राष्ट्रीय
नई दिल्ली, 1 दिसंबर । दिल्ली में नगर निगम चुनाव के मद्देनज़र शुक्रवार से रविवार के बीच तीन दिनों तक शराब बिक्री पर रोक रहेगी.
आबकारी विभाग ने इसकी घोषणा की है. दिल्ली नगर निगम के 250 वॉर्ड्स के लिए 4 दिसंबर को चुनाव होना है. नतीजे 7 दिसंबर को आएंगे.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार आबकारी विभाग ने कहा है कि मतगणना वाले दिन भी ड्राई डे रहेगा.
दिल्ली आबकारी विभाग के कमिश्नर कृष्ण मोहन उप्पू ने बुधवार को जारी अधिसूचना में कहा है कि 2 से 4 दिसंबर और 7 दिसंबर को ड्राई डे रहेगा.
ड्राई डे पर सरकार दुकानों, क्लब, बार इत्यादि में शराब की बिक्री पर रोक लगा देती है.
ये आदेश 2 दिसंबर को शाम साढ़े 5 बजे से चार दिसंबर को शाम साढ़े 5 बजे तक जारी रहेगा. इसके साथ ही 6 दिसंबर को रात 12 बजे से 7 दिसंबर को रात 12 बजे तक भी ड्राई डे रहेगा.
भारत और अमेरिका इस वक्त एलएसी से लगभग 100 किलोमीटर दूर उत्तराखंड में संयुक्त सैन्य अभ्यास "युद्ध अभ्यास" कर रहे हैं. चीन ने इस पर अपना ऐतराज जताया है.
चीन ने कहा है कि वह वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास भारत-अमेरिका के संयुक्त सैन्य अभ्यास का विरोध करता है और यह नई दिल्ली और बीजिंग के बीच हस्ताक्षरित दो सीमा समझौतों की भावना का उल्लंघन करता है. वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगभग 100 किलोमीटर दूर उत्तराखंड के औली में 9544 फीट की ऊंचाई पर भारत-अमेरिका का संयुक्त सैन्य अभ्यास "युद्ध अभ्यास" का 18वां संस्करण फिलहाल जारी है.
"युद्ध अभ्यास" पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लीजियान ने पत्रकार सम्मेलन में इससे जुड़े एक सवाल के जवाब में कहा, "चीन-भारत सीमा पर एलएसी के करीब भारत और अमेरिका के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास 1993 और 1996 में चीन और भारत के बीच हुए समझौते की भावना का उल्लंघन करता है."
भारत और अमेरिका के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास का उद्देश्य शांति स्थापना और आपदा राहत कार्यों में दोनों सेनाओं के बीच पारस्परिकता को बढ़ाना और विशेषज्ञता साझा करना है.
1993 और 1996 के समझौतों के लिए चीनी विदेश मंत्रालय का संदर्भ देना दिलचस्प है, क्योंकि भारत ने मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में एलएसी में विवादित क्षेत्रों में बड़ी संख्या में सैनिकों को स्थानांतरित करने के लिए पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के प्रयासों को द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन करार दिया था. इन समझौतों के तहत सीमा से जुड़ा विवाद शांतिपूर्ण और मैत्रीपूर्ण परामर्श के माध्यम से समाधान किया जाता है.
भारत और अमेरिका की सेनाओं के बीच सर्वोत्तम प्रथाओं, रणनीति, तकनीकों और प्रक्रियाओं का आदान-प्रदान करने के उद्देश्य से दोनों देशों के बीच सालाना सैन्य अभ्यास आयोजित किया जाता है. उत्तराखंड के औली में हो रहा युद्ध अभ्यास इस लिहाज से खास कि पहली बार भारतीय और अमेरिकी सैनिक बहुत ऊंचाई पर युद्धाभ्यास कर रहे हैं. पहली बार भारतीय सेना ने संयुक्त सैन्य अभ्यास के लिए हाई अल्टीट्यूड में फॉरन ट्रेनिंग नोड बनाया है. दोनों सेनाओं का यह अभ्यास 15 दिनों तक चलेगा.
अगस्त में भी चीनी सेना ने भारत-अमेरिका सैन्य अभ्यास पर इसी तरह की चिंता जाहिर की थी.
जून 2020 में चीनी और भारतीय सेनाओं के बीच गलवान घाटी में झड़प के बाद से ही दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को गहरा झटका लगा है. (dw.com)
लखनऊ, 1 दिसम्बर | चंद्र शेखर आजाद के नेतृत्व वाली भीम आर्मी पार्टी के जल्द ही समाजवादी पार्टी-राष्ट्रीय लोकदल गठबंधन में शामिल होने की उम्मीद है। भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर सपा-रालोद उम्मीदवारों के लिए खतौली और रामपुर में प्रचार कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक रालोद प्रमुख जयंत चौधरी ने अखिलेश यादव और चंद्रशेखर को एक साथ लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
गौरतलब है कि इस साल की शुरुआत में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले अखिलेश और चंद्रशेखर के बीच गलतफहमियों के कारण सपा और भीम आर्मी के बीच प्रस्तावित गठबंधन नहीं हो सका था।
गौरतलब है कि टाइम मैगजीन ने चंद्रशेखर को भविष्य के 100 उभरते नेताओं की सूची में स्थान दिया है। बुधवार को चंद्रशेखर ने रामपुर में सपा के दिग्गज नेता आजम खान से मुलाकात की और उपचुनाव में पार्टी के उम्मीदवार को अपना समर्थन दिया।
वह पहले से ही खतौली विधानसभा उपचुनाव में जयंत चौधरी के साथ प्रचार कर रहे हैं।
सपा के सूत्रों ने कहा कि रालोद प्रमुख और चंद्रशेखर के बीच कई दौर की बातचीत हुई है, जिसमें दोनों ने उपचुनावों के लिए एक साथ आने के तौर-तरीकों पर विस्तार से चर्चा की।
खतौली और रामपुर के उपचुनाव में चंद्रशेखर आजाद के प्रभाव पर सपा और रालोद नेतृत्व की नजर है।
सपा सूत्रों ने कहा कि सपा-रालोद गठबंधन में चंद्रशेखर की मौजूदगी से उत्तर प्रदेश के समग्र राजनीतिक परिदृश्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है।
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, चंद्रशेखर को बसपा के विकल्प के रूप में पेश किया जा सकता है, क्योंकि पश्चिमी यूपी में दलितों के बीच उनका काफी प्रभाव है।
चंद्रशेखर ने 2024 के चुनाव में सपा-रालोद गठबंधन का समर्थन करने की इच्छा जताई है। (आईएएनएस)|
जम्मू, 1 दिसंबर | जम्मू एवं कश्मीर के कठुआ जिले में एक सड़क दुर्घटना में एक ही परिवार के तीन सदस्यों की मौत हो गई और दो अन्य घायल हो गए। पुलिस ने बताया कि कठुआ जिले के बानी इलाके में बुधवार देर शाम एक निजी वाहन चालक के नियंत्रण से बाहर हो गया। वाहन 300 फुट गहरी खाई में गिर गया। हादसे में एक ही परिवार के तीन सदस्यों की मौके पर ही मौत हो गई।
पुलिस ने बताया, दो घायलों को कठुआ शहर के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 1 दिसम्बर | गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए राज्य की 89 विधान सभा सीटों पर मतदान शुरू हो चुका है। मतदान शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मतदाताओं से रिकॉर्ड संख्या में वोट देने की अपील की है। गृह मंत्री अमित शाह ने भी लोगों से भारी तादाद में मतदान की अपील की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मतदाताओं से बढ़ चढ़कर मतदान करने की अपील करते हुए ट्वीट कर कहा, आज गुजरात चुनाव का पहला चरण है। मैं आज मतदान करने वाले सभी लोगों, विशेष रूप से पहली बार मतदान करने वाले मतदाताओं से रिकॉर्ड संख्या में अपने मताधिकार का प्रयोग करने का आह्वान करता हूं।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोगों से भारी तादाद में वोट करने की अपील करते हुए ट्वीट कर कहा, पिछले दो दशकों में गुजरात विकास और शांति का पर्याय बना है, जिसपर हर भारतीय को गर्व है। यह गुजरातवासियों द्वारा चुनी मजबूत सरकार के कारण संभव हो पाया। मैं प्रथम चरण के मतदाताओं से अपील करता हूं कि इस विकासयात्रा को जारी रखने के लिए भारी संख्या में मतदान करें। (आईएएनएस)|
बहराइच (उत्तर प्रदेश), 1 दिसम्बर | बहराइच के कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य में तेंदुए ने 12 वर्षीय एक बच्चे को मार डाला। उसका क्षत-विक्षत शव जंगल में मिला। बालक मेराज बुधवार की शाम जंगल में लकड़ी लेने गया था, तभी एक तेंदुए ने उस पर हमला कर उसे मार डाला।
जब वह घर नहीं लौटा तो परिजन व स्थानीय लोग उसकी तलाश में जंगल गए तो उसका शव मिला।
मंडल वन अधिकारी (डीएफओ) आकाशदीप बधावन ने कहा कि पिछले एक सप्ताह में तेंदुए के हमले की यह दूसरी घटना है। (आईएएनएस)|
संभल (उप्र), 1 दिसम्बर | शादी समारोह के दौरान दुल्हे ने अपनी दुल्हन को 'किस' किया तो दुल्हन ने शादी से ही इनकार कर दिया। करीब 300 मेहमानों के सामने मंच पर दुल्हे के किस करने से नाराज दुल्हन ने शादी तोड़ दी।
मंगलवार की रात वरमाला के आदान-प्रदान के ठीक बाद दूल्हे ने उसे दुल्हन को किस कर लिया। इससे नाराज दुल्हन तुरंत मंच से चली गई और बाद में पुलिस को फोन किया।
23 वर्षीय स्नातक दुल्हन ने कहा कि दूल्हे ने अपने दोस्तों के साथ शर्त जीतने के लिए उसे किस किया और अब वह अपने चरित्र के बारे में संदिग्ध है।
दोनों पक्षों को थाने ले जाया गया जहां दुल्हन ने आरोप लगाया कि दूल्हे ने उसे गलत तरीके से छुआ लेकिन शुरुआत में उसने इसे नजरअंदाज कर दिया।
उसने आरोप लगाया, "जब उसने मुझे किस किया, तो मैंने अपमानित महसूस किया। उसने मेरे स्वाभिमान की परवाह नहीं की और कई मेहमानों के सामने दुर्व्यवहार किया।"
