राष्ट्रीय
खार्तूम, 6 मई | सूडानी सेना ने कहा कि उसने सऊदी-अमेरिकी पहल के हिस्से के रूप में अफ्रीकी देश में संघर्ष समाप्त करने के लिए व मानवीय युद्धविराम पर चर्चा करने के लिए वार्ताकारों को सऊदी अरब के बंदरगाह शहर जेद्दा भेजा है। समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने सूडानी सेना द्वारा शुक्रवार को जारी एक बयान का हवाला देते हुए बताया कि सऊदी-अमेरिकी पहल के हिस्से के रूप में, युद्धविराम से संबंधित विवरणों पर चर्चा करने के लिए सूडानी सशस्त्र बलों का एक प्रतिनिधिमंडल जेद्दा के लिए रवाना हुआ।
बयान में कहा गया है, यह मौजूदा परिस्थितियों में हमारे नागरिकों के लिए मानवीय पहलुओं से निपटने के लिए उपयुक्त परिस्थितियां तैयार करता है।
इस सप्ताह की शुरुआत में सूडानी सेना और अर्धसैनिक रैपिड सपोर्ट फोर्स (आरएसएफ) युद्धविराम को सात दिनों के लिए बढ़ाने पर सहमत हुए थे।
हालांकि आरएसएफ ने आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं की है कि उसने वार्ताकारों को जेद्दा भेजा है, लेकिन स्थानीय मीडिया रिपोर्ट में ऐसी खबरें सामने आ रही है।
राजधानी खार्तूम और अन्य क्षेत्रों में 15 अप्रैल से सूडानी सेना और आरएसएफ के बीच सशस्त्र संघर्ष जारी है। दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर संघर्ष शुरू करने का आरोप लगाया है।
संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, हजारों सूडानी नागरिक विस्थापित हो गए हैं या फिर मिस्र, इथियोपिया और चाड सहित सूडान और पड़ोसी देशों में सुरक्षित क्षेत्रों में शरण लेने के लिए मजबूर हो गए हैं।
सूडानी स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, संघर्ष में अब तक 550 लोग मारे गए हैं और 4,926 अन्य घायल हुए हैं। (आईएएनएस)
बेंगलुरु, 6 मई | कर्नाटक में चुनाव प्रचार के लिए अब मात्र तीन दिन शेष रह गए हैं और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी बेटे राहुल के साथ शनिवार को हुबली में एक रैली को संबोधित करेंगी। कांग्रेस के मुताबिक, सोनिया गांधी शाम को हुबली में अपने बेटे के साथ एक संयुक्त जनसभा को संबोधित करने वाली हैं।
हुबली के आसपास का इलाका हिंदुत्व की राजनीति की प्रयोगशाला बना हुआ है और कांग्रेस ने इस इलाके को सोनिया गांधी की जनसभा के लिए चुना है।
इस बीच, राहुल गांधी अपनी मां के साथ तीसरी जनसभा में शामिल होने से पहले दो और जनसभाओं को संबोधित करेंगे। वह कर्नाटक के बेलगावी में यमकनमर्दी और चिकोडी में रैली करेंगे।
सोनिया गांधी की यह पहली चुनावी जनसभा होगी, जो वर्तमान में मई 2019 से कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष हैं।
सोनिया गांधी ने 2 मई 2019 को उत्तर प्रदेश के रायबरेली में आखिरी बार चुनावी जनसभा को संबोधित किया।
चुनाव से इतर एक जनसभा में उनका आखिरी भाषण 14 दिसंबर 2019 को दिल्ली के रामलीला मैदान में था, जहां उन्होंने 'भारत बचाओ रैली' में भाषण दिया था।
हालांकि, उन्होंने पार्टी के कई कार्यक्रमों में शिरकत की थी, लेकिन स्वास्थ्य कारणों से चुनाव प्रचार और जनसभाओं से दूर रहीं।
राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा कर्नाटक में आक्रामक रूप से प्रचार कर रहे हैं। दोनों ने संयुक्त रूप से राज्य में 40 से अधिक जनसभाएं और रोड शो किए हैं।
इस बीच, राहुल गांधी ने कर्नाटक विधानसभा चुनावों में अडाणी के मुद्दे को नहीं उठाया है और भ्रष्टाचार, बेरोजगारी जैसे स्थानीय मुद्दों पर अपना फोकस रखा है।
गांधी परिवार के अलावा मौजूदा कांग्रेस नेतृत्व भी राज्य में आक्रामक प्रचार कर रहा है।
सत्तारूढ़ भाजपा को दक्षिणी राज्य में कांग्रेस से कड़ी टक्कर मिल रही है। कांग्रेस कर्नाटक में आक्रामक रूप से प्रचार कर रही है और उसने भ्रष्टाचार तथा कई अन्य मुद्दों पर भाजपा को घेरा है।
कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में राज्य की जनता के लिए कई वादों की घोषणा की। पार्टी ने सत्ता में आने के एक साल के भीतर भाजपा सरकार द्वारा पारित सभी अन्यायपूर्ण कानूनों और अन्य जनविरोधी कानूनों को निरस्त करने का भी वादा किया।
राज्य में मतदाताओं को लुभाने के लिए, कांग्रेस ने गृह ज्योति - 200 यूनिट मुफ्त बिजली, गृह लक्ष्मी- परिवार की प्रत्येक महिला मुखिया को 2,000 रुपये मासिक, अन्ना भाग्य - बीपीएल परिवार के प्रत्येक व्यक्ति को उनकी पसंद के 10 किलो अनाज (चावल, रागी, ज्वार, बाजरा) की घोषणा की।
इसने यह भी वादा किया कि पार्टी जाति या धर्म के आधार पर समुदायों के बीच नफरत फैलाने वाले व्यक्तियों और संगठनों के खिलाफ कड़ी और निर्णायक कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसने यह भी कहा कि अगर बजरंग दल और पीएफआई जैसे किसी भी संगठन ने नफरत फैलाने की कोशिश की तो वह उस पर प्रतिबंध लगाएगी।
कर्नाटक में बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने के फैसले पर भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस को घेरा है।
कर्नाटक में 224 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनाव 10 मई को होना है और वोटों की गिनती 13 मई को होगी। (आईएएनएस)
चंडीगढ, 5 मई प्रदर्शनकारी पहलवानों के समर्थन में आये द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता कोच महावीर सिंह फोगाट ने शुक्रवार को भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग करते हुए धमकी दी कि इंसाफ नहीं मिलने पर वह अपने पदक वापिस कर देंगे ।
ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया , विश्व चैम्पियनशिप पदक विजेता विनेश फोगाट समेत पहलवान 23 अप्रैल से दिल्ली में धरने पर बैठे हैं । वे सात पहलवानों के कथित यौन उत्पीड़न के आरोपों का सामना कर रहे डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष और भाजपा सांसद सिंह को गिरफ्तार करने की मांग कर रहे हैं ।
महावीर फोगाट ने कहा ,‘‘ अगर इस मामले में इंसाफ नहीं मिला तो मैं अपने पदक वापिस कर दूंगा ।’’
उन्होंने कहा ,‘‘ उस पर जिस तरह के आरोप हैं, उसके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिये और उसे गिरफ्तार किया जाना चाहिये ।’’
तीन साल पहले भाजपा से जुड़े फोगाट से पूछा गया कि क्या उन्होंने सरकार से बात की है या पार्टी के स्तर पर मसला उठाया है, उन्होंने कहा ,‘‘ ऐसी कोई बात नहीं हुई है ।’’
प्रदर्शनकारी पहलवानों ने भी पद्मश्री समेत अपने पदक और पुरस्कार लौटाने की धमकी दी है ।
इस बीच हरियाणा में कई खापों ने भी प्रदर्शनकारी पहलवानों का समर्थन किया है । हिसार, भिवानी, जिंद और रेाहतक में कई खाप ने पहलवानों के समर्थन में प्रदर्शन किये ।
महावीर फोगाट पहलवान गीता और बबीता फोगाट के पिता और विनेश के चाचा हैं । (भाषा)
