राष्ट्रीय
भोपाल, 9 जुलाई | मध्य प्रदेश की कोरोना संक्रमण के कारण आर्थिक स्थिति प्रभावित हुई है, इसे दुरुस्त करने के राज्य सरकार के प्रयास जारी है। इसी क्रम में सरकार ने आगामी वर्ष 2022 तक सौ से अधिक खनिज ब्लाक्स की नीलामी की योजना बनाई है। केंद्रीय खनिज मंत्री प्रहलाद जोशी से प्रदेश के खनिज संबंधित विषयों पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कोविड से अर्थ-व्यवस्था प्रभावित हुई है। खनिज गतिविधियां अर्थ-व्यवस्था को गति देती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्म-निर्भर भारत के संकल्प को पूरा करने में अधिकतम सहयोग करना हमारा संकल्प है। प्रदेश में माइनिंग गतिविधियों को गति देने के लिए हर संभव प्रयास किये जायेंगे। हमारा प्रयास होगा कि वर्ष 2022 तक प्रदेश में एक सौ से अधिक खनिज ब्लाक्स की नीलामी हो।
केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि खनिज गतिविधियां मूलभूत अर्थ-व्यवस्था में योगदान देती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशा है कि आत्म-निर्भर भारत के निर्माण के लिए खनिज क्षेत्र में प्रक्रियाओं को सरलीकृत कर खनिज ब्लाक्स की नीलामी में तेजी लाई जाए। इसके लिये विभिन्न कानूनों में आवश्यक सुधार भी किया गया है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के अंतर्गत कार्यवाही जारी है।
मुख्यमंत्री चैहान ने कहा कि प्रदेश में कोयले के भंडार प्रचुर मात्रा में हैं। प्रदेश में कोयला खनन का कार्य भारत सरकार की सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों द्वारा किया जा रहा है। मध्यप्रदेश में इन कंपनियों को कोल गैसीफिकेशन और लिक्विडिफिकेशन के लिए कार्य करने के निर्देश दिए जाएं। इससे पर्यावरण संरक्षण और ऊर्जा के स्रोत को समृद्ध करने में मदद मिलेगी।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग द्वारा बैतूल और छतरपुर जिले में दुर्लभ खनिजों की खोज के लिए सर्वे जारी है। यह कार्य समय-सीमा में पूर्ण किया जाये।
बैठक में जानकारी दी गई कि प्रदेश में मुख्य खनिज की 831 खदानों से वर्ष 2020-21 में 2908 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ। गौण खनिज की 6338 खदानों से वर्ष 2020-21 में 1538 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ। आगामी वर्षों में नीलाम होने वाले खनिज ब्लाक्स से 50 साल तक लगभग 30 हजार करोड़ का राजस्व प्राप्त करने का लक्ष्य है।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 9 जुलाई | विशेष एनआईए अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को राज्य के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ दर्ज कथित भ्रष्टाचार के मामले में तलोजा जेल में बंद बर्खास्त पुलिस अधिकारी सचिन वाजे से पूछताछ करने की अनुमति दे दी है। सूत्रों ने बताया कि वित्तीय जांच एजेंसी जल्द ही मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह से भी पूछताछ करेगी। ईडी के जानकार सूत्रों के मुताबिक आने वाले दिनों में सिंह को पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा।
इससे पहले दिन में, ईडी के अधिकारियों ने कहा कि एजेंसी शनिवार को मुंबई में जेल परिसर के अंदर वाजे से पूछताछ करेगी। गुरुवार को एक विशेष अदालत ने ईडी को वाजे के पास जाकर जेल में उसका बयान दर्ज करने की अनुमति दी थी।
19 मई को, वाजे ने ईडी से दावा किया था कि उसने दिसंबर 2020-फरवरी 2021 के बीच मुंबई में बार से कथित तौर पर देशमुख के आदेश पर 4.70 करोड़ रुपये जमा किए थे।
वाजे ने कहा कि बाद में उन्होंने पूर्व मंत्री के पीए कुंदन शिंदे (जो अब इसी मामले में गिरफ्तार हैं) उनको एक अन्य पीए संजीव पलांडे के साथ राशि सौंप दी थी।
वहीं ईडी ने कहा कि शिंदे ने वाजे को जानने से इनकार किया है और जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। हालांकि वह और पलांडे दोनों सीधे अपराध में शामिल थे।
देशमुख, जिन्हें अपने खिलाफ आरोपों के कारण पद छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था, वो हाल ही में पूछताछ के लिए ईडी के तीन समन पर पेश नहीं हुए और किसी भी कठोर कार्रवाई के खिलाफ सुरक्षा की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
वाजे को उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के पास 20 जिलेटिन स्टिक और धमकी भरे नोट के साथ एक एसयूवी खड़ी करने और उसके बाद वाहन मालिक मनसुख हिरन की मौत के सनसनीखेज मामले में गिरफ्तार किया गया था।
बाद में, वाजे ने एक नोट लिखा जिसमें आरोप लगाया गया कि देशमुख ने उन्हें सेवा में बहाल करने के लिए 2 करोड़ रुपये की मांग की थी और मुंबई में होटल व्यवसायियों और बार से प्रति माह 100 करोड़ रुपये जमा करने का लक्ष्य रखा था।
उन्होंने शिवसेना के परिवहन मंत्री अनिल परब पर भी निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि ठेकेदारों से पैसे लेने को भी कहा गया था।
देशमुख और परब दोनों ने इन आरोपों का खंडन किया है और इसे महाविकास अघाड़ी सरकार की छवि को खराब करने और उन्हें बदनाम करने की विपक्षी भारतीय जनता पार्टी की रणनीति करार दिया है। (आईएएनएस)
लखनऊ : यूपी के चंदौली में दलितों पर दबंगई का मामला सामने आया है. दबंगों पर लाठी-डंडे से लैस होकर दलित बस्ती पर हमला बोलने का आरोप है. आरोपियों ने दलितों की झोपड़ियां जला दीं, महिलाओं के साथ बदलसलूकी की और जमकर तांडव मचाया. इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. दरअसल, जमीन विवाद में क्षत्रिय दबंगों ने तांडव मचाया. यह घटना सदर कोतवाली के बर्थरा कला गांव में हुई है. इस मामले में सदर कोतवाली पुलिस भी मामले की खाना-पूर्ति में जुटी है. दोनों पक्षों से कुछ लोगों को हिरासत में लिया गया है.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने देश में जाति आधारित आरक्षण व्यवस्था को खत्म करने की याचिका ठुकरा दी है. उच्चतम न्यायालय ने जाति आधारित आरक्षण को खत्म करने के लिए समयसीमा तय करने की याचिका पर सुनवाई से शुक्रवार को इनकार कर दिया. शीर्ष अदालत ने कहा कि वो इस पर सुनवाई नहीं करेगा.याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि सुप्रीम कोर्ट जाति आधारित आरक्षण को खत्म करने की समय सीमा तय करे. सुप्रीम कोर्ट की एकल पीठ ने भी यही फैसला दिया था. लेकिन खंडपीठ ने कहा कि वो एक जज का फैसला था, पूरी पीठ का नहीं.
नीति सलाहकार कंपनी डलबर्ग ने एक रिपोर्ट में बताया है कि महामारी के दौरान भारत में महिलाओं को बेरोजगारी का सामना करना पड़ा. बिना पैसा दिए उनसे काम कराया गया. यहां तक कि वे भरपेट खाना भी नहीं खा सकीं.
डॉयचे वैले पर अविनाश द्विवेदी की रिपोर्ट
भारत की केंद्र सरकार ने मंत्रिमंडल में में हुए बदलाव के बाद केंद्र सरकार में महिला मंत्रियों की संख्या बढ़कर 11 हो गई. स्थानीय मीडिया में इसकी काफी चर्चा हुई और सोशल मीडिया पर भी सभी महिला मंत्रियों की एक-साथ ली गई तस्वीर शेयर की जाती रही. इस तस्वीर के जरिए भारत में महिलाओं की स्थिति मजबूत होने का दावा किया जा रहा है लेकिन सच्चाई यह है कि कोरोना काल में भारत में महिलाओं की स्थिति बहुत खराब हुई है. नीति सलाहकार कंपनी डलबर्ग ने एक रिपोर्ट में बताया है कि महामारी के दौरान भारत में महिलाओं को बेरोजगारी का सामना करना पड़ा. बिना पैसा दिए उनसे काम कराया गया. यहां तक कि वे भरपेट खाना भी नहीं खा सकीं.
