राष्ट्रीय
नई दिल्ली, 18 अक्टूबर | लखिमपुर खीरी हिंसा मामले के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने सोमवार को 6 घंटे तक रेल रोको आंदोलन का आह्वान किया जिसका देशभर में मिला जुला असर रहा। वहीं एसकेएम ने दावा किया कि रेल रोको आंदोलन में 290 से अधिक ट्रेनें कथित तौर पर प्रभावित हुईं और 40 से अधिक ट्रेनें रद्द कर दी गईं। उत्तर रेलवे की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक, जितनी जगहों पर रेल सेवाएं प्रभावित हुईं, वह अब सामान्य रूप से शुरू हो गई हैं।
फिलहाल किसान रेलवे पटरियों से अपने अपने गंतव्य स्थानों की ओर बढ़ने लगे हैं। दरअसल संयुक्त किसान मोर्चा के रेल रोको आंदोलन के आह्वान पर भारत भर में सैकड़ों स्थानों पर, प्रदर्शनकारी किसानों ने आज छह घंटे के लिए रेलवे ट्रैक और प्लेटफार्मों पर आंदोलन किया।
एसकेएम के मुताबिक, 290 से अधिक ट्रेनें कथित तौर पर प्रभावित हुईं और 40 से अधिक ट्रेनें रद्द कर दी गईं। इसके अलावा यूपी पुलिस ने किसान नेताओं को कई जगहों पर हिरासत में ले लिया। वहीं मध्य प्रदेश में पुलिस ने कई जगहों जैसे गुना, ग्वालियर, रीवा, बामनिया (झाबुआ) और अन्य जगहों पर प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया। तेलंगाना के काचीगुडा (हैदराबाद) में भी प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया।
किसान मोर्चा द्वारा बताया गया कि, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना आदि से रेल रोको आंदोलन के सफल होने की खबरें प्राप्त हुई हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा ने लखीमपुर खीरी किसान हत्याकांड में अजय मिश्रा टेनी को गिरफ्तार कर केंद्रीय मंत्रिपरिषद से बर्खास्त करने की अपनी मांग पुरजोर तौर पर दोहराई।
एसकेएम ने यह भी चेतावनी दी है कि अगर लखीमपुर खीरी नरसंहार में न्याय की मांग पूरी नहीं की गई तो विरोध और तेज किया जाएगा।(आईएएनएस)
अर्चना शर्मा
जयपुर, 18 अक्टूबर | सुनने में यह अविश्वसनीय लग सकता है, लेकिन राजस्थान में एक ऐसा रेलवे स्टेशन है, जहां खड़ी ट्रेन का आधा हिस्सा ही राज्य में होता है।
यह स्टेशन भवानी मंडी है, जहां ट्रेन का इंजन एक राज्य में और गार्ड कोच (ट्रेन का सबसे पिछला हिस्सा) दूसरे राज्य में खड़ा होता है।
राजस्थान के झालावाड़ जिले का यह अनोखा रेलवे स्टेशन दिल्ली-मुंबई रेलवे लाइन पर स्थित है। यहां के प्लेटफॉर्म पर जब भी कोई ट्रेन आकर खड़ी होती है तो उसका इंजन यानी ट्रेन का अगला हिस्सा राजस्थान में होता है, जबकि गार्ड का कोच पड़ोसी मध्य प्रदेश में होता है।
राजस्थान-मध्य प्रदेश सीमा पर स्थित भवानी मंडी स्टेशन की अन्य कई खासियतें हैं।(आईएएनएस)
जहां एक ओर राजस्थान का नाम प्रदर्शित करने वाला एक बोर्ड है, वहीं दूसरे छोर पर लगा बोर्ड मध्य प्रदेश को प्रदर्शित करता है।
रेलवे स्टेशन इसलिए भी अद्वितीय है, क्योंकि यहां आने वाले अधिकांश लोग अपने टिकट बुक कराने के लिए मध्य प्रदेश के निवासी के रूप में अपना परिचय देते हैं, लेकिन टिकट कार्यालय राजस्थान में है।
रेलवे स्टेशन ही नहीं, इस क्षेत्र में ऐसे कई घर हैं, जिनके सामने के दरवाजे मध्य प्रदेश के भैसोदामंडी शहर में खुलते हैं, जबकि पिछला दरवाजा भवानी मंडी में खुलता है।
अधिकारियों के अनुसार, नशीली दवाओं के तस्कर इस शहर की भौगोलिक स्थिति को भुना रहे हैं, क्योंकि जब पुलिस उनका पीछा कर रही होती है तो वे एक राज्य से दूसरे राज्य में गायब हो जाते हैं।
2018 में बनी बॉलीवुड कॉमेडी फिल्म 'भवानी मंडी टेसन' ने इस शहर की अलग कहानी बयां की है।
नई दिल्ली, 18 अक्टूबर | शासन के मुद्दों पर केंद्र और राज्यों के खिलाफ मतदाताओं का गुस्सा बढ़ता दिखाई दे रहा है, जबकि स्थानीय शासन कारक (लोकल गवर्नेस फैक्टर) कोविड युग में समाप्त हो गया है। आईएएनएस-सीवोटर गवर्नेंस इंडेक्स में सामने आए आंकड़ों से इसका पता चला है।
सीवोटर के संस्थापक यशवंत देशमुख ने कहा कि केंद्र और राज्यों के काम पर ध्यान दिया जा रहा है और जहां तक पिछले डेढ़ साल के कोविड महामारी के दौरान गुस्से का सवाल है तो स्थानीय प्रशासन की इसमें कोई गिनती नहीं है।
सीवोटर ट्रैकर भारत का एकमात्र दैनिक ओपिनियन ट्रैकिंग एक्ससाइज है, जो एक कैलेंडर वर्ष में या²च्छिक (रेंडमली) रूप से चुने गए 100,000 से अधिक उत्तरदाताओं का मानचित्रण (मैपिंग) करता है। ट्रैकर 11 भारतीय भाषाओं में चलाया जाता है, जिसने पिछले दस वर्षों में व्यक्तिगत रूप से और सीएटीआई में 10 लाख से अधिक उत्तरदाताओं का साक्षात्कार लिया है। सीएम पर त्रैमासिक रिपोर्ट कार्ड सभी 543 लोकसभा सीटों में 30,000 से अधिक उत्तरदाताओं को कवर करता है और इसमें राष्ट्रीय स्तर पर प्लस/माइनस 3 प्रतिशत और राज्य स्तर पर प्लस/माइनस 5 प्रतिशत का एमओई है।
आईएएनएस-सीवोटर गवर्नेंस इंडेक्स में सामने आया है कि केंद्र और राज्यों के खिलाफ गुस्सा स्थानीय स्तर से कहीं ज्यादा है।
ट्रैकर के अनुसार, केंद्र सरकार के खिलाफ सबसे कम गुस्सा तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश राज्यों में है।
वहीं केंद्र के खिलाफ सबसे ज्यादा गुस्सा केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर, केरल और पंजाब राज्यों में है।
इसके अलावा अगर राज्य सरकार के खिलाफ गुस्से की लहर पर गौर किया जाए तो केरल, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु राज्यों में राज्य सरकार के खिलाफ सबसे कम गुस्सा देखा जा रहा है। इन सभी राज्यों के नागरिकों ने हाल ही में नई सरकारें चुनी हैं।
राज्य सरकार के खिलाफ सबसे ज्यादा गुस्सा आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और तेलंगाना में है।
अखिल भारतीय स्तर पर स्थानीय शासन के खिलाफ गुस्सा सिर्फ 14.3 फीसदी है, जबकि राज्यों के खिलाफ 44.3 फीसदी और केंद्र के खिलाफ 41.3 फीसदी है।
आईएएनएस-सीवोटर गवर्नेंस इंडेक्स के अनुसार, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले मुख्यमंत्री हैं और मतदाताओं के कम से कम गुस्से का सामना कर रहे हैं।
बघेल से केवल 6 प्रतिशत उत्तरदाता नाराज हैं, जो बदलाव चाहते हैं। इसके विपरीत, उन्हें ट्रैकर के अनुसार सभी मुख्यमंत्रियों के बीच सर्वोच्च लोकप्रियता रेटिंग प्राप्त हुई है।
छत्तीसगढ़ के मामले में अधिक गुस्सा केंद्र सरकार और यहां तक कि राज्य के विधायकों के खिलाफ है, लेकिन बघेल के खिलाफ लोगों का गुस्सा काफी कम देखा गया है।
छत्तीसगढ़ में 44.7 फीसदी उत्तरदाता केंद्र सरकार से नाराज हैं, जबकि 36.6 फीसदी राज्य सरकार से नाराज हैं।(आईएएनएस)
भविष्य का इंटरनेट तैयार करने के लिए फेसबुक ने यूरोपीय संघ में 10,000 लोगों को भर्ती करने का ऐलान किया है. फेसबुक ने कहा है कि वह यूरोपीय संघ में मेटावर्स नाम का वर्चुअल रियलिटी वर्जन तैयार करने के लिए भर्ती करेगी.
फेसबुक का कहना है कि मेटावर्स भविष्य का इंटरनेट होगा. कंपनी के सीईओ मार्क जकरबर्ग ने कई बार मेटावर्स की बात की है जो असल और डिजिटल जगत के बीच की दूरियों को मिटाने की बात करता है.
यह इस तरह की तकनीक है जिसके तहत मनुष्य डिजिटल जगत में वर्चुअली प्रवेश कर सकेगा. जानकार बताते हैं कि यह कुछ ऐसा महसूस होगा जैसे आप किसी से बात कर रहे हैं तो वह आपके सामने ही बैठा है जबकि असल में दोनों लोग इंटरनेट के जरिए मीलों दूर से जुड़े हुए हैं.
फेसबुक ने एक ब्लॉग पोस्ट में कहा, "मेटावर्स में रचनात्मक, सामाजिक और आर्थिक मोर्चे पर नए आयाम खोलने की संभावना है. यूरोपीय संघ के लोग इसके लिए बिल्कुल शुरुआत से तैयारी करेंगे. आज हम यूरोपीय संघ में 10,000 लोगों को भर्ती करने की योजना का ऐलान कर रहे हैं जिसे अगले 5 साल के दौरान अंजाम दिया जाएगा.”