पुलिस ने बीच-बचाव की कोशिश की लेकिन दुल्हन ने मना कर दिया जिसके बाद शादी टूट गई और मेहमान घर लौट आए।
दुल्हन की मां ने कहा, "दूल्हे को उसके दोस्तों ने उकसाया था। हमने अपनी बेटी को मनाने की कोशिश की लेकिन उसने उससे शादी करने से इनकार कर दिया।"
पुलिस ने कहा कि, "तकनीकी रूप से जोड़े की शादी हो चुकी है क्योंकि घटना के समय तक रस्में पूरी हो चुकी थीं। हम कुछ दिनों के इंतजार के बाद तय करेंगे कि हालात शांत हो।"
इसके पहले शाहजहांपुर और लखीमपुर खीरी में दुल्हनों ने अपनी शादियां रद्द कर दी थीं क्योंकि दूल्हे ने 'नागिन डांस' किया था। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 1 दिसंबर | राजस्थान की कांग्रेस सरकार में अशोक गहलोत बनाम सचिन पायलट की लड़ाई के बीच भाजपा एक बड़े अभियान की शुरूआत करने जा रही है। राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ गुरुवार को भाजपा प्रदेश में जन आक्रोश रथ यात्रा निकालने जा रही है। गुरुवार को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जयपुर में हरी झंडी दिखाकर इस रथ यात्रा को रवाना करेंगे। नड्डा इस दौरान जयपुर के दशहरा मैदान में इस जन आक्रोश यात्रा को संबोधित भी करेंगे। आपको बता दें कि, राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार को हर मोर्चे पर एक असफल करार देते हुए भाजपा ने इसके कुशासन, भ्रष्टाचार और जंगल-राज के खिलाफ जन आक्रोश रथ यात्रा निकालने का फैसला किया है।
गुरुवार, 1 दिसंबर को राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जयपुर से इसकी शुरूआत करेंगे और शुक्रवार, 2 दिसंबर को भाजपा के केंद्रीय मंत्रियों समेत राष्ट्रीय और राज्य स्तर के कई दिग्गज नेता एवं सांसद प्रदेश के अलग-अलग जिलों में अशोक गहलोत के खिलाफ निकाले जानी वाली रथ यात्रा में मुख्य वक्ता के रूप में शामिल होंगे।
केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल - बीकानेर, गजेंद्र सिंह शेखावत - जोधपुर, अरुण सिंह - अलवर, अशोक परनामी - सीकर, स्वामी सुमेधानंद सरस्वती - झुंझुनू, घनश्याम तिवारी - भरतपुर, विजया राहटकर - अजमेर, सतीश पुनिया - पाली और गुलाबचंद कटारिया - उदयपुर में शुक्रवार को होने वाले जन आक्रोश जिला रथ यात्रा के शुभारंभ कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के तौर पर शामिल होंगे।
पार्टी ने शुक्रवार के कार्यक्रम के लिए अपने 31 बड़े नेताओं को अलग-अलग जिलों में तैनात किया है। राज्य में अगले वर्ष होने वाले विधान सभा चुनाव के मद्देनजर इस अभियान को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। (आईएएनएस)|
गाजियाबाद, 1 दिसंबर | गाजियाबाद के क्रॉसिंग रिपब्लिक में एक सोसाइटी की लिफ्ट में 3 बच्चियां करीब 25 मिनट तक फंसी रही। परिजनों ने जब बच्चियों को ढूंढना शुरू किया को उन्हे इस बात का पता चला। काफी मशक्कत के बाद बच्चियों को बाहर निकाला गया। बच्चियां इस हादसे के बाद काफी ज्यादा डरी हुई हैं। परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन (एओए) के प्रेसिडेंट और सचिव के खिलाफ मामला दर्ज किया है। लोग लाखों रुपया खर्च कर सोसाइटी में मकान खरीद रहे हैं और मेंटेनेंस के अभाव में हादसे हो रहे हैं।
ऐसी ही एक घटना क्रॉसिंग रिपब्लिक की ऐसोटेक नेस्ट सोसाइटी में 29 नवंबर को हुई। 3 बच्चियां लिफ्ट में करीब 25 मिनट तक फंसी रही। लिफ्ट में लगी सीसीटीवी में बच्चियों का रोते और परेशान होते हुए वीडियो रिकॉर्ड हो गया।
लिफ्ट से निकलने के बाद बच्चियां काफी डरी हुई हैं। इस घटना के बाद परिजनों ने सोसाइटी के एओए पर लापरवाही और लिफ्ट को समय से मेटेनेंस ना करवाने का आरोप लगाया है।
परिजनों ने पुलिस को दी शिकायत में यह साफ तौर पर लिखा है कि लिफ्ट मेंटेनेंस के नाम पर करीब 25 लाख रूपए सालाना सोसाइटी में खर्च होते हैं लेकिन बावजूद उसके अगर इस तरीके के हादसे हो रहे हैं तो इस लापरवाही के जिम्मेदार एओए की अध्यक्ष और सचिव ही हैं जिनके खिलाफ मामला दर्ज किया जाए।
पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। (आईएएनएस)|
बैतूल, 1 दिसंबर | मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में पानी में जहर मिलाकर चार जंगली सुअरों के शावकों को मारने का मामला सामने आया है। दो शिकारियों को वन विभाग के गश्ती दल ने गिरफ्तार करने में सफलता पाई है। मिली जानकारी के अनुसार, वन विभाग के पश्चिम मंडल के वन परिक्षेत्र गवासेन में दो शिकारी मृत चार सुअर के बच्चों को मोटर साइकिल पर लादक ले जा रहे थे। प्रारंभिक पूछताछ में आरोपियों ने पानी में जहर मिलाकर चार जंगली सुअरों के बच्चों का शिकार करने की बात कबूली है।
वन विभाग की टीम ने आरोपियों को गिरफ्तार कर उनका मेडिकल कराने के बाद कोर्ट में बुधवार को पेश किया जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। यह घटना जिला मुख्यालय से करीब 60 किमी दूर गवासेन रेंज में घटित हुई।
गवासेन रेंज के वन परीक्षेत्र अधिकारी रवि सिंह ने बताया कि रेंज के अन्तर्गत 29 नबंवर की रात्रि साढ़े नौ बजे दरियावगंज बीट में जंगली सुअर के चार बच्चे को मारकर आरोपी संतराम (22) एवं बलीराम को मोटर सायकल पर मृत सुअरों केा ले जाते हुए पकड़ा।
उन्होंने बताया कि गवासेन रेंज में वन तथा वन्यप्राणियों की सुरक्षा हेतु वनमण्डलाधिकारी वरूण यादव, उप वनमण्डलाधिकारी गौरव मिश्र के मार्गदर्शन में प्रतिदिन परिक्षेत्र के संवेदनशील क्षेत्र में सुरक्षा हेतु टप्पर एवं चेकिंग बैरियर तैयार कराकर वन कर्मचारी तथा सुरक्षा श्रमिकों की रात्रि में ड्यूटी लगाई जाती है। इसी गश्ती दल ने शिकारियों को दबोचा है। (आईएएनएस)|
रावलपिंडी, 1 दिसंबर | पाकिस्तान और इंग्लैंड के बीच पहला टेस्ट गुरुवार को निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार शुरू होगा। वहीं, बेन स्टोक्स की अगुआई वाली टीम ने सूचित किया है कि उनके पास रावलपिंडी क्रिकेट स्टेडियम में होने वाले मुकाबले के लिए प्लेयिंग इलेवन में पर्याप्त खिलाड़ी हैं। आईसीसी के अनुसार इंग्लैंड क्रिकेट ने एक बयान में कहा, "ईसीबी (इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड) ने पीसीबी (पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड) को सूचित किया है कि मुकाबले से 24 घंटे पहले इंग्लैंड के सात खिलाड़ी बीमार पड़ गए, लेकिन प्रबंधकों ने घोषणा की है उनके पास खेलने के लिए पर्याप्त खिलाड़ी हैं।"
इंग्लैंड अगले साल होने वाली विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचने की दौड़ से बाहर है, पाकिस्तान के लिए यह श्रृंखला महत्वपूर्ण है क्योंकि टीम क्वालीफाई करने का प्रयास कर रही है।
पाकिस्तान वर्तमान में 51.85 प्रतिशत के साथ पांचवें स्थान पर है और अभी भी इंग्लैंड के खिलाफ और न्यूजीलैंड के खिलाफ अपनी आगामी सीरीज में सकारात्मक परिणामों के साथ शीर्ष दो स्थानों के अंदर समाप्त हो सकता है।
इंग्लैंड की टीम : बेन स्टोक्स (कप्तान), जेम्स एंडरसन, हैरी ब्रूक, जैक क्रॉली, बेन डकेट, बेन फोक्स, विल जैक, कीटन जेनिंग्स, जैक लीच, लियाम लिविंगस्टोन, जेमी ओवरटन, ओली पोप, ओली रॉबिन्सन, जो रूट, मार्क वुड, रेहान अहमद। (आईएएनएस)|
भोपाल, 1 दिसंबर | मध्य प्रदेश में जनजातीय वर्ग का दिल जीतने की कोशिशें जारी है। इसी क्रम में अब जननायक टंट्या मामा के बलिदान दिवस पर चार दिसंबर को अलग-अलग कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। मुख्य आयोजन इंदौर में होगा, जिसमें इस वर्ग के युवा अपनी सफलता की कहानी बयां करेंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि युवाओं को जीवन में आगे बढ़ने के लिए छात्रवृत्ति, अध्ययन में सहायता तथा केरियर काउंसलिंग उपलब्ध कराने जैसी विभिन्न शासकीय योजनाएं संचालित हैं। इन योजनाओं का लाभ लेकर कई युवाओं ने अपनी जिंदगी बदली है। शासकीय कार्यक्रमों में यह युवा अपने अनुभव, छात्र-छात्राओं से साझा करें। इससे प्रदेश के विद्यार्थियों को प्रेरणा और मार्गदर्शन प्राप्त होगा। जननायक क्रांतिसूर्य टंट्या मामा के बलिदान दिवस पर जन-कल्याण की योजनाएं संचालित करना और कठिन परिस्थितियों में रह रहे लोगों को अपना जीवन बदलने के लिए सहायता उपलब्ध कराना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
बताया गया है कि जननायक टंट्या मामा के बलिदान दिवस चार दिसंबर को इंदौर के पातालपानी, भंवरकुआं तथा नेहरू स्टेडियम में कार्यक्रम किए गए हैं। मुख्यमंत्री चौहान पातालपानी स्थित टंट्या मामा मंदिर में पूजन कर वहां विद्यमान प्रतिमा पर माल्यार्पण करेंगे तथा वृक्षा-रोपण के बाद सभा को संबोधित करेंगे। इसके साथ ही भंवरकुआं पर टंट्या मामा प्रतिमा का अनावरण करेंगे।
