राष्ट्रीय
नयी दिल्ली, 14 अप्रैल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी सहित अनेक नेताओं, सांसदों आदि ने संसद भवन परिसर में बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने संदेश में कहा, ‘‘ज्ञान और विलक्षणता के प्रतीक डॉ. आंबेडकर ने विपरीत परिस्थितियों में भी, एक शिक्षाविद्, विधि विशेषज्ञ, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक के रूप में महान योगदान दिया और राष्ट्र के कल्याण के लिए ज्ञान का प्रसार किया।’’
उन्होंने कहा कि उनका (बाबा साहेब) मूल मंत्र- ‘वंचित समुदाय को समाज की मुख्य धारा में लाने के लिए शिक्षित हों, संगठित बनो और संघर्ष करो’- हमेशा ही प्रासंगिक बना रहेगा।
वहीं, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने ट्वीट किया, ‘‘ डा. बी आर आंबेडकर को उनकी जयंती पर विनम्र श्रद्धांजलि। वे एक दिग्गज बुद्धिजीवी, विधिवेत्ता, सामाज सुधारक और सच्चे राष्ट्रवादी थे।’’ उपराष्ट्रपति ने कहा कि बाबा साहेब कानून के शासन के पक्षधर, न्याय की अनथक वकालत करने वाले और सभी के लिए समान अधिकारों के लिए काम करने वाले व्यक्ति थे।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि डॉ भीमराव आंबेडकर सामाजिक बदलाव के प्रणेता थे और उन्होंने समानता, स्वतंत्रता, न्याय और बंधुत्व के मूल्यों को बढ़ावा दिया ।
बिरला ने कहा, ‘‘ बाबा साहेब ने संपूर्ण विश्व को प्रेरणा देने वाले संविधान की रचना की। भारत तथा भारतीयों के प्रति उनका योगदान वंदनीय है।’’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘समाज के वंचित और शोषित वर्ग के सशक्तीकरण के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले पूज्य बाबा साहेब को उनकी जयंती पर शत-शत नमन। जय भीम!" संसद परिसर में आयोजित एक समारोह में, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे सहित अनेक नेताओं, सांसदों आदि ने बाबा साहेब की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की।
गौरतलब है कि आंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को मध्य प्रदेश के महू में हुआ था। एक साधारण पृष्ठभूमि से उठकर वह स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हाशिए पर पड़े लोगों की मुखर आवाज बने। उन्हें कई सामाजिक सुधारों की शुरुआत करने का श्रेय दिया जाता है। (भाषा)
नई दिल्ली, 14 अप्रैल । उमेश पाल हत्याकांड के मुख्य अभियुक्त और बाहुबली नेता अतीक़ अहमद के बेटे असद अहमद और उनके साथी ग़ुलाम मोहम्मद को झांसी के पास गुरुवार को पुलिस ने एक एनकाउंटर में मार दिया है.
क़ानून का पालन करने वाली एजेंसियां एनकाउंटर का इस्तेमाल एक हथियार के रूप में न कर सकें, इसलिए इस तरह की एक्स्ट्रा ज्यूडिशियल किलिंग्स को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) और सुप्रीम कोर्ट ने विस्तृत दिशानिर्देश दिए हैं.
इंडियन एक्सप्रेस ने इस दिशानिर्देश से जुड़ी कुछ बातें अपनी रिपोर्ट में छापी हैं.
अख़बार लिखता है कि 2014 में पीयूसीएल (पीपल्स यूनियन फ़ॉर सिविल लिबर्टीज़) बनाम महाराष्ट्र सरकार मामले में मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढा और रोहिंगटन फ़ली नरीमन की बेंच ने पुलिस एनकाउंटर से जुड़ा 16 सूत्री दिशार्निदेश दिया था.
कोर्ट का कहना था कि ऐसे मामले जिनमें पुलिस कार्रवाई में व्यक्ति की मौत हुई हो या फिर उसे गंभीर चोट आई हो, उनमें एफ़आई दर्ज करना बाध्यकारी है, साथ ही मामले की मजिस्ट्रेट से जांच कराना, लिखित दस्तावेज़ रखना और सीआईडी जैसी एजेंसियों से स्वतंत्र जांच की बात भी शामिल है.
कोर्ट ने कहा था, "पुलिस कार्रवाई के दौरान हुई इस तरह की सभी मौतों की मजिस्ट्रेट जांच ज़रूरी है. जांच में मृतक के परिवार को शामिल किया जाना चाहिए. पुलिस को आईपीसी की उपयुक्त धारा के तहत एफ़आईआर दर्ज करनी चाहिए और इस बात की भी जांच होनी चाहिए कि ताक़त का इस्तेमाल करना जायज़ था या नहीं. इसकी रिपोर्ट ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के पास भेजी जानी चाहिए."
दिशानिर्देशों में कहा गया है कि "पुलिस को मामले से जुड़ी जो ख़ुफ़िया जानकारी मिलती है उसे या तो केस डायरी में या फिर किसी और तरीके से लिखा जाना ज़रूरी है. अगर जानकारी के आधार पर की गई कार्रवाई में किसी व्यक्ति की मौत हुई तो एफ़आईआर दर्ज कर तुरंत कोर्ट में पेश किया जाना चाहिए."
कोर्ट का कहना था कि इस मामले में अगर जांच की स्वतंत्रता और निष्पक्षता को लेकर गंभीर शक़ न हों तो एनएचआरसी को इसकी रिपोर्ट देना ज़रूरी नहीं है, हालांकि एनएचआरसी और राज्य मानवाधिकार कमीशन को इसकी जानकारी ज़रूर दी जानी चाहिए.
असम ने एक ही परिसर में बिहू नृत्य के सबसे बड़े आयोजन के जरिए बृहस्पतिवार को अपना नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज करा लिया.
डॉयचे वैले पर प्रभाकर मणि तिवारी की रिपोर्ट-
विश्व रिकॉर्ड बनाने के मकसद से राजधानी गुवाहाटी के सरूसजाई स्टेडियम में आयोजित इस आयोजन में 11 हजार से युवक-युवतियों ने एक साथ बिहू नृत्य किया.
पहले इसका आयोजन 14 अप्रैल को होना था. लेकिन इसे एक दिन पहले ही कर दिया गया. शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी गुवाहाटी में आयोजित एक समारोह में मौजूद रहेंगे. गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स का प्रमाण पत्र 14 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में जारी किया जाएगा.
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि कोरोना काल के दौरान राज्य के इस सबसे बड़े त्योहार का आयोजन फीका रहा था. इसलिए सरकार ने इसे यादगार बनाते हुए इस साल गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स में नाम दर्ज कराने के लिए महीनों पहले से तैयारी शुरू की थी. इसके लिए पूरे राज्य से युवक और युवतियों को चुना गया था.
सरमा ने उम्मीद जताई कि अब असम और उसकी सांस्कृतिक विरासत को दुनिया में एक नई पहचान मिलेगी. सरकार ने इस आयोजन में हिस्सा लेने वालों को 25-25 हजार रुपये देने का एलान किया है.
क्या है बहाग या रंगाली बिहू
वैसे, तो असम में साल भर के दौरान तीन बार इस उत्सव का आयोजन किया जाता है. लेकिन बोहाग बिहू ही इनमें सबसे प्रमुख है. इस दौरान पूरे राज्य के लोग ही नहीं, बल्कि पेड़,पौधे व पहाड़ भी मानो सजीव हो उठते हैं. पहले तो यह उत्सव पूरे एक महीने तक चलता था. लेकिन जिंदगी की आपाधापी ने अब इसे एक सप्ताह तक सीमित कर दिया है. इस एक सप्ताह के दौरान राज्य में सब कुछ बिहूमय हो उठता है. उस समय फसलें कट चुकी होती हैं, नए मौसम की तैयारियां शुरू होने में कुछ समय होता है. इस बीच के समय को ही उत्सव के तौर पर मनाया जाता है.
इस त्योहार के दौरान कई खेलों का आयोजन भी किया जाता है जैसे-बैलों की लड़ाई, मुर्गों की लड़ाई और अंडों का खेल आदि. बिहू के पहले दिन को गाय बिहू के तौर पर मनाया जाता है. इस दिन लोग सुबह अपनी-अपनी गायों को नदी में ले जाकर नहलाते हैं. गायों को नहलाने के लिए रात में ही भिगो कर रखी गई उड़द की दाल और कच्ची हल्दी का इस्तेमाल किया जाता है. उसके बाद वहीं पर उनको लौकी और बैगन खिलाया जाता है. माना जाता है कि ऐसा करने से गायें साल भर स्वस्थ रहती हैं. शाम के समय गाय को उसकी जगह पर नई रस्सी से बांधा जाता है और तरह-तरह के औषधि वाले पेड़-पौधे जला कर मच्छर-मक्खियों को भगाया जाता है.