कंपनी ने यह तो नहीं बताया कि मेटावर्स टीम में किस किस तरह के लोग होंगे, लेकिन यह जरूर कहा कि बहुत कुशल इंजीनियर्स को इस टीम में भर्ती किया जाएगा. ब्लॉग पोस्ट में कहा गया कि यूरोपीय संघ में बहुत सी ऐसी अंकित खूबियां हैं जो टेक कंपनियों को वहां निवेश करने का प्रोत्साहन देती है, जैसे कि वहां एक बहुत बड़ा उपभोक्ता बाजार है, बेहतरीन विश्वविद्यालय हैं और सबसे जरूरी, बहुत उम्दा प्रतिभाएं उपलब्ध हैं.”
रणनीतिक ऐलान
फेसबुक का यह ऐलान ऐसे समय में आया है जबकि कंपनी कई समस्याओं से जूझ रही है. हाल ही में फेसबुक को कई बार बड़ी गंभीर आउटेज से गुजरना पड़ा है. उसकी सेवाएं घंटों तक बंद रही हैं. विभिन्न देशों में उसके बढ़ते प्रभाव पर नियंत्रण करने के लिए मांगें तेज हो रही हैं. उसके पूर्व कर्मचारियों द्वारा ऐसे आरोप लगाए गए हैं जिनसे फेसबुक की छवि को नुकसान पहुंचा है.
हाल ही में कंपनी की पूर्व कर्मचारी फ्रांसिस हॉगेन ने कुछ दस्तावेज लीक करते हुए बताया था कि फेसबुक जानती थी कि उसकी वेबसाइट युवा लोगों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकती है.
पिछले महीने अमेरिकी अखबार द वॉशिंगटन पोस्ट ने एक रिपोर्ट में ऐसे संकेत दिए थे कि मेटावर्स की घोषणा के जरिए फेसबुक अपनी छवि को सुधारने की कोशिश कर सकती है. वॉशिंगटन पोस्ट ने लिखा था कि मेटावर्स में कंपनी की दिलचस्पी "नीति-निर्मातओं के बीच कंपनी की छवि को फिर स्थापित करने और फेसबुक को इंटरनेट तकनीकों की अगली लहर के लिए तैयार करने की कोशिशों का हिस्सा हो सकती है.”
हालांकि मार्क जकरबर्ग पहले से ही मेटावर्स को लेकर काफी उत्साहित रहे हैं और पिछले काफी समय से इस योजना पर बोलते रहे हैं. जुलाई में फेसबुक ने कहा था कि अब कंपनी सिर्फ सोशल मीडिया कंपनी के बजाय अगले 5 साल में मेटावर्स कंपनी होने की ओर बढ़ रही है. 2014 में फेसबुक ने ऑक्युलस नाम की एक कंपनी को दो अरब डॉलर में खरीदा था और तब से होराइजन नाम का एक डिजिटल जगत तैयार कर रही है जहां लोग वी आर तकनीक के जरिए एक दूसरे से संवाद कर सकते हैं.
अगस्त में ही कंपनी ने ‘होराइजन वर्क रूम्स' नाम का एक फीचर जारी किया था जिसमें वी आर हेडसेट पहन कर लोग वर्चुअल रूम में एक दूसरे के साथ मीटिंग कर सकते हैं. इन रूम्स में लोग अपने ही थ्री डी वर्जन के रूप में नजर आते हैं.
भविष्य का इंटरनेट
मेटावर्स के बारे में लोग कहते हैं कि यह इंटरनेट का अगला कदम होगा, असल और वर्चुअल के बीच दूरियों को मिटा देगा. ऐसे कई प्रयोग हो भी चुके हैं. मसलन, पॉप स्टार आर्यना ग्रान्दे और रैपर ट्रैविस स्कॉट ने हाल ही में मशहूर वीडियो गेम फोर्टनाइट के जरिये परफॉर्मेंस दी जिसे लोगों ने अपने घरों में बैठकर देखा.
कई अन्य कंपनियां मेटावर्स की दुनिया में कदम आगे बढ़ा रही हैं. मेटावर्स के नाम पर डीसेंट्रालैंड नाम की एक ऑनलाइन कंपनी को इस मामले में अगुआ माना जा रहा है जहां आप वर्चुअल कसीनो में नौकरी भी पा सकते हैं.
फेसबुक ने अपने ब्लॉग पोस्ट में कहा है कि मेटावर्स पर किसी एक कंपनी का अधिकार नहीं होगा और यह इंटरनेट की तरह सबके लिए उपलब्ध होगा. इस तकनीक में निवेश करने वाली कंपनियों में और भी कई खिलाड़ी शामिल हैं. फोर्टनाइट वीडियो गेम बनाने वाली कंपनी एपिक गेम्स ने इसी साल ऐलान किया था कि मेटावर्स में निवेश के लिए उसने एक अरब डॉलर जुटा लिए हैं. (dw.com)
वीके/एए (एएफपी)
भारत सरकार ने फैसला किया है कि कश्मीर में काम कर रहे आप्रवासी मजदूरों व अन्य कामगारों को पुलिस और सेना के कैंपों में रखा जाएगा. एक के बाद एक हो रही आप्रवासियों की हत्याओं के बाद भारत सरकार ने यह फैसला किया है.
डॉयचे वैले पर विवेक कुमार की रिपोर्ट-
रविवार को कश्मीर के पुलिस प्रमुख ने बताया कि सरकार ने आप्रवासी लोगों को सुरक्षा के लिए पुलिस और सेना के कैंपों में रखने का फैसला किया है. विजय कुमार ने कहा कि उन्होंने अपने अफसरों को निर्देश दिया है कि जल्द से जल्द इन लोगों को सुरक्षित जगहों पर भेजा जाए.
रविवार को और तीन लोग हमले का शिकार हुए जिनमें से दो की मृत्यु हो गई. इसके बाद आईजी विजय कुमार ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया, "मैंने अफसरों को निर्देश दे दिया है कि जिन लोगों को खतरा है उन्हें तुरंत सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया जाए.”
कश्मीर में दसियों हजार आप्रवासी काम कर रहे हैं जो दूसरे राज्यों से आए हैं. इनमें से कितने लोगों को सुरक्षित कैंपों में रखा जाएगा, इस बारे में अभी कोई स्थिति साफ नहीं हो सकी है. यह भी साफ नहीं हो पाया है कि ये लोग कैंपों में ही रहेंगे या वहां से काम कर सकेंगे.
जारी हैं हत्याएं
पिछले करीब दो हफ्ते से कश्मीर में एक के बाद एक मासूम लोगों की हत्याओं का सिलसिला जारी है. रविवार को तीन लोगों को गोली मार दी गई जिनमें से दो की मौत हो गई, और तीसरा घायल है.
मारे गए दोनों लोग बिहार के रहने वाले थे और कश्मीर में मजदूरी कर रहे थे. खबर है कि वानपो और कुलगाम में आतंकवादियों ने रविवार को मजदूरों पर गोलीबारी की जिसमें इन दोनों की मौत हो गई. इसके साथ ही कश्मीर में इस महीने मारे जानेवाले लोगों की संख्या 11 हो गई है.
शनिवार को दो लोगों को गोली मार दी गई थी जिनमें बिहार के एक रहने वाले अरविंद कुमार साह थे जो वहां गोलगप्पे बेचने का काम करते थे. एक अन्य व्यक्ति उत्तर प्रदेश का रहने वाला था जिसे गोली मार दी गई थी. साह को श्रीनगर में बहुत करीब से गोली मारी गई. पुलवामा में मारे गए सगीर अहमद उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे और वहां बढ़ई का काम कर रहे थे.
इस महीने जिन 11 लोगों की मौत हुई है उनमें से पांच अन्य राज्यों के हैं जबकि छह कश्मीर के ही रहने वाले हैं. इनमें हिंदू और मुस्लिम दोनों ही धर्मों के लोग शामिल हैं. एक अधिकारी ने बताया कि ऐसा लगता है कि आतंकवादी लोगों को कश्मीर से भगाने के लिए इस तरह की हत्याएं कर रहे हैं.
घाटी में दहशत
मरने वालों में माखन लाल बिंद्रू भी शामिल हैं जो कश्मीरी पंडित समुदाय के एक जाने माने नेता थे और श्रीनगर में फार्मेसी चलाते थे. इसके अलावा एक टैक्सी ड्राइवर मोहम्मद शफी और दो अध्यापकों दीपक चंद और सुपूंदर कौर की भी गोली मारकर हत्या की गई. वीरेंद्र पासवान नाम के एक मजदूर को भी गोली मारी गई थी.
इन हत्याओं के चलते कश्मीर में डर का माहौल है और बहुत सारे लोग अपने घर छोड़कर जाने लगे हैं. ऐसे दर्जनों लोग जो कश्मीरी आप्रवासियों के लिए चलाई गई प्रधानमंत्री की विशेष योजना के तहत घाटी में लौटे थे अब वापस चले गए हैं. इनमें सरकारी कर्मचारी भी शामिल हैं.
हमलो के चलते सुरक्षा बलों ने कड़ी सख्ती बरती हुई है और 900 से ज्यादा लोगों को अलगाववादियों से संपर्कों के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया है. सुरक्षाबलों ने आतंकवाद रोधी अभियान भी तेज कर दिए हैं और पुलिस के मुताबिक पिछले एक हफ्ते में 13 आतंकवादी मार गिराए गए हैं.
इंस्पेक्टर जनरल विजय कुमार ने बताया, "नौ मुठभेड़ों में 13 आतंकवादियों को मार गिराया गया है. हमने पिछले 24 घंटे में श्रीनगर में तीन आतंकवादियों को मारा है.”
साजिश की आशंका
नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि हाल में हो रही नागरिकों की हत्याओं में कश्मीरी लोग शामिल नहीं हैं. उन्होंने कहा कि ये घटनाएं कश्मीरियों को बदनाम करने के लिए की जा रही हैं.
अब्दुल्ला ने मीडिया को बताया, "ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण हत्याएं हैं और इन्हें एक साजिश के तहत अंजाम दिया जा रहा है. कश्मीरी इन हत्याओं में शामिल नहीं हैं. ये कश्मीरियों को बदनाम करने की कोशिश है.”