मुख्यमंत्री चौहान द्वारा नेहरू स्टेडियम पर आयोजित कार्यक्रम में टंट्या मामा आर्थिक कल्याण योजना के हितग्राहियों को हितलाभ वितरित कर संवाद भी करेंगे। कार्यक्रम में इंदौर सहित धार, खरगोन, बड़वानी, झाबुआ, अलीराजपुर, खण्डवा, बुरहानपुर, देवास और रतलाम के हितग्राही शामिल होंगे। (आईएएनएस)|
लखनऊ, 1 दिसंबर | उत्तर प्रदेश के हैंडलूम्स एवं पॉवरलूम को सौर ऊर्जा से चलाने का रास्ता साफ हो गया। इसके कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद इसके चरणबद्ध तरीके से लागू करने की तैयारी हो रही है। इस योजना के तहत पावरलूम को सौर ऊर्जा से ऊर्जीकृत करने के लिए सामान्य वर्ग के बुनकरों को 50 फीसदी एवं अनुसूचित जाति एवं जनजाति के बुनकरों को सरकार 75 फीसदी की सब्सिडी देगी।
मालूम हो कि प्रदेश में सदियों से वस्त्र उद्योग की सम्पन्न परंम्परा रही है। इस परंपरा की बुनियाद पहले हैंडलूम और बाद में पावरलूम ही रहे। आज भी प्रदेश के 34 जिले हथकरघा बाहुल्य हैं। हथकरघों, हथकरघा बुनकरों और बुनकर सहकारी समितियों की संख्या क्रमश: 1.91 लाख, 0.80 लाख और 20421 है।
इसी तरह मऊ, अम्बेडकर नगर, वाराणसी, मेरठ, कानपुर, झांसी, इटावा, संतकबीरनगर आदि जिले पॉवरलूम बहुल हैं। पॉवरलूम एवं इन पर काम करने वाले बुनकरों एवं पॉवरलूमों की संख्या क्रमश: 2.58 लाख एवं 5.50 लाख हैं। चरणबद्ध तरीके से हैण्डलूम एवं पॉवरलूम को सौर ऊर्जा से जोड़ना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उस मंशा के अनुरूप होगा जिसके तहत वह उत्तर प्रदेश को देश का टेक्सटाइल हब बनाना चाहते हैं। चूंकि यह योजना चरणबद्ध तरीके से लागू की जानी है, उम्मीद है कि कैबिनेट के इस फैसले से धीरे-बुनकरों की बिजली पर निर्भरता खत्म हो जाएगी।
योजना के अनुसार सरकार सौर ऊर्जा से जोड़ने वाले बुनकरों को सोलर इनवर्टर भी देगी। ऐसा होने से ऊर्जा तो बचेगी ही, तैयार उत्पाद इकोफ्रेंडली होंगे। साथ ही उत्पादन की गुणवत्ता भी सुधरेगी। उत्पादन बढ़ने से दाम भी बाजार के समान उत्पादों की तुलना में प्रतिस्पर्धी होंगे।
पॉवरलूमस को सौर ऊर्जा से ऊर्जीकृत करने के लिए बजट में भी 10 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था। इसी क्रम में बुनकरों की बेहतरी के लिए सरकार की योजना वाराणसी के 50 हजार बुनकरों को बैंक से भी जोड़ने की है। इस पर काम चल रहा है। बैंकों से बुनकरों को जोड़ने के पीछे मकसद यह है कि उनके काम में पूंजी बाधा न बने। पूंजी के साथ उनको ओडीओपी योजना के तहत अनुदान भी मिले, इसके लिए सरकार अभियान चलाकर 50 हजार बुनकरों को बैंकों से जोड़ेगी। एमएसएमई विभाग और बैंकर्स की बैठक में यह भी तय हो चुका है कि इस बाबत जरूरत के अनुसार औपचारिकताओं में छूट दी जाएगी। सिडबी भी इस अभियान में मदद करेगी। मालूम हो कि पहले से ही करीब 25 हजार बुनकर हैंडलूम विभाग के पोर्टल पर पंजीकृत हैं। सरकार के इन प्रयासों से इस असंगठित क्षेत्र को संगठित क्षेत्र में लाना है।
लूम एवं पॉवरलूम ही हमारी बेहद संपन्न वस्त्र उद्योग की बुनियाद रहे हैं। इस क्षेत्र में हुनरमंद बुनकरों की भरमार है। विडंबना यह है कि जिनके बूते बनारस की रेशमी साड़ियां देश-दुनियां में ब्रांड बनीं वे (बुनकर) पूरी तरह से असंगठित क्षेत्र में हैं। इसके नाते उनको उनके हुनर का वाजिब दाम नहीं मिलता। योगी सरकार उनको और उनके हुनर को सम्मान देने के लिए संगठित क्षेत्र में लाना चाहती है। बुनकरों की बेहतरी की सभी योजनाओं के मूल में यही है।
मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप संबंधित विभाग इसके अलावा अन्य तैयारियां भी कर रहा है। 196.51 करोड़ रुपये का निवेश किया गया। इस निवेश से कुल 3243 व्यक्तियों को रोजगार मिला।
इसी क्रम में राष्ट्रीय हथकरघा विकास कार्यक्रम के तहत 19 हथकरघा क्लस्टरों के प्रस्ताव भारत सरकार को स्वीकृति के लिए भेजे गये हैं। इन क्लस्टरों के विकास के लिए 25.55 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रस्तावित की गयी है। इसके प्राप्त होने पर 2591 हथकरघा बुनकर लाभान्वित होंगे।
इसके अलावा केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय की पीएम मित्र योजना के तहत हरदोई में मेगा इन्टीग्रेटेड टेक्सटाइ एवं अपैरल पार्क की स्थापना हेतु भूमि के अधिग्रहण की कार्यवाही शुरू हो गई है। पार्क में वस्त्र इकाईयों की स्थापना होने पर लगभग 5 लाख व्यक्तियों को रोजगा मिलने की सम्भावना है।
सरकार की ओर से मिली जानकारी के अनुसार नोएडा में अपैरल पार्क की स्थापना हेतु भूमि की व्यवस्था हो गयी हैं। इस अपैरल पार्क में 3000 करोड़ के निवेश से लगभग 115 नियार्तन्मुखी वस्त्र इकाईयां स्थापित की जायेंगी जिससे लगभग दो लाख व्यक्तियों को रोजगार मिलने की संभावना है।
पार्क में वस्त्र इकाईयों की स्थापना होने पर लगभग 5 लाख व्यक्तियों को रोजगार मिलने की सम्भावना है। नोएडा में अपैरल पार्क की स्थापना हेतु भूमि की व्यवस्था हो गयी हैं। इस अपैरल पार्क में रुपये 3000 करोड़ के निवेश से लगभग 115 नियार्तोन्मुखी वस्त्र इकाईयां स्थापित की जायेंगी, जिससे लगभग 2 लाख व्यक्तियों को रोजगार मिलने की सम्भावना है। (आईएएनएस)|
आरबीआई एक दिसंबर से डिजिटल रुपये की सीमित शुरुआत कर रहा है. इसे एक पायलट के रूप में शुरू किया जाएगा. जानिए क्या है डिजिटल रुपया और यह कैसे काम करेगा.
रिजर्व बैंक ने घोषणा की है कि वो एक दिसंबर से डिजिटल रुपया या "ई रूपी" की शुरुआत एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में करने वाला है. पायलट चरण में डिजिटल रुपया सिर्फ चार शहरों में उपलब्ध होगा, जिनमें दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और भुवनेश्वर शामिल हैं.
इसके लिए शुरुआत में चार बैंकों को चुना गया है - स्टेट बैंक, आईसीआईसीआई, यस बैंक और आईडीएफसी बैंक. धीरे धीरे इसमें और बैंकों को भी शामिल किया जाएगा और शहरों की संख्या को भी बढ़ाया जाएगा.
इसे कुछ विश्लेषक भारत का आधिकारिक क्रिप्टोकरेंसी भी कह रहे हैं. यह एक तरह से नकद का ही इलेक्ट्रॉनिक संस्करण होगा. डिजिटल रुपये का मूल्य आम नोटों और सिक्कों के जैसा ही होगा, बस इसके जरिए पैसों का लेनदेन डिजिटल माध्यम से संभव हो सकेगा.
कैसे काम करेगा डिजिटल रुपया
रिजर्व बैंक जैसे नोट और सिक्के जारी करता है और फिर वो बैंकों के जरिए लोगों की जेबों तक पहुंचते हैं, ठीक वैसे ही रिजर्व बैंक ई-रुपये को नोटों और सिक्कों के मूल्यवर्ग के ही डिजिटल टोकन के रूप में जारी करेगा. यह टोकन कानूनी रूप से वैध होंगे और आम उपभोक्ता, कंपनियां, सरकारी विभाग सभी इसका इस्तेमाल कर पाएंगे.
किसी भी तरह के भुगतान के लिए एक क्यूआर कोड को स्कैन करना होगा. स्कैन करने के बाद मोबाइल में डिजिटल वॉलेट के जरिए भुगतान हो जाएगा. मुख्य रूप से इसका इस्तेमाल खुदरा लेनदेन के लिए ही किए जाने की योजना है.
आरबीआई के मुताबिक डिजिटल रुपये को लाने के पीछे मुख्य उद्देश्य "फिजिकल नकद के प्रबंधन के खर्च को कम करना, वित्तीय समावेश को बढ़ाव देना और भुगतान प्रणाली में लचीलापन, कुशलता और नवीनता लाना" है.
इसके क्या फायदे हैं
इसे आरबीआई की भारतीय अर्थव्यवस्था को निजी क्रिप्टोकरेंसियों से दूर रखने की कोशिश के रूप में भी देखा जा रहा है. आरबीआई पूर्व में यह कह चुका है कि निजी क्रिप्टोकरेंसियों में कई तरह के जोखिम होते हैं इसलिए भारत में इनकी अनुमति नहीं दी जाएगी.
वहीं आरबीआई का यह भी मानना रहा है कि स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय लेनदेन में भुगतान के एक आसान माध्यम के रूप में क्रिप्टोकरेंसी भारत में भी उपलब्ध हो. आरबीआई द्वारा नियंत्रित डिजिटल रुपये को लाने के पीछे यही सोच है.
रिजर्व बैंक को उम्मीद है कि इससे नकद पर भारतीय अर्थव्यवस्था की निर्भरता में भी कमी आएगी. दुनिया भर में कई केंद्रीय बैंक अपनी अपनी मुद्राओं के डिजिटल संस्करण को जारी करने पर विचार कर रहे हैं. यूरोपीय संघ का केंद्रीय बैंक भी यूरो के डिजिटल रूप को शुरू करने पर विचार कर रहा है.
भारत में रिजर्व बैंक थोक स्तर पर डिजिटल रुपये की शुरुआत पहले ही कर चुका है. इसकी शुरुआत एक नवंबर 2022 को की गई थी. इसका इस्तेमाल सरकारों द्वारा उधारी उठाने के लिए जारी किए जाने वाले सरकारी सिक्योरिटी के भुगतान के लिए किया जा रहा है. इसमें अभी तक नौ बैंकों को शामिल किया गया है. (dw.com)
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से ऐसे विचाराधीन कैदियों की सूची मांगी है जिन्हें जमानत तो मिल गई है लेकिन वे बेल बॉन्ड नहीं भर पाने के कारण जेलों में बंद हैं.
