़ सकते हैं।"
अधिकारी ने स्पष्ट किया कि पता में बदलाव मौजूदा पासपोर्ट में नहीं किया जा सकता है। गल्फ न्यूज ने बताया कि भारतीय पासपोर्ट धारकों को नए पासपोर्ट के लिए आवेदन करना होगा, जिसमें पते में बदलाव किया जा सकता है।
किराए या खुद के घर में रहने वाले भारतीय प्रवासियों द्वारा सुविधा का लाभ उठाया जा सकता है। अपना यूएई पता देने के इच्छुक लोगों को भारत से विदेशों में पता बदलने के लिए नए पासपोर्ट के लिए आवेदन करने के समय निवास के प्रमाण के रूप में कुछ दस्तावेज देने होंगे।
बरैली ने कहा कि बिजली और पानी के बिल, रेंट एग्रीमेंट, किरायेदार से अनुबंध को यूएई में निवास के प्रमाण के रूप में स्वीकार किया जाएगा। पता बदलने से आवेदकों को पासपोर्ट नवीनीकरण के समय भारत से तुरंत पुलिस सत्यापन प्राप्त करने में मदद मिल सकती है। (आईएएनएस)
राष्ट्रपति चुनाव से ठीक पहले अमेरिका में एक और अश्वेत की पुलिस की गोली से मौत हो गई है. 27 साल के वॉल्टर वॉलेस की मौत के बाद दो रातों से विरोध प्रदर्शन जारी है. कई दुकानों में लूटपाट भी हुई है.
फिलाडेल्फिया में पुलिस ने 27 साल के अश्वेत को चाकू नीचे फेंकने को कहा और उसके बाद उसको गोली मार दी. अश्वेत वॉल्टर वॉलेस जूनियर की पुलिस शूटिंग में मौत के बाद शहर में विरोध प्रदर्शन भड़क उठे और लोगों ने सड़कों पर उतरकर पुलिस द्वारा कथित हत्या पर अपना विरोध दर्ज कराया. इस घटना के बाद शुरू हुए विरोध प्रदर्शन में 30 से अधिक लोग घायल हो गए और कई लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
पुलिस प्रवक्ता तान्या लिटिल ने बताया कि पुलिस को सोमवार को सूचना मिली थी कि एक व्यक्ति हाथ में हथियार लिए हुए है. इसके बाद पुलिस अफसर कॉब्स क्रीक इलाके में पहुंचे जहां उनका सामना वॉलेस से हुआ. वॉलेस के हाथ में चाकू था, पुलिस ने उनसे चाकू फेंकने को कहा. लिटिल के मुताबिक वॉलेस पुलिस अफसर की ओर बढ़ गए और दोनों अफसरों ने "कई बार" गोली चलाई. वॉलेस के कंधे और छाती पर गोली लगी. लिटिल के मुताबिक एक अफसर ने वॉलेस को अस्पताल पहुंचाया जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया.
वॉलेस की मौत के बाद सैकड़ों लोग सड़क पर उतर आए और पुलिस की कार्रवाई का विरोध किया. मंगलवार तड़के तक पुलिस के खिलाफ लोगों का गुस्सा शांत होता नजर नहीं आया. कई बार प्रदर्शनकारी और पुलिस के बीच हिंसक झड़पें भी हुईं.
पीड़ित परिवार के वकील का कहना है कि वह मानसिक स्वास्थ्य संकट से जूझ रहे थे और परिवार ने एंबुलेंस के लिए फोन किया था ना कि पुलिस के दखल के लिए. पुलिस की फायरिगं का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. दूसरी ओर पुलिस की दलील है कि वॉलेस चाकू पकड़े हुए थे और उन्होंने पुलिस के आदेश को नहीं माना. लेकिन वॉलेस के माता-पिता का कहना है कि पुलिस को पता था कि उनका बेटा मानसिक बीमारी से ग्रसित है. वॉलेस की मां कैथी वॉलेस ने कहा, "वे वहां खड़े थे और हम पर हंस रहे थे."
