राष्ट्रीय
पटना, 17 अप्रैल | बिहार के एक विशेष कार्यबल (एसटीएफ) ने भोजपुर जिले के आरा रेलवे स्टेशन पर दो हथियारबंद तस्करों को गिरफ्तार किया है। उनके पास से भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद भी बरामद हुए हैं। एक अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी। आरोपियों की पहचान उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के मईल थाना क्षेत्र स्थित देहरी गांव निवासी हरे राम और रायबरेली जिले के चांदपुर गांव निवासी सुमित सिंह के रूप में हुई है।
वे रविवार को नई दिल्ली-राजगीर श्रमजीवी एक्सप्रेस के एसी कोच नंबर बी1 में सफर कर रहे थे। अधिकारी ने कहा कि उन्हें श्रमजीवी एक्सप्रेस में यात्रा कर रहे दो तस्करों के बारे में खुफिया सूचना मिली थी। ट्रेन जब आरा रेलवे स्टेशन पहुंची तो एसटीएफ के जवानों ने एसी कोचों की गहन तलाशी ली। उन्हें एक बैग में 200 जिंदा कारतूस, वेब्ले एंड स्कॉट कंपनी के दो नियमित रिवाल्वर, एक पिस्तौल और दो मोबाइल फोन मिले।
पूछताछ के दौरान, आरोपियों ने दावा किया कि वे नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर सवार हुए थे और उन्हें भोजपुर जिले के बिहिया उपमंडल में हथियार और गोला-बारूद पहुंचाना था। आरोपी ने हथियारों की खेप हरियाणा के झज्जर जिले के बहादुरगढ़ कस्बे में एक व्यक्ति से प्राप्त की थी। (आईएएनएस)
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में मीडिया के सामने अतीक अहमद और उसके भाई की हत्या के बाद बिहार पुलिस और एसटीएफ अलर्ट मोड पर है। वे उत्तर प्रदेश से आने वाली हर ट्रेन की सघन जांच कर रहे हैं।
अदन (यमन), 17 अप्रैल | यमन के हौथी विद्रोहियों ने देश की सरकार के साथ एक नया कैदी अदला-बदली समझौता किया है, जिसके चलते देश में चल रहे संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान की उम्मीद जगी है। यह कदम ईरान समर्थित हौथियों और सऊदी समर्थित यमनी सरकार द्वारा कैदियों की अदला-बदली को सफलतापूर्वक पूरा करने के कुछ घंटों बाद आया है, जिसमें दोनों पक्षों के 887 कैदियों और बंदियों को रिहा कर दिया गया था।
कैदियों के मामलों के लिए हौथी समिति के प्रमुख अब्दुल-कादर अल-मोतार्दा ने रविवार को सना की हौथिस-नियंत्रित यमनी राजधानी में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, एक आगामी सौदे में विरोधी पक्ष के 700 कैदियों के बदले में 700 बंदियों की रिहाई शामिल होगी।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, हौथी अधिकारी ने आदान-प्रदान के समय और यमनी सरकार के साथ समझौते पर हस्ताक्षर करने के बारे में विवरण नहीं दिया।
अब तक, यमनी सरकार और रेड क्रॉस की अंतर्राष्ट्रीय समिति (आईसीआरसी) दोनों, जो हाल ही में समाप्त स्वैप सौदे में सहमति के अनुसार बंदियों के परिवहन के लिए जिम्मेदार थे, ने हौथी घोषणा पर कोई टिप्पणी नहीं की है।
यमन में लंबे समय से चल रहे संघर्ष को हल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम में, यमनी सरकारी बलों और हौथी विद्रोहियों ने पहले ही दिन कैदियों की तीन दिवसीय अदला-बदली सफलतापूर्वक पूरी कर ली।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त यमनी सरकार की वार्ता समिति के प्रमुख याहया काजमैन ने कहा कि स्वैप का तीसरा और आखिरी बैच रविवार को सना के हवाई अड्डे पर तीन रेड क्रॉस उड़ानों के आगमन और मध्य यमन के मारिब में तदवीन के हवाई अड्डे के साथ सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
पिछले तीन दिनों में, आईसीआरसी और यूएन ने उड़ानों के माध्यम से यमनी क्षेत्रों और सऊदी अरब के बीच सैकड़ों कैदियों के परिवहन की सुविधा प्रदान की है।
रिहा किए गए लोगों में यमनी के पूर्व राष्ट्रपति अब्द-रब्बू मंसूर हादी के भाई नासिर मंसूर हादी और देश के पूर्व रक्षा मंत्री महमूद अल सुबेही शामिल हैं।
कैदियों की अदला-बदली यमनी सरकारी बलों और हौथी मिलिशिया के बीच विश्वास पैदा करने के उद्देश्य से चल रहे प्रयासों के हिस्से के रूप में आती है, जो 2014 के अंत से एक क्रूर आंतरिक संघर्ष में लगे हुए हैं।
इसे व्यापक रूप से एक स्थायी शांति प्राप्त करने के उद्देश्य से आगामी वार्ताओं के लिए दोनों पक्षों की प्रतिबद्धता के लिए अनुकूल परिस्थितियों को तैयार करने और प्रदर्शित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जाता है।
स्थानीय पर्यवेक्षकों ने कहा कि तीन दिवसीय कैदी की अदला-बदली ने आगे के सौदों की उम्मीद जगाई है जो संभावित रूप से दो युद्धरत पक्षों द्वारा आयोजित सभी बंदियों की रिहाई का कारण बन सकता है।
हौथी मिलिशिया द्वारा कई उत्तरी शहरों पर नियंत्रण करने और 2014 में सना से यमनी सरकार को बाहर करने के बाद यमन वर्षों से चल रहे सैन्य संघर्ष में उलझा हुआ है।
चल रहे संघर्ष के चलते बड़ी संख्या में लोग हताहत हुए हैं और व्यापक अकाल समेत अरब दुनिया के सबसे गरीब देश को मानवीय संकट में डाल दिया है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 17 अप्रैल | केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि भारत में सोमवार को बीते 24 घंटों के दौरान कोविड-19 के 9,111 नए मामले दर्ज किए गए। ये मामले रविवार को दर्ज 10,093 के मुकाबले थोड़े कम हैं। वर्तमान में सक्रिय मामले 60,313 हैं। रिकवरी रेट 98.68 फीसदी है।
डेली पॉजिटिविटी रेट 8.40 प्रतिशत और वीकली पॉजिटिविटी रेट 4.94 प्रतिशत है।
देश में महामारी से कुल ठीक होने वालों की मरीजों की संख्या 4,42,35,772 है।
अब तक 92.41 करोड़ टेस्ट किए जा चुके हैं। इसमें पिछले 24 घंटों में किए गए 1,08,436 टेस्ट शामिल हैं।
राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान के तहत अब तक 220.66 करोड़ वैक्सीन की डोज (95.21 करोड़ सेकंड डोज और 22.87 करोड़ प्रिकॉशन डोज) दी जा चुकी है। (आईएएनएस)|
आजमगढ़, 16 अप्रैल उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में कप्तानगंज थाना क्षेत्र के एक गांव में रविवार को एक युवक ने अपने अपने माता-पिता और बहन की कथित रूप से हत्या कर दी।
आजमगढ़ के पुलिस अधीक्षक (एसपी) अनुराग आर्य ने बताया कि कप्तानगंज थाना क्षेत्र के धनधारी गांव में भानु प्रताप सिंह उर्फ पप्पू सिंह ने अपने बेटे राजन सिंह को दो दिन पूर्व किसी बात को लेकर डांटा था, जिससे वह उनसे नाराज हो गया था।
आर्य ने बताया कि शनिवार रात को परिवार के सभी सदस्य भोजन कर सो गये, तभी देर रात राजन सिंह ने कुल्हाड़ी से प्रहार कर अपने पिता भानु प्रताप सिंह (45), मां सुनीता सिंह (42) और 13 वर्षीय बहन राखी सिंह की निर्मम हत्या कर दी। उनके अनुसार सुबह घटना ग्रामीणों ने इस घटना की सूचना पुलिस को दी।
तिहरे हत्याकांड की जानकारी के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया। पुलिस महानिरीक्षक और पुलिस अधीक्षक सहित आला अधिकारी खोजी कुत्ता व फोरेंसिक टीम के साथ मौके पर पहुंचे। पुलिस ने तीनों शवों को कब्जे ले लिया और घटना की छानबीन में जुट गई है।
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि आरोपी राजन सिंह फरार हो गया है जिसकी तलाश में पुलिस की टीम जुटी हुई हैं। (भाषा)
ठाणे, 16 अप्रैल महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक अदालत ने 48 वर्षीय एक व्यक्ति को अपनी नाबालिग बेटी से दुष्कर्म के जुर्म में कठोर आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
अदालत ने कहा कि मामले में 'अनावश्यक' या 'अनुचित सहानुभूति' दिखाने की जरूरत नहीं है।
अदालत ने 11 अप्रैल को अपने आदेश में कहा, "ऐसे मामले आजकल बढ़ रहे हैं और इससे निपटने के लिए सजा के एक निवारक सिद्धांत का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।"
अदालत के आदेश की एक प्रति शनिवार को उपलब्ध कराई गई।
यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम से संबंधित मामलों की सुनवाई कर रहे कल्याण के जिला एवं अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पी आर अष्टुरकर ने कहा, "आरोपी को आजीवन कठोर कारावास की सजा दी जाती है, जिसका मतलब है अब आरोपी अपना बचा हुआ जीवन कारावास में गुजारेगा।"
अदालत ने अभियुक्त पर 20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।
विशेष लोक अभियोजक कादंबिनी खंडागले ने अदालत को बताया कि ठाणे जिले के कल्याण शहर के अंबिवली के रहने वाले व्यक्ति की पत्नी तब मर गयी जब उसकी बेटी करीब दो साल की थी।
खंडागले के अनुसार तब अभियुक्त अपनी बेटी एवं बेटे के साथ मुंबई आ गया और वह करीब 2011 से अपनी बेटी के साथ दुष्कर्म करने लगा, 2011 में पीड़िता चार-पांच साल की थी।
उन्होंने बताया कि लड़की जब 10 वर्ष की हुई तब उसने नवंबर 2016 में पुलिस को इस अपराध के बारे में बताया । उन्होंने बताया कि उसके बाद आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया और उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
अदालत ने कहा कि पीड़िता अन्य सरकारी योजनाओं के अलावा आरोपी से मुआवजे की भी हकदार है।
न्यायाधीश ने यह भी निर्देश दिया कि पीड़िता को मुआवजे के अलावा जुर्माना राशि (यदि वसूल की जाती है) का भुगतान किया जाए। (भाषा)
