राष्ट्रीय
कोलकाता, 12 मई | कलकत्ता हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा की एकल-न्यायाधीश पीठ ने शुक्रवार को तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी को पार्टी से निष्कासित युवा नेता कुंतल घोष के पत्र से संबंधित मामले में सीबीआई द्वारा पूछताछ से छूट देने से इनकार कर दिया। अपने पत्र में, घोष ने केंद्रीय एजेंसियों पर पश्चिम बंगाल में सरकारी स्कूलों में करोड़ों रुपये के कथित भर्ती घोटाले में बनर्जी का नाम लेने के लिए उन पर दबाव बनाने का आरोप लगाया था।
मूल रूप से, न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय की पीठ ने सीबीआई को इस मामले में बनर्जी से पूछताछ करने की अनुमति दी थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद इस मामले से जुड़े दो मामले जस्टिस सिन्हा की बेंच को ट्रांसफर कर दिए गए थे।
लोकसभा सदस्य बनर्जी ने गुरुवार को सिन्हा की पीठ के समक्ष मामले में सीबीआई की पूछताछ से राहत पाने के लिए एक नई अपील दायर की।
हालांकि, शुक्रवार को न्यायमूर्ति सिन्हा ने याचिका को खारिज कर दिया और एक तरह से न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें सीबीआई को इस मामले में बनर्जी से पूछताछ करने की अनुमति दी गई थी।
बनर्जी के वकील ने तर्क दिया कि अगर पूछताछ से सुरक्षा की अनुमति नहीं दी जाती है तो इस बात की पूरी संभावना है कि सीबीआई कोई ठोस कदम उठाएगी। हालांकि, उस तर्क को स्वीकार करने से इनकार करते हुए न्यायमूर्ति सिन्हा ने कहा कि चूंकि अदालत चौबीस घंटे के आधार पर खुली रहेगी, इसलिए किसी भी समय अदालत का दरवाजा खटखटाने की गुंजाइश होगी।
इस सप्ताह की शुरूआत में उनकी पीठ में इस मामले की पहली सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सिन्हा ने कहा था कि बनर्जी को जांच में सहयोग करना चाहिए।
न्यायमूर्ति सिन्हा ने बनर्जी के वकील से कहा, ''जांच से ऊपर कोई नहीं है। कृपया जांच की प्रक्रिया में सहयोग करें। वहां क्या समस्या है।''
गौरतलब है कि, कुंतल घोष ने एक स्थानीय पुलिस स्टेशन और एक विशेष सीबीआई अदालत के न्यायाधीश को एक पत्र भेजा था, जिसमें दावा किया गया था कि केंद्रीय एजेंसियां उन पर कथित भर्ती घोटाले में बनर्जी का नाम लेने के लिए दबाव डाल रही थीं।
केंद्रीय एजेंसियों द्वारा इंगित किए जाने पर, न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने मामले में बनर्जी से पूछताछ करने के लिए सीबीआई को अधिकृत किया था।
बनर्जी ने उस आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, जिसके बाद शीर्ष अदालत ने एक विशिष्ट अवधि के लिए न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी, जिसकी अवधि समाप्त हो गई थी। (आईएएनएस)
जयपुर, 12 मई कांग्रेस नेता सचिन पायलट की जन संघर्ष यात्रा शुक्रवार को दूसरे दिन अजमेर जिले के किशनगढ़ कस्बे के पास से शुरू हुई।
पायलट ने शुक्रवार सुबह किशनगढ़ टोलप्लाजा से यात्रा को आगे बढ़ाया और किशनगढ़ शहर पहुंचे जहां उन्होंने एक बस की छत से अपने समर्थकों को संबोधित किया।
इस अवसर पर उन्होंने कहा,'“हाल ही में, एक राजस्थान लोकसेवा आयोग (आरपीएससी) सदस्य को गिरफ्तार किया गया था। इतिहास में पहली बार आरपीएससी के किसी सदस्य को पेपर लीक मामले में गिरफ्तार किया गया है। पूरे ‘सिस्टम’ (व्यवस्था) को बदलने की जरूरत है। मेरा संघर्ष जनता के लिए है।'
सड़क पर बड़ी संख्या में समर्थकों द्वारा उनका स्वागत किया गया जहां लोग उनकी जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे और फूल बरसा रहे थे।
पायलट ने पांच दिन की अपनी इस पदयात्रा की शुरुआत बृहस्पतिवार को अजमेर से की। इसे राजस्थान में इस चुनावी साल में, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व कांग्रेस आलाकमान पर दबाव बनाने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। राज्य में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं और कांग्रेस यहां अपनी सरकार बरकरार रहने की उम्मीद कर रही है।
शुक्रवार को दिल्ली में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा बैठक लेंगे जिसमें भी इस मुद्दे के उठने की उम्मीद है। (भाषा)
नयी दिल्ली, 12 मई उच्चतम न्यायालय ने सूरत के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट हरीश हसमुखभाई वर्मा समेत गुजरात की निचली अदालतों के 68 न्यायिक अधिकारियों की पदोन्नति पर शुक्रवार को रोक लगा दी।
सूरत के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट हसमुखभाई वर्मा ने ही मानहानि के एक मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को दोषी ठहराया था।
उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ ने कहा कि गुजरात राज्य न्यायिक सेवा नियमावली 2005 के अनुसार, योग्यता-सह-वरिष्ठता के सिद्धांत और योग्यता परीक्षा पास करने पर ही पदोन्नति होनी चाहिए। नियमावली में 2011 में संशोधन किया गया था।
पीठ ने कहा, ‘‘ उच्च न्यायालय द्वारा जारी की गयी सूची और जिला न्यायाधीशों को पदोन्नति देने के लिए राज्य सरकार द्वारा जारी आदेश गैरकानूनी और इस अदालत के निर्णय के विपरीत है। अत: इसे बरकरार नहीं रखा जा सकता।’’
न्यायालय ने कहा, ‘‘हम पदोन्नति सूची के क्रियान्वयन पर रोक लगाते हैं। पदोन्नति पाने वाले संबंधित अधिकारियों को उनके मूल पदों पर भेजा जाता है जिन पर वह अपनी पदोन्नति से पहले नियुक्त थे।’’
शीर्ष न्यायालय ने पदोन्नति पर रोक लगाते हुए एक अंतरिम आदेश पारित किया और मामले को सुनवाई के लिए उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया क्योंकि न्यायमूर्ति शाह 15 मई को सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
उच्चतम न्यायालय वरिष्ठ सिविल जज कैडर के अधिकारी रविकुमार महेता और सचिन प्रतापराय मेहता की याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें 68 न्यायिक अधिकारियों के जिला न्यायाधीशों के उच्च कैडर में चयन को चुनौती दी गयी है।
जिन 68 न्यायिक अधिकारियों की पदोन्नति को चुनौती दी गयी है उनमें सूरत के सीजेएम वर्मा भी शामिल है जो अभी गुजरात सरकार के कानूनी विभाग में अवर सचिव तथा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सहायक निदेशक के रूप में काम कर रहे हैं।
उच्चतम न्यायालय ने दो न्यायिक अधिकारियों की याचिका पर 13 अप्रैल को गुजरात उच्च न्यायालय के महापंजीयक और राज्य सरकार को नोटिस जारी किए थे। उच्चतम न्यायालय ने पारित आदेश की आलोचना करते हुए कहा था कि यह जानते हुए 68 अधिकारियों की पदोन्नति के लिए 18 अप्रैल को आदेश दिया गया कि मामला उसके समक्ष लंबित है। (भाषा)
नयी दिल्ली, 12 मई दिल्ली की एक अदालत ने कथित आबकारी घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार के एक मामले में आम आदमी पार्टी (आप) के नेता मनीष सिसोदिया की न्यायिक हिरासत अवधि शुक्रवार को दो जून तक बढ़ा दी।