वॉलेस की पत्नी गर्भवती हैं और उनके नौ बच्चे हैं. प्रेस वार्ता में वॉलेस के दो बच्चों ने बहुत ही कम बात की. वॉलेस की मौत के बाद मंगलवार को सैकड़ों लोगों ने दुकानों में लूटपाट की और वहां से फरार हो गए. फिलाडेल्फिया में अशांति की आशंका को देखते हुए सैकड़ों नेशनल गार्ड कर्मियों की तैनाती की तैयारी की जा रही है.
अमेरिकी चुनाव में ब्लैक लाइव्स मैटर का मुद्दा अहम है और ऐसे में चुनाव से ठीक पहले एक और पुलिस द्वारा अश्वेत की मौत पुलिस बल के रवैये पर कई सवाल खड़े करते हैं. गौरतलब है कि पुलिस हिरासत में जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद अमेरिका समेत दुनिया भर में उग्र विरोध प्रदर्शन हुए थे.
एए/सीके (एएफपी, एपी)
मनीला, 27 अक्टूबर (आईएएनएस)| फिलीपींस में तूफान मोलावे की वजह से 3 लोगों की मौत हो गई है। इसके चलते चारों ओर बाढ़ और तबाही का मंजर है और जनजीवन बेहाल है। यहां आपदा प्रबंधन के एक अधिकारी ने मंगलवार को इसकी सूचना दी है।
राष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण और प्रबंधन परिषद (एनडीआरआरएमसी) के प्रवक्ता मार्क टिम्बल के बयान के हवाले से सिन्हुआ समाचार एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यहां डूबने के चलते तीन लोगों की मौत हुई है।
उन्होंने आगे कहा कि 13 में से 10 मछुआरे लापता हो गए हैं। लापता हुए अन्य लोगों में दो स्थानीय व्यक्ति और एक क्रू मेंबर शामिल हैं।
हालांकि, मंगलवार की सुबह से फिलीपींस में मोलावे ने भले ही शांत रूख अपना लिया है, लेकिन इस विनाशकारी तूफान से 237,948 परिवार के 914,709 लोग प्रभावित हुए हैं।
मोलावे ने रविवार शाम को मनीला के दक्षिण में स्थित टबाको शहर में अपनी पहली दस्तक दी थी।
कोविड-19 महामारी के बीच मोलावे फिलीपींस में आया 17वां तूफान है।
फिलीपींस में प्रतिवर्ष लगभग 20 तूफान आते हैं।
भारत और अमरीका के बीच मंगलवार को नई दिल्ली के हैदराबाद हाउस में तीसरी 2+2 मंत्री स्तरीय बैठक हुई. इस दौरान दोनों देशों के बीच बेसिक एक्सचेंज ऐंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट (BECA) समेत कई अहम समझौते हुए.
बेका समझौते के तहत दोनों देश एक दूसरे को अत्याधुनिक सैन्य प्रौद्योगिकी, साज़ोसामान और भू-स्थानिक मानचित्र साझा करेंगे. बेका समझौते पर भारत की ओर से एडिशनल सेक्रेटरी जिवेश नंदन ने हस्ताक्षर किया.
बैठक में भारत की तरफ़ से विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जबकि अमरीका की तरफ़ से विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो और रक्षा मंत्री मार्क एस्पर इस बैठक में शामिल थे. इसके अलावा शीर्ष सैन्य और सुरक्षा अधिकारियों की मौजूदगी भी बैठक में रही. दोनों देशों ने कारोबारी, हिंद व प्रशांत महासागरीय क्षेत्र की सुरक्षा, सामरिक व रणनीतिक सहयोग पर चर्चा की.
बैठक के बाद अमरीकी रक्षा मंत्री माइक एस्पर ने कहा, "दोनों देशों के बीच रक्षा समझौते हमारे साझा मूल्यों और हितों पर आधारित हैं. सब के लिए खुला और स्वतंत्र इंडो-पैसिफ़िक क्षेत्र हो इसके लिए हम कंधे से कंधा मिलाकर साथ खड़े हैं, ख़ास कर चीन की बढ़ती आक्रामकता और अस्थिर करने वाली गतिविधियों के मद्देनज़र."