हुब्बल्लि (कर्नाटक), 16 अप्रैल कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टर ने 10 मई को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा टिकट नहीं दिए जाने के बाद रविवार को राज्य विधानसभा से इस्तीफा दे दिया।
67 वर्षीय शेट्टर ने कहा कि वह भाजपा की सदस्यता से भी इस्तीफा देंगे।
शेट्टर उत्तर कन्नड़ जिले के सिरसी पहुंचे और विधानसभा अध्यक्ष विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी को अपना इस्तीफा सौंपा।
छह बार विधायक रहे शेट्टर 10 मई को होने वाले विधानसभा चुनाव में हुब्बालि-धारवाड़ मध्य सीट से भाजपा के टिकट पर किस्मत आजमाना चाहते थे, लेकिन पार्टी ने ऐसा करने से इनकार कर दिया।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई और केंद्रीय मंत्रियों प्रह्लाद जोशी एवं धर्मेंद्र प्रधान ने शनिवार देर रात तक शेट्टर को मनाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं माने और अपने रुख पर अड़े रहे। (भाषा)
नयी दिल्ली, 16 अप्रैल कांग्रेस ने रविवार को कहा कि देश के कानून के तहत अपराधियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए और न्यायिक प्रक्रिया से खिलवाड़ करने वालों तथा उन्हें संरक्षण देने वालों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
कांग्रेस ने यह टिप्पणी माफिया और पूर्व सांसद अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में गोली मारकर हत्या किए जाने के एक दिन बाद की है।
अतीक (60) और अशरफ की शनिवार रात तीन हमलावरों ने उस समय गोली मारकर हत्या कर दी थी, जब पुलिस दोनों को चिकित्सा जांच के लिए मेडिकल कॉलेज ले जा रही थी।
पत्रकारों की भेष में आए तीन हमलावरों ने अतीक और उसके भाई को उस समय बहुत करीब से गोली मार दी, जब वे मीडियाकर्मियों से बातचीत कर रह थे, जबकि उनके आसपास पुलिस कर्मियों का पहरा था।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक बयान में कहा कि देश का कानून संविधान में लिखा गया है और यह कानून सर्वोपरि है।
उन्होंने कहा, “अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए, लेकिन ऐसा देश के कानून के तहत किया जाना चाहिए। किसी भी सियासी मकसद से कानून के राज और न्यायिक प्रक्रिया से खिलवाड़ करना या उसका उल्लंघन करना हमारे लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।”
कांग्रेस नेता ने कहा, “जो भी ऐसा करता है, या ऐसे करने वालों को सरंक्षण देता है, उसे भी जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए और उस पर भी सख्ती से कानून लागू होना चाहिए।”
रमेश ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए सामूहिक प्रयास किया जाना चाहिए कि न्यायिक प्रणाली और कानून के शासन का हर समय अक्षरशः सम्मान हो।
इससे पहले, कांग्रेस महासचिव और पार्टी की उत्तर प्रदेश मामलों की प्रभारी प्रियंका गांधी वाद्रा ने मामले पर कांग्रेस का यही नजरिया ट्विटर पर साझा किया था।
अहमद और अशरफ को 2005 के उमेश पाल हत्याकांड के सिलसिले में सुनवाई के लिए प्रयागराज लाया गया था।
झांसी में 13 अप्रैल को अहमद का बेटा असद और उसका एक साथी पुलिस मुठभेड़ में मारे गए थे। असद का शव शनिवार सुबह प्रयागराज में कसारी मसारी कब्रिस्तान में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच दफनाया गया था। (भाषा)
प्रयागराज/लखनऊ, 16 अप्रैल गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद (60) और उसके भाई अशरफ की हत्या के मामले में पकड़े गए तीनों आरोपियों ने पूछताछ के दौरान पुलिस से कहा कि वे अतीक और अशरफ गिरोह का सफाया कर प्रदेश में अपनी पहचान बनाना चाहते थे। इस हत्याकांड के संबंध में दर्ज की गई प्राथमिकी में इस बात का उल्लेख है।
पुलिस ने बताया कि प्रयागराज के धूमनगंज थाना प्रभारी निरीक्षक (एसएचओ) राजेश कुमार मौर्य ने शाहगंज थाने में तीनों आरोपियों के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई है। अतीक अहमद और अशरफ की हत्या के मामले में लवलेश तिवारी (बांदा), मोहित उर्फ सनी (हमीरपुर) और अरुण मौर्य (कासगंज-एटा) के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।
इस हमले के दौरान गोलीबारी में लवलेश तिवारी को भी गोली लगी है और उसका अस्पताल में उपचार किया जा रहा है।
प्राथमिकी के अनुसार, पूछताछ के दौरान तीनों आरोपियों ने कहा, ‘‘हम अतीक और अशरफ गिरोह का सफाया कर प्रदेश में अपने नाम की पहचान बनाना चाहते थे, जिसका लाभ भविष्य में निश्चित रूप से मिलता। हम पुलिस के घेरे का अनुमान नहीं लगा पाए और हत्या करने के बाद भागने में सफल नहीं हो पाए। पुलिस की तेजी से की गई कार्रवाई में हम लोग पकड़े गये।’’
दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, आरोपियों ने कहा, ‘‘जब से हमें अतीक व अशरफ को पुलिस हिरासत में भेजे जाने की सूचना मिली थी, हम तभी से मीडियाकर्मी बनकर यहां की स्थानीय मीडिया की भीड़ में रहकर इन दोनों को मारने की फिराक में थे, किंतु सही समय और मौका नहीं मिल पाया। आज (शनिवार को) मौका मिलने पर हमने घटना को अंजाम दिया।’’
पुलिस की प्राथमिकी में यह भी उल्लेख है कि इसी दौरान गोलीबारी में लवलेश को भी गोली लगी है और उसका इलाज स्वरूप रानी मेडिकल कॉलेज, प्रयागराज में चल रहा है।
गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद (60) और उसके भाई अशरफ की शनिवार रात को हमलावरों ने उस समय गोली मारकर हत्या कर दी जब पुलिस दोनों को यहां एक मेडिकल कॉलेज लेकर जा रही थी। (भाषा)
नयी दिल्ली, 16 अप्रैल भारत में बीते 24 घंटे में कोरोना वायरस संक्रमण के 10,093 नए मामले सामने आए और उपचाराधीन मरीजों की संख्या बढ़कर 57,542 हो गई।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से रविवार सुबह आठ बजे जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक, देश में कोविड-19 से 23 और संक्रमितों की मौत के बाद मृतकों की कुल संख्या बढ़कर 5,31,114 पर पहुंच गई।
आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में पांच, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में तीन-तीन, कर्नाटक और महाराष्ट्र में दो-दो तथा हरियाणा, ओडिशा, तमिलनाडु और उत्तराखंड में एक-एक मरीज की मौत हुई है, जबकि केरल ने कोविड-19 से मौत के आंकड़ों का पुन:मिलान करते हुए वैश्विक महामारी से जान गंवाने वाले रोगियों की सूची में चार और नाम जोड़े हैं।
आंकड़ों के मुताबिक, भारत में संक्रमण की दैनिक दर 5.61 प्रतिशत और साप्ताहिक दर 4.78 फीसदी दर्ज की गई है। वहीं, देश में कोविड-19 से अब तक संक्रमित हुए लोगों की कुल संख्या बढ़कर 4,48,18,115 हो गई है।
मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार, देश में संक्रमण का इलाज करा रहे मरीजों की संख्या कुल मामलों का 0.13 प्रतिशत है। वहीं, मरीजों के ठीक होने की राष्ट्रीय दर 98.68 फीसदी है।
मंत्रालय के मुताबिक, भारत में अब तक कुल 4,42,29,459 लोग संक्रमण मुक्त हो चुके हैं, जबकि कोविड-19 से मृत्यु दर 1.19 प्रतिशत है।
स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार, भारत में राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान के तहत अभी तक कोविड-19 रोधी टीकों की 220.66 करोड़ खुराक दी जा चुकी हैं। (भाषा)
रायपुर, 16 अप्रैल | छत्तीसगढ़ के बस्तर की नक्सल समस्या से प्रभावित होने के अलावा एक और पहचान यहां का कोसा भी है। इस कोसा के प्रचार प्रसार के लिए दिल्ली सहित अनेक स्थानों पर इसके आउटलेट खोले जाने की तैयारी है। केंद्रीय जनजातीय मंत्रालय के सचिव अनिल कुमार झा ने दो दिवसीय बस्तर जिले के प्रवास के दौरान जिले में संचालित कार्यों का निरीक्षण किया। उन्होंने बस्तर कोसा के उत्पाद का बेहतर प्रचार-प्रसार के साथ-साथ देश की राजधानी दिल्ली सहित अन्य बड़े शहरों में आउटलेट खोलने के निर्देश दिए।
केंद्रीय सचिव झा ने इस प्रवास के दौरान एकलव्य विद्यालय, रेशम धागा प्रसंस्करण केंद्र, कोसा विक्रय केंद्र आदिशिल्प, आसना स्थित बादल एकेडमी, बाबूसेमरा स्थित ट्रायफूड पार्क, कचरा प्रबंधन केंद्र और बकावंड स्थित काजू प्रसंस्करण केंद्र और तुरेनार के रीपा सेंटर की गतिविधियों का अवलोकन किया।
केन्द्रीय सचिव झा ने निरीक्षण के दौरान एकलव्य विद्यालय की व्यवस्था को और बेहतर करने के निर्देश दिए। विद्यालय के बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति दी जिसे केन्द्रीय सचिव व अन्य अधिकारियों ने सराहा।
सचिव झा ने बादल एकेडमी में जनजाति संस्कृति के वाद्य यंत्रों, भाषा-बोली के संरक्षण और बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे लेखनी कार्य की सराहना की। उन्होंने बकावंड काजू प्रसंस्करण के द्वारा महिला समूहों को आर्थिक लाभ देने की सराहना करते हुए, काजू प्रसंस्करण और अंतिम उत्पाद बनने की सभी चरण का अवलोकन किया। (आईएएनएस)
अजय कुमार
पटना, 16 अप्रैल | दिल्ली में विपक्षी नेताओं के साथ सफल बैठक के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनते जा रहे हैं।
हालांकि, नीतीश कुमार ने स्पष्ट किया कि वह प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नहीं हैं, लेकिन वह अपने वरिष्ठ नेता स्वर्गीय जॉर्ज फर्नाडीस के नक्शेकदम पर चलकर यूपीए के संयोजक की भूमिका निभा सकते हैं।