विशेष न्यायाधीश एम के नागपाल ने दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री सिसोदिया की न्यायिक हिरासत समाप्त होने पर उन्हें अदालत में पेश किए जाने के बाद उनकी हिरासत बढ़ा दी।
अदालत ने गत 31 मार्च को सिसोदिया की जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा था कि सिसोदिया इस मामले में आपराधिक साजिश के प्रथम दृष्टया सूत्रधार थे और उन्होंने दिल्ली सरकार में अपने और अपने सहयोगियों के लिए लगभग 90-100 करोड़ रुपये की अग्रिम रिश्वत के कथित भुगतान से संबंधित आपराधिक साजिश में "सबसे महत्वपूर्ण और प्रमुख भूमिका" निभाई।
सीबीआई ने अब रद्द की जा चुकी दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 में कथित भ्रष्टाचार के सिलसिले में कई दौर की पूछताछ के बाद सिसोदिया को गिरफ्तार किया था। (भाषा)
गांधीनगर, 12 मई प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि पहले छात्रों को किताबी ज्ञान मिलता था लेकिन नई शिक्षा नीति इसमें बदलाव लाएगी।
अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक महासंघ के 29वें द्विवार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि गूगल डेटा और सूचना दे सकता है लेकिन शिक्षकों की भूमिका छात्रों के मार्गदर्शक की होती है।
मोदी ने कहा, ‘‘आज भारत 21वीं सदी की आधुनिक आवश्यकताओं के मुताबिक नयी व्यवस्थाओं का निर्माण कर रहा है। नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति इसी को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है। हम इतने वर्षों से स्कूलों में पढ़ाई के नाम पर अपने बच्चों को केवल किताबी ज्ञान दे रहे थे। नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति उस पुरानी अप्रासंगिक व्यवस्था को परिवर्तित कर रही है।’’
प्रधानमंत्री ने छात्रों को उनकी मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा देने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि नयी शिक्षा नीति ने इसके लिए प्रावधान किए हैं।
मोदी ने कहा कि वह अपने जीवन में कभी शिक्षक नहीं रहे, लेकिन आजीवन छात्र जरूर रहे हैं जिन्होंने सामाजिक परिस्थितियों का बारीकी से अध्ययन किया है।
उन्होंने कहा कि विश्व के विभिन्न नेताओं के साथ उनकी बैठकों के दौरान उनमें से कुछ ने जब उन्हें बताया कि उनके शिक्षक भारत से थे तो उन्हें बड़ा गर्व महसूस हुआ। (भाषा)
बेंगलुरु, 12 मई कर्नाटक विधानसभा चुनाव के तहत 10 मई को डाले गए मतों की गिनती शनिवार को होगी, जिसमें आपस में कट्टर प्रतिद्वंद्वी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के अलावा जद (एस) के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली।
इन दलों के उम्मीदवार चुनाव परिणामों का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
शीर्ष नेताओं - राज्य के मुख्यमंत्री एवं भाजपा नेता बसवराज बोम्मई, कांग्रेस नेता सिद्धरमैया और डी के शिवकुमार और जद (एस) के एच डी कुमारस्वामी सहित कई अन्य नेताओं की जीत हार का पता शनिवार को चलेगा।
मतगणना राज्य भर के 36 केंद्रों में सुबह 8 बजे शुरू होगी और चुनाव अधिकारियों को परिणाम के बारे में एक स्पष्ट तस्वीर दोपहर तक सामने आने की उम्मीद है।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए राज्य भर में, विशेषकर मतगणना केंद्रों के अंदर और आसपास सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं।
राज्य में 224 सदस्यीय विधानसभा के लिए 10 मई को चुनाव में 73.19 प्रतिशत का ‘‘रिकॉर्ड’’ मतदान दर्ज किया गया था।
ऐसे में जब ज्यादातर ‘एग्जिट पोल’ में कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़े मुकाबले का पूर्वानुमान जताया गया है, दोनों दलों के नेता नतीजों को लेकर "बेचैन" लग रहे हैं, जबकि जद(एस) एक त्रिशंकु जनादेश की उम्मीद करता दिख रहा है, जो इसे सरकार गठन में एक भूमिका निभाने का मौका प्रदान करेगा।
अधिकांश सर्वेक्षणकर्ताओं ने सत्तारूढ़ भाजपा पर कांग्रेस को बढ़त दी है, जबकि राज्य में त्रिशंकु विधानसभा की संभावना का भी संकेत दिया है।
राज्य में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राज्य की सत्ता में क्रमिक रूप से बदलाव की 38 साल पुरानी परंपरा तोड़ने की उम्मीद में है। इसके लिए पार्टी मोदी प्रभाव पर भरोसा जता रही है। वहीं कांग्रेस भी इस चुनाव में जीत हासिल करना चाहती है ताकि वह इसका इस्तेमाल 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी नेताओं एवं कार्यकर्ताओं में नया जोश भरने के लिए कर सके।
वहीं यह भी देखा जाना बाकी है कि त्रिशंकु जनादेश की स्थिति में क्या सरकार बनाने की कुंजी पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा के नेतृत्व वाली जद (एस) के पास होगी?
दिल्ली और पंजाब में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) ने भी इस विधानसभा चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारे थे। इसके अलावा कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में कुछ छोटे दल भी मैदान में थे। (भाषा)
सैन फ्रांसिस्को, 12 मई | एलन मस्क ने घोषणा की है कि उन्हें ट्विटर (या एक्स कॉर्प) के लिए एक नया सीईओ मिल गया है, जो छह सप्ताह में अपना पद ग्रहण करेंगे। मस्क ने कहा कि वह ट्विटर के सीईओ के रूप में अपनी भूमिका से कार्यकारी अध्यक्ष और मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी (सीटीओ) के रूप में कार्य करेंगे।
यह घोषणा करने के लिए उत्साहित हूं कि मेरे पास एक्स/ट्विटर के लिए एक नया सीईओ है। वह 6 सप्ताह में अपना पद संभाल लेंगे! मेरी भूमिका उत्पाद और सिसोप्स सॉफ्टवेयर की देखरेख करने वाले कार्यकारी अध्यक्ष और सीटीओ के रूप में परिवर्तित होगी।
मस्क की घोषणा के अनुसार, ट्विटर की नई सीईओ एक महिला होंगी, लेकिन उन्होंने पहचान स्पष्ट नहीं की है।
हालांकि, द वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, विज्ञापन के एनबीसी यूनिवर्सल हेड लिंडा याकारिनो स्थिति के लिए बातचीत कर रहे हैं।
इससे पहले, टेक अरबपति ने सीईओ के रूप में पद छोड़ने और 2023 के अंत तक एक नए मुख्य कार्यकारी के साथ खुद को बदलने के अपने इरादे की घोषणा की।
इस बीच, मस्क ने कहा है कि कंपनी प्लेटफॉर्म पर सालों से इनएक्टिव रहे अकाउंट को एक्टिव कर देगी।
मस्क ने ट्वीट किया, हम उन अकाउंट को एक्टिव कर रहे हैं, जिनमें कई सालों से कोई गतिविधि नहीं हुई है, इसलिए आप शायद फॉलोअर्स की संख्या में गिरावट देखेंगे। (आईएएनएस)
भारत के ग्रामीण इलाकों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की भारी कमी है और लोगों को इलाज कराने के लिए बड़े और महंगे शहरों में भागना पड़ता है.