मार्क एस्पर ने कहा कि दो दिनों की बैठक में रक्षा के क्षेत्र में क्षेत्रीय सहयोग को मज़बूत करने, रक्षा व्यापार को बढ़ाने और सेनाओं के बीच पारस्परिक सहयोग पर भी बातचीत हुई.
बाद में अमरीकी विदेश मंत्री ने भारत और अमरीका के बीच स्वास्थ्य के क्षेत्र में हुई नई संधि का एलान किया, जिसमें उन्होंने चीन पर निशाना साधा.
चीन मित्रवत नहींः पॉम्पियो
बैठक के बाद एक साझा बयान जारी किया गया जिसमें दोनों देशों ने एक दूसरे के साथ सहयोग बढ़ाने का संकल्प लिया.
अमरीकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने कहा, "चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी लोकतंत्र, क़ानूनी नियमों, एक दूसरे के बीच स्पष्टता और नौ-परिवहन की स्वतंत्रता (नैविगेशन की आज़ादी) को लेकर मित्रवत नहीं है जो कि मुक्त और खुले इंडो-पैसेफ़िक क्षेत्र का आधार है."
इस बैठक से पहले माइक पॉम्पियो नेशनल वॉर मेमोरियल गए थे जिसकी तस्वीर के साथ एक ट्वीट को रीट्विट करते हुए उन्होंने लिखा कि "हम उन वीर पुरुषों, महिलाओं को कभी नहीं भूलेंगे जिन्होंने दुनिया के सबसे बड़े लोकत्रंत की रक्षा में अपनी जान दी है."
अमरीकी मंत्रियों के भाषणों में गलवान का भी ज़िक्र हुआ जहां चीनी फ़ौज के साथ झड़प में भारत के 20 सैनिकों की मौत हो गई थी लेकिन भारत के दोनों मंत्री- एस जयशंकर और राजनाथ सिंह चीन का नाम लेने से बचते दिखे.
राजनाथ सिंह ने क्या कहा?
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 'बेका' को महत्वपूर्ण कड़ी बताते हुए कहा कि "महत्वपूर्ण मुद्दों पर हमारे बीच बातचीत हुई. अमरीका के साथ हमारा सैन्य सहयोग बहुत बढ़िया तरीक़े से आगे बढ़ रहा है. हमने रक्षा उपकरणों के संयुक्त विकास के लिए परियोजनाओं को चिह्नित किया है."
उन्होंने कहा, "इंडो-पैसेफ़िक क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के प्रति हमने अपनी प्रतिबद्धता जताई."
रक्षा मंत्री ने बताया कि दोनों देशों के बीच जो महत्वपूर्ण समझौते हुए हैं उनमें अमरीकी-भारतीय लाइज़न ऑफ़िसर की नियुक्ति, कॉमसैट अकाउंट, दोनों देशों के बीच सैन्य अभ्यास को बढ़ाना शामिल है.
अगले महीने दोनों देश 'मालाबार एक्सरसाइज़' में शामिल होंगे. यह एक्सरसाइज़ इंडो-पैसेफ़िक क्षेत्र में होने वाला संयुक्त सैन्य अभ्यास है जिसमें क्वाड, यानी 'क्वाडिलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग' में शामिल चारों देश भाग लेंगे. ये चार देश हैं- भारत, अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया.
इस दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, "इस बैठक के दौरान हमारे पड़ोसी देशों में चल रही गतिविधियों पर भी बातचीत हुई. हमने यह स्पष्ट किया कि सीमा पार से आतंकवादी गतिविधियां बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है."
विदेश मंत्री ने सीमा पार आतंकवाद, अफ़ग़ानिस्तान और हर देश का दूसरे देश की संप्रभुता और सीमाओं का आदर करने की बात भी कही.