राजौरी (जम्मू-कश्मीर), 5 मई जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में कांडी वन क्षेत्र में शुक्रवार को आतंकवादियों द्वारा किए गए विस्फोट में विशेष बल से जुड़े दो सैन्यकर्मी शहीद हो गए और मेजर रैंक के एक अधिकारी समेत चार अन्य घायल हो गए। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
सेना की उत्तरी कमान की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि उसके जवान ‘‘पिछले महीने जम्मू क्षेत्र के भाटा धुरियां के तोता गली इलाके में सेना के ट्रक पर घात लगाकर हमला करने वाले आतंकवादियों के एक समूह के खात्मे के लिए लगातार खुफिया सूचना आधारित अभियान चला रहे हैं’’।
बयान में कहा गया है, ‘‘राजौरी सेक्टर में कांडी वन में आतंकवादियों की मौजूदगी के बारे में विशिष्ट सूचना के आधार पर तीन मई को संयुक्त अभियान शुरू किया गया था। शुक्रवार सुबह करीब साढ़े सात बजे तलाशी दल ने एक गुफा में छिपे आतंकवादियों के एक समूह को घेरा। चट्टानों और खड़े पर्वतीय क्षेत्रों से घिरा यह इलाका बेहद घना जंगली क्षेत्र है।’’
बयान के अनुसार, ‘‘आतंकवादियों ने इसके जवाब में विस्फोट कर दिया। सेना की टीम में शामिल दो सैन्यकर्मी शहीद हो गए और एक अधिकारी समेत चार जवान घायल हो गए।’’
ऐसी खबरें हैं कि पांच लोग मारे गये हो सकते हैं। घायल अधिकारी मेजर रैंक का है।
बयान में कहा गया है कि आस-पास के क्षेत्रों से अतिरिक्त टीम को मुठभेड़ स्थल भेजा गया है और घायल सैन्यकर्मियों को उधमपुर में कमान अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
बयान के मुताबिक, शुरुआती खबरों के अनुसार आतंकवादियों का एक समूह इलाके में फंसा हुआ है। बयान में कहा गया है, ‘‘आतंकवादी समूह में भी हताहत होने की संभावना है और अभियान जारी है।’’
इस बीच, अधिकारियों ने बताया कि राजौरी इलाके में मोबाइल इंटरनेट सेवा निलंबित कर दी गई हैं। (भाषा)
मुरैना, 5 मई मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के दिमनी विधानसभा क्षेत्र के एक गांव में पुरानी रंजिश के चलते एक पक्ष के कुछ लोगों ने शुक्रवार को दूसरे पक्ष की तीन महिलाओं सहित छह लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी और तीन अन्य लोगों को घायल कर दिया। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने यह जानकारी दी।
पुलिस महानिरीक्षक (चंबल जोन) एस सक्सेना ने ‘पीटीआई-भाषा’ को फोन पर बताया कि तीन लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि तीन अन्य ने जिला अस्पताल ले जाते समय दम तोड़ दिया।
उन्होंने कहा कि घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है और पुलिस हत्या के सिलसिले में आठ लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करने जा रही है।
सक्सेना ने बताया कि यह घटना जिला मुख्यालय से 50 से 60 किलोमीटर दूर लेपा गांव में हुई और मारे गए तीनों पुरुष और तीनों महिलाएं एक ही परिवार की सदस्य थीं।
हत्या के कारणों के बारे में पूछे जाने पर सक्सेना ने कहा कि मृतकों और आरोपियों के बीच पुरानी दुश्मनी थी। उन्होंने बताया कि मृतकों के रिश्तेदारों पर कुछ साल पहले आरोपियों के परिवार के दो सदस्यों की हत्या करने का आरोप है। (भाषा)
मुंबई, 5 मई राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल ने शुक्रवार को कहा कि शरद पवार ने पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए और समय मांगा है।
राकांपा का नया अध्यक्ष चुनने के लिए गठित की गई समिति ने एक प्रस्ताव पारित कर पार्टी के अध्यक्ष का पद छोड़ने के शरद पवार के फैसले को खारिज कर दिया। इसके बाद पटेल और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने दक्षिण मुंबई में पवार के सिल्वर ओक आवास पर उनसे मुलाकात की।
पटेल ने कहा, “हमने (शरद) पवार साहब से राकांपा समिति के उस प्रस्ताव पर विचार करने का अनुरोध किया जिसमें उन्हें पार्टी के अध्यक्ष पद पर बने रहने के लिए कहा गया है। उन्होंने (पवार ने) और समय मांगा है और इसके बाद वे अपना फैसला बताएंगे।”
राकांपा का नया अध्यक्ष चुनने के लिए गठित की गई समिति ने इससे पहले पवार के पद छोड़ने के फैसले को खारिज कर दिया।
पटेल ने समिति की बैठक के बाद कहा, “समिति ने आम-सहमति से एक प्रस्ताव पारित किया है। इसमें पवार के पद छोड़ने के फैसले को आम-सहमति से खारिज कर दिया गया और पार्टी का अध्यक्ष बने रहने का आग्रह किया गया है।”
राकांपा के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की घोषणा करने के बाद दो मई को पवार ने पार्टी का नया अध्यक्ष चुनने के लिए एक समिति का गठन किया था जिसमें उनके भतीजे अजित पवार, पुत्री सुप्रिया सुले, पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल और छगन भुजबल शामिल हैं। (भाषा)
नयी दिल्ली, 5 मई दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास के सौंदर्यीकरण पर कथित तौर पर हुए 45 करोड़ रुपये के खर्च को लेकर उठे विवाद के बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शुक्रवार को उन पर एक बार फिर निशाना साधा और उनके ‘वैभवशाली’ बंगले की तुलना इराकी तानाशाह सद्दाम हुसैन और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन के आलीशान आवासों से की।
भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में केजरीवाल के कुछ पुराने बयानों से संबंधित वीडियो दिखाए, जिसमें उन्होंने खुद को बड़े घरों और शानदार कारों सहित महंगी जीवन शैली को बनाए रखने पर सार्वजनिक धन खर्च करने वाले राजनीतिक नेताओं के खिलाफ एक योद्धा के रूप में प्रस्तुत किया था।
त्रिवेदी ने केजरीवाल पर हमला करते हुए 2013 में किए गए उनके एक ट्वीट का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित पर उनके घर में कथित तौर पर 10 एसी रखने के लिए निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि यह स्थिति तब है जब दिल्ली में इतने सारे लोग झुग्गियों में रहते हैं।
त्रिवेदी ने आम आदमी पार्टी के नेताओं पर भारतीय राजनीति में विश्वसनीयता का संकट पैदा करने में 'महत्वपूर्ण भूमिका' निभाने का आरोप लगाया और दावा किया कि यह उनके जैसे लोगों का आचरण है जो राजनीतिक वर्ग के बारे में लोगों के बीच अविश्वास पैदा करता है।
राज्यसभा के नेता ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा विश्वसनीयता की प्रतीक बनी है जबकि आप और अन्य विपक्षी नेता विश्सनीयता के संकट के प्रतीक हैं।
त्रिवेदी ने आरोप लगाया कि आप सरकार ने जांच से बचने के लिए केजरीवाल के घर पर हुए खर्च को जानबूझकर विभाजित किया और कहा कि सरकारी एजेंसियां कानून के अनुसार अपना काम करेंगी लेकिन दिल्ली की सत्ताधारी पार्टी को ‘राजनीतिक और नैतिक’ जवाब देना चाहिए।