दूसरा दिन साफ-सुथरे नए कपड़े पहनने का दिन होता है. इस दिन बुजुर्गों को सम्मान दिया जाता है और लोग पैर छू कर उनसे आशीर्वाद लेते हैं. तमाम लोग खुशी के साथ नए साल को बधाई देने के लिए रिश्तेदारों और दोस्तों के घर जाते हैं. पारंपरिक असमिया गामोछा को सम्मान का प्रतीक माना जाता है. इस दिन लोग एक-दूसरे को यह गमछा ओढ़ाते हैं.
बिहू के दौरान ही युवक-युवतियां अपना मनपसंद जीवन साथी भी चुनते हैं और अपनी जिंदगी नए सिरे से शुरू करते हैं. यही वजह है कि राज्य ज्यादातर शादियां बिहू के तुरंत बाद वैशाख महीने में ही होती हैं. बिहू के समय में गांव में तरह-तरह के खेल-तमाशे का आयोजन किया जाता है.
बिहू का इतिहास
बिहू की शुरुआत सबसे पहले कब हुई, इसका कहीं कोई साफ जिक्र नहीं मिलता. लेकिन समझा जाता है कि ईसा से लगभग साढ़े तीन हजार साल पहले इसका आयोजन शुरू हुआ. बिहू के दौरान राज्य में जगह-जगह मंच बना कर सात दिनों तक बिहू गीत व नृत्य का आयोजन किया जाता है. लोग नए कपड़े पहनते हैं. सरकारी दफ्तरों में भी छुट्टियां होती हैं.
फसलों की कटाई का जश्न मनाते हुए मनाए जाने वाले इस पर्व में नारियल, चावल, तिल, दूध का इस्तेमाल पकवान बनाने के लिए प्रमुखता से किया जाता है. इस दौरान प्यार व आदर जताने के लिए लोग एक-दूसरे को अपने हाथों से बुने हुए गमछे भी भेंट करते हैं. यह उत्सव अमूमन हर साल 14 अप्रैल से शुरू होता है. असमिया नववर्ष भी इसी दिन से शुरू होता है.
इस सप्ताह-व्यापी उत्सव के दौरान इस दौरान जगह-जगह बने मंच पर युवक-युवतियां सामूहिक नृत्य करते हैं. बिहू में पुरुष और महिला दोनों अलग-अलग संरचनाओं में नृत्य करते हैं. लेकिन बावजूद इसके इस नृत्य में लय और तालमेल बेहद अहम और लाजवाब होता है. इस दौरान गीतों के जरिए बिहू की महिला का बखान किया जाता है. इनमें कहा जाता है कि वैशाख केवल एक ऋतु ही नहीं, न ही यह एक महीना है, बल्कि यह असमिया जाति की जीवन रेखा और सामान्य जनजीवन का साहस है.
बिहू गीतों का असमिया साहित्य पर भी गहरा असर है. रामायण के अनुवादक माधवदेव और शंकरदेव भी इसके असर से नहीं बच सके थे. बिहू के दौरान राज्य में जगह-जगह बिहू कुंवरी या बिहू सुंदरी प्रतियोगिता का भी आयोजन होता है. इसमें बेहतर नृत्य करने वाले को सम्मानित किया जाता है. असम में बोहाग बिहू शुरू होने के पहले से ही घर-घर से बिहू गीतों की गूंज हवा में समाने लगती है.
प्रधानमंत्री का दौरा
इस ऐतिहासिक मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शुक्रवार को असम के दौरे पर जाएंगे. वे वहां बिहू नृत्य के आयोजन में शिरकत करने के अलावा इलाके के विकास के लिए 14,300 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे. मोदी दोपहर करीब करीब 12 बजे एम्स गुवाहाटी पहुंचेंगे और इसके नवनिर्मित परिसर का निरीक्षण करेंगे. बाद में एक सार्वजनिक समारोह में वह एम्स, गुवाहाटी और तीन अन्य मेडिकल कॉलेजों को राष्ट्र को समर्पित करेंगे. इसके बाद प्रधानमंत्री श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र में गौहाटी हाईकोर्ट के प्लैटिनम जयंती समारोह में शामिल होंगे.
उसी दिन शाम को एक सार्वजनिक समारोह की अध्यक्षता करने के लिए गुवाहाटी के सरूसजाई स्टेडियम पहुंचेंगे, जहां वह दस हजार से अधिक कलाकारों/बिहू नर्तकों की ओर से पेश रंगारंग बिहू कार्यक्रम देखेंगे. कार्यक्रम के दौरान वह नामरूप में 500 टीपीडी मेन्थॉल संयंत्र को चालू करने के अलावा पलासबाड़ी और सुआलकुची को जोड़ने के लिए ब्रह्मपुत्र नदी पर पुल की आधारशिला रखने समेत विभिन्न विकास परियोजनाओं परियोजनाओं का शिलान्यास करेंगे व पांच रेल परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित करेंगे. (dw.com)
सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा सरकार द्वारा वेदांता के लिए 6,000 एकड़ भूमि के अधिग्रहण को रद्द कर दिया है. अदालत ने अधिग्रहण के लिए कंपनी को दुर्भावनापूर्ण इरादों और सरकार को पक्षपात का दोषी ठहराया है.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट-
कथित भूमि ओडिशा सरकार ने वेदांता के लिए 2007 में अधिग्रहित की थी. ओडिशा हाई कोर्ट ने इस अधिग्रहण को 2010 में ही रद्द कर दिया था लेकिन उद्योगपति अनिल अग्रवाल की कंपनी वेदांता ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील कर दी थी.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने ताजा फैसले में हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराया है और वेदांता के अनिल अग्रवाल फाउंडेशन और ओडिशा सरकार दोनों को फटकार लगाई है.
क्या था मामला
अदालत ने जमीन को उसके असली मालिकों को वापस देने का आदेश भी दिया है, साथ ही फाउंडेशन पर पांच लाख रुपयों का जुर्माना भी लगाया है. जमीन करीब 6,000 किसानों की थी जिनके परिवार के सदस्यों को मिला कर अधिग्रहण से प्रभावित लोगों की संख्या 30,000 के आस पास है.
2006 में वेदांता ने ओडिशा सरकार से कहा था कि कंपनी राज्य में एक विश्वविद्यालय बनाना चाह रही है जिसके लिए उससे 15,000 एकड़ जमीन की जरूरत है. यह जमीन पुरी जिले में बालूखंड वन्यजीव अभयारण्य के पास स्थित थी.
राज्य सरकार की सलाह पर फाउंडेशन को निजी कंपनी से सार्वजनिक कंपनी बनाया गया, उसके बाद शिक्षण संस्थान बनाने के लिए भूमि अधिग्रहण के योग्य बताया गया और फिर सरकार ने भूमि अधिग्रहित कर ली.
इसके बाद इस अधिग्रहण को चुनौती देते हुए जमीन के मूल मालिकों ने हाई कोर्ट में दो याचिकाएं दायर कीं. सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने पाया कि अधिग्रहण की प्रक्रिया में भूमि अधिग्रहण कानून के कई प्रावधानों का उल्लंघन हुआ है, राज्य सरकार के साथ धोखाधड़ी हुई है और पूरी प्रक्रिया ही विकृत है.
वेदांता और सरकार को फटकार
हाई कोर्ट ने इस जमीन और इसके अलावा अतिरिक्त सरकारी जमीन के अधिग्रहण को रद्द करने का आदेश दिया था. इसी आदेश को फाउंडेशन ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. फाउंडेशन की अपील को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराया.
2006 में वेदांता ने ओडिशा सरकार से कहा था कि कंपनी राज्य में एक विश्वविद्यालय बनाना चाह रही है जिसके लिए उससे 15,000 एकड़ जमीन की जरूरत है. यह जमीन पुरी जिले में बालूखंड वन्यजीव अभयारण्य के पास स्थित थी.
राज्य सरकार की सलाह पर फाउंडेशन को निजी कंपनी से सार्वजनिक कंपनी बनाया गया, उसके बाद शिक्षण संस्थान बनाने के लिए भूमि अधिग्रहण के योग्य बताया गया और फिर सरकार ने भूमि अधिग्रहित कर ली.
इसके बाद इस अधिग्रहण को चुनौती देते हुए जमीन के मूल मालिकों ने हाई कोर्ट में दो याचिकाएं दायर कीं. सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने पाया कि अधिग्रहण की प्रक्रिया में भूमि अधिग्रहण कानून के कई प्रावधानों का उल्लंघन हुआ है, राज्य सरकार के साथ धोखाधड़ी हुई है और पूरी प्रक्रिया ही विकृत है.