संयुक्त वक्तव्य के बाद जब राजनाथ सिंह से एक पत्रकार ने सवाल पूछा कि क्या आप अमरीका से और अधिक हथियार ख़रीदने की योजना रखते हैं तो रक्षा मंत्री ने कहा, "किसी भी देश का दूसरे देश से हथियार ख़रीदने या बेचने का समझौता दोनों देशों की बीच बातचीत पर निर्भर करता है."
क्या है बेसिक एक्सचेंज एंड कॉपरेशन एग्रीमेंट?
बेसिक एक्सचेंज एंड कॉपरेशन एग्रीमेंट यानी 'बेका' भारत और अमरीका के बीच होने वाले चार मूलभूत समझौतों में से आख़िरी है. इससे दोनों देशों के बीच लॉजिस्टिक्स और सैन्य सहयोग को बढ़ावा मिलेगा.
पहला समझौता 2002 में किया गया था जो सैन्य सूचना की सुरक्षा को लेकर था. इसके बाद दो समझौते 2016 और 2018 में हुए जो लॉजिस्टिक्स और सुरक्षित संचार से जुड़े थे.
ताज़ा समझौता भारत और अमरीका के बीच भू-स्थानिक सहयोग है. इसमें क्षेत्रीय सुरक्षा में सहयोग करना, रक्षा सूचना साझा करना, सैन्य बातचीत और रक्षा व्यापार के समझौते शामिल हैं.
इस समझौते पर हस्ताक्षर का मतलब है कि भारत को अमरीकी से सटीक भू-स्थानिक (जियोस्पैशियल/जियोस्पैटिकल) डेटा मिलेगा जिसका इस्तेमाल सैन्य कार्रवाई में बेहद कारगर साबित होगा.
जहां इससे दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग बढ़ेगा वहीं इस समझौते का एक महत्वपूर्ण हिस्सा यह है कि अमरीकी सैटेलाइट्स से जुटाई गई जानकारियां भारत को साझा की जा सकेंगी. इसका रणनीतिक फ़ायदा भारतीय मिसाइल सिस्टम को मिलेगा.
इसके साथ ही भारत उन देशों की श्रेणी में भी शामिल हो जाएगा जिसके मिसाइल हज़ार किलोमीटर तक की दूरी से भी सटीक निशाना साध सकेंगे.
इसके अलावा भारत को अमरीका से प्रिडेटर-बी जैसे सशस्त्र ड्रोन भी उपलब्ध होंगे. हथियारों से लैस ये ड्रोन दुश्मन के ठिकानों का पता लगा कर तबाह करने में सक्षम हैं. (bbc)
रावलपिंडी, 27 अक्टूबर (आईएएनएस)| रावलपिंडी में एक वीडियो के वायरल होने के बाद पुलिस अधिकारियों को टिकटॉक के इस्तेमाल से प्रतिबंधित कर दिया गया। मीडिया में यह खबर मंगलवार को आई। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित इस जिले के पुलिस विभाग ने चेतावनी दी है कि अगर किसी अधिकारी का कोई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होता है, चाहे वह टिकटॉक का हो या फेसबुक या यूट्यूब, उसके खिलाफ सख्त विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
रावलपिंडी के सीपीओ अहसान यूनस द्वारा संभागीय एसपी, सर्कल अधिकारी और स्टेशन हाउस अधिकारियों को जारी किए गए एक पत्र में इस नए नियम का उल्लेख किया गया।
पत्र में इस बात का जिक्र किया गया कि सोशल मीडिया पर किसी वीडियो को पोस्ट किए जाने और बाद में उसके वायरल होने से डिपार्टमेंट की एक गलत छवि बनती है।
वीडियो के वायरल होने के बाद कम से कम एक अफसर को निलंबित कर दिया गया।
नई दिल्ली, 27 अक्टूबर| अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी में कहा कि भारत और अमेरिका को भारतीय उपमहाद्वीप और भारत-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा के लिए संयुक्त रूप से चीन के खतरों का सामना करने की जरूरत है। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास चीन के साथ जारी गतिरोध के बीच नई दिल्ली में तीसरी भारत-अमेरिका 'टू प्लस टू' वार्ता के दौरान पोम्पेयो ने चीन के वुहान प्रांत से शुरू हुई कोरोना महामारी को हराने पर सहयोग सहित अन्य कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की।