विचाराधीन कैदियों की शीघ्र रिहाई सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को ऐसे कैदियों पर डेटा एकत्र करने का निर्देश दिया, जिन्हें जमानत मिल गई है, लेकिन वे इसकी शर्तों का पालन करने में असमर्थता के कारण जेल से बाहर नहीं आ सकते हैं.
जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस ए एस ओका की बेंच ने मंगलवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि राज्य ऐसे कैदियों का डेटा 15 दिन के भीतर कोर्ट को दे.
गृह मंत्रालय द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट प्रिजन स्टैटिस्टिक्स इंडिया 2021 के अनुसार 2016-2021 के बीच जेलों में बंदियों की संख्या में 9.5 प्रतिशत की कमी आई है जबकि विचाराधीन कैदियों की संख्या में 45.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. रिपोर्ट के मुताबिक चार में से तीन कैदी विचाराधीन हैं. 31 दिसंबर 2021 तक लगभग 80 प्रतिशत कैदियों को एक वर्ष तक की अवधि के लिए जेलों में बंद रखा गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 में रिहा किए गए 95 प्रतिशत विचाराधीन कैदियों को अदालतों ने जमानत दे दी थी, जबकि अदालत द्वारा बरी किए जाने पर केवल 1.6 प्रतिशत को रिहा किया गया था.
दरअसल 26 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में अपने पहले संविधान दिवस संबोधन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने गरीब आदिवासियों के जेलों में बंद रहने का मुद्दा उठाया था. उन्होंने आदिवासी इलाकों में उनकी दुर्दशा पर रोशनी डालते हुए कहा था कि जमानत राशि भरने के लिए पैसे की कमी के कारण वे जमानत मिलने के बावजूद जेलों में बंद हैं. राष्ट्रपति ने न्यायपालिका से गरीब आदिवासियों के लिए कुछ करने का आग्रह किया था.
मंगलवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने राज्य सरकारों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि 15 दिनों की अवधि के भीतर जेल अधिकारियों द्वारा जरूरी जानकारी उन्हें उपलब्ध कराई जाए. इसके बाद एक सप्ताह के भीतर राज्य सरकारों को नालसा को डेटा भेजना है. कोर्ट ने कहा, "नालसा तब इस मुद्दे पर आवश्यक विचार-विमर्श करेगा और स्पष्ट रूप से आवश्यक सहायता प्रदान करेगा."
जस्टिस कौल ने माना कि ऐसे कई मामले हैं जहां जमानत दिए जाने के बाद भी कैदी सिर्फ इसलिए जेलों में सड़ रहे हैं क्योंकि वे जमानत की शर्तें पूरी नहीं कर पाए हैं. जस्टिस कौल ने कहा, "समस्या उन राज्यों में अधिक है जहां वित्त साधन एक चुनौती है."
जस्टिस कौल ने पिछले शुक्रवार को नालसा के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला है. उन्होंने पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट में संविधान दिवस समारोह में बोलते हुए विचाराधीन कैदियों की समस्याओं के बारे में बात की थी.
मंगलवार को सुनवाई के दौरान जस्टिस कौल ने कहा, "हम जानते हैं कि लंबे समय तक जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों की एक बड़ी समस्या है और यह एक ऐसा क्षेत्र है जिस पर हमें तत्काल ध्यान देना चाहिए."
इसी साल जुलाई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली अखिल भारतीय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की बैठक के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा था, "कई कैदी ऐसे हैं जो वर्षों से जेलों में कानूनी सहायता के इंतजार में पड़े हैं. हमारे जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण इन कैदियों को कानूनी सहायता प्रदान करने की जिम्मेदारी ले सकते हैं."
मोदी ने अप्रैल में राज्यों के मुख्यमंत्रियों और हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन के उद्घाटन में भी विचाराधीन कैदियों का मुद्दा उठाया था. उन्होंने कहा था, "आज देश में करीब साढ़े तीन लाख कैदी ऐसे हैं जो विचाराधीन हैं और जेल में हैं. इनमें से अधिकांश लोग गरीब या सामान्य परिवारों से हैं. प्रत्येक जिले में जिला न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति होती है, ताकि इन मामलों की समीक्षा की जा सके और जहां भी संभव हो ऐसे कैदियों को जमानत पर रिहा किया जा सकता है." उन्होंने कहा था, "मैं सभी मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों से मानवीय संवेदनशीलता और कानून के आधार पर इन मामलों को प्राथमिकता देने की अपील करूंगा." (dw.com)
बेंगलुरु, 30 नवंबर । कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु के जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने रिलायंस रिटेल लिमिटेड पर कुल 7,000 रुपये का जुर्माना लगाया है, क्योंकि कंपनी के तहत संचालित एक स्टोर में शिकायतकर्ता को कैरी बैग खरीदने के लिए मजबूर किया गया था.
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, रिलायंस रिटेल लिमिटेड को कैरी बैग के लिए पैसे लेने पर मुआवजे के रूप में 5,000 रुपये और मुकदमेबाजी के खर्च के लिए 2,000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया गया है.
जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के अध्यक्ष के रूप में एम. शोभा और सदस्यों के रूप में रेणुका देवी देशपांडे और एच. जनार्दन ने फैसला सुनाया.
बेंगलुरु के शिकायतकर्ता, जो पेशे से वकील हैं, अपनी पत्नी के साथ 10 जुलाई 2022 को मंदिर से लौट रहे थे, रास्ते में वे रिलायंस स्मार्ट पॉइंट पर खरीददारी करने चले गए. उन्होंने वहां से 2007.30 रुपये का सामान खरीदा और कैरी बैग की मांग की. चूंकि शिकायतकर्ता खरीददारी का सोचकर बाजार नहीं गए थे, इसलिए वे अपने साथ कैरी बैग भी नहीं ले गए थे.
बाद में शिकायतकर्ता तब चौंक गए जब उनके बिल में 18वें आइटम के रूप में कैरी बैग को जोड़ दिया गया और उसके 24.90 रुपये वसूल लिए गए.
नवभारत टाइम्स के मुताबिक, पेशे से वकील शिकायतकर्ता का नाम रविकिरण सी. है.
शिकायतकर्ता ने कहा कि मॉल मुफ्त कैरी बैग प्रदान करते हैं, जैसा कि राष्ट्रीय और राज्य आयोगों ने समय-समय पर आदेश जारी किए हैं. इसके अलावा, यह उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत भी एक मानदंड है.
शिकायतकर्ता ने कहा कि प्रतिवादी (रिलायंस स्मार्ट पॉइंट) विभिन्न ब्रांड का सामान बेचने का व्यवसाय कर रहा है, जिसमें इसके खुद के नाम और शैली का सामान भी शामिल है और परिस्थितियों को देखते हुए उसे मुफ्त कैरी बैग देना चाहिए.
उन्होंने आगे कहा कि प्रतिवादी बिना एक पैसा खर्च किए, इन कैरी बैग के माध्यम से खुद का विज्ञापन कर रहे हैं, जो कि एक अवैध कृत्य है.
यह भी पाया गया कि विरोधी पक्ष यानी रिलायंस स्मार्ट पॉइंट उपभोक्ताओं को अपना कैरी बैग अंदर ले जाने की अनुमति नहीं देता है और इसलिए यह उसका कर्तव्य है कि वह ग्राहकों को कैरी बैग प्रदान करे, क्योंकि वे किराने का सामान अपने हाथ में नहीं ले जा सकते हैं.
साथ ही, पाया गया कि यह भी प्रतिवादी का दायित्व है कि वह उपभोक्ताओं को अपना कैरी बैग लाने के लिए सूचित करे. आयोग द्वारा जारी नोटिस के जवाब में प्रतिवादी आयोग के समक्ष उपस्थित होने या मामले को चुनौती देने मे विफल रहा.
पीठ ने अपने आदेश में दर्ज किया कि इन परिस्थितियों में शिकायतकर्ता ने स्पष्ट तौर पर विरोधी पक्ष की ओर से अनुचित व्यापार या दोषपूर्ण अभ्यास किया जाना स्थापित किया.
उपभोक्ता अदालत द्वारा पारित आदेश में 5,000 रुपये मुआवजा, कैरी बैग के लिए चुकाए गए 24.90 रुपये वापस लौटाने और मुकदमे की लागत के लिए शिकायतकर्ता को 2,000 रुपये जुर्माना चुकाने का निर्देश दिया है. 60 दिनों की भीतर इस आदेश का पालन करना होगा, अन्यथा 7024.90 रुपये पर 12 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज देना होगा. (thewirehindi.com)
नई दिल्ली, 30 नवंबर । केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो' यात्रा को लेकर बयान दिया है.
समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए इंटरव्यू में अमित शाह से सवाल किया गया कि वो राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को कैसे देखते हैं और इसके क्या नतीजे होंगे.
इस पर शाह ने कहा, "मेरा हमेशा से मानना रहा है कि राजनेता को मेहनती होना चाहिए और जब कोई पूरी मेहनत करता है तो ये अच्छा है. लेकिन राजनीति में केवल लगातार किए जाने वाले प्रयासों का ही परिणाम देखने को मिलता है. इसलिए, इंतज़ार कीजिए और देखते जाइए."
अमित शाह ने कहा कि गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले कहा कि राज्य में कांग्रेस अभी भी मुख्य विपक्षी पार्टी है लेकिन वो पूरे देश में संकट से घिरी है जिसका असर गुजरात में भी दिख रहा है.
गुजरात में आम आदमी पार्टी भी जोर-शोर से चुनावी अभियान चला रही है. यहां तक कि पार्टी जीत का दावा भी कर रही है.
आम आदमी पार्टी को गुजरात में कितनी बड़ी राजनीतिक ताकत माना जा रहा है, इस पर शाह ने कहा कि किसी भी पार्टी के पास देश के किसी भी हिस्से में काम करने का अधिकार है, लेकिन उन्हें स्वीकार करना या न करना जनता के हाथ में है.
अमित शाह ने कहा कि चुनाव हो जाने दीजिए, शायद आप के उम्मीदवारों का नाम सफल उम्मीदवारों की सूची में रहे ही न.
पीएफ़आई पर बैन का कारण
पॉपुलर फ़्रंट ऑफ़ इंडिया (पीएफ़आई) पर प्रतिबंध की क्या ज़रूरत थी, इस सवाल पर शाह ने कहा, "इस संगठन की राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों, ख़ासतौर पर युवाओं में कट्टरता भरकर उन्हें आतंकवाद की ओर ढकेलने से जुड़ी बहुत सी जानकारी और सबूत जुटाने के बाद मोदी सरकार ने पीएफ़आई को बैन करने का निर्णय किया. कई राज्यों ने भी पीएफ़आई को बैन करने की मांग की थी." (bbc.com/hindi)
नई दिल्ली, 30 नवंबर । अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने अमेरिकी अधिकारियों को चेतावनी दी है कि वे भारत के साथ उसके संबंधों में दखलंदाज़ी न करें.
