ग्वालियर में शनिवार को ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ जो प्रदर्शन हुआ, उसने ये साबित कर दिया कि ग्वालियर-चम्बल में राह आसान नहीं, हार की स्थिति में सिंधिया तो दिल्ली दरबार में राज करेंगे, समर्थकों का क्या होगा
इतिहास खुद को दोहराता है। ग्वालियर में यही होता दिख रहा है। गद्दारी की सजा देश निकाला पहले भी ग्वालियर की जनता ने दिया है। इस बार फिर वैसे ही हालात बन रहे हैं। आज़ादी के पहले देश से गद्दारी कर ब्रिटिश हुकूमत के क़दमों में पाला बदलने वाले सिंधिया घराने को घुटने टेककर विदेश जाकर शरण लेनी पड़ी थी।
आज़ादी के बाद जनता ने फिर इस परिवार को अपना लिया सिर माथे पर बैठाया। पर नई पीढ़ी के युवा श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एक बार फिर हुकूमत के क़दमों में झुकने के लिए अपनी मातृ पार्टी कांग्रेस से गद्दारी की। जब सिंधिया शनिवार को भाजपा के सदस्यता अभियान के लिए ग्वालियर पहुंचे तो हजारों की संख्या में कार्यकर्ताओं ने गद्दार सिंधिया वापस जाओ के नारे लगाए।
इसके पहले सिंधिया के करीबी तुलसी सिलावट और राजयवर्धन सिंह दत्तीगांव, गिरिराज दंडोतिया को अपने-अपने इलाकों में जनता की नाराजगी का सामना करना पड़ा है। लगता है इस बार सिंधिया को ग्वालियर छोड़कर न जाना पड़ जाए।
ग्वालियर में भाजपा का तीन दिवसीय सदस्यता समारोह आज से शुरू हुआ । सिंधिया से नाराजी के चलते कांग्रेस के कई नेता और आम लोगों ने सिंधिया के सामने काले झंडे दिखाकर सड़क पर करीब एक घंटे तक प्रदर्शन किया। गद्दार सिंधिया वापस जाओ के नारों की गूंज सिंधिया महल तक सुनाई दी।
मालूम हो कि ज्योतिरादित्य सिंधिया पूरे तीन महीने बाद अपने गृह नगर आये हैं।कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने के बाद से वे यहां नहीं आये। कांग्रेस उन्हें बार बार ग्वालियर-चम्बल आने की चुनौती देती रही है। इसके पहले इंदौर में चिंटू चौकसे ने सिंधिया को काले झंडे दिखाने की कोशिश की थी। उस वक्त के पुलिस की क्रूरता के फोटो और वीडियो बड़े चर्चा में रहे।
तीन दिन बीजेपी की सदस्यता, कांग्रेस का धरना
कांग्रेस भाजपा के इस सदस्यता अभियान का विरोध कर रही है कांग्रेस का कहना है कि कोरोना काल चल रहा है। ऐसे में भाजपा का सदस्यता अभियान लोगों की जान को खतरे में डाल सकता है।
विरोध के चलते तीन दिनों तक कांग्रेस ने धरना देने की घोषणा की है। आज पहले दिन सुबह गांधी प्रतिमा के नीचे फूलबाग पार्क में धरना देने की कांग्रेस ने घोषणा की है लेकिन पुलिस ने कांग्रेस नेताओं को रास्ते में बैरिकेट लगाकर रोक लिया। इस दौरान पुलिस और कांग्रेस नेताओं की हल्की झड़प भी हुई।
जिसके बाद पुलिस ने धरना स्थल पर बढ़ रहे बहुत से कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया। कांग्रेस ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा कि ग्वालियर चंबल संभाग के हजारों कांग्रेस कार्यकर्ताओं को घर से उठाकर थाने में बैठाने की खबर है। शिवराज जी मध्यप्रदेश में घोषित आपात काल लगाया है या अब जयचंदी इतनी अधिक सवार हो गई कि जनता से डर लग रहा है।(politics)
नई दिल्ली, 23 अगस्त (आईएएनएस)| केंद्र सरकार सर्वनिष्ठ पात्रता परीक्षा यानी कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट (सीईटी) अब हिंदी और अंग्रेजी में ही नहीं, बल्कि अन्य 10 भारतीय भाषाओं में भी आयोजित करने की योजना बना रही है। इससे ऐसे युवाओं को बराबर अवसर प्राप्त होंगे, जो बैंकिंग, कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) और रेलवे जैसी नौकरियों की तैयारी करते हैं।
कार्मिक मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि आठवीं अनुसूची में अन्य भाषाओं के लिए सीईटी या सामान्य पात्रता परीक्षा के दायरे को धीरे-धीरे विस्तारित करने की योजना है।
भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 भाषाएं हैं। जानकारी के अनुसार, सीईटी परीक्षा शुरू में 12 भाषाओं के साथ शुरू होगी और फिर इसकी परीक्षा प्रक्रिया के भाग के रूप में अन्य भाषाओं को शामिल किया जाएगा।
राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश नौकरी के चयन के लिए राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी (एनआरए) द्वारा आयोजित की जाने वाली सामान्य पात्रता परीक्षा का लाभ उठा सकते हैं, जिसके लिए निर्णय बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में पारित किया गया था।
एक योजना यह भी है कि सीईटी स्कोर राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) और बाद में निजी क्षेत्र के साथ भर्ती एजेंसियों के साथ साझा किया जाएगा। कार्मिक मंत्रालय ने भी शनिवार को एक बयान में इसकी पुष्टि की।
इस मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह के बयान का हवाला देते हुए मंत्रालय ने कहा कि सीईटी वास्तव में भर्ती पर खर्च होने वाली लागत और समय को बचाने के लिए राज्य और केंद्र शासित प्रदेश की सरकारों सहित भर्ती एजेंसियों की मदद करेगी। इसके साथ ही यह नौकरी के इच्छुक युवाओं के लिए भी सुविधाजनक और लागत प्रभावी होगी।
सरकार की योजना के हिस्से के रूप में, इन एजेंसियों और इन संगठनों द्वारा सीईटी स्कोर का उपयोग करने के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) के रूप में एक व्यवस्था रखी जा सकती है। वहीं मंत्रालय का भी कहना है कि सीईटी नियोक्ता (एम्पलोयर) और कर्मचारी दोनों के लिए बेहतर व्यवस्था साबित कर सकती है।
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) और मंत्री जितेंद्र सिंह कई राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के संपर्क में हैं, जिन्होंने सीईटी स्कोर की साझा व्यवस्था का हिस्सा बनने के लिए अपनी रुचि व्यक्त की है।
पता चला है कि अधिकांश मुख्यमंत्री भी इसे लेकर काफी उत्साही हैं और इस सुधार को अपनाने के पक्ष में हैं, जिसे केंद्र सरकार एक क्रांतिकारी निर्णय कहती है। इसका उद्देश्य संघर्षरत युवाओं के लिए जीवनयापन में आसानी लाना और नौकरी के इच्छुक युवाओं के लिए एक बड़ा सुधार करना है।
लखनऊ, 23 अगस्त (आईएएनएस)| बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विधानसभा में दिए बयान पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि "भाजपा द्वारा केवल रामराज्य की बात करने से यूपी की गरीब जनता का विकास व उत्थान होने वाला नहीं है।" मायावती ने विधानमंडल का सत्र समाप्त होने के तुरंत बाद चार ट्वीट किए और सरकार पर हमला बोला। बसपा मुखिया ने कहा, "भाजपा द्वारा केवल रामराज्य की बात किए जाने से यूपी की गरीब जनता का विकास व उत्थान आदि होने वाला नहीं है और न ही उन्हें जुल्म-ज्यादती से निजात ही मिलने वाला है, बल्कि श्रीराम के उच्च आदर्शो पर चलकर सरकार चलाने से ही यह सब संभव हो सकता है, जिस पर यह सरकार चलती हुई नजर नहीं आ रही है।"
उन्होंने कहा, "खासकर ब्राह्मण समाज के प्रति भाजपा की जातिवादी कार्यशैली से दुखी होकर अब इस पार्टी से अलग होकर व बसपा में जुड़ते हुए देखकर इन्हें यह कह रहे हैं कि तिलक, तराजू की बात करने वाले अब परशुराम की बात कर रहे हैं। लेकिन यह समाज काफी बुद्धिमान है। इनके बहकावे में नहीं आएगा।"
बसपा मुखिया ने कहा, "जबकि जग-जाहिर तौर पर तिलक, तराजू आदि की बात बसपा ने कभी नहीं कही और ना ही बाबरी मस्जिद के स्थान पर कभी शौचालय बनाने की ही बात कही है। ये सब घृणित आरोप विरोधियों ने केवल बसपा को नुकसान पहुंचाने के लिए इन्हें जबरन हमारी पार्टी से जोड़ दिया है, जो अति-निंदनीय है।"