जॉर्ज फर्नाडीस ने 1998 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के गठन में एक प्रमुख भूमिका निभाई थी। उस समय केंद्र में कांग्रेस का शासन था और विपक्षी दल बिखरे हुए थे।
मंडल आयोग की रिपोर्ट के बाद देश में बड़ी संख्या में क्षेत्रीय दलों का उदय हुआ। तब बीजेपी ने समता पार्टी के प्रमुख जॉर्ज फर्नाडीस को एनडीए के संयोजक की भूमिका निभाने के लिए कहा था और वह कांग्रेस के खिलाफ 24 पार्टियों को एकजुट करने में कामयाब रहे थे।
उस एकता के कारण 1999 में जॉर्ज फर्नाडिस ने अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के गठन में मुख्य भूमिका निभाई। एनडीए सरकार ने 5 साल का कार्यकाल पूरा किया।
अब कांग्रेस नेता राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, अरविंद केजरीवाल और सीताराम येचुरी ने कहा कि नीतीश कुमार विपक्षी दलों को एकजुट करने में बहुत अच्छा काम कर रहे हैं और वे उनके साथ हैं।
नीतीश कुमार ने साफ कर दिया है कि वह देश के विपक्षी दलों को ज्यादा से ज्यादा एकजुट करना चाहते हैं और उन्हें सफलता मिल रही है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी का ट्वीट हम देश के लिए साथ में लड़ेंगे देश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति में सबसे महत्वपूर्ण बात है।
जदयू एमएलसी और पार्टी के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने भी सार्वजनिक रूप से कहा कि नीतीश कुमार देश में जो कुछ भी कर रहे हैं, वह उनके साथ हैं। वाम दलों के नेताओं ने भी उनका समर्थन किया। मुझे नहीं पता कि नीतीश कुमार जॉर्ज फर्नाडीस का अनुसरण कर रहे हैं या नहीं, लेकिन वह विपक्षी दलों को एकजुट करने के लिए सही दिशा में जा रहे हैं।
कुमार ने कहा, नीतीश कुमार ने शुक्रवार को कहा कि भाजपा के पास केवल दो नेता हैं, जो सर्वाधिकारी की तरह काम कर रहे हैं। उन्होंने सभी संवैधानिक संस्थाओं पर कब्जा कर लिया है और अपने राजनीतिक विरोधियों को निशाना बना रहे हैं। उन्होंने आम लोगों के हित में कुछ नहीं किया है। इसलिए आप उन्हें वोट देते हैं तो आप खुद को बर्बाद कर लेंगे और अगर आप उनके खिलाफ वोट करेंगे तो आप अपना, राज्य और देश का विकास करेंगे। लिहाजा बीजेपी के खिलाफ देश की बड़ी संख्या में विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने के लिए नीतीश कुमार बिल्कुल स्पष्ट हैं।
राजद के उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा, हाल ही में उनसे मिलने वाले नेताओं ने नीतीश कुमार के प्रयासों की सराहना की लेकिन अभी बहुत काम करना बाकी है। ममता बनर्जी और के. चंद्रशेखर राव जैसे नेताओं को कांग्रेस पार्टी के साथ एक मंच पर लाना एक बड़ी चुनौती होगी। एक बार जब वे एक साथ बैठकर हर पहलू को अंतिम रूप दे दें, उसके बाद संयोजक के रूप में नीतीश कुमार की भूमिका की घोषणा करें, तो हम कहेंगे कि सभी विपक्षी दल एक सीट, एक उम्मीदवार के फॉर्मूले पर सहमत हैं।
जब हम पश्चिम बंगाल में 42 लोकसभा सीटों की बात करते हैं, तो कांग्रेस पार्टी किसी भी तरह से टीएमसी के करीब नहीं है। तेलंगाना में 17 लोकसभा सीटें हैं और कांग्रेस ने तीन सीटों पर जीत हासिल की, जबकि टीआरएस को नौ सीटों पर जीत मिली।
तिवारी ने कहा, कांग्रेस को वोटों के विभाजन को कम करने के लिए अहंकार को त्यागना होगा। यही बात टीआरएस पर भी लागू होती है और उन्हें कांग्रेस के साथ समझौता करना होगा जहां कांग्रेस के वर्तमान सांसद हैं। यहां कुंजी विपक्षी दल हैं जो एक सीट एक उम्मीदवार के फॉर्मूले पर सहमत होंगे। बीजेपी को हराने का यही एक तरीका है।
बीजेपी ओबीसी विंग के राष्ट्रीय महासचिव निखिल आनंद ने कहा, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हताश और जल्दी में हैं। नीतीश जी दिवास्वप्न देख रहे हैं प्रधानमंत्री बनने के लेकिन साथ ही उन्हें याद रखना चाहिए कि बिहार में उनका जनाधार खिसक गया है। नीतीश जी की राजनीतिक साख उनके महागठबंधन सहयोगियों खासकर राजद के समर्थन और दया पर टिकी है। जहां नीतीश अपने दिवास्वप्न को साकार करने के इच्छुक हैं, वहीं राजद इस अवसर का उपयोग तेजस्वी को बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में बढ़ावा देने के लिए करना चाहता है।
आनंद ने कहा, नीतीश जी के पक्ष में कोई सहमति नहीं है और विभिन्न राज्यों से दर्जनों पीएम उम्मीदवार हैं। महागठबंधन पार्टियों की अवसरवादी नीयत और मकसद समय आने पर एक-दूसरे को नीचा दिखाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत के निर्विवाद नेता हैं और 2024 में उन्हें चुनौती देने वाला कोई नहीं है। एनडीए 400 से ज्यादा सीटों के साथ सत्ता में वापसी करेगा। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 16 अप्रैल | दिल्ली शराब घोटाले में केंद्रीय एजेंसी सीबीआई रविवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से पूछताछ कर रही है। पूछताछ से पहले केजरीवाल ने कहा कि भाजपा के नेता चिल्ला-चिल्ला कर कह रहे हैं कि केजरीवाल को गिरफ्तार करेंगे। शायद भाजपा ने मुझे गिरफ्तार करने का आदेश भी दे दिया है। लेकिन क्या मुझे गिरफ्तार करने से देश की समस्याएं दूर हो जाएंगी, सबको रोजगार और शिक्षा मिल जाएगी? ऐसा कुछ नहीं होगा। हालांकि इनके अहंकार की संतुष्टि जरूर हो जाएगी। सीएम ने कहा कि मैं पूरी ईमानदारी से सीबीआई के सारे सवालों का जवाब दूंगा। जब मैंने कुछ किया ही नहीं है तो छिपाना क्या।
रविवार को हो रही सीबीआई पूछताछ से पहले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि सीबीआई ने समन देकर मुझे अपने दफ्तर बुलाया है। मैं सीबीआई दफ्तर जा रहा हूं, सीबीआई द्वारा जो भी सवाल किए जाएंगे, मैं उनके सही जवाब दूंगा।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने स्पष्ट लहजे में कहा कि राष्ट्र विरोधी ताकतें नहीं चाहती कि देश में स्कूल, अस्पताल बने और भारत दुनिया का नंबर वन देश बने। केजरीवाल ने सीबीआई पूछताछ में शामिल होने से पहले कहा कि आज उन्हीं सब राष्ट्र विरोधी ताकतों से मैं कहना चाहता हूं कि अब भारत रुकेगा नहीं। लोग अब बहुत बेचैन हो चुके हैं।
इसके साथ ही अरविंद केजरीवाल ने कहा कि 75 साल बाद दिल्ली में एक ऐसी सरकार आई है जिसने देश में एक उम्मीद पैदा की। पहली बार 75 साल बाद भारत की राजधानी में स्कूल अच्छे बनने लगे, बच्चों को अच्छी शिक्षा मिलने लगी, गरीबों को इलाज मिलने लगा, सड़कें ठीक होने लगी, 24 घंटे बिजली आने लगी, चौतरफा एकदम विकास होने लगा जो कि पूरे देश में 75 साल में कहीं किसी पार्टी की सरकार में लोगों ने देखा नहीं था।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सीबीआई पूछताछ के लिए जाते हुए कहा कि दिल्ली की तरक्की को देखकर पूरे देश में एक उम्मीद जागी कि अगर दिल्ली में विकास हो सकता है तो पूरे भारत में विकास हो सकता है। पूरे देश के अंदर एक उम्मीद जागी कि भारत दुनिया का नंबर 1 देश बन सकता है। उन्होंने कहा कि लेकिन देश में कुछ राष्ट्र विरोधी ताकते हैं जो नहीं चाहते कि भारत की तरक्की हो। 75 साल तक इन्हीं ताकतों ने भारत को पीछे रखा। कुछ राष्ट्र विरोधी ताकतें नहीं चाहती कि देश में स्कूल बने गरीबों के बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले।
उन्होंने कहा कि तुम, हम भारतवासियों को जितना मर्जी परेशान कर लो लेकिन भारत रुकने वाला नहीं है। सीबीआई पूछताछ के लिए जाने से ठीक पहले अरविंद केजरीवाल ने कहा कि तुम्हारी इन गीदड़ भभकियों से देश डरने वाला नहीं है, भारत तो अब आगे बढ़ेगा। (आईएएनएस)
तनुज धर
गुवाहाटी, 16 अप्रैल | अगस्त 2021 की बात है। तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी दिल्ली में अपने जनपथ स्थित आवास पर असम के पार्टी नेताओं के साथ बैठक कर रही थीं।
राज्य के सभी प्रमुख नेता उपस्थित थे, और राज्य में ग्रैंड ओल्ड पार्टी की स्थिति पर गहन चर्चा की जा रही थी। विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद सोनिया गांधी कांग्रेस के लिए भविष्य की रणनीति बनाना चाहती थीं।
पूरी चर्चा के दौरान, सोनिया गांधी ने ज्यादातर समय असम में पार्टी की स्थिति का आकलन करने के लिए सुष्मिता देव के साथ बातचीत करने में बिताया। देव उस समय अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष थीं। वहां मौजूद कोई भी नेता अगले 48 घंटों में घटनाक्रम का अंदाजा नहीं लगा सका।
अगले दिन खबर आई कि सुष्मिता देव ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है। पार्टी के शीर्ष नेता लगातार डायल कर रहे थे, लेकिन उनका फोन स्विच ऑफ था। तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने के बाद उन्हें ममता बनर्जी के साथ देखा गया।
हालांकि यह सबकुछ अचानक हुई घटना लग रही थी, क्योंकि तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के साथ देव का संबंध नहीं था, लेकिन टीएमसी के राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन काफी लंबे समय से उनसे बातचीत कर रहे थे।
दरअसल, लगातार तीसरी बार बंगाल जीतने के तुरंत बाद टीएमसी के नेता राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी के विस्तार की योजना पर जोर दे रहे थे। उन्होंने शुरू में दो राज्यों त्रिपुरा और असम को निशाना बनाया। हालांकि, किसी प्रमुख चेहरे की अनुपस्थिति में पार्टी के विस्तार योजना का विरोध हुआ।