21 साल के मिथिलेश चौधरी दिल्ली के सरकारी अस्पताल आखिल भारतीय चिकित्सा संस्थान (एम्स) के बाहर पूरी रात बिताने के बाद कमजोरी के साथ खांस रहे हैं. उनके दादा भीमलाल कहते हैं, "पिछले दो रातों से हम फुटपॉथ पर सो रहे हैं." वे और उनके पोते करीब सौ लोगों के साथ अस्पताल में अपाइंटमेंट के लिए कतार में खड़े हैं.
भीमलाल कहते हैं, "उसकी छाती में कंजेशन है और कोई भी नहीं बता पा रहा है कि आखिर मसला क्या है. हम अपने जिले के कई अस्पतालों में गए और आखिरकार एक निजी अस्पताल के डॉक्टर ने कहा कि दिल्ली के एम्स में जाकर दिखाओ."
बेहतर स्वास्थ्य सुविधा की तलाश
मिथिलेश चौधरी बिहार के रहने वाले हैं और उनके पास एम्स में डॉक्टर को दिखाने के लिए कोई अपाइंटमेंट नहीं है. उन्हें यह भी नहीं पता है कि किस डॉक्टर से मिलना है. उनके पास एक ही विकल्प बचता है और वह है बाकी और लोगों की तरह सुबह सुबह कतार में खड़े हो जाना. डॉक्टर से अपाइंटमेंट के लिए बेहद कम स्लॉट होते हैं और रोगियों की संख्या सैकड़ों.
चौधरी और उनके जैसे लोगों का भोर में कतार में खड़ा होना बताता है कि ग्रामीण भारत में विशेषज्ञ डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों की कितनी कमी है.
बढ़ रही है अस्पतालों की संख्या
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने 2014 में कार्यभार संभालने के बाद से विशेष उपचार के लिए एक दर्जन से अधिक एम्स जैसे चिकित्सा संस्थानों का निर्माण किया है. सरकार की देश के 761 जिलों में से हरेक में कम से कम एक बड़ा अस्पताल बनाने की योजना है.
समस्या डॉक्टरों की कमी की है. यह कमी तब और गंभीर हो जाती है जब भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 1991 में भारत का डॉक्टर-रोगी अनुपात प्रति 1,000 रोगियों पर 1.2 डॉक्टरों के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया था, लेकिन जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ी 2020 में अनुपात घटकर लगभग 0.7 रह गया.
डब्ल्यूएचओ द्वारा सिफारिश स्तर एक है और चीन में यह अनुपात 2.4 है. स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने मार्च में संसद को बताया कि वास्तव में भारत में प्रति 834 रोगियों पर एक डॉक्टर का अनुपात है, जो डब्ल्यूएचओ स्तर से काफी ऊपर है, लेकिन संख्या में आयुर्वेद, होम्योपैथी और प्राकृतिक चिकित्सक शामिल थे.
डब्ल्यूएचओ और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन जैसे डॉक्टर समूह अपनी गणना में पारंपरिक चिकित्सा के चिकित्सकों को शामिल नहीं करते हैं.
भारत में कैसे बढ़े विशेषज्ञ डॉक्टर
पिछले महीने पूर्वोत्तर भारत में पहले विशेष चिकित्सा संस्थान का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने अधिक मेडिकल कॉलेज स्थापित करके डॉक्टरों की संख्या बढ़ाने का प्रयास किया है.
सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि मोदी के कार्यकाल में विशेष संस्थानों को छोड़कर, सार्वजनिक अस्पतालों की संख्या में लगभग नौ फीसदी की वृद्धि हुई है. स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक सरकार ने निजी और सार्वजनिक कॉलेजों में स्नातक मेडिकल सीटों की जो संख्या मार्च 2014 से पहले 51,348 थी उसे लगभग दोगुनी कर 1,01,043 कर दी है.
फरवरी में स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा संसद में दिए गए एक जवाब के मुताबिक 31 बड़े केंद्र सरकार के अस्पतालों में 3,000 से अधिक डॉक्टरों की वैकंसी थी, जिनमें एक दर्जन से अधिक विशिष्ट संस्थान शामिल हैं. वहीं नर्सों और सहायक कर्मचारियों की रिक्तियां 21,000 से अधिक थीं.
बड़े शहरों के बाहर विशेष देखभाल की कमी खास तौर से गंभीर है. सरकार का कहना है कि मार्च 2022 तक ग्रामीण भारत में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में सर्जन, चिकित्सकों, स्त्री रोग विशेषज्ञों और बाल रोग विशेषज्ञों की लगभग 80 फीसदी कमी थी.
एए/सीके (एएफपी)
दिल्ली और महाराष्ट्र से जुड़े मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों को उनकी शक्ति की सीमाएं याद दिलाने की कोशिश की है. साथ ही राज्यपालों और उप-राज्यपालों को जनमत द्वारा चुनी हुई सरकार का आदर करने की सीख भी दी है.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट-
दोनों ही मामलों के केंद्र में राजनीतिक खींचतान के अलावा केंद्र और राज्यों के बीच शक्ति के संतुलन का एक संकट भी था, जिसे अपने दो अलग अलग फैसलों में सुप्रीम कोर्ट ने संबोधित करने की कोशिश की है. दिल्ली के मामले में सवाल दिल्ली की चुनी हुई सरकार और केंद्र द्वारा नियुक्त उप-राज्यपाल के बीच शक्तियों को लेकर खींचतान का था.
सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने दोनों पक्षों को उनकी सीमाएं याद तो दिलाईं लेकिन यह स्पष्ट रूप से कहा कि चुनी हुई सरकार की जनता के प्रति जवाबदेही होती है और इसलिए प्रशासन की असली शक्ति उसी के पास होनी चाहिए. लिहाजा, अदालत ने कहा कि सिर्फ तीन क्षेत्रों को छोड़ कर राष्ट्रीय राजधानी में चुनी हुई सरकार का प्रशासनिक सेवाओं के ऊपर लेजिस्लेटिव और एग्जेक्टिव नियंत्रण होना ही चाहिए.
जिन तीन क्षेत्रों को इस नियंत्रण से बाहर रखने के लिए बताया गया वो हैं पब्लिक आर्डर, पुलिस और भूमि. इस आदेश का सीधा संबंध दिल्ली में सरकारी अफसरों की नियुक्ति और तबादले से है. अदालत ने स्पष्ट कर दिया कि आईएएस अफसर हों या संयुक्त काडर सेवाओं के अफसर, उनके ऊपर चुनी हुई सरकार का नियंत्रण है.
अदालत ने कहा कि सामूहिक जिम्मेदारी का सिद्धांत सरकारी अधिकारियों पर भी लागू होता है जो सरकार के मंत्रियों को रिपोर्ट करते हैं. अगर अफसर मंत्रियों को रिपोर्ट करना बंद कर दें या उनके निर्देश नहीं मानें तो सामूहिक जिम्मेदारी के पूरे सिद्धांत पर असर पड़ता है.
अदालत ने माना कि दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं है और इस वजह से सरकार के पास पूर्ण राज्य की सरकारों जैसी शक्तियां नहीं हैं. लेकिन अदालत ने कहा कि इसके बावजूद इस फैसले की रोशनी में उप-राज्यपाल मंत्रिपरिषद की सलाह पर ही काम करने को बाध्य हैं.