यह रिपोर्ट पिछले साल मार्च से अक्टूबर के बीच 15 हजार महिलाओं से बात कर तैयार की गई है. इसमें कहा गया है कि कम कमाई वाले घरों में महिलाओं के लिए संसाधनों और सुविधाओं तक पहुंच में कमी आई है. रिपोर्ट के मुताबिक हर 10 में से 1 महिला को इस दौरान भूखा रहना पड़ा है. जबकि 16 फीसदी के लिए सैनिटरी नैपकिन और जरूरी स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच मुश्किल हो गई. हालात खराब होने का अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि 2019 में ही राष्ट्रीय सैंपल सर्वे के आंकड़ों में बताया जा चुका था कि भारत में महिलाएं पुरुषों के मुकाबले 10 गुना ज्यादा ऐसा घरेलू काम करती हैं, जिसके लिए उन्हें कोई पैसा नहीं मिलता है.
हिंसा, शोषण और मैरिटल रेप की घटनाएं बढ़ीं
इस दौरान महिलाओं पर हिंसा और शोषण में भी बढ़ोतरी हुई है और मैरिटल रेप की शिकायतें बढ़ी हैं. प्रताड़ना और शोषण के खिलाफ महिलाओं की मदद के लिए लखनऊ में 'सुरक्षा' नाम की संस्था चलाने वाली डॉ स्वर्णिमा सिंह बताती हैं, "कोरोना काल में महिलाओं के प्रति हिंसा के दोगुने से ज्यादा मामले हमारे पास आ रहे हैं. इनमें आर्थिक वजह सबसे महत्वपूर्ण है. लेकिन एक महत्वपूर्ण वजह पुरुषों के गैरकानूनी संबंध भी हैं. कई पुरुष जिनके अपनी पत्नी के अलावा किसी अन्य महिला से संबंध थे, उनका खुलासा इस दौरान हुआ क्योंकि वे लगातार घर पर रहे."
महिलाएं छोटी नौकरियां या ब्यूटी पार्लर जैसे छोटे बिजनेस करके घर का खर्च चलाने में मदद करती थीं लेकिन कोरोना काल में वे बेरोजगार हो गईं. ऐसे हालात में अगर पति की भी नौकरी छूटी तो बच्चों की फीस का इंतजाम मुश्किल हो गया. डॉ स्वर्णिमा सिंह बताती हैं, "ऐसे ही एक मामले में फीस न भरने पर बच्चों को स्कूल से निकाल दिया गया. इसके बाद पति ने पत्नी के साथ मारपीट शुरू कर दी. हाल ही में यह मामला हमारे पास आया है. कोरोना काल में कमाई न होने के चलते मध्यमवर्गीय परिवारों में ऐसे मामले ज्यादा आ रहे हैं."
वे कहती हैं, "दरअसल, गरीब परिवारों को मुफ्त राशन, सीधी आर्थिक मदद और कुछ अन्य तरीकों से सहायता दी गई है लेकिन मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए ऐसी कोई कोशिश नहीं हुई है. मध्यम वर्गीय लोगों का आत्मसम्मान बहुत जल्दी आहत होता है और अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए किसी के सामने हाथ नहीं फैलाना चाहते हैं. ऐसी हालत में कई परिवार कर्ज के बोझ तले भी दबते गए हैं, जिससे हिंसा और शोषण के मामले और बढ़े हैं."
घरेलू काम के दबाव में महिलाओं ने छोड़ी नौकरी
'नो नेशन फॉर वुमन' किताब की लेखिका प्रियंका दुबे महिलाओं पर भारी दबाव की बात कहती हैं. उनके मुताबिक, "कोरोना काल में कई वजहों से लोगों ने घरेलू सहायकों को हटाया. जिसके चलते घर के काम का सारा बोझ महिलाओं पर आ गया. बच्चों की स्कूलिंग भी एक बड़ा मसला रही. भारत में घर पर स्कूलिंग की ट्रेनिंग नहीं होती. फिर भी बच्चों को घर में स्कूलिंग देने का सारा बोझ महिलाओं पर ही आया. साथ ही सारा दिन घर पर रहने के चलते उनकी माता-पिता या सास-ससुर की देखभाल की जिम्मेदारी भी बढ़ी. सामाजिक संरचना के चलते किचन के सारे काम महिलाओं के ही माने जाते हैं. ऐसे में महिलाओं का अपना जीवन खत्म हो गया और उनके पास आराम के घंटे नहीं बचे."
महिलाओं पर महामारी के प्रभाव की जानकारी देने वाली डेलॉयट की 'विमेन एट वर्क' रिपोर्ट से यह बात साबित होती है. इसमें भारत की 78 प्रतिशत महिलाओं ने नौकरी छोड़ने की वजह घर में बढ़े काम को बताया है. जबकि 61 प्रतिशत महिलाओं ने अपने करियर को लेकर उत्साह खत्म होने और 42 प्रतिशत ने मानसिक स्वास्थ्य को काम छोड़ने की वजह बताया है. प्रियंका दुबे इसके लिए समाज की पुरुषवादी मानसिकता को जिम्मेदार मानती हैं. उनके मुताबिक "अगर किसी महिला के लिए नौकरी की परिस्थितियां मुश्किल हैं तो उसे सुविधाएं उपलब्ध कराने के बजाए, नौकरी छोड़ देने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है." ऐसे में कोरोना काल में महिलाओं के नौकरी छोड़ने के लिए सुरक्षा की चिंता और यातायात सुविधाओं की कमी भी जिम्मेदार रही है.
कोरोना के दौरान महिलाओं ने खोई सालों की प्रगति
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की सालाना 'जेंडर गैप इंडेक्स 2021' रिपोर्ट में भारत 28 पायदान लुढ़क गया है. अब यह 156 देशों के बीच 140वें स्थान पर है. इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत में महिलाओं के अर्थव्यवस्था में योगदान और उनके लिए मौजूद अवसरों में पिछले साल के मुकाबले 3 प्रतिशत की कमी आई है और कुल लेबर फोर्स में उनका योगदान सिर्फ 22 फीसदी रह गया है. सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकॉनमी (CMIE) के आंकड़ों के मुताबिक भारत में महिलाओं की बेरोजगारी दर पुरुषों के मुकाबले दोगुनी (17 प्रतिशत) है. यानी पुरुषों के मुकाबले ज्यादा महिलाओं ने कोरोना काल में नौकरियां खोई हैं. आंकड़ों के मुताबिक पहले जहां महिलाएं प्रति सप्ताह 770 रुपये कमा रही थीं, वहीं अब उनकी कमाई घटकर 180 रूपये प्रति सप्ताह रह गई है. इससे भी ज्यादा परेशान करने वाली बात यह है कि जिन महिलाओं की नौकरियां गई हैं, उनमें से ज्यादातर ने नौकरियों की तलाश ही छोड़ दी है.
प्रियंका दुबे कहती हैं, "महिलाएं अगर बाहर जाकर काम करती हैं तो उन्हें सामाजिकता का अहसास होता है और वे अपनी बातें दोस्तों से शेयर कर पाती हैं. अगर ऐसा नहीं हो पाता तो उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ता है." डॉ स्वर्णिमा सिंह भी कहती हैं, "इस दौरान महिलाओं में डिप्रेशन, एंजायटी और स्ट्रेस के मामले तेजी से बढ़े हैं. आर्थिक आजादी के छिनने से भविष्य को लेकर उनमें असुरक्षा का भाव भी बढ़ा है. एक बार नौकरी छोड़ने के बाद आप आत्मविश्वास भी खो देते हैं. ऐसे में इन महिलाओं को फिर से घरों से बाहर निकलकर काम करने का आत्मविश्वास दे पाना मुश्किल होगा."
