मुंबई, 6 दिसंबर । शिवसेना नेता राजू वाघमारे ने शुक्रवार को आईएएनएस से बात करते दावा किया कि मुख्यमंत्री न बनने पर एकनाथ शिंदे नाराज नहीं है। महायुति में सब कुछ ठीक है और सभी मिलकर सरकार चलाएंगे। राजू वाघमारे ने कहा, "प्रदेश में महायुति की सरकार है, वहां पर लोगों में उत्साह था। लोगों का कहना था कि प्रदेश में 'महायुति' की सरकार आनी चाहिए और ऐसा ही हुआ। शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद आए थे।
कैबिनेट के सभी मिनिस्टर, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्री आए थे।" महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री नहीं बनने के कारण एकनाथ शिंदे की नाराजगी की चर्चा पर राजू वाघमारे ने कहा, "पता नहीं लोग ऐसा क्यों बोल रहे हैं कि एकनाथ शिंदे नाराज चल रहे हैं। वो नाराज क्यों होंगे। उन्होंने तो प्रेस कॉन्फ्रेंस करके पूरी बात साफ की। प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पद का शपथ लिया। शपथ के बाद दिए पहले भाषण में उन्होंने साफ किया कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में संविधान के अनुरूप हम महाराष्ट्र में काम करेंगे। ऐसे में सब कुछ ठीक है।" महाराष्ट्र में गृह मंत्रालय के विभाग को लेकर शिवसेना नेता ने कहा, "पहले भी कई बार कहा जा चुका है कि न एकनाथ शिंदे ने और न ही हमारे किसी नेता ने गृह मंत्रालय की मांग की है।
सिर्फ यह कहा गया है कि जब कांग्रेस के कार्यकाल में मुख्यमंत्री कांग्रेस का था, तो उपमुख्यमंत्री को यह मंत्रालय दिया गया था। हो सकता है कि यह सवाल पूछा गया, जिस पर हमारे नेता ने कहा, अगर ऐसा होता है तो अच्छी बात है। लेकिन आधिकारिक तौर पर इसको मांग नहीं की गई है। पूरी 'महायुति' एक साथ है।" उन्होंने कहा, उपमुख्यमंत्री पद शिवसेना को मिलने वाला था, लेकिन शिवसेना का कौन सा नेता उपमुख्यमंत्री का पद संभालेगा, इसका फैसला एकनाथ शिंदे ही करने वाले थे।
ऐसे में नाराजगी की कोई बात नहीं थी। अब सब कुछ हो चुका है, ऐसे में इन बातों का कोई फायदा नहीं है। मंत्रिमंडल के विस्तार को लेकर राजू वाघमारे ने कहा, "यह जल्द ही होगा। पहले विधायकों की शपथ होगी और अधिवेशन से पहले मंत्रिमंडल का विस्तार होना चाहिए। विधायकों की संख्या के हिसाब से मंत्री पद का बंटवारा होना चाहिए।" उत्तर प्रदेश के संभल जिले में हिंसा के बाद कांग्रेस नेताओं द्वारा वहां जाने को लेकर शिवसेना नेता ने कहा, "जहां भी हिंसा होती है, वहां पर राहुल गांधी जाते हैं, तो वो लोगों को असुविधा में डाल देते हैं। वहीं, राहुल गांधी को संभल की परिस्थिति के ऊपर राजनीति नहीं करनी चाहिए।" --आईएएनएस एससीएच/सीबीटी
लखनऊ, 6 दिसंबर । उत्तर प्रदेश कांग्रेस समिति को भंग किए जाने को अजय राय ने सही करार दिया है। उनके मुताबिक ये संगठन को मजबूत करने की दिशा में उठाया गया कदम है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष ने कहा हमारी जो कमियां हैं उसे दूर करेंगे। अजय राय ने कहा कि निश्चित तौर से हम सब नए पुराने का सामंजस्य बिठाकर काम करेंगे। आज प्रदेश की जनता परेशान है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी का एक-एक कार्यकर्ता प्रदेश की तरक्की और संगठन को मजबूत करने की दिशा में काम करेगा। उन्होंने आगे कहा, "हम एक जिम्मेदार विपक्ष होने के नेता सदन से लेकर सड़क तक जनता के मुद्दों को उठाने का काम करेंगे।
हम लोगों ने सामूहिक तौर पर प्रस्ताव पारित करके आलाकमान को भेजा था। जिसके बाद यह फैसला हुआ है। हमारी जो कमियां है उसे ठीक करके हम आगे बढ़ेंगे। देश, जिला, शहर और ब्लॉक कमेटियों को मजबूत करने का काम किया जाएगा।" संभल मुद्दे पर अजय राय ने कहा कि हमारी पार्टी के कार्यकर्ता और नेता इस मुद्दे को लेकर सड़क पर हैं और हम लोग पीड़ित पक्ष को न्याय दिलाने का काम करेंगे। जिन अधिकारियों ने निर्दोष लोगों की हत्याएं की हैं, उनके ऊपर 302 का मुकदमा दर्ज होना चाहिए। अगर योगी सरकार ऐसा करने में विफल रहती है तो जब हम सत्ता में आएंगे तो ऐसे अधिकारियों को चिन्हित करके सजा दिलाने का काम करेंगे।
उन्होंने कहा "भाजपा सरकार की पूरी कोशिश थी कि संभल में हुए अत्याचार और अन्याय को बाहर न आने दिया जाए। वह चाहते हैं कि हिंसा की सच्चाई सामने न आए। यही कारण था कि पहले हमें संभल जाने से रोका गया और फिर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को भी रोका गया। यह सब जानबूझकर किया गया है।" कांग्रेस संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रदेश, जिला, शहर और ब्लॉक समितियों को तत्काल प्रभाव से भंग करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। --(आईएएनएस)
राजगढ़/ भोपाल 6 दिसंबर । मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले में कथित तौर पर पिटाई से हुई दलित युवक की मौत के बाद थाने के सामने शव रखकर प्रदर्शन किया गया, वहीं कांग्रेस ने दलितों पर अत्याचार को लेकर सरकार पर हमला है। बीते रोज तलेन थाना क्षेत्र के बनापुरा गांव में राहुल वर्मा नामक युवक की मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि मजदूरी न करने पर उसके साथ मारपीट हुई और बाद में उसकी मौत हो गई। इस घटना को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने सरकार पर दलितों पर हो रहे अत्याचार को लेकर हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि शिवपुरी के बाद राजगढ़ में दलित की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई।
तलेन थाने के बनापुरा में दलित युवक राहुल की गांव के ही दबंगों ने पीट-पीट कर हत्या कर दी है गुरुवार की रात मृतक के परिजन शव लेकर थाने पर प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए धरने पर बैठे रहे, आरोपी अभी भी फरार है। मृतक राहुल के परिजनों का आरोप है कि मंगलवार को वह दिहाड़ी मजदूरी पर नहीं गया। इस पर गांव के दो दबंगों ने उसकी पिटाई कर दी। राहुल इस मामले की शिकायत करने थाने पहुंचा तो शिकायत दर्ज नहीं की गई, बल्कि उसकी वहां भी पिटाई की गई।
इसके बाद उसके पेट में दर्द हुआ और उसकी मौत हो गई। युवक की मौत के बाद परिजनों ने आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग को लेकर थाने के बाहर शव रखकर प्रदर्शन किया। गुरुवार देर रात तक पीड़ित परिवार के लोग विरोध प्रदर्शन करते रहे। पुलिस का कहना है कि दोनों पक्ष थाने में शिकायत दर्ज कराने आए थे। युवक की मौत कैसे हुई इसका खुलासा तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने पर ही हो सकेगी। --(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 6 दिसंबर । राज्यसभा में शुक्रवार को चेकिंग के दौरान 500 रुपये के नोटों का बंडल प्राप्त हुआ। यह जानकारी राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन को दी। सभापति ने बताया कि गुरुवार को सदन की कार्रवाई स्थगित होने के बाद एंटी सबोटाज की टीम सदन में रूटीन चेकिंग पर थी। इसी दौरान चेकिंग कर रही टीम को 500 रुपये के नोटों का बंडल मिला। सभापति ने बताया कि यह बंडल सीट नंबर 222 से प्राप्त हुआ। सभापति के मुताबिक यह सीट राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी को आवंटित है। सभापति के मुताबिक अभी तक इन नोटों की दावेदारी किसी भी सदस्य द्वारा नहीं की गई है। मामले में जांच के आदेश दिए गए हैं।
सभापति ने बताया कि यह मामला उनके नोटिस में लाया गया, इसके बाद उन्होंने सुनिश्चित किया कि तय नियमों के तहत इस पूरे मामले की जांच हो और जांच शुरू भी हो गई है। सभापति ने कहा कि उन्होंने सोचा था कि इन नोटों की दावेदारी के लिए कोई आएगा, लेकिन शुक्रवार सुबह तक कोई नहीं आया। अभी यह भी नहीं मालूम है कि यह नोट असली हैं या नकली। फिलहाल मामले की जांच चल रही है। सभापति ने इसे बेहद गंभीर मामला बताया और कहा कि किसी को भी इस मामले की जांच का विरोध नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही सभापति ने यह भी बताया कि संबंधित सदस्य के इलेक्ट्रॉनिक रिकार्ड बताते हैं कि उन्होंने सदन में गुरुवार को अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी। सभापति द्वारा यह जानकारी दिए जाने के बाद सदन में जमकर हंगामा हुआ। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ओर के सांसद इस विषय पर बोलना चाहते थे।
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि उनका एक निवेदन है कि जब तक जांच पूरी नहीं होती, जब तक सच का पता नहीं लग जाता, तब तक किसी का नाम नहीं लेना चाहिए। खड़गे के इस बयान पर सत्ता पक्ष ने जबरदस्त एतराज किया और हंगामा करने लगे। सत्ता पक्ष की ओर से बोलते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि यह घटना बहुत ही असाधारण व गंभीर है। यह सदन की गरिमा पर एक चोट है। सत्ता पक्ष का कहना था कि विभिन्न आरोपों के आधार पर विपक्ष सदन में अपने मुद्दे उठाता है और कई बार सदन की कार्यवाही भी नहीं चलने देता। ऐसे में विपक्ष अब दोहरे मापदंड कैसे अपना सकता है।