में कहा गया है कि चीन इस बात को लेकर ज़्यादा सतर्क था कि नई दिल्ली के साथ उसके सीमा विवाद की वजह से भारत और अमेरिका की नज़दीकी और बढ़ न जाए.
साल, 2020 के मई महीने से पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगे क्षेत्र में भारतीय सेना और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के बीच कई जगहों पर तनाव की स्थिति बनी हुई है.
इस पूरे सीमा विवाद के दौरान चीनी अधिकारियों ने संकट की गंभीरता को कम करके पेश करने की कोशिश की है.
कांग्रेस में अमेरिकी रक्षा मंत्रालय की ओर से चीन की सैन्य रणनीति पर मंगलवार को पेश की गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने भारत के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों के दूसरे पहलुओं पर सीमा विवाद के मुद्दे का असर पड़ने से रोकने की कोशिश की.
रिपोर्ट में कहा गया है, "पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने अमेरिकी अधिकारियों को इस बात के लिए आगाह किया कि वे भारत के साथ उसके संबंधों में दखलंदाज़ी न करें."
पेंटागन का कहना है कि चीन-भारत सीमा के एक हिस्से पर 2021 में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने सालों पर अपने सैनिकों की तैनाती बनाए रखी और वास्तविक नियंत्रण रेखा पर इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण कार्य जारी रखा. (bbc.com/hindi)
-फ़ैसल मोहम्मद अली
पिछले कुछ समय से 'रेवड़ी संस्कृति' पर चर्चा छिड़ी है, इस चर्चा की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की है, उनका कहना है कि मुफ़्त में चीज़ें देने से राज्यों का खज़ाना ख़ाली हो रहा है, जबकि कई राज्य सरकारों का कहना है कि जन कल्याण की योजना को 'रेवड़ी बाँटना' बताना सही नहीं है.
राजनीतिक दलों की तरफ़ से मुफ़्त में चीज़ें देने की संस्कृति को लेकर देश के सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका पर सुनवाई भी जारी है.
ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि देश के सबसे पिछड़े ज़िलों में गिने जाने वाले कालाहांडी का अब क्या हाल है जहाँ राज्य सरकार ने लंबे समय तक बड़े पैमाने पर लोगों को मुफ़्त सहायता दी है.
कालाहांडी आज उस डरावने और शर्मनाक सच को नहीं भूला है, जब घमेला मुट्ठी भर चावल के लिए एड़ियां रगड़-रगड़ कर मर गई, छह साल की बच्ची को जब माँ-बाप ने चंद सौ रुपयों के लिए महाजन को बेच दिया, या फिर चौदह साल की बनिता जिसे उसकी भाभी ने केवल 40 रूपये और एक साड़ी के बदले बेच दिया.
माँ घमेला की भूख से हुई मौत के समय केवल पाँच या छह साल का रहा गुंधर नायक अब ख़ुद एक बच्चे के बाप हैं
वे उस दिन को याद करते हुए कहते हैं, "तब हम बहुत छोटे थे, माँ मर गई लेकिन मुझे पता नहीं चला, मैं कमरे में माँ-माँ पुकारता रहा, बारिश हो रही थी, जब गाँव वाले शाम चार-पाँच बजे वापस आए तो पता चला कि माँ मर चुकी है, पंद्रह दिन से उसने कुछ खाया नहीं था, किसी तरह चाय पी लेती थी."
गुंधर जैसी कहानी पश्चिमी ओडिशा के लगभग हर गाँव में एक नहीं, कई मिल जाएँगी, पर ये बातें अब दो दशक से भी पुरानी हैं.
वरिष्ठ पत्रकार रबि दास कहते हैं, "कालाहांडी से अब भुखमरी से मरने की ख़बरें नहीं आतीं."
सुपारी पुटेल को हर माह एक रुपये प्रति किलो की दर से 25 किलो चावल मिलता है और विधवा पेंशन के पांच सौ रुपये भी. पहले बेटे की बीमारी और फिर शौहर की मौत की वजह से घर का जो काम रुक गया था वो पूरा होने को है.
ये घर सुपारी पुटेल को 'बीजू पक्का घर योजना' के तहत हासिल हुआ है.
हालाँकि, वो अब भी अपनी उसी पुरानी झोपड़ी में रह रही हैं जिसके भीतर जाने के लिए काफ़ी झुकने की ज़रूरत पड़ती है. टिन के डिब्बों को काटकर उसकी चादर से जो दरवाज़ा तैयार किया गया है उसके भीतर घुसते और दो क़दम चलते ही कमरा ख़त्म हो जाता है. टाट की उसी चारदीवारी के भीतर मौजूद है सुपारी पुटेल के जीवन भर की कुल जमा-पूंजी-एक चारपाई जिसकी पट्टियाँ ईटों को जोड़कर तैयार की गई है, रस्सी पर फैली दो साड़ियाँ, ब्लाउज़, कोने में रखीं दो बोरियाँ और बिस्तर के क़रीब पड़ा रसोई गैस सिलेंडर.
सुपारी कहती हैं, "बेटे की बीमारी सालों चली जिसमें वो पैसे भी लग गए जो सरकार से घर बनाने के लिए मिले थे, फिर भी बेटा बच नहीं पाया, हम पति-पत्नी ने सोचा मुंबई जाकर काम करेंगे और पैसे बचाकर घर बना लेंगे क्योंकि ब्लॉक में बाबू ने कहा था कि अगर तुमने घर पूरा नहीं किया तो दिक्क़त होगी लेकिन भाग्य को कौन बदल सकता है, मुंबई पहुँचने के दस दिन में मर्द बीमार पड़ गया और फिर चल बसा."
इस क्षेत्र के बहुत सारे लोग मकान, पुल और सड़क निर्माण में काम करने के लिए मुंबई जाते हैं.
किन्हें मिल रहा है योजनाओं का लाभ
गांव हयाल वापस आने के बाद सरकार की ओर से सुपारी को बीस हज़ार रुपये मिल गए जिसका प्रावधान राज्य सरकार ने कर रखा है, यह पेंशन उस महिला को मिलती है जिसके परिवार के मुखिया की मौत हो जाती है.
कमरे में पड़े गैस सिलेंडर के बारे में पूछने पर सुपारी पुटेल कहती हैं, "मिला तो है लेकिन हज़ार, बारह सौ रुपये .. इतना पैसा कहां से लाएंगे?"
उन्हें ये मालूम नहीं कि गैस सिलेंडर उन्हें किस योजना के तहत मिला है लेकिन ये जानती हैं कि नरेंद्र मोदी ने दिया है.
सुपारी पुटेल से बातचीत के दौरान ही पास-पड़ोस के घरों के लोग हमारे पास पहुंच जाते हैं, इनमें 84 साल के हरी पुटेल और उनकी पत्नी सुशीला पुटेल भी हैं, जो कहते हैं कि पिछले साल से जब उन्हें पांच सौ रुपये (दोनों को मिलाकर एक हज़ार रुपये) वृद्धा पेंशन के मिलने शुरु हुए हैं उन्हें मज़दूरी करने नहीं जाना पड़ रहा, खाने को प्रति व्यक्ति पाँच किलो चावल भी मिल जाता है.
हरी पुटेल बताते हैं कि उनके दो बेटे हैं लेकिन 'पूछते नहीं हैं,' और अगर पैसा और चावल नहीं मिलता तो 'भीख मांगकर खाना पड़ता.'
बालमति हंसते हुए कहती हैं, 'पैसों से तेल, साबुन और दूसरी चीज़ें ख़रीद लेती हूँ.'
सुशीला पुटेल को सरकारी योजनाओं की ख़ासी जानकारी है. कहती हैं कि सरकार तो अब बहुत कुछ दे रही है, बच्चों को पढ़ा रही है, किताब, ड्रेस, मिड-डे मील मिलता है. गर्भवती महिलाओं को खाने के लिए पैसे दे रही है, बच्चों को अंडा दिया जाता है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'रेवड़ी कल्चर' और मुफ़्त की रेवड़ी बांटकर जनता को ख़रीदने का जो बयान दिया था वो बात शायद यहाँ तक नहीं पहुंची, तभी तो उनकी बातों में सम्मानजनक भाव, भीख नहीं माँगनी पड़ रही है.
गाँव में मौजूद बुज़ुर्गों में से कई जैसे बालमति, हरी पुटेल, रुद्रा पुटेल पांच सौ रुपये कम होने और इसे बढ़ाने की माँग कर रहे हैं. गांव के मंदिर के पास खड़ी सुमित्रा पुटेल से जब हमने कहा कि कुछ लोगों का कहना है कि इस तरह से पैसे नहीं बांटे जाने चाहिए, तो वो ग़ुस्से से पूछती हैं, 'कैसे नहीं मिलना चाहिए!'
जुलाई माह में उत्तर प्रदेश में बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में कहा था, 'रेवड़ी कल्चर वालों को लगता है कि जनता जनार्दन को मुफ़्त की रेवड़ी बांटकर ख़रीद लेंगे. हमें मिलकर उनकी इस सोच को हराना है. रेवड़ी कल्चर को देश की राजनीति से हटाना है.'
इवैंजिलिकल मिशन अस्पताल
कभी भारतीय जनता पार्टी के साथ राज्य में साझा सरकार चला चुकी और अभी भी नरेंद्र मोदी सरकार को कई मामलों पर संसद में समर्थन देने वाली नवीन पटनायक सरकार ओडिशा में जनहित के चार दर्जन से अधिक कार्यक्रम चला रही है.
ओडिशा को लेकर कहा जाता है कि वहां जन्म से लेकर मृत्यु तक के लिए कोई-न-कोई सरकारी योजना मौजूद है.
लेकिन रेवड़ी, फ्री-बी, मुफ़्तख़ोरी की जो बहस प्रधानमंत्री मोदी के बयान के बाद से जारी है उसमें ओडिशा का ज़िक्र शायद ही हुआ है. मीडिया की बहसों में भी अधिकतर फ़ोकस आम आदमी पार्टी की तरफ़ ही रहा है. 'आप' जिसे नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात में चुनाव के बीच मुख्य प्रतिद्वंदी बताया गया.
हयाल गांव से कुछ दूरी पर है खेरियार. खेरियार नुआपाड़ा ज़िले में आता है, अस्सी के दशक की वो घटनाएं जैसे बनीता के 'बेचे' जाने की घटना जिसने देश भर को हिलाकर रख दिया था और प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने पत्नी सोनिया गांधी समेत वहाँ का दौरा किया था, अधिकतर इसी इलाक़े में हुई थीं.
सुभाश्री हंस खेरियार स्थित इवैंजिलिकल मिशन अस्पताल में भर्ती हैं, जहां चंद दिनों पहले ही उनकी एक बड़ी सर्जरी हुई है.