जानकारों के मुताबिक कोरोना काल में पिछले कई सालों में महिलाओं को लेकर हुई प्रगति एक झटके में खत्म हो गई है. वे महिलाओं से जुड़ी समस्याओं को चक्रीय और एक पुरुषवादी समाज का नतीजा मानते हैं और इसके समाधान के तौर पर शिक्षा की बात कहते हैं. लेकिन कोरोना काल के आंकड़े जानकारों को और डरा रहे हैं. पिछले साल के अंत में एक स्टडी में 37 प्रतिशत स्कूली बच्चियों ने कहा था कि वे निश्चित तौर पर नहीं कह सकती कि वे स्कूल लौट पाएंगीं. ऐसे में जानकारों को लड़कियों के बाल विवाह के मामले बढ़ने का भी डर है. जबकि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (NFHS) के अब तक आए आंकड़े पहले ही दिखा रहे हैं कि 2015 के बाद से भारत में बाल विवाह के मामलों में बढ़ोतरी हुई है. (dw.com)
नई दिल्ली, 8 जुलाई | सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को आगरा जेल में 14 से 22 साल की अवधि तक चिरकालिक अपराधियों के बीच बंद 13 कैदियों को अंतरिम जमानत दे दी, जो अपराध के समय किशोर साबित होने के बावजूद जेल हिरासत में थे। यह प्रस्तुत किया गया था कि कैदियों के अपराध करने के समय वे किशोर थे, मगर यह स्थापित करने के बावजूद उनकी रिहाई नहीं हो सकी थी।
न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यम की पीठ ने आरोपी को निजी मुचलके पर अंतरिम जमानत दे दी। शीर्ष अदालत ने कहा, यह विवाद में नहीं है कि किशोर न्याय बोर्ड द्वारा 13 याचिकाकर्ताओं को किशोर के रूप में रखा गया है। व्यक्तिगत बांड पेश करके उन्हें अंतरिम जमानत दी जाए।
दोषियों का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता ऋषि मल्होत्रा ने कहा कि यह अवैध हिरासत का मामला है और इससे पहले शीर्ष अदालत ने इस मामले में नोटिस जारी किया था।
उत्तर प्रदेश सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाली वरिष्ठ अधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने प्रस्तुत किया, हमें जमानत से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन हमें सत्यापन करने की आवश्यकता है।
शीर्ष अदालत ने एक जुलाई को उत्तर प्रदेश सरकार से राज्य की दयनीय स्थिति को उजागर करने वाली एक याचिका पर जवाब मांगा था, जहां 13 अपराधी अपराध के समय किशोर घोषित होने के बावजूद आगरा जेल में बंद हैं।
दोषियों का प्रतिनिधित्व करने वाले मल्होत्रा ने कहा था कि किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) के अचूक फैसलों के बावजूद, जिसमें कहा गया कि उनकी आयु 18 वर्ष से कम है, फिर भी उनकी तत्काल रिहाई के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया।
याचिका में दोषियों की तत्काल रिहाई की मांग की गई है, जिन्हें 14 से 22 साल की अवधि के लिए कैद किया गया है।
याचिका में कहा गया है कि हालांकि अधिकांश मामलों में उनकी विभिन्न आईपीसी अपराधों के तहत दोषसिद्धि के खिलाफ वैधानिक आपराधिक अपील उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है।
याचिका में कहा गया है कि जेजेबी ने फरवरी 2017 और मार्च 2021 के बीच अपने आदेशों के माध्यम से स्पष्ट रूप से कहा कि कथित घटना की तारीख को ये सभी याचिकाकर्ता 18 साल से कम उम्र के थे। याचिका में कहा गया है कि संबंधित अदालत ने उन्हें किशोर घोषित किया है।
याचिका में कहा गया है कि किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) (संशोधन) अधिनियम, 2006 के अनुसार, किशोर होने की याचिका मुकदमे के किसी भी चरण में और मामले के अंतिम निपटारे के बाद भी उठाई जा सकती है।
इस कानून का हवाला देते हुए, याचिका में तर्क दिया गया कि याचिकाकर्ता कट्टर अपराधियों के बीच जेलों में बंद हैं, जो जेजे अधिनियम के उद्देश्य और उद्देश्यों को पराजित करता है।
याचिका में तर्क दिया गया कि इन याचिकाकर्ता की तत्काल रिहाई की आवश्यकता और यह साथ ही समय की भी आवश्यकता है कि इन याचिकाकतार्ओं की तत्काल रिहाई को इस तथ्य के मद्देनजर निर्देशित किया जाए कि न केवल वे किशोर घोषित किए गए हैं, बल्कि वे पहले ही किशोर न्याय अधिनियम, 2000 की धारा 16 के साथ पठित धारा 15 के तहत प्रदान की गई हिरासत की अधिकतम अवधि, अर्थात 3 वर्ष, से गुजर चुके हैं।
इसके साथ ही संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) का हवाला देते हुए कहा गया कि यह अनुच्छेद जीवन व स्वतंत्रता की गारंटी देता है और याचिका में जेजे बोर्ड के आदेश के आलोक में याचिकाकर्ताओं की तत्काल रिहाई के लिए प्रार्थना की गई है। (आईएएनएस)
दुबई, 8 जुलाई | अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने गुरुवार को अपने मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) मनु साहनी को तत्काल प्रभाव से क्रिकेट की वैश्विक संस्था से हटने के लिए कहा है। आईसीसी ने यह भी बताया कि उसके कार्यकारी सीईओ जिओफ अलार्डिस आईसीसी की कार्यकारी बोर्ड के साथ करीब से काम करते रहेंगे।
क्रिकबज की रिपोर्ट के अनुसार, साहनी को हटाने का फैसला ग्रेग बारक्ले के नेतृत्व में बोर्ड की आपातकालीन बैठक में लिया।
आईसीसी ने बयान जारी कर कहा, "सीईओ साहनी को क्रिकेट की वैश्विक संस्था तत्काल प्रभाव से छोड़नी होगी। अलार्डिस कार्यकारी सीईओ के रूप में बोर्ड के साथ काम करते रहेंगे।"
आईसीसी ने निलंबित मुख्य कार्यकारी अधिकारी पर फैसला लेने के लिए बोर्ड की आपातकालीन बैठक बुलाई थी। साहनी ने विश्व संस्था पर एकतरफा, गैर-पारदर्शी और अनुचित निर्णय लेने का आरोप लगाया था।
इससे पहले, प्राइसवाटरहाउसकूपर प्राइवेट लिमिटेड द्वारा की गई एक समीक्षा के बाद साहनी को इस साल मार्च में छुट्टी पर भेजा गया था, जिसमें उनपर कथित रूप से दुराचार का आरोप लगाया गया था। (आईएएनएस)
कोच्चि, 8 जुलाई (आईएएनएस)| लक्षद्वीप में रहने वालीं फिल्मी हस्ती सुल्ताना एक स्थानीय टीवी चैनल पर दिए अपनी विवादास्पद टिप्पणी के बाद से चर्चा में हैं। उन्होंने कहा था कि कवरत्ती की पांच सदस्यीय पुलिस टीम ने गुरुवार को यहां उनके फ्लैट पर छापा मारा है। अपने फ्लैट के बाहर मीडिया से बात करते हुए सुल्ताना ने कहा है कि मेरे फ्लैट में छापेमारी हुई है। इन्होंने मेरे छोटे भाई के लैपटॉप और मोबाइल को भी चेक किया है, जो 12वीं कक्षा का छात्र है।
सुल्ताना ने कहा, "मुझे इस बारे में नोटिस नहीं दिया गया था, ये यूं ही चले आए थे। मुझे पता है कि पुलिस हमें परेशान करने के लिए ये सभी हथकंडे अपना रही है। मैं इसके लिए कानून का रास्ता नहीं अपनाउंगी क्योंकि मैंने जांच के साथ हमेशा से सहयोग किया है और आगे भी करूंगी।"
बीते शुक्रवार को सुल्ताना को झटका उस वक्त लगा, जब केरल हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ कवरत्ती पुलिस द्वारा दर्ज मामले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
हालांकि कोर्ट ने उन्हें अग्रिम जमानत दे दी है, लेकिन उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने के लिए एक नई याचिका के साथ फिर से अदालत का दरवाजा खटखटाया है, जिसके लिए वह पिछले महीने लक्षद्वीप पर ही थीं। वह पूछताछ के लिए पुलिस के सामने तीन दिन पेश भी हुईं।