वेदांता और सरकार को फटकार
हाई कोर्ट ने इस जमीन और इसके अलावा अतिरिक्त सरकारी जमीन के अधिग्रहण को रद्द करने का आदेश दिया था. इसी आदेश को फाउंडेशन ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. फाउंडेशन की अपील को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराया.
साथ ही फाउंडेशन को जुर्माने के रूप में अदालत के पास पांच लाख रुपए जमा करवाने का आदेश भी दिया, जो ओडिशा स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी को दे दिए जाएंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया कि जिस जमीन से दो नदियां हो कर गुजरती हैं, जिसके सिर्फ सड़क पार करने के बाद एक वन्य जीव अभयारण्य स्थित है, ऐसी जमीन एक फ्रॉड प्रक्रिया के तहत निजी उद्देश्य के लिए दिलवाने में सरकार ने "दिमाग नहीं लगाया."
अदालत ने यह भी कहा कि इस मामले में सरकार को निजी जमीन - वो भी कृषि जमीन - का अधिग्रहण करना था, ऐसे में कानून के तहत सरकार को यह पता करने की कोशिश करनी चाहिए थी कि इस जमीन को खरीदने में और किसी की भी रुचि है या नहीं. सिर्फ एक कंपनी के लिए सरकार ने प्रक्रिया का उल्लंघन किया और कंपनी को कई तरह के अनुचित लाभ पहुंचाए.
इनमें दाखिले, फीस, पाठ्यक्रम और स्टाफ की नियुक्ति में पूरी स्वायत्तता, राज्य सरकार के आरक्षण संबंधी कानूनों से पूरी छूट, नियामकों से अप्रूवल लेने में पूरी मदद, राजधानी से प्रस्तावित विश्वविद्यालय तक चौड़ी सड़क बनाने का वादा, लगभग सभी तरह के करों से छूट आदि शामिल है.
इन सब तथ्यों के आधार पर अदालत ने राज्य सरकार को फाउंडेशन के प्रति पक्षपात का दोषी ठहराया. वेदांता इससे पहले भी भूमि अधिग्रहण को लेकर कई विवादों में फंस चुकी है. (dw.com)
आयकर विभाग द्वारा बीबीसी कार्यालयों में "सर्वेक्षण" किए जाने के दो महीने बाद विदेशी मुद्रा प्रबंधन में कथित अनियमितताओं के लिए भारतीय प्रवर्तन निदेशालय ने बीबीसी इंडिया के खिलाफ मामला दर्ज किया है.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
मीडिया रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को विदेशी मुद्रा विनियम संबंधी कथित उल्लंघन को लेकर समाचार प्रसारक बीबीसी इंडिया के खिलाफ मामला दर्ज किया है. यह पहली बार नहीं है जब बीबीसी किसी भारतीय एजेंसी की जांच के दायरे में आई हो.
दो हफ्ते पहले दर्ज हुआ मामला
मीडिया में ईडी के सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि मामला दो हफ्ते पहले दर्ज किया गया था और अब तक उन्होंने बीबीसी इंडिया के एक निदेशक समेत छह कर्मचारियों से पूछताछ की है.
सूत्रों ने कहा कि ईडी ने फेमा के प्रावधानों के तहत कंपनी के कुछ अधिकारियों के बयान दर्ज करने और दस्तावेज पेश करने के लिए भी कहा है. साथ ही कहा जा रहा है कि यह जांच अनिवार्य रूप से कंपनी द्वारा कथित प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) उल्लंघनों को देख रही है.
गुरूवार को भी ईडी के अधिकारियों ने बीबीसी के एक अन्य कर्मचारी को कुछ दस्तावेजों के साथ पूछताछ के लिए बुलाया.
तीन दिनों तक चला था आयकर का "सर्वे"
इस साल फरवरी में भारतीय आयकर विभाग ने बीबीसी इंडिया के दिल्ली और मुंबई स्थित दफ्तरों में "सर्वे" किया था. बीबीसी इंडिया के दिल्ली और मुंबई स्थित दफ्तरों में आयकर विभाग का "सर्वे" तीन दिनों तक चला था.
आयकर विभाग ने उस सर्वे के बाद कहा था कि कंपनी की आय और उसके भारत के ऑपरेशन से होने वाले मुनाफे की रिपोर्टिंग में कई वित्तीय अनियमितताएं पाईं गईं. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने सर्वे के बाद एक बयान में कहा था कि ट्रांसफर प्राइसिंग डॉक्यूमेंट्स के संबंध में महत्वपूर्ण साक्ष्य का पता लगा.
उसका कहना था कि बीबीसी समूह की विभिन्न संस्थाओं द्वारा दिखाई गई आय और लाभ के आंकड़े भारत में उनके ऑपरेशन के अनुरूप नहीं है.
आयकर विभाग ने कहा था कि सर्वेक्षण संचालन से यह भी पता चला है कि दूसरे कर्मचारियों की सेवाओं का इस्तेमाल किया गया है, जिसके लिए भारतीय इकाई द्वारा संबंधित विदेशी संस्था को प्रतिपूर्ति की गई है. ये विदहोल्डिंग टैक्स के अधीन होने के लिए भी उत्तरदायी था, जो नहीं किया गया है.
आयकर विभाग द्वारा सर्वे ऑपरेशन 14-16 फरवरी के बीच बीबीसी के दिल्ली और मुंबई दफ्तरों में किया गया था. बयान में कहा गया कि यह आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 133ए के तहत यह सर्वे किया गया था.
बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को लेकर हो चुका है बवाल
इनकम टैक्स की कार्रवाई के ठीक पहले बीबीसी की एक डॉक्यूमेंट्री को लेकर भारत में विवाद उठा था. बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' में प्रधानमंत्री नरेंद्री मोदी और भारत के मुसलमानों के बीच तनाव की बात कही गई है. साथ ही गुजरात दंगों में मोदी की कथित भूमिका और दंगों के दौरान मारे गए हजारों लोगों को लेकर गंभीर आरोप लगाए गए हैं.
20 जनवरी को केंद्र सरकार ने यूट्यूब और ट्विटर को डॉक्यूमेंट्री साझा करने वाले लिंक को हटाने का आदेश दिया था. अधिकारियों का कहना था कि यह "भारत की संप्रभुता और अखंडता को कमजोर करने वाली" पाई गई है.
भारतीय विदेश मंत्रालय ने डॉक्यूमेंट्री पर सवाल उठाया था और उसे एक प्रोपेगेंडा पीस बताया था. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक बयान में कहा था कि "इसका मकसद एक तरह के नैरेटिव को पेश करना है जिसे लोग पहले ही खारिज कर चुके हैं. इस डॉक्यूमेंट्री को बनाने वाली एजेंसी और व्यक्ति इसी नैरेटिव को दोबारा चलाना चाह रहे हैं."