स्वास्थ्य योजनाओं का असर
उन्हें पैर में छोटा-सा ज़ख़्म हुआ था जो बाद में इतना तकलीफदेह हो गया कि वे चल भी नहीं पाती थीं, फिर सरकारी अस्पताल से उन्हें इधर रेफ़र किया गया, सर्जरी हुई, अब वो एक या दो दिन में घर चली जाएंगी.
ऑपरेशन में आए ख़र्च के बारे में पूछने पर सुभाश्री कहती हैं, 'बीजू जनता कार्ड (स्वास्थ्य कार्ड) था, कोई पैसा नहीं लगा.'
खेरियार सब-डिविजन अस्पताल के ऑफ़िसर इंचार्ज डाक्टर रजित कुमार राउत कहते हैं, "अगर हमें लगता है कि बीमारी का इलाज सरकारी अस्पताल में उपलब्ध और संभव नहीं हो सकता तो हम केस को निजी अस्पताल में रेफ़र कर सकते हैं. अगर ज़रूरत पड़े तो मरीज़ को राज्य के बाहर के अस्पतालों में भी भेजा जा सकता है."
सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश भर के दौ सौ अस्पताल ऐसे हैं जहां इस स्कीम के तहत आने वाले 96 लाख परिवारों का इलाज हो सकता है. स्कीम के तहत महिलाओं के लिए दस लाख और पुरुषों के लिए पांच लाख रुपये सालाना तक के इलाज की सुविधा मिलती है. राज्य सरकार के अनुसार वो इस पर 165 करोड़ रुपये प्रति माह ख़र्च कर रही है.
सरकारी अस्पतालों में हमें कई स्थानीय लोग बताते हैं कि 133 दवाएँ और संबंधित चीज़ें मुफ्त में उपलब्ध हैं. शुरुआत के समय प्रावधान था कि इस स्कीम के तहत पांच सौ से अधिक तरह की दवाएं मुहैया होंगी.
साल 2012 में केंद्र ने भी फ्री दवा स्कीम का प्रावधान किया था लेकिन तीन सालों बाद ही बजट में इसके लिए कोई रक़म नहीं रखी गई थी.
इवैंजिलिकल मिशन अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट नितीश चौधरी कहते हैं, "हालांकि हमारे यहां जो इलाज होता है वो बहुत सब्सिडाइज़्ड है लेकिन फिर भी अगर लोगों को स्वास्थ्य योजना का लाभ नहीं मिल रहा होता तो उन्हें या तो अपनी ज़मीनें, घर-बार बेचने को मजबूर होना पड़ता या फिर वो मरीज़ को उसके हाल पर छोड़ देते."
मिशन अस्पताल में हर माह 100-150 इस तरह के मरीज़ आते हैं जिनका इलाज सरकारी स्वास्थ्य योजना की वजह से संभव हो पाता है.
बोलांगीर के हयाल गाँव से कांटाबांजी शहर से वापस आते समय रास्ते में ही पड़ता है खेतों के बीच बना अंजना पुटेल का बिना प्लास्टर वाला पक्का घर.
कैंसर से पीड़ित अंजना पुटेल के ससुर की किमोथेरेपी अब प्राइवेट अस्पताल में आगे इसलिए संभव नहीं हो पाएगी क्योंकि उनके कार्ड पर जितना ख़र्च (पांच लाख रूपये सालाना) हो सकता था वो समाप्त हो गया है.
केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना लागू नहीं
राज्य बीजेपी प्रवक्ता भृगु बक्सीपात्रा कहते हैं कि ओडिशा शायद देश का इकलौता राज्य है जहां केंद्र सरकार का जन स्वास्थ्य कार्यक्रम 'आयुष्मान भारत' लागू नहीं किया गया है, अगर ऐसा होता तो लोगों को दोहरा फ़ायदा मिलता.
नवीन पटनायक सरकार पर जनहित कार्यक्रमों के नाम पर राजनीति का आरोप लगाते हुए भृगु बक्सीपात्रा कहते हैं, "केंद्र की स्कीमों को सिरे से लागू न करने के अलावा जो दूसरा काम सूबे में हो रहा है वो है केंद्रीय योजनाओं का नाम बदलकर उन्हें दूसरे नामों, बीजू या नवीन के नाम से लांच करना, जैसा कि पेयजल योजना को लेकर या बिजली के क्षेत्र में किया गया है."
वो कहते हैं, 'ओडिशा में जनहित कार्यक्रम और राजनीति एक प्रकार के सहयोगी बन गए हैं, जिसका ध्येय बस वोट है.'
बीजेडी प्रवक्ता लेनिन मोहंती का कहना है, "वो चाहें तो इसे राजनीति बुला सकते हैं, ये उनकी सोच है. हमारे हिसाब से ये ज़रूरत है, उन्होंने जो स्वास्थ्य स्कीम लांच की उसमें सिर्फ़ साठ लाख परिवारों को कवरेज मिल रहा था, जबकि हमने उससे आगे बढ़कर बीजू स्वास्थ्य कल्याण योजना के तहत 36 लाख और परिवारों को शामिल किया."
राज्य सरकार की स्वास्थ्य योजना का लाभ ग़रीबी रेखा से नीचे और ऊपर दोनों श्रेणी के लोगों को मिल सकता है. आयुष्मान भारत में पाँच लाख सालाना स्वास्थ्य पर ख़र्च के दायरे में वही लोग आते हैं जो ग़रीबी रेखा के नीचे हों.
लेनिन मोहंती कहते हैं, दूसरे जनहित कार्यक्रमों में भी हमने अधिक से अधिक लोगों को लाभ देने की कोशिश की है. जैसे भोजन के अधिकार के मामले में हम जो चावल वितरण की योजना चला रहे हैं उसमें पच्चीस लाख और लोगों को शामिल किया गया है.
बीजेडी प्रवक्ता हमसे बातचीत के दौरान मिशन शक्ति का भी ज़िक्र करते हैं जिसके तहत महिलाओं को इस तरह के अवसर-सुविधाएं दिए जा रहें हैं जिससे वो राजनीतिक और आर्थिक तौर पर मजबूत बन सकें. लेनिन मोहंती ऐसे लाभार्थियों की संख्या अस्सी लाख बताते हैं.
ऑरगस नाम की उड़िया और अंग्रेज़ी न्यूज़ वेबसाइट के एक्ज़क्यूटिव एडिटर संजय जेना मानते हैं कि बीजेडी सरकार महिला सेल्फ़ हेल्प ग्रुप्स का इस्तेमाल बूथ (मतदान) और वोट मैनेजमेंट के लिए करती है और महिला सशक्तीकरण की बात नारा अधिक है.
महिला सशक्तिकरण के लिए क्या कुछ हो रहा है
दो बहनें सुजाता मंजरी थपा, ममता मंजरी थपा और दूसरी कुछ महिलाएं विश्व माँ भगवती सेल्फ़ हेल्प ग्रुप (एसएचजी) की सदस्य हैं. सुजाता मंजरी कहती हैं कि जबसे पैसे कमाने लगे हैं किसी के आगे हाथ नहीं फैलाना पड़ता है, मर्द बहुत कुछ बोल नहीं पाते हैं.
राज्य में बिजली बिल क्लेक्शन से लेकर मिड-डे मील, स्कूल में ड्रेस की सप्लाई, यहां तक कि तालाब खुदाई का काम महिला एसएचजी के माध्यम से किया जा रहा है.
कवि और लेखक केदार मिश्र कहते हैं कि महिलाएं नवीन बाबू की बहुत बड़ी समर्थक हैं.
मार्च 2000 में राज्य की बागडोर संभालने वाले नवीन पटनायक ने सूबे की ग़रीब जनता के लिए दो रूपये प्रति किलो चावल कार्यक्रम की शुरुआत लगभग उसी समय की जब उन्होंने आठ साल पुराने सहयोगी राजनीतिक दल बीजेपी से अलग चलने की राह पकड़ी.
कंधमाल ईसाई-विरोधी दंगों के बाद, जब कहा जाता है कि नवीन पटनायक ने बीजेपी से अलग होने का मन बना लिया था, उन्होंने दो रूपये की दर से बीपीएल परिवारों को चावल देने की योजना लांच की और तबसे लगातार राज्य में जनहित कार्यक्रमों की बौछार जारी है.
राजनीतिक विश्लेषक रबि दास कहते हैं, 'जैसे साथ छोड़ने का सोचा, दिमाग़ में आया कि कौन-सा काम करना है कि लोग हमारे साथ आएगा. तभी दो रूपए चावल का स्कीम लांच कर दिया वो काम जो ओडिशा में पहले कभी नहीं हुआ था. ओडिशा में अनुसूचित जाति-जनजाति की बड़ी आबादी है जो तब तक कांग्रेस के साथ होती थी, उसने नवीन बाबू की तरफ़ रूख़ कर लिया.'
ग़रीब परिवारों के लिए जो चावल राज्य सरकार दो रुपये की दर से दे रही थी उसे एक रूपये प्रति किलो करने की शुरुआत मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने फ़रवरी 2013 से आदिवासी-बहुल मलकानगिरी ज़िले से की. ये लाभ बीपीएल श्रेणी के अलावा अनुसुचित जाति-जनजाति, विकलांगों को भी दी जानी थी.
कई लोगों का मानना है कि चावल को जनाधार बढ़ाने के लिए इस्तेमाल में लाने का गुर नवीन पटनायक ने पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ से सीखा. छत्तीसगढ़ के मुख्य मंत्री रमण सिंह को राशन वितरण (पीडीएस) में अपार बेहतरी लाने के लिए एक समय चावल वाले बाबा के नाम से बुलाया जाना लगा था.
साल 2008 में छत्तीसगढ़ चुनाव में चावल एक बहुत बड़ा मुद्दा रहा था और कहा जाता है उसने रमण सिंह को दोबारा राज्य सत्ता के शीर्ष में बैठाने में अहम भूमिका निभाई.
भोजन के क्षेत्र में ओडिशा में काम कर रहे कार्यकर्ता समित पांडा कहते हैं कि अलग-अलग दरों को ख़त्म कर एक दर लागू करने से पीडीएस में होनेवाले भ्रष्टाचार में भारी कमी आई है.
डिजिटाइज़ेशन से हो रही है बाधा
राज किशोर मिश्र कहते हैं कि जनहित के कार्यक्रमों में भ्रष्टाचार का एक बड़ा कारण लाभार्थी को चुनने की प्रक्रिया ही है. डिजिटाइज़ेशन ख़ासी बड़ी आबादी के पास स्कीमों को पहुंचने में बाधा बन रही है.
ओडिशा ही क्या देश के कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां फ़ोन कनेक्टिविटी नाम की चीज़ दूर-दूर तक नहीं, वो लोग जो बेहद ग़रीब हैं उनको ये लेकर सोचना ही ग़लत है कि उनके पास फ़ोन होंगे, या सारे काग़ज़ात मौजूद होंगे. राज कुमार मिश्र भोजन के अधिकार मामले पर सुप्रीम कोर्ट की समिति में ओडिशा से सलाहकार थे.