इसके साथ ही अमेरिकी विदेश मंत्री के साथ सुरक्षा और स्वतंत्रता के लिए चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के खतरों का सामना करने, पूरे क्षेत्र में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए भी बातचीत हुई।
अमेरिकी सरकार के एक आधिकारिक बयान के अनुसार, बैठक में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सुरक्षा संबंधी खतरे का मुद्दा उठाया, जिसका भारत चीन से सामना कर रहा है। उन्होंने द्विपक्षीय वार्ता में कहा, "रक्षा के क्षेत्र में हमें अपनी उत्तरी सीमाओं पर अंधाधुंध आक्रामकता से चुनौती मिली है।"
इस बैठक का महत्व इसलिए माना जा रहा है, क्योंकि ट्रंप प्रशासन के अमेरिकी सचिवों ने कोरोनावायरस महामारी के बीच नई दिल्ली की यात्रा की और यहां तक कि अमेरिका में तीन नवंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनावों के लिए बड़े स्तर पर अभियान चल रहा है, इसके बावजूद यह यात्रा आयोजित की गई।
पोम्पियो ने अपने भारतीय समकक्ष से कहा, "एक मुक्त और खुले इंडो-पैसिफिक के लिए हमारी दोस्ती और प्रतिबद्धता स्पष्ट रूप से उच्च स्तर पर है, जब हम इस महीने की शुरुआत में क्वाड बैठक के लिए टोक्यो में थे और मंत्री जयशंकर और मैं अपने ऑस्ट्रेलियाई एवं जापानी दोस्तों के साथ थे।"
अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा, "आज हमारे जैसे दो महान लोकतंत्रों के लिए वास्तविक अवसर है कि हम और अधिक बढ़ सकें, जैसा कि मैंने पिछले साल अपनी भारत यात्रा पर कहा था, जब मैंने अपने संबंधों में एक नई उमंग पैदा करने का आह्वान किया था। मुझे लगता है पिछले एक साल में इस पर काम किया गया है। इसे सुनिश्चित करने के लिए और भी बहुत अधिक काम किया जाना है।"
उन्होंने कहा, "भारत और अमेरिका मिलकर हमारे लोगों को हमारे साझा मूल्यों और हमारी संस्कृतियों, हमारे रक्षा संबंधों, वैज्ञानिक सहयोग और आपसी समृद्धि पर आधारित एक बेहतर भविष्य का निर्माण कर रहे हैं। मैं 21वीं सदी में लोकतांत्रिक देशों की परिभाषित साझेदारी के निर्माण के लिए आपके नेतृत्व साथ ही आप सभी को धन्यवाद देता हूं।"
जयशंकर ने 'टू प्लस टू' वार्ता में कहा कि चूंकि वैश्विक अर्थव्यवस्था को कोरोनावायरस महामारी के कारण बड़े पैमाने पर चोट पहुंची है, इसलिए भारत सरकार को इस नुकसान की भरपाई जल्द ही करनी है, क्योंकि आर्थिक मंदी के घरेलू और बाहरी दोनों परिणाम होंगे।
अमेरिकी विदेश विभाग के बयान के अनुसार, अपने समकक्ष रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ बैठक में रक्षा मंत्री मार्क टी. एस्पर ने मंगलवार को पहली अमेरिका-भारत डिफेंस फ्रेमवर्क की 15वीं वर्षगांठ के रूप में चिह्न्ति किया।