उन्होंने कहा, "यदि इस आरोप में थोड़ी भी सत्यता होती तो फिर बसपा अपनी पिछली सरकार में खासकर ब्राह्मण समाज के विधायकों को बड़ी संख्या में मंत्री व अन्य उच्च पदों पर क्यों रखती? वैसे यह समाज सब कुछ जानता है। वे बिल्कुल गुमराह नहीं होंगे। पार्टी को इन पर पूरा भरोसा है।"
938 करोड़ रुपये के एसबीआई ऋण धोखाधड़ी मामला
नई दिल्ली, 23 अगस्त (आईएएनएस)| भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) में 938 करोड़ रुपये के ऋण धोखाधड़ी मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने शनिवार को दिल्ली और मध्य प्रदेश के पांच स्थानों पर छापेमारी की। छापेमारी मध्य प्रदेश के मुरैना और दिल्ली के बाराखंभा रोड पर केएस ऑयल्स लिमिटेड के कार्यालय परिसर में की गई। केएस ऑयल्स लिमिटेड के कार्यालय के मैनेजिंग डायरेक्टर और प्रमोटर्स के घर पर भी छापेमारी की गई।
सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि "छापेमारी मुरैना में चार स्थानों पर की गई, जिसमें मैनेजिंग डायरेक्टर रमेश चंद गर्ग और प्रमोटर सौरभ गर्ग के आवासीय और आधिकारिक परिसर शामिल हैं।"
अधिकारी ने कहा कि " एजेंसी ने एसबीआई से 938.81 करोड़ रुपये के बैंक धोखाधड़ी के आरोप में मुरैना स्थित केएस ऑयल्स और उसके एमडी, प्रमोटर, निदेशक और अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है।"
नई दिल्ली, 23 अगस्त (आईएएनएस)| भारत-बांग्लादेश सीमाओं पर मानव तस्करी दोनों देशों के अधिकारियों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने इस साल अगस्त के मध्य तक दोनों देशों के बीच अवैध रूप से सीमाओं को पार कर रहीं 915 महिलाओं को पकड़ा है।
गिरफ्तार लोगों में वे महिलाएं शामिल हैं, जिन्होंने भारत में प्रवेश करने की कोशिश की और साथ ही वह महिलाएं, जिन्होंने एक जनवरी से 15 अगस्त के बीच दलाल या गुप्त सूचना मुहैया कराने वालों की सहायता से सीमा पार करने की कोशिश की थी। गृह मंत्रालय के आंकड़ों से इसका पता चला है।
यह संख्या महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह 2020 के अंत तक पिछले कुछ वर्षों के रिकॉर्ड को तोड़ सकती है।
एक अनुमान के अनुसार, अगर तस्करी के दौरान पकड़ी गई महिलाओं की संख्या साढ़े सात महीने में ही 900 को पार कर गई है, तो यह इस साल के अंत तक 1,400 का आंकड़ा पार कर सकती है।
भारत और बांग्लादेश के बीच अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर पकड़ी गई महिलाओं की संख्या 2019 में 936, 2018 में रिकॉर्ड 1,107 और 2017 में 572 थी।
इस साल सीमाओं पर पकड़ी गई कुल 915 महिलाओं में से सबसे अधिक 888 दक्षिण बंगाल से पकड़ी गई हैं। इसके बाद त्रिपुरा से 14, असम में गुवाहाटी से छह, उत्तर बंगाल से चार, मिजोरम और कछार से दो और मेघालय से एक महिला पकड़ी गई है।
भारत और बांग्लादेश 4,096.7 किलोमीटर लंबी अंतर्राष्ट्रीय सीमा साझा करते हैं। इसमें से पश्चिम बंगाल (2,216.7 किमी), असम (263 किमी), मेघालय (443 किमी), त्रिपुरा (856 किमी) और मिजोरम (318 किमी) शामिल है।
रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि अधिकतम महिला तस्करी के मामले दक्षिण बंगाल से दर्ज किए गए हैं, जहां से 850 महिलाओं को बांग्लादेश में पार करते समय या भारत में प्रवेश करते समय पकड़ा गया। यह संख्या 2018 में 620 और 2017 में 462 थी।
आंकड़ों से पता चलता है कि महिला तस्करी में 2019 में त्रिपुरा दूसरे स्थान पर रहा है, जहां तस्कीर के 52 मामले दर्ज किए गए हैं। वहीं 2018 में यहां 47 जबकि 2017 में 14 महिलाएं सीमा पार करते हुए पकड़ी गईं हैं।
असम में गुवाहाटी दक्षिण बंगाल के बाद 2018 में दूसरे स्थान पर रहा, जहां सीमा पार करते समय 394 महिलाओं की गिरफ्तारी हुई। वहीं 2019 में यह आंकड़ा आठ जबकि 2017 में छह था।
उत्तर बंगाल सीमा के माध्यम से महिलाओं की तस्करी के मामलों में हालांकि पिछले कुछ वर्षों में भारी गिरावट दर्ज की गई है। 2017 में यह आंकड़ा 87 था, लेकिन 2018 में 39 हो गया। वहीं 2019 में यह संख्या 12 रही और इस साल 15 अगस्त तक केवल चार महिलाएं सीमा पार करते हुए पकड़ी गईं।
मेघालय सीमांत क्षेत्र से इस वर्ष 15 अगस्त तक केवल एक महिला पकड़ी गईं, जबकि पिछले साल 11 महिलाओं को पकड़ा गया था। 2018 में यहां से छह और 2017 में तीन महिलाओं को सीमा पार करते हुए पकड़ा गया।
मिजोरम और असम के कछार से सबसे कम महिला तस्करी के मामले दर्ज किए गए हैं। इस साल 15 अगस्त तक इन क्षेत्रों से केवल दो महिलाओं को पकड़ा गया है। वहीं 2019 में यहां से तीन, 2018 में एक महिला सीमा पार करते हुए पकड़ी गई थी। इस क्षेत्र से 2017 में ऐसा कोई मामला दर्ज नहीं किया गया था।
नई दिल्ली, 22 अगस्त। दिल्ली विश्वविद्यालय ने मौजूदा शैक्षणिक वर्ष के लिए ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन और पीएचडी की प्रवेश परीक्षा की तारीखों का एलान कर दिया है। दिल्ली विश्वविद्यालय में 6 सितंबर से 11 सितंबर तक प्रवेश परीक्षाएं आयोजित की जाएंगी।
कोरोना संक्रमण के बावजूद डीयू में इस बार पहले से ज्यादा छात्रों ने अलग-अलग पाठ्यक्रमों के लिए आवेदन किया है। अभी तक 4 लाख से अधिक छात्रों ने इस प्रक्रिया में हिस्सा लिया है। इनमें से 2 लाख 83 हजार छात्रों ने अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए आवेदन किया है। 1 लाख 59 हजार छात्रों ने पोस्टग्रेजुएट से जुड़े कार्यक्रमों में दाखिले के लिए आवेदन किया है।
इस बार पिछले साल के मुकाबले ज्यादा छात्रों ने अपने आवेदन भेजे हैं। पिछले साल अंडर ग्रेजुएट कोर्स के लिए कुल 2 लाख 58 हजार छात्रों ने आवेदन किया था।
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी दिल्ली विश्वविद्यालय में 10 अंडरग्रेजुएट, 86 मास्टर्स, एमफिल और पीएचडी की प्रवेश परीक्षाएं आयोजित कराएगी। परीक्षाएं दिल्ली, एनसीआर और देशभर के 24 अन्य शहरों में बनाए गए केंद्रों पर करवाई जाएंगी।
डीयू प्रशासन ने कहा, "परीक्षाएं सुबह 8, दोपहर 12 बजे और शाम 4 बजे से तीन अलग-अलग शिफ्ट में होंगी। सभी श्फ्टिों में परीक्षा दो घंटे की होगी। 6 सितंबर को पोस्ट ग्रेजुएशन और पीएचडी की परीक्षा होगी। 21,699 एमफिल और पीएचडी कार्यक्रमों के लिए रजिस्ट्रेशन हुआ है। इसी दिन दोपहर 12 बजे से दो बजे तक बीएमएस, बीबीए, बीए ऑनर्स बिजनेस इकोनॉमिक्स की परीक्षा होगी।"
ग्रेजुएट प्रवेश परीक्षा तीन मैनेजमेंट पाठ्यक्रमों, पत्रकारिता, शिक्षा और कुछ विशेष कार्यक्रमों के लिए आयोजित की जा रही हैं। इन कोर्सेज के लिए उन छात्र-छात्राओं ने अप्लाई किया है, जो बारहवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा में 90 प्रतिशत से कम अंको के साथ पास हुए हैं।
ग्रेजुएशन के अन्य पाठ्यक्रमों के लिए छात्रों के बारहवीं कक्षा में हासिल अंकों की मेरिट तैयार की जाएगी। इसी मेरिट के हिसाब से डीयू के अलग-अलग कॉलेजों में कटऑफ लिस्ट के जरिए छात्रों को दाखिला मिलेगा।
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) ने परीक्षा कार्यक्रम के बीच कॉलेज फीस में रियायत मांगी है। डीयू के कुछ कॉलेजों ने कॉलेज फीस जमा कराने हेतु नोटिस जारी किया है। डूसू ने ऑनलाइन मोड में क्लासेज शुरू होने के चलते संसाधनों का छात्रों के उपयोग न किए जाने पर उनकी फीस नहीं लिए जाने की बात कही है।
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू ) के अध्यक्ष अक्षित दहिया ने कहा कि, "डीयू ने पिछले 10 अगस्त से क्लासेज ऑनलाइन मोड में शुरू कर दी हैं। कुछ कॉलेजों ने फीस डिपाजिट करने का नोटिस भी जारी कर दिया है। छात्र बिजली, पानी, स्पोर्ट्स जैसी जिन सुविधाओं का उपयोग नहीं कर रहे हैं, उनका शुल्क नहीं लिया जाना चाहिए, साथ ही कुल फीस में वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखकर रियायत देने का प्रावधान होना चाहिए।"(IANS)