उनकी परेशानी तब शुरू हुई, जब लक्षद्वीप की भाजपा इकाई के अध्यक्ष अब्दुल खादर ने सुल्ताना के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, क्योंकि उन्होंने 7 जून को यहां के एक टीवी चैनल की डिबेट में कहा था कि केंद्र ने लक्षद्वीप में कोविड के प्रसार के लिए जैविक हथियारों का इस्तेमाल किया है। शिकायतकर्ता का मानना है कि इस तरह का बयान देने के लिए वह देशद्रोही हैं।
हालांकि सुल्ताना ने हाल ही में टीवी पर दिए अपने इस बयान के लिए माफी मांग ली है, लेकिन यहां की पुलिस ने शिकायत के आधार पर ही आगे बढ़ने का फैसला लिया है।
कवरत्ती पुलिस ने उनके खिलाफ गैर जमानती आरोप (देशद्रोह) का मामला दर्ज किया है। सुल्ताना लक्षद्वीप के चेलथ द्वीप की रहने वाली हैं। एक मॉडल होने के अलावा उन्होंने कई मलयालम फिल्मों में भी काम किया है।
मुंबई, 8 जुलाई | प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सामने गुरुवार को दूसरी बार पेश हुए, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के वरिष्ठ नेता एकनाथ खडसे ने दावा किया है कि उनके खिलाफ कथित भ्रष्टाचार के मामलों में उन्हें और उनके परिवार को 'राजनीतिक रूप से टारगेट' किया जा रहा है। पुणे लैंड डील से जुड़ी जांच के सिलसिले में जारी पूछताछ के लिए मुंबई में ईडी कार्यालय जाते समय उन्होंने कहा, '' मेरे खिलाफ मामला राजनीति से प्रेरित है। मुझे और मेरे परिवार के सदस्यों को बदनाम करने के लिए हमें राजनीतिक रूप से निशाना बनाया जा रहा है। हालांकि, मैं जांच एजेंसियों के साथ पूरा सहयोग कर रहा हूं।''
ईडी ने 68 वर्षीय खडसे को उनके दामाद गिरीश चौधरी को 2016 में जमीन के एक भूखंड की खरीद में कथित धन शोधन और अन्य अनियमितताओं के सिलसिले में गिरफ्तार करने के एक दिन बाद तलब किया।
खडसे ने कहा, ''जो कुछ हो रहा है, पूरा महाराष्ट्र देख रहा है, क्योंकि मामले की पहले ही पांच बार जांच हो चुकी है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने उन्हें क्लीन चिट दे दी थी, फिर भी इसकी फिर से जांच की जा रही है।''
ईडी ने तर्क दिया है कि खडसे और चौधरी ने 31 करोड़ रुपये से अधिक की मौजूदा बाजार दर के मुकाबले पुणे के पास भोसरी में सरकारी स्वामित्व वाले भूखंड को 3.75 करोड़ रुपये में खरीदा था।
एजेंसी को यह भी संदेह है कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार में तत्कालीन राजस्व मंत्री के रूप में खडसे ने कथित तौर पर अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग करते हुए संबंधित अधिकारियों को अपने परिवार के सदस्यों के साथ लेन-देन करने के लिए मजबूर किया। उन्होंने तर्क दिया कि सौदे के लिए धन का स्रोत वास्तविक नहीं था, पैसा शेल कंपनियों के जरिए भेजा गया था।
भारतीय जनता पार्टी के एक पूर्व वरिष्ठ नेता, खड़से को तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ राजनीतिक मतभेदों के बाद लगभग पांच वर्षों के लिए राजनीतिक एकांतवास में भेज दिया गया था और इसके बाद वह अक्टूबर 2020 में एनसीपी में शामिल हो गए।
खडसे ने ईडी कार्यालयों के बाहर मीडिया से संक्षेप में बात करते हुए कहा, '' मैंने भाजपा छोड़ दी और एनसीपी में शामिल हो गया, इसलिए मुझे इस तरह परेशान किया जा रहा है। यह एक राजनीतिक साजिश है।''
इस बीच बुधवार को पूछताछ के बाद चौधरी को विशेष अदालत में पेश किया गया, जिसने उन्हें ईडी की हिरासत में भेज दिया है। (आईएएनएस)
हैदराबाद, 8 जुलाई| तेलंगाना के यादाद्री भोंगिर जिले में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। जहां एक महिला ने कथित तौर पर अपनी दो बेटियों को फांसी पर लटकाकर आत्महत्या कर ली। पुलिस ने गुरुवार को यह जानकारी दी। तुरपुनुरी उमरानी (32) ने अपनी तीनों बेटियों हर्षिनी (13), लकी (11) और शाइनी (8) को रामनगर स्थित अपने आवास पर फांसी पर लटका दिया और फिर खुद को फांसी लगा ली। हालांकि, उसकी सबसे छोटी बेटी मौत से बच गई।
उमरानी के पति वेंकटेश, जो घर के बाहर सो रहे थे, गुरुवार की सुबह अपनी सबसे छोटी बेटी के रोने की आवाज सुन उठे। जैसे ही दरवाजा खोला, तो उसने अपनी पत्नी और दो बेटियों को लोहे के बीम से लटका हुआ पाया।
शाइनी मौत से बच गई क्योंकि उमरानी ने जिस कपड़े से उसे बीम से लटकाया था, वो फट गया।
पुलिस को शक है कि महिला ने गुरुवार तड़के अपनी बेटियों और खुद की हत्या कर दी। पुलिस उपायुक्त के. नारायण रेड्डी ने कहा कि कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है।
माना जा रहा है कि आर्थिक तंगी के चलते उसने यह कदम उठाया है। हालांकि, पुलिस अधिकारी ने कहा कि वे इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या दंपति के बीच कोई विवाद था।
इस जोड़े की शादी को 14 साल हो चुके थे। वेंकटेश आदतन शराब पीने वाला बताया जाता है। (आईएएनएस)
गांधीनगर, 8 जुलाई | गुजरात के गृहमंत्री प्रदीप सिंह जडेजा ने गुरुवार को घोषणा की कि राज्य सरकार ने अहमदाबाद रथ यात्रा मार्ग पर कर्फ्यू और 12 जुलाई को प्रसाद वितरण पर प्रतिबंध के प्रावधान के साथ अनुमति देने का फैसला किया है। जडेजा ने संवाददाताओं से कहा, "स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और गुजरात सरकार के निरंतर प्रयासों से हम राज्य में कोरोना संक्रमितों की संख्या में कमी लाने में सफल रहे हैं। अभी ठीक होने की दर 98.54 प्रतिशत से अधिक है और संक्रमण दर 0.1 प्रतिशत है। राज्य में केवल 65 पॉजिटिव मामले थे और कल एक भी मौत की सूचना नहीं थी। पिछले 24 घंटों के दौरान, अहमदाबाद में केवल 2 पॉजिटिव मामले थे और वसूली दर 98.5 प्रतिशत थी।"
जडेजा ने कहा, "इन सभी को देखते हुए और प्राचीन अनुष्ठान को आगे बढ़ाने के लिए जनता की भावनाओं को समझते हुए, हमने इस साल की रथयात्रा के लिए सीमित तरीके से अनुमति देने का फैसला किया है।"
जडेजा ने कहा, "हालांकि, गुजरात सरकार ने अहमदाबाद रथयात्रा की अनुमति दे दी है, हम जनता से घर के अंदर रहने और इसे टेलीविजन पर देखने का अनुरोध करते हैं।"
मंत्री ने कहा, "केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह सुबह मंदिर में मंगला आरती में शामिल होंगे, जबकि मुख्यमंत्री रूपाणी डिप्टी सीएम नितिन पटेल की मौजूदगी में पाहिंद समारोह करेंगे और सीमित संख्या में ही लोगों को अनुमति दी जाएगी।"
जडेजा ने बताया कि रथ यात्रा में निशान, डंका, तीन रथ और महंत/ट्रस्टी के वाहन वाले पांच वाहनों को ही शामिल होने की अनुमति होगी।
जडेजा ने कहा, "खालासी युवा, जो परंपरागत रूप से तीन रथ खींचते हैं, उन्हें टीके लगवाने और आरटीपीसीआर नेगेटिव लाने की आवश्यकता होगी।" उन्होंने कहा कि कुल साठ युवा तीन रथ खींचेंगे।
इस वर्ष रथयात्रा जुलूस में हाथियों, झांकी ट्रकों, अखाड़े, भजन मंडलियों आदि को भाग लेने की अनुमति नहीं है।
जडेजा ने कहा, "स्थानीय अधिकारी यात्रा के पूरे 19 किलोमीटर के छोटे मार्ग पर एक सख्त कर्फ्यू सुनिश्चित करेंगे, जिसे पांच घंटे में पूरा करना होगा।" (आईएएनएस)
केर्न ऊर्जा कंपनी ने कहा है कि उसे एक फ्रांसीसी अदालत से पेरिस में भारत सरकार की संपत्ति जब्त करने की अनुमति मिल गई है. केर्न और भारत सरकार के बीच करोड़ों का टैक्स विवाद चल रहा है और कंपनी हर्जाना वसूलना चाह रही है.