भारत और पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच होने वाली बातचीत के संबंध में जब फारूक अब्दुल्ला से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि ऐसे हर कदम का स्वागत किया जाना चाहिए जो दोस्ती की ओर बढ़ता हो. उन्होंने कहा, "हमें प्रार्थना और उम्मीद करनी चाहिए कि दोनों देशों के बीच दोस्ती कायम होगी और हम शांति से जी सकेंगे.” (dw.com)
हैदराबाद, 17 अक्टूबर | तेलुगू सिनेमा के जाने-माने संगीत निर्देशक एस.एस. थमन ने एक टेलीविजन कार्यक्रम में गायक मोगुलैया को सम्मानित किया, वहीं मोगुलैया ने शो में अपने शानदार गायन से अभिनेताओं का मनोरंजन किया। थमन अच्छे हिट के साथ उच्च स्तर पर हैं। पवन कल्याण और राणा दग्गुबाती की आगामी फिल्म 'भीमला नायक' के लिए उनकी हालिया रचना एक संगीत सनसनी है, जिसमें सुपर-डुपर हिट गाने हैं।
स्टार मां के 'परिवार अवार्डस' के लिए उपस्थित हुए थमन ने लोक गायक- मोगुलैया को सम्मानित किया, जिन्होंने सुपरहिट 'भीमला नायक' शीर्षक गीत के लिए गाना गाया था। गाला कार्यक्रम में उन्हें एक शॉल और एक गुलदस्ता भेंट करते हुए, थमन ने यह भी व्यक्त किया कि उन्हें इस तरह के एक प्रतिष्ठित गीत के लिए मोगुलैया को बोर्ड पर रखी है।
थमन ने इस अवसर पर कहा कि भीमला नायक गीत अभी भी रिकॉर्ड बना रहा है, हर गुजरते दिन 10 लाख व्यूज को पार कर रहा है।
लोक गायक मोगुलैया को 'भीमला नायक' के शीर्षक गीत से काफी प्रसिद्धि मिली है। उन्हें पहले पवन कल्याण द्वारा 2 लाख रुपये का चेक भी सौंपा गया था। यह कोई छोटी बात नहीं है कि एक लोक गायक को इतनी लाइमलाइट मिलती है और उसकी पहचान प्रसिद्ध संगीतकारों द्वारा की जाती है। मोगुलैया की विशेषता यह है कि वह तेलंगाना के विशेष वाद्य यंत्र किनेरा बजाते हैं।(आईएएनएस)
मुंबई, 17 अक्टूबर | भारतीय जनता पार्टी को झटका देते हुए उसकी महाराष्ट्र इकाई के पूर्व उपाध्यक्ष भास्करराव पाटिल-खतगांवकर और पूर्व विधायक ओमप्रकाश ए. पोकर्ण रविवार को कांग्रेस में शामिल हो गए। 30 अक्टूबर को होने वाले महत्वपूर्ण देगलुर विधानसभा उपचुनाव के मद्देनजर इस घटनाक्रम से जिले में कांग्रेस की संभावनाओं को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
पाटिल-खतगांवकर और पोकर्ण ने आज दोपहर यहां कांग्रेस के नांदेड़ नेता और लोक निर्माण मंत्री अशोक चव्हाण की मौजूदगी में संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में यह घोषणा की।
पाटिल-खतगांवकर, तीन बार के सांसद और विधायक और दो बार के राज्यमंत्री (जिन्होंने 2014 में कांग्रेस छोड़ दी) पार्टी के पूर्व दिग्गज और केंद्रीय मंत्री, दिवंगत एस.बी. चव्हाण के दामाद और अशोक चव्हाण के बहनोई हैं।
नांदेड़ के पूर्व मेयर और विधायक पोकर्ण 2014 में भाजपा में शामिल हुए थे, लेकिन उन्होंने अपने गुरु पाटिल-खतगांवकर के साथ कांग्रेस में लौटने का फैसला किया है।
देगलुर में, कांग्रेस ने दिवंगत विधायक रावसाहेब अंतापुरकर के बेटे जितेश अंतापुर को नामित किया है, जिनका अप्रैल में कोविड-19 के कारण निधन हो गया था और भाजपा ने शिवसेना के पूर्व विधायक सुभाष सबने को मैदान में उतारा है, जो हाल ही में इसमें शामिल हुए थे।
अशोक चव्हाण और अन्य नेताओं ने पाटिल-खतगांवकर और पोकर्ण के अलावा, कई अन्य पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं का भी स्वागत किया।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 17 अक्टूबर | दिल्ली पुलिस ने राजस्थान के सीकर से 60,000 रुपये में बेची गई एक नाबालिग लड़की को छुड़ाया है। पुलिस ने रविवार को कहा कि दिल्ली के हैदरपुर की रहने वाली 15 वर्षीय लड़की 16 सितंबर से लापता थी और इस संबंध में एक शिकायत दर्ज की गई थी।
जैसे ही पुलिस ने जांच शुरू की, यह पाया गया कि नाबालिग लड़की नीरज सोनकर नाम के एक स्थानीय लड़के के नियमित संपर्क में थी।
आगे की जांच से पता चला कि रोहिणी निवासी नीरज और मुस्कान पीड़िता को उत्तर प्रदेश के आगरा में अपने तीसरे सहयोगी शीतल के घर ले गए थे।
पुलिस ने कहा, "शीतल की मदद से, उन्होंने लड़की को राजस्थान के सीकर निवासी गोपाल लाल को 60,000 रुपये में बेच दिया था।"
गोपाल लाल ने कथित तौर पर सीकर में अपने साले से शादी करने के लिए लड़की को खरीदा था।
दिल्ली पुलिस की मानव तस्करी रोधी इकाई (एएचटीयू) ने पहले आगरा और फिर सीकर का दौरा किया, जहां से नाबालिग लड़की को छुड़ाया गया।
आरोपी गोपाल लाल और नीरज सोनकर और पीड़िता को दिल्ली लाकर शालीमार बाग थाने को सौंप दिया गया।
पुलिस ने कहा, "मामले में आगे की जांच जारी है।"(आईएएनएस)
मुंबई, 17 अक्टूबर | भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने रविवार को मुख्य कोच, बल्लेबाजी कोच और गेंदबाजी कोच के पद के लिए नौकरी के लिए आवेदन आमंत्रित किए, जिससे यह संकेत मिलता है कि भारतीय क्रिकेट टीम को आईसीसी टी20 विश्व कप के बाद एक नया सहयोगी स्टाफ मिल सकता है।
बीसीआई ने अपनी वेबसाइट पर पोस्ट किए गए एक बयान में कहा , बीसीसीआई टीम इंडिया (सीनियर पुरुष) और एनसीए (राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी) के लिए नौकरी के लिए आवेदन आमंत्रित करता है।
तीन शीर्ष पदों के अलावा - मुख्य कोच, बल्लेबाजी कोच और गेंदबाजी कोच - बोर्ड ने टीम इंडिया के फील्डिंग कोच और हेड स्पोर्ट्स साइंस / मेडिसिन, एनसीए के पद के लिए भी आवेदन आमंत्रित किए हैं।
बीसीसीआई के मुताबिक टीम इंडिया के मुख्य कोच पद के लिए आवेदन जमा करने की आखिरी तारीख 26 अक्टूबर है।
बीसीसीआई के सचिव जय शाह द्वारा जारी बयान में कहा गया, बल्लेबाजी कोच (टीम इंडिया - सीनियर पुरुष) के पद के लिए आवेदन 3 नवंबर, 2021 को शाम 5 बजे तक जमा किए जाने चाहिए। बॉलिंग कोच (टीम इंडिया - सीनियर पुरुष) के पद के लिए आवेदन 3 नवंबर, 2021 को शाम 5 बजे तक जमा किए जाने चाहिए। फील्डिंग कोच (टीम इंडिया - सीनियर मेन) के पद के लिए आवेदन 3 नवंबर, 2021 को शाम 5 बजे तक जमा किए जाने चाहिए। एनसीए के साथ हेड स्पोर्ट्स साइंस एंड मेडिसिन के पद के लिए आवेदन 3 नवंबर, 2021 को शाम 5 बजे तक जमा किए जाने चाहिए।
बीसीसीआई के एक अधिकारी ने हाल ही में आईएएनएस को बताया था कि यह अनुमान लगाया गया है कि पूर्व भारतीय क्रिकेटर राहुल द्रविड़ टी 20 विश्व कप के बाद राष्ट्रीय टीम के कोच बनने के लिए सहमत हो गए हैं, लेकिन कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिन्हें वह शामिल होने से पहले सुलझाना चाहते है।
महान ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर रिकी पोंटिंग को भी भारतीय बोर्ड ने शीर्ष पद के लिए संपर्क किया था, लेकिन दिल्ली कैपिटल्स के कोच ने कथित तौर पर इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था।
बीसीसीआई अधिकारी ने आईएएनएस को बताया था कि बीसीसीआई प्रमुख सौरव गांगुली और सचिव जय शाह ने आईपीएल फाइनल के बाद द्रविड़ के साथ बैठक की थी और वह उन्हें समझाने में सफल रहे। उन्होंने कहा, कुछ मुद्दे हैं जिन्हें द्रविड़ बीसीसीआई के साथ सुलझाना चाहते हैं और उम्मीद है कि यह हो जाएगा।(आईएएनएस)
भारत ने भारी बहुमत से संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की सीट जीत ली है. इसके अलावा अमेरिका की भी वापसी हुई है जो पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के कार्यकाल के दौरान काउंसिल छोड़ गया था.
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मानवाधिकार परिषद के 18 सदस्यों को चुन लिया है. वे सभी सदस्य चुने गए जिनकी पांच क्षेत्रीय समूहों ने सिफारिश की थी. इसके साथ ही अमेरिका की परिषद में वापसी हो गई है. पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने परिषद की सदस्यता यह कते हुए छोड़ दी थी कि जिन देशों का मानवाधिकार रिकॉर्ड खराब है उन्हें भी सदस्यता दी जा रही है.
जिन 18 देशों को चुना गया है, उनमें कुल 193 में से सबसे ज्यादा 189 वोट बेनिन को मिले. गांबिया को 186, अमेरिका को 168 और इरीट्रिया को 144 सबसे कम वोट मिले.
भारत का चुनाव
संयुक्त राष्ट्र के 193 देशों में से 184 ने भारत की सदस्यता के लिए वोट किया. बहुमत के लिए 97 वोटों की जरूरत होती है. चुनाव के बाद संयुक्त राष्ट्र में भारतीय मिशन ने ट्वीट कर सूचना जारी की.