केजरीवाल के आवास के दरवाजों का नियंत्रण सेंसर के जरिए होने का जिक्र करते हुए उन्होंने आप नेता पर निशाना साधा और कहा कि वह अपनी पार्टी से लेकर पंजाब सरकार तक को रिमोट कंट्रोल से संचालित कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘इससे पूर्व ऐसा लगता था कि उनका (केजरीवाल का) आवास भारत के कतिपय भ्रष्टाचार के आरोप में लिप्त नेताओं के वैभवशाली आवासों के समकक्ष है परंतु अब यह लगता है... अगर आप लोगों ने देखा होगा तो सद्दाम हुसैन के मकान में जिस प्रकार की चीजें दिखाई देती थीं या किम जोंग के मकान में जिस प्रकार की चीजें दिखाई देती थीं... अब तो उसके समकक्ष दिखाई पड़ रही हैं।’’
उन्होंने आप पर निशाना साधते हुए कहा कि केजरीवाल की पार्टी ने न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान हासिल की है।
त्रिवेदी ने कहा, ‘‘यहां मुद्दा सिर्फ आरोप लगाने का नहीं है, सिर्फ असली चेहरा दिखाने का है। मुद्दा दर्द के बारे में है, उस विश्वासघात के बारे में है जिसे दिल्ली के लोगों ने अनुभव किया है! दिल्ली के लोगों ने उन पर विश्वास किया था और उन्होंने शर्मनाक तरीके से उन सभी को धोखा दिया।’’ (भाषा)
बेंगलुरु, पांच मई कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरप्पा मोइली ने शुक्रवार को कहा कि अगर बजरंग दल नियमों के मुताबिक काम करे और सही आचरण रखे तो उस पर प्रतिबंध का कोई सवाल ही नहीं है।
कांग्रेस ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिये अपने घोषणापत्र में संगठन पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव दिया था। कांग्रेस के इस प्रस्ताव पर भारतीय जनता पार्टी उस पर निशाना साध रही है।
‘पीटीआई-भाषा’ से बात करते हुए, मोइली ने कहा कि इस संदर्भ को कांग्रेस द्वारा बजरंग दल को किसी तरह का नोटिस और चेतावनी जारी करने के रूप में देखा जाना चाहिए, न कि इस तरह से कि पार्टी कर्नाटक में 10 मई को होने वाले विधानसभा चुनाव में सत्ता में आने पर इसे प्रतिबंधित करने जा रही है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने संकेत दिया कि इस मुद्दे पर कांग्रेस तत्कालीन गृह मंत्री वल्लभभाई पटेल के दृष्टिकोण को अपनाएगी। उन्होंने कहा कि पटेल ने आरएसएस से ‘अवैध गतिविधियों’ में शामिल नहीं होने के संबंध में एक शपथ पत्र लेने के बाद राष्ट्रीय उसपर से प्रतिबंध हटा दिया था।
विधानसभा चुनावों के लिए इस सप्ताह के शुरू में जारी अपने घोषणापत्र में कांग्रेस ने कहा कि वह जाति और धर्म के आधार पर समुदायों के बीच नफरत फैलाने वाले व्यक्तियों और संगठनों के खिलाफ दृढ़ और निर्णायक कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है।
पार्टी ने कहा: “हमारा मानना है कि कानून और संविधान पवित्र है। कोई व्यक्ति या बजरंग दल, पीएफआई और नफरत एवं शत्रुता फैलाने वाले दूसरे संगठन, चाहे वह बहुसंख्यकों के बीच के हों या अल्पसंख्यकों के बीच के हों, वे कानून और संविधान का उल्लंघन नहीं कर सकते। हम ऐसे संगठनों पर कानून के तहत प्रतिबंध लगाने समेत निर्णायक कार्रवाई करेंगे।”
मोइली ने कहा कि “अच्छी तरह से तैयार” घोषणापत्र कहता है कि घृणा-अपराधों और अवैध तथा राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में शामिल संगठनों और व्यक्तियों से सख्ती से निपटा जाएगा और इस संदर्भ में पीएफआई व बजरंग दल का उल्लेख किया गया था। इसी के तहत कहा गया था कि पार्टी प्रतिबंध लगाने की हद तक जाएगी।
उन्होंने कहा, “इसका यह मतलब यह नहीं कि हमने ऐसा कर दिया, हम ऐसा करने जा रहे हैं।”
मोइली ने कहा जब महात्मा गांधी की हत्या हुई थी, तब पटेल ने आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया था और संगठन को गैरकानूनी घोषित करने का आदेश जारी किया था। उन्होंने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का नजरिया था कि “हम ऐसा निर्णय नहीं करेंगे, क्योंकि आरएसएस से जुड़े सभी लोग बुरे नहीं हैं, सिर्फ कुछ लोग ही हैं। इसलिए वह चाहते थे कि गृहमंत्री प्रतिबंध हटाएं।”
उन्होंने कहा, “प्रतिबंध हटाने से पहले, पटेल को आरएसएस से एक वचन मिला था कि वह राजनीति या ऐसी किसी भी अवैध गतिविधि में शामिल नहीं होगा। वह वचन दिया गया था (आरएसएस द्वारा)। इस शर्त पर प्रतिबंध हटाया गया था। कांग्रेस ने इस तरह से स्थिति को सुलझाया था। भविष्य में हम भी यही काम करेंगे (बजरंग दल पर प्रतिबंध की स्थिति में)।”
मोइली ने कहा, “अगर बजरंग दल खुद को घृणा अपराधों, देश-विरोधी या संविधान-विरोधी मुद्दों में संलिप्त नहीं करता है, या अपराधों में शामिल नहीं होता है, तो प्रतिबंध का कोई सवाल ही नहीं है, उन्हें खुद से संयमित व्यवहार करने दें, बस इतना ही, यह (घोषणापत्र) उन्हें दिया गया एक प्रकार का नोटिस है।” (भाषा)
नयी दिल्ली, 5 मई दिल्ली उच्च न्यायालय ने इंटरनेट की दिग्गज कंपनी गूगल को निर्देश दिया है कि वह यूट्यूब से ऐसे ‘‘मानहानिकारक’’ वीडियो को प्रतिबंधित करे या हटाए, जिनमें ‘कैच’ सहित प्रमुख ब्रांड को यह दावा करके निशाना बनाया गया है कि इनमें गाय का गोबर और मूत्र मिलाया गया है।
उच्च न्यायालय ने कहा कि प्रतिवादियों द्वारा इस तरह के वीडियो बनाना और अपलोड करना ‘‘कैच’’ ब्रांड वाले वादी के उत्पाद को ‘‘जानबूझकर बदनाम और अपमानित करने का प्रयास’’ है।
न्यायमूर्ति संजीव नरुला ने कहा, ‘‘यूट्यूब पर उपलब्ध ऐसे वीडियो पर टिप्पणियों के अवलोकन से पता चलता है कि लोगों को प्रभावित किया जा रहा है और इस तरह के झूठे बयानों पर विश्वास दिलाया जा रहा है, जिसके चलते वादी (धर्मपाल सत्यपाल संस प्राइवेट लिमिटेड) को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।’’
कथित तौर पर वीडियो अपलोड करने वाले दो प्रतिवादियों पर अदालत ने एकतरफा कार्यवाही की क्योंकि वे सुनवाई में शामिल नहीं हुए।
अदालत को गूगल के वकील द्वारा सूचित किया गया कि उसके पूर्व के निर्देशों के अनुपालन में कार्रवाई की गई और मामले से संबंधित तीन वीडियो हटाए गए हैं। (भाषा)
नयी दिल्ली, 5 मई मणिपुर में हिंसा पर चिंता जताते हुए राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सांसद मनोज झा ने शुक्रवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की।
राज्यसभा सदस्य झा ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार कानून व्यवस्था कायम रखने में नाकाम रही है।
उनका यह बयान मणिपुर सरकार द्वारा राज्य में आदिवासियों और बहुसंख्यक मेईती समुदाय के बीच हिंसा को रोकने के लिए ‘देखते ही गोली मारने’ के आदेश जारी किये जाने के बाद आया है।
मुर्मू को लिखे अपने पत्र में राजद सांसद ने कहा, ‘‘मणिपुर में कई समुदाय के लोग रहते हैं। औपनिवेशिक काल से जातीय संघर्ष राज्य के लिए अहम चुनौती रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मेईती समुदाय के लिए अनुसूचित जनजाति की मांग विवादास्पद मुद्दा रहा है और मणिपुर के अन्य समुदाय इसका विरोध कर रहे हैं। इस मुद्दे पर पहले भी हिंसा और प्रदर्शन हुए हैं और हाल में हिंसा का बढ़ना चिंता का विषय है।’’
