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लंदन, 25 सितम्बर (आईएएनएस)| सात टोरी सांसदों के एक समूह ने 'द कंजर्वेटिव फ्रेंड्स ऑफ कश्मीर' नाम के एक समूह को रिलॉन्च किया है, जिसका उद्देश्य कश्मीर की 'स्वाधानीता' के लिए अभियान चलाना है। इससे टोरी समर्थक ब्रिटिश भारतीयों में नाराजगी पैदी हो गई है। समूह ने हाल ही में ट्वीट किया, "हमने कंजर्वेटिव फ्रेंड्स ऑफ कश्मीर को रि-लॉन्च कर दिया है। हम कश्मीर और जम्मू में मानवाधिकारों के हनन और स्वाधीनता के लिए अभियान चला रहे हैं। कंजर्वेटिव सांसदों और कार्यकर्ताओं के बीच हमारे कारण से समर्थन बढ़ रहा है। हमें और हमारे काम को फॉलो करें।"
इस कदम ने भारत के कंजर्वेटिव फ्रेंड्स ऑफ इंडिया (सीएफआई) को हतोत्साहित कर दिया है, जो ब्रिटिश भारतीयों के बीच पार्टी को बढ़ावा देता है।
इस सप्ताह की शुरूआत में समूह ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के राष्ट्रपति मसूद खान के ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट को रीट्वीट किया था, जिसमें कहा गया था, "हम कश्मीर के कंजर्वेटिव फ्रेंड्स को फिर से लॉन्च करने के लिए आपके बहुत आभारी हैं। आपकी आवाज कश्मीर के आहत लोगों के लिए आशा की एक किरण की तरह चमकती है। बेसहारा, पस्त, मताधिकारहीन - वे न्याय के लिए आपकी और आपके सहयोगियों की ओर देखते हैं।"
समूह में टोरी के सांसदों में पॉल ब्रिस्टो (पीटरबरो), जेम्स डेली (ब्यूरी नॉर्थ), जैक ब्रेरेटन (स्टोक ओन ट्रेंट साउथ) और स्टीव बेकर (व्योमबे) शामिल हैं, जो सभी पाकिस्तानी आबादी वाले निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
ब्रेरेटन, डेली और ब्रिस्टो ऑल पार्टी पार्लियामेंट्री ग्रुप ऑन कश्मीर (एपीपीजीके) में भी शामिल रहे हैं, जिसकी अध्यक्षता लेबर सांसद डेबी अब्राहम्स ने की थी, जिन्हें 17 फरवरी को दिल्ली एयरपोर्ट पर यह सूचित किए जाने के बाद दुबई भेजा गया था कि उनका ई-वीजा वैध नहीं था। अगले दिन वह पाकिस्तान चली गई और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से मिली थी। बड़ी बात यह है कि इसका सारा खर्चा इस्लामाबाद द्वारा वहन किया गया।
बाद में पता चला कि एपीपीजीके को 18 फरवरी से 22 फरवरी 2020 के बीच पीओके की यात्रा के लिए 31,501 पाउंड (29.7 लाख रुपये) और 33,000 पाउंड (31.2 लाख रुपये) के बीच लाभ भी मिला।
ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ बीजेपी (यूके) के अध्यक्ष कुलदीप शेखावत ने एक मसौदा तैयार करने और उसे कंजर्वेटिव पार्टी के सह-अध्यक्षों को भेजने की योजना बनाई है, जिसमें उन्होंने दावा किया कि इस पर 200 से अधिक पीआईओ कार्यकर्ता हस्ताक्षर करेंगे।
उन्होंने कहा, "हम कंजर्वेटिव टीम के इस तरह के भारत विरोधी कदम से खुश नहीं हैं। ब्रिटेन को भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है।"