दिल्ली में 'आम आदमी पार्टी' सरकार ने इस फैसले का स्वागत किया है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उनकी पार्टी पिछले आठ सालों से इस मुद्दे पर लड़ रही थी और इस दौरान केंद्र को यह शक्ति देने वाले सुप्रीम कोर्ट के पिछले आदेश का इस्तेमाल कर दिल्ली में काम को रोका गया.
केजरीवाल ने कहा कि अब अगले कुछ दिनों में दिल्ली के प्रशासन में भारी बदलाव लाए जाएंगे, जिनके तहत भ्रष्ट अफसरों को हटाया जाएगा, ईमानदार अफसरों को नियुक्त किया जाएगा और अनावश्यक पदों को या तो रद्द कर दिया जाएगा या रिक्त रख दिया जाएगा.
महाराष्ट्र का मामला
महाराष्ट्र का मामला पूरी तरह से राजनीतिक था लेकिन उसमें भी मूल सवाल केंद्र और राज्यों के बीच शक्ति के संतुलन का था. जून 2022 में शिवसेना दो धड़ों में बंट गई, उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की गठबंधन सरकार गिर गई और शिवसेना के दूसरे धड़े के नेता के रूप में एकनाथ शिंदे ने बीजेपी के साथ मिल कर सरकार बना की.
बाद में विधानसभा के उपाध्यक्ष ने शिंदे गुट के विधायकों को अयोग्यता का नोटिस भेज दिया. सुप्रीम कोर्ट के सामने उस समय सवाल था कि इन विधायकों को सदन की सदस्यता से अयोग्य करार दिया जाए या नहीं. अदालत ने बाद में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को सदन में विश्वास मत कराने का आदेश देने की अनुमति दे दी.
ठाकरे ने विश्वास मत से पहले ही इस्तीफा दे दिया और उनकी सरकार गिर गई. उसके बाद ठाकरे की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं डाली गईं. इनमें से एक में उनके द्वारा विश्वास मत के लिए विधानसभा का सत्र बुलाने के आदेश को भी चुनौती दी गई.
इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया किराज्यपाल का वह फैसला गलत था. राज्यपाल ने वह फैसला शिंदे गुट के 34 विधायकों के अनुरोध पर लिया था. अदालत ने कहा कि यह गलत था क्योंकि राज्यपाल के पास यह निर्णय करने के लिए पर्याप्त तथ्य नहीं थे कि उद्धव ठाकरे ने सदन का विश्वास खो दिया है.
अदालत ने स्पष्ट किया कि राज्यपाल को ठाकरे सरकार के बहुमत पर संदेह नहीं करना चाहिए था और कुछ विधायकों की असंतुष्टि विश्वास मत का आदेश देने के लिए काफी नहीं थी. अदालत ने कहा कि राज्यपाल को पार्टियों के अंदरूनी झगड़ों में नहीं पड़ना चाहिए और व्यक्तिपरक आधार की जगह वस्तुनिष्ठ आधार पर फैसला लेना चाहिए.
हालांकि अदालत ने यह भी साफ किया कि इस मामले में अब कुछ किया नहीं जा सकता क्योंकि ठाकरे ने विश्वास मत का सामना करने की जगह खुद ही इस्तीफा दे दिया था. अदालत ने कहा कि इस लिहाज से शिंदे को मुख्यमंत्रिपद की शपथ दिलाने का राज्यपाल का फैसला सही था.
महाराष्ट्र में ठाकरे और शिंदे के नेतृत्व में दोनों ही पक्षों ने इस फैसले को अपनी अपनी जीत बताया है. मुख्यमंत्री शिंदे ने इसे शिवसेना और बालासाहेब ठाकरे की जीत बताया है लेकिन दूसरी तरफ ठाकरे ने कहा है कि इस फैसले के आधार पर शिंदे को नैतिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए और इस्तीफा दे देना चाहिए. (dw.com)
नई दिल्ली, 12 मई | राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने हाल ही में पश्चिम बंगाल में रामनवमी के जुलूस के दौरान हुई हिंसा की जांच अपने हाथ में ले ली है। एनआईए ने 30 मार्च को हावड़ा और हुगली जिलों में हुई हिंसा और आगजनी की घटनाओं के संबंध में विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के तहत छह नई प्राथमिकी दर्ज की हैं।
जांच को एनआईए को स्थानांतरित करने का निर्णय कलकत्ता उच्च न्यायालय के एक पूर्व निर्देश के अनुपालन में हुआ, इसमें एजेंसी को मामले की जिम्मेदारी लेने के लिए कहा गया था। एजेंसी ने एक विशेष अदालत के समक्ष एक याचिका भी दायर की, इसमें सभी केस डायरियों को अपने कब्जे में लेने और सभी गिरफ्तार आरोपियों को पश्चिम बंगाल पुलिस से हिरासत में लेने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
रामनवमी के जुलूस के दौरान हिंसा की घटनाओं ने पश्चिम बंगाल में अशांति पैदा कर दी थी। (आईएएनएस)|
लखनऊ, 12 मई | ठाकुरगंज के एक निजी स्कूल के प्रिंसिपल पर आरटीई (शिक्षा का अधिकार) अधिनियम के तहत प्रवेश पाने वाले दूसरी कक्षा के छात्र को कथित रूप से शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का मामला दर्ज किया गया है। बच्चे के पिता ने आरोप लगाया कि प्रिंसिपल प्रीति यादव उनके बेटे को आरटीई के जरिए प्रवेश देने से नाखुश थीं।
पीड़ित के पिता ने आरोप लगाया, वह आरटीई के तहत प्रवेश पाने वाले छात्रों को ताना मारती थीं।
उन्होंने कहा, 5 मई को प्रिंसिपल ने मेरे बेटे को पीटा और उसे ताना मारा। जब वह घर लौटा, तो उसे तेज बुखार था।
उन्होंने कहा, वह थोड़ी देर बाद बेहोश हो गया। हम उसे अस्पताल ले गए, उसका अभी भी इलाज चल रहा है। मेरे बेटे को स्कूल प्रशासन और प्रिंसिपल द्वारा शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया।
एसएचओ ठाकुरगंज विकास राय ने बताया कि प्रिंसिपल के खिलाफ छात्र को पीट कर गंभीर रूप से घायल करने का मामला दर्ज किया गया है। (आईएएनएस)|
लखनऊ, 12 मई | ठाकुरगंज के एक निजी स्कूल के प्रिंसिपल पर आरटीई (शिक्षा का अधिकार) अधिनियम के तहत प्रवेश पाने वाले दूसरी कक्षा के छात्र को कथित रूप से शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का मामला दर्ज किया गया है। बच्चे के पिता ने आरोप लगाया कि प्रिंसिपल प्रीति यादव उनके बेटे को आरटीई के जरिए प्रवेश देने से नाखुश थीं।
पीड़ित के पिता ने आरोप लगाया, वह आरटीई के तहत प्रवेश पाने वाले छात्रों को ताना मारती थीं।
उन्होंने कहा, 5 मई को प्रिंसिपल ने मेरे बेटे को पीटा और उसे ताना मारा। जब वह घर लौटा, तो उसे तेज बुखार था।
उन्होंने कहा, वह थोड़ी देर बाद बेहोश हो गया। हम उसे अस्पताल ले गए, उसका अभी भी इलाज चल रहा है। मेरे बेटे को स्कूल प्रशासन और प्रिंसिपल द्वारा शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया।
एसएचओ ठाकुरगंज विकास राय ने बताया कि प्रिंसिपल के खिलाफ छात्र को पीट कर गंभीर रूप से घायल करने का मामला दर्ज किया गया है। (आईएएनएस)|
लखनऊ, 12 मई | एक चौंकाने वाली घटना में, रेस्तरां मालिक ने चोरी का संदेह होने पर पहले एक युवक की पिटाई की और फिर उसे आग लगा दी। पीड़ित की पहचान इलाके के नीलमठ के सुनील राजपूत के रूप में हुई। वह गंभीर रूप से झुलस गया है और उसे हजरतगंज के सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
परिवार का आरोप है कि रेस्टोरेंट से पैसे चोरी होने के शक में उसे प्रताड़ित किया गया।
उसके परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया कि बहराइच के रेस्टोरेंट मालिक बादशाह खान अपने सहयोगियों के साथ उसके घर पहुंचे और सुनील को उठा लिया।