उन्होंने कहा कि इस मामले की सभी को निंदा करनी चाहिए। वहीं संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि आज जब हम डिजिटल इंडिया की ओर जा रहे हैं, तो ऐसे में सदन के अंदर नोटों की गड्डी का क्या काम है। उन्होंने कहा कि हम इस तरह नोट लेकर नहीं चलते हैं। उन्होंने जांच का समर्थन करते हुए कहा कि जांच की जरूरत है, यह काफी गंभीर मामला है। वहीं केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने राज्यसभा में बोलते हुए इसे अत्यंत गंभीर विषय बताया। उन्होंने कहा कि आज नोट मिले हैं आगे और न जाने क्या-क्या मिल सकता है। -(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 6 दिसंबर । संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस पर उनके अनमोल योगदान को भारत याद कर रहा है। देश के तमाम दिग्गजों ने संविधान निर्माता को श्रद्धांजलि दी। केंद्रीय मंत्री एवं राज्यसभा सांसद रामदास आठवले और सांसद जगदंबिका पाल ने उनको नमन किया। भाजपा से लोकसभा सांसद एवं वक्फ (संशोधन) विधेयक जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आज समतामूलक समाज की स्थापना करने में जो योगदान है। पूरे विश्व को करुणा, शांति, ममता और समानता की एक दिशा मिल रही है। वो हमारे संविधान से है, जो बाबा साहेब ने दिया है।"
उन्होंने आगे कहा, "हमारे दक्षिण पूर्व एशिया या श्रीलंका, पाकिस्तान या बांग्लादेश हो इन सभी देशों में जिस तरह से राजनीतिक अस्थिरता और उथल-पुथल है। लेकिन भारत के इस संविधान की देन है कि किस तरीके से देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया और ढांचा मजबूत है, बल्कि विश्व को भारत एक दिशा दे रहा है।" रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आठवले) के अध्यक्ष एवं केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद रामदास आठवले ने आईएएनएस से कहा, " उनका देश के लिए बहुत बड़ा योगदान है, जिसको भी देश में रहना है, उसे उनका दिया हुआ संविधान मानना ही होगा। जो भी संविधान को नहीं मानते हैं, उनको देश में रहने का अधिकार नहीं है।"
उन्होंने आगे कहा, "आज का दिन हमारे लिए बहुत प्रेरणा देने वाला है। उन्होंने हमें शक्ति दी। अगर वो नहीं होते तो आज देश में इतनी प्रगति नहीं होती। बाबा साहब ने जो आरक्षण दिया, उसके माध्यम से आज करोड़ों लोग अच्छी स्थिति में हैं। ऐसे में उनका सपना यानि देश को अखंड रखने की जिम्मेदारी हमारी है। उनके अधूरे सपने को पूरा करने के लिए हम सब मिलकर आगे बढ़ेंगे।" --(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 6 दिसंबर । आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में स्वस्थ शरीर के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता यानि इम्यूनिटी का बेहतर रहना बहुत ही महत्वपूर्ण है। अपनी इम्यूनिटी बनाए रखने के लिए हम बड़े जतन करते हैं। कुछ ऐसे उपाय करते हैं जिनके बारे में बस सुना भर होता है। आप भी अगर सुनी सुनाई बातों पर यकीन कर सेहत का ख्याल रखते हैं तो ठहर कर, अच्छे से विचार करने का यही वक्त है। हमारी जीवनशैली, खाने में हम क्या प्रयोग करते हैं, इसका हमारे शरीर पर बहुत प्रभाव पड़ता है इसका ख्याल रखना जरूरी है। विशेषज्ञ मानते हैं कि हरेक स्टेप सावधानी से उठाना चाहिए। न्यूट्रिशनिस्ट रिद्धि खन्ना के अनुसार हमें ऐसे कुछ खाद्य पदार्थ हैं जिनका सेवन करने से हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता में गिरावट आती है। उनके मुताबिक हर चीज की अति नुकसान का कारण बनती है। चाहें वो जिंक हो, फैट हो या कॉर्बोहाइड्रेट।
जिंक एक ऐसा माइक्रोन्यूट्रिएंट है, जिसका सप्लीमेंट के तौर पर लोग सेवन करते हैं। कोविड के बाद इसका उपयोग खूब होने लगा। उस दौरान ये बीमारियों से लड़ने में इसके चमत्कार को सलाम किया जाने लगा। रिद्धि खन्ना के मुताबिक हमेशा ये हमारे लिए फायदेमंद हो ऐसा नहीं सोचा जाना चाहिए। अधिक मात्रा में जिंक का सेवन अलग तरह की दिक्कतों का कारण बनता है। वो इसलिए क्योंकि जिंक का अधिक सेवन आयरन और कॉपर के अबशॉपर्शन पर असर डालता है। वो कॉपर जो इम्यूनिटी बढ़ाता है। तो सलाह यही है कि मात्रा का खास ख्याल रखते हुए अपने डॉक्टर या न्यूट्रिशनिस्ट से जरूर मिलें। उनके सुझाव के अनुसार ही इनका उपयोग करें।
ऐसा ही कुछ फैट्स के साथ होता है। फैट या वसा कैसा हो इसका भी ध्यान रखना जरूरी है। जंक फूड के इस दौर में लोग अक्सर हेल्दी फैट को नजरअंदाज कर देते हैं। या फिर एकदम से तेल घी युक्त भोजन से तौबा कर लेते हैं। स्वस्थ वसा शरीर की इम्यूनिटी के लिए फायदेमंद है। खन्ना के मुताबिक सैचुरेटेड फैट जरूरी है जो जैतून के तेल, एवोकाडो और कुछ मेवों में होता है तो वहीं पॉलीसैचुरेटेड फैट मछलियों, चिया बीज और अखरोट में पाया जाता है। ओमेगा 3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड इम्यूनिटी को बूस्ट करता है। विशेषज्ञों के मुताबिक इसके अलावा सब्जियों और फलों को ज्यादा धोकर खाना, वजन कम करने के लिए ज्यादा वर्जिश करना या फिर जरूरत से ज्यादा सप्लीमेंट का इस्तेमाल करने से भी बचना जरूरी है। अगर एक्सपर्ट सलाह से काम लेंगे तो ताकतवर भी रहेंगे और बीमारी से लड़ने के काबिल भी रहेंगे। -(आईएएनएस)
नयी दिल्ली, 6 दिसंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को आम आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल की उस याचिका पर सुनवाई की तारीख आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया, जिसमें उन्होंने धन शोधन के एक मामले में उनके खिलाफ दायर आरोपपत्र पर संज्ञान लेने के निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी थी।
न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी ने कहा, ‘‘मामले की सुनवाई उसी तारीख (20 दिसंबर) को होगी। मेरे पास सुनवाई के लिए और भी मामले हैं।’’
केजरीवाल ने अपनी याचिका के संबंध में सुनवाई की तारीख 20 दिसंबर से आगे बढ़ाने का अनुरोध किया था।
अदालत द्वारा सुनवाई की तारीख बदलने से इनकार करने के बाद केजरीवाल के वकील ने अनुरोध किया कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को याचिका पर उसके जवाब की प्रति अग्रिम रूप से उपलब्ध कराने का निर्देश दिया जाए।
अदालत ने ईडी के वकील से कहा, ‘‘आपने जो भी मामला दर्ज किया है, उसे उन्हें भी दे दीजिए।’’
उच्च न्यायालय ने 21 नवंबर को धन शोधन मामले में केजरीवाल के खिलाफ निचली अदालत की कार्यवाही पर फिलहाल रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
उच्च न्यायालय ने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री की याचिका पर ईडी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।
केजरीवाल ने निचली अदालत के आदेश को खारिज करने का अनुरोध किया और दलील दी कि विशेष अदालत ने उनके खिलाफ अभियोजन के लिए किसी मंजूरी के बिना आरोपपत्र पर संज्ञान लिया जबकि इसके लिए मंजूरी आवश्यक थी क्योंकि कथित अपराध के समय वह लोक सेवक थे।
हालांकि, ईडी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केजरीवाल पर मुकदमा चलाने के लिए मंजूरी मिल गई है और वह एक हलफनामा दायर करेंगे।
आरोपपत्र पर संज्ञान लेते हुए निचली अदालत के नौ जुलाई के आदेश को रद्द करने के अनुरोध के अलावा केजरीवाल ने मामले में सभी कार्यवाही रद्द करने का भी अनुरोध किया।
याचिका में कहा गया है कि केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाना कानून की नजर में गलत है, क्योंकि यह धारा 197 दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत अनिवार्य मंजूरी प्राप्त किए बिना किया गया।
सीआरपीसी की धारा 197 (1) के अनुसार, जब कोई व्यक्ति जो न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट या लोक सेवक के पद पर है या था, जिसे सरकार की मंजूरी के बिना उसके पद से हटाया नहीं जा सकता, वह किसी अपराध का आरोपी है तो कोई भी अदालत पूर्व मंजूरी के बिना ऐसे अपराध का संज्ञान नहीं लेगी।
उच्च न्यायालय ने 12 नवंबर को केजरीवाल की एक अन्य याचिका पर ईडी से जवाब मांगा था, जिसमें उन्होंने धन शोधन मामले में एजेंसी की शिकायत पर उन्हें जारी समन को चुनौती दी थी। (भाषा)
नयी दिल्ली, 6 दिसंबर विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के कई घटक दलों के सांसदों ने अदाणी समूह से जुड़े मुद्दे को लेकर शुक्रवार को संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन किया और मार्च निकाला।
कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कुछ अन्य दलों के सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ नारे लगाए और जवाबदेही तय किए जाने की मांग की।