नई दिल्ली, 22 अगस्त। केंद्र द्वारा शनिवार सभी राज्यों को अनलॉक 3.0 के नियमों का पालन किए जाने का निर्देश दिया गया है, जिसके चलते अंतर्राज्यीय और राज्य के अंदर व्यक्तियों व सामान के आवागमन पर कोई प्रतिबंध नहीं होनी चाहिए और साथ ही यह भी कहा गया कि इन गतिविधियों के लिए अलग से कोई अनुमति लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला द्वारा सभी मुख्य सचिवों का ध्यान अनलॉक 3.0 के दिशानिर्देशों के पैरा 5 पर आकर्षित करने के लिए एक पत्र लिखा गया है, जिसमें कहा गया है कि किसी भी राज्य के भीतर या एक राज्य से दूसरे राज्य में व्यक्तियों व सामानों के आवागमन पर किसी भी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं होगा।
पत्र में यह भी लिखा गया कि पड़ोसी देशों के साथ समझौते के तहत सीमा पार व्यापार के लिए व्यक्तियों या सामान के आवागमन के लिए अलग से अनुमति, मंजूरी या ई-परमिट की जरूरत नहीं पड़ेगी।
गृह सचिव के पत्र में इस बात का जिक्र किया गया कि ऐसी खबरें मिली हैं कि स्थानीय स्तर पर विभिन्न जिलों व राज्यों द्वारा गतिविधियों पर पांबदियां लगाई जा रही हैं।
पत्र में लिखा गया कि ऐसी पाबंदियों से माल और सेवाओं के अंतर्राज्यीय आवागमन में दिक्कतें आती हैं और इससे आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित होती हैं जिससे आर्थिक गतिविधि व रोजगार में अवरोध पैदा होता है।
पत्र में लिखा गया, "ऐसे प्रतिबंध आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के प्रावधानों के तहत गृह मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के उल्लंघन के समान हैं। कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जाना चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि मंत्रालय के दिशानिर्देशों का पालन हो।"
केंद्र द्वारा 29 जुलाई को देश में अनलॉक 3.0 की प्रक्रिया जारी की गई है। देशभर में कोरोनोवायरस से चलते लगाए गए प्रतिबंधों में ढील देने के इस तीसरे चरण में अंतर्राज्यीय और राज्य के अंदर व्यक्तियों व सामान के आवागमन में राहत दी गई है। 31 अगस्त तक लागू इस मौजूदा प्रक्रिया में सरकार ने रात के वक्त कर्फ्यू को हटा दिया है और योग संस्थानों को फिर से खोलने की अनुमति दी।
सरकार ने कहा कि इस नई प्रक्रिया में अगस्त महीने के अंत तक मेट्रो रेल संचालन और बड़े समारोहों में प्रतिबंध लगा रहेगा और स्कूल, कॉलेज और शैक्षणिक संस्थान भी बंद रहेंगे।(IANS)
नई दिल्ली, 22 अगस्त। नीट और जेईई जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में 27 लाख से अधिक छात्रों को अपनी पसंद का परीक्षा केंद्र चुनने का अवसर दिया गया है। इससे कोरोना संक्रमण के इस दौर में कई छात्रों को प्रवेश परीक्षाएं देने के लिए दूसरे शहरों में नहीं जाना पड़ेगा। हालांकि छात्र इस विकल्प से बहुत ज्यादा संतुष्ट नहीं हैं। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक छात्रों को अपनी पसंद का केंद्र चुनने का विकल्प इसलिए दिया गया, ताकि उन्हें लंबी यात्रा न करनी पड़े और वो अपनी सुविधा के अनुसार परीक्षा केंद्र का चुनाव कर सकें।
गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण के कारण बड़ी संख्या में छात्र इन परीक्षाओं को स्थगित करने की मांग कर चुके हैं। ऐसे ही एक छात्र देवव्रत चतुर्वेदी ने कहा कोरोना के इस दौर में हमें परीक्षा केंद्रों तक पहुंचकर, प्रवेश परीक्षा में शामिल होना होगा। इस दौरान छात्रों को कोरोना से संक्रमित होने का भय है।
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी यानि एनटीए ने इस विषय में एक आधिकारिक सूचना जारी की थी। इस सूचना में एनटीए के महानिदेशक ने कहा नीट परीक्षा में शामिल होने वाले छात्र परीक्षा केंद्र व परीक्षा के शहर का विकल्प चुन सकते हैं। इस बदलाव के लिए एनटीए ने वेबसाइट पर 15 जुलाई तक का समय दिया था।
नीट प्रतियोगी परीक्षा के लिए 16.84 लाख छात्रों ने फॉर्म भरा है। सभी 16.84 लाख छात्र अपनी सुविधा अनुसार फार्म में बदलाव के पात्र हैं।
इसी तरह जेईई की प्रवेश परीक्षा में भी ये सुविधा प्रदान की गई है। राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी यानी एनटीए ने इसके लिए जरूरी प्रावधान किए हैं। इसके अंतर्गत लगभग 10 लाख छात्रों को ये सुविधा उपलब्ध कराई गई है।
एनटीए के मुताबिक छात्रों को परीक्षा केंद्रों की मौजूदगी के आधार पर उनका नजदीकी परीक्षा केंद्र आवंटित किया जाएगा।
कोरोनावायरस के कारण देशभर में जेईई और नीट की परीक्षा देने वाले लाखों छात्रों की अनिश्चितताओं को विराम देते हुए, इन परीक्षाओं की नई तिथियां भी घोषित की गई हैं।
जेईई मेन परीक्षा 1 से 6 सितंबर के बीच होंगी। नीट की परीक्षा 13 सितंबर को होगी। जेईई एडवांस की परीक्षा 27 सितंबर को होगी। पहले जेईई की परीक्षा 18 जुलाई से 23 जुलाई के बीच और नीट की परीक्षा 26 जुलाई को होने वाली थी।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने कहा, "इस महामारी के दौरान हमारी प्राथमिकता छात्रों के स्वास्थ को सुरक्षित रखना है। हम ये सुनिश्चित करेंगे कि परीक्षा आयोजित करवाते समय, गृह मंत्रालय और स्वास्थ मंत्रालय द्वारा दिए गए दिशानिर्देशों का पालन सख्ती से किया जाए, ताकि छात्रों को इस महामारी की चपेट से दूर रखा जाये।"
मंत्रालय ने कहा परीक्षा केंद्रों में सोशल डिस्टेसिंग का भी पूरा पालन किया जायेगा और बाकि सभी ऐहतियाती इंतजाम भी किये जायेंगे।(IANS)
मुंबई, 22 अगस्त। सुशांत सिंह राजपूत की मौत की जांच कर रही सीबीआई की विशेष जांच दल (एसआईटी) शनिवार को अभिनेता के बांद्रा स्थित फ्लैट पर पहुंची, जहां उन्हें 14 जून को फोरेंसिक टीम, उनके फ्लैटमेट सिद्धार्थ पिठानी और कुक नीरज सहित अन्य लोगों ने मृत पाया था। सूत्रों ने कहा, इससे पहले सीबीआई की एक और टीम ने कूपर हॉस्पिटल व बांद्रा पुलिस स्टेशन का दौरा किया। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विभिन्न टीमें अलग-अलग कोण से मामले की छानबीन कर रही है।
एसपी नुपूर प्रसाद की नेतृत्व वाली सीबीआई की एसआईटी फॉरेंसिक टीम के साथ बांद्रा में स्थित मोंट ब्लैंक अपार्टमेंट पहुंची। यहां क्राइम सीन को रीक्रिएट करने के साथ ही टीम पिठानी, नीरज और सुशांत के स्टाफ दीपेश सावंत से 13 व 14 जून के घटनाओं के संदर्भ में पूछताछ भी करेगी।
फोरेंसिक टीम दिवंगत अभिनेता के बांद्रा वाले फ्लैट से सभी साक्ष्य का संग्रह करेगी। एजेंसी के एक सूत्र ने कहा कि विश्लेषण के लिए फॉरेंसिक टीम के साथ फ्लैट और ऑटोप्सी रिपोर्ट की तस्वीरें साझा की जाएंगी।
यह कार्रवाई इसी दिन सीबीआई द्वारा पिठानी और नीरज के बयान दर्ज करने के बाद हुई है। नीरज और पिठानी को आईएएफ के गेस्टहाउस में पूछताछ के लिए लाया गया था, जहां संघीय एजेंसी के अधिकारी ठहरे हुए हैं। शुक्रवार को सीबीआई ने नीरज, सुशांत के हाउस मैनेजर सुमैअल मिरांडा और सावंत से भी पूछताछ की थी।
मिरांडा से पांच और नीरज से दस घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की गई। सूत्र ने कहा कि पिठानी से 13 व 14 जून की घटनाओं को क्रमबद्ध ढंग से बताने से संबंधित सवाल पूछे गए और यह भी पूछा गया कि उस वक्त फ्लैट में किन-किन लोगों की मौजूदगी थी।
बांद्रा फ्लैट में पिठानी से सीबीआई इस बारे में पूछताछ करेगी : सुशांत के कमरे का लॉक खोलने के लिए किसने चाबी वाले को कॉल किया? बॉडी को किसने नीचे उतारा? पुलिस से किसने सबसे पहले बात की? इत्यादि।
इस बीच सीबीआई की एक और टीम बांद्रा पुलिस स्टेशन में उन पुलिस कर्मियों से बात करने के लिए पहुंची, जो 14 जून को ड्यूटी पर थे और कॉल आने के बाद दिवंगत अभिनेता के फ्लैट का दौरा किया था।