पुलिस ने बताया कि,बादशाह और उसके आदमी उसे उठाकर अपने रेस्टारेंट में ले गए, जहां खान ने सुनील पर पैसे चुराने का आरोप लगाया और उसे डंडे से पीटना शुरू कर दिया। उसे अपना अपराध कबूल करने के लिए मजबूर किया।
पीड़िता की बहन प्रीति ने कहा, बदमाश ने उसके शरीर के निचले हिस्से में पेट्रोल डालकर आग लगा दी। चिल्लाने पर आसपास के लोग घटनास्थल पर इकट्ठे हो गए और सुनील को बचाया, जो तब तक गंभीर रूप से जल चुका था।
डीसीपी (ईस्ट जोन) हिरदेश कुमार ने कहा कि आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है।
उन्होंने कहा कि आरोपी से पूछताछ की जा रही है। (आईएएनएस)
हरदोई (उत्तर प्रदेश), 12 मई | 20 वर्षीय एक स्थानीय युवक द्वारा पीछा किए जाने के बाद 15 वर्षीय एक लड़की ने स्कूल जाना बंद कर दिया। आरोपी ने दोस्ती स्वीकार नहीं करने पर उसके माता-पिता को जान से मारने की धमकी दी थी। इस संबंध में लड़की के पिता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस अधीक्षक, हरदोई, राजेश द्विवेदी ने कहा, हमने टीमें बनाई हैं और सीसीटीवी फुटेज की जांच कर रहे हैं और युवकों को पकड़ने के लिए मुखबिर नेटवर्क को भी सक्रिय कर दिया गया है।
प्राथमिकी के अनुसार, लड़की एक निजी स्कूल में कक्षा 8 की छात्रा है और उसने पीछा करने वाले के डर से एक महीने से स्कूल जाना बंद कर दिया है।
लड़की के पिता का आरोप है कि गांव मोहब्बतपुर का पुनीत सिंह उसकी बेटी को स्कूल जाने पर रोज परेशान करता था। यह सिलसिला पांच माह से चल रहा है।
पिता ने प्राथमिकी में कहा, पिछले हफ्ते उसने मेरी बेटी पर पिस्तौल तान दी और हमें (माता-पिता दोनों को) जान से मारने की धमकी दी।
उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी बेटी इतनी डरी हुई है कि उसने आठवीं कक्षा की परीक्षा भी नहीं दी।
एसएचओ, मल्लावां, शेषनाथ सिंह ने कहा कि आरोपी का पता लगाने के प्रयास किए जा रहे हैं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 12 मई | बम की धमकी मिलने के करीब दो सप्ताह बाद मथुरा रोड स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल को ईमेल के जरिए एक और धमकी मिली, जो फर्जी निकली। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। अधिकारी ने कहा कि स्कूल को धमकी भरा ईमेल गुरुवार शाम को मिला, जिसमें शुक्रवार सुबह करीब 11 बजे स्कूल में विस्फोट करने का दावा किया गया था।
हालांकि, यह धमकी झूठी निकली और तलाशी के दौरान स्कूल में कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला।
पुलिस के मुताबिक, गुरुवार को डीपीएस मथुरा रोड के मेल आईडी पर मिले एक धमकी भरे मेल के संबंध में सूचना मिली थी, जिसमें लिखा था, ''मैं 12 मई को सुबह 11 बजे स्कूल में विस्फोट करने वाला हूं।''
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, पुलिस की एक टीम बम निरोधक दस्ते के साथ स्कूल पहुंची।
अधिकारी ने कहा, उन्होंने स्कूल के कंप्यूटर सिस्टम/मेल की जांच की, जिसमें पता चला कि मेल गुरुवार को शाम करीब 6:17 बजे प्राप्त हुआ था, तकनीकी जांच से पता चला कि उक्त ईमेल पता एक छात्र का है, जिसने मेल भेजने से इनकार किया।
अधिकारी ने कहा, पुलिस टीमों ने पूरे स्कूल की मैन्युअल रूप से तलाशी ली और कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला। आगे की तकनीकी जांच/पूछताछ जारी है। (आईएएनएस)
लखनऊ, 12 मई | ब्रेन डेड घोषित 43 वर्षीय महिला के परिजनो उसका अंगदान कर तीन लोगों को नया जीवन दिया है। महिला का लीवर, लीवर सिरोसिस से पीड़ित 52 वर्षीय व्यक्ति में प्रत्यारोपित किया गया। जबकि उसकी किडनी पांच वर्षों से क्रॉनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) से पीड़ित 46 वर्षीय महिला को दी गई।
दोनों प्रत्यारोपण अपोलोमेडिक्स अस्पताल में किए गए थे।
दूसरी किडनी को प्रत्यारोपण के लिए एसजीपीजीआई भेजा गया है।
गुर्दा प्रत्यारोपण सर्जरी का नेतृत्व करने वाले डॉ अमित गुप्ता ने कहा, महिला को मंगलवार को अचेत अवस्था में अपोलोमेडिक्स अस्पताल लाया गया था। डॉक्टरों ने पाया कि वह बीपी, मधुमेह और हृदय रोग जैसी सह-रुग्णताओं से पीड़ित थी।
उन्होंने कहा, आगे के परीक्षणों से पता चला कि उसे गंभीर मस्तिष्क रक्तस्राव भी हुआ था। बचाने के सभी प्रयासों के बावजूद, उसे बुधवार को ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया। परिवार के सदस्यों ने शव दान के लिए सहमति व्यक्त की, जब हमने उन्हें समझाया कि यह कैसे जीवन बचा सकता है। उसके बाद परिजन उसका अंगदान करने पर सहमत हो गए।
इसके बाद, अस्पताल के अधिकारियों ने राज्य अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (एसओटीटीओ) की समिति को अनुमोदन के लिए कैडेवर दान के बारे में राज्य को सचेत किया। इसके बाद लीवर और किडनी प्रत्यारोपण किया गया।
ट्रांसप्लांट सर्जरी डा.ॅ आशीष के. मिश्रा (लीवर ट्रांसप्लांट सर्जन), डॉ वलीउल्लाह सिद्दीकी (लीवर ट्रांसप्लांट सर्जन), डॉ राजीव रंजन (गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट), डॉ सुहांग वर्मा (गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट) और डॉ जयेंद्र शुक्ला (गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट) द्वारा की गई।
अस्पताल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉक्टर मयंक सोमानी ने कहा, यह नेक काम उन लोगों के लिए उम्मीद पैदा करता है जो लीवर और किडनी की पुरानी बीमारियों से पीड़ित हैं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 12 मई | वीडियो के जरिए भ्रष्टाचार मतलब कांग्रेस की मुहिम चलाने वाली भाजपा ने शुक्रवार को 'कांग्रेस फाइल्स, सीजन 2' का तीसरा एपिसोड जारी करते हुए जमकर कांग्रेस की आलोचना की। सीजन-2 के इस तीसरे एपिसोड में भाजपा ने अंतरिक्ष में घोटाले की कहानी बताई है। 5 मिनट 38 सेकंड के इस वीडियो में भाजपा ने जमीन के अंदर कोयला घोटाला, हवा में 2जी घोटाला और जमीन के ऊपर घोटाले ही घोटाले का आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस ने घोटालों के मामलों में स्पेस यानी अतंरिक्ष तक को भी नहीं छोड़ा। कांग्रेस के मनमोहन सिंह के कार्यकाल में वर्ष 2005 में बेंगलुरु के देवास मल्टीमीडिया और इसरो से जुड़ी एंट्रिक्स कॉरपोरेशन के बीच हुई डील में घोटाले का आरोप लगाते हुए भाजपा ने कहा कि इस घोटाले ने तो देश की सुरक्षा को ही खतरे में डाल दिया था। भाजपा ने इस सौदे को देश के साथ धोखाधड़ी करार देते हुए दावा किया कि इस घोटाले को सुप्रीम कोर्ट ने जहरीला फ्रॉड तक कहा था।
इस सौदे को लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर कई सवाल खड़े करते हुए भाजपा ने कहा कि इसका खामियाजा आज देश भुगत रहा है और कांग्रेस को इस बात का जवाब देना चाहिए कि उसने देश के साथ ऐसी धोखाधड़ी क्यों की थी?