झा ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार के भेदभावपूर्ण रवैये और कानून व्यवस्था बनाकर रखने में नाकामी से हाल में हालात और बिगड़ गये।
राजद सांसद ने कहा कि उन्हें लगता है कि मौजूदा हालात में मणिपुर की जनता की जान और संपत्तियों को बचाना जरूरी है और अंतिम विकल्प राष्ट्रपति शासन लगाने का ही है। (भाषा)
कोच्चि (केरल), 5 मई केरल उच्च न्यायालय ने विवादित बहु-भाषी फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ की रिलीज पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और कहा कि कुल मिलाकर फिल्म के ट्रेलर में किसी विशेष समुदाय को लेकर कुछ भी आपत्तिजनक सामग्री नहीं है।
न्यायमूर्ति एन. नागारेश और न्यायमूर्ति सोफी थॉमस की पीठ ने कहा कि निर्माताओं ने दलील दी है कि उनकी मंशा ‘‘भड़काऊ टीजर’’ जारी करने की नहीं थी। इस टीजर में एक बयान है जिसमें कहा गया है कि केरल की ‘‘32,000 महिलाओं’’ का धर्म परिवर्तन किया गया और वे आतंकवादी संगठन में शामिल हुईं।
न्यायमूर्ति नागारेश ने आदेश पढ़कर सुनाया और कहा कि फिल्म के ट्रेलर को देखकर ‘‘हमने पाया कि ट्रेलर में कुल मिलाकर किसी विशेष समुदाय के प्रति कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है।’’
अदालत ने कहा कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) ने फिल्म देखी और पाया कि यह सार्वजनिक रूप से प्रदर्शन के लिए योग्य है।
केरल उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि निर्माताओं ने फिल्म के साथ एक ‘डिस्क्लेमर’ प्रकाशित किया है कि यह फिल्म काल्पनिक है और यह घटनाओं का नाट्य रूपांतरण है और फिल्म इनकी सत्यता की पुष्टि या ऐतिहासिक घटनाओं के तथ्यों की पुष्टि नहीं करती है।
अदालत ने कहा, ‘‘डिस्क्लेमर के मद्देनजर हम निर्माताओं को फिल्म का प्रदर्शन करने से रोकने के लिए कोई अंतरिम आदेश जारी नहीं कर सकते हैं। उपर्युक्त बातों के मद्देनजर और निर्माता द्वारा दिए गए इस बयान, कि निर्माता की मंशा अपने सोशल मीडिया हैंडल पर भड़काऊ टीजर जारी करने की नहीं थी, पर विचार करते हुए इस समय इस याचिका के संदर्भ में कोई और जरूरी आदेश पारित करने की आवश्यकता नहीं है।’’
उच्च न्यायालय उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था जिसमें सीबीएफसी द्वारा फिल्म को सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए दिए गए प्रमाणपत्र को रद्द करने सहित इस पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया था।
याचिकाओं में दलील दी गई है कि फिल्म ‘‘गलत धारणा बनाती है’’ और इसके कुछ तथ्यों के कारण केरल के लोगों का ‘‘अपमान’’ हुआ है। याचिकाओं में फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया है।
अदा शर्मा अभिनीत ‘द केरल स्टोरी’ शुक्रवार को सिनेमाघरों में रिलीज हुई। फिल्म की कहानी केरल से कथित तौर पर गायब हुईं ‘‘लगभग 32,000 महिलाओं’’ की ‘‘खोज’’ पर आधारित है।
केरल में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और कांग्रेस के अनुसार, फिल्म में किया गया यह दावा सरासर गलत है कि 32,000 महिलाओं का धर्म परिवर्तन किया गया, उन्हें कट्टरपंथी बनाया गया तथा उन्हें भारत एवं दुनिया में आतंकी मिशन में तैनात किया गया। (भाषा)
पटना, 5 मई | बिहार में जाति आधारित गणना पर पटना उच्च न्यायालय के रोक के बाद राजद के अध्यक्ष लालू प्रसाद ने दावा किया है कि जातीय गणना बहुसंख्यक जनता की मांग है और यह होकर रहेगी। राजद अध्यक्ष प्रसाद ने शुक्रवार को भाजपा पर निशाना साधते हुए अपने ट्विटर अकाउंट से ट्वीट करते हुए लिखा कि जातीय जनगणना बहुसंख्यक जनता की मांग है और यह हो कर रहेगा। उन्होंने सवाल करते हुए पूछा कि भाजपा बहुसंख्यक पिछड़ों की गणना से डरती क्यों है?
राजद अध्यक्ष ने आगे लिखा कि जो जातीय गणना के विरोधी है वह समता, मानवता, समानता का विरोधी एवं ऊंच-नीच, गरीबी, बेरोजगारी, पिछड़ेपन, सामाजिक व आर्थिक भेदभाव का समर्थक है।
लालू प्रसाद बोले कि देश की जनता जातिगत जनगणना पर भाजपा की कुटिल चाल और चालाकी को समझ चुकी है।
उल्लेखनीय है कि बिहार सरकार द्वारा राज्य में कराई जा रही जातीय गणना पर गुरुवार को उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी है।
लालू प्रसाद इन दिनों पटना में हैं। दो दिन पहले वे राजद के विधायकों से भी मिले थे।
बिहार में जाति आधारित गणना का कार्य चल रहा था। पहले चरण में मकानों की गिनती हुई थी, जबकि दूसरे चरण की गिनती जारी थी। इस महीने यह कार्य पूरा होना था। (आईएएनएस)
बहराइच, 5 मई | उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में शुक्रवार को एक ट्रक के तिपहिया वाहन से टकरा जाने से पांच लोगों की मौत हो गई और दस अन्य घायल हो गए।
पीड़ित 'तिलक' समारोह से लौट रहे थे, इस दौरान कैसरगंज पुलिस घेरे में दुर्घटना का शिकार हो गए।
पुलिस ने कहा कि पीड़ितों की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है।
एसएचओ कैसरगंज दद्दन सिंह ने बताया कि घायलों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
उन्होंने कहा कि मृतकों की पहचान का पता लगाने और उनके परिवार के सदस्यों से संपर्क करने का प्रयास किया जा रहा है। (आईएएनएस)
अमरोहा (उत्तर प्रदेश), 5 मई | उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले के गजरौला क्षेत्र में एक ईंट भट्टे के पास पानी से भरे गड्ढे में डूबने से चार बच्चों की मौत हो गई।
सूत्रों के मुताबिक, घटना शुक्रवार सुबह की है जब गड्ढे के पास खेल रहे बच्चे उसमें गिर गए और डूब गए।
गड्ढा बारिश के पानी से भर गया था और जब बच्चों के माता-पिता ने उन्हें ढूंढना शुरू किया तब उन्हें पता चला कि वे गड्ढे में गिर गए है।
मृतकों की पहचान सौरव, अजीत, सोनाली और नेहा के रूप में हुई है। सभी की उम्र दस साल से कम थी। उनके माता-पिता बिहार के रहने वाले हैं, जो ईंट भट्ठे पर काम करते हैं और पास के नौनेर गांव में रहते हैं।
पुलिस ने ईंट भट्ठा मालिक को हिरासत में ले लिया है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 5 मई | कांग्रेस ने शुक्रवार को केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर की इस टिप्पणी पर पलटवार किया जिसमें ठाकुर ने कहा था कि प्रदर्शनकारी पहलवानों की सभी मांगें मान ली गई हैं। कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और छत्तीसगढ़ प्रभारी कुमारी सैलजा ने कहा, सबसे पहले यह बताइए कि पहलवानों की मांगों को किसने माना है? क्या सरकार ने उनकी मांगों पर सहमति जताई है? क्या सरकार के पास कोई नैतिकता बची है?