हाथ में संविधान की प्रति लिए हुए कांग्रेस सांसदों ने मुंह पर काली पार्टी बांधकर प्रदर्शन किया।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा इस मार्च की अगुवाई कर रहे थे।
तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी पिछले कुछ दिन की तरह आज भी इस विरोध प्रदर्शन से दूर रहीं।
कांग्रेस के संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल ने कहा, ‘‘आज भारतीय संविधान के निर्माता बी. आर. आंबेडकर की पुण्यतिथि है। यहां अदाणी के लिए संवैधानिक अधिकारों का हनन किया गया है। हम सांकेतिक विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। जब अदाणी का नाम आता है तो भारत सरकार मुद्दे को भटकाने की कोशिश करती है।’’
रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी के आरोपों में अदाणी समूह के प्रमुख गौतम अदाणी और कंपनी के अन्य अधिकारियों पर अमेरिकी अभियोजकों द्वारा अभियोग लगाए जाने के बाद कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दल संयुक्त संसदीय समिति से आरोपों की जांच कराए जाने की मांग कर रहे हैं।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने हाल ही में इस मामले को लेकर उद्योगपति गौतम अदाणी की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की थी।
अदाणी समूह ने सभी आरोपों को आधारहीन बताया है। (भाषा)
भुवनेश्वर, 6 दिसंबर पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश में विवादास्पद पोलावरम बांध परियोजना को लेकर विपक्षी दल कांग्रेस और बीजू जनता दल (बीजद) के विधायकों के हंगामे के कारण ओडिशा विधानसभा की कार्यवाही शुक्रवार को शाम चार बजे तक केलिए स्थगित कर दी गई।
सदन में प्रश्नकाल शुरू होते ही पोलावरम मुद्दे पर चर्चा के लिए दिए गए नोटिस को अध्यक्ष द्वारा खारिज किए जाने के बाद कांग्रेस सदस्य सदन के बीचों-बीच आ गए और विरोध प्रदर्शन करने लगे। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विरोध में नारे लगाए और उस पर ओडिशा के हितों की बलि देने का आरोप लगाया।
विपक्षी दल बीजद के सदस्यों ने भी भाजपा सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
विपक्ष की मुख्य सचेतक प्रमिला मलिक ने अध्यक्ष सुरमा पाढ़ी से सदन में शांति लाने का आग्रह किया। अध्यक्ष सुरमा पाढ़ी ने कांग्रेस सदस्यों से अपनी सीटों पर लौटने का अनुरोध किया जिसका कोई लाभ नहीं हुआ जिसके बाद उन्हें सदन की कार्यवाही करीब एक घंटे- 11.30 बजे तक केलिए स्थगित करनी पड़ी।
सदन की कार्यवाही जब दोबारा शुरू हुई तो सदन में फिर से वही नजारा देखने को मिला और इस बार बीजद के सदस्य भी कांग्रेस के सदस्यों के साथ विरोध में शामिल हो गए। इसके बाद अध्यक्ष ने कार्यवाही शाम चार बजे तक के लिए स्थगित कर दी। (भाषा)
नयी दिल्ली, 6 दिसंबर राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को उच्च सदन में बताया कि बृहस्पतिवार को सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद एंटी सेबोटाज टीम को नियमित जांच के दौरान कांग्रेस के सदस्य अभिषेक मनु सिंघवी की सीट के पास 500 रुपये के नोटों की गड्डी मिली।
उन्होंने सदन को अवगत कराया कि सीट संख्या 222 के पास मिली नोटों की गड्डी पर आज सुबह तक जब किसी ने दावा नहीं किया तो उन्होंने सदन की परिपाटी का पालन करते हुए इसकी जांच सुनिश्चित की।
धनखड़ ने कहा, ‘‘कल सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद सुरक्षा अधिकारियों ने संभवत: सीट संख्या 222 से नोटों की एक गड्डी बरामद की। यह सीट फिलहाल तेलंगाना राज्य से निर्वाचित अभिषेक मनु सिंघवी को आवंटित है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जांच चल रही है।’’
सभापति ने कहा कि एक गड्डी 500 रुपये के नोटों की है और ऐसा लगता है कि इसमें 100 नोट हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि नोट असली हैं या नकली।
उन्होंने कहा, ‘‘यह मेरा कर्तव्य था और मैं सदन को सूचित करने के लिए बाध्य हूं। यह एक नियमित एंटी सेबोटाज जांच है, जो होती है।’’
धनखड़ ने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि कोई इन नोटों पर दावा करेगा, लेकिन अभी तक किसी ने दावा नहीं किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘क्या यह अर्थव्यवस्था की उस स्थिति को दर्शाता है जिसमें लोग भूल (नोटों की गड्डी) सकते हैं।’’
इसके बाद इस मुद्दे पर सदन में कुछ देर हंगामा भी हुआ और इसकी शुरुआत सत्ता पक्ष के सदस्यों की ओर से की गई।
नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि मामले की यदि जांच हो रही है और जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती तब तक सदस्य के नाम को सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए था।
सभापति धनखड़ ने कहा कि जब यह मामला उनके संज्ञान में आया तो उन्होंने पता करवाया कि उक्त सदस्य बृहस्पतिवार को सदन में आए थे कि नहीं। उन्होंने पाया कि उक्त सदस्य ने हस्ताक्षर पुस्तिका (डिजिटल) पर हस्ताक्षर किए थे।
धनखड़ ने कहा कि उनके द्वारा उठाया गया कदम ‘न्यूनतम’ है।
संसदीय कार्यमंत्री मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा कि सभापति ने सीट संख्या और उस पर काबिज सदस्य का उल्लेख किया है और इसमें किसी को आपत्ति नहीं करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि इसमें (नाम लेने पर) कुछ भी गलत नहीं है क्योंकि सदन में नोटों की गड्डी मिलना उपयुक्त नहीं है।
रीजीजू ने कहा, ‘‘आज डिजिटल जमाना है और कोई इतने सारे नोट लेकर नहीं चलता। इसकी जांच होनी चाहिए।’’
सदन के नेता जे पी नड्डा ने इसे असाधारण घटना बताया और कहा कि इसकी प्रकृति ‘बहुत गंभीर’ है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह पक्ष और विपक्ष के विभाजित होने का मुद्दा नहीं है। यह सदन की गरिमा पर चोट है। सदन के कृतित्व पर प्रश्नचिह्न है।’’
उन्होंने विस्तृत जांच का भरोसा जताते हुए कहा कि दूध का दूध और पानी का पानी होना चाहिए।
नड्डा ने खरगे पर इस मामले की जांच को दबाने का आरोप भी लगाया लेकिन नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि उन्होंने जांच का कभी विरोध नहीं किया।
कुछ देर इस मुद्दे पर हंगामा होने के बाद सभापति ने शून्यकाल की शुरुआत की और सदस्यों ने फिर अपने-अपने मुद्दे उठाए। (भाषा)
नयी दिल्ली, 6 दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने 3,600 करोड़ रुपये के अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला मामले में कथित बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल जेम्स की जमानत के अनुरोध वाली याचिका पर शुक्रवार को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जवाब मांगा।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति पी. बी़ वराले की पीठ ने सीबीआई को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर याचिका पर जवाब देने को कहा है।
जेम्स ने दिल्ली उच्च न्यायालय के 25 सितंबर के आदेश को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने 25 सितंबर के आदेश में मामले में जेम्स को जमानत देने से इनकार कर दिया था।
कथित घोटाला अगस्ता वेस्टलैंड से 12 वीवीआईपी हेलीकॉप्टर की खरीद से संबंधित है।
ब्रिटिश नागरिक जेम्स को दिसंबर 2018 में दुबई से प्रत्यर्पित किया गया था और बाद में गिरफ्तार कर लिया गया था। (भाषा)
नयी दिल्ली, 6 दिसंबर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद निशिकांत दुबे के आरोपों को लेकर शुक्रवार को लोकसभा में कांग्रेस सदस्यों के भारी विरोध जताने के कारण सदन की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद दोपहर करीब 12.10 बजे दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई।
सदन की कार्यवाही आरंभ होने पर कांग्रेस सांसद के सी वेणुगोपाल ने दुबे के आरोपों से जुड़े विषय को उठाने का प्रयास किया, हालांकि आसन से इसकी अनुमति नहीं मिली।
दुबे ने बृहस्पतिवार को लोकसभा में शून्यकाल के दौरान कांग्रेस समेत विपक्षी दलों पर विदेशी संगठनों और लोगों के माध्यम से देश की संसद, सरकार तथा अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने की कोशिश करने का आरोप लगाया था, जिस पर भारी हंगामा हुआ और सदन की कार्यवाही बाधित हुई थी।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आज कांग्रेस सदस्यों से सदन चलने देने की अपील की। उन्होंने कहा, ‘‘प्रश्नकाल है, क्या आप सदन नहीं चलाना नहीं चाहते? सदन मर्यादा, गरिमा और उच्च कोटि की परंपराओं से चलेगा। सदन के अंदर न गरिमा गिरने दूंगा और न मर्यादा कम होने दूंगा।’’
कांग्रेस सदस्यों का विरोध जारी रहने पर बिरला ने सदन की कार्यवाही शुरू होने के एक मिनट के भीतर दोपहर 12 बजे तक स्थगित कर दी।