उसने लिखा, "भारत को परिषद में छठे कार्यकाल के लिए विशाल बहुमत से चुन लिया गया है. भारत में भरोसा जताने के लिए संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों को दिल से धन्यवाद.”
यूएन में भारत के दूत टीएस त्रिमूर्ति ने मीडिया को बताया, "भारत को परिषद में चुनाव के लिए मिले भारी समर्थन से मैं बेहद खुश हूं. यह हमारे यहां लोकतंत्र की गहरी जड़ों, बहुलतावाद और हमारे संविधान में सुनिश्चित मानवाधिकारों को भारी समर्थन है."
आलोचना
मानवाधिकारों के लिए काम करने वाली सामाजिक संस्था ह्यूमन राइट्स वॉच ने सदस्यों के चुनाव और प्रक्रिया की आलोचना की है. संस्था के यूएन निदेश लुइस शारबोनो ने कहा, "इस साल मानवाधिकार परिषद में कोई प्रतिद्वन्द्वी ही नहीं था, जो चुनाव शब्द का मजाक है. कैमरून, इरीट्रिया और यूएई जैसे मानवाधिकारों के हनन करने वालों का चुनाव एक बहुत बुरा संकेत देता है कि यूएन के सदस्य मानवाधिकारों की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं हैं.”
शारबोनो ने कहा कि कैमरून की सरकार ने विपक्ष और असहमित की आवाज को कुचला और एलजीबीटीक्यू प्लस समुदाय को यातनाएं दीं, इरीट्रिया के सैनिकों ने इथियोपिया के टिग्रे इलाके में मानवाधिकारों का उल्लंघन किया और यूएई में मानवाधिकारों की स्थिति लगातार गंभीर बनी हुई है. उन्होंने कहा, "जानेमाने मानवाधिकार कार्यकर्ता अहमद मंसूर अब भी जेल में हैं और उन्हें एक बिस्तर तक उपलब्ध नहीं कराया गया है.”
47 सदस्यीय मानवाधिकार परिषद के नियमों के तहत सदस्य क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व के आधार पर चुने जाते हैं. जेनेवा स्थित मावाधिकार काउंसिल की स्थापना 2006 में हुई थी.
अमेरिका की वापसी
इस संस्था की स्थापना इसलिए की गई थी क्यों कि पहले से जारी मानवाधिकार आयोग की विश्वसनीयता ऐसे सदस्यों की वजह से खत्म हो गई थी, जिनका मानवाधिकार रिकॉर्ड अच्छा नहीं था. ट्रंप प्रशासन के दौरान अमेरिका ने परिषद में ऐसे सदस्यों के चुनाव की आलोचना की थी और जून 2018 में परिषद को विदा कह दिया था.
फरवरी में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने घोषणा की थी कि उनका देश फिर से परिषद के साथ आएगा. उन्होंने कहा था कि ट्रंप के परिषद छोड़ने के फैसले से "मानीखेज बदलाव के लिए कुछ नहीं किया गया, बस अमेरिका के नेतृत्व में एक खालीपन पैदा हो गया, जिसका फायदा अधिकारवादी देशों ने अपने एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए उठाया.”
गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों का धन्यवाद करते हुए ब्लिंकेन ने कहा कि अमेरिका अन्य देशों के साथ मिलकर "मानवाधिकार परिषद की स्थापना के उद्देश्यों से भटकाने की कोशिशों का विरोध करेगा.”
उन्होंने कहा, "इसके अंदर कई गंभीर कमियां हैं जैसे कि इस्राएल की ओर जरूरत से ज्यादा ध्यान दिया जाता है और संदिग्ध मानवाधिकार रिकॉर्ड वाले देशों को सदस्यता मिल जाती है.”
बाद में अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि बाइडेन सरकार पूरी कोशिश करेगी कि इस्राएल की ओर जरूरत से ज्यादा ध्यान न दिया जाए.
जो 18 सदस्य तीन साल के लिए चुने गए हैं उनका कार्यकाल आगामी 1 जनवरी से शुरू होगा. इनमें अफ्रीका से बेनिन, गांबिया, कैमरून, सोमालिया और इरीट्रिया, एशिया से भारत, कजाखस्तान, मलेशिया, कतर और यूएई, पूर्वी यूरोप से लिथुआनिया और मोंटेनीग्रो, दक्षिण अमेरिका व कैरेबिया से पराग्वे, अर्जेंटीना और होंडुरास और पश्चिमी देशों से फिनलैंड, लग्जमबर्ग और अमेरिका शामिल हैं. (dw.com)
वीके/एए (एएफपी, एपी)
बांग्लादेश में कई दिनों से जारी सांप्रदायिक हिंसा की हालिया घटना में एक हिंदू मंदिर में तोड़फोड़ की गई है. इससे पहले कथित ईशनिंदा को लेकर अज्ञात मुस्लिम कट्टरपंथियों ने मंदिरों में तोड़फोड़ की थी और हिंसा फैलाई थी. इन घटनाओं के बाद अल्पसंख्यक समूह ने देशभर में भूख हड़ताल करने की घोषणा की है. रविवार को मीडिया में आई खबरों में यह जानकारी दी गई.
‘ढाका ट्रिब्यून’ अखबार की खबर के मुताबिक बांग्लादेश में विभिन्न जगह दुर्गा पूजा स्थलों पर हमले के विरोध में प्रदर्शन कर रहे लोगों पर हमले के बाद ताजा झड़प हुई और फिर देश की राजधानी से करीब 157 किलोमीटर दूर फेनी में हिंदुओं के मंदिर और दुकानों में शनिवार को तोड़फोड़ और लूटपाट की गई. इसमें बताया गया कि झड़पों में फेनी मॉडल पुलिस थाने के प्रभारी निजामुद्दीन समेत कम से कम 40 लोग घायल हो गए.
रिपोर्ट में बताया गया कि शाम साढ़े चार बजे शुरू हुई झड़प देर रात तक चली और इस दौरान कई मंदिरों, हिंदुओं के व्यवसायों पर तोड़फोड़ की गई और लूटपाट भी हुई. इसके बाद शनिवार रात को अधिकारियों ने अतिरिक्त पुलिस बल और अर्द्धसैनिक बल बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश की तैनाती की.
अखबार की खबर में बताया गया कि शनिवार को कुछ उपद्रवियों ने मुंशीगंज के सिराजदीखान उपजिला के राशुनिया यूनियन में दानियापरा महा शोषान काली मंदिर में छह मूर्तियों को क्षतिग्रस्त किया. इसमें बताया गया दुर्गा पूजा उत्सव के दौरान हिंदू मंदिरों पर हमलों और तोड़फोड़ के विरोध में देशभर में शनिवार को भी प्रदर्शन हुए, वहीं तोड़फोड़ की घटनाएं भी हुईं.
इस बीच देश के दक्षिण-पूर्वी शहर चटगांव में बांग्लादेश हिंदू बौद्धिस्ट क्रिश्चियन यूनिटी काउंसिल ने दुर्गा पूजा समारोह के दौरान हुए हमलों के विरोध में 23 अक्टूबर से धरना और अनशन की घोषणा की. परिषद के महासचिव राणा दासगुप्ता ने चटगांव में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि ढाका के शाहबाग और चटगांव के अंद्राकिला में विरोध प्रदर्शन किया जाएगा.
बांग्लादेश पूजा उद्यापन परिषद ने तोड़फोड़ और हिंसा की घटनाओं में लिप्त लोगों के लिए सख्त सजा की मांग की. इसके अध्यक्ष मिलन कांति दत्ता ने कहा कि यदि सरकार उनकी मांगों को नहीं मानेगी तो बड़ा अभियान चलाया जाएगा. इस्कॉन बांग्लादेश के महासचिव चारु चंद्र दास ब्रह्मचारी ने चेतावनी दी कि समुदाय चुपचाप बैठकर हमलों को होता नहीं देखेगा.