मंत्री पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा, मंत्री ने प्राथमिकी दर्ज करने के बारे में अदालती प्रक्रिया के संबंध में क्या कहा है। अदालत के आदेश के बाद प्राथमिकी दर्ज की गई।
उन्होंने कहा, अदालत जब कहती है तो वो न्याय की बात करते हैं, लेकिन नैतिकता और न्याय कहां है जब पहलवान जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ''और जब वे धरने पर बैठे हैं तो दिल्ली पुलिस उनसे कैसे निपटती है, आपने देखा। जब खिलाड़ियों की आंखों में आसू थे, वो कैसे सरकार पर विश्वास करेंगे?
ठाकुर ने लखनऊ में खेलो इंडिया कार्यक्रम में कहा था कि भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) चुनाव कराने वाला है।
ठाकुर ने कहा, ''समिति गठित करने की बात चल रही है, वह भी हो गयी। दिल्ली पुलिस ने भी प्राथमिकी दर्ज की है। सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है।
अनुराग ठाकुर खेलो इंडिया का उद्घाटन करने लखनऊ पहुंचे थे। लखनऊ में इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स का लोगो, शुभंकर और गान लॉन्च किया गया। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी भी शामिल हुए। (आईएएनएस)
पणजी, 5 मई | आतंकवाद को एक बड़ा खतरा बताते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि आतंकवाद विरोधी उपाय समय की जरूरत है।
गोवा में शंघाई संगठन निगम (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक में बोलते हुए जयशंकर ने कहा कि इन सभी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए आतंकवादी गतिविधियों के लिए वित्त के चैनलों को जब्त और अवरुद्ध किया जाना चाहिए।
एससीओ के विदेश मंत्रियों की बैठक के दूसरे दिन उन्होंने अपने सभी समकक्षों का स्वागत किया, जो एससीओ के सदस्य हैं।
उन्होंने कहा कि आतंकवाद का मुकाबला करना एससीओ के मूल जनादेशों में से एक है, और जैसा कि यह खतरा जारी है, आतंकवाद को रोकने के लिए उपाय करने की आवश्यकता है।
जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद का कोई औचित्य नहीं हो सकता और इसे हर तरह से रोका जाना चाहिए।
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्यों के विदेश मंत्रियों की दो दिवसीय बैठक गुरुवार को यहां शुरू हुई, जयशंकर ने भी अपने समकक्षों के साथ बैठक की।
जयशंकर ने एससीओ महासचिव झांग मिंग से भी मुलाकात की और भारत की एससीओ अध्यक्षता के लिए उनके समर्थन की सराहना की और कहा कि यह एससीओ को सुरक्षित करने की प्रतिबद्धता से प्रेरित है।
उन्होंने स्टार्टअप्स, पारंपरिक चिकित्सा, युवा सशक्तिकरण, बौद्ध विरासत और विज्ञान और प्रौद्योगिकी समेत प्रमुख क्षेत्रों को निर्धारित किया।
शंघाई में 15 जून, 2001 को स्थापित, एससीओ में मूल रूप से रूस, चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल थे। बाद में भारत और पाकिस्तान इसके सदस्य बने। (आईएएनएस)
जम्मू, 5 मई | जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले के कंडी इलाके में आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ में दो जवान शहीद हो गए और चार अन्य घायल हो गए। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
सेना ने एक बयान में कहा, "राजौरी सेक्टर के कंडी जंगल में आतंकवादियों की मौजूदगी की विशेष सूचना पर बुधवार को संयुक्त अभियान चलाया गया था। शुक्रवार को लगभग 07:30 बजे, खोज दल ने एक गुफा में घुसे आतंकवादियों की मौजूदगी का पता लगाया।"
"आतंकवादियों ने जवाबी कार्रवाई में एक विस्फोटक उपकरण चलाया। एक अधिकारी सहित चार और सैनिकों के घायल होने के साथ सेना की टीम को दो जवान हताहत हुए हैं।"
सेना ने कहा कि आसपास से अतिरिक्त टीमों को मुठभेड़ स्थल के लिए निर्देशित किया गया है।
घायल कर्मियों को उधमपुर के कमांड अस्पताल ले जाया गया है।
सेना ने कहा, "प्रारंभिक रिपोटरें के अनुसार आतंकवादियों का एक समूह क्षेत्र में फंसा हुआ है। आतंकवादियों के समूह में हताहत होने की संभावना है। अभियान जारी है।"
सेना ने कहा कि भारतीय सेना जम्मू क्षेत्र में भाटा धूरियन के तोता गली इलाके में सेना के ट्रक पर घात लगाकर हमला करने में शामिल आतंकवादियों के एक समूह का सफाया करने के लिए लगातार खुफिया आधारित अभियान चला रही है। (आईएएनएस)
मुंबई, 5 मई | एक्ट्रेस से नेता बनीं स्मृति ईरानी ने एक सैनिटरी पैड कंपनी के लिए अपना 25 साल पुराना विज्ञापन साझा किया, जो मासिक धर्म स्वच्छता के महत्व पर प्रकाश डालता है और इससे जुड़ी वर्जनाओं को तोड़ता है। वीडियो शेयर करते हुए उन्होंने उस वक्त कहा था कि इस तरह की प्रोजेक्ट एक मॉडल के ग्लैमर बेस्ड करियर को खत्म कर सकता है। लेकिन स्मृति के लिए चीजें अलग तरह से निकलीं, जो वर्तमान में महिला एवं बाल विकास और अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री हैं।
इंस्टाग्राम पर मंत्री ने पुराने विज्ञापन को साझा किया जिसमें वह सफेद कपड़ों में देखी जा सकती हैं। वह महिलाओं को पीरियड्स के बारे में खुलकर बात करने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं।
उसने लिखा: जब आपका अतीत आपको याद आता है। 25 साल पहले, किसी बड़ी कंपनी के लिए मेरा ये पहला विज्ञापन था। हालांकि, यह विषय फैंसी नहीं था। असल में ये एक ऐसा प्रोडक्ट था, कि कई लोग इस असाइनमेंट के खिलाफ थे क्योंकि ये एक सैनिटरी पैड का विज्ञापन था, चूंकि विज्ञापन में शामिल होने वाली मॉडल के लिए एक ग्लैमर आधारित करियर खत्म होना निश्चित था।
कैमरे के सामने अपना करियर शुरू करने के लिए मैं उत्सुक थी, मैंने हां कह दिया! आखिर मासिक धर्म स्वच्छता पर बातचीत वर्जित क्यों होनी चाहिए. तब से 'पीछे मुड़कर नहीं देखा।
उन्होंने पोस्ट में आगे लिखा: हां मैं पतली थी .ये याद दिलाने की जरूरत नहीं। (आईएएनएस)
रांची, 5 मई | झारखंड में हाथियों के दो अलग-अलग हमलों में चार लोगों की जान चली गई है। लातेहार जिले के चंदवा में हाथियों ने एक ही परिवार के तीन लोगों को कुचल डाला, जबकि गिरिडीह में भी एक व्यक्ति इनके हमले में मारा गया है।
लातेहार की घटना के बारे में बताया गया कि एक दर्जन हाथियों का झुंड बीती रात एक से दो बजे के बीच चंदवा की माल्हन पंचायत में एक ईंट भट्ठे पर पहुंचा। भट्ठे पर कई मजदूर और उनके घरों के लोग सो रहे थे। हाथियों ने न सिर्फ भट्ठे को पूरी तरह तहस-नहस कर डाला, बल्कि पास में सो रहे एक परिवार के मुखिया पनुआ भूइंया, उसकी पत्नी बबिता देवी और पुत्री मंजिशा कुमारी को पांवों से रौंदकर और सूंढ़ से लपेटकर मार डाला।