दोपहर 12 बजे बैठक पुन: शुरू हुई तो पीठासीन सभापति दिलीप सैकिया ने आवश्यक कागजात पेश कराने के बाद शून्यकाल शुरू कराया।
कांग्रेस सदस्य दुबे के आरोपों को लेकर कुछ कहना चाह रहे थे। सैकिया ने कहा कि बृहस्पतिवार को भाजपा सांसद दुबे अपनी बात पूरी नहीं कर पाए थे, पहले उन्हें मौका दिया जाएगा और उसके बाद कांग्रेस सदस्य अपनी बात रख सकते हैं।
दुबे ने कल की तरह ही फिर से कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर एक अमेरिकी कारोबारी के साथ मिलकर सरकार को अस्थिर करने का प्रयास करने का आरोप लगाया।
उन्होंने बृहस्पतिवार को सदन में कहा था कि वह राहुल गांधी से दस सवाल पूछना चाहते हैं।
आज भी दुबे ने अपनी बात दोहराई और नेता प्रतिपक्ष से सवाल पूछना शुरू किया। इसी बीच विपक्षी सदस्यों ने नारेबाजी तेज कर दी और पीठासीन सभापति सैकिया ने करीब 10 मिनट बाद कार्यवाही सोमवार को पूर्वाह्न 11 बजे तक स्थगित कर दी। (भाषा)
नई दिल्ली, 6 दिसंबर । कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने संसद के उच्च सदन राज्यसभा में अपनी बेंच के नीचे मिले नोटों की गड्डी को लेकर अपनी सफाई दी है। उन्होंने कहा, "मैं सिर्फ 5 मिनट पहले इसके बारे में सुनकर काफी हैरान हूं। मुझे इसके बारे में पहले से कोई जानकारी नहीं थी। मैंने कल दोपहर 12:57 बजे सदन में प्रवेश किया और सदन की बैठक दोपहर 1 बजे शुरू हुई।” उन्होंने कहा, “मैं लगभग 3-4 मिनट तक रुका, फिर 1 से 1:30 बजे तक कैंटीन में अयोध्या प्रसाद के साथ दोपहर का भोजन किया। मैं 1:30 बजे निकला, तो हाउस में मेरा कुल समय 3 मिनट था। इसके अलावा, मुझे लगता है कि कैंटीन में मेरे 30 मिनट थे।
यह अजीब है कि ऐसे मामलों पर राजनीति की जाती है।” उन्होंने आगे कहा, “बेशक इस बात की जांच होनी चाहिए कि सामान कहीं भी और किसी भी सीट पर कैसे रखा जा सकता है। हर सीट पर ताला लगा होना चाहिए, जिसकी चाबी संबंधित सांसद के पास होनी चाहिए, नहीं तो वहां कुछ भी रख सकते हैं और आरोप लगा सकते हैं। यह दुखद और गंभीर के साथ हास्यास्पद भी हो जाती है। सभी को मामले की तह तक जाने में अपना सहयोग देना चाहिए।" उल्लेखनीय है कि राज्यसभा में कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी के बेंच के नीचे नोटों की गड्डी होने की बात कही जा रही है। यह जानकारी राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने दी है।
उन्होंने कहा, “मैं यह सूचित करना चाहता हूं कि कल सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद, जब नियमित जांच की गई, तो सुरक्षा अधिकारियों ने सीट संख्या 222 (जो वर्तमान में अभिषेक मनु सिंघवी को आवंटित है) से नोटों का एक ढेर बरामद किया। यह मामला मेरे ध्यान में लाया गया, और मैंने यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि जांच कानूनी रूप से हो। नियमों के अनुरूप कार्रवाई हो।” वहीं, सभापति ने जैसे ही नोट मिलने की बात कही, तो विपक्षी दलों ने हंगामा शुरू कर दिया। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी सभापति द्वारा अभिषेक मनु सिंघवी का नाम लेने पर आपत्ति दर्ज की। -- (आईएएनएस)
नयी दिल्ली, 6 दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने 1987 में ‘प्रादेशिक आर्म्ड कान्स्टेबुलरी’ (पीएसी) के कर्मियों द्वारा 38 लोगों की कथित हत्या से जुड़े हाशिमपुरा नरसंहार मामले में आठ दोषियों को शुक्रवार को जमानत दे दी।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने चार दोषियों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अमित आनंद तिवारी की इन दलीलों पर गौर किया कि उन्हें बरी करने के निचली अदालत के फैसले को दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा पलटे जाने के बाद से वे लंबे समय से कारावास में रह रहे हैं।
हाशिमपुरा नरसंहार 22 मई 1987 को हुआ था, जब पीएसी की 41वीं बटालियन की ‘सी-कंपनी’ के जवानों ने सांप्रदायिक तनाव के दौरान उत्तर प्रदेश में मेरठ के हाशिमपुरा इलाके से लगभग 50 मुस्लिम पुरुषों को कथित तौर पर घेर लिया था।
पीड़ितों को शहर के बाहरी इलाके में ले जाया गया, जहां उन्हें गोली मार दी गई और उनके शवों को एक नहर में फेंक दिया गया। इस घटना में 38 लोगों की मौत हो गई थी तथा केवल पांच लोग ही इस भयावह घटना को बयां करने के लिए बचे।
याचिकाकर्ताओं - समी उल्लाह, निरंजन लाल, महेश प्रसाद और जयपाल सिंह - का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता तिवारी ने शुक्रवार को तर्क दिया कि अपीलकर्ता उच्च न्यायालय के फैसले के बाद से छह साल से अधिक समय से जेल में हैं।
उन्होंने कहा कि अपीलकर्ताओं को पहले अधीनस्थ अदालत द्वारा बरी किया जा चुका है तथा अधीनस्थ अदालत में सुनवाई और अपील प्रक्रिया के दौरान उनका आचरण अच्छा रहा है।
उन्होंने यह भी तर्क दिया कि उच्च न्यायालय ने अधीनस्थ अदालत द्वारा सोच-विचारकर सुनाए गए बरी करने के फैसले को पलटने का गलत आधार पर निर्णय लिया।
अदालत ने दलीलों पर गौर किया और आठ दोषियों की आठ लंबित जमानत याचिकाओं को स्वीकार कर लिया। (भाषा)
यूरोपियन स्पेस एजेंसी के दो सैटेलाइट सूर्य में ग्रहण लगाने अंतरिक्ष रवाना हुए. ये सैकड़ों बार पूर्ण सूर्य ग्रहण लगाने की कोशिश करेंगे. उम्मीद है इससे सूर्य के कोरोना का रहस्य सुलझेगा. प्रोबा-3 की लॉन्चिंग भारत से की गई.
भारतीय समय के मुताबिक, 5 नवंबर की शाम ठीक 04:04 बजे भारत और यूरोप की अंतरिक्ष एजेंसियों के बीच अंतराष्ट्रीय सहयोग का एक नया अध्याय सफल हुआ. श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इसरो का एक पीएसएलवी-सी95 रॉकेट, यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ईएसए) के प्रोबा-3 मिशन को लेकर अंतरिक्ष रवाना हुआ. इसरो और ईएसए ने एक बयान जारी कर लॉन्च के कामयाब होने की जानकारी दी.
ईएसए ने कहा, इसरो के आभारी हैं
प्रोबा-3 के मिशन मैनेजर डामियन गलानो ने लॉन्चिंग पर खुशी जाहिर करते हुए कहा, "मैं इस पिक्चर-परफेक्ट तरीके से पृथ्वी की कक्षा में पहुंचाने के लिए इसरो का आभारी हूं. अब मुश्किल काम की शुरुआत हुई है क्योंकि प्रोबा-3 मिशन के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए दोनों सैटेलाइटों को सटीक जगह हासिल करनी होगी."
'न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड' (एनएसआईएल) के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक राधाकृष्णन दुराइराज ने कहा, "हम सम्मानित महसूस कर रहे हैं कि ईएसए ने अपने प्रोबा-3 अभियान के लिए एनएसआईएल पर भरोसा किया. दोनों सैटेलाइटों को कक्षा में उनकी लक्षित जगह पर सटीक तरीके से पहुंचाकर हम बहुत संतुष्ट हैं."
ईएसए ने अपने बयान में अभियान की चुनौतियों को रेखांकित करते हुए लिखा, "पृथ्वी की कक्षा में एक सैटेलाइट उड़ाने से ज्यादा मुश्किल क्या है? दो सैटेलाइट उड़ाना- ठीक एक-दूसरे के बगल में." जोड़े में चलते हुए सैटेलाइटों का ये जोड़ा एक-दूसरे से करीब 150 मीटर के फासले पर होगा. ईएसए ने बताया वो पहले भी फॉर्मेशन बनाकर उड़ने वाले मिशन को अंजाम दे चुका है, लेकिन उनमें दसियों किलोमीटर की दूरी रहती थी.
क्या हासिल करने गया है प्रोबा-3 मिशन?
प्रोबा-3 मिशन में दो अंतरिक्षयान भेजे गए हैं. ये दोनों सूर्य के कोरोना की पड़ताल करेंगे. कोरोना, सूरज के वातावरण की सबसे बाहरी परत है. सूरज की प्रचंड रोशनी के कारण आमतौर पर यह छिपी रहती है. खास उपकरणों के बिना इसे देख पाना मुश्किल है. सूरज को जब पूरा ग्रहण लगता है, उस दौरान यह नजर आता है.
यह मिशन भी कोरोना को अच्छी तरह देखने और पढ़ने के लिए सूर्य ग्रहण का इस्तेमाल करेगा. इसके लिए मिशन के दोनों स्पेसक्राफ्ट अंतरिक्ष में खास ढंग से उड़कर सूर्य ग्रहण की स्थिति बनाएंगे. फर्क इतना होगा कि ये कुदरती नहीं, बल्कि इंसानों का बनाया कृत्रिम ग्रहण होगा.
ऐसा हर कृत्रिम सूर्य ग्रहण छह घंटे लंबा होगा, जबकि प्राकृतिक सूर्य ग्रहण कुछ मिनटों की अवधि के लिए होते हैं. ईएसए के मुताबिक, पहला कृत्रिम ग्रहण मार्च में हो सकता है. अपने दो साल के ऑपरेशन में प्रोबा-3 कृत्रिम तरीके से सैकड़ों बार सूर्य पर ग्रहण लगाएगा. काम पूरा हो जाने के बाद दोनों सैटेलाइट वातावरण में जलकर नष्ट हो जाएंगे.
ईएसए के दोनों सैटेलाइटों (कोरोनाग्राफ और ऑक्यूल्टर) दोनों करीब एक महीने बाद अलग हो जाएंगे. अलग होने के बाद ये दोनों एक-दूसरे से 492 फीट की दूरी बनाएंगे, ताकि एक स्पेसक्राफ्ट दूसरे पर छाया बनाए. इसमें बहुत सटीक होना होगा. अपनी पोजिशन पर बने रहने के लिए दोनों सैटेलाइट जीपीएस, स्टार ट्रैकर, लेजर और रेडियो लिंक पर निर्भर करेंगे. परछाईं डालने वाले सैटेलाइट में एक डिस्क है, जो दूसरे सैटेलाइट पर लगे टेलिस्कोप से सूर्य को ब्लॉक करेगा.