उन्होंने कहा, "हमने तब से अपनी रक्षा और सुरक्षा साझेदारी को काफी मजबूत किया है, खासकर पिछले एक साल में, जिसके दौरान हमने अपनी क्षेत्रीय सुरक्षा, सैन्य-से-सैन्य और सूचना-साझा सहयोग को उन्नत किया है। हमारा ध्यान अब हमारे सहयोग को संस्थागत बनाने और नियमित करने के साथ ही आज की चुनौतियों का सामना करने और भविष्य में एक स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक के सिद्धांतों को बनाए रखने पर होना चाहिए।" (आईएएनएस)
रियाद, 27 अक्टूबर| सऊदी अरब 18 से 50 वर्ष के बीच के विदेशी जायरीनों को रविवार से शुरू होने वाले 'उमरा' करने के लिए देश में प्रवेश करने की अनुमति देगा। गल्फ न्यूज के मुताबिक, यह कदम उमरा सेवाओं के संबंध में छूट के तीसरे चरण को दर्शाता है।
हज और उमरा मंत्रालय द्वारा जारी किए गए एहतियाती उपायों और निवारक प्रोटोकॉल के अनुसार, चल रहे कोविड-19 महामारी के मद्देनजर सऊदी पहुंचने के बाद जायरीनों को तीन दिनों के लिए क्वांरटीन में रहना होगा।
सऊदी अखबार 'ओकाज' के मुताबिक, इन नियमों के तहत, तीर्थयात्रियों के पास एक पीसीआर मेडिकल टेस्ट प्रमाणपत्र होना चाहिए, जिसमें दर्शाया जाना चाहिए कि वे कोविड-19 निगेटिव हैं। रिपोर्ट सऊदी के लिए प्रस्थान के समय से 72 घंटे से अधिक पुरानी नहीं होनी चाहिए।
मक्का के ग्रैंड मस्जिद (मस्जिद-अल-हरम) द्वारा 4 अक्टूबर को कोविड-19 प्रतिबंधों के छह महीने के बाद उमरा करने वाले तीर्थयात्रियों के पहले समूह के लिए अपने दरवाजे फिर से खोल दिए जाने के बाद यह नवीनतम प्रगति देखने को मिली है। (आईएएनएस)
मियामी, 27 अक्टूबर | पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा मंगलवार को ऑरलैंडो में डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बाइडेन के लिए एक चुनाव-रैली में भाग लेंगे। यह फ्लोरिडा में 3 दिन में उनकी दूसरी रैली होगी। इससे पहले 24 अक्टूबर को ओबामा ने बाइडेन के समर्थन में मियामी में सामाजिक दूरी का पालन कर रही एक भीड़ को संबोधित किया था। बाइडेन 20 जनवरी, 2009 से 20 जनवरी, 2017 तक उनके उप-राष्ट्रपति रहे थे।
बता दें कि 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने फ्लोरिडा में 49.02 प्रतिशत मतों से जीत हासिल की थी, जबकि उनकी तत्कालीन डेमोक्रेटिक प्रतिद्वंद्वी हिलेरी क्लिंटन को 47.82 प्रतिशत वोट मिले थे। वहीं रविवार को एनबीसी न्यूज द्वारा जारी किए गए नए ट्रैकर सर्वे में खुलासा हुआ है कि फ्लोरिडा में बाइडेन ट्रंप पर 50-48 की बढ़त बनाए हुए हैं।
शुरुआती मतदान में हिस्सा लेने वाले अधिकांश (61 फीसदी) मतदाताओं ने कहा कि उन्होंने बाइडेन को वोट दिया है। वहीं राष्ट्रपति को उन पंजीकृत मतदाताओं का बड़ा समर्थन मिल रहा है, जिन्हें अभी अपने मतपत्र डालने हैं।
23 अक्टूबर को जारी हुए क्विनिपियाक यूनिवर्सिटी के नए पोल नतीजों ने बाइडेन को 10 अंकों का फायदा दिखाया है। रियलक्लीयर पॉलिटिक्स पोलिंग में पूर्व उपराष्ट्रपति 8.1 प्रतिशत अंकों से आगे चल रहे थे। (आईएएनएस)
मॉस्को, 27 अक्टूबर| एक रूसी लड़ाकू विमान ने बाल्टिक सागर के ऊपर एक जर्मन और एक अमेरिकी सैन्य विमान को रोक दिया। रक्षा मंत्रालय ने यहां यह जानकारी दी। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, सोमवार को एक बयान में मंत्रालय ने कहा कि रूसी हवाई क्षेत्र नियंत्रण ने सोमवार को बाल्टिक सागर के ऊपर उड़ान भरने वाले दो एयर टारगेट का पता लगाया।