भट्ठे पर मौजूद बाकी मजदूर किसी तरह जान बचाकर भागने में सफल रहे। बताया गया कि बबिता देवी ने अपनी बच्ची को गोद में लेकर भागने की कोशिश की, लेकिन हाथी ने सूंड़ में दबोच लिया और इसके बाद दोनों को पटक कर और कुचल कर मार डाला। बबिता देवी के पति फानु भुइयां को भी एक हाथी सूंढ़ में लपेटकर काफी दूर ले गया और इसके बाद कुचलकर मार डाला। यह परिवार गढ़वा के भंडरिया महागामा सरायडीह का रहने वाला था। पति-पत्नी दोनों चंदवा स्थित ईट भट्टा मजदूरी करते थे। मृतक के पिता महेंद्र भुइंया का कहना है कि बेटे-बहू और पोती की मौत से उसके परिवार की रीढ़ टूट गई है। बेटे-बहू की कमाई से ही घर का गुजारा चलता था।
इधर पुलिस और वन विभाग की टीम सुबह मौके पर पहुंची। तीनों के शव पोस्टमार्टम के लिए भेजे गए हैं। माल्हन पंचायत के ग्रामीणों का कहना है कि हाथियों का झुंड अक्सर गांव पर हमला कर देता है जिस कारण से जानमाल की क्षति होती है। वन विभाग हाथियों को नियंत्रित करने में विफल रहता है।
हाथियों के उत्पात की दूसरी घटना गिरिडीह के बिरनी प्रखंड अंतर्गत वृंदा गांव की है। यहां शुक्रवार सुबह हाथियों ने लखन रविदास नामक एक व्यक्ति को कुचलकर मार डाला। हाथियों ने गांव में आंगनबाड़ी केंद्र भवन समेत कई घरों के दरवाजे तोड़ दिए। किसानों की एक एकड़ में लगी जेठूवा फसल नष्ट कर दी। इसके बाद हाथियों का झुंड बिरनी के कपिलो व चानो गांव पहुंचा। यहां भी आंगनबाड़ी केंद्र समेत कई लोगों के घरों का दरवाजे तोड़ दिए। खेतों में लगी खीरा, भिंडी की फसलें भी रौंद डाली। वन विभाग की टीम हाथियों को सुरक्षित स्थान तक ले जाने में जुटी है।
इंफाल, 5 मई मणिपुर में सुरक्षाबलों की भारी मौजूदगी के बीच बृहस्पतिवार रात हिंसा की किसी ताजा घटना की सूचना नहीं मिली और शुक्रवार सुबह तनावपूर्ण शांति बनी रही। पुलिस अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि हालांकि, मणिपुर के कई हिस्सों में सुरक्षाबलों और उग्रवादियों के बीच मुठभेड़ की खबरें हैं।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक, चुराचांदपुर जिले के कांगवई, पड़ोसी बिष्णुपुर जिले के पश्चिमी पहाड़ी इलाके फौगाकचाओ और इंफाल पूर्वी जिले के दोलाईथाबी और पुखाओ में मुठभेड़ की सूचना मिली है।
उन्होंने कहा कि हालांकि, फिलहाल यह नहीं पता चल सका है कि दोनों पक्षों में कोई हताहत हुआ है या नहीं।
रक्षा विभाग के जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) ने एक बयान जारी कर कहा, “सभी हितधारकों की समन्वित कार्रवाई के जरिये स्थिति पर नियंत्रण हासिल कर लिया गया है। भारतीय वायु सेना ने सी17 ग्लोबमास्टर और एएन32 विमानों के जरिये असम की दो हवाई पट्टियों से उड़ान भरकर क्षेत्र में बचाव एवं निकासी अभियान चलाया।”
बयान के अनुसार, “प्रभावित इलाकों में सुरक्षाबलों की तैनाती चार मई की रात को शुरू की गई। अतिरिक्त बलों ने पांच मई को तड़के ही नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का काम आरंभ कर दिया। प्रभावित क्षेत्रों से सभी समुदायों के नागरिकों की निकासी का काम बृहस्पतिवार को रात भर किया गया। चुराचांदपुर और अन्य संवेदनशील इलाकों में फ्लैग मार्च जारी है।”
एक रक्षा अधिकारी ने बताया कि मणिपुर में सेना और असम राइफल्स के 55 ‘कॉलम’ तैनात किए गए हैं, जबकि नगालैंड से सड़क मार्ग से अतिरिक्त सैनिकों को बुलाया गया और वायु सेना के विमान भी असम के तेजपुर और गुवाहाटी से अतिरिक्त जवान लेकर रवाना हुए।
उन्होंने कहा कि उग्र भीड़ ने इंफाल शहर के न्यू चेकोन और चिंगमेइरोंग इलाकों में बृहस्पतिवार शाम दो शॉपिंग मॉल में तोड़फोड़ और आगजनी की थी, जिसके बाद सुरक्षाबलों ने सड़कों पर गश्त बढ़ा दी थी।
रक्षा अधिकारी ने बताया कि इंफाल और अन्य इलाकों में बृहस्पतिवार रात लोगों को बड़ी संख्या में इकट्ठा होते या अपने घरों से बाहर निकलते नहीं देखा गया, क्योंकि सड़कों पर गश्त तेज कर दी गई थी।
रक्षा अधिकारी के मुताबिक, उग्र भीड़ ने बृहस्पतिवार को थनलॉन के आदिवासी विधायक वंजागिन वाल्टे पर हमला कर दिया था, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
सूत्रों ने कहा कि समुदायों के बीच हिंसा में बड़ी संख्या में लोग मारे गए हैं और घायल हुए हैं। हालांकि, पुलिस फिलहाल इसकी पुष्टि नहीं कर रही है।
मालूम हो कि मणिपुर में बहुसंख्यक मेइती समुदाय द्वारा उसे अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर मेइती समुदाय के लोगों और आदिवासियों के बीच हिंसा भड़क गई है, जिससे दोनों समुदायों के 9,000 से अधिक लोग विस्थापित हो गए हैं।
हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में कई प्रभावित लोग सुरक्षाबलों के शिविरों में शरण ले रहे हैं।
मणिपुर सरकार ने हिंसा पर काबू पाने के लिए ‘देखते ही गोली मारने का’ आदेश दिया है। मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा है कि यह हिंसा समाज में ‘गलतफहमी’ का नतीजा थी और उनका प्रशासन स्थिति पर नियंत्रण हासिल करने के लिए सभी उपाय कर रहा है। (भाषा)
रांची, 5 मई झारखंड से तस्करी कर कर्नाटक ले जाई गई 11 नाबालिग लड़कियों को बेंगलुरु में तस्करों के चंगुल से छुड़ाने में कामयाबी मिली है। एक अधिकारी ने बृहस्पतिवार रात को यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि ये लड़कियां पहड़िया समुदाय से ताल्लुक रखती हैं, जो एक विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (पीवीटीजी) है।
अधिकारी ने कहा, “पहड़िया समुदाय की 11 लड़कियों को तस्करों के चंगुल से बचाया गया है। उन्हें बेंगलुरु से वापस रांची लाया जाएगा।”
उन्होंने बताया कि ये सभी लड़कियां झारखंड के साहिबगंज और पाकुड़ जिले की रहने वाली हैं।
इस बीच, राज्य सरकार ने एक बयान जारी कर कहा, “मानव तस्करों द्वारा बड़े शहरों में नौकरी का झांसा देकर गरीब परिवारों के बच्चों को बेचे जाने के कई मामले सामने आए हैं। राज्य सरकार द्वारा इस संबंध में गठित मानव तस्करी विरोधी इकाई बच्चों को छुड़ाने के लिए तस्करों के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रही है।”
बयान में कहा गया है कि तस्करों के चंगुल से बचाए गए बच्चों के पुनर्वास के भी इंतजाम किए गए हैं।
हाल ही में, झारखंड से तस्करी कर ले आई गई 13 नाबालिग लड़कियों को दिल्ली में बचाया गया था। इनमें 14 साल की एक गर्भवती लड़की भी शामिल थी। (भाषा)
लातेहार, 5 मई झारखंड के लातेहार जिले में हाथियों के झुंड ने तीन साल की बच्ची सहित एक ही परिवार के तीन सदस्यों को कुचल कर मार डाला। पुलिस ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
पुलिस ने बताया कि घटना बृहस्पतिवार को देर रात करीब डेढ़ बजे की है, जब रांची से करीब 80 किमी दूर मल्हान पंचायत में एक ईंट भट्ठे के पास बनी झोपड़ी में 30 वर्षीय मजदूर फानू भुइंया अपनी 26 वर्षीय पत्नी बबीता देवी और तीन साल की बेटी के साथ सो रहा था।