मथुरा (उत्तर प्रदेश), 17 अक्टूबर | बेंगलुरू जाने वाले एक ट्रक से सात करोड़ रुपये के करीब 9,000 मोबाइल फोन लूटे गए और वाहन चालक को पीटा गया और वाहन से बाहर फेंक दिया। यह घटना मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में 5 अक्टूबर को हुई थी लेकिन उत्तर प्रदेश के मथुरा में मामला दर्ज किया गया है।
पुलिस अधीक्षक (नगर) मातर्ंड प्रकाश सिंह ने कहा, 'ओप्पो मोबाइल कंपनी के मैनेजर सचिन मानव की ओर से शिकायत दर्ज कराई गई है।
मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में जैसे ही ट्रक ने बबीना टोल को पार किया, बदमाशों ने कथित तौर पर चालक की पिटाई कर उसे वाहन से बाहर फेंक दिया और ट्रक लेकर फरार हो गए।
उन्होंने कहा कि मामले की जांच के लिए एक पुलिस दल का गठन किया गया है, इस मामले में मध्य प्रदेश पुलिस से भी संपर्क किया जा रहा है।
एसपी ने कहा कि सीसीटीवी फुटेज और सर्विलांस के जरिए बदमाशों की लोकेशन का पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 16 अक्टूबर | केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने शनिवार को कहा कि भारत आने वाले सप्ताह में 100 करोड़ कोविड टीकाकरण का लक्ष्य हासिल कर लेगा।
मंडाविया ने कहा, हम आने वाले सप्ताह में 100 करोड़ टीकाकरण का लक्ष्य हासिल कर लेंगे।
पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी के साथ भारत के कोविड-19 टीकाकरण गान को लॉन्च करने के बाद मंत्री ने यह टिप्पणी की।
इस दौरान टीके के बारे में मिथक और टीका लगवाने में हिचक को दूर करने के उद्देश्य से गायक कैलाश खेर का लिखा कोविड-गान जारी किया गया।
प्रसिद्ध गायक पद्म श्री कैलाश खेर द्वारा निर्मित और गाया गया ऑडियो-विजुअल ट्रैक लोगों के बीच कोविड के टीकाकरण के बारे में झूठी बातें और झिझक को दूर करेगा।
मंडाविया ने कहा कि यह महामारी से लड़ने के लिए सरकार के समग्र ²ष्टिकोण का परिणाम है।
उन्होंने कहा कि यह गीत टीकाकरण की प्रभावशीलता के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करेगा।
मंत्री ने कहा कि भारत में 74 प्रतिशत से अधिक योग्य आबादी को कोविड वैक्सीन की पहली खुराक मिली है, जबकि दूसरा शॉट 30 प्रतिशत से अधिक योग्य आबादी को दिया गया है।
हरदीप पुरी ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में स्वास्थ्य मंत्री मंडाविया के अथक परिश्रम से हम कुछ ही दिनों में एक अरब टीकाकरण का लक्ष्य हासिल करने जा रहे हैं। यह एक बड़ी उपलब्धि है और यात्रा अभी भी जारी है।
उन्होंने कहा कि टीकाकरण कार्यक्रम अब देश में एक जन आंदोलन बन गया है।
पुरी ने कहा, हम एक इकाई के रूप में काम कर रहे हैं और यह हमारे संयुक्त प्रयासों का परिणाम है कि देश में बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान सफल हुआ है।
मंडाविया ने यह भी कहा कि जब भारत 100 करोड़ टीकाकरण के लैंडमार्क को पार करेगा तो एक नया गीत जारी किया जाएगा।
स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि टीकाकरण के 100 करोड़ का आंकड़ा 19-20 अक्टूबर तक हासिल किया जा सकता है।(आईएएनएस)
जयपुर, 16 अक्टूबर | राजस्थान पुलिस ने शनिवार को एक सरकारी स्कूल की कक्षा के अंदर आठवीं कक्षा में पढ़ने वाली 11 वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म करने के आरोप में एक स्कूल के प्रधानाध्यापक को गिरफ्तार किया है। पीड़िता ने बाल कल्याण समिति को फोन कर अपनी आपबीती सुनाई। कमेटी ने सिंघाना थाना क्षेत्र की पुलिस से संपर्क कर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है।
सिंघाना थाने के अधिकारी भजन राम के मुताबिक, "अपराध की रिपोर्ट 5 अक्टूबर को दर्ज की गई थी। आरोपी प्रधानाध्यापक ने लड़की को घटना के बारे में किसी और को बताने की कोशिश करने पर जान से मारने की धमकी भी दी थी।"
उन्होंने आगे कहा, "हालांकि, जैसे ही लड़की ने बाल कल्याण समिति के साथ अपनी कहानी साझा की, आरोपी प्रधानाध्यापक केशव यादव को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और उसके खिलाफ पॉक्सो अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया। आरोपी से पूछताछ की जा रही है।"
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि घटना के बाद से बच्ची काफी परेशान थी। पढ़ाई के दौरान उसने चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर देखा और उस पर संपर्क किया, जिसने तुरंत बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष अर्चना चौधरी को सूचित किया। टीम ने बच्ची से मुलाकात की और झुंझुनू के एसपी मनीष त्रिपाठी को इसकी सूचना दी, जिन्होंने स्कूल के प्रधानाध्यापक को गिरफ्तार करने के लिए टीम भेजी।(आईएएनएस)
जम्मू, 16 अक्टूबर | जम्मू-कश्मीर के पुंछ और राजौरी जिलों में पिछले 24 घंटों के दौरान आतंकवाद विरोधी अभियान के दौरान एक जूनियर कमीशंड अधिकारी (जेसीओ) सहित सेना के चार और जवान शहीद हो गए। ऑपरेशन शनिवार को 5वें दिन में प्रवेश कर गया और अब तक इस ऑपरेशन में दो जेसीओ समेत 9 जवान शहीद हो चुके हैं।
रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल देवेंद्र आनंद ने कहा, "भारतीय सेना के सूबेदार अजय सिंह और नायक हरेंद्र सिंह जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ भारतीय सेना द्वारा पुंछ जिले के मेंढर स्थित नर खास जंगल में चलाए जा रहे तलाशी अभियान के दौरान शहीद हो गए।"
उन्होंने कहा, "सूबेदार अजय सिंह और नायक हरेंद्र सिंह सुरक्षा बलों द्वारा जंगल में छिपे आतंकवादियों को बाहर निकालने के लिए शुरू किए गए तलाशी अभियान का हिस्सा थे।"
"14 अक्टूबर को आतंकवादियों के साथ भीषण गोलाबारी के बाद सूबेदार अजय सिंह और नायक हरेंद्र सिंह के साथ संचार बाधित हो गया।"
सेना के एक बयान में कहा गया, "आतंकवादियों को बेअसर करने और सैनिकों के साथ संचार बहाल करने के लिए अथक अभियान जारी है। सूबेदार अजय सिंह और नायक हरेंद्र सिंह भीषण लड़ाई में मारे गए। आज शाम को उनके शव बरामद कर लिए गए।"
इलाके में कार्रवाई जारी है।(आईएएनएस)
तिरुवनंतपुरम, 16 अक्टूबर | केरल में शुक्रवार शाम से हो रही भारी बारिश के कारण कम से कम 8 लोगों की मौत हो गई और पांच लोगों के लापता होने की खबर है। राज्य की राजधानी में पैंगोडे सैन्य शिविर से जुड़े सेना के अधिकारियों की एक टीम पहले ही कोट्टायम जिले के लिए रवाना हो चुकी है और जल्द ही वहां पहुंचने की उम्मीद है, जहां कूटिकल में भूस्खलन हुआ था।
दो परिवारों में 12 लोग शामिल थे, जिन्होंने बड़ी तबाही मचाई, जिनमें से छह लोगों को मृत घोषित कर दिया गया, जबकि चार लापता हैं।
इडुक्की जिले के थोडुपुझा के पास दो लोगों को एक कार को आगे नहीं ले जाने के लिए कहा गया था, लेकिन वे नहीं माने। कार तेज पानी में बह गई और कुछ घंटों बाद स्थानीय लोगों ने शवों को बरामद किया।
बारिश के मद्देनजर अधिकारियों ने 6 जिलों में रेड अलर्ट जारी किया है, जबकि अन्य 6 जिले ऑरेंज अलर्ट पर हैं और दो जिले येलो अलर्ट पर हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि राज्य के सभी 14 जिलों में भारी बारिश हो रही है।
राज्य में शुक्रवार शाम से भारी बारिश हो रही है, जिससे कई जगहों पर सड़कें जलमग्न हो गई हैं और कई जगहों पर सामान्य यातायात प्रभावित हुआ है।
भारतीय मौसम विभाग ने रविवार को भी और बारिश की चेतावनी दी है।
मुख्यमंत्री पिनारायी विजयन ने शनिवार सुबह एक एडवाइजरी जारी कर कहा कि लोगों को बेहद सतर्क रहना होगा और किसी भी परिस्थिति में समय-समय पर दी जाने वाली चेतावनियों की अनदेखी नहीं करनी चाहिए।
विजयन ने कहा, "24 घंटे का अलर्ट देखा जाना चाहिए और जलस्रोतों के करीब रहने वाले सभी लोगों को बहुत सतर्क रहना होगा और किसी को भी पानी में नहीं जाना चाहिए। पहाड़ी क्षेत्रों या स्थानों पर यात्रा करने से बचना चाहिए, जहां बारिश हो रही है और भूस्खलन की संभावना वाले क्षेत्रों से बचा जाना चाहिए। भी सतर्क रहना होगा।"
राज्य के मंत्रियों को पुलिस, दमकल और आपदा प्रबंधन टीमों की विभिन्न टीमों के साथ समन्वय स्थापित करने के लिए कहा गया है और अपना काम शुरू कर दिया है।
बाद में शीर्ष अधिकारियों की एक बैठक की अध्यक्षता करने के बाद, विजयन ने कहा कि सभी व्यवस्थाएं हैं और किसी को चिंता करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि विभिन्न राहत शिविर खोले गए हैं और शिविरों में सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि शिविरों में लोगों को जागरूक होना चाहिए कि कोविड प्रोटोकॉल का पालन किया जाना चाहिए।
इस बीच जिन इलाकों में भारी बारिश हो रही है, वहां पर्यटन केंद्रों को अगली सूचना तक बंद करने को कहा गया है और नौका विहार सेवाओं को भी निलंबित कर दिया गया है।(आईएएनएस)
गोपालगंज, 16 अक्टूबर | बिहार के गोपालगंज जिले के नगर थाना क्षेत्र में शनिवार को एक बैंक में सुरक्षा गार्ड के बंदूक से अचानक गोली चल जाने से एक महिला सहित तीन लोग घायल हो गए। पुलिस ने सुरक्षा गार्ड को हिरासत में लेकर हथियार को जब्त कर लिया है।
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि बंजारी स्थित बैंक ऑफ इंडिया की शाखा में शनिवार की शाम बंदूक साफ करने के दौरान सुरक्षा गार्ड से गोली चल गई, जिससे ससुराल जा रही महिला समेत तीन लोग घायल हो गए। बैंककर्मियों ने घायलों को इलाज के लिए सदर अस्पताल में भर्ती कराया है। उन्होंने बताया कि घायलों की स्थिति खतरे से बाहर बताई जा रही है।
गोपालगंज नगर के पुलिस निरीक्षक ललन कुमार ने बताया कि बैंक शाखा के मुख्य गेट पर सुरक्षा गार्ड शाम तीन बजे के आसपास बंदूक साफ कर रहा था, इसी दौरान गोली चली, जिससे एक बैंक ग्राहक और दो राहगीर जख्मी हो गए।
इस घटना के बाद बैंक में कुछ देर के लिए अफरातफरी की स्थिति बन गई।
घटना के बाद पहुंची पुलिस ने सुरक्षा गार्ड को हिरासत में लेकर हथियार जब्त कर लिया है तथा पूरे मामले की जांच कर रही है। पुलिस बैंककर्मियों से पूछताछ के बाद सीसीटीवी फुटेज की जांच कर रही है।
घायलों में उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के तरेया सुजान थाना क्षेत्र के सलेमगढ़ निवासी वीरेंद्र प्रजापति की पत्नी संगीता देवी, रामगढ़वा निवासी रंभू कुमार और चैलवा गांव निवासी सोनू कुमार हैं। संगीता देवी अपने मायके आई थी और ससुराल जाने के लिए एक वाहन पर सवार थी।(आईएएनएस)
मुंबई, 16 अक्टूबर | भारतीय टीम के पूर्व ऑलराउंडर अजीत अगरकर का मानना है कि जब भी भारत और पाकिस्तान की टीमें विश्व कप में भिड़ती हैं तो दांव हमेशा ऊंचा रहता है। उन्होंने साथ ही कहा कि पाकिस्तान की टीम भारतीय टीम की फॉर्म और रणनीति को देखते हुए शायद उस स्तर की चुनौती पेश नहीं कर सकेगी।
अगरकर ने स्टार स्पोटर्स से कहा, "भारत और पाकिस्तान की टीमें जब भी आमने-सामने होती हैं तो दांव हमेशा ऊंचा रहता है। लेकिन टीम इंडिया की मौजूदा फॉर्म को देखते हुए मुझे नहीं लगता कि पाकिस्तान ज्यादा चुनौती पेश कर पाएगा। हालांकि, हमें उन्हें हल्के में नहीं लेना है क्योंकि क्रिकेट एक मजेदार खेल है और चीजें किसी भी पल बदल जाती है, विशेषकर टी20 प्रारूप में।"
2007 टी20 विश्व कप जहां फाइनल में भारत ने पाकिस्तान को हराया था, इस पर उन्होंने कहा, "2007 टी20 विश्व कप का पूरा टूर्नामेंट हमारे लिए सपने का दौरा था। हमने नहीं सोचा था कि युवाओं की यह टीम उपलब्धि हासिल कर सकती है वो भी पाकिस्तान के खिलाफ। मुझे लगता है कि भारत और पाकिस्तान के बीच मुकाबला हमेशा भावनाओं के ज्वार की लहर लाता है और यह विश्व कप में सबसे प्रत्याशित मुकाबलों में से एक होता है।" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 16 अक्टूबर: हरियाणा के सिंघू बॉर्डर पर किसान विरोध स्थल के समीप दलित मजदूर की बर्बर हत्या के मामले में पुलिस ने दूसरे निहंग को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने संदिग्ध को पंजाब के अमृतसर जिले से गिरफ्तार किया है. मामले में एक
ने कल शुक्रवार को आत्मसमर्पण किया था, जिसे बाद में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था.