लंदन में शेयर बाजार में सूचीबद्ध केर्न में एक बयान में बताया कि फ्रांस के एक ट्रिब्यूनल ने इस मामले में पेरिस में स्थित भारत सरकार की करीब 20 संपत्तियों को फ्रीज करने का आदेश दिया है. इन संपत्तियों का कुल मूल्य दो करोड़ यूरो से भी ज्यादा है. कंपनी का कहना है, "ये इन संपत्तियों का मालिकाना हक लेने की तैयारी में एक आवश्यक कदम है. यह कदम यह भी सुनिश्चित करता है कि अगर इन संपत्तियों को बेचा जाता है तो उससे होने वाली कमाई केर्न को ही मिलेगी." कंपनी ने यह भी बताया कि उसने भारत सरकार के खिलाफ इस तरह के और मामले अमेरिका, ब्रिटेन, नेदरलैंड्स, सिंगापुर और क्यूबेक में भी दर्ज कराए हुए हैं.
भारत सरकार ने एक बयान जारी कर कहा है कि उसे इस मामले पर किसी भी फ्रांसीसी अदालत से कोई भी सन्देश नहीं मिला है और जब मिलेगा तब वो "उचित कानूनी कदम" उठाएगी. भारत में तेल और गैस क्षेत्र में काम करने वाली कंपनी केर्न को दिसंबर में द हेग स्थित परमानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन ने इस मामले में 1.2 अरब डॉलर से भी ज्यादा के हर्जाने का हकदार घोषित किया था. ये कंपनी और भारत सरकार के बीच बीती तारीख से लगाए गए कुछ टैक्स दावों पर चली एक लंबी लड़ाई का नतीजा था. कंपनी का कहना है कि अब सरकार का उस पर कुल 1.7 अरब डॉलर बकाया है.
समझौते की संभावना
द हेग अदालत के आदेश के खिलाफ भारत ने अपील दायर की है, लेकिन इस बीच केर्न ने इस राशि को हासिल करने के लिए विदेशों में भारत सरकार की कई संपत्तियों को जब्त करने की अनुमति मांगी है. इनमें एयर इंडिया की संपत्ति भी शामिल है. कंपनी का कहना है कि अगर सरकार समझौता नहीं करती है तो वो इन संपत्तियों को जब्त कर सकती है. लेकिन कंपनी ने यह भी कहा है, "हम अभी भी चाहते यह हैं कि हमारा भारत सरकार के साथ एक मैत्रीपूर्ण समझौता हो जाए और इस मामले को खत्म किया जाए." भारत सरकार ने अपने ताजा बयान में कहा है कि वो "अपने केस को जोरों के साथ लड़ेगी."
यह विवाद 2012 में शुरू हुआ था जब तत्कालीन यूपीए सरकार ने कुछ कंपनियों पर बीती तारीख से पूंजीगत लाभ टैक्स लगाने का फैसला किया था. इनमें केर्न के अलावा टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन भी शामिल थी. वोडाफोन भी आर्बिट्रेशन कोर्ट में मामले को ले गई थी और जीत गई थी. इन मामलों से विदेशी निवेशक डर गए थे और तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार को भी धक्का लगा था. उनके बाद सत्ता में आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने कहा है कि वो भविष्य में बीती तारीख से टैक्स नहीं लगाएगी, लेकिन मौजूदा मामलों में लड़ रही है. (dw.com)
रॉयटर्स (सीके/एए)
नई दिल्ली, 8 जुलाई | नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र से दो बार की सांसद मीनाक्षी लेखी ने गुरुवार को विदेश राज्य मंत्री और संस्कृति राज्य मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला। लेखी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जेपी नड्डा और पूरी टीम का आभार व्यक्त करते हुए कहा, "उन्होंने योग्यता और कड़ी मेहनत को प्राथमिकता दी और सभी को जगह दिया।"
लेखी ने अपने कैबिनेट 2.0 में महिला नेताओं को बड़ी जिम्मेदारियां देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ करते हुए कहा, "लोग महिला सशक्तिकरण की बात करते थे, लेकिन पीएम मोदी ने इसे संभव बनाया कि देश में सशक्त महिलाओं का नेतृत्व हो। यह प्रशंसनीय है।"
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने विदेश मंत्रालय की टीम में लेखी और राजकुमार सिंह का स्वागत किया।
जयशंकर ने अपने ट्विटर पर शुभकामनाएं व्यक्त करते हुए कहा, "मिनाक्षी लेखी, राजकुमार रंजन और विदेश मंत्री की टीम का स्वागत करते हुए खुशी हो रही है। विश्वास है कि एक साथ, हम विदेशों में भारत के हित को प्रभावी ढंग से बढ़ावा देंगे। मेरे सभी नए मंत्री सहयोगियों को बधाई और उनके साथ काम करने के लिए उत्सुक हूं।" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 8 जुलाई | ओडिशा से राज्यसभा सदस्य अश्विनी वैष्णव ने इलेक्ट्रॉनिक्स व आईटी और रेलवे मंत्रालय का कार्यभार संभाला है। उन्होंने संचार मंत्रालय का कार्यभार भी संभाला है।
वैष्णव ने दोनों मंत्रालयों में रविशंकर प्रसाद का स्थान लिया। प्रसाद 2019 से संचार विभाग संभालने के अलावा 2016 से आईटी मंत्रालय संभाल रहे थे।
1994 बैच के एक पूर्व आईएएस अधिकारी, वैष्णव ने पिछले 15 वर्षों में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों को संभाला है और विशेष रूप से पीपीपी ढांचे में उनके योगदान के लिए जाने जाते थे।
उनके पास व्हार्टन स्कूल, पेनसिल्वेनिया विश्वविद्यालय से एमबीए की डिग्री और आईआईटी कानपुर से एमटेक की डिग्री है।
वैष्णव ने जनरल इलेक्ट्रिक और सीमेंस जैसी प्रमुख वैश्विक कंपनियों में नेतृत्व की भूमिका निभाई है।
आईटी मंत्रालय नए आईटी दिशानिर्देशों पर ट्विटर के साथ विवाद में रहा है, जबकि संचार के मोर्चे पर, भारत 5 जी के रोलआउट का इंतजार कर रहा है जो पहले से ही समय से पीछे चल रहा है।
इसके अलावा, दूरसंचार क्षेत्र में वित्तीय तनाव और एजीआर बकाया नए मंत्री के सामने अन्य प्रमुख मुद्दे होंगे।
हालांकि अन्य प्रमुख सोशल मीडिया कंपनियों ने नए आईटी नियमों का अनुपालन किया है, लेकिन इन दिशानिर्देशों का निरंतर और सख्त कार्यान्वयन वैष्णव के लिए एक महत्वपूर्ण कार्य रहेगा।
वैष्णव ने बुधवार को ट्वीट किया, "पीएम नरेंद्र मोदी जी के आशीर्वाद से मैं कल कार्यभार संभालूंगा और उनके विजन को साकार करने के लिए अथक प्रयास करूंगा। "
उद्योग जगत ने भी 50 वर्षीय मंत्री से काफी उम्मीदें जताई हैं।
आईसीईए के अध्यक्ष पंकज मोहिंद्रू ने कहा, "हम चाहते हैं कि नया पदाधिकारी अब तक अर्जित लाभ को समेकित करे - विशेष रूप से मोबाइल फोन निर्माण में।"
महिंद्रू ने कहा, "इलेक्ट्रॉनिक्स 2 लाख करोड़ डॉलर के साथ दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक वस्तु है। यह हमारी और वैश्विक अर्थव्यवस्था में हर कार्यक्षेत्र में व्याप्त है। नया नेतृत्व भारत को सामान्य रूप से विनिर्माण और विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के आधार पर एक अग्रणी अर्थव्यवस्था में आगे बढ़ा सकता है।"