एक अलग टीम कूपर हॉस्पिटल पहुंची हुई है, जहां अभिनेता के शव का परीक्षण तीन डॉक्टरों द्वारा किया गया था।(IANS)
नई दिल्ली, 22 अगस्त। मुखौटा कंपनियों के माध्यम से आम आदमी पार्टी(आप) को दो करोड़ रुपये का चंदा देने के मामले में दिल्ली पुलिस की ओर से दो लोगों की गिरफ्तारी पर भाजपा हमलावर हो गई है। भाजपा ने मुख्यमंत्री केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कालेधन से चलने वाली पार्टी कहा है। पार्टी ने दावा किया है कि आम आदमी पार्टी के कालेधन से रिश्तों को लेकर अभी और खुलासे होंगे। पुलिस अधिकारियों ने शुक्रवार को चंदा मामले में गंगा विहार निवासी मुकेश कुमार और लक्ष्मी नगर निवासी सुधांशु बंसल की गिरफ्तारी की थी। सुधांशु बंसल पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट बताए जाते हैं। प्रदेश अध्यक्ष आदेश कुमार गुप्ता ने पार्टी कार्यालय पर शनिवार को प्रेस कांफ्रेंस कर कहा, "जब केजरीवाल ने पार्टी बनाई थी उससे पहले उन्होंने भ्रष्टाचार पर बड़ा जन आंदोलन किया था। लेकिन सत्ता में आने के बाद पता चल रहा है कि वो सिर्फ एक दिखावा था और यह पार्टी काले धन को सफेद करने के लिए बनाई गई थी।"
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने दावा किया कि आने वाले दिनों में और ऐसे खुलासे होंगे जिससे आम आदमी पार्टी के और ऐसे काले धन के मामले सामने आएंगे।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष आदेश कुमार गुप्ता ने दावा किया, "जिन चार फर्जी कम्पनी के चंदे के 2 करोड़ रुपये केजरीवाल की पार्टी को दिए, उसमें इनके सीए सुधांशु बंसल ने आप के राज्यसभा सांसद सुशील गुप्ता, विधायक शिवचरण गोयल की कंपनी में भी पैसे लगाए हैं।"
आदेश गुप्ता ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की इस मामले में खामोशी पर सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या इसी घोटालों की राजनीति को अलग तरह की वह राजनीति कहते थे।
नेता प्रतिपक्ष रामवीर विधूड़ी ने कहा कि 2015 के बाद जो भी चंदा आम आदमी पार्टी के पास आया है उसके ऊपर टैक्स लगना चाहिए। क्योंकि उस पैसे का दुरुपयोग किया गया है। जो फर्जी कम्पनी से पैसे आए हैं वो ईडी को तुरंत जब्त करने चाहिए और तीन सौ प्रतिशत पेनाल्टी लगनी चाहिए।(IANS)
नई दिल्ली, 22 अगस्त। ब्लूम्सबरी इंडिया ने दिल्ली दंगे से जुड़ी किताब के प्रकाशन से अपने हाथ खींच लिए हैं.
पब्लिशर के मुताबिक़ उनकी जानकारी के बिना किताब के बारे में एक ऑनलाइन कार्यक्रम का आयोजन किया गया था जिसमें बीजेपी के नेता और दिल्ली दंगे से पहले भड़काऊ भाषण देने के आरोप झेल रहे कपिल मिश्रा को मुख्य अतिथि बनाया गया था.
प्रकाशक ब्लूम्सबरी इंडिया ने एक प्रेस रिलीज़ जारी करके कहा है कि "फरवरी में हुए दिल्ली दंगों के बारे में इस साल सितंबर में वह 'डेल्ही रायट्स 2020: द अनटोल्ड स्टोरी' प्रकाशित करने वाला था लेकिन लेखकों ने ऐसे लोगों को प्री-लॉन्च इवेंट आमंत्रित किया जिन्हें स्वीकार नहीं किया जा सकता."
ब्लूम्सबरी इंडिया ने अपने बयान में कपिल मिश्रा का नाम लिए बग़ैर कहा, "हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पक्के हिमायती हैं लेकिन समाज के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी को लेकर भी उतने ही सचेत हैं."
किताब को भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव, सांसद और वरिष्ठ नेता भूपेन्द्र यादव ने लाँच किया.
किताब को मोनिका अरोड़ा, सोनाली चितालकर और प्रेरणा मलहोत्रा ने लिखा है.
किताब के लेखकों की प्रतिक्रिया अभी नहीं मिल पाई है.
दिल्ली में 23 से 27 फ़रवरी के बीच दंगे हुए थे जिसमें आधिकारिक तौर पर 53 लोग मारे गए थे.
13 जुलाई को दिल्ली हाईकोर्ट में दिल्ली पुलिस के हलफ़नामे के मुताबिक मरने वालों में से 40 मुसलमान और 13 हिंदू हैं. पुलिस ने दंगों की 751 एफआईआर दर्ज की हैं.(BBCNEWS)
लखनऊ, 22 अगस्त। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ ने शनिवार को सदन में विपक्षियों पर निशाना साधा और कहा कि रामसेतु का विरोध करने वाले रामनाम का जाप करने लगे हैं। इन्हें पता चल गया है कि भारत में राम के बिना वैतरणी पार नहीं होगी। इस दौरान उन्होंने कहा कि, " विभाजनकारी लोग भी राम-राम बोल रहे हैं। हालांकि राम का नाम किसी भी नाम से लें उद्धार होगा, फिर वो परशुराम के नाम पर ही क्यों न हो। परशुराम के नाम में भी राम का नाम आता है।" इसके बाद मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि, "आज जो लोग जाति की राजनीति कर रहे हैं, वो जातिवाद का झंडा ऊंचा कर रहे हैं। यही लोग एक समय में तिलक-तराजू के नाम पर जहर घोलते थे।"
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि, " राम परशुराम में तात्विक रूप से कोई भेद नहीं है। दोनों विष्णु के अवतार हैं। शास्त्र में कोई भेद नहीं है।"
योगी बोले कि, "कुछ लोग राम और परशुराम में भेद बताकर गंदी सियासत करते हैं। जातिवादी, विभाजनकारी, कुत्सित मानसिकता रखते हैं। इसी वजह से देश की खुशी के साथ खुश नहीं हो सकते हैं। देश की खुशी के साथ वही लोग खुश हो सकते हैं जिनमें मर्यादा और धैर्य हो। लोकतंत्र बगैर लोकलाज के नहीं चलता। झूठ का सहारा लेकर कुछ समय के लिए लोगों की आंखों में धूल झोंकी जा सकती है। लेकिन विधाता सब देख रहा है। समय आने पर देश जवाब देगा। जनता जवाब देगी। "
उन्होंने कहा , " सभी को 492 वर्षों से इस क्षण की प्रतीक्षा थी। हम सब बहुत सौभाग्यशाली हैं कि हम इस पल के गवाह बन पाए हैं। इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को ह्रदय से बधाई।"
योगी ने कहा कि, " राम मंदिर का प्रसाद हर राज्य पहुंचेगा। कुम्भ की तरह ही हमारे ब्रांड एम्बेस्डर इसे पहुंचाने का काम करेंगे। इसके लिए हमारे प्रतिनिधि पूरे देश में प्रसाद लेकर जाएंगे। "
मुख्यमंत्री ने सदन में कहा कि, " कोरोना संक्रमण के काल में हम इस महामारी पर अंकुश लगाने के प्रयास के साथ ही प्रदेश में विकास कार्य को भी गति देते रहे। प्रदेश की कानून-व्यवस्था हमारी प्राथमिकता थी और रहेगी। हमें जिनके साथ जैसा व्यवहार करना चाहिए था, वैसा ही किया है।"
मुख्यमंत्री कहा कि, " हमने यूपी के लोगों को कोरोना से बचाने में महत्वपूर्ण काम किया है। दिल्ली के कुछ नमूने यहां आकर पूछते हैं, कि आपने लोगों के लिए क्या किया। अब हम उन्हें क्या बताएं हमने क्या-क्या किया।"
मुख्यमंत्री ने दिल्ली और यूपी के आंकड़ों के साथ उदाहरण पेश किया।
बताया जा रहा है मुख्यमंत्री ने इशारे ही इशारे में आप सांसद संजय सिंह पर निशाना साधा है। कुछ दिन से संजय सिंह लखनऊ में योगी सरकार पर लगातार हमला बोल रहे थे।
आदित्यनाथ ने कहा कि, "हमने प्रदेश की कानून-व्यवस्था दुरुस्त रखने की खातिर काफी जगह पर सख्ती भी की है। उपद्रव करने वालों को नहीं छोड़ा है।"(IANS)
नई दिल्ली, 22 अगस्त। कोविड-19 महामारी के बीच दिल्ली के एक निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने 52 साल की एक महिला के शरीर से 50 किलोग्राम वजनी ओवेरियन ट्यूमर निकालने में कामयाब हुए। इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स ने कहा कि स्थानीय निवासी एक महिला लक्ष्मी (बदला हुआ नाम) को हाल ही में सांस लेने में कठिनाई, पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द और चलने-फिरने और सोने में दिक्कत होने लगी थी।
जांच करने पर पता चला कि महिला के अंडाशय (ओवरी) में एक बड़ा और विस्तारित हो रहा ट्यूमर था। ट्यूमर बढ़ने के कारण महिला की आंतों पर दबाव बढ़ रहा था, जिससे महिला को पेट में दर्द और भोजन को पचाने में समस्या पैदा हो रही थी।
सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी एंड बेरिएट्रिक सर्जरी के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. अरुण प्रसाद ने कहा, "एक सर्जन के रूप में मेरे अनुभव के 30 से अधिक सालों में मैंने कभी भी ऐसा मामला नहीं देखा था, जहां ट्यूमर का वजन व्यक्ति के वजन का लगभग आधा हो।"
बीते कुछ महीनों से महिला का वजन बढ़ रहा था। उसका वजन कुल 106 किलोग्राम था। इसके अलावा, रोगी के शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर गिरकर छह तक पहुंच गया था, जिससे गंभीर एनीमिया की समस्या हो गई। सर्जनों की एक टीम ने इस सप्ताह 50 किलो के ट्यूमर को निकालने के लिए साढ़े तीन घंटे की सर्जरी की।
प्रसाद ने कहा, "लेप्रोस्कॉपी या रोबोट-सहायक विधियों के माध्यम से उपकरण को शरीर के अंदर भेजने के लिए पेट में जगह ही नहीं थी, इसलिए हमें सर्जरी के पारंपरिक तरीकों का सहारा लेना पड़ा।"
उन्होंने आगे कहा, "गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, स्त्री रोग विशेषज्ञ और एनेस्थिसियोलॉजी टीमों के विशेषज्ञों के संयुक्त प्रयास से ऑपरेशन सफलतापूर्वक किया गया।"
इस मामले के एक प्रमुख सर्जन, डॉ. अभिषेक तिवारी ने कहा, "सौभाग्य से ट्यूमर नर्म था और रोगी को कोई और बीमारी नहीं थी, जिस वजह से वह तेजी से रिकवर कर गई। सर्जरी के बाद उनका वजन 56 किलोग्राम तक गिर गया।"(IANS)
नई दिल्ली, 22 अगस्त (वार्ता)। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए शनिवार को कहा कि सच को लाख कोशिश के बाद भी छिपाया नहीं जा सकता।
श्री गांधी ने सरकार के राफेल से जुड़ी सूचना कैग को नहीं देने संबंधी एक अखबार में छपी खबर का हवाला देते हुए कहा कि सरकार राफेल घोटाले पर पर्दा डालने का प्रयास कर रही है और तथ्य छिपा रही है।
उन्होंने ट्वीट किया, राफेल के लिए भारत सरकार के खजाने से पैसा चुराया गया। इसके साथ ही उन्होंने सच को लेकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के एक कथन का उद्धरण करते हुए लिखा, सच एक है, रास्ते कई हैं।
उन्होंने राफेल विमान के चित्र के साथ ही इस संबंध में छपी खबर को पोस्ट किया जिसमें कहा गया है कि नियन्त्रक एवं महालेखा परीक्षक-कैग ने राफेल ऑफसेट सौदे को लेकर सरकार को रिपोर्ट सौंपी है जिसमे राफेल पर हुए खर्च का कोई ब्यौरा नहीं है क्योंकि रक्षा मंत्रालय ने कैग को इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी है।
नई दिल्ली, 22 अगस्त (आईएएनएस)| माइक्रोसॉफ्ट के शोधकर्ताओं ने खुलासा किया है कि किस कदर महामारी के दौरान लोगों की ख्वाहिशें बदली हैं। एक ऐसे वक्त में बुनियादी जरूरतों पर ज्यादा जोर देखा गया है। वेंचरबीट की रिपोर्ट के मुताबिक, माइक्रोसॉफ्ट सर्च इंजन बिंग के आंकड़ों का इस्तेमाल करते हुए टीम ने महामारी के दौरान लोगों की शारीरिक, सामाजिक-आर्थिक और मनोवैज्ञानिक आवश्यकताओं में बदलाव को चिह्न्ति करने के लिए एक रूपरेखा तैयार की।
अमेरिका में करीब-करीब 36,000 जिप कोड के दरमियान इस रूपरेखा को 3500 करोड़ बिंग वेब सर्च पर लागू किया गया जिसके बाद शोधकतार्ओं को इंसान की बदलती आदतों के बारे में पता लगा।
इस रूपरेखा के तहत इंजन पर सर्च की गई चीजों को कुछ श्रेणियों में वगीर्कृत किया गया जैसे कि वास्तविक, संज्ञानात्मक, सामाजिक/भावनात्मक, सुरक्षात्मक और शारीरिक आवश्यकताएं।
करीब 9.1 प्रतिशत यानि कि 320 सर्च सही में जरूरत की चीजों के बारे में की गई।
शोधकतार्ओं ने पाया कि डिग्री, जॉब सर्च, जॉब और हाउसिंग साइट्स के बारे में खोज में 34 फीसदी तक की गिरावट आई है और यह अब भी बरकरार है।
रिसर्च के मुताबिक, महामारी के शुरूआती चार हफ्तों में शारीरिक और सुरक्षा आवश्यकताओं की खोज में काफी इजाफा देखा गया। टॉयलेट पेपर की खरीददारी में 127 गुना तक की वृद्धि देखी गई, साथ ही कर्ज माफ को लेकर यूजर्स द्वारा किए गए खोज में भी आधार रेखा से 287 गुना तक की बढ़ोत्तरी देखी गई और ऐसा कम से कम जुलाई के महीने तक तो बरकरार रहा।
इस रूपरेखा का उपयोग इस बात का निर्धारण करने के लिए भी किया जा सकता है कि कोई समुदाय किस हद तक सामाजिक और आर्थिक संकट झेल सकता है और साथ ही कमजोर वर्गों पर नीतियों के प्रभाव में असमानताओं की जांच करने के लिए भी इसका उपयोग किया जा सकता है।
नई दिल्ली, 22 अगस्त (आईएएनएस)| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी वित्तीय परियोजनाएं लागू करने में महती भूमिका निभाने वाले पूर्व वित्त सचिव राजीव कुमार शुक्रवार को निर्वाचन आयुक्त नियुक्त किए गए। वह अशोक लवासा का स्थान लेंगे। कानून एवं न्याय मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, वर्ष 1984 बैच के झारखंड कैडर के आईएएस अधिकारी राजीव कुमार की नियुक्ति अशोक लवासा से पदभार ग्रहण करने की तिथि से प्रभावी होगी। लवासा का इस्तीफा 31 अगस्त,2020 से प्रभावी माना जाएगा।
लवासा ने अपना इस्तीफा मंगलवार को राष्ट्रपति को भेजा था।
भुवनेश्वरः ओडिशा के ढेंकानाल जिले में बीते दो सप्ताह में 40 दलित परिवारों का सामाजिक बहिष्कार करने का मामला सामना आया है. दलित परिवार की एक लड़की द्वारा एक घर के आंगन से फूल तोड़ने की वजह से ऐसा किया गया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, यह घटना ढेंकानाल के कांतियो कतेनी गांव की है, जहां लगभग दो महीने पहले 15 साल की एक दलित किशोरी द्वारा कथित उच्च जाति के एक परिवार के आंगन से फूल तोड़ लिए गए थे.
स्थानीय लोगों का कहना है कि उस परिवार की आपत्ति के बाद यह मामला दो समुदायों के बीच टकराव के रूप में तब्दील हो गया, जिसके बाद गांव के सभी 40 दलित परिवारों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया.
किशोरी के पिता निरंजन नाइक का कहना है, ‘हमने तुरंत माफी मांग ली थी, ताकि इस मामले को सुलझाया जा सके लेकिन इसके बाद कई बैठकें हुईं, जिसमें उन्होंने हमारा बहिष्कार करने का फैसला किया. किसी को भी हमसे बात करने की मंजूरी नहीं है. हमें गांव के किसी भी सामाजिक कार्यक्रम में हिस्सा लेने की अनुमति नहीं है.’
बता दें कि इस गांव में लगभग 800 परिवार हैं, जिसमें से 40 परिवार अनुसूचित जाति नाइक समुदाय के हैं.
पीड़ित समुदाय ने इस संबंध में 17 अगस्त को जिला प्रशासन और पुलिस थाने को ज्ञापन सौंपा था.
एक ग्रामीण ज्योति नाइक का आरोप है, ‘स्थानीय सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) से हमें राशन नहीं मिल रहा और किराना स्टोर मालिकों ने हमें सामान बेचना बंद कर दिया है, जिसके बाद हमें जरूरी सामान खरीदने के लिए पांच किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है. गांव वालों ने हमसे बात करना भी बंद कर दिया है.’
इस ज्ञापन में कहा गया है कि यह सुनिश्चित किया गया है कि हमें गांव में काम न मिले, इसलिए हमें काम के लिए बाहर जाना पड़ेगा. हमारे समुदाय के अधिकतर लोग कम पढ़े-लिखे और अनपढ़ हैं और गांव के ही खेतों में काम करते हैं.
समुदाय के लोगों का आरोप है कि शादियों या अंतिम संस्कार के लिए गांव की सड़कों पर समुदाय के लोगों के जमा नहीं होने को लेकर भी चेतावनी दी गई है.
ज्ञापन में कहा गया है, ‘एक फरमान भी जारी किया गया है, जिसमें कहा गया है कि हमारे समुदाय के बच्चे स्थानीय सरकारी स्कूल में नहीं पढ़ सकते. यहां तक कि हमारे समुदाय के शिक्षकों से भी कहीं और तबादला कराने को कहा गया है.’
गांव के सरपंच और ग्राम विकास समिति के सदस्यों ने इस बात पर सहमति जताई है कि ग्रामीणों से इस समुदाय के लोगों से बात नहीं करने को कहा गया है, हालांकि समिति और सरपंच ने अन्य आरोपों से इनकार किया है.