सुष्मिता देव का त्रिपुरा से गहरा नाता था। उनके पिता त्रिपुरा से लोकसभा चुनाव जीते और राजीव गांधी सरकार में मंत्री बने। बंगाली होना देव के लिए एक और फायदा था और तृणमूल ने उन्हें त्रिपुरा के लिए अनुबंधित करने का फैसला किया।
करीब दो साल बाद त्रिपुरा के चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की बुरी तरह हार हुई। गोवा में भी तृणमूल कांग्रेस को रिस्पॉंस नहीं मिला और मेघालय के चुनाव परिणाम भी पार्टी नेताओं की अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहे।
पार्टी को जोर का झटका कुछ दिन पहले लगा, जब चुनाव आयोग (ईसी) ने तृणमूल कांग्रेस की राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खत्म कर दिया। चुनाव आयोग के आदेश के बाद राजनीतिक विश्लेषकों ने तृणमूल की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है।
सुष्मिता देव ने आईएएनएस से कहा, हमारी पार्टी बंगाल से बाहर विस्तार के अपने फैसले से पीछे नहीं हटी है। असम में हम धीरे-धीरे अपने संगठन का विस्तार कर रहे हैं।
उन्होंने दावा किया कि भाजपा की राजनीति भय से प्रेरित है। अगर कोई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कुछ भी पोस्ट करता है, तो उसे अगले दिन गिरफ्तार कर लिया जाता है। सरकार के काम की आलोचना करना भी प्रशासनिक तंत्र का उपयोग कर विपक्ष के खिलाफ कार्रवाई को आमंत्रित करता है।
देव ने कहा, इस स्थिति में, एक नया संगठन बनाना वास्तव में एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। लेकिन मेरा मानना है कि रिपुन बोरा शानदार काम कर रहे हैं और पहले ही सफलता हासिल कर चुके हैं।
त्रिपुरा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को नोटा से कम वोट मिले थे। यह भी एक कारण था कि पार्टी ने अपनी राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खो दिया।
देव ने कहा, हमने त्रिपुरा में सभी सीटों पर चुनाव नहीं लड़ा। हम केवल 28 सीटों पर लड़े। इसके अलावा, राजनीतिक हिंसा के कारण, हमें बहुत सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जो अन्य विपक्षी दलों ने अनुभव नहीं किया। हमें पार्टी कार्यालय तक नहीं खोलने दिया गया। भाजपा की प्रतिशोध की राजनीति के डर से कोई हमें कार्यालय के लिए जगह नहीं दे रहा था।'
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि तृणमूल कांग्रेस चुनाव आयोग के फैसले को कानूनी रूप से लड़ने की तैयारी कर रही है।
देव ने कहा, 'अगर हम सिर्फ वोट प्रतिशत की बात करें तो उत्तर प्रदेश चुनाव में कांग्रेस को 2 फीसदी से भी कम वोट मिले और हाल ही में संपन्न मेघालय चुनाव में हमें करीब 14 फीसदी वोट मिले।'
उन्होंने कहा, मैं कानूनी चीजों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दे सकती, हालांकि, चुनाव आयोग के फैसले से लड़ने के लिए पर्याप्त आधार हैं।
देव ने यह भी दावा किया कि चुनाव आयोग के राष्ट्रीय दर्जे को खत्म करने का पार्टी के पश्चिम बंगाल के बाहर चुनाव लड़ने से कोई लेना-देना नहीं है और तृणमूल असम में लोगों का विश्वास हासिल कर रही है। उनका मानना है कि पार्टी को त्रिपुरा और मेघालय में भी लोकसभा चुनाव लड़ना चाहिए।
असम में तृणमूल कांग्रेस के अध्यक्ष रिपुन बोरा ने भी यही बात दोहराई। उन्होंने कहा, असम में अधिकतम क्षमता के साथ लोकसभा चुनाव लड़ना हमारी पहली प्राथमिकता है। लोग हमारे साथ जुड़ रहे हैं। चुनाव आयोग के फैसले के बाद कुछ भी नहीं बदला है।
उन्होंने चुनाव आयोग के कदम पर सवाल उठाते हुए कहा, राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलने के 10 साल बाद इसकी समीक्षा का प्रावधान है। हम 2016 में राष्ट्रीय पार्टी बने और इसे केवल 7 साल बाद खत्म कर दिया गया।
उन्होंने जोर देकर कहा कि उनका ध्यान नहीं बदला है और पार्टी 2024 में राज्य में भाजपा के खिलाफ एक मजबूत लड़ाई की उम्मीद कर रही है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 16 अप्रैल | चीन ने कोविड के आइसोलेशन से उबरने के बाद कूटनीतिक मोर्चे पर बिल्कुल भी समय बर्बाद नहीं किया है। बीबीसी ने बताया कि पिछले कुछ महीने में राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की है; ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डी सिल्वा सहित कई विश्व नेताओं की मेजबानी की जो इस सप्ताह वहां पहुंचे; एक वरिष्ठ दूत को यूरोप भेजा; और यूक्रेन युद्ध के लिए 12 सूत्रीय समाधान प्रस्तुत किया।
बीबीसी के अनुसार, बीजिंग ने सऊदी अरब और ईरान के बीच शांति स्थापना में भी मध्यस्थता की जो चीन के सबसे बड़े कूटनीतिक तख्तापलटों में से एक है। यह खास तौर पर महत्वपूर्ण है क्योंकि इसने मध्य पूर्व में यह सफलता हासिल की है जहां अमेरिकी हस्तक्षेप कठिनाइयों और विफलता में फंसा दिख रहा है।
इसी दौरान, बीजिंग वैश्विक सुरक्षा और विकास के लिए विभिन्न प्रस्ताव लेकर आया है जो एक स्पष्ट संकेत है कि वह वैश्विक दक्षिण को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रहा है जैसा कि उसने पहले बेल्ट एंड रोड पहल में किया था जहां उसने अरबों डॉलर दूसरे देशों को दिए थे।
बीबीसी ने बताया कि इस राजनयिक भूमिका ने चीन को महत्वपूर्ण वैश्विक मध्यस्थ के रूप में स्थापित किया है। इसकी जड़ें चीनी राष्ट्र का कायाकल्प में तलाशी जा सकती हैं जो एक लंबे समय से चली आ रही राष्ट्रवादी परिकल्पना है। इसके तहत मध्य का देश वैश्विक स्तर पर केंद्रीय भूमिका पुन: हासिल करेगा। इसके पीछे एक उद्देश्य वैश्विक आर्थिक संबंधों को सुरक्षित करना भी है।
एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट में चीनी राजनीति के फेलो नील थॉमस ने कहा, शी जानते हैं कि आप मजबूत अर्थव्यवस्था के बिना चीनी राष्ट्र का कायाकल्प नहीं कर सकते।
अमेरिकी खुफिया विभाग की 2023 के वार्षिक थ्रेट असेसमेंट रिपोर्ट के अनुसार, चीन के पास हर क्षेत्र में और कई क्षेत्रों में नियम-आधारित वैश्विक व्यवस्था को सीधे बदलने का प्रयास करने की क्षमता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) चीन को पूर्वी एशिया में प्रमुख शक्ति और विश्व मंच पर एक बड़ी शक्ति बनाने के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के ²ष्टिकोण को प्राप्त करने के अपने प्रयासों को जारी रखेगी।
सीसीपी ताइवान पर एकीकरण के लिए दबाव डालने, अमेरिकी प्रभाव को कम करने, अमेरिका और उसके सहयोगियों के बीच दरार पैदा करने और कुछ ऐसे मानदंडों को बढ़ावा देने के लिए काम करेगा जो इसकी अधिनायकवादी व्यवस्था का समर्थन करते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन अमेरिका के साथ उसकी बढ़ती प्रतिस्पद्र्धी संबंधों को एक युगांतकारी भूराजनीतिक बदलाव के रूप में देखता है। वह अमेरिका के कूटनीतिक, आर्थिक, सैन्य और तकनीकी उपायों को चीन के उदय को रोकने और सीसीपी के शासन को कमजोर करने के व्यापक अमेरिकी प्रयास के हिस्से के रूप में देखता है।
बीजिंग तेजी से बढ़ती सैन्य शक्ति को अपने आर्थिक, तकनीकी और कूटनीतिक प्रभाव के साथ जोड़ रहा है ताकि सीसीपी के शासन को मजबूत किया जा सके, उन सभी हिस्सों पर कब्जा किया जा सके जिसे वह अपने संप्रभु क्षेत्र और क्षेत्रीय श्रेष्ठता के रूप में देखता है, और वैश्विक प्रभाव को आगे बढ़ा सके। चीनी सरकार अपने लक्ष्यों को पूरा करने के प्रयास में प्रमुख वैश्विक आपूर्ति श्रंखलाओं में अपने प्रभाव का लाभ उठाने में सक्षम है, हालांकि संभवत: उसे इसकी कीमत भी चुकानी पड़े।
चीन ताकत का प्रदर्शन करने और पड़ोसियों को जबरन उसकी प्राथमिकताओंको स्वीकार कराने के लिए समन्वित, संपूर्ण-सरकारी उपकरणों का उपयोग करता है। इसमें भूमि, समुद्र और हवाई क्षेत्र पर दावे और ताइवान पर संप्रभुता की उसकी मान्यता भी शामिल हैं।
दक्षिण चीन सागर में प्रतिद्वंद्वी दावेदारों को डराने और यह संकेत देने के लिए कि वहां विवादित इलाकों पर उसका नियंत्रण है चीन वहां वायु, नौसेना, तट रक्षक और मिलिशिया बलों की संख्या बढ़ाना जारी रखेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसी तरह, चीन पूर्वी चीन सागर में विवादित क्षेत्रों को लेकर जापान पर दबाव बना रहा है।
द न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, यूरोपीय नेता बीजिंग की ओर रुख कर रहे हैं, अपनी रणनीति का झुकाव चीन की तरफ कर रहे हैं, ठीक वैसे ही जैसे अमेरिका दो महाशक्तियों के बीच बढ़ती कटुता में उसका पक्ष लेने के लिए दबाव बढ़ा रहा है।
राजनीतिक गतिविधियों में अचानक तेजी ऐसे समय में देखी जा रही है जब रूस के साथ असीमित साझेदारी की घोषणा की है। इसके साथ ही वह यूक्रेन युद्ध में मध्यस्थता करने का अजीबो-गरीब प्रयास भी कर रहा है। रूस के साथ चीन की बढ़ती निकटता ने यूरोप को मुश्किल स्थिति में डाल दिया है।
न्यूयॉर्क टाइम्स की खबर के अनुसार, चीन यूरोप को अमेरिका से अलग करने के अलावा और कुछ नहीं चाहेगा। वह यह बताने के लिए उत्सुक है कि एक बेहतर शुरुआत न केवल व्यापार के लिए अच्छा होगा, बल्कि रणनीतिक स्वायत्तता की यूरोप की खोज को भी लाभ पहुंचाएगा - यहां तक कि यूरोप से भी स्वतंत्रता।
द गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि यूरोप को जागीर नहीं बनना चाहिए और ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन के बीच किसी भी तरह के संघर्ष में शामिल होने से बचना चाहिए।
फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने चीन की तीन दिवसीय राजकीय यात्रा के बाद अपने विमान में एक साक्षात्कार में यह टिप्पणी की। चीन में शी जिनपिंग ने उनका रेड कार्पेट बिछाकर स्वागत किया - इस तरह के तमाशे से चीन पर नजर रखने वाले कुछ यूरोपीय देश चिंतित हैं।
द गार्जियन के अनुसार, रिसर्च फर्म यूरेशिया ग्रुप में यूरोप के प्रमुख मुज्तबा रहमान ने कहा कि मैक्रों की नवीनतम टिप्पणियां गलत समय में आई हैं। जब ताइवान को घेरकर चीन सैन्य अभ्यास करता है और चीन की राजकीय यात्रा के ठीक बाद इस तरह की टिप्पणी करना गलत था। इसे बीजिंग का संतुष्टीकरण और चीनी आक्रमकता को सहमति प्रदान करना माना जाएगा।
सीआईए के निदेशक विलियम बर्न्स ने कहा कि यूक्रेन पर आक्रमण के बाद पश्चिम से अलगाव गहराने के कारण रूस के चीन का आर्थिक उपनिवेश बनने का जोखिम है।
बर्न्स ने ह्यूस्टन में राइस यूनिवर्सिटी में एक कार्यक्रम में कहा, रूस चीन पर अधिक से अधिक निर्भर होता जा रहा है और कुछ मामलों में, उसके धीरे-धीरे चीन का आर्थिक उपनिवेश बनने का खतरा भी है। जो ऊर्जा संसाधनों और कच्चे माल के निर्यात के लिए उस पर निर्भर होगा। (आईएएनएस)
हुबली (कर्नाटक), 16 अप्रैल| कर्नाटक में भाजपा को एक बड़ा झटका देते हुए, पूर्व मुख्यमंत्री और प्रभावशाली लिंगायत नेता जगदीश शेट्टार ने रविवार को कहा कि वो कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। शेट्टार ने भाजपा से इस्तीफा दे दिया है। अपने अगले कदम के बारे में बात करते हुए शेट्टार ने दावा किया कि अब उनके लिए सभी विकल्प खुले हैं।
उन्होंने कहा, मैं अपने शुभचिंतकों के साथ चर्चा कर रहा हूं कि कौन सा निर्णय मेरे लिए सही है। हालांकि कांग्रेस नेताओं ने अभी तक उनसे संपर्क नहीं किया है, लेकिन वह कांग्रेस में शामिल होने के बारे में अपने करीबी लोगों से चर्चा करेंगे।
यह पूछे जाने पर कि क्या वह इस मामले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संपर्क करेंगे, इसका जवाब देते हुए शेट्टार ने कहा कि वह पीएम मोदी या केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तक पहुंचने का कोई प्रयास नहीं करेंगे। उन्होंने कहा, वे प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री हैं। उन्हें पता होना चाहिए कि क्या हो रहा है।
शेट्टार ने कहा कि जिन वरिष्ठों ने पार्टी का निर्माण किया, उन्हें जानबूझकर अपमानित किया जा रहा है। इससे पार्टी को नुकसान होगा। राज्य में कुछ चीजों को हल्के में लिया जा रहा है। उनमें वरिष्ठों से बात करने का शिष्टाचार नहीं है।
शेट्टार ने कहा कि बीजेपी देश में लिंगायत नेतृत्व को खत्म कर रही है।
उन्होंने कहा, मुझे नहीं पता कि पीएम मोदी जी यह जानते हैं या नहीं, जिन लोगों को कर्नाटक प्रभारी के रूप में भेजा गया है और कुछ नेताओं ने तय किया है कि भाजपा को विधानसभा चुनाव में सत्ता में नहीं आना चाहिए। बहरहाल, निहित स्वार्थों के लिए पार्टी की बलि दी जा रही है।
शेट्टार हुबली-धारवाड़ (मध्य) निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस घटनाक्रम को बीजेपी के लिए एक बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है। हाल ही में अथानी निर्वाचन क्षेत्र से टिकट से वंचित लक्ष्मण सावदी कांग्रेस में शामिल हो गए और उन्हें उसी निर्वाचन क्षेत्र से उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारा गया है।
कांग्रेस साफ-सुथरी छवि वाले अनुभवी नेता जगदीश शेट्टार को अपनी ओर खींचने का बेसब्री से इंतजार कर रही है। मामला उत्तर और मध्य कर्नाटक क्षेत्र में भाजपा की संभावनाओं को प्रभावित करेगा। (आईएएनएस)
हैदराबाद, 16 अप्रैल | एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने रविवार को सुप्रीम कोर्ट से उत्तर प्रदेश में पूर्व सांसद अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ की हत्या के मामले में स्वत: संज्ञान लेने और एक जांच दल गठित करने की अपील की। हैदराबाद के सांसद ने कहा कि निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए उत्तर प्रदेश के अधिकारियों को जांच दल का हिस्सा नहीं होना चाहिए।
ओवैसी ने मीडियाकर्मियों से कहा कि हत्यारों को हथियार किसने दिए, किसने भेजे और वे वहां कैसे पहुंचे, जैसे तथ्यों को सामने लाने के लिए गहन और समयबद्ध जांच की जरूरत है। उन्होंने कहा, जब तक ऐसा नहीं किया जाता, हत्याएं जारी रहेंगी।
गैंगस्टर से राजनेता बने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की गोली मारकर हत्या कर दी गई, जब पुलिस उन्हें मेडिकल जांच के लिए प्रयागराज के एक अस्पताल ले जा रही थी। इस दौरान टीवी रिपोर्टर बनकर आए हमलावरों ने उन्हें प्वाइंट ब्लैंक रेंज से गोली मारी।
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष ने मांग की कि अतीक अहमद और उनके भाई की सुरक्षा करने वाले सभी पुलिस अधिकारियों को संविधान के अनुच्छेद 311 के तहत सेवा से बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि पूर्व सांसद सुप्रीम कोर्ट में यह कहते हुए गए थे कि उन्हें अपनी जान का खतरा है और अदालत ने कहा था कि न्यायिक हिरासत में उनकी रक्षा करना राज्य की जिम्मेदारी है।
ओवैसी ने इसे जघन्य हत्या करार देते हुए कहा कि सिर्फ मुसलमान ही नहीं, वे सभी जो संविधान और कानून के शासन में विश्वास करते हैं, अब असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
ओवैसी ने कहा कि जब से भाजपा उत्तर प्रदेश में सत्ता में आई है, तब से राज्य में कानून का राज नहीं बल्कि बंदूक का राज चल रहा है।
यह कहते हुए कि सत्ता में रहने वालों में कोई दया या मानवता नहीं है, उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस्तीफे की मांग की।
उन्होंने कहा, मुख्यमंत्री को इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। उन्होंने राज्य विधानसभा में कहा था 'मिट्टी में मिला दूंगा'। क्या देश के सबसे बड़े राज्य के मुख्यमंत्री को यही भाषा इस्तेमाल करनी चाहिए।
सांसद ने कहा कि यह घटना बहुसंख्यकों के बढ़ते कट्टरवाद को भी दर्शाती है। उन्होंने कहा, जिस तरह से उन्होंने अपने हथियारों का इस्तेमाल किया, उसे देखिए। उन्होंने धार्मिक नारे लगाए। क्या वे आतंकवादी नहीं हैं?
टीवी स्टूडियो में बैठकर हत्याओं का जश्न मनाने वालों से ओवैसी ने कहा, वे भूल रहे हैं कि आज भाजपा सत्ता में है लेकिन कल कोई और पार्टी होगी। यह नहीं रुकेगा।
ओवैसी ने कहा कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान उनकी कार पर हमला करने वाले हमलावरों ने भी इसी तरह से गोलियां चलाई थीं और धार्मिक नारे लगाए थे।
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें अपने ऊपर हमले का डर है, सांसद ने कहा कि वह डरे हुए नहीं हैं और अपनी पार्टी का काम करने के लिए उत्तर प्रदेश का दौरा करना जारी रखेंगे। उन्होंने कहा, मैं मरने के लिए तैयार हूं। जो होना तय है वह होगा लेकिन मैं रुकूंगा नहीं। (आईएएनएस)
देहरादून, 16 अप्रैल | कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच एक बार फिर उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग ने स्वास्थ्य बुलेटिन जारी करते हुए 94 पॉजिटिव केस मिलने की बात कही है। वहीं एक व्यक्ति की मौत इस संक्रमण से गवर्नमेंट दून मेडिकल कॉलेज देहरादून में हुई है। इसके चलते राज्य में एक बार फिर कोरोना संक्रमण को लेकर सतर्कता बरतने की विशेष जरूरत महसूस होने लगी है। आज 79 रिपोर्ट नेगेटिव पाई गई है। लेकिन चिंता वाली बात यह है कि 94 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है।
जनपद वार यदि बात की जाए तो अल्मोड़ा में 2, बागेश्वर में 3, देहरादून में 48, हरिद्वार में 4, नैनीताल में 29, पौड़ी गढ़वाल में 1, पिथौरागढ़ में 2, टिहरी गढ़वाल में 3, उधम सिंह नगर में 1 और उत्तरकाशी में 1 कोरोना संक्रमण पॉजिटिव रिपोर्ट आई है। इस तरह 94 पॉजिटिव केस आने के साथ राज्य में इस वर्ष इस संक्रमण से पीड़ित लोगों का आंकड़ा बढ़कर 1098 हो गया है। जबकि अब तक 292 कुल पॉजिटिव केस एक्टिव हैं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 16 अप्रैल । बीएसपी प्रमुख मायावती ने अतीक़ अहमद और उनके भाई अशरफ़ की हत्या को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार के कामकाज के तरीके पर सवाल उठाए हैं.
उन्होंने ट्वीट कर लिखा है, "गुजरात जेल से अतीक़ अहमद और बरेली जेल से लाए गए उनके भाई अशरफ़ की प्रयागराज में कल रात पुलिस हिरासत में ही खुलेआम गोली मारकर हुई हत्या, उमेश पाल जघन्य हत्याकाण्ड की तरह ही, यूपी सरकार की कानून-व्यवस्था और उसकी कार्यप्रणाली पर अनेकों गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े करती है.''
उन्होंने लिखा, "देश भर में चर्चित इस अति गंभीर और अति चिंतनीय घटना का माननीय सुप्रीम कोर्ट अगर स्वंय ही संज्ञान लेकर उचित कार्रवाई करे तो बेहतर. वैसे भी उत्तर प्रदेश में 'कानून द्वारा कानून के राज' के बजाय, अब इसका एनकाउंटर प्रदेश बन जाना कितना उचित? सोचने की बात."