एनएएसएससीओएम के अध्यक्ष, देबजानी घोष ने ट्वीट किया, "अश्विनी वैष्णव को बधाई। भारत के तकनीकी क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व और प्रभाव बढ़ने के अवसरों की पहले कमी थी। इस दशक को भारत का 'हैशटैग टेक्ड' बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आपके साथ काम करने के लिए हम तत्पर हैं।" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 8 जुलाई | भाजपा के वरिष्ठ नेता मनसुख मंडाविया ने मौजूदा कोविड महामारी के बीच गुरुवार को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय का कार्यभार संभाला। मंडाविया पहले मोदी सरकार में बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और केंद्रीय रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री थे।
वह जल्द ही रसायन और उर्वरक मंत्रालय का कार्यभार भी संभालेंगे।
बुधवार को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में पहले कैबिनेट फेरबदल के बाद मंडाविया को नई जिम्मेदारी दी गई है।
स्वास्थ्य मंत्रालय हर्षवर्धन के पास था, जो फेरबदल में हटाए जाने वाले शीर्ष मंत्रियों में से एक हैं। रसायन और उर्वरक मंत्रालय डी.वी. सदानंद गौड़ा भी कैबिनेट से बाहर हैं।
एक बड़े बदलाव में, प्रधानमंत्री मोदी बुधवार को अपने केंद्रीय मंत्रिमंडल में 36 नए चेहरे लाए और सात मौजूदा मंत्रियों को पदोन्नत किया। इस बीच, हर्षवर्धन, रविशंकर प्रसाद और प्रकाश जावड़ेकर सहित 12 शीर्ष मंत्रियों को कैबिनेट से हटा दिया गया है। (आईएएनएस)
कानपुर (उत्तर प्रदेश), 8 जुलाई । कानपुर के घाटमपुर के एक गांव में दो भाइयों ने एक नाबालिग लड़की के साथ कथित तौर पर सामूहिक दुष्कर्म किया, उसका वीडियो बनाया और बाद में उसे को गर्भपात की गोलियां दीं। पुलिस ने गुरुवार को यह जानकारी दी। घटना का पता तब चला जब बुधवार को बच्ची की हालत बिगड़ने लगी। वह वर्तमान में एक चिकित्सा सुविधा में इलाज करा रही है।
पुलिस को दिए अपने बयान में उसने आरोप लगाया कि रूप सिंह और गुलबदन सिंह ने कई मौकों पर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। और फिर उसे कुछ गोलियां खाने के लिए मजबूर किया।
दोनों आरोपी अब फरार हैं।
पुलिस प्रवक्ता ने कहा कि आरोपियों ने लड़की को जाल में फंसाया और जब उन्होंने पहली बार उसके साथ दुष्कर्म किया था, तभी उन्होंने घटना का वीडियो बनाया।
उसी वीडियो के आधार पर लड़की को ब्लैकमेल किया गया और फिर से सामूहिक दुष्कर्म किया गया। (आईएएनएस)
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले कैबिनेट विस्तार में 2022 के विधानसभा चुनाव की झलक साफ तौर पर देखी जा सकती है. उत्तर प्रदेश में साल 2022 में विधानसभा के चुनाव होने हैं और यह चुनाव बीजेपी के लिए काफी महत्वपूर्ण है इसीलिए जो मंत्रिमंडल विस्तार किया जा रहा है उसमें यूपी को सबसे ज्यादा तवज्जो दी गई है. उत्तर प्रदेश के 7 सांसदों को नए मंत्रिमंडल में जगह दी जा रही है. इनमें 6 लोकसभा के सदस्य हैं तो वहीं एक राज्यसभा के भी सदस्य शामिल हैं.
जिन सात नए चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह मिल रही है उनमें आगरा से सांसद एसपी सिंह बघेल, लखीमपुर खीरी से सांसद अजय मिश्र टेनी, राज्यसभा सांसद बीएल वर्मा, मोहनलालगंज से सांसद कौशल किशोर, जालौन से सांसद भानु प्रताप सिंह वर्मा, बीजेपी की सहयोगी अपना दल की मिर्जापुर की सांसद अनुप्रिया पटेल, महाराजगंज से छठी बार सांसद बने पंकज चौधरी का भी नाम शामिल है. जाहिर सी बात है कि इस विस्तार में चुनाव से पहले ना केवल जातीय समीकरणों को साधने की कोशिश की गई बल्कि क्षेत्रीय समीकरणों को भी साधने की कोशिश बीजेपी ने की है.
एसपी सिंह बघेल को मुलायम सिंह यादव राजनीति में लाए थे
मोदी मंत्रिमंडल में जगह पाने में कामयाब होने वाले अगर प्रो. एसपी सिंह बघेल की बात करें तो वह चौथी बार लोकसभा के सदस्य 2019 में चुने गए थे, और एक बार राज्यसभा के भी सदस्य रह चुके हैं. 2017 में टूंडला सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़कर विधायक बने और योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे, लेकिन 2019 में बीजेपी ने उन पर भरोसा जताते हुए आगरा से लोकसभा का टिकट दिया और वह चुनाव जीतकर सांसद बने. एसपी सिंह बघेल समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी से होते हुए बीजेपी में पहुंचे थे. बीजेपी ने उन्हें पिछड़ा वर्ग मोर्चा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया था. एसपी सिंह बघेल को राजनीति में लाने का श्रेय पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को जाता है.
दरअसल, एसपी सिंह बघेल यूपी पुलिस में सब इंस्पेक्टर नियुक्त हुए थे और मुलायम सिंह यादव की सुरक्षा में तैनात हुए. उनके राजनीतिक कौशल को मुलायम सिंह यादव ने भांप लिया था और समाजवादी पार्टी ने उन्हें सबसे पहले 1998 में जलेसर सीट से लोकसभा का टिकट दिया. एसपी सिंह बघेल चुनाव जीते और सांसद बने. फिर 1999 और 2004 में भी यही सिलसिला जारी रहा. हालांकि फिर नाराजगी के चलते एसपी सिंह बघेल ने सपा छोड़ दी और बसपा में चले गए. बसपा ने उन्हें राज्यसभा का सदस्य बनाया. नौकरी को छोड़कर एसपी सिंह बघेल कुछ समय तक आगरा कॉलेज में प्रोफेसर भी रहे थे.
अपना दल के संस्थापक सोनेलाल पटेल की बेटी हैं अनुप्रिया पटेल
अपना दल की मिर्जापुर से सांसद अनुप्रिया पटेल की बात करें तो वह अपना दल के संस्थापक सोनेलाल पटेल की बेटी हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहली सरकार में राज्य मंत्री भी रह चुकी हैं. हालांकि 2019 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद यह माना जा रहा था कि अनुप्रिया पटेल को मोदी कैबिनेट में दोबारा जगह मिलेगी, लेकिन उस वक्त उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया और कुछ दिन पहले जब उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से दिल्ली में मुलाकात की उसके बाद से यह कहा जा रहा था कि जब भी केंद्र में विस्तार होगा तो उन्हें जगह जरूर मिलेगी.
बी एल वर्मा बीजेपी के बहुत पुराने कार्यकर्ता हैं
वहीं अगर बात करें बी एल वर्मा की तो वो बीजेपी के बहुत पुराने कार्यकर्ता हैं और संगठन के माहिर माने जाते हैं. 2017 में जब बीजेपी सत्ता में आई तो उसके बाद उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग का अध्यक्ष बनाते हुए बीएल वर्मा को राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया. फिर बीते साल हुए राज्य सभा के चुनाव में बीजेपी ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया और वह निर्विरोध राज्य सभा के सदस्य निर्वाचित हुए. हाल ही में बीजेपी ने उन्हें ओबीसी मोर्चा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया है.