कल शाम निहंग सरवजीत सिंह ने हरियाणा पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया और 35 वर्षीय दलित मजदूर लखबीर सिंह की बर्बर हत्या की जिम्मेदारी ली. लखबीर सींह का शव सिंघू में एक पुलिस बैरिकेड से बंधा हुआ पाया गया था, जिसका बायां हाथ और दाहिना पैर कटा हुआ था.
सरवजीत सिंह को आज एक स्थानीय अदालत में पेश किया गया और सात दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया. अधिकारियों ने आरोपी की 14 दिनों की रिमांड मांगी थी. पुलिस ने आरोपी की रिमांड के लिए मामले में संदिग्धों के बारे में जानकारी और हत्या के हथियार बरामद करने का तर्क दिया था.
बताते चलें कि मामले में कल गिरफ्तार हुए निहंग सरवजीत सिंह ने आज मीडिया के सामने कहा कि उसे घटना को लेकर कोई पछतावा नहीं है. किसानों के धरनास्थल से कुछ दूरी पर हुई इस हत्या की खबर फैलती ही, कुछ वीडियो भी तेजी से वायरल हुए थे.
वीडियो में लखबीर सिंह को घेरकर खड़ा निहंगों का समूह उसे यातना दे रहा था. पहले वीडियो में दिखाया गया कि खून से लथपथ दलित मजदूर लखबीर सिंह पर निहंग खड़े हैं. दूसरे वीडियो में लखबीर सिंह की मौत से पहले के भयावह क्षणों को दिखाया गया है.
बिहार के मुजफ्फरपुर की पंद्रह साल की एक लड़की कोविड महामारी के कारण 10वीं की बोर्ड परीक्षा नहीं दे पाई. वह दुखी तो हुई लेकिन हताश होने के बदले बच्चों की मनोभावना प्रकट करती एक किताब लिखी. यह किताब आजकल चर्चा में है.
डॉयचे वैले पर मनीष कुमार की रिपोर्ट
नैय्या प्रकाश द्वारा लिखी गई पुस्तक "एंड आई पास्ड माई बोर्ड विदाउट इवेन अपीयरिंग फॉर इट" उस लड़की की कहानी है जो कोरोना के कारण लॉकडाउन में स्कूल नहीं जा पा रही थी. वह दसवीं की बोर्ड परीक्षा की तैयारी तो कर रही थी, किंतु भारी संशय के बीच छात्र जीवन की पहली सबसे बड़ी परीक्षा में शामिल न हो सकी. फिर भी कोविड ने उसे बहुत कुछ सिखलाया.
डीडब्ल्यू से बातचीत में नैय्या कहती हैं, "मैं बचपन से ही किताब लिखना चाहती थी. मुझे लिखने का काफी शौक था. मैं रोजाना दिनभर के घटनाक्रम को डायरी में इंट्री करती थी. लॉकडाउन के दौरान लिखे अपने इन्हीं अनुभवों को मैंने किताब की शक्ल दी."
उन्होंने अपनी किताब में लिखा है कि कोरोना के दौरान जीवन में कई बदलाव आए, "एक लड़की जो टीनएजर है, वह लॉकडाउन के समय परिस्थिति के अनुसार खुद को कैसे ढालती है. स्कूल जाना बंद हो गया, दोस्तों से मिलना-जुलना बंद हो गया. बहुत कुछ बदल गया. मेरी एक सहेली को कोविड हो गया तो कैसे उसका हौसला बढ़ाया. फैमिली बॉन्डिंग व आत्मनिर्भरता क्या है. हमने अपना काम करना कैसे सीखा."
हर तरफ भय व निराशा का माहौल
महामारी के कारण आए बदलाव पर नैय्या प्रकाश कहती हैं, "कोविड के कारण हुए लॉकडाउन ने हमें कई चीजों से दूर रखा. इस बीच हम दोस्तों से दूर रहे, अपने स्कूल से दूर रहे, क्लास से दूर रहे. इस दौरान सभी तरफ से कई ऐसी चीजें सुनने में आ रही थी, जो कहीं से उत्साहवर्धक नहीं थी." बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे थे, घरों में कैद थे. उन पर पढ़ाई का अत्यधिक दबाव था. हर तरफ भय व निराशा का माहौल था, "लेकिन इन सब के बावजूद इस दौरान हम कई बेहतर चीजें भी सीख सके."
कोरोना के दौरान बच्चों ने हमउम्रों का साथ तो खोया लेकिन उन्हें मजबूरी में ही सही, अपने परिवार के साथ रहने का मौका मिला. संकट की घड़ी परिवार के लोग एक दूसरे के करीब आए. एक दूसरे को समझने की कोशिश की. नेय्या कहती हैं, "लॉकडाउन में विपरीत परिस्थितियों में रहते हुए हम यह जान सके कि फैमिली वैल्यूज क्या हैं, किसी भी अवसर का इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है. यह समझ में आया कि धैर्य क्या है. कम पैसे में कैसे जी सकते हैं."
किताब के कुल 20 चैप्टर में उन्होंने यह बतलाने की कोशिश की है कि इस महामारी ने हमें कई अच्छी चीजों से कैसे रूबरू कराया. इस समय बच्चों ने जो सीखा, उसे कोई स्कूल नहीं सिखा सकता. नैय्या कहती हैं, "मैंने चौथे चैप्टर में लाइफ इन क्वारंटाइन में क्या सीखा, जैसे खाना बनाना, अपने काम खुद करना जैसी बातों की चर्चा की है और अंतिम चैप्टर को लॉकडाउन में क्या सीखा पर डेडिकेट किया है."
स्कूली बच्चों का बहुत सारा समय दोस्तों के साथ खेलने कूदने, गपशप और मौज मस्ती में गुजरता है. कोरोना ने इसे बदल दिया था. सब अपने अपने घरों में कैद थे और हर चीज के लिए परिवार के लोगों पर निर्भर थे. समय गुजारना भी एक चुनौती बन गई थी. नैय्या ने डॉयचे वेले को बताया, "सभी में कुछ न कुछ क्रिएटिव गुण होते हैं. इस गुण को इस दौरान उभरने का मौका मिला. किसी ने गार्डेनिंग सीखी तो किसी ने खाना बनाना सीखा. बच्चों ने बाल बनाना, बर्तन धोना जैसी चीजें सीखी, जो उनकी नजर में अबतक किसी और का दायित्व था. हमने परिवार में परस्पर सहयोग करना, एक-दूसरे का हाथ बंटाना सीखा."
जब बोर्ड की परीक्षा नहीं हुई
केंद्रीय विद्यालय चेन्नई से पढ़ाई कर रही नैय्या कोविड के कहर की तेज लहर के समय अपने घर मुजफ्फरपुर आई थी. यहीं से ऑनलाइन पढ़ाई कर रही थीं. वे कहती हैं, "बोर्ड परीक्षा को लेकर जैसी व्याकुलता सभी बच्चों में होती है, वह मुझमें भी थी. ऑनलाइन क्लासेज होने के कारण क्लासरूम जैसी पढ़ाई नहीं हो पा रही थी. सभी बच्चों को डर था कि इसका असर कहीं परीक्षा पर न पड़े. फिर बोर्ड की परीक्षा नहीं हुई और इंटरनल असेसमेंट के आधार पर बच्चे पास कर दिए गए."
इसी समय उन्होंने यह किताब लिखनी शुरू की. ऑनलाइन व ऑफलाइन पढ़ाई के तरीके पर नैय्या का कहना है कि ऑनलाइन में स्टडी मैटेरियल तो काफी हैं लेकिन "स्कूल में जो हम पढ़ पाते हैं, वह घर पर नहीं कर पाते. वहां हमारा ओवरऑल डेवलपमेंट होता है. हमने अपने इस अनुभव को भी शेयर किया है."
किताब ने 15 साल की नैय्या को सेलेब्रिटी बना दिया है. उसका अनुभव दूसरे बच्चों के लिए प्रेरणा हो सकता है. बच्चों के लिए अपने संदेश में नैय्या कहती हैं, "हम समय को परिवर्तित नहीं कर सकते. परिस्थिति जैसी भी हो उसमें एडैप्ट करने की कोशिश करनी चाहिए. हमें इस पर हाय-तौबा मचाने की जरूरत नहीं है कि हम कैसी स्थिति में हैं, बल्कि हमें उसी स्थिति में मौजूद चीजों से ही अपना बेहतर देना चाहिए. निगेटिव कंडीशन में भी पॉजिटिव अप्रोच रखनी चाहिए. किसी भी स्थिति में हिम्मत नहीं हारनी चाहिए." 154 पेज की इस पुस्तक में 21 इलस्ट्रेशन हैं, जिन्हें नैय्या ने खुद बनाया है.