चंदवा थाना के निरीक्षक अमित कुमार ने बताया, "हाथियों का एक झुंड ईंट भट्ठा इलाके में आधी रात के बाद दिखाई दिया और परिवार के तीनों सदस्यों को कुचल कर मार डाला। हाथियों के झुंड ने इलाके में भी कहर बरपाया। हालांकि, ईंट भट्ठे में काम कर रहे अन्य मजदूर भागने में सफल रहे।"
उन्होंने बताया कि तीनों शवों को शुक्रवार सुबह थाने लाया गया और उन्हें पोस्टमॉर्टम के लिए लातेहार अस्पताल भेज दिया गया।
लातेहार के प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) रौशन कुमार ने पीटीआई-भाषा को बताया, "पिछले कई दिनों से बालूमाथ और चंदवा वन परिक्षेत्र के बीच करीब 14 हाथियों का आना-जाना लगा हुआ है। बृहस्पतिवार शाम को चकला क्षेत्र में इस झुंड को देखा गया और हमने लोगों को सतर्क कर दिया।"
उन्होंने कहा कि चूंकि देर रात मजदूर सो रहे थे, इसलिए उन्हें हाथियों के झुंड का पता नहीं चला। डीएफओ ने कहा कि घटना में मारे गए लोग गढ़वा जिले के हैं और उनके परिवार के एक रिश्तेदार को तत्काल राहत के रूप में 60,000 रुपये दिए गए हैं। (भाषा)
मुंबई, 5 मई राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल ने शुक्रवार को कहा कि राकांपा का नया अध्यक्ष चुनने के लिए गठित की गई एक समिति ने एक प्रस्ताव पारित कर, पार्टी के अध्यक्ष का पद छोड़ने के शरद पवार के फैसले को खारिज कर दिया है।
पटेल ने समिति की बैठक के बाद कहा, “समिति ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया है। यह प्रस्ताव पवार के पद छोड़ने के फैसले को खारिज करता है और उनसे पार्टी का अध्यक्ष बने रहने का आग्रह करता है।”
राकांपा के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की घोषणा करने के बाद दो मई को पवार ने, पार्टी का नया अध्यक्ष चुनने के लिए एक समिति का गठन किया था जिसमें उनके भतीजे अजीत पवार, पुत्री सुप्रिया सुले, पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल और छगन भुजबल शामिल थे।
समिति के उपाध्यक्ष और संयोजक पटेल ने कहा, “हम इस प्रस्ताव के साथ पवार साहब से मुलाकात करेंगे और उनसे अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध करेंगे।”
पटेल ने कहा कि पार्टी और देश को पवार जैसे नेता की जरूरत है।
उन्होंने कहा, “पवार साहब देश के एक सम्मानित नेता हैं। पवार के फैसले के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया सामने आईं। भावनाओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सका।”
जब समिति की बैठक हो रही थी तब “मैं साहेब के साथ हूं” संदेश वाली टोपी पहने राकांपा के कई कार्यकर्ताओं ने मांग की कि शरद पवार पार्टी अध्यक्ष का पद छोड़ने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करें।
पवार ने मंगलवार को उस पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की घोषणा कर सभी को चौंका दिया था, जिसकी स्थापना उन्होंने 1999 में की थी । उस समय उन्होंने अपना राजनीतिक रास्ता तय करने के लिए कांग्रेस छोड़ दी थी।
एक कार्यक्रम में की गई घोषणा ने 24 साल पुरानी राकांपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं को स्तब्ध कर दिया।
राज्यसभा सदस्य और विपक्ष के दिग्गज नेताओं में से एक, पवार ने तब कहा था कि वह राकांपा प्रमुख का पद छोड़ रहे हैं, लेकिन सार्वजनिक जीवन से संन्यास नहीं ले रहे हैं।
यह घोषणा उन अटकलों के बीच की गई कि पवार के भतीजे अजीत पवार और कुछ विधायक सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के साथ हाथ मिला सकते हैं। हालांकि, पूर्व उपमुख्यमंत्री ने इस बात का खंडन करते हुए दावा किया था कि वह आजीवन राकांपा के साथ रहेंगे। (भाषा)
लखनऊ, 5 मई | दिल्ली में पहलवानों का कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ आंदोलन जारी है। इस बीच भारतीय जनता पार्टी इस पूरे मामले में चुप्पी साधे हुए है। तमाम निगाहें ब्रिजभूषण पर टिकी हुई हैं कि वह अपने बचाव में आखिर क्या करेंगे? सूत्रों की मानें तो अगर बीजेपी उनके खिलाफ सख्त कदम उठाने का फैसला करती है तो वह समाजवादी पार्टी के साथ जा सकते हैं।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अभी तक इस पूरे मामाले में पहलवानों के पक्ष में कोई बयान नहीं दिया है और न ही खुलकर कुश्ती संघ अध्यक्ष की आलोचना की है।
बीते दिनों बृजभूषण सिंह भी इस कारण अखिलेश की सराहना कर चुके हैं। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह सपा में शामिल हो सकते हैं।
उन्होंने कहा, "अखिलेश जी सच जानते हैं। मुझे राजनीति का शिकार बनाया जा रहा है। मेरे खिलाफ आंदोलन कर रहे पहलवानों का सामाजिक दायरा किसी से छिपा नहीं है।"
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ताओं को भी साफ निर्देश दिए गए हैं कि वे टीवी चैनलों पर बृजभूषण के समर्थन या खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं करें।
सूत्रों बताते हैं कि बीजेपी भी इस मामले में कोई बड़ा फैसला लेने से बच रही है, क्योंकि पार्टी नहीं चाहती कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में उसका प्रभुत्व कम हो, खासकर उन जगहों पर जहां सिंह आबादी का दबदबा ज्यादा है।
पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ता के अनुसार, "लोकसभा चुनावों में अब कुछ महीनों का ही समय रह गया है। बृजभूषण सिंह का करीब 6 से 7 सीटों पर बड़ा प्रभाव है, इसलिए पार्टी ने इस पूरे मामले पर नजर बना रखी है। हमें उम्मीद है कि यह पूरा मामला जल्द से जल्द समाप्त हो जाएगा।"
अगर बृजभूषण सिंह समाजवादी पार्टी में शामिल होने की सोचते हैं तो सपा उन्हें अपनी पार्टी में शामिल करने के लिए तैयार है।
दरअसल, राजा भैया के साथ रिश्ते खराब होने के कारण पार्टी के पास कोई ऐसा दमदार ठाकुर नेता नहीं है, जिसका सीधा प्रभाव जनता पर पड़ता हो और जो ठाकुरों की वोट को सपा की तरफ खींच सके।
एक समय यूपीए के पक्ष में वोटिंग करने के कारण बृजभूषण सिंह को बीजेपी ने पार्टी से निकाल दिया था, जिसके बाद वह साल 2008 में समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए थे। साल 2013 में वह एक बार फिर बीजेपी में वापस लौट आए।
समाजवादी पार्टी में उनकी वापसी की राह इसलिए भी आसान लगती है, क्योंकि पार्टी में उनके सबसे बड़े विरोधी रहे विनोद सिंह ऊर्फ पंडित सिंह अब नहीं हैं, साथ ही बाबरी मामले में भी उनको बरी कर दिया गया है। (आईएएनएस
मणिपुर बीते करीब एक सप्ताह से सुर्खियों में है. इस बार इसकी वजह उग्रवाद नहीं बल्कि राज्य के मैतेयी और आदिवासी समुदाय के हितों का टकराव है. राज्य के आठ जिलों में सेना और अर्धसैनिक बलों के जवानों को तैनात किया गया है.