सूर्य के कोरोना की गुत्थी
कुदरती तौर पर जो पूर्ण सूर्य ग्रहण लगता है, उसमें चंद्रमा की जो भूमिका होती है, वैसी ही कुछ इस डिस्क की भी होगी. पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरता है. जब ऐसा होता है, तो चंद्रमा के कारण सूर्य की तेज रोशनी बाधित होती है. ग्रहण लगे सूर्य के आसपास आपको जो चमकीला सफेद घेरा दिखता है, वही कोरोना है. इसका स्वभाव काफी रहस्यमय है. यह सूर्य की सतह के मुकाबले कहीं ज्यादा गर्म होता है. बहुत ज्यादा तापमान के बावजूद यह कम रोशन है. वैज्ञानिक इसकी वजह जानना चाहते हैं.
उम्मीद है कि इससे 'कोरोनल मास इजेक्शन्स' (सीएमई) को समझने में भी मदद मिले. सूरज का कोरोना बड़ी मात्रा में प्लाज्मा और मैगनेटिक फील्ड छोड़ता है, जिसे सीएमई कहते हैं. इससे पृथ्वी के पावर ग्रिडों, टेलीकम्यूनिकेशन नेटवर्क और सैटेलाइटों को खासा नुकसान पहुंच सकता है.
एसएम/आरपी (एपी, ईएसए, इसरो)
अयोध्या, 6 दिसंबर । राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने गुरुवार को बताया कि मौजूदा समय में हमारा मुख्य उद्देश्य मंदिर निर्माण से जुड़े सभी कार्यों को संपन्न करना है। निर्माण कार्य में गति लाने के लिए श्रमिकों की संख्या में बढ़ोतरी की गई है। उन्होंने कहा, “वर्तमान में कार्य की प्रगति संतोषजनक है और समय सारणी के अनुसार चल रहा है। हाल ही में परिसर में होने वाले निर्माण कार्यों के संबंध में कुछ जानकारी साझा की गई है। जैसे कि मंदिर निर्माण का कार्य जो कि 15 मार्च तक पूरा होने की संभावना है, उसी के साथ सात अन्य छोटे मंदिरों का निर्माण भी पूरा किया जाएगा। वर्तमान में श्रमिकों की संख्या में थोड़ी वृद्धि हुई है।
हालांकि, अभी भी अपेक्षाकृत जो संख्या है, वह थोड़ी कम है। लेकिन, इसमें गति लाने की पूरी कोशिश की जा रही है।" उन्होंने कहा, "हमारी प्राथमिकता इस समय मंदिर निर्माण पर केंद्रित है, और उसके साथ-साथ अन्य सहायक कार्यों को भी शीघ्र पूरा किया जाएगा।” उन्होंने आगे कहा, “इसके अलावा, मंदिर के निचले हिस्से पर राम कथा का निर्माण कार्य भी शुरू हो चुका है। यह राम कथा पत्थरों पर उकेरी जाएगी और लगभग 500 फीट लंबी यह डिजाइन पूरी हो चुकी है। इसे जल्द ही स्थापित करने की तैयारी की जा रही है। इसके अलावा, अन्य सहायक संरचनाओं जैसे कि विद्युत, अग्नि, और सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का काम भी जारी है।
इन सभी कार्यों को जनवरी के अंत तक ट्रस्ट को सौंपने का लक्ष्य है।” उन्होंने कहा, “मंदिर की शिखर संरचना पर भी काम चल रहा है। यह शिखर स्वर्ण से आच्छादित होगा, लेकिन इसका जो सबसे ऊंचा बिंदु है, उसके नीचे करीब दस फीट तक स्वर्ण पट्टियां लगाई जाएंगी। यह कार्य इस समय जिले के दायरे में आता है, और ट्रस्ट का दायित्व इस काम को पूरी तरह से समाप्त करने का है।” उन्होंने कहा, “निर्माण कार्य की गति संतोषजनक है और हम उम्मीद करते हैं कि सभी कार्य समय पर पूरे होंगे, ताकि श्रद्धालु दुर्गा केंद्र और अन्य सहायक संरचनाओं का उपयोग जनवरी के अंत तक कर सकें।” -(आईएएनएस)
असम सरकार ने रेस्तरां, होटल, सार्वजनिक समारोहों और अन्य सामुदायिक स्थानों पर बीफ परोसने और खाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
असम सरकार ने तत्काल प्रभाव से सार्वजनिक रूप से गोमांस खाने पर प्रतिबंध लगा दिया है. राज्य के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने इस संबंध में बुधवार, 5 दिसंबर को एक्स पर एक बयान पोस्ट किया.
इसमें उन्होंने लिखा, "असम में हमने फैसला किया है कि किसी भी रेस्तरां या होटल में गोमांस नहीं परोसा जाएगा, न ही किसी सार्वजनिक समारोह या सार्वजनिक स्थान पर इसकी इजाजत दी जाएगी. इसलिए आज से हमने होटलों, रेस्तरां और सार्वजनिक स्थानों पर गोमांस के उपभोग को पूरी तरह से बैन करने का फैसला किया है."
मुख्यमंत्री ने आगे लिखा, "असम में हमने गोहत्या को रोकने के लिए तीन साल पहले कानून बनाया था, उस कानून के लागू होने से काफी सफलता मिली है. अब हमने सार्वजनिक जगहों और होटलों में गोमांस के खाने या परोसने पर बैन लगाने का फैसला लिया है."
असम में अब तक नहीं था बीफ पर बैन
असम में गोमांस खाने और परोसने पर किसी तरह की रोक नहीं थी. साल 2021 में 'असम मवेशी संरक्षण कानून' लाया गया, जो कि ऐसे इलाकों में बीफ की बिक्री पर रोक लगाता है जहां हिंदू मंदिर हैं. यह कानून मंदिरों के पांच किलोमीटर के दायरे पर लागू था. अब मुख्यमंत्री ने साफ कर दिया है कि यह फैसला पूरे राज्य में लागू होगा.
सीएम ने कहा कि नया प्रावधान राज्य में मवेशी हत्या रोकने के सरकार के उद्देश्य के अनुरूप है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भूपेन बोरा और रकीबुल हुसैन जो चाहते थे, वह अब पूरा होगा. इसलिए हमें उम्मीद है कि कांग्रेस इस फैसले में हमारा समर्थन करेगी.
बीफ बैन पर राजनीति
'हिंदू' अखबार के मुताबिक, हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि उनके मंत्रिमंडल ने राज्य कांग्रेस अध्यक्ष भूपेन बोरा और धुबरी के सांसद रकीबुल हुसैन के बयानों का विश्लेषण करने के बाद बीफ बैन पर फैसला लिया. दोनों नेताओं ने असम के मुसलमान बहुल समागुरी विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए राजनीतिक दलों द्वारा गोमांस बांटने पर नाराजगी जताई थी.
13 नवंबर को समागुरी विधानसभा के उपचुनाव हुए थे और आरोप लगाए गए थे कि वोटरों को लुभाने के लिए बीफ बांटा गया. आरोप कांग्रेस और बीजेपी दोनों पर लगे थे. कांग्रेस सांसद हुसैन ने यह भी दावा किया था उनके पास बीफ बांटे जाने के सबूत हैं.
इस सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी के डिप्लू रंजन सरमा ने 24,501 वोटों से हुसैन के बेटे तंजील हुसैन को हरा दिया था. पिछले 25 साल से कांग्रेस यह सीट जीतती आ रही थी. इस जीत के बाद सीएम ने कांग्रेस से सवाल किया कि क्या वह अब तक बीफ बांटकर समागुरी जीतती आ रही थी.
राज्य में बीफ खाने और परोसने पर लगाए गए प्रतिबंध पर रकीबुल हुसैन ने मीडिया से बातचीत में कहा कि असम के मुख्यमंत्री की लोकप्रियता घट रही है और इसलिए वह लोगों का ध्यान भटकाने के लिए इस तरह के कदम उठा रहे हैं. असम सरकार के मंत्री पीयूष हजारिका ने एक्स पर एक पोस्ट कर कांग्रेस पार्टी पर हमला बोला. उन्होंने सरमा के पोस्ट को रीट्वीट करते हुए लिखा, "मैं असम कांग्रेस इकाई को चुनौती देता हूं कि वह गोमांस पर प्रतिबंध का स्वागत करे या पाकिस्तान में जाकर बस जाए."
असम का पशु संरक्षण कानून
असम सरकार ने राज्य में मवेशियों की रक्षा के लिए 2021 में कानून बनाया था. 'असम मवेशी संरक्षण विधेयक 2021' नामक इस कानून का मकसद वैसे तो पड़ोसी देश बांग्लादेश में गायों की तस्करी को रोकना है. इसे विधानसभा में पेश करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा था कि इसका मकसद यह सुनिश्चित करना भी है कि उन क्षेत्रों में बीफ खाने या बेचने की अनुमति नहीं दी जाए, जहां मुख्य रूप से हिंदू, जैन, सिख और बीफ नहीं खाने वाले समुदाय रहते हैं.
किसी मंदिर, धार्मिक स्थान या फिर अधिकारियों द्वारा तय किसी दूसरी संस्था के पांच किलोमीटर के दायरे में भी पशुओं की कटाई की अनुमति नहीं होगी. हालांकि, हिमंता बिस्वा सरमा ने उस समय यह भी कहा था कि कुछ धार्मिक अवसरों पर इसमें छूट दी जा सकती है.
इस कानून में लाइसेंसी बूचड़खानों को ही पशुओं को काटने की अनुमति देने का प्रावधान है. साथ ही, इसमें कहा गया कि अगर जांच के दौरान वैध दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए, तो राज्य के भीतर या बाहर एक जगह से दूसरी जगह पशुओं को ले जाने पर भी रोक लगा दी जाएगी.