भारत के कई विश्वविद्यालयों में डॉक्यूमेंट्री को दिखाए जाने और नहीं दिखाए जाने को लेकर भी विवाद पैदा हो चुका है और यूनिवर्सिटी प्रशासन के आदेश के बावजूद डॉक्यूमेंट्री दिखाने पर छात्रों के खिलाफ जांच के आदेश दिए गए थे. डॉक्यूमेंट्री पर बैन लगाने को लेकर विपक्षी दलों और अधिकार समूहों ने इसकी आलोचना की थी और इसे प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला बताया था. (dw.com)
प्रयागराज (उप्र), 14 अप्रैल | गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद ने कबूल किया है कि उसके पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) और आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से सीधे संबंध हैं। यूपी पुलिस ने यह बात दाखिल चार्जशीट में कही। चार्जशीट में अतीक के हवाले से कहा गया है, मेरे पास हथियारों की कोई कमी नहीं है, क्योंकि मेरे पाकिस्तान के आईएसआई और आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से सीधे संबंध हैं। पाकिस्तान से हथियार ड्रोन की मदद से पंजाब की सीमा पर गिराए जाते हैं और स्थानीय आतंकवादी उन्हें इकट्ठा करते हैं। अगर आप मुझे अपने साथ ले जाते हैं, तो मैं उस पैसे, हथियार और घटना में इस्तेमाल किए गए गोला-बारूद को बरामद करने में आपकी मदद कर सकता हूं।"
इससे उस गैंगस्टर की मुश्किलें बढ़ना तय है, जिसका पूरा परिवार उसके गिरोह का सदस्य है।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने गुरुवार को उमेश पाल हत्याकांड में अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को चार दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया।
दोनों की पुलिस हिरासत 13 अप्रैल को शाम 5 बजे से शुरू हुई और 17 अप्रैल को शाम 5 बजे तक रहेगी।
अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ को गुरुवार सुबह प्रयागराज के सीजेएम कोर्ट में लाया गया, यहां तक कि उमेश पाल हत्याकांड में वांछित अतीक अहमद के बेटे असद और उसके सहयोगी गुलाम को गुरुवार को झांसी में विशेष टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने मुठभेड़ में मार गिराया।
उनमें से प्रत्येक पर 5 लाख रुपये का इनाम था और पुलिस ने दावा किया कि विदेशी निर्मित हथियार बरामद किए गए हैं।
28 मार्च को अतीक अहमद को एक एमपी-एमएलए अदालत ने दोषी ठहराया और अब मृत उमेश पाल के अपहरण मामले में कठोर आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने जेल में बंद गैंगस्टर अतीक अहमद के बेटे असद की कथित तौर पर मदद करने और उमेश पाल की हत्या की साजिश रचने के आरोप में राष्ट्रीय राजधानी से तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किए गए तीनों लोगों की पहचान जावेद, खालिद और जीशान के रूप में हुई है।
जांच के दौरान खालिद और जीशान ने खुलासा किया कि उन्होंने असद और गुलाम को शरण भी दी थी।
बहुजन समाज पार्टी के नेता राजू पाल की हत्या के मुख्य गवाह उमेश पाल और उनके दो सशस्त्र सुरक्षा एस्कॉर्ट्स में से एक की 24 फरवरी को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उमेश और उनके बंदूकधारियों पर कई राउंड फायरिंग की गई और बम फेंके गए थे।
इस बीच, आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि अतीक अहमद को उनके बेटे असद के अंतिम संस्कार में शामिल होने की अनुमति नहीं दी जाएगी और उनकी पत्नी के परिवार के सदस्य शव पर दावा कर सकते हैं।(आईएएनएस)
प्रयागराज (उत्तर प्रदेश), 14 अप्रैल | 19 साल की आयु में, वह अपने हमउम्र किसी भी युवा की तरह कानून में करियर बनाना चाहता था। लेकिन नियति में कुछ और ही था। गैंगस्टर अतीक अहमद का तीसरा बेटा असद, कानून की दहलीज को पार कर राज्य में सबसे बड़ा वांछित अपराधी बन गया। उसके सिर पर पांच लाख रुपये का इनाम हो गया और गुरुवार को 47 दिन के भीतर उसका खूनी अंत हो गया। इस साल 24 फरवरी से पहले असद का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था। इसी दिन उसने अपराध की दुनिया में कदम रखा और प्रयागराज में वकील उमेश पाल और उनके दो पुलिस गाडरें की अपने साथियों के साथ दिन दहाड़े हत्या कर सनसनी फैला दी।
पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक असद के बड़े भाई अली पर चार व उमर पर एक मामला दर्ज है। उसके पिता अतीक के खिलाफ 102 आपराधिक मामले दर्ज हैं और चाचा खालिद अजीम उर्फ अशरफ के खिलाफ 50 मुकदमें हैं।
भाइयों में आलसी माने जाने वाले असद ने पिछले साल लखनऊ के एक प्रतिष्ठित स्कूल से इंटरमीडिएट (12वीं) की परीक्षा पास की थी।
ज्यादातर समय लखनऊ में रहने वाला असद अपने पिता के कारोबार और अंडरवल्र्ड की गतिविधियों से दूर रहता था।
असद उच्च अध्ययन के लिए देश से बाहर जाना चाहता था, लेकिन उसके परिवार की आपराधिक पृष्ठभूमि के कारण उसका पासपोर्ट नहीं बन सका। फिलहाल वह एलएलबी कोर्स में एडमिशन की तैयारी कर रहा था।
उसकी शादी भी उसकी बुआ आयशा नूरी की बेटी से तय हो गई है। नूरी अभी फरार है, जबकि उसका पति अखलाक जेल में है।
सूत्रों के मुताबिक पिता अतीक की फटकार ने असद को उस टीम का नेतृत्व करने के लिए मजबूर कर दिया, जिसने 24 फरवरी को एक हमले में उमेश पाल को मार डाला।
पुलिस मुठभेड़ में अपने बेटे की मौत से आहत अतीक ने गुरुवार रात प्रयागराज जेल में जेल अधिकारियों से कहा कि, ''असद की मौत के लिए मैं जिम्मेदार हूं।''
विडंबना यह है कि परिवार के सबसे प्यारे बच्चे को शुक्रवार को उसके परिजनों की अनुपस्थिति में सुपुर्दे खाक कर दिया जाएगा। असद के परिवार के अधिकतर सदस्य या तो जेल में हैं, या फरार हैं। (आईएएनएस)
रोम, 14 अप्रैल | संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) द्वारा जारी एक नई रिपोर्ट के अनुसार, खाद्य और कृषि क्षेत्रों में काम करने वाली महिलाओं के लिए ज्ञान और संसाधनों तक पहुंच में सुधार वैश्विक विकास को बढ़ावा दे सकता है और लाखों लोगों को खिलाने में योगदान दे सकता है। समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार एग्रीफूड सिस्टम्स में महिलाओं की स्थिति शीर्षक से गुरुवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि लैंगिक असमानता व महिलाओं को कम वेतन और शिक्षा तक सीमित पहुंच से कृषि क्षेत्र में उनकी व पुरुषों की उत्पादकता में 24 प्रतिशत का अंतर है।
इस तथ्य को देखते हुए कि दुनिया की एक तिहाई से अधिक कामकाजी महिलाएं कृषि खाद्य प्रणालियों में कार्यरत हैं। इसमें खाद्य और गैर-खाद्य कृषि उत्पादों के उत्पादन के साथ-साथ खाद्य भंडारण, परिवहन और प्रसंस्करण से लेकर वितरण तक की संबंधित गतिविधियां शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि महिलाओं की उत्पादकता बढ़ाकर वैश्विक जीडीपी में लगभग 1 ट्रिलियन डॉलर तक की वृद्धि हो सकती है और खाद्य-असुरक्षित लोगों की संख्या में 45 मिलियन की कमी आएगी।
रिपोर्ट से पता चलता है कि सुधार के बावजूद महिलाएं पुरुषों की तुलना में भूस्वामित्व से वंचित हैं। रिपोर्ट के लिए सर्वेक्षण किए गए 46 में से 40 देशों में महिलाओं के भूमि अधिकारों के लिए कमजोर सुरक्षा कानून है।
