विशेष रिपोर्ट
हिरौली कैंप और गंगालूर-नेलसनार रोड़ जवानों की शहादत की गवाह
‘छत्तीसगढ़’ की विशेष रिपोर्ट : बीजापुर के गंगालूर से लौटकर-प्रदीप मेश्राम
रायपुर, 3 अक्टूबर (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। नक्सलियोंं के खिलाफ निर्णायक लड़ाई में बस्तर के दुर्गम इलाकों में सिलसिलेवार खुल रहे सुरक्षा कैंप और सडक़ों के फैलते जाल से नक्सलियों की जड़ें हिल रही हैं। कैंप खोलने और सडक़ बनाने पुलिस की रणनीति कारगर साबित हो रही है। बीजापुर जिले के गंगालूर से तकरीबन 15 किमी दूर हिरौली में पुलिस ने कैंप की शुरूआत कर नक्सलियों को चुनौती दी है। हिरौली कैंप खोलना पुलिस के लिए आसान नहीं रहा। कैंप खुलने के बाद विशेष केंद्रीय सहायता (एससीए) फंड से हिरोली-कांवडगांव के लगभग 1.53 किमी का सडक़ निर्माण किया गया। बीजापुर की जिला निर्माण समिति ने जान जोखिम में डालकर पहली बार इस इलाके के अंदरूनी गांव के लिए डामरयुक्त सडक़ 50 लाख की लागत से तैयार किया गया। इस कैंप में सीआरपीएफ को तैनात किया गया है। साथ ही युवा जवानों की कोबरा टीम नक्सलियों के लिए मुस्तैद है।
बताया जाता है कि कैंपों के जरिए पुलिस नक्सल समस्या का सफाया करने के लिए अलग-अलग तरीका अपना रही है। मसलन गांवों की बुनियादी समस्याओं का हल तलाश कर ग्रामीणों से नजदीकी बढ़ाने व नक्सल आतंक से मुक्त कराने पर जोर दे रही है। हिरौली कैंप की शुरूआत के खिलाफ नक्सलियों ने ग्रामीणों को ढाल बनाकर महीनों आंदोलन को हवा दी थी।
पुलिस का दावा है कि नक्सली कैंपों का विरोध कर अपनी साख को बनाए रखना चाहते हैं। कैंप खुलने के बाद अब कांवडग़ांव और आसपास के इलाकों में नक्सली गतिविधि कम हुई है। कंैप खुलने से आसमान से नजर रखने के लिए जवान हाई-डेफीनेशन के ड्रोन का उपयोग कर रही है। ड्रोन के उपयोग को लेकर भी नक्सली कई तरह के भ्रांति फैलाकर ग्रामीणों को बरगला रहे हैं। इसी तरह गंगालूर-नेलसनार जाने वाली मार्ग में पुलिस को कई जवानों की शहादत झेलनी पड़ी। इस मार्ग के निर्माण होने से नक्सलियों के ठिकाने अब सुरक्षित नहीं रह गए।
गंगालूर के बाद पुलिस अब सडक़ों को आधार बनाकर अंदरूनी इलाकों के पिछड़ेपन को दूर करने तेजी से आगे बढ़ रही है। बताया जाता है कि गंगालूर और नेलसनार के बीच रास्ता बनने से दंतेवाड़ा और बीजापुर की सरहद पर नक्सल घुसपैठ में कमी आने की संभावना है। इस सडक़ पर कई दफे मुठभेड़ के अलावा विस्फोट की घटनाएं हुए। सडक़ निर्माण के दौरान तैनात जवानों पर नक्सलियों ने जानलेवा हमला किया। कई जवानों की शहादत का गवाह बना यह मार्ग अब भी निमार्णाधीन है। इस मार्ग से करीब 5 किमी दूर स्थित हिरौली कैंप तक पहुंचना खतरे से खाली नहीं रहा। इसी तरह नेलसनार की ओर बढ़ते गंगालूर से शुरू हुए इस मार्ग में अब डामर बिछने से सडक़ चमचमाती दिख रही है।
बताया जाता है कि नक्सलियों ने कच्चे मार्ग को पक्की सडक़ बनाने का पुरजोर विरोध किया था। निर्माण के दौरान सडक़ से टिफिन बम और आईईडी कई बार जवानों ने गश्त के दौरान बरामद किया। इसके बावजूद पुलिस ने रोड़ बनाने और कैंप खोलने की मुहिम को बरकरार रखा। हिरौली कैंप खोलकर पुलिस ने अपना इरादा जाहिर कर दिया है। साथ ही सडक़ बनाने को एक अभियान के रूप में लिया है।