नई दिल्ली, 7 जुलाई | मोदी सरकार का मेकओवर होने के साथ ही नए मंत्रिमंडल को अनुभव और योग्यता के आधार पर आकार दिया जा रहा है। नए मंत्रिमंडल में चार पूर्व मुख्यमंत्री, 18 पूर्व राज्य मंत्री, 39 पूर्व विधायक और 23 सांसद हैं, जो तीन या अधिक कार्यकाल के लिए चुने गए हैं।
यह नए मंत्रिमंडल में अनुभव की मजबूती को प्रदर्शित करता है, क्योंकि सरकार की आलोचना बेंच स्ट्रेंथ की कमी और प्रशासनिक अनुभव में पर्याप्त नहीं होने के लिए की गई है।
नए मंत्रिमंडल में 13 वकीलों, छह डॉक्टरों, पांच इंजीनियरों, सात पूर्व सिविल सेवकों और केंद्र सरकार में अनुभव वाले 46 मंत्रियों सहित विशिष्ट योग्यताओं का एक उदार मिश्रण है।
यह एक युवा दिखने वाला मंत्रिमंडल भी है जिसकी औसत आयु 58 वर्ष है, जिसमें 14 मंत्री 50 वर्ष से कम आयु के हैं।
लिंग के मामले में, 11 महिलाएं मंत्रिमंडल का हिस्सा होंगी, जिनमें दो कैबिनेट रैंक वाली होंगी।
पांच मंत्री अल्पसंख्यक होंगे, जिनमें एक मुस्लिम, एक सिख, दो बौद्ध और एक ईसाई शामिल हैं। इसके अलावा, 27 ओबीसी मंत्रियों के साथ एक मजबूत ओबीसी प्रतिनिधित्व है, जिसमें पांच कैबिनेट रैंक के मंत्री शामिल हैं। इसके अलावा आठ एसटी मंत्री हैं, जिनमें तीन कैबिनेट रैंक के साथ हैं, जबकि 12 एससी मंत्री हैं, जिनमें कैबिनेट रैंक के साथ दो मंत्रियों का नाम शामिल है।
नए चेहरों को शामिल करने से पहले 11 मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया था। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 7 जुलाई | नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल में बुधवार की शाम होने वाले फेरबदल से पहले स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन के इस्तीफे के बाद कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने कहा कि इससे यह पता चलता है कि सरकार कोविड महामारी को प्रबंधित करने में विफल रही है।
उन्होंने एक बयान में कहा, '' केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और स्वास्थ्य राज्य मंत्री का इस्तीफा एक स्पष्ट स्वीकारोक्ति है कि मोदी सरकार महामारी के प्रबंधन में पूरी तरह विफल रही है।''
उन्होंने कहा, '' इन इस्तीफों में मंत्रियों के लिए एक सबक है। अगर चीजें सही होती हैं, तो इसका श्रेय पीएम को जाएगा और अगर चीजें गलत होती हैं तो मंत्री पतनशील व्यक्ति होंगे। उन्होंने कहा कि सरकार की नाकामी की कीमत मंत्रियों को चुकानी पड़ी है।''
बुधवार की शाम मोदी सरकार में बड़े फेरबदल के तहत मंत्रियों ने शपथ लेनी शुरू कर दी है।
हर्षवर्धन को कोविड-19 की स्थिति के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा, क्योंकि स्वास्थ्य मंत्रालय इसके प्रबंधन और वैक्सीन प्रशासन के लिए नोडल मंत्रालय है।
अन्य वरिष्ठ मंत्रियों में शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, रसायन एवं उर्वरक मंत्री डी. वी. सदानंद गौड़ा और श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष गंगवार ने भी इस्तीफा दे दिया है, जबकि सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री को कर्नाटक का राज्यपाल नियुक्त किया गया है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 7 जुलाई | सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात उच्च न्यायालय की खंडपीठ द्वारा 25 जुलाई, 2018 को दिए गए फैसले के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर करने में गुजरात सरकार द्वारा 865 दिनों की देरी करने पर नाराजगी व्यक्त की है। शीर्ष अदालत ने 25,000 रुपये की लागत लगाने के साथ याचिका खारिज कर दी।
न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ और एम.आर. शाह ने कहा, "जिस तरह से पुलिस उपायुक्त, यातायात शाखा, अहमदाबाद और गुजरात राज्य के गृह विभाग द्वारा वर्तमान विशेष अनुमति याचिका दायर की गई है, हम उस तरीके को अस्वीकार करते हैं।"
उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश ने फरवरी 2017 में संबंधित प्राधिकरण को पुलिस हेड कांस्टेबल को अनुकंपा पेंशन देने का निर्देश दिया था, जो 21 मार्च, 2002 से अनुशासनात्मक जांच के बाद अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त हुए थे और एक महीने की अवधि के भीतर बकाया का भुगतान करते थे। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इस आदेश में दखल देने से इनकार कर दिया।
शीर्ष अदालत ने कहा कि प्रतिवादी का एक बच्चा मानसिक रूप से विकलांग है और दूसरा पोलियो प्रभावित है। उन्हें गुजरात सिविल सेवा (पेंशन) नियम 2002 के नियम 78 और 79 के तहत अनुकंपा पेंशन के लिए निर्देश जारी किया गया था।
पीठ ने अपने 5 जुलाई के आदेश में कहा था, "मामले में शामिल कठिनाई से संबंधित इन तथ्यों के बावजूद, राज्य ने खंडपीठ के समक्ष 200 दिनों की देरी से मामले को मुकदमा चलाने का विकल्प चुना और अब संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत एक विशेष अनुमति याचिका जो हमारे सामने है, इसे 856 दिन देरी से दाखिल किया गया।"
पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय के समक्ष एक पत्र पेटेंट अपील दायर करने में 200 दिनों की देरी के अलावा, उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ एसएलपी दाखिल करने में 856 दिनों की अतिरिक्त देरी है। "हम देरी को माफ करने से इनकार करते हैं।"
पीठ ने कहा, "हम तदनुसार उस तरीके को अस्वीकार करते हैं जिस तरह से गुजरात राज्य ने इस न्यायालय को घोर और अस्पष्टीकृत देरी के साथ स्थानांतरित किया है और, विशेष अनुमति याचिका को लागत के साथ देरी के आधार पर खारिज करते हैं। याचिकाकर्ता चार सप्ताह के भीतर उच्चतम न्यायालय की कानूनी सेवा समिति के समक्ष 25,000 रुपये की लागत जमा करेंगे।"(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 7 जुलाई | दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को बॉलीवुड अभिनेत्री जूही चावला और दो अन्य के आचरण पर हैरानी व्यक्त की, जिन्होंने 5जी वायरलेस नेटवर्क प्रौद्योगिकी को चुनौती देने वाली याचिका के लिए उन पर लगाए गए 20 लाख रुपये की जुर्माना राशि अभी तक जमा नहीं की है। न्यायमूर्ति जे. आर. मिढ्ढा ने कहा, अदालत वादी के आचरण से हैरान है, जो कि जुर्माने की राशि जमा करने को तैयार नहीं है।
मिढ्ढा ने कहा कि अदालत वादियों के आचरण को लेकर स्तब्ध है। उन्होंने कहा कि चावला और अन्य सम्मानपूर्वक धनराशि जमा कराने के इच्छुक तक नहीं हैं।
अदालत अभिनेत्री द्वारा दाखिल किए गए तीन आवेदनों पर सुनवाई कर रही थी। इनमें अदालती फीस की वापसी, जुर्माने में छूट और फैसले में खारिज शब्द को अस्वीकार करने की अपील की गई है।
चावला की ओर से पेश वकील वरिष्ठ अधिवक्ता मीत मल्होत्रा ने जुर्माना भरने के लिये एक सप्ताह का समय मांगा, जिस पर सहमति जताते हुए अदालत ने सुनवाई 12 जुलाई तक स्थगित कर दी।
अदालत ने वकील से कहा कि उसने याचिकाकर्ताओं पर 20 लाख रुपये का जुमार्ना लगाते हुए नरम रुख अपनाया और अवमानना की कार्यवाही शुरू नहीं की।
न्यायमूर्ति मिढ्ढा ने कहा, मैं स्तब्ध रह गया हूं। इस अदालत ने नरम रुख अपनाया है। अदालत ने अवमानना पर जोर देते हुए और अर्जी पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि निश्चित रूप से उनके पास इसका अधिकार है।