पहली किताब की सफलता ने नैय्या का हौसला बढ़ाया है. अब वह अपनी अगली पुस्तक पर भी काम कर रहीं हैं. उनकी अगली भारत कैसे तरक्की कर रहा है, थीम पर होगी. भारतीय विदेश सेवा में जाने की इच्छा रखने वाली नैय्या कहती हैं, "इस सेवा में जाने से हमें अपने देश को विश्व के पटल पर रिप्रेजेंट करने का मौका मिलेगा. इस सेवा के जरिए देश के लिए बहुत कुछ किया जा सकता है."
चारों ओर से प्रशंसा
नैय्या मुजफ्फरपुर के कर्नल रमेश प्रकाश व दिव्या प्रकाश की पुत्री हैं. दिव्या प्रकाश कहतीं हैं, "कोरोना के कहर से लोग घरों में कैद थे. बच्चे घरों में रहकर यह देख रहे थे कि पापा या मम्मी की नौकरी चले जाने के बाद जीना कितना मुश्किल हो रहा था. बच्चों पर पढ़ाई का खासा दबाव था. टीचर से बात करना मुश्किल था तो कई बार पेरेंट्स भी बच्चों की बात नहीं समझ पा रहे थे."
नैय्या प्रकाश की इस पुस्तक की विभिन्न क्षेत्रों के दिग्गजों ने काफी प्रशंसा की है. कोरोना महामारी के बीच मात्र 15 साल की इस बच्ची के अनूठे प्रयास की तारीफ करने वालों में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, निशांत पोखरियाल, आईआईटी चेन्नई के निदेशक भास्कर राममूर्ति और प्रख्यात फिल्म निर्माता-निर्देशक प्रकाश झा जैसी हस्तियां शामिल हैं. (dw.com)
2001 में अफगानिस्तान में अमेरिका के प्रवेश के बाद भारत ने अफगानिस्तान की विकास परियोजनाओं में भारी निवेश किया. लेकिन तालिबान की दोबारा सत्ता में वापसी के बाद यह स्पष्ट नहीं है कि इन परियोजनाओं का भविष्य क्या होगा.
डॉयचे वैले पर रोशनी मजुमदार की रिपोर्ट
2001 में अमेरिका द्वारा अफगानिस्तान में तालिबान शासन के खात्मे के बाद भारत ने अफगानिस्तान में बुनियादी ढांचे और मानवीय सहायता पर अरबों डॉलर खर्च किए. भारतीय व्यापार पर नजर रखने वाले एक विशेषज्ञ के मुताबिक, राजमार्गों के निर्माण से लेकर भोजन के परिवहन और स्कूलों के निर्माण तक भारत ने समय और धन का निवेश करते हुए अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण में मदद की.
नाम न बताने की शर्त पर एक विशेषज्ञ ने कहा कि अफगानिस्तान में भारतीय परियोजनाओं के लिए नियमित रख-रखाव की जरूरत होगी और ये केवल "अनुकूल वातावरण" में ही जारी रह सकते हैं.
हडसन इंस्टीट्यूट की इनिशिएटिव ऑन द फ्यूचर ऑफ इंडिया एंड साउथ एशिया की निदेशक अपर्णा पांडे कहती हैं कि अफगानिस्तान में भारत का निवेश "सिर्फ तालिबान के कब्जे से खत्म नहीं हो जाएगा." अफगानिस्तान में चल रही भारत की कुछ सबसे महत्वपूर्ण परियोजनाओं में से एक उस राजमार्ग का निर्माण भी शामिल है जो भारत को अफगानिस्तान से जोड़ने में मदद करता है. करीब 150 मिलियन डॉलर की लागत से अफगानिस्तान में बना जरांज-डेलाराम राजमार्ग साल 2009 में बनकर तैयार हुआ था. यह भारत को ईरान के चाबहार बंदरगाह के माध्यम से अफगानिस्तान के साथ व्यापार में मदद करता है. भारत के लिए यह सड़क संपर्क महत्वपूर्ण है क्योंकि पाकिस्तान भारत को अपने क्षेत्र में अफगानिस्तान में माल परिवहन की अनुमति नहीं देता है.
भारत ने काबुल में अफगान संसद भवन और एक बांध के निर्माण में भी सहायता की है जिससे बिजली उत्पादन और खेतों की सिंचाई में लाभ हो रहा है. अफगानिस्तान में स्कूलों और अस्पतालों के निर्माण के अलावा भारत ने अपने सैन्य स्कूलों में अफगान अधिकारियों को प्रशिक्षित भी किया है और अन्य तकनीकी सहायता की भी पेशकश की है. 2017 में नई दिल्ली और काबुल के बीच माल ढुलाई के लिए एक सीधा हवाई गलियारा खोला गया, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा मिला. इन परियोजनाओं के अलावा भारत ने 2005 से लेकर अब तक शिक्षा, स्वास्थ्य, जल प्रबंधन और खेल सुविधाओं सहित विभिन्न लघु और मध्यम स्तर की परियोजनाओं को विकसित करने के लिए करीब 120 मिलियन डॉलर के निवेश की प्रतिबद्धता जताई है.
भारत ने 2015 में काबुल में एक मेडिकल डायग्नोस्टिक सेंटर स्थापित करने में मदद की. जुलाई 2020 तक भारत ने स्कूलों और सड़कों के निर्माण के लिए करीब 2.5 मिलियन डॉलर की लागत वाले पांच अन्य समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे. साल 2020 के जिनेवा सम्मेलन में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि भारत अफगानिस्तान के काबुल जिले में शतूत बांध का निर्माण करेगा. इस बांध से बीस लाख से भी ज्यादा अफगानी नागरिकों को पीने का पानी उपलब्ध कराया जाना था. इसके अलावा जयशंकर ने अफगानिस्तान में 80 मिलियन डॉलर की 100 से अधिक परियोजनाओं को भी शुरू करने की घोषणा की थी. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत में अध्ययन करने के लिए अफगान छात्रों को छात्रवृत्ति की भी पेशकश की थी.
साल 1996 से 2001 के बीच अफगानिस्तान पर इस्लामिक कट्टरपंथी समूह के शासन काल के दौरान भारत ने तालिबान विरोधी प्रतिरोध का समर्थन किया था. साल 2001 में तालिबान की पहली सरकार के पतन के बाद भारत को अफगानिस्तान में अपना प्रभाव बढ़ाने का अवसर मिला. साल 2010 और 2013 के बीच अफगानिस्तान में भारत के राजदूत रहे गौतम मुखोपाध्याय ने डीडब्ल्यू को बताया कि अफगानिस्तान में भारत के निवेश करने का मुख्य उद्देश्य जनता का विश्वास और राजनीतिक सद्भावना हासिल करना था. उनके मुताबिक, "यह निवेश अफगान लोगों के लिए उपहारस्वरूप थे. हालांकि भारत किसी भी तरह से वित्तीय सहायता का राजनीतिक लाभ के रूप में उपयोग नहीं करना चाहता था." लेकिन कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के उद्देश्यों में अफगानिस्तान का राजनीतिक और लोकतांत्रिक परिवर्तन भी शामिल था.
शिव नाडर विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय संबंधों और शासन के अध्ययन के विशेषज्ञ अतुल मिश्र कहते हैं कि भारत ने खुद को एक राज्य निर्माता के रूप में पेश किया ताकि "यह सुनिश्चित किया जा सके कि एक सुरक्षित लोकतांत्रिक और समावेशी शासन, खासतौर पर इस्लामी देश में राजनीतिक परिवर्तन के महत्व को स्पष्ट करेगा." भारत और अफगानिस्तान ने साल 2011 में एक रणनीतिक साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत भारत ने अफगान सेना की भी सहायता की. अतुल मिश्र के मुताबिक, "भारत यह भी सुनिश्चित करना चाहता था कि भारत विरोधी इस्लामी आतंकवादी अफगानिस्तान से भारतीय धरती पर हमले शुरू न करें." भारत ने इस इलाके में भारत विरोधी गतिविधियों में लिप्त इस्लामी आतंकवादियों को समर्थन देने का पाकिस्तान पर कई बार आरोप लगाया है.
भारत हमेशा से तालिबान का आलोचक रहा है और उसे वह अपने क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान का करीबी भी मानता है. लेकिन तालिबान ने संकेत दिया है कि वह इस बार सभी क्षेत्रीय देशों के साथ अच्छे संबंध बनाना चाहेगा. मुखोपाध्याय कहते हैं कि तालिबान के साथ काम करना भारत के लिए मुश्किल साबित हो सकता है. उनके मुताबिक, "उदाहरण के लिए तालिबान के माध्यम से अफगानी लोगों को मानवीय सहायता प्रदान करना एक जटिल मामला है." अपर्णा पांडेय कहती हैं कि यह महत्वपूर्ण है कि भारत अफगानिस्तान को मानवीय सहायता देना जारी रखे लेकिन तालिबान के माध्यम से नहीं.
भारत को अभी भी तालिबान पर शक है. अपर्णा पांडेय कहती हैं कि साल 1999 में इंडियन एयरलाइंस के एक विमान के अपहरणकर्ताओं को तालिबान का समर्थन अभी भी अधिकांश भारतीयों को याद है, "देश से अमेरिका की वापसी और 15 अगस्त को काबुल पर तालिबान के तेजी से कब्जा करने के बाद भारत ने अफगानिस्तान पर अपना प्रभाव खो दिया है." विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को अब यह देखने के लिए इंतजार करना चाहिए कि तालिबान का नया शासन क्षेत्रीय पड़ोसियों के साथ कैसा व्यवहार करता है. निश्चित तौर पर, तब तक अफगानिस्तान में भारतीय निवेश अधर में रहेगा. (dw.com)
नई दिल्ली : दूरसंचार विभाग ने बृहस्पतिवार को उत्पादन पर आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत अगले साढ़े चार वर्षों में 3,345 करोड़ रुपये के निवेश वाले 31 प्रस्तावों को मंजूरी दी. संचार राज्य मंत्री देवूसिंह चौहान ने कहा, ‘अगले 4.5 वर्षों में 3,345 करोड़ रुपये का निवेश सिर्फ एक शुरुआत है. सरकार उत्प्रेरक के रूप में आपकी (उद्योग की) मदद कर रही है.'पीएलआई योजना के लिए चुनी गई कंपनियों में नोकिया इंडिया, एचएफसीएल, डिक्सन टेक्नालॉजीज, फ्लेक्सट्रॉनिक्स, फॉक्सकॉन, कोरल टेलीकॉम, वीवीडीएन टेक्नालॉजीज, आकाशस्थ टेक्नालॉजीज और जीएस इंडिया शामिल हैं.