प्रयागराज में शनिवार की रात क़रीब साढ़े दस बजे पूर्व सांसद अतीक़ अहमद और उनके भाई अशरफ़ की गोली मारकर हत्या कर दी गई.
हमलावरों ने गोली तब चलाई जब पुलिस अतीक़ अहमद और अशरफ़ को मेडिकल चेकअप के लिए प्रयागराज के काल्विन अस्पताल लेकर जा रही थी.
पत्रकार बनकर आए हमलावरों ने अस्पताल के ठीक सामने, पुलिस के घेरे में दोनों पर बेहद नज़दीक़ से गोलियां चलाईं. हमलावरों ने गोली चलने के बाद वहां पर धार्मिक नारेबाज़ी भी की.
ये पूरी घटना लाइव कैमरों में कैद भी हुई. वारदात के वक्त अतीक़ और अशरफ़ पैदल चलते हुए मीडिया से बात कर रहे थे. (bbc.com/hindi)
सौतिक विस्वास
25 साल पहले एक किशोर को ग़लत तरीके से वयस्क मानते हुए मौत की सज़ा दे दी गई थी. मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने उसे बरी करते हुए इस बात की पुष्टि की कि अपराध के समय वो नाबालिग़ था. बीबीसी ने राजस्थान के जलबसार गांव में इस व्यक्ति से मुलाक़ात की जो अब 41 साल का है.
भारत के पश्चिमी शहर नागपुर में पिछले महीने निरनाराम चेतनराम चौधरी को मौत की सज़ा से मुक्त किया गया.
लेकिन इससे पहले उन्होंने 28 साल, छह महीने और 23 दिन यानी कुल मिलाकर 10,431 दिन हिरासत में बिताए.
वो 12X10 फ़ीट के अधिकतम सुरक्षा सेल में बंद थे. ये लंबा अर्सा उन्होंने इस काल कोठरी में चहलक़दमी करते, किताबें पढ़ते, परीक्षाएं देते हुए और ये साबित करने की कोशिश करते हुए बिताया कि जब उन्हें गुनाह का दोषी पाया गया था तब उनकी उम्र 18 साल से कम थी.
क्लिक करें और सुनील से सुनें : 25 बरस फांसी का इंतजार और नाजायज कैद से रिहाई!
निरनाराम को 1994 में हुई सात लोगों की हत्या के मामले में मौत की सज़ा दी गई थी.
इनमें से पांच महिलाएं और दो बच्चे थे. ये हत्याकांड पुणे शहर में हुआ था.
उन्हें राजस्थान के अपने गांव से दो अन्य लोगों के साथ गिरफ़्तार किया गया था.
साल 1998 में अपराध के समय उनकी उम्र को 20 साल मानते हुए उन्हें मौत की सज़ा दे दी गई थी.
मार्च में अंततः भारत की सुप्रीम कोर्ट ने उनकी लगभग तीन दशक चली इस पीड़ा का अंत किया.
इस दौरान तीन अदालतों में उनका मुक़दमा चला, अनगिनत बार तारीख़ें पड़ीं, क़ानून बदले, अपीलें दायर हुई हैं, दया याचिका दायर हुई, उनकी उम्र की पुष्टि के लिए परीक्षण हुए और उनके दस्तावेज़ों की खोज हुई.
जज इस नतीजे पर पहुंचे कि जब ये अपराध हुआ था तब निरनाराम की उम्र 12 साल 6 महीने थी यानी वो नाबालिग़ थे.
भारतीय क़ानूनों के तहत किसी नाबालिग को मौत की सज़ा नहीं दी जा सकती है और किसी भी तरह के अपराध के लिए अधिकतम तीन वर्ष की सज़ा ही दी जा सकती है.
गांव के स्कूल के रजिस्टर में निरनाराम की जन्मतिथि 1 फ़रवरी 1982 दर्ज है
क्या हुई थी भूल
आख़िर न्याय में ऐसी भूल कैसे हुई कि एक किशोर फांसी के फंदे के क़रीब पहुंच गया?
जब निरनाराम को गिरफ़्तार किया गया था तब पुलिस ने उनकी उम्र और नाम ग़लत दर्ज किया था. इसके कारण अब तक स्पष्ट नहीं हुए हैं.
उनकी गिरफ़्तारी के वक्त पुलिस ने जो रिकार्ड दर्ज किया था, उसमें उनका नाम नारायण लिखा गया था. किसी को नहीं पता है कि सबसे पहली बार उनकी ग़लत उम्र कब दर्ज की गई थी.
प्रोजेक्ट 39ए से जुड़ी श्रेया रस्तोगी कहती हैं, "उसकी गिरफ़्तारी का रिकॉर्ड बहुत पुराना है. मुक़दमे की सुनवाई के असली दस्तावेज़ तो सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश भी नहीं हो सके."
प्रोजेक्ट 39ए दिल्ली की नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी का एक कार्यक्रम है जिसके तहत आपराधिक न्याय व्यवस्था में लोगों की मदद की जाती है. इस प्रोजेक्ट के नौ साल लंबे प्रयास के बाद ही निरनाराम की रिहाई संभव हो सकी.
हैरानी की बात ये है कि जन्मतिथि ग़लत दर्ज होने के विषय को 2018 से पहले ना ही अदालतों ने उठाया, ना ही अभियोजकों ने और ना ही बचाव पक्ष के वकीलों ने.
जन्म प्रमाण पत्र ना होने की वजह से भारत के ग्रामीण क्षेत्र में बहुत से लोगों को अपनी वास्तविक जन्मतिथि का पता नहीं होता है. निरनाराम का मामला भी ऐसा ही है.
निरनाराम को उनके गांव के स्कूल के एक पुराने रजिस्टर में दर्ज उनकी जन्मतिथि ने बचा लिया. इस रजिस्टर में उनकी जन्मतिथि 1 फ़रवरी 1982 दर्ज है.
स्कूल की टीसी (ट्रांसफर सर्टिफ़िकेट) जिस पर उनके स्कूल छोड़ने और दूसरे स्कूल में दाख़िला लेने की तारीख़ अंकित है और ग्राम पंचायत का नारायण और निरनाराम के एक ही व्यक्ति होने का प्रमाण पत्र उनकी रिहाई में अहम साबित हुआ.
रस्तोगी कहती हैं, "इस मामले में पूरा सिस्टम नाकाम हुआ है. अभियोजक, बचाव पक्ष के वकील, अदालतें, जांचकर्ता. हमारा सिस्टम घटना के समय उनकी उम्र की पुष्टि करने में पूरी तरह नाकाम रहे."
स्कूल के ट्रांसफ़र सर्टिफ़िकेट पर उनकी तस्वीर भी थी.
'गंवा दिया ज़िंदगी का सबसे अहम वक़्त'
पिछले सप्ताह हम सूखे और गर्म इलाक़े से होते हुए राजस्थान के बीकानेर ज़िले के जलबसार गांव पहुंचे. यहां क़रीब 600 घर हैं और तीन हज़ार लोग रहते हैं.
निरनाराम के पिता एक किसान थे और मां गृहिणी. अब वो अपने चार भाइयों के बड़े परिवार के साथ फिर से ज़िंदगी शूरू करने की कोशिश कर रहे हैं.
दूर तक दिखते खेतों और रेत के टीलों के बीच बसा ये गांव देखने में समृद्ध लगता है. यहां की ख़ामोश गलियों के इर्द-गिर्द बने बड़े मकानों के ऊपर सैटेलाइट डिश एंटीना और पानी की टंकिया नज़र आती हैं.
गांव के स्कूल में उन लोगों के नाम अंकित हैं जिन्होंने स्कूल बनाने के लिए पैसा और सामान दान किया.
डूबी आंखों और लंबे क़द वाले निरनाराम कहते हैं, "मेरे साथ ये क्यों हुआ? एक मामूली ग़लती की वजह से मैंने अपनी ज़िंदगी का सबसे अहम वक़्त गंवा दिया."
"इसकी भरपाई कौन करेगा."
राज्य ने अपनी ग़लती के लिए कोई भरपाई नहीं की है.
अपराध की वारदात क्या थी जिसमें निरनाराम पकड़े गए
1998 में अदालत ने निरनाराम और फ़िलहाल जेल में बंद एक सह-अभियुक्त को सज़ा सुनाते हुए इसे 'दुर्लभतम अपराध कहा था.'
26 अगस्त 1994 तो पुणे में एक लूट की वारदात के दौरान एक परिवार के सात सदस्यों की चाकुओं से हत्या कर दी गई थी.
पीड़ित परिवार के मुताबिक़, अभियुक्तों में से एक उनकी मिठाई की दुकान पर काम करता था और घटना से कुछ सप्ताह पहले ही उसने काम छोड़ दिया था.
बाद में ये व्यक्ति सरकारी गवाह बन गया और जांच में उसने पुलिस की मदद की. वो रिहा हो गया था.
अन्य दो अभियुक्त जिनमें निरनाराम भी शामिल है, पीड़ित परिवार की पहचान के नहीं थे.
पीड़ित परिवार के एक सदस्य संजय राठी ने साल 2015 में इंडियन एक्सप्रेस अख़बार से कहा था, "अगर उनका मक़सद लूट करना था तो फिर परिवार के सात लोगों की हत्या करने की क्या ज़रूरत थी."
निरनाराम ने मुझे बताया कि गांव के स्कूल में तीसरी कक्षा पास करने के बाद वो घर से भाग गए थे.
मैंने पूछा कि घर से क्यों भागे थे?
वो जवाब देते हैं, "मुझे कुछ याद नहीं है. मुझे ये भी याद नहीं है कि मैं किन लोगों के साथ भागा था. मैं पुणे पहुंच गया था जहां एक टेलर की दुकान पर काम करता था."
उनके किसी भाई को भी ये बात याद नहीं है कि निरनाराम घर से क्यों भागे थे.
लेकिन हत्याओं के बारे में उन्हें क्या याद है?
वो कहते हैं, "मुझे उस अपराध की भी कोई याद नहीं है. मुझे नहीं पता कि पुलिस ने मुझे क्यों गिरफ़्तार किया था. मुझे ये याद है कि गिरफ़्तारी के बाद मुझे बहुत पीटा गया था. जब मैंने पूछा कि मुझे क्यों मारा जा रहा है तो पुलिस ने मराठी भाषा में कुछ कहा था. उस समय मुझे मराठी भी नहीं आती थी."
"मुझे याद नहीं है, लेकिन पुलिस ने मुझसे बहुत से दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर करवाए थे. मैं बहुत छोटा लड़का था. मुझे ऐसा लगता है कि मुझे ग़लत तरीके से फंसाया गया था."
तो क्या आप उस अपराध से इनकार कर रहे हैं? मैंने पूछा.
"मैं ना अपराध को स्वीकार कर रहा हूं और ना नकार रहा हूं. जब मेरी याद्दाश्त बेहतर होगी तो मैं और स्पष्ट बता पाऊंगा. मुझे इसकी कोई याद नहीं है. मुझे कुछ भी याद नहीं आता है."