'कांग्रेस फाइल्स, सीजन 2' के अगले एपिसोड में भाजपा ने गांधी परिवार के दामाद रॉबर्ट वाड्रा से जुड़े जमीन घोटालों से जुड़े तथ्यों को बताने का दावा किया है। (आईएएनएस)
प्रयागराज (उत्तर प्रदेश), 12 मई | यूपी किन्नर कल्याण बोर्ड और किन्नर अखाड़े के राज्य प्रमुख कौशलानंद गिरि, जिन्हें टीना मां के नाम से भी जाना जाता है, ने शहर के एक मल्टीप्लेक्स में 'द केरला स्टोरी' का शो बुक किया है। जहां शुक्रवार को ट्रांसजेंडर समुदाय के लोग फिल्म देखेंगे। टीना मां ने दावा किया कि किन्नर (ट्रांसजेंडर) समुदाय धर्मांतरण से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। उन्होंने कहा, हम लड़कियों और ट्रांसजेंडर समुदाय के बीच धार्मिक बातचीत और 'लव जिहाद' की जांच के लिए पहल कर रहे हैं, लेकिन यह पहली बार है कि हम इस विषय पर प्रकाश डालने वाली फिल्म की विशेष स्क्रीनिंग का आयोजन कर रहे हैं।
टीना मां ने कहा, हम अपने समुदाय के सदस्यों और लड़कियों को 'लव जिहाद' और धर्मांतरण के दुष्प्रभावों के बारे में बताते रहेंगे।
उन्होंने कहा, धर्म परिवर्तन एक संवेदनशील मुद्दा है और इससे चतुराई से और तुरंत निपटा जाना चाहिए। ट्रांसजेंडर समुदाय हमेशा धर्मांतरण से सबसे ज्यादा प्रभावित रहा है। किन्नर अखाड़ा इस मुद्दे को गंभीरता से ले रहा है और कुछ परिवर्तित ट्रांसजेंडर लोगों को भी वापस ले लिया है।
उसने दावा किया, मैंने ट्रांसजेंडर समुदाय के बीच धर्म परिवर्तन की जांच के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया है, और हममें से 32 से अधिक लोग पहले ही इस्लाम में परिवर्तित होने के बाद हिंदू धर्म में लौट आए हैं।
उन्होंने आगे कहा कि उन्हें युद्धस्तर पर अभियान चलाने और जमीनी स्तर पर इस अभ्यास की जांच करने का भरोसा है।
उन्होंने कहा कि 'द केरला स्टोरी' समाज की आंखें खोलने वाली साबित हुई है और सभी को इसे जरूर देखना चाहिए।
उन्होंने कहा, संवेदनशील मुद्दे पर एक जन जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है। लोगों को वास्तविकता और केरल और अन्य जगहों पर होने वाली घटनाओं को जानना चाहिए। (आईएएनएस)|
चेन्नई, 12 मई | तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले में शुक्रवार सुबह एक वैन की बस से आमने-सामने टक्कर हो गई जिसमें चार लोगों की मौत हो गई और सात लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। पुलिस के अनुसार, राष्ट्रीय राजमार्ग नागरकोइल-तिरुनेलवेली के वेल्लामदम में तिरुचेंदूर से कन्याकुमारी जा रही डांस ग्रुप की वैन को बस ने टक्कर मार दी।
बस नागरकोइल से रोशाकुलम जा रही थी।
पुलिस ने बताया कि मृतकों में वैन चालक भी शामिल है। प्रथम ²ष्टया ऐसा लगता है कि वैन के चालक को झपकी आ गई थी, जिसके कारण यह दुर्घटना हुई। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 12 मई | राजस्थान कांग्रेस के नेता सचिन पायलट ने जहां अजमेर से जयपुर के लिए अपनी जन संघर्ष पद यात्रा शुरू की है, वहीं राजस्थान पार्टी प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने अपने तीन सह-प्रभारियों और राज्य इकाई की बैठक बुलाई है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, बैठक में राजस्थान कांग्रेस प्रमुख गोविंद सिंह डोतासरा, सह प्रभारी काजी मुहम्मद निजामुद्दीन, अमृता धवन और वीरेंद्र राठौड़ शामिल होंगे।
बैठक के दौरान, नेताओं से पायलट की जन संघर्ष यात्रा द्वारा दी गई चुनौती पर चर्चा किए जाने की उम्मीद है।
सरकारी भर्ती परीक्षाओं में भ्रष्टाचार और पेपर लीक के मामलों को उठाने के लिए पायलट ने गुरुवार को अजमेर से जयपुर तक 125 किलोमीटर की पद यात्रा (पैदल मार्च) शुरू की।
पांच दिवसीय यात्रा को रेगिस्तानी राज्य में महत्वपूर्ण विधानसभा चुनावों से कुछ महीने पहले पायलट द्वारा पार्टी नेतृत्व पर दबाव बनाने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
मंगलवार को, जिस दिन पार्टी के पूर्व प्रमुख राहुल गांधी ने राजस्थान का दौरा किया, पायलट ने गहलोत को यह कहते हुए फटकार लगाई कि उनकी नेता वसुंधरा राजे हैं, न कि सोनिया गांधी।
जयपुर में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, पायलट ने कहा था, यह तथ्य मुख्यमंत्री के धौलपुर में परसों दिए गए भाषण से स्पष्ट हो गया है।
पायलट ने गहलोत के उस बयान पर सवाल उठाया, जिसमें ''बीजेपी नेताओं की तारीफ की, लेकिन पार्टी के अपने ही सांसदों और विधायकों की छवि खराब की।''
रविवार को गहलोत ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और दो भाजपा नेताओं, कैलाश मेघवाल और शोभरानी कुशवाहा ने उनकी सरकार को बचाने में मदद की।
गहलोत के बयान पर पायलट ने कहा, गहलोत को बताना चाहिए कि उनके बयान के दो चेहरे क्यों हैं। एक तरफ उनका कहना है कि बीजेपी सरकार गिराने की कोशिश कर रही थी और दूसरी तरफ उनका कहना है कि राजे उनकी सरकार बचाने की कोशिश कर रही थीं, वह क्या कहना चाहते है?