एफएओ के महानिदेशक क्यू डोंग्यू ने एक बयान में कहा, अगर हम कृषि खाद्य प्रणालियों में लैंगिक असमानताओं से निपटते हैं और महिलाओं को सशक्त बनाते हैं, तो दुनिया गरीबी खत्म करने और भूख से मुक्त दुनिया बनाने के संगठन के लक्ष्यों को पूरा करने में आगे बढ़ेगी। (आईएएनएस)
तेहरान, 14 अप्रैल | पश्चिमी ईरान में आई बाढ़ में कम से कम तीन लोगों की मौत हो गई। ईरानी छात्रों की समाचार एजेंसी (आईएसएनए) ने यह जानकारी दी। पीड़ित पश्चिम अजरबैजान, इलम और काजि़वन प्रांतों से हैं। ईरान के राहत और बचाव संगठन में संचालन के लिए उप प्रमुख मोर्तेजा मोराडिपोर ने यह जानकारी दी। समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, मोराडिपोर ने बाढ़ के लिए भारी बारिश को जिम्मेदार ठहराया, इस बात पर जोर दिया कि बचाव दल बाढ़ प्रभावित लोगों को समायोजित करने के लिए अस्थायी शिविर स्थापित करने के लिए तैयार हैं।
उन्होंने कहा कि बचावकर्ताओं ने बाढ़ से प्रभावित 11 शहरों और 21 गांवों में 861 लोगों को बचाया, 24 लोगों को सुरक्षित क्षेत्रों में स्थानांतरित किया और 385 लोगों के लिए आपातकालीन आवास उपलब्ध कराया। (आईएएनएस)
महराजगंज (उत्तर प्रदेश)14 अप्रैल | गौशाला में मवेशियों को बचाने की कोशिश में 56 वर्षीय एक महिला और उसके 35 वर्षीय बेटे की जलकर मौत हो गई। घटना भुसी अमवा गांव में गुरुवार को उस समय हुई जब कौशल्या देवी ने मच्छरों से छुटकारा पाने के लिए घर का कूड़ा करकट जलाया। लेकिन जल्द ही आग बड़ी लपटों में बदल गई और उन झोपड़ियों को अपनी चपेट में ले लिया, जहां मवेशी रखे गए थे।
घटना से घबराए देवी और उसका बेटा राम आशीष अपने मवेशियों को छुड़ाने के लिए जलते हुए शेड की ओर भागे।
इस दौरान देवी एक खंभे से टकरा गई और राम ने अपनी मां को बचाने के लिए छलांग लगा दी। इसी दौरान झोपड़ी ढह गई, जिससे वे दोनों अंदर फंस गए। घटना में मां-बेटे की झुलसकर मौत हो गई।
घटना में एक गाय भी गंभीर रूप से झुलस गई।
घटना के बाद, क्षेत्र के तहसीलदार के साथ क्षेत्राधिकारी पुलिस आनंद कुमार सिंह मौके पर पहुंचे और परिवार के सदस्यों को सरकार की ओर से पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया।
शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है।
तहसीलदार विवेकानंद ने कहा है कि उन्होंने आर्थिक मदद के लिए मामले को उच्चाधिकारियों के समक्ष रखा है. जल्द ही अनुग्रह राशि स्वीकृति होने की संभावना है। (आईएएनएस)
नोएडा, 14 अप्रैल | कोरोना को लेकर अब नई गाइडलाइन जारी की गई है। इसके तहत स्कूल, कॉलेज, ऑफिस और भीड़ भाड़ वाली जगह पर अब मास्क लगाना जरूरी हो गया है। इसके लिए गाइडलाइन जारी की गई है। बता दे नोएडा में सक्रिय मामलों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। गाइडलाइन के तहत स्कूल ऑफिस में कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना होगा। सभी जगहों पर मास्क, सैनेटाइजर व सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन किया जाए। कार्यालय में प्रवेश से पहले थर्मल स्क्रीनिंग, दरवाजे, रेलिंग , लिफ्ट, पाकिर्ंग में सैनेटाइजर की व्यवस्था की जाए। सर्दी जुकाम बुखार के लक्षण होने पर घर पर ही क्वारेंटाइन रहने और कोविड जांच कराने के निर्देश है। साथ ही स्कूल, कॉलेजों में बच्चों, विद्यार्थियों को मॉस्क पहनने एवं सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराया जाए। कक्षा में बच्चों के बीच पर्याप्त दूरी रखते हुए बैठाया जाए। स्कूलों में प्रवेश से पहले थर्मल स्क्रीनिंग की जाए। स्कूलों और कॉलेज के प्रवेश द्वार पर थर्मल स्क्रीनिंग की जाए। यदि किसी भी बच्चे को कोविड के लक्षण दिखे तो उन्हें स्कूल और कॉलेज न भेजा जाए।
अस्पतालों में भी जारी गाइडलाइन के मुताबिक मास्क सैनेटाइजर एवं सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराया जाए। साफ सफाई सुदृढ़ की जाए। बिना मास्क के नो एंट्री की जाए। पर्चा काउंटर जांच काउंटर व दवा वितरण केंद्र पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जाए। कोविड के प्रति जागरूक करने के लिए प्रचार प्रसार किया जाए। इसके साथ साथ भीड़ भाड़ वाली जगह बाजारों, मंडियों और भीड़ भाड़ इलाकों में कोविड प्रोटोकॉल का पालन कराया जाए। बुजुर्ग और बच्चे भीड़ भाड़ इलाके में न जाएं। किडनी, हृदय, लिवर डायबिटीज और सांस से संबंधित बीमारी वाले मरीज बाहर न निकलें, यदि जाएं तो मास्क का प्रयोग करें। सार्वजनिक स्थानों पर गंदगी न फैलाएं। कोविड प्रोटोकॉल का पालन करें।(आईएएनएस)|
यशवंत राज
वाशिंगटन, 14 अप्रैल | वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को भारत की अध्यक्षता में यहां हुई जी20 के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकरों की दूसरी बैठक में संप्रभु ऋण सेवा समेत कई विषयों पर हुई प्रगति पर संतोष व्यक्त किया।
सीतारमण ने कहा कि बुधवार को ऋण सेवा पर एक गोलमेज चर्चा में चीन सहित सभी हितधारकों के साथ सकारात्मक बातचीत हुई।
जी20 के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकरों की पहली बैठक फरवरी में बेंगलुरु में हुई थी और यूक्रेन पर रूसी आक्रमण पर सदस्यों के बीच एकमत की कमी के कारण समूह एक संयुक्त बयान जारी करने में विफल रहा था।
दूसरी बैठक वाशिंगटन डी.सी. में इस सप्ताह वार्षिक विश्व बैंक समूह की वसंत बैठक के मौके पर हुई।
गोलमेज के तीन मेजबानों द्वारा जारी एक सह-अध्यक्ष प्रेस बयान - जी20 अध्यक्ष के रूप में भारत, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक की ओर से जारी बयान में कहा गया कि अन्य बातों के अलावा सदस्यों ने स्थूल आर्थिक अनुमानों सहित जानकारी साझा करने में तत्काल सुधार करने की आवश्यकता बताई।
आईएमएफ के ऋण डेटाबेस के अनुसार 2022 में वैश्विक ऋण 235 ट्रिलियन डॉलर था।
हालांकि सूचीबद्ध नहीं होने के बावजूद आधिकारिक रूप से डिफॉल्ट देशों में लेबनान, रूस, श्रीलंका, सूरीनाम और जाम्बिया में संप्रभु ऋण के सबसे खराब मामले हैं। अर्जेंटीना, घाना, पाकिस्तान और अल सल्वाडोर भी इसी कगार पर हो सकते हैं।
आईएमएफ का अनुमान है कि कम आय वाले 15 प्रतिशत देश ऋण संकट में हैं और पुनर्गठित पुनर्भुगतान योजनाओं के माध्यम से अपने दायित्वों को हल करने में उनकी मदद करने के लिए फंड और चीन जैसे पश्चिमी समर्थित बहुपक्षीय उधारदाताओं के बीच गतिरोध है, जो विकासशील देशों को एक शीर्ष द्विपक्षीय ऋणदाता है।
जी 20 के वित्त मंत्रियों और बैंक प्रमुखों की दूसरी बैठक ने गतिरोध समाप्त करने के प्रयासों को नए सिरे से गति प्रदान की।
सीतारमण ने पांच अन्य मुद्दों पर भी प्रगति पर संतोष व्यक्त किया, जिन्हें जी20 की अध्यक्षता संभालने के बाद से भारत प्राथमिकता दे रहा है। बहुपक्षीय विकास बैंकों में सुधार एक ऐसा मुद्दा है, जिस पर भारत ने अपनी अध्यक्षता के दौरान ध्यान केंद्रित रहा है।
वित्तमंत्री सीतारमण ने कहा कि जलवायु वित्त पर चर्चा भी सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रही है। न केवल वर्तमान प्रवाह, बल्कि वर्तमान जलवायु चुनौतियों का सामना करने के लिए भी।
उन्होंने कहा कि कम विकसित अर्थव्यवस्थाओं की मदद के लिए एक ग्रीन फंड स्थापित करने के लिए उन्नत देश अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में विफल रहे हैं। इसलिए ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए लक्ष्य तक पहुंचना मुश्किल होता जा रहा है।