इस कानून के तहत सभी अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती हैं. दोषी पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति को कम-से-कम तीन साल की कैद या तीन से पांच लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकता है. (dw.com)
नोएडा, 6 दिसंबर । अर्जुन अवॉर्डी पहलवान दिव्या काकरान के पति से सोने की चेन लूटने वाले बदमाशों को पुलिस ने मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार कर लिया। दोनों बदमाश नरेश उर्फ देवा और ऋषभ को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इन दोनों के पास से सात मोबाइल फोन और 35 हजार रुपए बरामद हुए हैं। पुलिस ने बताया कि 5 दिसंबर को थाना सेक्टर 113 नोएडा पुलिस टीम एफएनजी रोड पर चेकिंग कर रही थी। इसी दौरान पुलिस मुठभेड़ ने 2 शातिर बदमाशों नरेश उर्फ देवा उर्फ जाट और ऋषभ को घायल अवस्था में गिरफ्तार किया गया है। इनके कब्जे से अवैध शस्त्र व लूटा हुआ सामान एवं लूट के सामान को बेच कर प्राप्त 35,200 रुपये बरामद हुए हैं।
पुलिस पूछताछ में पता चला है कि ये बदमाश अपने एक और साथी के साथ मिलकर नोएडा के अलग अलग इलाको में मोबाइल, चैन स्नैच की कई घटनाएं कर चुके हैं। इनके तीसरे साथी की तलाश की जा रही है। पुलिस ने बताया है कि इन बदमाशों ने हाल ही में 3 दिसंबर को थाना सेक्टर 113 क्षेत्रान्तर्गत ओआईडीबी बिल्डिंग के पास सेक्टर 73 नोएडा से आई फोन 14 प्रो मैक्स एक व्यक्ति से लूटा था। स्नैच हुए मोबाइल को मात्र 48 घण्टे में बरामद किया गया है।
बदमाशों ने थाना सेक्टर 20 क्षेत्र के अंतर्गत सेक्टर 27 में दिनांक 26 नवंबर को महिला रेसलर दिव्या काकराना के पति की चेन लूट ली थी। पुलिस ने बताया है कि नरेश उर्फ देवा उर्फ जाट पर 12 मुकदमे और ऋषभ पर 25 मुकदमे अलग अलग थानों में दर्ज हैं। गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय पहलवान और अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित दिव्या काकराना के पति से बाइक सवार बदमाशों ने सेक्टर 27 में सोने की चेन लूट ली थी। पुलिस ने जब एक हफ्ते तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की तो दिव्या ककराना ने एक वीडियो सोशल मीडिया पर डाला और उसमें उसने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से हाथ जोड़कर विनती करते हुए कहा कि "प्राइम लोकेशन नोएडा में वारदात हो रही है। शहर की सुरक्षा व्यवस्था ठीक नहीं है। मुख्यमंत्री जी शहर में फिल्म सिटी लाना चाहते हैं और जहां बड़े लोग रहते हैं वह कोई सेफ्टी नहीं है।" (आईएएनएस)
यूपी के संभल की जामा मस्जिद को लेकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी एएसआई ने कोर्ट में दाखिल किए गए हलफनामे में कहा है कि पिछले कुछ समय में मस्जिद में बड़े पैमाने पर अवैध अतिक्रमण किए गए और बिना अनुमति निर्माण भी हुए हैं.
डॉयचे वैले पर समीरात्मज मिश्र की रिपोर्ट-
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी एएसआई संभल स्थित शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण मामले में अदालत में अपना जवाब दाखिल कर दिया है. एएसआई ने अपने हलफनामे में कहा है कि मस्जिद में कई तरह के अवैध निर्माण किए गए और नियमित तौर पर होने वाले निरीक्षणों के दौरान एएसआई की टीम को कई बार दिक्कतों का सामना करना पड़ा है.
एएसआई ने कोर्ट में जो हलफनामा दिया है उसके मुताबिक, संभल की जामा मस्जिद को साल 1920 में एक संरक्षित स्मारक घोषित किया गया था, लेकिन उसके बाद से इसमें कई बदलाव किए गए हैं. एएसआई का यह भी कहना है कि इस दौरान मस्जिद के भीतर और बाहर जो भी अवैध निर्माण हुए हैं, उन सबके लिए मस्जिद कमेटी जिम्मेदार है. मस्जिद की देख-रेख का काम शाही जामा मस्जिद कमेटी ही करती है.
यही नहीं, एएसआई ने मुगलकालीन इस मस्जिद को संरक्षित विरासत संरचना बताते हुए उसका नियंत्रण व प्रबंधन सौंपने का भी अनुरोध किया है. एएसआई का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील विष्णु शर्मा ने डीडब्ल्यू को बताया कि कोर्ट में दिए अपने जवाब में एएसआई ने यह भी कहा है कि सर्वेक्षण करने में उसे मस्जिद की प्रबंधन समिति और स्थानीय निवासियों के प्रतिरोध का सामना करना पड़ा था.
विष्णु शर्मा के मुताबिक, "एएसआई ने अपने जवाब में 19 जनवरी 2018 की एक घटना का भी जिक्र किया है जब मस्जिद की सीढ़ियों पर मनमाने तरीके से स्टील की रेलिंग लगाने के लिए मस्जिद की प्रबंधन समिति के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था. एएसआई ने यह चिंता भी जताई है कि मस्जिद के ढांचे में अनधिकृत परिवर्तन गैरकानूनी है और इस पर रोक लगाई जानी चाहिए.”
सर्वेक्षण के आदेश
पिछले महीने 19 नवंबर को स्थानीय अदालत ने एक याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट कमिश्नर को मस्जिद के सर्वेक्षण के आदेश दिए थे. उसी दिन सर्वेक्षण का काम हुआ भी लेकिन 24 नवंबर को जब सर्वेक्षण टीम दोबारा पहुंची तो बड़ी संख्या में मौजूद लोगों ने विरोध किया और इस दौरान हिंसा भड़क उठी जिसमें चार लोगों की मौत हो गई.
सर्वेक्षण का आदेश उस याचिका पर सुनवाई के बाद दिया गया था, जिसमें दावा किया गया है कि जिस जगह मस्जिद मौजूद है, कभी वहां हरिहर मंदिर हुआ करता था. 24 नवंबर को भड़की हिंसा की जांच के लिए सरकार ने तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार अरोड़ा की अध्यक्षता वाले इस आयोग में पूर्व आईएएस अधिकारी अमित मोहन प्रसाद और सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी अरविंद कुमार जैन अन्य सदस्य हैं. आयोग को दो महीने में जांच पूरी करने का निर्देश दिया गया है.
इस बीच, संभल में दस दिसंबर तक धारा 163 लगा दी गई है और किसी भी बाहरी व्यक्ति के वहां जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. बुधवार को लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और सांसद प्रियंका गांधी को दिल्ली सीमा पर ही रोक दिया गया जिस वजह से करीब तीन घंटे तक यूपी-दिल्ली सीमा पर लंबा जाम लग गया.
एएसआई पर सवाल
वहीं एएसआई के हलफनामे को लेकर कई सवाल भी उठ रहे हैं कि जब अवैध निर्माण की जानकारी थी तो उसके खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई? हालांकि एएसआई ने कार्रवाई का भी जिक्र किया है और मस्जिद प्रबंधन कमेटी के खिलाफ दर्ज कराई गई एफआईआर का भी जिक्र किया है लेकिन एएसआई के अधिकारियों का यह भी कहना है कि कई बार ऐसे मामलों में एएसआई के हाथ तब बंधे होते हैं जब अवैध अतिक्रमणों को सरकारी संरक्षण मिलता है.
आर्कियोलॉजिस्ट देव प्रकाश शर्मा नई दिल्ली के नेशनल म्यूजियम के अलावा बीएचयू म्यूजियम के डायरेक्टर भी रहे हैं. एएसआई की कार्यशैली के बारे में कहते हैं कि सर्वे का काम कोर्ट के आदेश पर होना अलग बात है लेकिन अतिक्रमण के मामले में कई बार उसके सामने अलग दिक्कतें आती हैं. डीडब्ल्यू से बातचीत में वो कहते हैं, "कई बार प्रशासन की निष्क्रियता और दखलंदाजी भी इसके लिए जिम्मेदार होती है. वैसे एएसआई संरक्षित स्मारकों के सौ मीटर के भीतर कोई अतिक्रमण नहीं हो सकता लेकिन कई बार राज्य सरकारों की निष्क्रियता से ऐसा हो जाता है.”
संभल के बारे में एएसआई का कहना है कि उनकी टीम को लंबे समय से मस्जिद के अंदर जाने से रोका जाता रहा है, ऐसे में मस्जिद के भीतर उसका मौजूदा स्वरूप कैसा है, इसकी उसे जानकारी भी नहीं है. हालांकि मस्जिद कमेटी इन बातों से इनकार कर रही है. मस्जिद कमेटी के वकील कासिम जमाल कहते हैं कि एएसआई वाले अक्सर जांच के लिए आते हैं और जांच करके चले जाते हैं.
विवादों में एएसआई की भूमिका
पिछले कुछ समय से कई ऐतिहासिक इमारतों, खासकर मस्जिदों और दरगाहों को लेकर याचिकाएं अदालतों में गईं जहां अदालतों ने उन्हें स्वीकार करते हुए उनके सर्वेक्षण के आदेश दिए. कई मामले अभी अदालतों में लंबित भी हैं जिनमें मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि से लगे ईदगाह मस्जिद के सर्वेक्षण का मामला भी है. इससे पहले काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर से लगी ज्ञानवापी मस्जिद का भी अदालत के आदेश से सर्वेक्षण हुआ था.
यहां तक कि अयोध्या के श्रीरामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में भी एएसआई ने सर्वेक्षण किया था और खोदाई भी की थी जिसके आधार पर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने अपने फैसले में कहा था कि बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनी. संवैधानिक पीठ ने कहा था कि ‘एएसआई के मुताबिक, ढहाए गए ढांचे के नीचे इस्लामी ढांचा नहीं था बल्कि प्राचीन मंदिर था, लेकिन एएसआई यह तथ्य स्थापित नहीं कर पाया कि मंदिर को गिराकर मस्जिद बनाई गई.'
ऐतिहासिक और विवादित स्थलों की खोदाई के संदर्भ में आर्कियोलॉजिस्ट देव प्रकाश शर्मा कहते हैं इन विवादों में एएसआई की कोई भूमिका नहीं होती. उनके मुताबिक, "एएसआई तो अपना काम करता है, जो वस्तुस्थिति होती है उसका वैज्ञानिक तरीके से पता लगता है. एएसआई की जवाबदेही होती है. अत्यंत वैज्ञानिक तरीके से काम होता है.”