ग्राम विकास समिति के सचिव हरमोहन मलिक का कहना है, ‘यह सच है कि गांव के लोगों से इनसे बात नहीं करने को कहा गया है और ऐसा इनकी गलती की वजह से हुआ है लेकिन अन्य आरोप आधारहीन हैं.’
गांव के सरपंच प्रणवबंधु दास का कहना है, ‘यह अंतर सामुदायिक मामला है और हम इसे सुलझा लेंगे. बहुसंख्यक समुदाय की समस्या है कि अल्पसंख्यक समुदाय उन्हें झूठे मामलों में फंसाता है और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत पुलिस में शिकायत दर्ज कराता है.’
वे आगे कहते हैं, ‘जिस घटना की वजह से यह हुआ, उससे विवाद खड़ा हो गया था. कुछ दिनों के लिए समिति के फैसले के अनुसार बहुसंख्यक समुदाय ने दलित समुदाय के लोगों से बात करना बंद कर दिया. अब स्थिति सामान्य हो रही है.’
ग्रामीणों का कहना है कि ज्ञापन सौंपे जाने के बाद दो दौर की शांति बैठकें हुईं, लेकिन मामले को सुलझाया नहीं जा सका.
कामाख्या नगर उपखंड के सब-कलेक्टर बिष्णु प्रसाद आचार्य का कहना है, ‘पीड़ित समुदाय ने स्थानीय पुलिस से संपर्क किया था, लेकिन वह इस फैसले से खुश नहीं थे इसलिए वे मेरे पास आए. मैंने उन्हें उपविभागीय पुलिस अधिकारी के पास जाने को कहा. मैं दोनों समुदायों के बीच शांति बैठक भी कराऊंगा और इस मामले को सुलझाने की कोशिश करूंगा.’
तुमसिंगा पुलिस स्टेशन के प्रभारी इंस्पेक्टर आनंद कुमार डुंगडुंग का कहना है, ‘हमने इसे सुलझाने की कोशिश की. वे समझौता करना चाहते हैं और इस मामले को और बढ़ाना नहीं चाहते इसलिए हमने एफआईआर दर्ज नहीं की. हमने दोनों समुदायों के नेताओं की एक बैठक बुलाई है. अगर वे मामले को नहीं सुलझाते हैं तो हम एफआईआर दर्ज करेंगे.(thewire)
भारत की ज़मीन पर निर्माण कार्य कर रही है चीनी सेना
चीनी घुसपैठ के मामले में प्रधानमंत्री और सत्तारूढ़ दल के प्रवक्ता चाहे जो कहें, लद्दाख में बीजेपी के पूर्व प्रमुख और जम्मू-कश्मीर सरकार में मंत्री रह चुके शेरिंग दोर्जे का साफ़ मानना है कि चीन सीना न केवल भारतीय ज़मीन पर काबिज है, वह नहीं लौटने वाली है। उन्होंने यह भी कहा है कि चीनी सेना स्थायी निर्माण कर रही है, यह दूर से बिल्कुल साफ़ दिख रहा है।
शेरिंग दोर्जे महबूबा मुफ़्ती की पीडीपी-बीजेपी सरकार में लद्दाख मामलों और सहकारिता के मंत्री थे। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, 'हमारे लोगों ने साफ़ देखा है कि चीनी सेना के बुलडोज़र वहां चल रहे हैं, सड़क बनाने का काम चल रहा है, हमारे गाँवों के बिल्कुल उस पार सबकुछ साफ़ दिख रहा है।'
शेरिंग दोर्जे ने कहा, -'चीनी सेना ने बग़ैर एक भी गोली चलाए इस इलाक़े पर कब्जा कर लिया है, स्थायी निर्माण कर रहे हैं और लगता है कि वह अब वहाँ से नहीं लौटेगी।'
पीएलए का कब्जा
उन्होंने यह भी कहा कि यदि पीपल्स लिबरेशन आर्मी को विवाद शुरू होने के पहले की स्थिति तक नहीं धकेला गया तो वे लोग इसी तरह लद्दाख की ज़मीन पर कब्जा करते रहेंगे।
बीजेपी के लद्दाख प्रमुख ने कहा कि चीनियों के काम करने का तरीका यह है कि वे पहले अपने चरवाहों को भारतीय सीमा में भेजते हैं और उनके पीछे-पीछे उनके सैनिक आते हैं।
भारतीयों के काम करने का तरीका उलटा है। वे अपने चरवाहों को चीनी इलाक़े तो क्या, भारतीय इलाक़ों में भी नहीं जाने देते हैं।
भारत का रवैया ढीला
दोर्जे ने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास तैनात इंडो टिबेटन बॉर्डर पुलिस का रवैया ऐसा होता है कि वे कभी भी चीनी सैनिकों को चुनौती देने की हिम्मत नहीं करते हैं। चीनी चरवाहे आएं तो उन्हें पीछ जाने को नहीं कहते, चीनी सैनिक आ जाएं तो वे खामोश रहते हैं।
ऐसा नहीं होता है कि चीनी सैनिकों के अंदर दाखिल होने पर वे वहां जाकर उन्हें पीछे हटने को कहें या उन्हें चुनौती दें। भारतीय सुरक्षा बलों की कुल मिला कर कोशिश यह रहती है कि जब तक वे वहां तैनात है, सबकुछ शांति से निकल जाए और जब अगली टीम पहुँचे तो वह अपने हिसाब से जो करना हो करे।
दोर्जे ने कहा,भारतीय सुरक्षा बलों के लोग हर बार चीनी घुसपैठ को हल्के में लेते हैं या कम कर आँकते हैं। चीनी सैनिक हर बार थोड़ा आगे बढ कर थोड़ी सी भारतीय जमीन पर कब्जा कर लेते हैं।
नतीजा यह हुआ है कि भारत के चरवाहे 15 साल पहले तक जहां जाकर अपनी पशमीना बकरियों या याक को चराया करते थे, उन इलाक़ों पर चीनियों का कब्जा हो चुका है।
वह आशंका जताते हैं कि इस बार भी शायद ऐसा ही हो, चीनी सैनिक इस बार भी पीछे न हटें।
यह स्थिति तब है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साफ़ तौर पर कह चुके हैं कि कोई विेदेशी न तो भारतीय सीमा में घुसा है न ही घुस कर बैठा हुआ है।
दूसरी ओर, गुरुवार को ही भारत और चीन के बीच सैनिकों हटाने के मुद्दे पर राजनयिक स्तर की बातचीत होनी है। यह बातचीत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए होगी, जिसमें दोनों पक्षों के चोटी के राजनयिक भाग लेंगे। इसके पहले भी कई दौर की राजनयिक, राजनीतिक व सैनिक स्तर की बातचीत हो चुकी है। इतना ही नहीं, चीन में तैनात भारतीय राजदूत विक्रम मिस्री ने चीन के मिलिटरी कमीशन के बहुत बड़े अधिकारी से बात की, पर नतीजा नहीं निकला।(satyahindi)
नई दिल्ली, 22 अगस्त (आईएएनएस)| एक वकील ने न्यायपालिका की अवमानना मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण के खिलाफ चल रहे मुकदमे की कार्यवाही का सीधा प्रसारण (लाइव टेलीकास्ट) किए जाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। भूषण पर जून में किए गए ट्वीट के लिए न्यायपालिका की अवमानना का आरोप है और इसके लिए शीर्ष अदालत द्वारा स्वत:संज्ञान लिया गया है।
अधिवक्ता अमृतपाल सिंह खालसा ने दलील दी है कि इस अवमानना मामले का पर्याप्त प्रभाव बार और बेंच के संबंध में न केवल भारत, बल्कि दुनियाभर में हो सकता है।
प्रार्थी ने दलील दी है कि तत्काल अवमानना मामला सुप्रीम कोर्ट की स्थापना के बाद से सबसे सनसनीखेज मामला है, जो प्रिंट और डिजिटल मीडिया के हाथों प्रशांत भूषण मामले का प्रक्षेपण, उनके और उनके कृत्यों का गुणगान करने के अलावा और कुछ नहीं है, जो विधि व्यवस्था के सम्मान और प्रतिष्ठा को कम करता है।
खालसा ने शीर्ष अदालत से 25 अगस्त को लाइव टेलीकास्ट और कोर्ट की कार्यवाही की वीडियोटेपिंग सुनिश्चित करने का आग्रह किया, खासतौर पर आदेश के ऐलान के वक्त ऐसा करने की अपील की गई है।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि एक समर्थक वर्ग (लॉबी) है, जिसमें भूषण संस्थापक सदस्यों में से एक हैं, जिसका उद्देश्य संस्था को अस्थिर करना है और न्यायालय से अनुकूल आदेश प्राप्त नहीं होने पर सबसे कम संभव स्तर की आलोचना करना है। खालसा कहते हैं कि इस समर्थक वर्ग ने पिछले दिनों से मुख्य न्यायाधीशों को भी निशाना बनाया था।
खालसा ने भूषण की सुनवाई के लाइव टेलीकास्ट और वीडियो रिकॉर्डिग में किए गए खर्च का भुगतान करने का भी दायित्व लिया है, जो 25 अगस्त को नियत है।
आवेदक ने आगे कहा कि इस अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों ने प्रशांत भूषण को समर्थन दिया है। न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ (रिटायर्ड) ने भी अवमानना मामले की सुनवाई कर रही पीठ पर सवाल उठाया है और अवमानना के लिए एक अंतर-अदालत अपील का सुझाव दिया है।
शीर्ष अदालत ने 14 अगस्त को न्यायपालिका की आलोचना करने वाले ट्वीट के लिए सामाजिक कार्यकर्ता एवं वकील भूषण को अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया था।