चावला के वकील ने स्पष्ट किया कि इसका मतलब यह नहीं है कि लागत का भुगतान नहीं किया जाएगा। वकील ने कहा कि किसी ने नहीं कहा कि वे ऐसा नहीं करेंगे। मैंने देखा कि क्या हुआ (फैसले में)। मैं पूरी तरह से समझता हूं।
इसके साथ ही मल्होत्रा ने कोर्ट फीस वापसी की अर्जी भी वापस ले ली।
उच्च न्यायालय ने दलील सुनने के बाद चावला और दो अन्य को 20 लाख रुपये लागत जमा करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया।
अदालत ने आदेश दिया कि वादी को खारिज करने की मांग करने वाली तीसरी याचिका अदालत की फीस जमा होने के बाद न्यायमूर्ति संजीव नरूला के समक्ष रखी जाएगी और मामले की अगली सुनवाई 12 जुलाई को निर्धारित कर दी गई।
उच्च न्यायालय ने जून में चावला और अन्य लोगों द्वारा देश में 5जी वायरलेस नेटवर्क स्थापित करने के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें प्रौद्योगिकी के कारण स्वास्थ्य संबंधी खतरों का हवाला दिया गया था। अदालत ने याचिकाकर्ताओं पर 20 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। न्यायमूर्ति मिधा ने याचिका को दोषपूर्ण, कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग के रूप में वर्णित किया था और इसे महज प्रचार प्राप्त करने के लिए दायर किया गया बताया था।(आईएएनएस)
गुवाहाटी, 7 जुलाई | पश्चिमी असम, पड़ोसी राज्य मेघालय और उत्तरी बंगाल में बुधवार को रिक्टर पैमाने पर 5.2 तीव्रता का भूकंप आया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (एनसीएस) के अनुसार, पश्चिमी असम के गोलपारा में सुबह 8.46 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए, वे सतह से 14 किमी की गहराई पर आए और पड़ोसी बांग्लादेश में भी महसूस किए गए।
गुवाहाटी में आपदा प्रबंधन अधिकारियों के अनुसार, अभी तक किसी के हताहत होने या संपत्तियों और अन्य संपत्तियों के नुकसान की कोई खबर नहीं है।
पूर्वोत्तर मेघालय के गोलपाड़ा और गारो हिल्स जिलों में लोग दहशत में अपने घरों से बाहर निकल आए।
पर्वतीय पूर्वोत्तर राज्यों, विशेष रूप से असम, मिजोरम और मणिपुर में लगातार भूकंप ने अधिकारियों को चिंतित कर दिया है।
28 अप्रैल को असम और उससे सटे पूर्वोत्तर राज्यों और भूटान के कई जिलों में 6.4 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आया था, जिससे कई इमारतों, सड़कों और अन्य संपत्तियों को नुकसान पहुंचा था।
भूकंपविज्ञानी पर्वतीय पूर्वोत्तर क्षेत्र को दुनिया का छठा सबसे अधिक भूकंप संभावित क्षेत्र मानते हैं। 1950 में, रिक्टर पैमाने पर 8.7 तीव्रता के भूकंप ने शक्तिशाली ब्रह्मपुत्र नदी के मार्ग को बदल दिया था, जो गुवाहाटी शहर से होकर गुजरती है। (आईएएनएस)
कोच्चि, 7 जुलाई | केरल सरकार ने बुधवार को उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ के समक्ष एक अपील दायर कर इस साल अप्रैल में सिंगल पीठ के आदेश को रद्द करने की मांग की, जिसमें राज्य अपराध शाखा द्वारा प्रवर्तन निदेशालय के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द कर दिया गया था। सरकार का तर्क था कि सिंगल पीठ के लिए ऐसा करना सही नहीं था, क्योंकि यह कानून के खिलाफ था।
अपराध शाखा ने केरल के सोने की तस्करी मामले की जांच कर रहे ईडी अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी कि मामले में मुख्य आरोपी स्वप्ना सुरेश को झूठे बयान देने के लिए मजबूर किया गया था और मामले में मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन को फंसाया गया था।
प्राथमिकी क्राइम ब्रांच टीम की एक रिपोर्ट के आधार पर दर्ज की गई थी, जिन्होंने एक ऑडियो क्लिप के लीक होने की जांच की थी, जो कथित तौर पर स्वप्ना सुरेश की थी।
प्राथमिकी दर्ज होने के बाद, ईडी ने केरल उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की और सिंगल पीठ ने भी ऐसा ही किया।
अदालत ने हालांकि अपराध शाखा को मामले से संबंधित सभी दस्तावेज निचली अदालत को सौंपने का निर्देश दिया। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 7 जुलाई | कांग्रेस ने कैबिनेट फेरबदल को निरर्थक बताते हुए आरोप लगाया है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) देश पर ठीक से शासन करने में विफल रही है और इसके लिए उसे अपने विजन में फेरबदल की जरूरत है। एक बयान में, कांग्रेस प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने कहा, '' कैबिनेट में फेरबदल व्यर्थ है, क्योंकि जब अर्थव्यवस्था, रोजगार, स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे, राष्ट्रीय सुरक्षा की बात आती है तो भाजपा सरकार पूरी तरह से असफल है। भाजपा सरकार को पोर्टफोलियो फेरबदल के बजाय विजन, शासन को रीसेट करने की आवश्यकता है।''
उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में 2022 के चुनाव से पहले मोदी 2.0 का पहला बड़ा फेरबदल बुधवार शाम को होने वाला है।
फेरबदल में बिहार का दबदबा रहने की संभावना है, क्योंकि जनता दल यूनाइटेड ने वापसी की है।
प्रमुख नामों में ज्योतिरादित्य सिंधिया, सबार्नंद सोनोवाल, नारायण राणे शामिल हैं, जो केंद्रीय मंत्रिमंडल के बड़े पैमाने पर फेरबदल का हिस्सा हो सकते हैं। (आईएएनएस)
श्रीनगर, 7 जुलाई | श्रीनगर शहर के कोकर बाजार बाजार में एक पुरानी जर्जर इमारत के बाहर लटका एक पुराना साइन बोर्ड एक प्रसिद्ध कश्मीरी परिवार और एक प्यार करने वाले पिता की यादें ताजा कर गया है, जिन्हें अपनी बेटियों पर गर्व था। 'जावेद शेख और बेटियां, कोकर बाजार, मैसूमा, श्रीनगर'। यह साइनबोर्ड हाल ही में वायरल हुआ है क्योंकि यह साबित करता है कि कम से कम 51 साल पहले कश्मीर में लैंगिक पूर्वाग्रह की उलटी गिनती शुरू हो गई है।
जावेद शेख कश्मीर के सबसे सम्मानित और प्रसिद्ध व्यापारियों में से एक शेख मोहम्मद अमीन के बेटे थे।
परिवार का कश्मीर में लकड़ी का साम्राज्य था और जावेद इसका एकमात्र मालिक थे। परिवार के जम्मू शहर और श्रीनगर में आलीशान घर थे।
परिवार की संपत्ति की एक झलक उनके जम्मू घर में इतालवी संगमरमर के भव्य उपयोग में निहित है, जिसे स्वतंत्रता से बहुत पहले बनाया गया था।
जावेद शेख की शादी 1969 में दिलशाद बेगम शेख से हुई थी। वह बॉलीवुड अभिनेता फिरोज खान की सबसे छोटी बहन हैं। उनके अन्य दो भाई, अभिनेता/निमार्ता, संजय खान और अकबर खान हैं।
दिलशाद बेगम कश्मीर और दिल्ली में एक जानी मानी सोशलाइट हैं। उसने 'चुना हुआ कुछ' नाम से अपनी खुद की कपड़ों की लाइन शुरू की।
फिरोज खान के बेटे फरदीन खान के अनुसार, उन्होंने नाम क्यों चुना, इसका कारण यह है कि वह इस बारे में बहुत चयनात्मक है कि वह अपने कपड़े किसको बेचती है।
1980 के दशक के मध्य में जावेद की मृत्यु हो गई। दंपति की तीन बेटियां हैं, शाहला, सबा और शेबा।
ग्रीष्मकाल में शहाला अपनी मां के साथ श्रीनगर के राजबाग के घर में रहती है और दोनों सर्दियों में दिल्ली और मुंबई चली जाती हैं।
शहला मशहूर फर्नीचर कंपनी 'वुडफोर्ट' की मालकिन हैं। वह एक इंटीरियर डेकोरेटर भी है और उच्च गुणवत्ता वाले अखरोट के फर्नीचर का काम करती है।
सबा 'इलुमिनाती' नाम की एक मोमबत्ती कंपनी की उद्यमी हैं, जबकि शीबा एक गृहिणी और दो बच्चों की मां हैं। (आईएएनएस)