डॉयचे वैले पर प्रभाकर मणि तिवारी की रिपोर्ट-
बुधवार रात से हिंसा और आगजनी भड़कने के बाद राजधानी इंफाल और राज्य के विभिन्न इलाकों में सेना के जवान फ्लैग मार्च कर रहे हैं. गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह से फोन पर बात कर हालात की जानकारी ली. बीरेन सिंह ने आज सुबह एक वीडियो मैसेज जारी कर लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है. इस बीच मणिपुर के गवर्नर ने कोई और उपाय काम नहीं आने पर उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने के अधिकार पुलिस को दे दिये हैं.
मैतेयी और आदिसवासी समुदाय का विवाद
राज्य के मैतेयी और आदिवासी समुदाय के बीच तनाव तो लंबे समय से चल रहा था. हाईकोर्ट के एक फैसले ने इस तनाव को और बढ़ा दिया है. गैर-आदिवासी मैतेयी समुदाय की आबादी राज्य में करीब 53 फीसदी है. यह समुदाय लंबे अरसे से अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग कर रहा है. मैतेयी समुदाय की दलील है कि अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिलने के बाद वे लोग राज्य के पर्वतीय इलाकों में जमीन खरीद सकेंगे.
फिलहाल वे लोग मैदानी इलाको में तो जमीन खरीद सकते हैं, लेकिन पर्वतीय इलाको में जमीन खरीदने का उनको अधिकार नहीं है. इस समुदाय के लोग मणिपुर घाटी में रहते हैं। मौजूदा कानून के अनुसार, मैतेई समुदाय को राज्य के पहाड़ी इलाकों में बसने की इजाजत नहीं है.
इस समुदाय का कहना है कि अनुसूचित जनजाति का दर्जा नहीं होने के कारण पड़ोसी म्यांमार और बांग्लादेश से आने वाले लोगों की लगातार बढ़ती तादाद उनके वजूद के लिए खतरा बनती जा रही है. उधर आदिवासी समुदाय उसकी इस मांग का विरोध कर रहा है. आदिवासी संगठनों का कहना है कि ऐसा होने पर मैतेयी समुदाय उसकी जमीन और संसाधनों पर कब्जा कर लेगा.
अनुसूचित जाति का दर्जा
आदिवासी संगठनों को चिंता है कि अगर मैतेयी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिल गया को सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों से आदिवासियों को वंचित होना पड़ेगा. आरक्षण का तमाम लाभ मैतेयी समुदाय को ही मिल जाएगा. राज्य की कुल आबादी में 40 फीसदी आदिवासी हैं. इनमें नागा और कुकी समुदाय भी शामिल है.
आदिवासी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा हासिल है. मैतेयी तबके की आबादी को ध्यान में रखते हुए ही वे उसे यह दर्जा देने का विरोध कर रहे हैं. राज्य में आदिवासी समुदाय के लोग कथित वन क्षेत्र से आदिवासियों को उजाड़ने, आरक्षित वनक्षेत्र, संरक्षित जंगल और वन्यजीव अभयारण्यों के सर्वेक्षण के खिलाफ पहले से ही आंदोलन कर रहे हैं.
अपनी मांग के समर्थन में मैतेयी संगठन ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी. उस पर सुनवाई के दौरान अदालत ने बीते 19 अप्रैल को राज्य सरकार से इस मांग पर विचार करने और चार महीने के भीतर केंद्र को अपनी सिफारिश भेजने का निर्देश दिया था. हाईकोर्ट के इस निर्देश के बाद ही दोनों समुदायों के बीच हिंसा शुरू हो गई.
ताजा हिंसा
बीते सप्ताह चूड़ाचांदपुर जिले में मुख्यमंत्री एन.बीरेन सिंह के एक कार्यक्रमके दौरान हिंसा और आगजनी हुई थी. आदिवासियों ने मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के लिए बने मंच को भी जला दिया था. उसके बाद हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे थे. बुधवार को आदिवासी संगठनों ने मैतेयी समुदाय की मांग के विरोध में अखिल आदिवासी छात्र संघ मणिपुर के बैनर तले राज्य के सभी 10 पर्वतीय जिलों में आदिवासी एकता रैली का आयोजन किया था.
इस हिंसा की शुरुआत बिष्णुपुर और चूड़ाचांदपुर जिले की साम पर उस समय हुई जब एक भीड़ ने एक समुदाय के घरों में आग लगा दी. उसके बाद यह हिंसा तेजी से राज्य के दूसरे जिलों में भी फैल गई. चूड़ाचांदपुर में कूकी आदिवासी तबके के लोगों की आबादी सबसे ज्यादा है जबकि बिष्णुपुर में मैतेयी समुदाय के लोग रहते हैं.
हिंसा भड़कने के बाद राज्य के आठ जिलों में धारा 144 लागू कर इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई और सेना को सड़कों पर उतार दिया गया. सेना और असम राइफल्स के जवानों ने हिंसाग्रस्त इलाकों से कम से कम आठ हजार लोगों को निकाल कर सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया है.
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि फिलहाल दो मुद्दों ने राज्य में ताजा परिस्थित पैदा की है. इसमें पहला है राज्य सरकार की ओर से वन क्षेत्र और दूसरा है मैतेयी समुदाय को अनुसूचित जनजाति के दर्जे के मुद्दे पर हाईकोर्ट का फैसला.
सरकार की भूमिका
इस बीच, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन.बीरेन सिंह ने राज्य में तमाम लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है. मुख्यमंत्री ने कहा है कि हिंसा की वजह दो समुदायों के बीच गलतफहमियां हैं. उन्होंने कहा, "लंबे समय से चली आ रही शिकायतों को सही तरीके से लोगों के साथ सलाह-मशविरा के जरिए हल कर लिया जाएगा."
पड़ोसी मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथंगा ने मुख्यमंत्री बीरेन सिंह को भेजे एक पत्र में राज्य की स्थिति पर गहरी चिंता जताई है. उन्होंने संबंधित पक्षों से बात कर बेवजह होने वाली हिंसा पर तुरंत अंकुश लगाने की अपील की है.
राजनीतिक पर्यवेक्षक के. कुंजम सिंह कहते हैं, "भाजपा की अगुवाई वाली राज्य सरकार का रवैया भी इसके लिए कुछ हद तक जिम्मेदार है. वह चुनाव के समय तो तमाम आदिवासी संगठनों के नेताओं को दिल्ली बुला कर उनसे बातचीत में सभी समस्याएं हल करने के वादे करती हैं. लेकिन चुनाव बाद इसे भूल कर उनको उनके हाल पर छोड़ देती है. इसलिए आदिवासी संगठनों में बीजेपी और उसकी सरकार के प्रति भी भारी नाराजगी है. अगर इस समस्या को शीघ्र बातचीत के जरिए नहीं सुलझाया गया तो हालात बेकाबू होते देर नहीं लगेगी."
उनका कहना है कि राज्य के पर्वतीय और मैदानी इलाकों और उसके लोगों के बीच विभाजन रेखा बहुत साफ है. सरकार को इस खाई को पाटने की दिशा में ठोस पहल करनी चाहिए. ऐसा नहीं हुआ तो यह समस्या रह-रह कर सिर उठाती रहेगी (dw.com)