गौरतलब है कि डॉट ने 24 फरवरी 2021 को दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पादों के लिए पीएलआई योजना को पांच वर्षों में 12,195 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ अधिसूचित किया था. भारत में दूरसंचार गियर विनिर्माण योजना के तहत 2.44 लाख करोड़ रुपये के उपकरणों के उत्पादन को प्रोत्साहित करने और लगभग 40,000 लोगों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा करने की उम्मीद है.कोरल टेलीकॉम के प्रबंध निदेशक राजेश तुली ने कहा, ‘‘यह सभी पीएलआई योजनाओं में पहली योजना है, जिसमें एमएसएमई भी शामिल है. इसके बिना हम बहुत कमजोर होते.'
बेंगलुरु, 14 अक्टूबर | कर्नाटक में विपक्ष के नेता सिद्धारमैया ने चुनौती दी है कि अगर यह साबित हो जाता है कि उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा से गुपचुप तरीके से मुलाकात की है, तो वह सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लेंगे। सिद्धारमैया ने कहा, "पिछली बार जब मैं येदियुरप्पा से उनके जन्मदिन पर मिला था। तब से मैं उनसे नहीं मिला। अगर पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी साबित करते हैं कि मैं येदियुरप्पा से मिला, तो मैं राजनीति से संन्यास ले लूंगा। यह कुमारस्वामी हैं जो नियमित रूप से बीएसवाई से मिलते हैं।"
उन्होंने कहा, "कुमारस्वामी अनावश्यक रूप से मुद्दों को उठा रहे हैं। वह येदियुरप्पा के सहयोगियों पर किए गए आईटी छापे को मुझसे झूठा जोड़ रहे हैं। वह मुझे निशाना बना रहे हैं क्योंकि उन्हें खतरा महसूस हो रहा है। मैंने अपने राजनीतिक करियर में उनके जैसे कई लोगों को देखा है। कुमारस्वामी ने हाल ही में राजनीति में प्रवेश किया है। मुझे उनसे सबक सीखने की जरूरत नहीं है।"
कुमारस्वामी ने कहा था कि आईटी छापेमारी इसलिए की जा रही है क्योंकि येदियुरप्पा ने राज्य में भाजपा को कमजोर करने की योजना बनाने के लिए सिद्धारमैया से गुप्त रूप से मुलाकात की थी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि क्योंकि सिद्धारमैया विपक्षी नेता का पद चाहते थे, उन्होंने जद (एस) और कांग्रेस की गठबंधन सरकार को गिरा दिया, जिससे भाजपा सत्ता में आ गई। कुमारस्वामी ने विपक्ष के नेता के पद का वर्णन करने के लिए कठबोली शब्द 'पुतागोसी' का इस्तेमाल किया था।
उन्होंने कहा, "कुमारस्वामी ने विपक्ष के नेता की स्थिति का अपमान करके भारत के संविधान का अपमान किया है। क्या यह वह सम्मान है जो एक पूर्व मुख्यमंत्री संवैधानिक पद को देता है? यहां तक कि उनके पिता एचडी देवेगौड़ा ने भी विपक्ष के नेता के रूप में कार्य किया था जब देवराज उर्स मुख्यमंत्री थे।"
उन्होंने आगे कहा, "भाजपा में शामिल हुए 17 विधायकों में से 3 जद (एस) के थे। क्या मैंने उन्हें भी भेजा था? साथ ही जब उन्होंने अविश्वास प्रस्ताव के वोट के दौरान संबोधित किया, तो उन्होंने ऑपरेशन कमला के लिए येदियुरप्पा को दोषी ठहराया और आरोप लगाया कि बीजेपी ने पैसे और पद देकर विधायकों को लुभाया। उन्होंने तब मेरा नाम क्यों नहीं लिया? मैं विधानसभा में ही जवाब देता।"
उन्होंने कहा, "ऐसे समय में जब गठबंधन सरकार बहुमत खोने वाली थी, कुमारस्वामी अमेरिका में बैठे थे। इसकी क्या जरूरत थी? मैंने उन्हें जल्द से जल्द वापस आने के लिए बुलाया लेकिन वह वहां 9 दिनों तक रहे।"
उन्होंने कहा, "क्या सीएम वेस्ट एंड होटल से सरकार चला सकते हैं? क्या वह विधायकों, मंत्रियों और अधिकारियों से मिले बिना प्रशासन चला सकते हैं? यही सरकार गिरने का कारण था। मैं वही बात दोहराते हुए थक गया हूं। मैं इस तरह के आरोपों का फिर से जवाब नहीं दूंगा।"
उन्होंने सवाल किया, "मैंने राजनीतिक लाभ के लिए अपनी विचारधारा या सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया। कुमारस्वामी ने 2005 में धर्म सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया और सीएम बनने के लिए भाजपा से हाथ मिला लिया। क्या यह सत्ता के लिए या तपस्या करने के लिए किया गया था?" (आईएएनएस)
लखनऊ, 14 अक्टूबर | एक ट्रक चालक द्वारा अगवा कर अमृतसर में बाल श्रम के लिए एक किसान को बेच दिया गया, एक 14 वर्षीय लड़का आखिरकार भागने में सफल रहा और उसे चाइल्डलाइन द्वारा अमृतसर रेलवे स्टेशन से रेस्क्यू कराया गया। पुलिस ने कहा कि 14 वर्षीय सत्येंद्र का तीन साल पहले एक ट्रक चालक ने अपहरण कर लिया था, जिसने उसे अमृतसर में एक किसान को बेच दिया था।
अपनी आपबीती बताते हुए, सत्येंद्र ने कहा, "विभिन्न राज्यों के लगभग छह अन्य किशोर लड़के थे जिन्हें श्रम के लिए खलिहान में लाया गया था। हमारा काम मवेशियों को चराना और खलिहान को साफ रखना था।
अपने माता-पिता के पास लौटने के बाद बुधवार को लखनऊ के बाहरी इलाके इटौंजा में उसने संवाददाताओं से कहा, "हमें नई पहचान दी गई और अन्य धर्मों में परिवर्तित कर दिया गया। मुझे शिव कहा गया और पगड़ी पहनने के लिए कहा गया। वे मेरे साथ मारपीट करते थे और मुझे भूखा रखते थे।"
सत्येंद्र ने कहा कि उन्हें अमृतसर शहर के बाहरी इलाके में स्थित कटरायना कला गांव ले जाया गया। उसने बताया कि सोने से पहले हमें बांध दिया जाता था।
सत्येंद्र के चचेरे भाई सुमित यादव, जो उसे लेने अमृतसर गए थे, उन्होंने कहा, "इटौजा पुलिस ने लिखित शिकायत के बाद भी प्राथमिकी दर्ज नहीं की। महीनों तक, पुलिस परिवार को गुमराह करती रही और उनके बेटे के ठिकाने के बारे में सवालों से बचती रही। उन्होंने उसे खोजने के लिए कभी प्रयास नहीं किया।" (आईएएनएस)
केंद्र सरकार ने सीमा सुरक्षा बल के कई सीमावर्ती राज्यों के अंदर कार्रवाई करने के अधिकार क्षेत्र को बढ़ा दिया है. राज्य इसका विरोध कर रहे हैं और इसे उनके अधिकारों पर अतिक्रमण बता रहे हैं.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट
केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक नए आदेश के तहत पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) द्वारा तलाशी और गिरफ्तारी करने के अधिकार क्षेत्र को बढ़ा दिया गया है. जहां पहले बीएसएफ के ये अधिकार राज्यों की सीमा के अंदर 15 किलोमीटर तक सीमित थे, वहीं अब इन्हें बढ़ा कर 50 किलोमीटर तक लागू कर दिया गया है.
इनके अलावा गुजरात में बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को 80 किलोमीटर से घटा कर 50 किलोमीटर कर दिया गया है. राजस्थान में इसे पहले की तरह 50 किलोमीटर तक बरकरार रखा गया है. मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, नागालैंड और मेघालय के पूरे इलाके में बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को पहले की तरह बनाए रखा गया है.
आतंक और तस्करी पर लगाम
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में भी बीएसएफ कहीं भी तलाशी और गिरफ्तारियां कर सकेगी. इन नए आदेशों पर बीएसएफ या केंद्र सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है, लेकिन मीडिया में आई कई खबरों में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि इनका उद्देश्य बीएसएफ की कार्यक्षमता को बढ़ाना है.
दावा किया जा रहा है कि पंजाब और जम्मू-कश्मीर में इन बदलावों का उद्देश्य है सीमा पार से आने वाले ड्रोनों के जरिए आतंकी हमले और ड्रग्स और हथियारों की आपूर्ति को रोकना. असम और पश्चिम बंगाल में मवेशियों और अवैध मुद्रा की तस्करी और अवैध प्रवासन को रोकना भी उद्देश्य है.
पंजाब में विशेष रूप से इस नए आदेश का विरोध देखा जा रहा है. पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने इसकी कड़ी निंदा करते हुए इसे संघीय ढांचे पर "सीधा हमला" बताया है. उन्होंने केंद्र सरकार से इस आदेश को वापस लेने की अपील की है.
उनके अलावा पंजाब में कांग्रेस के और भी कई नेताओं ने नए आदेश का विरोध किया है. हालांकि पंजाब में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने इसके लिए खुद चन्नी को जिम्मेदार बताया और उनकी आलोचना की.
बीएसएफ भारत के पांच सशस्त्र पुलिस बलों में से एक है, लेकिन यह एकलौता ऐसा बल है जिसके पास अपनी जल और वायु क्षमताएं और आर्टिलरी रेजिमेंट भी है. यह केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत आती है. इसमें 2,50,000 से भी ज्यादा सैनिक और अधिकारी हैं और इसे दुनिया का सबसे बड़ा सीमा सुरक्षा बल भी माना जाता है. (dw.com)