एक रूसी एसयू-27 लड़ाकू विमान ने उड़ान भरी और जर्मन नेवी पी-3सी ओरियन पेट्रोल एयरक्राफ्ट और अमेरिकी वायुसेना के यू2एस टोही विमान के रूप में टारगेट की पहचान की।
रूसी जेट ने विदेशी विमानों का पीछा तब तक किया जब तक कि वे देश की सीमा से दूर नहीं चले गए।
मंत्रालय ने कहा कि एसयू-27 ने उड़ान के दौरान हवाई क्षेत्र के इस्तेमाल के लिए अंतर्राष्ट्रीय नियमों का कड़ाई से अनुपालन किया। (आईएएनएस)
हमजा अमीर
इस्लामाबाद, 27 अक्टूबर| पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने आशंका व्यक्त की है कि भारत अफगान की धरती का इस्तेमाल पाकिस्तानी सरजमीं को अस्थिर करने और निशाना बनाने के लिए कर सकता है।
इस्लामाबाद में दो दिवसीय पाकिस्तान-अफगानिस्तान व्यापार एवं निवेश मंच के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "पाकिस्तान को डर है कि भारत अफगानिस्तान का इस्तेमाल हमें अस्थिर करने में करेगा।"
उन्होंने कहा, "हमने भारत के साथ दोस्ती करने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हो सके। हमें लगता है कि भारत वैचारिक रूप से पाकिस्तान के खिलाफ है।"
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार न केवल एक देश के रूप में पाकिस्तान के खिलाफ है, बल्कि अपनी मुस्लिम आबादी के भी खिलाफ है।
उन्होंने कहा कि भारत में अल्पसंख्यकों का निरंतर दमन हो रहा है।
कश्मीर में भारत सरकार द्वारा लिए जा रहे निर्णयों के बारे में बात करते हुए, खान ने कहा कि यह निर्दोष कश्मीरियों पर अत्याचार करने पर आमादा है।
उन्होंने कहा, "अवैध रूप से भारतीय कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर में लॉकडाउन दमन और बर्बरता का सबसे खराब उदाहरण है।"
जहां खान की सरकार वैश्विक मुद्दों पर कश्मीर मुद्दे को नहीं उठाने के दबाव और आलोचना को महसूस कर रही है, तो प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने हमेशा हर क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर इस मुद्दे को उठाया है।
यह उल्लेख करना उचित है कि अमेरिका द्वारा अफगानिस्तान के विकास और प्रगति में भारत की बढ़ती भूमिका को देखने की इच्छा के बाद, पाकिस्तान लगातार भारतीय उपस्थिति बढ़ाने के वाशिंगटन के इरादे पर अपनी चिंताओं को जाहिर करता रहा है, जिसमें इसने कहा है सीमा सुरक्षा और अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच व्यापक संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
पाकिस्तान का कहना है कि नई दिल्ली अफगानिस्तान में आतंकी तत्वों के साथ मिली हुई है और इस्लामाबाद को निशाना बनाने के लिए उन्हें बढ़ावा दे रही है।
इस्लामाबाद ने अमेरिकी प्रशासन के साथ भी अपनी चिंताओं को उठाया है, क्योंकि वह अफगानिस्तान में बढ़ती भारतीय उपस्थिति को नहीं देखना चाहता है।
इस्लामाबाद ने वाशिंगटन के सामने भी अपनी चिंता जाहिर की है, क्योंकि वह अफगानिस्तान में भारत की बढ़ती मौजूदगी को नहीं देखना चाहता।
हालांकि, पाकिस्तानी दावे को नई दिल्ली ने हमेशा खारिज किया है। (आईएएनएस)