मंत्री ने कहा हमने वैश्विक वित्तीय समावेशन बेंगलुरु में चर्चा की है और हम यहां भी चर्चा कर रहे हैं। डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्च र का लाभ उठाना एक ऐसा विषय है, जिसमें हर देश ने गहरी रुचि ली है, और लोग प्रौद्योगिकी के उपयोग के माध्यम से विकास पर विचार कर रहे हैं।
सीतारमण ने कहा पांचवां मुद्दा अंतरराष्ट्रीय कराधान का है। यह अमेजॅन जैसी ई-कंपनियों पर कर लगाने के बारे में है, जो एक भौगोलिक स्थान पर आधारित हैं लेकिन दुनिया भर में कारोबार करती है। (आईएएनएस)
नोएडा, 14 अप्रैल | ड्राई फ्रूट्स के ऑनलाइन कारोबार का लालच देकर 1.68 करोड़ की ठगी करने वाले जालसाज को गुरुवार की दोपहर साइबर थाना पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। आरोपी दो साल से पुलिस को चकमा दे रहा था। आरोपी के खिलाफ कई लोगों ने ठगी का मामला दर्ज कराया था। साइबर थाना प्रभारी रीता यादव ने बताया कि जालसाज दुर्गा प्रसाद मिश्रा, निवासी निंदौर थाना परशुरामपुर बस्ती तीसरी कक्षा पास है। वह फेसबुक के जरिए लोगों से कनाडा की तारों फर्मास्यूटिकल इंडस्ट्रीज लिमिटेड कंपनी का मध्यस्थ बनकर संपर्क करता था और उन्हें ड्राई फ्रूट्स के ऑनलाइन व्यापार का प्रलोभन देता था। उसके खिलाफ वर्ष 2021 में महिला समेत कई लोगों ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस के अनुसार आरोपी ने वर्ष 2018 में डीपी इंटरप्राइजेज के नाम पर एक कंपनी अंकलेश्वर, भरूच, गुजरात में सचिव उर्फ लल्लन पांडेय और संतोष तिवारी के साथ मिलकर खाता खोला था। इसके लिए उसे 50 हजार रुपए कमीशन दिया था। साइबर थाना पुलिस ने जालसाज के खातों में करीब 30 लाख रुपए फ्रीज कराए हैं। यह पैसा उसने ठगी कर कमाया था। पुलिस ने आरोपी का मोबाइल भी बरामद कर लिया है। (आईएएनएस
पालघर (महाराष्ट्र), 14 अप्रैल | अंबेडकर जयंती समारोह के बाद घर लौट रहे दो लोगों की करंट लगने से मौत हो गई और चार अन्य घायल हो गए। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। हादसा विरार शहर के कारगिल नगर इलाके में गुरुवार रात करीब 11 बजे हुआ। अंबेडकर जंयती के उपलक्ष्य में गुरुवार को बौद्धजन पंचायत समिति व अन्य जत्थों की ओर से जुलूस निकाला जा रहा था।
जुलूस में शामिल वाहन के ऊपर एक लोहे की छड़ से विद्युत तार का स्पर्श हो गया। इसके परिणामस्वरूप बिजली के झटके लगे।
हादसे में 23 वर्षीय सुमित सुत और 30 वर्षीय रूपेश सुर्वे ने तुरंत दम तोड़ दिया, अन्य को मुंबई के नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, जहां दो लोगों की हालत गंभीर बताई जा रही है।
पालघर पुलिस इस घटना की जांच कर रही है। (आईएएनएस)
लखनऊ, 14 अप्रैल | उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में पुलिस लाइन्स के गेट के बाहर एक पुलिस सब-इंस्पेक्टर की पत्नी और बेटी को परेशान करने के आरोप में पुलिस ने कम से कम 20 युवकों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। आरोपियों को पकड़ने के लिए छह टीमों को लगाया गया है।
एसएचओ कोतवाली संजय मौर्य ने बताया, ''महिला और उसकी 15 वर्षीय बेटी बुधवार रात बाजार से सब्जी खरीदकर लौट रही थीं। तभी 10-12 युवकों ने अश्लील हरकत की। जब मां-बेटी ने शोर मचाया तो उन्होंने उनका यौन उत्पीड़न किया।
बाद में सिपाही की पत्नी ने घटना की जानकारी अपने परिजनों को दी, जो मौके पर पहुंचे।
मौर्य ने प्राथमिकी का हवाला देते हुए कहा कि जब परिवार के लोगों ने युवकों का विरोध किया तो उन्होंने उन्हें भी गाली देनी शुरू कर दी।
हंगामे को देख पुलिस टीम मौके पर पहुंची तो आरोपी फरार हो गए।
मौर्य ने कहा कि सीसीटीवी फुटेज और सूचना के आधार पर आरोपियों की पहचान सलमान, प्रियम जैन, येइया, बिस्वा, राघव अग्रवाल, विकास कुमार, विवेक कुमार, दुर्गेश सिंह और 10-12 अज्ञात लोगों के खिलाफ पोक्सो एक्ट, आईपीसी की धारा 354 और धाराओं में मामले दर्ज किए गए है।
मौर्य ने कहा, हमने आरोपियों की तलाश शुरू कर दी है और जल्द ही गिरफ्तारियां की जाएंगी। (आईएएनएस)
लखनऊ, 14 अप्रैल | लखनऊ पुलिस ने शव के पास मिली नींद की दवा के स्ट्रिप की मदद से एक युवती की हत्या की गुत्थी सुलझा ली है। सायरपुर थाना क्षेत्र के सरौना गांव में गुरुवार को एक खाली प्लॉट पर युवती की जली हुई लाश मिली थी।
गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान मदीगंज थाना क्षेत्र के अलीनगर खदरा इलाके के 21 वर्षीय अरशद और हरदोई जिले के 19 वर्षीय मोहम्मद आवेश के रूप में हुई है।
पूछताछ में दोनों ने जुर्म कबूल कर लिया है।
पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) उत्तर, कासिम आबिदी के अनुसार, घटना स्थल पर नींद की दवा का एक स्ट्रिप मिला था।
पुलिस ने नींद की दवा बेचने वाले दुकानदारों से संपर्क किया तो मुख्य आरोपी के बारे में सुराग मिला।
अधिकारी ने बताया कि इस बीच, एक अन्य पुलिस दल के हाथ एक सीसीटीवी फुटेज लगा, जिसमें दो युवक एक महिला के साथ ई-रिक्शा पर बैठकर सरौना गांव की ओर जा रहे थे। फुटेज में मौजूद व्यक्ति की पहचान एक मेडिकल स्टोर के मालिक ने कर दी।
युवकों के उसी समूह का एक और सीसीटीवी फुटेज सामने आया, जब वे सरौना गांव से लौट रहे थे। लेकिन इसमें महिला गायब थी।
बाद में पुलिस ने अरशद का पता लगाया और उसने महिला की पहचान 20 वर्षीय सबा खान के रूप में की। सबा उसके साथ गुडंबा के आदिलनगर में लिव-इन पार्टनर के रूप में रहता था।
आबिदी ने कहा कि सबा अरशद पर उससे शादी करने का दबाव बना रही थी जबकि अरशद के माता-पिता के मना करने के कारण वह तैयार नहीं था।
इसके बाद, उसने उसे मारने की योजना बनाई और सरौना गांव के रास्ते में उसे ढेर सारी नींद की गोलियां खिला दीं जिससे वह बेहोश हो गई। अरशद ने अपने सहयोगी मोहम्मद आवेश की मदद से उसकी हत्या कर दी और उसके शरीर को लाइटर से जला दिया। (आईएएनएस)
सिंगापुर, 14 अप्रैल | सिंगापुर के चांगी जेल में 2012 में अपनी मां की हत्या के लिए उम्रकैद की सजा काट रहे भारतीय मूल के 41 वर्षीय एक व्यक्ति की सिंगापुर के चांगी जेल में मौत हो गई। द स्ट्रेट्स टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, सुजय सोलोमन सदरसन ने अपनी 56 वर्षीय मां का गला काटकर हत्या कर दी थी। उसे 11 अगस्त, 2015 को दोषी ठहराया गया था। 8 सितंबर, 2022 को सेप्टीसीमिया के कारण बहु-अंग विफलता से उसकी मौत हो गई। राज्य कोरोनर एडम नखोदा ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि सदरसन सिजोफ्रेनिया का मरीज था। विटामिन बी 12 की कमी थी और तंत्रिका हानि के कारण शरीर में समन्वय नहीं था।
कमजोरी की शिकायत के बाद 5 सितंबर, 2022 को सदरसन को एक डॉक्टर ने देखा। डॉक्टर के अनुसार, उस दिन उसे तीन बार उल्टी हुई, उसे बोलने में और निगलने में कठिनाई हो रही थी।
उसे 6 सितंबर, 2022 को चांगी जनरल अस्पताल में भर्ती कराया गया और दो दिन बाद उसकी मृत्यु हो गई।
सदरसन ने न्यायालय में मुकदमे के दौरान दावा किया था कि उसकी मां, मल्लिका जेसुदासन ने पैसे के लिए उसके अनुरोध को खारिज करने के बाद उसके अपार्टमेंट में उसके बाल पकड़ लिए, उसे खरोंच दिया और उसके कपड़े उतारने की कोशिश की।
सदरसन ने पुलिस को बताया कि उसने आत्मरक्षा में अपनी मां की गर्दन पर चाकू घोंप दिया।