पिछले महीने जब सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें रिहा किया तो इस सवाल पर भी विचार किया गया कि क्या 12 साल की उम्र का बच्चा इतना जघन्य अपराध कर सकता है.
जजों ने कहा, "यह हमें झकझोरता है, हम अपनी न्याय प्रक्रिया को धूमिल करने के लिए इस तरह की अटकलों को लागू नहीं कर सकते हैं. हमें बाल मनोविज्ञान या अपराध विज्ञान का कोई ज्ञान नहीं है जो हम इस कारक को ध्यान में रख सकें ..."
अपनी मां अन्नी देवी के साथ निरनाराम
जेल में कैसे बिताया वक़्त
बैगी पैंट और सफ़ेद शर्ट पहनकर टाइल वाले फ़र्श पर बैठे हुए निरनाराम कहते हैं कि उन्हें जेल में अपने शुरुआती दिनों की बस धुंधली-सी याद है. उन्हें बस डराने-धमकाने वाले कर्मचारी और क़ैदी ही याद हैं.
लेकिन नागपुर जेल में क़ैदी नंबर 7432 के रूप में बिताया गया समय उन्हें याद है. पुणे की जेल की उनकी यादें भी स्पष्ट हैं.
वो कहते हैं, "साथ बंद क़ैदियों से मेरी कोई मित्रता नहीं हुई क्योंकि मैं बहुत डरा हुआ रहता था."
जेल के अकेलेपन को उन्होंने अपने आप को शिक्षित करके भरा. वो लगातार पढ़ते रहे, अपने सीलन भरे क़ैदखाने में उन्होंने इम्तिहान दिए और स्कूल की पढ़ाई पूरी की.
उन्होंने समाजशास्त्र में एमए किया. जब वो आज़ाद हुए तो वो राजनीति शास्त्र में एक और एमए करने की तैयारी कर रहे थे.
वो चाहते थे कि अगर आज़ाद हुए तो पूरा भारत घूमेंगे. इसलिए निरनाराम ने टूरिज़्म स्टडीज़ में छह महीने का कोर्स भी किया.
गांधी की विचारधारा पर भी उन्होंने एक कोर्स किया है. वो कहते हैं, "जब आप जेल में होते हैं तो किताबें ही आपकी सच्ची दोस्त होती हैं."
उन्होंने जेल में बहुत कुछ पढ़ा. गांधी की किताबें पढ़ीं. दुरजॉय दत्ता और चेतन भगत जैसे चर्चित लेखकों को पढ़ा और शिडनी शेल्डन के थ्रिलर नावेल पढ़े.
उन्हें फ़्योदोर दोस्तोयेव्स्की की 'क्राइम एंड पनिशमेंट' बहुत पसंद आई.
उनका सबसे पसंदीदा नावेल है जॉन ग्रीशम का 'द कंफ़ेशन'. ये एक थ्रिलर है और उन्हें इसमें अपनी ज़िंदगी की झलक दिखाई देती है.
निरनाराम अब बीकानेर के गांव में अपने भाइयों और उनके परिवारों के साथ रहते हैं
शिक्षा को दिया महत्व
निरनाराम कहते हैं कि बाहरी दुनिया से उनका संपर्क सिर्फ़ अंग्रेज़ी के कुछ अख़बारों के ज़रिए ही होता था.
वो पहले पन्ने से लेकर आख़िरी पन्ने तक अख़बार पढ़ते. एक बार जब उन्होंने विन डीज़ल की तस्वीर देखी तो अपना सर भी गंजा करा लिया. उन्होंने यूक्रेन युद्ध के बारे में भी पढ़ा.
रस्तोगी को जेल से लिखे एक पत्र में वो कहते हैं, "इससे पता चलता है कि आज की दुनिया में ऐसा नेतृत्व नहीं है जिसे वैश्विक स्तर पर स्वीकार किया जाए और जो दोनों देशों को बातचीत के लिए एक साथ ला सके."
वो कहते हैं, "आप पढ़ते हैं, लिखते हैं और फिर बोर हो जाते हैं."
निरनाराम ने भाषाएं सीखनी भी शुरू कीं. उन्होंने मराठी, हिंदी और पंजाबी सीख ली हैं और वो मलयालम सीखने की तैयारी कर रहे थे.
लेकिन वो राजस्थान में अपने इलाक़े में बोली जाने वाली स्थानीय भाषा को भूल गए हैं.
बहुत पहले खो चुके अपने बेटे की वापसी की पूर्व संध्या पर उनकी 70 साल की मां ने परिवार के जश्न में ख़ूब डांस किया.
पिक अप ट्रक में आए एक किराये के डीजे पर बड़े-बड़े स्पीकरों पर संगीत बज रहा था. लेकिन जब निरनाराम अपनी मां अन्नी देवी के सामने आए तो उनकी आंखों से आंसू निकल पड़े. दोनों समझ नहीं पा रहे थे कि कौन क्या बोल रहा है. निरनाराम के पिता की मौत साल 2019 में हो गई थी.
निरनाराम कहते हैं, "हम बस एक-दूसरे को देख रहे थे. वो बहुत ज़्यादा नहीं बदली हैं."
घर पर वो अपने भतीजों को अंग्रेज़ी पढ़ा रहे हैं
आज़ाद होने के बाद ज़िंदगी कैसी है
निरनाराम जब मार्च की एक दोपहरी में जेल से बाहर निकले तो उन्होंने देखा कि भारत कितना बदल चुका है.
वो हंसते हुए कहते हैं, "सड़कों पर नई गाड़ियां थीं, लोग स्टाइलिश कपड़े पहने हुए थे, सड़कें बहुत अच्छी थीं."
"युवा लड़के हायाबूसा मोटरसाइकिलें दौड़ा रहे थे. मैं सोचता था कि इस तरह की बाइक सिर्फ़ फ़िल्मों में ही होती हैं. मेरा देश बदल चुका है."
घर लौटने के बाद निरनाराम को भाषा की वजह से समाज में घुलने-मिलने में दिक़्क़त आ रही है.
वो मराठी, अंग्रेज़ी और हिंदी बोलते हैं. लेकिन उनके परिवार के लोग पहली दो भाषाओं को ना बोलते हैं और ना समझते हैं और हिंदी भी मुश्किल से समझ पाते हैं.
हर दिन मां और बेटा कुछ वक़्त साथ बिताते हैं और ट्रांसलेटर की मदद से वार्तालाप करते हैं जो अक्सर कोई हिंदी समझने वाला भतीजा होता है.
निरानाराम कहते हैं, "मैं कभी-कभी अपने ही घर में अजनबी की तरह महसूस करता हूँ."
लोगों से मिलना और आसपास आना-जाना अलग समस्या है. वो कहते हैं, "मैं हमेशा लोगों से बात करने से घबराता हूं, मुझे जेलों और छोटी जगहों की आदत है. मौत की सज़ा का इंतेज़ार आपको सामाजिक रूप से अक्षम बना देता है. मुझे सावधान रहना होगा और सीखना होगा कि एक आज़ाद इंसान जीवन को किस ढ़ंग से जीता है."
निरनाराम कहते हैं, "मुझे नहीं पता कि लोगों से खासकर महिलाओं के साथ कैसे व्यवहार व बातचीत करते हैं, मैं किसी को कैसे कहूं कि वे मुझे महिलाओं से बातचीत करना सिखा दे? मुझे बात करने से पहले हमेशा दो बार सोचना पड़ता है."
निरनाराम राजस्थान के एक दूरस्थ गांव में अपने परिवार के पास लौट आए हैं
परिवार के साथ कैसे बिता रहे हैं समय
लेकिन वो अपनी ज़िंदगी फिर से जीना चाहते हैं. उनके परिवार वालों ने उन्हें एक फ़ोन भी गिफ़्ट किया है जिसे वह इस्तेमाल करना सीख रहे हैं.
उनके भतीजों ने व्हाट्सप और फ़ेसबुक पर उनका अकाउंट बनाया है. उनके भाई के पास 100 एकड़ ज़मीन है जिसमें वह गेहूं, सरसों और दाल की खेती करते हैं.
लेकिन निरानाराम क़ानून की पढ़ाई करना चाहते हैं ताकि दूसरे क़ैदियों को ऐसी मुश्किलों का सामना ना करना पड़े जो उन्होंने किया था.
कुछ समय के लिए निरनाराम आकर्षण का केंद्र हैं. हर रोज़ दर्जनों लोग और रिश्तेदार उन्हें देखने और मिलने आते हैं. वो जानना चाहते हैं कि आख़िर कैसे यह व्यक्ति मृत्युदंड से वापस लौट आया है.
निरनाराम अपने भाई के घर पर एक कमरे में रहते हैं और अपने भतीजों को अंग्रेज़ी पढ़ाते हैं. उन्होंने कहा कि जेल की रुकी हुई ज़िंदगी के मुक़ाबले उन्हें आज़ाद दुनिया के तेज़ तौर-तरीकों में वापस ढलने में वक़्त लगेगा.
"मैं अतीत और भविष्य में उलझा हुआ हूं पर मैं ख़ुश हूं कि आज़ाद हूं. हालांकिमैं इस बात को लेकर तनाव महसूस करता हूं कि आगे भविष्य में क्या होगा? यह भावनाओं का एक अजीब मिला-जुला रूप है." (bbc.com/hindi)
(इस रिपोर्ट में अंतरिक्ष जैन ने सहयोग किया)
नयी दिल्ली, 15 अप्रैल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शनिवार को दावा किया कि आबकारी नीति मामले में सीबीआई द्वारा तलब किए जाने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल डर के मारे कांप रहे हैं।
पार्टी ने कहा कि अगर डरने की कोई बात नहीं है तो उन्हें ‘लाई डिटेक्टर टेस्ट’ कराना चाहिए।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने एक संवाददाता सम्मेलन में जांच एजेंसी द्वारा जारी समन को लेकर केंद्र सरकार पर हमला करने के लिए आम आदमी पार्टी (आप) के नेता की आलोचना की और कहा कि यह बयानबाजी का नहीं, बल्कि जवाबदेही का वक्त है।
भ्रष्टाचार के मुद्दे पर विभिन्न पार्टियों के नेताओं पर केजरीवाल के पूर्व में किए गए हमलों का उल्लेख करते हुए भाटिया ने कहा कि ‘आप’ सुप्रीमो को सच्चाई सामने लाने के लिए ‘लाई डिटेक्टर टेस्ट’ कराना चाहिए।
उन्होंने आरोप लगाया कि केजरीवाल ‘शराब घोटाला’ मामले में ‘‘सरगना’’ थे, जिसमें उनके विश्वासपात्र और पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया जेल में बंद हैं।
भाटिया ने केजरीवाल से सवाल किया कि क्या वह दिल्ली मंत्रिमंडल की फरवरी 2021 में हुई बैठक में लिए गए फैसलों के लिए जवाबदेह नहीं थे, जिसमें कथित तौर पर इस घोटाले की साजिश रची गई थी।
भाजपा प्रवक्ता ने केजरीवाल द्वारा एक आरोपी के साथ कथित तौर पर फेसटाइम पर बात करने को लेकर भी सवाल उठाया।
भाटिया ने कहा कि हथकड़ियां उनके पास पहुंच रही हैं और वह डरे हुए हैं तथा डर के मारे कांप रहे हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि उच्चतम न्यायालय ने सिसोदिया को कोई राहत देने से इनकार कर दिया है, जबकि एक सत्र अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज करते हुए घोटाले में उनकी भूमिका को लेकर कुछ गंभीर टिप्पणियां की हैं।
भाजपा नेता ने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नीत सरकार के तहत जांच एजेंसियां भ्रष्टाचार के मामलो की जांच करने के लिए स्वतंत्र हैं और मोदी सरकार की भ्रष्टाचार को लेकर ‘‘कतई बर्दाश्त न करने’’ की नीति है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने केजरीवाल से पांच सवाल पूछे हैं और मैं उन्हें इनमें से एक का भी जवाब देने की चुनौती देता हूं। वह इधर-उधर भटकाएंगे और इन सवालों से बच निकलेंगे।’’
भाटिया ने पूछा, ‘‘सत्र अदालत ने यह कहते हुए सिसोदिया की जमानत याचिका ठुकरा दी कि उन्होंने इंडोस्प्रिट के समीर महेंद्रु को एल1 देने के लिए तत्कालीन आबकारी आयुक्त को बुलाया था। एक मंत्री किसी खास व्यक्ति/संस्था को एल1 देने के लिए आबकारी आयुक्त को विवश क्यों करेगा?’’