हालांकि लगातार विवादित स्थलों के सर्वे के मामले में उनका कहना है कि जिस ऐतिहासिक विरासत को भारत के लोग जी रहे हैं, उसके भीतर इस तरह हम जाने लगे तो उसकी कोई सीमा नहीं होगी. वो कहते हैं, "यह चीज ठीक नहीं है. इतिहास के विभिन्न युगों में हम सेक्युलर रहे हों या न रहे हों लेकिन इतना तो है कि अलग-अलग राजवंशों के समय में भी अलग-अलग धर्मों और संप्रदायों के लोग एडजस्ट करके चल रहे थे, अंग्रेजों के समय में भी ऐसा रहा और आज भी वैसा ही होना चाहिए. यदि हम गड़े मुर्दे उखाड़ने लगे तो इसकी कोई सीमा नहीं जहां जाकर यह सिलसिला रुक जाए.”
इतिहासकार और इलाहाबाद विश्वविद्यालय में मध्यकालीन इतिहास विभाग के अध्यक्ष रहे प्रोफेसर हेरम्ब चतुर्वेदी भी कहते हैं कि एएसआई का काम वैज्ञानिक तरीके से होता है और उन्हें कोई निर्देशित नहीं कर सकता. प्रोफेसर हेरम्ब चतुर्वेदी के मुताबिक, "एएसआई का कामकाज बहुत ही ईमानदारी से होता है. वैज्ञानिक तरीके से ऊपर से नीचे की तरफ खोदाई होती है, हर चीज की वीडियोग्राफी होती है और इसके जरिए वो वस्तुस्थिति को दिखाते हैं. सर्वे और खोदाई में अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन किया जाता है. हर खोदाई की रिपोर्टिंग होती है, न सिर्फ भारत में बल्कि इंटरनेशनल आर्कियोलॉजिकल सोसायटी में भी उनकी जवाबदेही होती है.” (dw.com)
भुवनेश्वर, 6 दिसंबर । बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर की 69वीं पुण्यतिथि पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सहित कई राजनीतिक हस्तियों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भुवनेश्वर के एजी स्क्वायर पर जाकर बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। इसके बाद वह हवाई अड्डे के लिए रवाना हो गईं। वहीं, राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने गृह जिले मयूरभंज का दौरा करने का भी कार्यक्रम बनाया है। उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी बाबा साहेब अंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने सोशल मीडिया एक्स हैंडल पर किए अपने पोस्ट में कहा, “डॉ. बी.आर आंबेडकर को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि।
महापरिनिर्वाण दिवस पर अंबेडकर - हमारे संविधान के निर्माता, एक राजनेता और दूरदर्शी हैं, जिन्होंने सामाजिक असमानताओं के खिलाफ अथक संघर्ष किया। न्याय, समानता और मानवीय गरिमा के प्रति उनकी गहन प्रतिबद्धता सभी को प्रेरित करती रहती है। आइए हम उनके आदर्शों को बनाए रखने और अधिक समावेशी भारत की दिशा में लगातार काम करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करें।” लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने भी बाबा साहेब अंबेडकर को याद करते हुए अपने एक्स हैंडल पर पोस्ट कर कहा, “राष्ट्रनिर्माता, सामाजिक न्याय के प्रहरी और भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर जी के महापरिनिर्वाण दिवस पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। समतामूलक समाज का उनका स्वप्न, उनकी अमूल्य शिक्षाएं और संविधान निर्माण में अतुलनीय योगदान हमें सदैव प्रेरित करते रहेंगे।”
कांग्रेस पार्टी ने भी बाबा साहेब अंबेडकर को याद किया। उन्होंने पार्टी की तरफ से अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर लिखा, “भारतीय संविधान के जनक और सामाजिक न्याय के प्रतीक बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथि पर कोटि: नमन। उनके आदर्श और विचार युगों-युगों तक हमें न्याय की राह पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते रहेंगे।” केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी बाबा साहेब अंबेडकर को एक्स हैंडल पर पोस्ट कर श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा, “महापरिनिर्वाण दिवस पर बाबा साहब अंबेडकर को याद करते हुए, उनके विचार और दृष्टिकोण भारत को प्रेरित करते रहते हैं। राष्ट्र उनके अपार योगदान के लिए उनका ऋणी रहेगा। उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें मेरी श्रद्धांजलि।” -(आईएएनएस)
नोएडा, 6 दिसंबर । नोएडा में पुलिस के अलावा दिल्ली पुलिस भी हाई अलर्ट मोड में आ गई है। क्योंकि शंभू बॉर्डर से भी किसानों ने दिल्ली कूच करने की बात की है। नोएडा में बीते कुछ दिनों से लगातार चल रहे किसानों के धरना प्रदर्शन को देखते हुए पुलिस ने बॉर्डर पर सघन चेकिंग अभियान चलाया हुआ है। क्योंकि बुधवार देर रात ग्रेटर नोएडा के जीरो पॉइंट पर महापंचायत के बाद धरने पर बैठे किसानों को पुलिस ने दोबारा उठाकर जेल भेज दिया है। इसके बाद से किसान नेताओं और किसानों में काफी ज्यादा रोष है। नोएडा से सटे दिल्ली के बॉर्डर पर पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर चेकिंग शुरू कर दी है। जिसकी वजह से वाहन चालकों को काफी ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है और जाम जैसी स्थिति बनी हुई है। संयुक्त किसान मोर्चा ने दिल्ली कूच का आह्वान किया है।
जिसको देखते हुए अलग-अलग किसान संगठन आज दिल्ली की तरफ रवाना हो सकते हैं। मथुरा, अलीगढ़ के साथ-साथ पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिले हैं, जिनके किसान शुक्रवार को दिल्ली की तरफ रवाना हो सकते हैं। एमएसपी समेत कई मुद्दे भी हैं, जिनको लेकर किसान अपना विरोध प्रदर्शन जताना चाहते हैं। इसी के साथ मिली जानकारी के मुताबिक शंभू बॉर्डर पर भी किसानों का जमावड़ा शुरू हो चुका है और ये ऐलान किया गया है कि दोपहर एक बजे किसान दिल्ली कूच करेंगे। इसलिए हरियाणा पुलिस की तरफ से बॉर्डर को पूरी तरह से सील किया गया है। इससे पहले भी कई महीनों तक शंभू बॉर्डर पर रास्ता पूरी तरीके से बंद रहा था और किसान लंबे समय तक वहां पर धरना प्रदर्शन करते रहे थे। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 6 दिसंबर । भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और आईटी सेल के प्रभारी अमित मालवीय ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर आरोप लगाया कि वो प्रदेश को बर्बादी की राह पर धकेल रही हैं। अपनी बात को साबित करने के लिए उन्होंने एक आंकड़ा भी साझा किया। उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पोस्ट में कहा, “अगर मुख्यमंत्रियों के लिए ‘हॉल ऑफ शेम’ हो तो सबसे शीर्ष पर ममता बनर्जी का नाम आएगा।” भाजपा नेता ने पश्चिम बंगाल से जुड़े कुछ चौंकाने वाले आंकड़े साझा करते हुए कहा, “पश्चिम बंगाल भारत में लगभग 67 फीसद केरोसिन की खपत करता है और यह स्थिति एलपीजी के पर्याप्त आपूर्ति के बावजूद बनी हुई है।”
उन्होंने सवाल उठाया, “क्या कारण हो सकता है? गरीबी, कालाबाजारी या बड़ी संख्या में अवैध प्रवासी, सत्तारूढ़ टीएमसी के लिए वोट बैंक के रूप में दोगुना हो रहे हैं?” उन्होंने आगे कहा, “कारण चाहे जो भी हो। लेकिन, इस बात को खारिज नहीं किया जा सकता है कि ममता बनर्जी अपने पीछे एक बर्बाद राज्य छोड़ रही हैं।” उल्लेखनीय है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद समिक भट्टाचार्य ने राज्यसभा में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री सुरेश गोपी से इस मुद्दे को लेकर सवाल पूछे थे। अमित मालवीय ने इसी को आधार बनाकर अपने सोशल मीडिया एक्स हैंडल पर प्रतिक्रिया दी। दरअसल, भाजपा सांसद समिक भट्टाचार्य ने सवाल किया था कि क्या पश्चिम बंगाल देश में सबसे अधिक मात्रा में केरोसिन की खपत करता है? क्या मंत्रालय को पश्चिम बंगाल में केरोसिन के दुरुपयोग और कालाबाजारी की जानकारी है?