जून के अंत में, भूषण ने अपनी राय व्यक्त करने के लिए ट्वीट किया था कि भारत के पिछले चार मुख्य न्यायाधीशों की कार्रवाई या निष्क्रियता ने औपचारिक आपातकाल के बिना भी देश में लोकतंत्र के विनाश में योगदान दिया है।
शीर्ष अदालत ने 20 अगस्त को प्रशांत भूषण को बिना शर्त माफी मांगने के लिए 24 अगस्त तक का समय दिया और उन्हें उनके बयान पर पुनर्विचार करने को कहा है।
नई दिल्ली, 22 अगस्त (आईएएनएस)| देश में उठे फेसबुक विवाद के बीच कांग्रेस सांसद शशि थरूर को आईटी मामलों की संसदीय स्थायी समिति के चेयरमैन पद से हटाने की मांग उठी है। इस बीच थरूर की ओर से भाजपा सांसद के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिए जाने के बाद थरूर के कदमों को रोकने के लिए भगवा पार्टी दो योजनाओं के साथ तैयार है, जिसमें से पहला कदम पहले से ही गतिमान है।
चलिए प्लान बी के बारे में बात करते हैं। अगर प्लान ए वांछित परिणाम नहीं देता है, तो भाजपा की ओर से एक सितंबर को प्रस्ताव में बैकअप योजना निर्धारित करने की संभावना है, जब आईटी पर स्थायी समिति का पुनर्गठन होगा। फेसबुक के प्रतिनिधियों को अगले दिन शाम चार से 4.30 बजे के बीच तलब किया गया है। इस विषय पर 'नागरिकों के अधिकारों की रक्षा और सामाजिक/ऑनलाइन समाचार मीडिया प्लेटफार्मों के दुरुपयोग की रोकथाम' नियम में किसी भी सदस्य को इस कदम पर सवाल उठाने और उस पर मतदान करने की अनुमति है।
समिति में शामिल 21 लोकसभा सदस्यों में से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 12 और एक सहयोगी सदस्य हैं। वहीं 10 राज्यसभा सदस्यों में से एक का निधन हो गया है और अब इनमें से केवल नौ बचे हैं। इन नौ में से भाजपा के तीन सदस्य हैं और एक नामित सदस्य का वोट मिलने की भी उम्मीद है।
भाजपा के 30 सदस्य पैनल में खुद के दम पर 15 सदस्य हैं। अगर यह सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) और एक मनोनीत सदस्य को अपने पाले में कर लेती है तो सत्तारूढ़ दल के पास 17 वोट होंगे। वोटिंग असामान्य नहीं है, यह देखते हुए कि पिछली बार व्हाट्सएप स्नूपिंग का मुद्दा सामने आया था, जिन्होंने प्रतिनिधियों को बुलाने का विरोध किया था। हालांकि, भाजपा ने वह राउंड गंवा दिया था। लेकिन इस बार, भाजपा ने अपने अंकगणित पर काम करना शुरू कर दिया है।
हालांकि लक्ष्य बी पर रुझान नहीं है। भाजपा के प्लान ए में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी स्थायी समिति के अध्यक्ष थरूर को रोकना है, जिन्होंने समिति में फेसबुक के प्रतिनिधियों को दो सितंबर को समिति में समन दिया है।
समिति में थरूर के सहयोगी और थरूर के कदम के प्रति भाजपा के विरोध का सामना करते हुए, निशिकांत दुबे ने बिरला को पत्र लिखकर योजना ए के लिए प्रस्ताव तैयार किया है, जहां उन्होंने आचरण संबंधी नियम 283 को लागू करने का आग्रह किया है।
नियम कहता है कि स्पीकर (अध्यक्ष) समय-समय पर एक समिति के अध्यक्ष को ऐसे निर्देश जारी कर सकता है, जैसा कि स्पीकर प्रक्रिया और अपने काम के संगठन को विनियमित करने के लिए आवश्यक समझता है।
सरल शब्दों में कहें तो स्पीकर थरूर को रोकने के लिए कदम उठा सकते हैं, अगर वह परिस्थिति के अनुसार सटीक बैठता है।
दुबे ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, "समिति में किसी को भी बुलाने के लिए हस्ताक्षर करने वाला प्राधिकारी महासचिव होता है, जो लोकसभा अध्यक्ष और अध्यक्ष को रिपोर्ट करता है और किसी को रिपोर्ट नहीं करता है।"
अध्यक्ष की इस अतिव्यापी शक्ति पर बल देते हुए, दुबे ने थरूर के कथित दुराचार के उदाहरणों का हवाला दिया है, जिसमें कथित रूप से समिति के सदस्यों को दरकिनार करना शामिल है।
कई भाजपा सदस्यों ने हालांकि स्वीकार किया है कि थरूर को हटाना स्पीकर के लिए भी आसान काम नहीं है।
नई दिल्ली, 21 अगस्त (आईएएनएस)| भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) और संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) को दिवाली तक स्थगित करने के लिए शिक्षा मंत्रालय को निर्देश देने की मांग की है। उन्होंने चेताया है कि अगर ऐसा नहीं होता है तो विद्यार्थी आत्महत्या का रास्ता अपनाएंगे। मोदी को लिखे अपने महत्वपूर्ण पत्र में स्वामी ने कहा, "मेरी राय में परीक्षा आयोजित करने से देश भर के युवाओं द्वारा बड़ी संख्या में आत्महत्याएं किए जा सकती हैं।"
उन्होंने सार्वजनिक परिवहन की सुविधा नहीं होने का हवाला भी दिया।
स्वामी ने मुंबई का एक उदाहरण देते हुए दावा किया, "कोई सार्वजनिक परिवहन नहीं है और लोगों को अन्य क्षेत्रों से आना पड़ता है, अक्सर 20 से 30 किलोमीटर दूर से।" उन्होंने तर्क देते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण कई स्थानों पर लागू प्रतिबंधों के कारण ऐसी स्थिति है।
इससे पहले राज्यसभा सांसद स्वामी ने शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल से भी परीक्षाएं स्थगित करने का आग्रह किया था। उन्होंने इसका जिक्र करते हुए पत्र में कहा कि दिवाली तक परीक्षाएं स्थगित करने के सुझाव के प्रति पोखरियाल को भी सहानुभूति है। उन्होंने कहा कि हालांकि इसे प्रधानमंत्री की सहमति की जरूरत है।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कोरोनावायरस प्रकोप का हवाला देते हुए दोनों प्रवेश परीक्षाओं को स्थगित करने की याचिका खारिज कर दी थी। अदालत ने कहा कि वायरस के प्रकोप के बावजूद जीवन गुजर रहा है और सितंबर में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के फैसले में दखल देकर वह छात्रों के करियर को खतरे में नहीं डाल सकता है।
कोरोना वायरस के चलते नीट और जेईई मेन परीक्षाओं को दो बार स्थगित किया जा चुका है। पहले ये परीक्षाएं मई में होनी थीं, जिन्हें बाद में जुलाई में करवाने का फैसला किया गया। हालांकि संक्रमण के बढ़ते मामलों के मद्देनजर नीट और जेईई मेन की परीक्षाएं सितंबर में कराने का फैसला किया गया। अब जेईई मेन की परीक्षाएं एक से छह सितंबर और नीट की परीक्षा 13 सितंबर को आयोजित की जानी है।
कायद नाजमी
मुंबई, 21 अगस्त (आईएएनएस)| सीबीआई जहां सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले की जांच शुरू कर चुकी है, वहीं महाराष्ट्र में इस मुद्दे पर सियासत अभी भी जारी है। हाउसिंग मंत्री जितेन्द्र अवहाद ने शुक्रवार को अनुमान लगाते हुए कहा कि बिहार डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे राज्य की नई सरकार में गृहमंत्री होंगे।
वरिष्ठ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी नेता अवहाद ने ट्वीट कर कहा, "मान लेते हैं कि नीतीश कुमार मुख्यमंत्री के रूप में फिर से वापसी करते हैं, बिहार के डीजीपी(पांडे) राज्य के निश्चित ही गृहमंत्री होंगे।"
यहां तक की सत्तारूढ़ शिवसेना ने भी पुलिस अधिकारी पर निशाना साधा और कहा कि 'सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उनके चेहरे पर असीम आनंद को देखा जा सकता था।'
शिवसेना के सांसद संजय राउत ने कहा कि कैसे पांडे ने इस निर्णय को 'अन्याय के खिलाफ न्याय की जीत' बताया था और कहा कि 'आईपीएस अधिकारी पटना में 19 अगस्त को मीडिया के सामने केवल भाजपा का झंडा लहरा रहे थे।'
राउत ने कहा कि मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ साजिश की गई है। इसके साथ ही उन्होंने नीतीश कुमार पर भी फैसले के बाद प्रतिक्रिया के तरीके पर भी निशाना साधा और कहा कि उनकी प्रतिक्रिया एक 'चुनाव जीतने के भाषण' की तरह थी।