गौरतलब है कि सीबीआई ने शुक्रवार को आबकारी नीति घोटाला मामले के संबंध में केजरीवाल को 16 अप्रैल को पूछताछ के लिए तलब किया। (भाषा)
नयी दिल्ली, 15 अप्रैल कांग्रेस ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए शनिवार को 43 उम्मीदवारों की तीसरी सूची जारी की।
पार्टी की ओर से जारी सूची के अनुसार, कोलार विधानसभा क्षेत्र से कोथुर जी मंजूनाथ उसके उम्मीदवार होंगे।
उल्लेखनीय है कि पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया इस विधानसभा चुनाव में वरुणा के साथ इस क्षेत्र से भी चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं। उनका नाम वरुणा विधानसभा क्षेत्र से घोषित हो चुका है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को छोड़कर शुक्रवार को कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व उपमुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी को अथानी विधानसभा क्षेत्र से टिकट दिया गया है।
गत छह अप्रैल को जारी कांग्रेस की दूसरी सूची में उसके 41 उम्मीदवार शामिल थे और एक प्रत्याशी सर्वोदय कर्नाटक पार्टी का था। सर्वोदय कर्नाटक पार्टी के दर्शन पुट्टनैया को मेलुकोट विधानसभा सीट से उम्मीदवार घोषित किया गया था।
कांग्रेस ने कर्नाटक में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए गत 25 मार्च को 124 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची जारी की थी। पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को वरुणा सीट से चुनाव मैदान में उतारा गया है।
कांग्रेस अब तक कुल 166 उम्मीदवार घोषित कर चुकी है। अब उसे 58 सीटों पर उम्मीदवार और घोषित करने हैं।
कर्नाटक की सभी 224 विधानसभा सीट के लिए 10 मई को मतदान होगा और वोटों की गिनती 13 मई को की जाएगी। (भाषा)
ठाणे (महाराष्ट्र), 15 अप्रैल महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक अदालत ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एक पदाधिकारी द्वारा कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ दायर मानहानि मामले में उन्हें व्यक्तिगत पेशी से शनिवार को स्थायी छूट दे दी।
भिवंडी प्रथम श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट लक्ष्मीकांत सी वाडिकर ने गांधी की ओर से वकील नारायण अय्यर के माध्यम से दायर अर्जी पर सुनवाई करते हुए कहा कि कांग्रेस नेता स्थायी छूट के हकदार हैं।
मजिस्ट्रेट ने आरएसएस के स्थानीय कार्यकर्ता राजेश कुंटे के मानहानि के मुकदमे में साक्ष्य पेश करने के लिए तीन जून की तारीख भी निर्धारित की है।
कुंटे ने 2014 में गांधी के बयान का वीडियो देखने के बाद भिवंडी की मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष एक निजी शिकायत दर्ज की थी, जिसमें कांग्रेस नेता ने कथित तौर पर महात्मा गांधी की हत्या के लिए आरएसएस पर आरोप लगाया था। कुंटे ने दावा किया कि इस बयान से आरएसएस की प्रतिष्ठा धूमिल हुई है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी जून 2018 में अदालत के सामने पेश हुए थे और उन्होंने खुद को निर्दोष बताया था।
‘पीटीआई-भाषा’ को उपलब्ध आदेश में कहा गया है, "आरोपी राहुल गांधी को अदालत के अगले आदेश तक निम्नलिखित शर्तों के अनुसार (व्यक्तिगत) पेशी से छूट दी जाती है।"
छूट के लिए निर्धारित शर्तों में से एक कहती है, ‘‘अभियुक्त यह वचन देते हैं कि उनका विधिवत नामित अधिवक्ता नियमित रूप से प्रत्येक निर्धारित तिथि पर अदालत के समक्ष उपस्थित होगा और अभियुक्त की अनुपस्थिति में मुकदमे का संचालन करेगा।"
दूसरी शर्त यह है कि आरोपी को जब भी निर्देश दिया जाएगा, वह अदालत में मौजूद रहेंगे।
गांधी ने पिछले साल भिवंडी की अदालत में पेशी से यह कहते हुए छूट मांगी थी कि वह दिल्ली के निवासी और लोकसभा सदस्य भी हैं। उन्होंने कहा था कि सांसद होने के नाते उन्हें अपने संसदीय क्षेत्र (वायनाड) की यात्रा करनी पड़ती है, पार्टी के कार्यों में शामिल होना पड़ता है तथा काफी यात्रा करनी पड़ती है, इसलिए उन्हें सुनवाई के दौरान अपने वकील के माध्यम से अपना प्रतिनिधित्व रखने की अनुमति दी जाए।
इस बीच, कुंटे ने हाल ही में दलील दी है कि चूंकि गांधी अब सांसद नहीं हैं, इसलिए उन्हें इस मामले में छूट नहीं दी जानी चाहिए। (भाषा)
मुंबई, 15 अप्रैल बीसीसीआई (भारतीय क्रिकेट बोर्ड) ने शनिवार को कहा कि न्यूजीलैंड में पीठ के निचले हिस्से की सफल सर्जरी के बाद भारत के मुख्य तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह को अब दर्द से राहत है और उन्होंने बेंगलुरु में राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी में ‘रिहैबिलिटेशन’ शुरु कर दिया है।
बीसीसीआई ने श्रेयस अय्यर के बारे में भी अपडेट दी और कहा कि यह बल्लेबाज अगले हफ्ते पीठ के निचले हिस्से की सर्जरी करायेगा।
सितंबर 2022 के बाद से क्रिकेट से बाहर चल रहे बुमराह एशिया कप और टी20 विश्व कप में नहीं खेल पाये थे और यह देखना होगा कि वह दो महीने के अंदर ओवल में आस्ट्रेलिया के खिलाफ होने वाले भरत के विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप फाइनल के लिए फिट होंगे या नहीं।
बीसीसीआई सचिव जय शाह ने एक बयान में कहा, ‘‘बुमराह के पीठ के निचले हिस्से की सर्जरी सफल रही और उन्हें अब कोई दर्द नहीं है। ’’
इसके अनुसार, ‘‘इस तेज गेंदबाज को विशेषज्ञों ने सर्जरी के छह हफ्ते बाद रिहैब शुरु करने की सलाह दी और इसी के अनुसार बुमराह ने शुक्रवार से बेंगलुरु में एनसीए में अपना रिहैबिलिटेशन प्रबंधन शुरु कर दिया है। ’’
जहां तक अय्यर का प्रश्न है तो कोलकाता नाइट राइडर्स के नियमित कप्तान अपनी पीठ के निचले हिस्से के उपचार के कारण मौजूदा टूर्नामेंट में नहीं खेल पाये और वह अगले हफ्ते सर्जरी करायेंगे।
बयान के मुताबिक, ‘‘वह दो हफ्तों के लिए सर्जन की देखभाल में रहेंगे और रिहैबिलिटेशन के लिए एनसीए लौटेंगे। ’’ (भाषा)
नयी दिल्ली, 15 अप्रैल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक प्रचार अभियान के दौरान हुए विस्फोट में जापान के अपने समकक्ष फुमियो किशिदा के सकुशल बचने पर राहत जतायी और कहा कि भारत हिंसा के सभी कृत्यों की निंदा करता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘जापान के वाकायामा में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में हिंसक घटना के बारे में मालूम चला, जहां मेरे मित्र प्रधानमंत्री किशिदा मौजूद थे। शुक्र है कि वह सुरक्षित हैं। उनके कुशलक्षेम और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता हूं। भारत हिंसा के सभी कृत्यों की निंदा करता है।’’
अधिकारियों ने बताया कि किशिदा शनिवार को पश्चिमी बंदरगाह शहर में एक कार्यक्रम में उस समय बाल-बाल बच गए, जब किसी ने वहां एक विस्फोटक फेंका।
पुलिस ने संदिग्ध को घटनास्थल पर ही दबोच लिया। (भाषा)
नयी दिल्ली, 15 अप्रैल दिल्ली की एक अदालत ने अपनी ‘लिव-इन पार्टनर’ श्रद्धा वालकर की हत्या करने के आरोपी आफताब अमीन पूनावाला के खिलाफ आरोप तय करने के संबंध में शनिवार को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश मनीषा खुराना कक्कड़ ने मामले की सुनवाई 29 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी है।
आरोपों पर बहस शनिवार को पूरी हुई।
इस बीच, वालकर के पिता ने अंतिम संस्कार करने के लिए उसकी अस्थियां सौंपने के लिए अदालत में एक आवेदन दायर किया है।
विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने कहा कि दिल्ली पुलिस सुनवाई की अगली तारीख पर अर्जी पर जवाब दाखिल करेगी।
गौरतलब है कि लगभग छह महीने पहले दिल्ली के महरौली इलाके में पूनावाला ने वालकर की कथित रूप से हत्या कर दी थी। उसने वालकर के शव के लगभग 35 टुकड़े कर उन्हें लगभग तीन सप्ताह तक 300 लीटर की क्षमता वाले फ्रिज में रखा और फिर उन्हें दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में फेंक दिया। (भाषा)