पायलट लगातार भाजपा शासन में भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने का मुद्दा उठा रहे हैं। (आईएएनएस)
बंगलुरु, 12 मई | कर्नाटक में बीजेपी के ऑपरेशन लोटस से कोई चांस न लेते हुए कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों को बेंगलुरू पहुंचने और सरकार बनने तक एक खास जगह पर रहने का निर्देश दिया है। मतगणना के दिन (13 मई) से पहले यह एहतियाती कदम उठाया जा रहा है।
एग्जिट पोल ने त्रिशंकु विधानसभा की भविष्यवाणी की है लेकिन भाजपा और कांग्रेस, दोनों दावा कर रहे हैं कि वे बहुमत हासिल कर लेंगे। सूत्रों के मुताबिक दोनों पार्टियां सत्ता हथियाने के लिए विधायकों की खरीद-फरोख्त कर सकती हैं।
विधायकों की खरीद-फरोख्त में बीजेपी माहिर मानी जाती है। भाजपा की रणनीति का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस अपना दांव खेलने की तैयारी में है। कांग्रेस नेताओं ने करीबी मुकाबले की संभावना से इनकार नहीं करते हुए पार्टी उम्मीदवारों की सुरक्षा के लिए एहतियाती कदम उठाए हैं।
कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार, राज्य प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला और विपक्ष के नेता सिद्दारमैया ने गुरुवार रात सभी उम्मीदवारों के साथ वर्चुअल बैठक की और उनसे विस्तार से बात की कि कैसे वे ऑपरेशन लोटस का शिकार ना बन पाएं।
नेताओं ने उम्मीदवारों से कहा है कि इस बार कांग्रेस को सरकार बनाने का मौका मिलने जा रहा है और उन्हें लालच में नहीं आना चाहिए। उम्मीदवारों को बढ़त मिलने और अपनी जीत सुनिश्चित होते ही बेंगलुरू पहुंचने को कहा गया है। सूत्रों ने बताया कि उम्मीदवारों को सरकार बनने तक एक विशेष स्थान पर रहने के लिए भी कहा गया है। (आईएएनएस)|
पटना, 12 मई | बिहार में अवैध बालू (रेत) खनन और ढुलाई को रोकने के लिए सरकार अब खान निरीक्षकों को ही हथियार का प्रशिक्षण देने का निर्णय लिया है, जिससे इनकी पुलिस पर आश्रित होने से मुक्ति मिल सके। आमतौर पर देखा जाता है कि अवैध रेत खनन की सूचना मिलने के बाद खान निरीक्षकों को छापेमारी के लिए पुलिस पर निर्भर रहना पड़ता है। इससे मुक्ति के लिए विभाग ने खान निरीक्षकों को ही हथियारों का प्रशिक्षण देने का निर्णय लिया है।
खनन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि सोमवार से 90 खान निरीक्षकों को हथियारों सहित आधुनिक उपकरणों का प्रशिक्षण दिया जाएगा। शुरूआती दौर में करीब दो सप्ताह तक चलने वाले इस प्रशिक्षण में मोटर बोट और हथियार का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
बताया जाता है कि प्रशिक्षण के लिए फिलहाल बिपार्ड सहित मद्य निषेध, उत्पाद और निबंधन विभाग के प्रशिक्षण स्थल का चयन किया गया है।
उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों बिहटा में छापेमारी करने गए खान निरीक्षकों पर खनन माफियाओं द्वारा हमला किया गया था। इसमें महिला खान निरीक्षक भी शामिल थे।
अधिकारियों की मानें तो इससे छापेमारी में भी सहूलियत होगी और सूचना मिलने के बाद सही समय पर छापेमारी भी की जा सकेगी। (आईएएनएस)|
दीपा दानू/ दीपा लिंगडीया
बागेश्वर, (उत्तराखंड), 10 मई। आजादी के 70 साल बाद भी लगभग 50फीसदी भारतीय लोग पीने के पानी तक पहुंच नहीं पाते हैं. हालांकि केंद्र और राज्य स्तर पर अलग-अलग सरकारों ने इसके लिए काम किया है। लेकिन वास्तविकता यह है कि आज भी देश में लोगों, विशेषकर महिलाओं को पीने के पानी के लिए मीलों दूर पैदल चलना पड़ता है। शहरी और अर्ध शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा देश के दूर दराज़ के ग्रामीण क्षेत्रों में इस कमी को साफ़ महसूस किया जा सकता है। हालांकि पीएम मोदी द्वारा गांव गांव और घर घर तक पीने का साफ़ पानी पहुंचाने वाली महत्वकांक्षी योजना ‘जल जीवन मिशन ’ ने स्थिति में काफी बदलाव लाया है।
इस योजना ने देश के कई ग्रामीण क्षेत्रों की हालत को पहले से बहुत बेहतर बना दिया है। अब कई ग्रामीण क्षेत्र ऐसे हैं जहां शत प्रतिशत घरों में नल से जल आता है। यह मिशन केंद्र की जल शक्ति मंत्रालय द्वारा राज्यों के साथ साझेदारी में लागू किया जाता है। इसका उद्देश्य 2024 तक देश के प्रत्येक ग्रामीण परिवार को नियमित और दीर्घकालिक आधार पर निर्धारित गुणवत्ता का पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराना है।
लेकिन अभी भी देश के कई ऐसे ग्रामीण क्षेत्र हैं जहां इस मिशन को लागू करने की सबसे अधिक ज़रूरत है। जिसकी कमी के कारण न केवल महिलाओं को शारीरिक रूप से कष्ट उठाना पड़ रहा है बल्कि किशोरियों की शिक्षा भी प्रभावित हो रही है। घर में पानी की कमी को पूरा करने के लिए लड़कियों को अपनी पढ़ाई छोडऩी पड़ रही है। ऐसा ही एक गांव पहाड़ी राज्य उत्तराखंड के बागेश्वर जिला स्थित गरुड़ ब्लॉक का गनीगांव है। जहां महिलाएं पीने के पानी के लिए दर-दर भटक रही हैं। यह एक गांव ऐसा है, जहां पीने के पानी की सप्लाई की कोई व्यवस्था नहीं है। यहां महिलाओं और लड़कियों को दूर दूर से पानी सर पर ढो कर लानी पड़ती है।
गांव में पीने के पानी की स्थाई व्यवस्था न होने से परेशान एक किशोरी कविता का कहना है कि गांव को पीने के पानी की बहुत किल्लत झेलनी पड़ती है। घरों में नल तो लगे हुए हैं लेकिन जल के लिए हमें आज दूर दूर जाना पड़ता है, क्योंकि उस नल से पानी नहीं आता है। ऐसे में हम पानी भरें या फिर अपनी पढ़ाई करें? सुबह उठने के साथ पहले पानी भरो, फिर स्कूल जाओ फिर स्कूल से आओ और पानी भरने जाओ, घर के सदस्यों से लेकर जानवरों तक के लिए हमें पीने के पानी का इंतज़ाम करनी पड़ती है। जिसकी वजह से हमें शारीरिक कष्ट पहुंचता है।
वहीं कुमारी हेमा कहती है कि हमारे गांव में पीने के पानी का बहुत बड़ा अभाव है। हमें पानी के लिए बहुत दिक्कत झेलनी पड़ती है। वास्तव में जल ही जीवन है। जिसके बगैर जीवन की कल्पना बेकार है। इंसान हो या जानवर, सभी के जीवन में पानी की बहुत बड़ी महत्ता है। लेकिन हमारे गांव में इसी महत्वपूर्ण चीज़ की सबसे बड़ी समस्या है। नि:संदेह गांव में नल तो लगे हुए हैं, लेकिन उनमें पानी नहीं आता है। अलबत्ता, 6 महीने में एक बार, वह भी कुछ समय के लिए गलती से कभी भूले भटके आ जाता है। परंतु उसकी धार इतनी तेज़ नहीं होती है कि किसी एक परिवार की समस्या का हल हो सके। गांव में पानी न होने की वजह से महिलाओं को दूर दूर से पानी भर कर लाना पड़ता है।