क्या सरकार ने इस दावे का संज्ञान लिया है कि केरोसिन का सेवन बड़े पैमाने पर बांग्लादेशी घुसपैठियों द्वारा किया जाता है? इस तरह के दुरुपयोग को रोकने और इच्छित लाभार्थियों को यह सुनिश्चित करने के लिए निगरानी और वितरण में सुधार के लिए क्या उपाय लागू किए जा रहे हैं और ग्रामीण और सीमावर्ती क्षेत्रों में केरोसिन निर्भरता को कम करने के लिए वैकल्पिक, स्वच्छ ईंधन को बढ़ावा देने वाली पहल क्या हैं? इन सभी सवालों के जवाब में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री मंत्री सुरेश गोपी ने लिखित जवाब दिया था । जिसमें उन्होंने विस्तारपूर्वक भाजपा सांसद के सभी सवालों का जवाब दिया।
उन्होंने लिखा, “भारत सरकार खाना पकाने के उद्देश्य से तिमाही आधार पर पश्चिम बंगाल सहित अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को "सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत मिट्टी के तेल का आवंटन करती है। वर्ष 2023-24 के दौरान विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को पीडीएस एसकेओ का आवंटन अनुबंध में दिया गया है।” उन्होंने आगे कहा, “वर्ष 2023-24 के दौरान, पश्चिम बंगाल राज्य को 7,04,016 केएल पीडीएस एसकेओ आवंटित किया गया था, जो देश भर के राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों को किए गए 10,60,524 केएल के कुल आवंटन का 66.38 फीसदी है। भारत सरकार ने समय-समय पर संशोधित केरोसिन (उपयोग पर प्रतिबंध और अधिकतम कीमत का निर्धारण) आदेश 1993 जारी किया है, जिसमें सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत केरोसिन की बिक्री केवल खाना पकाने और रोशनी के प्रयोजनों के लिए पात्र उपभोक्ताओं तक सीमित कर दी गई है। कीमत सरकार या सरकारी तेल कंपनियों द्वारा तय की जाती है। पीडीएस नेटवर्क के तहत राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के भीतर पीडीएस केरोसिन का वितरण पश्चिम बंगाल राज्य सहित संबंधित राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा किया जाता है।”(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 5 दिसंबर । न्यूक्लियर विद्युत संयंत्रों के आसपास लोगों में रेडिएशन (विकिरण) की मात्रा नियामक सीमाओं से काफी कम है। केंद्र सरकार के मुताबिक न्यूक्लियर विद्युत संयंत्र स्थलों के आसपास बीएआरसी द्वारा किए गए 20 वर्ष के अध्ययन से यह निष्कर्ष निकाला गया है। अध्ययन यह बताता है कि इन संयंत्रों से आम लोगों को खतरा नहीं है। इससे सुरक्षित, कुशल प्रचालन और सख्त नियामक अनुपालन सुनिश्चित होता है।
निष्कर्षों को एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पत्रिका 'साइंस ऑफ टोटल एनवायरनमेंट' में प्रकाशित किया गया है। गुरुवार को राज्यसभा में इस संदर्भ में जानकारी देते हुए केंद्र सरकार ने बताया कि नाभिकीय विद्युत संयंत्रों का निर्माण और संचालन उच्चतम संरक्षा मानकों को अपनाते हुए किया जाता है। सरकार का कहना है कि यहां परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में रेडियो सक्रियता के रिसाव की संभावना बहुत ही कम है। यहां तक कि यदि सार्वजनिक क्षेत्र में रेडियो सक्रियता के रिसाव की असंभावित घटना हो, तो भी मानव जीवन को किसी बड़े खतरे से बचाने के लिए, आपातकालीन तैयारी योजनाएं पहले से ही बनाई गई हैं। केंद्र सरकार का कहना है कि नाभिकीय ऊर्जा के सभी पहलुओं, जैसे स्थान का चयन, निर्माण, कमीशन एवं संचालन संरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है। न्यूक्लियर विद्युत संयंत्रों का अभिकल्प अतिरिक्तता तथा विविधता के संरक्षा सिद्धांतों को अपनाते हुए किया जाता है। परमाणु ऊर्जा नियामक परिषद (एईआरबी) की संहिताओं और संदर्शिकाओं के अनुरूप गहन संरक्षा सिद्धांत का अनुपालन करते हुए 'विफल संरक्षित (फेल सेफ)' विशेषताएं उपलब्ध कराई जाती हैं। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि नाभिकीय विद्युत संयंत्रों का निर्माण उच्चतम गुणवत्ता मानकों के अनुसार किया जाता है। संचालन उच्च योग्यता प्राप्त, प्रशिक्षित और लाइसेंस प्राप्त कर्मियों द्वारा सुस्थापित प्रक्रियाओं को अपनाते हुए किया जाता है। कई स्तरों पर संरक्षा समीक्षा की एक मजबूत नियामक क्रियाविधि है।
नाभिकीय विद्युत संयंत्रों की संरक्षा की एईआरबी द्वारा निरंतर निगरानी और समीक्षा की जाती है। परमाणु ऊर्जा नियामक परिषद (एईआरबी) के दिशा-निर्देशों के अनुरूप एक विस्तृत आपातकालीन तैयारी योजना लागू की जाती है। यह योजना नाभिकीय विद्युत संयंत्र स्थलों पर उनके संचालन आरम्भ होने से पहले लागू की जाती है। नाभिकीय विद्युत संयंत्रों (एनपीपी) में स्थापित भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र की पर्यावरणीय सर्वेक्षण प्रयोगशालाएं (ईएसएल) नियमित रूप से एनपीपी स्थलों के आसपास विभिन्न पर्यावरणीय मैट्रिक्स की निगरानी करती हैं। परमाणु ऊर्जा नियामक परिषद द्वारा निर्धारित नियामक सीमाओं के अनुपालन का निरूपण करती हैं। ये प्रयोगशालाएं इस प्रकार से नाभिकीय विद्युत संयंत्रों का संरक्षित प्रचालन सुनिश्चित करती हैं। केंद्र सरकार के मुताबिक विकिरण मूल्यांकन के लिए निर्धारित पद्धति आईएईए द्वारा संस्तुत अंतरराष्ट्रीय मानक के अनुरूप है। सरकार का मानना है कि संरक्षा स्थिर नहीं है और नाभिकीय विद्युत संयंत्रों में सुधार या उन्नयन विकसित वैश्विक मानकों, घटनाओं और संचालन अनुभव से प्राप्त प्रतिक्रिया के आधार पर किए जाते हैं। - (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 5 दिसंबर । पीएम ई-विद्या योजना के अंतर्गत देश में एक और नया डीटीएच चैनल प्रारंभ होने जा रहा है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक यह चैनल भारतीय सांकेतिक भाषा के लिए डिजाइन किया गया है। इसका सीधा लाभ श्रवण-बाधित छात्रों को मिलेगा। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान 6 दिसंबर को नई दिल्ली में भारतीय सांकेतिक भाषा (आईएसएल) के लिए पीएम ई-विद्या का डीटीएच चैनल नंबर-31 शुरू करेंगे।
शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक देश में होने जा रही यह नई व महत्वपूर्ण पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के उद्देश्यों का समर्थन करती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में अधिक समावेशी शैक्षिक वातावरण को बढ़ावा देने के लिए भारतीय सांकेतिक भाषा को बढ़ावा देने की सिफारिश की गई है। एनईपी के पैरा 4.22 में कहा गया है कि भारतीय सांकेतिक भाषा (आईएसएल) को पूरे देश में मानकीकृत किया जाएगा। इसके साथ राष्ट्रीय शिक्षा नीति में यह भी कहा गया है कि श्रवण-बाधित छात्रों के लिए राष्ट्रीय एवं विभिन्न राज्यों के पाठ्यक्रमों की विषय-सामग्री तैयार की जाएगी। स्थानीय सांकेतिक भाषाओं का सम्मान किया जाएगा और जहां संभव और प्रासंगिक होगा, वहां पढ़ाया भी जाएगा। भारतीय सांकेतिक भाषा को बढ़ावा देने के लिए समर्पित एक विशेष पीएम ई-विद्या चैनल की परिकल्पना आईएसएल को एक भाषा के साथ-साथ एक स्कूली विषय के रूप में बढ़ावा देने के लिए की गई है। इसका सीधा-सीधा लाभ यह होगा कि एक बड़ी आबादी को भाषा सीखने की सुविधा मिल सकेगी।
यह चैनल स्कूली बच्चों, शिक्षकों, शिक्षक प्रशिक्षकों और अन्य हितधारकों के लिए करियर संबंधी मार्गदर्शन भी करेगा। इसके अलावा यह चैनल कौशल प्रशिक्षण, मानसिक स्वास्थ्य, कक्षा-वार पाठ्यक्रम सामग्री, संवाद कौशल के क्षेत्र में शिक्षण सामग्री का प्रसार करेगा। इससे हिंदी, अंग्रेजी आदि जैसी मौखिक भाषाओं की तरह सांकेतिक भाषा को एक विषय के रूप में बढ़ावा मिलेगा। केंद्रीय कौशल विकास और उद्यमिता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी भी इस कार्यक्रम में शामिल होंगे। कार्यक्रम में श्रवण-बाधित (एचआई) बच्चे, उपलब्धियां प्राप्त करने वाले श्रवण-बाधित व्यक्ति, विशेष शिक्षक, आईएसएल प्रमाणित दुभाषिए और श्रवण-बाधित समुदाय को मुख्यधारा में लाने के लिए काम करने वाले संगठन भाग लेंगे। (आईएएनएस)
जम्मू, 5 दिसंबर । जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री सुरिंदर कुमार चौधरी ने गुरुवार को आईएएनएस से बात करते हुए कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने बांग्लादेश में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा, जम्मू कश्मीर में शेख अब्दुल्ला की जयंती के अवसर पर छुट्टी बहाल करने और जम्मू-कश्मीर के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग पर अपनी राय रखी। बांग्लादेश में भारतीय नागरिकों, खासकर हिंदुओं और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे हमलों को लेकर सुरिंदर कुमार चौधरी ने चिंता जताई। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में आम नागरिकों के साथ नाइंसाफी नहीं होनी चाहिए। हर व्यक्ति को जीने का अधिकार है, चाहे वह हिंदुस्तान का हो या बांग्लादेश का। यह सरकार का कर्तव्य है कि वह नागरिकों की हिफाजत करे। उन्होंने बांगलादेश सरकार से आग्रह किया कि वह वहां हो रही हिंसा और नागरिकों पर हो रहे अत्याचारों पर कड़ी कार्रवाई करे।
सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी नागरिक बिना वजह परेशान न हो। जम्मू-कश्मीर में शेख अब्दुल्ला की जयंती पर छुट्टी के बारे में उन्होंने कहा कि कुछ लोग सोचते हैं कि छुट्टियां रद्द करने से कुछ बदल जाएगा। नाम को मिटाने से कुछ नहीं होगा, अगर बदलाव लाना है, तो बेरोजगार बच्चों के लिए रोजगार की बात कीजिए। जम्मू-कश्मीर की तामीर और तरक्की की बात कीजिए। चौधरी ने आरोप लगाया कि पिछली सरकारों ने राज्य में भ्रष्टाचार और खराब स्थिति को बढ़ावा दिया, लेकिन उनकी सरकार अब बदलाव लाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि अब हम जम्मू-कश्मीर के विकास की दिशा में काम कर रहे हैं और शेख अब्दुल्ला की जयंती पर छुट्टी भी बहाल करेंगे।
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लिए विशेष दर्जा जरूरी है। हमें हमारी पहचान और राज्य के अधिकारों की सुरक्षा चाहिए। हम इसे लेकर कोई समझौता नहीं करेंगे। हमारी सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि राज्य में पानी, बिजली, स्कूल और रोजगार की सुविधाएं सभी को मिलें। पिछले छह साल में जो सरकार रही है, उसने राज्य के लिए कुछ नहीं किया। अब हम बदलाव लाएंगे और जम्मू-कश्मीर का समग्र विकास करेंगे। - (आईएएनएस)