जब उसके शव को जलाने की उसकी कोशिश नाकाम रही, तो उसने उसे अपने बिस्तर के नीचे छिपा दिया और फ्लैट की सफाई की। (आईएएनएस)
बेंगलुरु, 14 अप्रैल | विधानसभा चुनावों के लिए उम्मीदवारों की दो सूचियों के साथ कई टिकट उम्मीदवारों के निराश होने से, राष्ट्रीय दलों को कर्नाटक में बड़े पैमाने पर विद्रोह का सामना करना पड़ रहा है। कांग्रेस और भाजपा आग बुझाने में लगे हुए हैं, जनता दल (सेक्युलर) इस विद्रोह से फायदा उठाने को तैयार है।
जद (एस) अपनी दूसरी सूची में दोनों पार्टियों से टिकट गंवाने वाले बागी उम्मीदवारों को शामिल करने के लिए पूरी तरह तैयार है। पार्टी दिसंबर, 2022 में राष्ट्रीय दलों से पहले 93 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर चुकी है।
सूत्रों के मुताबिक, पार्टी शुक्रवार को अपनी दूसरी सूची जारी कर रही है और राष्ट्रीय दलों के बागियों को समायोजित करने के लिए पहली सूची में आवंटित टिकटों में भी बदलाव कर सकती है।
अभी 131 उम्मीदवारों की घोषणा होनी बाकी है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रीय पार्टियों के घटनाक्रम राज्य भर में जद (एस) को मजबूत करने जा रहे हैं।
सूत्रों ने बताया कि जद (एस) के नेता भाजपा के गढ़ माने जाने वाले उत्तर कर्नाटक क्षेत्र के नेताओं के पार्टी में शामिल होने से बहुत खुश हैं। पार्टी किंग मेकर बनने के मिशन के करीब पहुंच गई है। उसे पहले 30 से 35 सीटें जीतने की उम्मीद थी और अब पार्टी को 40 से ज्यादा सीटों पर जीत का भरोसा है।
जद (एस) के वरिष्ठ नेता वाई.ए.एस.वी. दत्ता जो चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल हो गए थे, अब पार्टी में वापस आ गए हैं। कांग्रेस ने उन्हें कडूर सीट से टिकट नहीं दिया था। पार्टी ने पहले ही अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी थी, लेकिन उन्हें टिकट आवंटित किया गया है।
भाजपा की वरिष्ठ नेता ए.मंजू के जद (एस) के टिकट पर अरकलागुडु निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने की संभावना है। हनागल सीट से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनोहर तहसीलदार, जेवरगी से भाजपा के डोड्डप्पा गौड़ा पाटिल, कांग्रेस पार्टी से रघु अचार जद (एस) के टिकट पर चित्रदुर्ग से चुनाव लड़ेंगे।
बसवकल्याण से मल्लिकार्जुन खुबा (भाजपा), हुबली-धारवाड़ पूर्व सीट से भाजपा के वीरभद्रप्पा हलहरवी, मोलाकलमुरु से कांग्रेस के योगेश बाबू, हलियाल निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस के श्रीकांत घोटनेकर के भी जद (एस) से चुनाव लड़ने की संभावना है।
जद (एस) के हासन निर्वाचन क्षेत्र के लिए एक उम्मीदवार की घोषणा करने की भी संभावना है, जिसके परिणामस्वरूप पारिवारिक कलह हुई है। (आईएएनएस)
चंडीगढ़, 14 अप्रैल | पंजाब और हरियाणा के गुरुद्वारों में शुक्रवार को बैसाखी मनाने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी, जो सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह द्वारा खालसा पंथ (सिख आदेश) के स्थापना दिवस के रूप में मनाए जाने वाले सबसे बड़े त्योहारों में से एक है। साथ ही यह फसल के मौसम की शुरूआत का प्रतीक है।
सिख धर्म के सबसे पवित्र धार्मिक स्थलों में से एक, अमृतसर के स्वर्ण मंदिर को शानदार ढंग से सजाया गया था और प्रार्थना करने के लिए भारी भीड़ देखी गई।
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एलजेपीसी), जो पंजाब, हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ में गुरुद्वारों का प्रबंधन करती है, ने भीड़ को प्रबंधित करने के लिए टास्क फोर्स के कर्मचारियों को तैनात किया है।
एक पुलिस अधिकारी ने आईएएनएस को बताया कि भीड़भाड़ को रोकने के लिए स्वर्ण मंदिर की ओर जाने वाली सभी सड़कों पर बैरिकेड्स लगा दिए गए हैं।
पवित्र शहर आनंदपुर साहिब में तख्त केसगढ़ साहिब में भी श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा, जहां 1699 में खालसा पंथ की स्थापना हुई थी।
इस सप्ताह तीर्थयात्रियों का एक जत्था खालसा सजना दिवस (बैसाखी) को चिन्हित करने के लिए आयोजित होने वाली धार्मिक सभा में भाग लेने के लिए पाकिस्तान में गुरुद्वारा श्री पंजा साहिब के लिए रवाना हुआ।
पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित और मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बैसाखी और खालसा पंथ के सजना दिवस की बधाई दी।
एक मैसेज में पुरोहित ने कहा कि बैसाखी का विविध महत्व है। यह रबी की फसल के पकने का प्रतीक है, किसानों के लिए अपनी मेहनत का फल इकट्ठा करने के लिए बहुत खुशी का समय है।
राज्यपाल ने कहा कि इस शुभ अवसर का सिख धर्म के गौरवशाली इतिहास में विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन गुरु गोबिंद सिंह ने मुगलों के अत्याचार के खिलाफ लड़ने और मानवीय और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को संरक्षित करने के लिए 'ऑर्डर ऑफ खालसा' की स्थापना की थी।
उन्होंने कहा, यह दिन हमारे स्वतंत्रता आंदोलन में मील का पत्थर भी है। 1919 में स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए अमृतसर के जलियांवाला बाग में कई ज्ञात और अज्ञात शहीदों ने अपने प्राणों की आहूति दी थी। इस नरसंहार ने स्वतंत्रता आंदोलन को एक महान गति प्रदान की। (आईएएनएस)
चिकमगलुरु (कर्नाटक), 14 अप्रैल | कर्नाटक के चिकमगलुरु जिले के मुदिगेरे शहर में पुलिस थाने की इमारत से छलांग लगाने का प्रयास करने वाली एक महिला की पुलिस ने जान बचायी। सूत्रों के मुताबिक, घटना मुदिगेरे थाने में हुई। पुलिस ने महिला को हिरासत में ले लिया है।
हले मुदिगेरे गांव की निवासी शिल्पा के खिलाफ 2022 में मुदिगेरे थाने में बहन से विवाद को लेकर शिकायत दर्ज कराई गई थी।
उस पर थाने की महिला स्टाफ से मारपीट का भी आरोप है।
अदालत ने उन्हें कार्यवाही में शामिल नहीं होने के लिए समन जारी किया, जिसके बाद उस समन को लेकर शिल्पा थाने आई और इमारत पर चढ़कर कूदकर जान देने की धमकी देने लगी।
पुलिस कर्मचारियों ने उसका ध्यान हटाने में कामयाबी हासिल की और उसे पकड़ लिया और उसके प्रयास को विफल कर दिया।
इस घटना की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए हैं।
मामले में जांच चल रही है। (आईएएनएस)
हैदराबाद, 14 अप्रैल | तेलंगाना स्टेट मेडिकल काउंसिल ने मरीज के बाएं पैर की बजाय दाहिने पैर का ऑपरेशन करने के लिए एक प्राइवेट डॉक्टर का लाइसेंस छह महीने के लिए सस्पेंड कर दिया। काउंसिल ने हैदराबाद के हड्डी रोग विशेषज्ञ करण एम. पाटिल का लाइसेंस निलंबित कर दिया। उन्होंने एक मरीज के बाएं पैर की जगह उसके दाएं पैर का ऑपरेशन किया था, जब डॉक्टर को अपनी गलती का एहसास हुआ तो, उसने बाएं पैर का ऑपरेशन किया।
पीड़ित ने इसकी शिकायत जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (डीएमएचओ) से की थी। जांच के बाद मेडिकल काउंसिल ने डॉक्टर को लापरवाही का दोषी पाया। काउंसिल के अध्यक्ष वी. राजलिंगम द्वारा गुरुवार को डॉक्टर का लाइसेंस छह महीने के लिए निलंबित करने का आदेश जारी किया गया।
एक अन्य मामले में, काउंसिल ने मनचेरियल जिले के एक प्राइवेट डॉक्टर का लाइसेंस तीन महीने के लिए निलंबित कर दिया।