राज कुमार मिश्र कहते हैं कि सरकारों की ये योजना भी ग़लत है कि स्कीम में इतने लोगों को शामिल किया जाएगा, 'होता क्या है कि जो कमज़ोर होता है वो पीछे छूट जाता है और राजनीतिक फ़ायदे के बदले अपने लोगों को शामिल करने की होड़ मच जाती है.'
ओडिशा में राज्य सरकार ने स्कीमों को विस्तार देकर वैसे समूहों को भी शामिल कर लिया है जो सामान्यत: इसके दायरे से बाहर रह जाते हैं, जैसे ट्रांसजेंडर, ग़ैर शादी-शुदा महिलाएँ, एचआईवी पीड़ित वग़ैरह.
समित पांडा कहते हैं, इसे 'राजनीतिक हथकंडे' के तौर पर भी देखा जा सकता है.
साल 2014 जब मोदी लहर देश भर में चल रही थी तब नवीन पटनायक के दल बीजेडी ने राज्य की 21 लोकसभा सीटों में से बीस जीती थीं. पिछले आम चुनावों में (2019) में बीजेडी फिसलकर 12 पर पहुँच गई. मगर विधानसभा में 113 सीटों पर उसका क़ब्ज़ा है जबकि कुल 147 सीटों में से बीजेपी का आंकड़ा महज़ 23 का है.
हालांकि बीजेपी का मत प्रतिशत पिछली बार के मुक़ाबले लगभग 17 प्रतिशत बढ़ गया है.
रबि दास कहते हैं कि शायद राज्य के इतिहास को देखते हुए नवीन पटनायक ने दो चीज़ों पर लगातार अपना फ़ोकस बनाकर रखा है. पहला प्राकृतिक आपदा. दूसरा अकाल और भुखमरी.
नवीन पटनायक सरकार में वित्त मंत्री रह चुके पंचानंद कानूनगो कहते हैं कि पिछले 22 सालों से लगातार पद पर बने रहनेवाले मुख्यमंत्री के लिए हालात भी मददगार साबित हुए हैं, साल 2001-02 में राज्य का बजट घाटे में चल रहा था, लगभग 2800 करोड़ रूपए का रेवन्यू डिफ़िसिट था तब, हम राज्य के पूर्व कर्मचारियों को पेंशन तक नहीं बांट पाते थे समय पर, फिर साल 2003-04 से अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में खनिजों के दामों में तेज़ी आई और फिर शुरु हुआ उद्योग-धंधों का आना.
पंचानंद कानूनगों चंद सालों पहले बीजेडी से अलग होकर कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए थे.
आकाल और भूखमरी से उबर पाया है कालाहांडी?
पूर्व वित्त मंत्री कहते हैं फंड के आने के बाद राज्य में वेलफेयर स्कीम शुरु हो गईं जो बेहतर बात है लेकिन एक बेहद बीमार आदमी को सिर्फ मामूली दवाई के सहारे कब तक ज़िंदा रखा जा सकेगा!
रिज़र्व बैंक ने चंद माह पहले अपनी एक रिपोर्ट में ओडिशा को उन राज्यों में शामिल बताया था जिनकी सब्सिडी का बोझ पिछले तीन सालों में सबसे तेज़ी से बढ़ा है. हालांकि कई दूसरे पैमानों पर राज्य की वित्तीय स्थिति दूसरों के मुक़ाबले बहुत बेहतर बताई गई है
सोलह जून, 2022 की रिपोर्ट, 'स्टेट फाइनेंसेस - ए रिस्क अनेलिसिस' में आरबीआई ने कहा है कि श्रीलंका में जारी वित्तीय संकट के मद्देनज़र ये विश्लेषण उन राज्यों पर तवज्जो दिलाने की कोशिश है जहाँ भारी क़र्ज में होने के कारण आर्थिक संकट की स्थिति उत्पन्न हो सकती है.
आरबीआई का कहना था कि कोविड के कारण सरकारों की आमदनी में पहले ही कमी आ गई थी, इस बीच टैक्स की उगाही में भी धीमापन देखा गया है लेकिन दूसरी ओर राज्यों की नॉन मेरिट फ्रीबीज़ के कारण उनका वित्तीय बोझ बढ़ गया है जिससे नए संकट पैदा हो सकते है.
केंद्रीय बैंक की इस रिपोर्ट पर हालांकि कई राज्यों ने सवाल भी खड़े किए थे. जहाँ केरल के पूर्व वित्त मंत्री ने रिपोर्ट को अदूरदर्शी बताया, वहीं राजस्थान का कहना था कि क़र्ज़ का बोझ सभी सूबों और यहां तक कि केंद्र पर भी बढ़ा है, साथ ही केंद्र सरकार जीएसटी में राज्यों का हिस्सा भी ठीक से नहीं दे रही.
समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के वित्तीय सलाहकार सन्यम लोधा ने पूरे हालात के लिए नोटबंदी और जीएसटी जैसे फ़ैसलों को भी ज़िम्मेदार बताया था.
सवाल लेकिन दूसरे भी हैं
स्वंयसेवी संस्था ऑक्सफ़ैम से जुड़े अर्थशास्त्री प्रवास मिश्रा कहते हैं कि एक रूपये की दर से पांच किलो चावल प्रति व्यक्ति देकर के सरकार भूख छिपाने की कोशिश कर रही है.
वे कहते हैं, "पाँच किलो चावल मिलने से भुखमरी पर क़ाबू ज़रूर हो गया है लेकिन भूख पर नहीं, क्योंकि सिर्फ़ चावल से ही शरीर को उतना पोषण नहीं मिल जाता जिसकी ज़रूरत है. ये कहा जा सकता है कि सरकार ने एक रूपए की दर से चावल देकर भूख पर एक तरह की चादर डाल दी है, एक तरह का परदा जिससे वो दिख नहीं रहा है लेकिन भूख ख़त्म नहीं हुआ है."
नीति आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार बहुआयामी पैमाने पर ग़रीबी के मामले में ओडिशा नौवें नंबर पर है, इस रिपोर्ट को तैयार करने में पोषण, पेय जल, स्वास्थ्य, शिक्षा, जीवन स्तर जैसे पैमानों को आंका जाता है. इस सूचकांक के लिहाज से सबसे ख़राब स्थिति बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों की है. वहीं केरल, गोवा, सिक्किम और तमिलनाडु जैसे राज्य सबसे बेहतर राज्यों में शामिल हैं.
खेरियार स्थित बीजेपी नेता यदुमणि पाणिग्रही कहते हैं, सब कुछ स्कीमों के सहारे छोड़ दिया गया है मगर दूसरे बुनियादी सवालों जैसे रोज़गार के अवसर की बात नहीं हो रही इसलिए हमारे क्षेत्र से अभी भी बड़े पैमाने पर पलायन हो रहा है क्योंकि लोगों के पास यहां काम नहीं है.
रात दस बजे का समय, कांटाबांजी रेलवे स्टेशन पर तिरुपति जा रही ट्रेन के इंतज़ार में दर्जनों लोग बैठे हैं. बोलांगीर और पास के दूसरे ज़िलों से यहाँ पहुंचे ये ग्रामीण आंध्र प्रदेश के अलग-अलग जगहों पर ईंट भट्टों में काम करने जा रहे हैं.
सुबह चेन्नई जा रही ट्रेन के समय हमारी भेंट संतोष नायक और गौरव भुईंया से होती है, गौरव भुईंया इसलिए जा रहे हैं क्योंकि उन्हें क़र्ज़ चुकाना है, वहीं संतोष का कहना है कि वहां उन्हें बारह हज़ार रूपए महीने ट्रैक्टर चलाने के लिए मिलेंगे जबकि बोलांगीर में उसी काम के पांच हज़ार से ज़्यादा देने को कोई तैयार नहीं.
संतोष नायक और उनकी पत्नी को एजेंट से तीस हज़ार रूपये प्रति व्यक्ति एडवांस भी मिले हैं, और उनके अनुसार वो कम-से-कम उतने ही पैसे और कमाकर लौटेंगे, लौटने की तिथि जून तक होने की उम्मीद है.
बिष्णु शर्मा दशकों से इलाक़े से हो रहे पलायन पर पैनी नज़र रखते रहे हैं, हमने उनसे पूछा कि क्या सरकारी योजनाओं का कोई लाभ नहीं मिला क्योंकि लोगों का बाहर जाना तो अब भी जारी है.
कांटाबांजी में स्थित किताबों से भरे ऑफिस में बातें करते हुए बिष्णु शर्मा कहते हैं, "पहले तो हफ्तों आकर स्टेशन के सामने इंतज़ार में बैठे रहते थे कि कोई आए और काम के लिए ले जाए, तब उन्हें ये भी नहीं मालूम होता था कि कहां जाना है, कितने दिनों के लिए जाना है, कितने पैसे मिलेंगे. लेकिन अब स्थिति बदल गई है मज़दूर मोल-तोल भी करने लगे हैं, एडवांस भी मिलता है."
दूसरे राज्यों से तुलना
उनके अनुसार ये डिस्ट्रेस माइग्रेशन नहीं है, हालांकि प्रवास मिश्रा इसे डिस्ट्रेस माइग्रेशन ही मानते हैं क्योंकि काम नहीं तो लोग जा रहे हैं. राजकिशोर मिश्र का मानना है कि बेहतर जीवन के लिए माइग्रेशन है.
इधर कथित रेवड़ी कल्चर की बहस में चुनाव आयोग और सुप्रीम कोर्ट के आ जाने के बाद लग रहा है कि बात निकली है तो फिर दूर तलक जाएगी लेकिन इतिहासकार और इस क्षेत्र पर कई शोध कर चुके फनिंदम देव चेतावनी देते हैं कि कल्याणकारी क़दमों को बंद करना देश के हित में नहीं है.
वे कहते हैं, "बाहर से तो लगता है कि ये रेवड़ी है लेकिन अगर आप ग्राउंड पर जाकर देखेंगे तो हालात बिल्कुल अलग हैं, जैसे कालाहांडी या नुआपाड़ा है, बड़ी जनसंख्या ग़रीबी रेखा के नीचे हैं. बीस-तीस प्रतिशत तो ऐसे हैं जो कल्याणकारी योजनाओं के बंद होने पर दोबारा भूख से मरने के कगार पर आ जाएँगे."
वैसे मौजूदा समय में ओड़िशा में क़रीब 60 छोटी बड़ी योजनाएं जिनसे ग़रीबों को मदद देने का दावा किया जा रहा है, लेकिन एक आदमी को एक वक्त में सभी योजनाओं को लाभ नहीं मिल सकता. फिर भी समग्र शिक्षा अभियान, कृषक सहायता योजना, ममता योजना, बीजू जनता स्वास्थ्य योजना और बीजू पक्का घर योजना का असर दिखता है.
