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राजपथ-जनपथ : निजी विवि और नियुक्ति
24-Mar-2025 3:46 PM
राजपथ-जनपथ : निजी विवि और नियुक्ति

निजी विवि और नियुक्ति

छत्तीसगढ़ राज्य निजी विश्वविद्यालय आयोग के चेयरमैन, और सदस्य का पद खाली है। चेयरमैन का पद तो 6 महीने से खाली है। एक सदस्य का कार्यकाल भी खत्म हो चुका है। वर्तमान में आयोग के एक सदस्य बृजेशचंद मिश्रा ही चेयरमैन का अतिरिक्त दायित्व संभाल रहे हैं। मिश्रा का कार्यकाल भी अगले पखवाड़े खत्म होने वाला है। इससे परे निजी विश्वविद्यालयों में फर्जीवाड़े की शिकायत रही है। खुद राज्यपाल रामेन डेका विश्वविद्यालयों की कार्यप्र्रणाली पर भरी बैठक में नाराजगी जता चुके हैं।

चूंकि मिश्रा रविवि में कुलसचिव रह चुके हैं। रायपुर कमिश्नर के साथ-साथ कई अहम पदों पर रहे हैं। उन्होंने निजी विश्वविद्यालयों की कार्यप्रणाली को पटरी पर लाने के लिए काफी हद तक दबाव बनाया है। इन सबके बीच चेयरमैन, और सदस्यों के रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए देश-प्रदेश के शिक्षाविदों की लाइन लगी है, और वे जोड़तोड़ भी कर रहे हैं। कुछ पूर्व कुलपति भी आयोग के अध्यक्ष बनने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं।

हल्ला है कि कुछ निजी विश्वविद्यालय के प्रबंधक अपनी पसंद का अध्यक्ष और सदस्य बनवाने के लिए भी प्रयासरत हैं। कुछ विवादित शिक्षाविदों के नाम चर्चा में हैं। सरकार इस पर क्या कुछ फैसला लेती है यह अगले कुछ दिनों में साफ हो जाएगा।

आईएएस में फेरबदल का वक्त

तबादलों का सीजन शुरू हो रहा है। इसकी शुरूआत मंत्रालय से होने जा रही है। चर्चा है कि आईएएस अफसरों की एक लंबी सूची निकल सकती है। उच्च शिक्षा सचिव आर प्रसन्ना केन्द्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर जा रहे हैं। वो इसी हफ्ते  रिलीव हो जाएंगे।

इसी तरह बिलासपुर कलेक्टर अवनीशशरण की मंत्रालय में पोस्ंिटग हो सकती है। वो सचिव के पद पर प्रमोट हो चुके हैं। कुछ कलेक्टरों को बदले जाने की चर्चा है। कहा जा रहा है कि आधा दर्जन कलेक्टर प्रभावित हो सकते हैं। कुछ बेहतर काम करने वाले अफसरों को अतिरिक्त जिम्मेदारी मिल सकती है। मसलन, रजत कुमार, सोनमणि बोरा, और एक-दो महिला अफसरों के नाम चर्चा में हैं।

राज्य प्रशासनिक सेवा से आईएएस में आए अफसर सचिव के पद पर नहीं है। पिछली सरकारों में कम से कम चार-पांच आईएएस अवार्ड वाले अफसर सचिव होते थे। यह बात भी अलग-अलग फोरम के जरिए सीएस तक पहुंचाई गई है। माना जा रहा है कि  फील्ड में पोस्टेड अफसरों में से एक-दो को मंत्रालय में लाया जा सकता है। देखना है आगे क्या होता है।

सुलझेगा महानदी जल विवाद?

महानदी जल विवाद की जड़ें छत्तीसगढ़ के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र में बनाए गए बैराज और चेक डैम से जुड़ी हैं, जिनका निर्माण मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ में जल संसाधन प्रबंधन के लिए किया गया था। ओडिशा का आरोप है कि इन परियोजनाओं ने महानदी के निचले हिस्से में जल प्रवाह को प्रभावित किया, जिससे वहां सिंचाई और पेयजल की समस्या पैदा हुई। यह विवाद तब और गहरा गया था जब छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार थी और ओडिशा में बीजू जनता दल की। ओडिशा के विधायकों की एक समिति उस समय छत्तीसगढ़ का दौरा किया था। उस समय छत्तीसगढ़ में बृजमोहन अग्रवाल जल संसाधन मंत्री थे। यह दौरा महानदी के जल उपयोग और बैराजों के प्रभाव को समझने के लिए किया गया था। ओडिशा का कहना था कि बिना एनजीटी की मंजूरी के ये बैराज  बनाए  रहे हैं। ओडिशा  सरकार से भी सहमति नहीं ली गई।, लेकिन उस समय कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया। ओडिशा ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय हरित अधिकरण और जल विवाद न्यायाधिकरण तक ले जाया, लेकिन वहां भी मामला अनसुलझा रहा। कांग्रेस सरकार के 5 साल के कार्यकाल में भी समझौते की दिशा में कोई प्रयास नहीं दिखा। अब, जब दोनों राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं और केंद्र भी समन्वय के लिए तैयार है, तो इस विवाद के हल होने की संभावना बढ़ गई है। शनिवार को भुवनेश्वर के लोक सेवा भवन में हुई बैठक में दोनों मुख्यमंत्रियों ने जिस तरह से सहमति जताई, वह इस बात का संकेत है कि राजनीतिक एकता और आपसी समझ इस लंबित समस्या को हल कर सकती है।

गिरा दो झोपड़ी, मैं महल बना लूंगी

उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर से आई एक तस्वीर ने हमारे समाज को झकझोर कर रख दिया है। बुलडोजर जब अजईपुर गांव की झोपडिय़ों को ढहा रहा था, तब छोटी सी बच्ची अनन्या दौड़ती हुई आई और अपने बिखरते आशियाने से अपनी कॉपी-किताबों को समेट ले गई। मानो वह कह रही है कि तुम झोपड़ी तोड़ सकते हो, मेरे सपने नहीं। किताबें बच गईं तो मैं खुद अपना महल खड़ा कर लूंगी। कक्षा-1 में पढऩे वाली इस नन्ही बच्ची की तस्वीर ने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसे नारों के खोखलेपन को भी उजागर किया है। ([email protected])

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