बताया जा रहा है कि डॉक्टर पर आरोप है कि उसने डेंगू के मरीज को बेहतर अस्पताल में रेफर नहीं किया, जिससे उसकी मौत हो गई। मरीज के परिजनों ने जिलाधिकारी से शिकायत की थी कि डॉक्टर श्रीकांत ने मरीज को बेहतर सुविधा वाले अस्पताल में समय पर रेफर नहीं किया और देरी के कारण मरीज की मौत हो गई।
जिला कलेक्टर की रिपोर्ट के आधार पर मेडिकल काउंसिल ने जांच की और तीन महीने के लिए डॉक्टर का लाइसेंस निलंबित करने का आदेश दिया।
दोनों डॉक्टरों को अपने प्रमाण पत्र परिषद को सौंपने को कहा गया। हालांकि, डॉक्टर 60 दिनों में निलंबन के खिलाफ अपील दायर कर सकते हैं। (आईएएनएस)
न्यूयॉर्क, 14 अप्रैल | अमेरिका के पेंसिलवेनिया में एक सिख मंदिर के 64 वर्षीय पुजारी को सात साल तक एक लड़की (जब वह पांच वर्ष की थी) को कथित तौर पर यौन उत्पीड़न करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। एक मीडिया रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। डेलावेयर स्थित डेली टाइम्स अखबार ने बताया कि डेलावेयर काउंटी में ड्रेक्सेल हिल के बलविंदर सिंह पर हाल ही में एक नाबालिग के साथ गैरकानूनी संपर्क, 13 साल से कम उम्र के नाबालिग से अभद्र व्यवहार और बच्चों के कल्याण को खतरे में डालने का आरोप लगाया गया था।
अपर डार्बी के विशेष जांच जासूस केविन कन्नप द्वारा लिखे गए एक हलफनामे के अनुसार, पीड़िता, जो अब एक वयस्क है, उसने इस साल 24 जनवरी को 'न्याय पाने' के इरादे से पुलिस मुख्यालय को कथित हमले की सूचना दी थी।
एक दर्ज बयान में, उसने कहा कि हमले तब शुरू हुए जब वह मंदिर में धार्मिक भजनों की कक्षाओं में भाग लेने गई थी।
लड़की ने कहा कि जनवरी 2014 में, जब वह 12 वर्ष की थी, तब उसने कथित हमले के बारे में स्कूल स्टाफ से बात की थी।
उसने डेलावेयर काउंटी क्रिमिनल इन्वेस्टिगेशन डिवीजन के एक जासूस को एक रिकॉर्डेड बयान भी दिया, लेकिन जांच आगे नहीं बढ़ी क्योंकि उसके परिवार का मंदिर और सिंह के साथ समझौता हो गया था।
हलफनामे में कहा गया कि समझौते के अनुसार, सिंह का लड़की के साथ कोई और संपर्क नहीं होगा और पीड़ित परिवार आपराधिक आरोपों के साथ आगे नहीं बढ़ेगा।
डेली टाइम्स ने कहा कि बचाव पक्ष के वकील क्रिस बोग्स ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
अदालत के रिकॉर्ड के अनुसार, सिंह को पिछले हफ्ते मजिस्ट्रियल डिस्ट्रिक्ट जज एंड्रयू गोल्डबर्ग के समक्ष पेश किया गया था, जिन्होंने 100,000 डॉलर के 10 प्रतिशत पर जमानत दी थी, जिसे उसी दिन पोस्ट किया गया था।
वह 20 अप्रैल को गोल्डबर्ग के सामने प्रारंभिक सुनवाई के लिए निर्धारित है। (आईएएनएस)
मुंबई, 13 अप्रैल बंबई उच्च न्यायालय ने कहा है कि किसी तलाकशुदा महिला को इस आधार पर बच्चा गोद लेने की अनुमति न देना कि वह कामकाजी होने की वजह से बच्चे पर व्यक्तिगत रूप से पर्याप्त ध्यान नहीं दे पाएगी, ‘मध्यकालीन रूढ़िवादी मानसिकता’ को दर्शाता है।
मंगलवार को पारित आदेश में उच्च न्यायालय ने 47 साल की एक तलाकशुदा महिला को उसकी चार साल की भांजी को गोद लेने की इजाजत दे दी।
न्यायमूर्ति गौरी गोडसे की एकल पीठ ने अपने आदेश में कहा कि एकल अभिभावक (सिंगल पेरेंट) कामकाजी होने के लिए बाध्य है। उन्होंने कहा कि किसी एकल अभिभावक को इस आधार पर बच्चों को गोद लेने के लिए अनुपयुक्त नहीं माना जा सकता कि वह कामकाजी है।
उच्च न्यायालय ने पेशे से शिक्षिका शबनमजहां अंसारी की याचिका पर यह आदेश पारित किया। अंसारी ने भूसावल (महाराष्ट्र) की एक दीवानी अदालत के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी, जिसने मार्च 2022 में एक नाबालिग बच्ची को गोद लेने की उसकी (अंसारी की) अर्जी इस आधार पर खारिज कर दी थी कि वह तलाशुदा और कामकाजी महिला है।
अंसारी ने अपनी बहन की बेटी को गोद लेने की इच्छा जाहिर की थी।
दीवानी अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि चूंकि, अंसारी एक कामकाजी महिला होने के साथ-साथ तलाकशुदा है, इसलिए वह बच्ची पर व्यक्तिगत रूप से ध्यान नहीं दे पाएगी और बच्ची का उसके जैविक माता-पिता के साथ रहना ज्यादा उपयुक्त है।
दीवानी अदालत के खिलाफ उच्च न्यायालय में दायर याचिका में अंसारी ने कहा था कि निचली अदालत का इस तरह का दृष्टिकोण विकृत और अन्यायपूर्ण है।
उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि अंसारी का अनुरोध ठुकराने के लिए निचली अदालत द्वारा दिया गया कारण ‘व्यर्थ और बेबुनियाद’ है।
न्यायमूर्ति गोडसे ने कहा, “निचली अदालत द्वारा की गई यह तुलना कि बच्ची की जैविक मां गृहणी है और गोद लेने की अर्जी देने वाली संभावित दत्तक मां (अकेली अभिभावक) कामकाजी है, परिवारों को लेकर मध्यकालीन रूढ़िवादी मानसिकता को दर्शाती है।”
पीठ ने कहा कि जब कानून एकल माता-पिता को दत्तक माता-पिता होने के योग्य मानता है, तो निचली अदालत का ऐसा दृष्टिकोण कानून के मूल उद्देश्य को ही विफल कर देता है। (भाषा)
सुलतानपुर (उप्र) 13 अप्रैल उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर जिले के हलियापुर थाना क्षेत्र के रामपुर बबुआन में बृहस्पतिवार की सुबह एक प्रेमी ने प्रेमिका की गोली मार कर हत्या कर दी और इसके बाद खुद को भी गोली मारकर आत्महत्या कर ली। पुलिस ने इसकी जानकारी दी।
हलियापुर के थाना प्रभारी आर पी सरोज ने बताया कि गांव वालों के अनुसार थाना क्षेत्र के रामपुर बबुआन निवासी नागेन्द्र (26) का उसी गांव की रहने वाली युवती (20) के साथ करीब एक साल से प्रेम प्रसंग चल रहा था।
उन्होंने बताया कि बृहस्पतिवार की सुबह लगभग सवा दस बजे नागेन्द्र ने प्रेमिका को तमंचे से गोली मार दी और इसके बाद स्वयं को भी गोली मार ली।
उन्होंने बताया कि गोली लगने से दोनों की मौत हो गयी।
थाना प्रभारी ने बताया कि मरने वाली युवती गांव में अकेली रहती थी और उसके माता-पिता दोनों की मौत हो चुकी है। उन्होंने बताया कि युवती का एक भाई है जो बाहर रह कर नौकरी करता है और एक बहन है जिसका विवाह हो चुका है।
उन्होंने बताया कि दोनों मृतकों के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है और विधिक कार्रवाई की जा रही है। (भाषा)
नयी दिल्ली, 13 अप्रैल कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि ‘सूट-बूट की सरकार’ का एकमात्र लक्ष्य ‘मित्रों’ की तिजोरी भरना है।
उन्होंने एक सर्वेक्षण रिपोर्ट का हवाला देते हुए यह ट्वीट किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2016-21 के दौरान गरीबों की आमदनी घटती चली गई और अमीरों की आमदनी बढ़ गई।
राहुल गांधी ने कहा, ‘‘ग़रीब वर्ग की आमदनी 50 प्रतिशत घटी, मध्यम वर्ग की आमदनी 10 प्रतिशत तक गिरी, अमीर वर्ग की आमदनी 40 प्रतिशत तक बढ़ी। चाहे जनता को महंगाई, बेरोज़गारी कितना भी तड़पाए, ‘सूट-बूट सरकार’ का एक ही लक्ष्य - ‘मित्रों’ की तिजोरी भरती जाए।’’
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक ट्वीट में दावा किया, ‘‘2014-15 से 2021-22 के बीच प्रति वर्ष वास्तविक मजदूरी की वृद्धि दर : 0.9 प्रतिशत - खेत मजदूर, 0.2 प्रतिशत - निर्माण श्रमिक, 0.3 प्रतिशत - गैर-कृषि श्रमिक। लेकिन पिछले सिर्फ 5 साल में अडाणी की संपत्ति 1440 प्रतिशत बढ़ी। मित्र का साथ, मित्र का विकास!’’ (भाषा)