राउत ने कहा, "बिहार में, हत्या के कई मामलों को सीबीआई को सुपूर्द किया गया है-कितने वास्तविक आरोपी अबतक पकड़े गए हैं? जो लोग मुंबई पुलिस पर अंगुली उठा रहे थे, उन्हें एकबार सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को पढ़ना चाहिए। महाराष्ट्र के पास देश में सबसे अच्छी कानून व्यवस्था है और किसी को भी हमें इस बारे में शिक्षा नहीं देनी चाहिए।"
राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने भी जोर देकर कहा कि सुशांत मामले की जांच नरेंद्र दाभोलकर की तरह नहीं होनी चाहिए।
नई दिल्ली, 21 अगस्त (आईएएनएस)| चुनाव आयोग ने कोरोना काल में चुनावों और उपचुनावों को कराने के लिए गाइडलाइंस जारी की है। जनसंपर्क, जनसभाओं से लेकर मतदान तक सोशल डिस्टेंसिंग की कड़ी शर्तों का पालन करना होगा। गाइडलाइंस जारी होने से यह स्पष्ट हो गया है कि बिहार में चुनाव समय पर ही होंगे। आयोग ने राजनीतिक दलों के सुझावों पर विचार करने के बाद आगामी चुनावों के लिए यह गाइडलाइंस जारी की है। शर्तों के मुताबिक प्रत्याशी सहित सिर्फ दो लोग ही नामांकन के लिए जा सकेंगे। वहीं प्रत्याशी सहित सिर्फ 5 लोग ही डोर टू डोर जनसंपर्क कर सकेंगे।
जनसभाओं के लिए जिला निर्वाचन अधिकारी उपयुक्त मैदान चिह्न्ति करेंगे। जहां एंट्री और एग्जिट के उचित व्यवस्था होगी। सोशल डिस्टेंसिंग के साथ ही सभाएं होंगी।
चुनाव आयोग ने शुक्रवार को जारी गाइडलाइंस में कहा है कि कोरोना से बचाव के लिए गृह मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से समय-समय पर दिशा-निर्देश जारी होते हैं। आयोग ने बीते 17 जुलाई को सभी राजनीतिक दलों से चुनावों के संचालन को लेकर 31 जुलाई तक सुझाव मांगे थे। उनके अनुरोध पर आयोग ने 11 अगस्त तक तारीख बढ़ा दी थी। राजनीतिक दलों की ओर से इलेक्शन कैंपेनिंग और जनसभाओं को लेकर आए सुझावों पर विचार करने के बाद गाइडलाइंस जारी हुई।
आयोग के दिशा निर्देशों के मुताबिक, मतदान व्यवस्था से जुड़े हर व्यक्ति को मास्क पहनना जरूरी होगा। अगर वोटर पोलिंग सेंटर पर बगैर मास्क के मिलेगा तो उसे उपलब्ध कराया जाएगा। मतदान केंद्र के प्रवेश द्वार पर थर्मल स्कैनिंग मशीन होगी। सैनिटाइजर, साबुन, पानी भी उपलब्ध होगा। गृह मंत्रालय और राज्य सरकार की ओर से जारी गाइडलाइंस के अनुसार सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करनी होगी।
चुनाव आयोग ने कोविड 19 मैनेजमेंट के लिए राज्य, जिला और विधानसभा स्तर पर नोडल हेल्थ अफसर की तैनाती के निर्देश दिए हैं। ईवीएम के इस्तेमाल से पहले मतदाताओं को सैनिटाइजर दिया जाएगा। सभी मतदान कर्मियों को दस्ताने दिए जाएंगे। मतदान अधिकारियों की ट्रेनिंग ऑनलाइन होगी। ज्यादा संख्या में कर्मचारी रिजर्व रखे जाएंगे।
एक मतदान केंद्र पर सिर्फ एक हजार वोटर्स ही वोट देंगे। पहले यह संख्या 1500 थी। मतदान से पहले पूरे पोलिंग स्टेशन को सैनिटाइज किया जाएगा। जो मास्क नहीं पहनकर आएंगे उन्हें मास्क उपलब्ध कराया जाएगा। पोलिंग अफसर को कोविड 19 की किट भी मिलेगी, जिसमें मास्क, सैनिटाइजर, फेस शील्ड और ग्लव्स भी रहेगा।
नवनीत मिश्र
नई दिल्ली, 21 अगस्त (आईएएनएस)| देश में जातीय भेदभाव मिटाने की दिशा में चल रहे विश्व हिंदू परिषद के प्रयास को बड़ी सफलता हासिल हुई है। देश में पांच हजार दलितों को पुजारी बनाने में विहिप सफल हुआ है। ऐसा संगठन ने आईएएनएस से दावा किया है। विहिप की कोशिशों से ज्यादातर पुजारी सरकारी देखरेख में संचालित मंदिरों के पैनल में भी शामिल हुए हैं। विश्व हिंदू परिषद का कहना है कि सामाजिक समरसता की दिशा में यह अभियान लगातार चल रहा है। विश्व हिंदू परिषद 'हिंदू मित्र परिवार योजना' और 'एक मंदिर, एक कुआं, एक श्मशान-तभी बनेगा भारत महान' की योजना पर भी लगातार काम कर रहा है।
विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने शुक्रवार को आईएएनएस से कहा, दक्षिण भारत में इस अभियान को बड़ी सफलता मिली है। यहां के राज्यों में दलित पुजारियों की संख्या ज्यादा है। सिर्फ तमिलनाडु में ही ढाई हजार दलित पुजारी विहिप की कोशिशों से तैयार हुए हैं। आंध्र प्रदेश के मंदिरों में भी दलित पुजारियों की अच्छी-खासी संख्या है। पूरे देश में 5 हजार से अधिक दलित पुजारियों को विहिप ने तैयार किया है। यह संगठन की बड़ी सफलता है।
दलित पुजारियों को तैयार करने वाले इस अभियान के संचालन के लिए विहिप में दो विभाग काम करते हैं। अर्चक पुरोहित विभाग और सामाजिक समरसता विभाग मिलकर इस पूरे अभियान को चला रहे हैं। धर्म-कर्म में रुचि रखने वाले दलितों को पूरे विधि-विधान से पूजन-अर्चन करने की पद्धति सिखाई जाती है। फिर उन्हें सर्टिफिकेट भी मिलता है।
विहिप प्रवक्ता विनोद बंसल के मुताबिक, दक्षिण भारत के दलित पुजारियों को आंध्र प्रदेश स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर की ओर से प्रमाणपत्र मिला है। यह प्रमाणपत्र धार्मिक कार्यों के संचालन की दीक्षा सफलतापूर्वक हासिल करने के बाद उन्हें मिला है।
विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारियों का कहना है कि वर्ष 1964 में स्थापना के पांच वर्ष बाद से ही संगठन देश से अस्पृश्यता दूर करने की दिशा में काम कर रहा है। कर्नाटक के उडुपी में वर्ष 1969 में हुए धर्म संसद में अस्पृश्यता दूर करने का संकल्प लिया गया था। उस दौरान संतों ने देश को 'न हिन्दू पतितो भवेत' का संदेश दिया था। जिसका मतलब था कि सभी हिंदू भाई-भाई हैं, कोई दलित नहीं है।
दलितों को मुख्यधारा में लाने की कोशिशों के तौर पर 1994 में काशी में हुई धर्म संसद का निमंत्रण डोम राजा को देने विहिप के पदाधिकारी और संत गए थे। उन्होंने डोम राजा के घर प्रसाद भी ग्रहण किया था। विहिप के आमंत्रण पर धर्म संसद में पहुंचे डोम राजा को बीच का आसन देकर माल्यार्पण कर स्वागत किया गया था। नवंबर 1989 को राम मंदिर का शिलान्यास भी विहिप ने दलित कामेश्वर चौपाल के हाथों कराकर उस समय सामाजिक समरसता का बड़ा संदेश दिया था। राम मंदिर निर्माण के लिए बने ट्रस्ट में भी कामेश्वर चौपाल को जगह दी गई है।
भोपाल, 21 अगस्त (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश की राजधानी में आयकर विभाग की टीमों की फेथ बिल्डर के दफ्तर और कई स्थानों पर छापेमारी के बाद दूसरे दिन शुक्रवार को भी कार्रवाई जारी रही। छापेमारी में बिल्डर राघवेंद्र सिंह तोमर और उससे जुड़े लोगों की अब तक 100 से अधिक संपत्तियों के बारे में पता चला है। आयकर विभाग की टीमों ने गुरुवार को फेथ बिल्डर तोमर के ऑफिस सहित उसके और उससे जुड़े लोगों के 20 से अधिक ठिकानों पर गुरुवार की सुबह दबिश दी थी। कार्रवाई दूसरे दिन भी जारी है। छापेमारी में अब तक कई महत्वपूर्ण दस्तावेज आयकर दस्ते के हाथ लगे हैं। टीमों को जो दस्तावेज मिले हैं, उससे 100 से अधिक संपत्तियों की जानकारी सामने आई है।
सूत्रों के अनुसार, आयकर विभाग को जिन संपत्तियों का पता चला है, उनमें भोपाल के रातीबढ़ में लगभग दो सौ एकड़ क्षेत्र में क्रिकेट स्टेडियम है, इसके अलावा 20 से ज्यादा आवासीय भूखंड, सात फ्लैट, छह मकान, होटल, रिसोर्ट एवं आवासीय परियोजनाएं, शॉपिंग मॉल, दुकानों आदि में निवेश किया गया है। वहीं एक करोड़ से ज्यादा की नगदी भी मिली है।
ज्ञात हो कि बिल्डर के यहां कई बड़े लोगों द्वारा निवेश किए जाने की जानकारी मिलने पर आयकर विभाग की टीमों ने गुरुवार को छापा मारा था। इस टीमों ने पूरी गोपनीयता का ध्यान रखते हुए यह छापेमारी कार्रवाई की थी। यही कारण था कि आयकर विभाग की टीमें जिन गाड़ियों से भोपाल पहुंची थीं, उन पर कोविड से जुड़े पास चस्पा थे।