वैसे पिछले तीन सालों में झारखंड, केरल, ओडिशा, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश, वे पांच राज्य हैं जहां पिछले तीन सालों में सबसे ज़्यादा सब्सिडी का पैसा ख़र्च किया गया है. इन राज्यों में वित्तीय साल 2019 के समय कुल जीडीपी का करीब 7.8 प्रतिशत पैसा सब्सिडी पर ख़र्च होता था जो 2021-22 तक आते आते 11.2 प्रतिशत तक पहुंच गया है. इनके अलावा गुजरात, पंजाब और छत्तीसगढ़ की सरकारें भी सब्सिडी पर कुल जीडीपी के दस प्रतिशत से ज़्यादा पैसा ख़र्च कर रही हैं.
वैसे ओडिशा सरकार अपने राजस्व का 23 प्रतिशत पैसा सब्सिडी पर ख़र्च करती है जबकि आंध्र प्रदेश सरकार अपने राजस्व का 30 प्रतिशत पैसा सब्सिडी पर ख़र्च करती है. पुरानी पेंशन व्यवस्था को लागू करने पर पंजाब में सब्सिडी का ख़र्च राजस्व के 45 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है. वहीं मध्य प्रदेश में सब्सिडी पर राजस्व का 28 प्रतिशत ख़र्च करती है राज्य सरकार. (bbc.com/hindi)
हरदोई, 30 नवंबर | उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के बेहटा गोकुल थाना क्षेत्र के एक गोदाम में 19 वर्षीय संगीता सिंह और 20 वर्षीय उनके दोस्त रोहित कुमार का शव एक गोदाम में छत से लटका मिला है। मौत के कारणों का पता लगाने के लिए दोनों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। पुलिस ने कहा कि, यह आत्महत्या का मामला हो सकता है क्योंकि उनके परिवार जातिगत मतभेदों के कारण उनके रिश्ते को स्वीकार्य करने में असमर्थ थे।
बेहटा गोकुल एसएचओ रंधा सिंह ने कहा कि लड़की के चाचा विनोद अपने गोदाम की सफाई करने के लिए चंद्रपुर खेराई गांव गए थे, जब उन्होंने संगीता और उसके दोस्त रोहित के शव को वहां लटका देखा। उसने पुलिस को सूचना दी।
एसएचओ ने कहा, हम मौके पर पहुंचे और शवों को नीचे उतारा। हमें परिवार के सदस्यों द्वारा यह भी बताया गया कि संगीता की शादी 2 दिसंबर को तय थी, लेकिन वह इसके लिए तैयार नहीं थी और रोहित के साथ शादी करना चाहती थी।
एसएचओ ने यह भी कहा कि, वे दोनों एक ही गांव में रहते हैं और एक ही सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं।
पुलिस ने बताया कि, रोहित के पिता शहर की एक मिल में काम करते थे, जबकि संगीता के पिता किसान थे। वे रिश्ते के खिलाफ थे क्योंकि रोहित दूसरी जाति का था।
फोन कॉल के रिकॉर्ड के मुताबिक संगीता ने रोहित को आखिरी बार मिलने के लिए मंगलवार को गोदाम बुलाया था और बताया था कि उसकी शादी हो रही है।
उसका फोन बाद में उसके घर में उसके कमरे से बरामद किया गया था। (आईएएनएस)
जूनागढ़, 30 नवंबर | आईएमएफएल शराब पीने के बाद कथित तौर पर सोमवार रात मरने वाले दो व्यक्तियों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से पता चला कि उन्हें जहर दिया गया था। पुलिस ने मौत का मामला दर्ज किया है और अब जांच करेगी कि उन्होंने आत्महत्या की या किसी ने उनकी हत्या की थी। जूनागढ़ जिले के पुलिस अधीक्षक रवि तेजा वासमसेट्टी ने मंगलवार को मीडिया को बताया कि रफीक घोघरी और भरत उर्फ जोहान पिठाड़िया नाम के दो लोगों की मौत इसलिए हुई है क्योंकि उनकी शराब की बोतल में कुछ जहरीला पदार्थ मिलाया गया था।
अधिकारी ने कहा कि, जैसे ही पुलिस को इस घटना के बारे में पता चला, उन्होंने गांधी चौक इलाके से शराब की बोतल को एकत्र किया और रिपोर्ट के लिए एफएसआई को भेज दिया।
रिपोर्ट ने पुष्टि की है कि शराब में जहर मिला हुआ था, डॉक्टरों को भी मृतक के पेट से जहरीला पदार्थ मिला है।
वासमशेट्टी ने आईएएनएस को बताया कि, जहां तक जोहान पिठाड़िया का मामला चिंता का विषय है, ऐसा लगता है कि यह आत्महत्या का मामला है क्योंकि वह अपने जीवन से तंग आ चुके थे, उनके परिवार ने लगभग 15 साल पहले उनसे सभी संबंध तोड़ लिए थे।
पुलिस ने एक महिला का बयान दर्ज किया, जिसके साथ वह संपर्क में था और उसने कहा था कि वह अपनी जिंदगी से तंग आ चुके थे।
जबकि, रफीक के मामले में, पुलिस उसके परिवार के सदस्यों के सामने आने और उसके निजी जीवन के बारे में जानकारी साझा करने की प्रतीक्षा कर रही है।
बता दें, जूनागढ़ शहर के गांधी चौक में सोमवार शाम दो ऑटो रिक्शा चालक शराब पीकर बेहोश होकर सड़क पर गिर पड़े। जब दोनों को अस्पताल ले जाया गया तो डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था। (आईएएनएस)|
बहराइच (उप्र), 30 नवंबर | बहराइच जिले के टप्पे सिपाह क्षेत्र में बुधवार को एक बस और ट्रक की टक्कर में छह लोगों की मौत हो गई और 15 अन्य घायल हो गए। घायलों को अस्पताल ले जाया गया, जहां चार की हालत गंभीर बताई जा रही है। हादसे के कारणों का अभी पता नहीं चल पाया है।
जिलाधिकारी दिनेश चंद्रा ने कहा कि प्रथम ²ष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि ट्रक गलत साइड से आ रहा था, जब उसने रोडवेज बस को टक्कर मारी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दुर्घटना में हुई मौत पर दुख व्यक्त किया है और अधिकारियों को घायलों का उचित इलाज सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। (आईएएनएस)|
लखनऊ, 30 नवंबर | उत्तर प्रदेश सरकार विश्व एड्स दिवस के दिन एक दिसंबर को पांच शहरों में 'वन स्टॉप सेंटर' शुरू करेगी। 'वन स्टॉप सेंटर' का मकसद एक ही जगह पर कई बीमारियों की जांच की सुविधा उपलब्ध कराना है।
केंद्र एचआईवी, टीबी और अन्य गैर-संचारी रोगों के लिए परीक्षण प्रदान करेंगे।
कानपुर और वाराणसी में दो-दो केंद्र होंगे जबकि मुरादाबाद, गौतम बुद्ध नगर और मेरठ में एक-एक केंद्र होगा।
वर्तमान में 25 राज्यों में वन स्टॉप सेंटर चल रहे हैं।
यूपी एड्स कंट्रोल सोसायटी के अपर परियोजना निदेशक हीरा लाल ने बताया कि इन केंद्रों में मानसिक स्वास्थ्य पर परामर्श की सुविधा भी दी जायेगी।
कानपुर में केंद्र ट्रांसजेंडरों और प्रवासी श्रमिकों पर भी ध्यान केंद्रित करेगा, जबकि वाराणसी में इंजेक्टेबल ड्रग उपयोगकर्ताओं और ट्रांसजेंडरों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
एसोसिएशन ऑफ इंटरनेशनल डॉक्टर्स के महासचिव डॉ. अभिषेक शुक्ला ने कहा, वन स्टॉप सेंटर लोगों को शिक्षित करेंगे और सामाजिक कलंक को दूर करने में मदद करेंगे।
केंद्रों पर लक्षण के आधार पर मरीजों की जांच व जांच के लिए डॉक्टर, एएनएम होंगी।
यूपी एड्स कंट्रोल सोसाइटी के संयुक्त निदेशक रमेश श्रीवास्तव ने कहा कि केंद्र स्वास्थ्य कार्यक्रम को उस समुदाय तक पहुंचाने में मदद करेंगे, जिन्हें उनकी सबसे ज्यादा जरूरत है। (आईएएनएस)|
गुरुग्राम, 30 नवंबर | टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग (डीटीसीपी) ने सोहना में दमदमा झील के पास प्रसिद्ध पंजाबी गायक दलेर मेहंदी के एक फार्महाउस सहित तीन फार्महाउस को सील कर दिया है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। अधिकारियों के अनुसार, मंगलवार को सोन्या घोष बनाम हरियाणा राज्य मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेशों के अनुपालन में तीन फार्महाउसों के खिलाफ सीलिंग अभियान चलाया गया था।
जिला नगर नियोजक अमित मधोलिया के नेतृत्व में सहायक नगर नियोजक (एएसटी) सुमीत मलिक, दिनेश सिंह, रोहन और शुभम ने ड्यूटी मजिस्ट्रेट लछीराम, नायब तहसीलदार, सोहना की उपस्थिति में सीलिंग अभियान चलाया। टीम के साथ सोहना सदर थाने की पुलिस टीम भी तैनात रही।
जिला टाउन प्लानर (डीटीपी) अमित मधोलिया ने कहा, ये झील के जलाशय क्षेत्र में प्राधिकरण से पूर्व अनुमति के बिना बनाए गए अनधिकृत फार्महाउस थे। ये अरावली क्षेत्र में स्थित थे।
विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि तीन फार्महाउस में से एक गायक दलेर मेहंदी का है, जो करीब 1.5 एकड़ की जमीन पर बना है। (आईएएनएस)|
लखनऊ, 30 नवंबर | उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) ने एक बिहार निवासी को अंतरराष्ट्रीय वन्यजीव तस्करी रैकेट में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया है और उसके कब्जे से 155 कछुए बरामद किए हैं। एसटीएफ के मुताबिक गोपालगंज निवासी नीरज दीक्षित को लखीमपुर खीरी के निघासन-डकरावा रोड से उस समय गिरफ्तार किया गया जब वह कछुओं को रैकेट से जुड़े एक अन्य व्यक्ति को सौंपने जा रहा था।
दीक्षित गिरोह के वाहक के रूप में काम करता था और वन्यजीवों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाता था।
हिरासत में लिए जाने के बाद अधिकारी उससे गिरोह के अन्य सदस्यों के बारे में पूछताछ कर रहे हैं।
एसटीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उत्तर प्रदेश से हर साल करीब 20,000 कछुओं की तस्करी की जाती है।
जीवों के अंधाधुंध शिकार और तस्करी ने वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो को अलर्ट जारी करने के लिए प्रेरित किया है।
अधिकारी ने कहा कि ऐसे कई गिरोहों के सदस्य गंगा, यमुना, चंबल, घाघरा, शारदा, केन, बेतवा और राप्ती नदी के आसपास कछुओं की तलाश में धूमते हैं। (आईएएनएस)|