इसी पर गांव की एक महिला आनंदी देवी का कहना है कि जब से मैं इस गांव में शादी कर के आई हूं, तब से पानी के लिए दर दर भटक रही हूं। गांव में पानी न होने की वजह से हमें बहुत अधिक कष्टों का सामना करना पड़ता है। घर से तकरीबन पांच किमी की दूरी तय करके हमें ऊंची नीची पहाडिय़ों में चलकर पानी लेने जाना पड़ता है। जो काफी कष्टकारी है।
बरसात के दिनों में फिसलन की बहुत अधिक समस्या होती है। ऐसे में सर पर पानी उठाकर लाना बहुत मुश्किल होता है। इसमें पैर फिसलने का खतरा बना रहता है। कई बार ऐसी हालत में महिलाएं फिसल कर घायल भी हो चुकी हैं।
गांव की एक बुजुर्ग महिला लीला देवी कहती हैं कि हमारे गांव में पानी की बहुत दिक्कत के कारण मुझे इस उम्र में भी दूर-दूर पानी लेने जाना पड़ता है। हमारे घर पर पानी के नल तो हैं, लेकिन उसमें अन्य घरों की तरह पानी नहीं आता है। बताओ हम उस नल का क्या करें, जिसमें पानी ही न आता हो? हमें कपड़े धोने के लिए भी नदियों पर जाना पड़ता है। लेकिन पीने के पानी के लिए हमें नदियों से भी दूर जाना पड़ता है। इस उम्र में हमारी जैसी महिलाओं के लिए चल पाना बहुत मुश्किल होता है। ऐसे में किसी गर्भवती महिला की क्या हालत होती होगी, इसका अंदाज़ा शहर में रहने वाले नहीं लगा सकते हैं।
कई बार उन्हें ऐसी परिस्थिति में भी जाना पड़ता है तो कई बार उन्हें इसके लिए दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है। ग्राम प्रधान नरेंद्र सिंह भी गनीगांव में पीने के पानी की समस्या को स्वीकार करते हुए कहते हैं कि हमारे गांव में वर्षों से पानी की बहुत दिक्कत है। जिससे गांव के लोगों खासकर महिलाओं और लड़कियों को पानी लेने के लिए बहुत दूर जाना पड़ता है।
वह कहते हैं कि मैंने अपनी तरफ काफी प्रयास किया कि गांव में पानी की समस्या दूर हो जाए और लोग खुशी खुशी अपना जीवन व्यतीत करें, इसके लिए मैं संबंधित विभाग से लगातार संपर्क में हूँ, लेकिन मेरा यह प्रयास अभी तक सफल नहीं हो पाया है।
वह कहते हैं कि विभाग के सुस्त रवैये के कारण ही गांव में पा+नी की समस्या का अभी तक स्थाई हल नहीं निकल सका है। बरसात के दिनों में पीने के पानी के लिए भी तपस्या और भी बढ़ जाती है।
अब देखना यह है कि यह समस्या कब तक दूर होती है जिससे लड़कियों का समय पानी लाने में बर्बाद न हो। (चरखा फीचर)
नयी दिल्ली, 11 मई पूरे देश में अब ड्रोन के जरिए रक्त की आपूर्ति करने का सपना जल्द ही हकीकत में तब्दील हो सकता है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने बृहस्पतिवार को अपनी ‘आई-ड्रोन’ पहल के तहत ड्रोन के जरिए ब्लड बैग की आपूर्ति का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है।
यह पहल भारत में ड्रोन पारिस्थतिकी का विस्तार करने के राष्ट्रीय अभियान का हिस्सा है। आईसीएमआर ने सबसे पहले दूरदराज के इलाकों तक टीका पहुंचाने के लिए कोविड-19 महामारी के दौरान ‘आई-ड्रोन’ का इस्तेमाल किया था।
आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने कहा, ‘‘आज, हम रक्त तथा रक्त से संबंधित उत्पाद भेज रहे हैं जिन्हें कम तापमान पर रखा जाता है। इस प्रयोग के बाद हमने पाया कि हम न केवल तापमान बनाए रख सकें बल्कि उत्पादों को कोई नुकसान भी नहीं हुआ।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमने एक एम्बुलेंस के जरिए एक अन्य नमूना भेजा और अगर दोनों तरीकों का इस्तेमाल कर भेजे गए नमूनों में कोई अंतर नहीं है तो फिर पूरे भारत में ड्रोन का इस्तेमाल किया जाएगा।’’
बहल ने कहा, ‘‘डिजीटलीकरण के साथ टीकों के प्रभावी निर्माण और त्वरित आपूर्ति प्रणाली विकसित होने से भारत ने एक साल के भीतर 90 फीसदी कवरेज हासिल की।
आईसीएमआर, दिल्ली के लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज, ग्रेटर नोएडा के गवर्नमेंट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज तथा नोएडा के जेपी इंस्टीट्यूट ऑफ इंफोर्मेशन टेक्नोलॉजी के संयुक्त प्रयासों से देश में पहली बार का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है।
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, परीक्षण के तौर पर ड्रोन गवर्नमेंट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज तथा लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के बीच 10 यूनिट रक्त लेकर गया।
घाना तथा अमेरिका समेत कुछ देश ग्रामीण और दूरस्थ इलाकों तक रक्त, टीके, दवाइयां, चिकित्सा सामान तथा कई बार मानव अंगों की आपूर्ति के लिए ड्रोन का पहले से ही इस्तेमाल कर रहे हैं। (भाषा)
जयपुर, 11 मई राजस्थान के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने रिश्वतखोरी के मामले में नगर विकास एवं आवासन विभाग (यूडीएच) के प्रमुख शासन सचिव और वरिष्ठ आईएएस अधिकारी तथा विभाग के दो अन्य लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है।
एसीबी के प्रवक्ता ने बताया कि विभाग के प्रमुख शासन सचिव कुंजी लाल मीणा, संयुक्त सचिव मनीष गोयल (आरएएस अधिकारी) और एक लिपिक हरिमोहन के खिलाफ बुधवार को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई। यह प्राथमिकी एक निजी व्यक्ति (दलाल) को 12 लाख रुपये (5 लाख भारतीय मुद्रा और 7 लाख रुपये के डमी नोट) की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार करने के बाद प्राथमिकी दर्ज की गयी थी। आरोप है कि यह रिश्वत इन अधिकारियों के नाम पर ली जा रही थी। ।
एसीबी की टीम ने एक निजी व्यक्ति लोकेश जैन को उदयपुर में भूमि परिवर्तन की एनओसी जारी करने हेतु अधिकारियों के लिए रिश्वत लेते हुए सोमवार को गिरफ्तार किया था।
एसीबी के प्रवक्ता ने बृहस्पतिवार को बताया कि एसीबी ने अधिकारियों की भूमिका की जांच की और सबूतों के आधार पर उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। (भाषा)