विचार / लेख
-स्वयं प्रकाश
जापान में साल भर से ज्यादा समय से रह रहे एक भारतीय व्यक्ति ने जापान में एक अजीब बात देखी कि उसके जापानी मित्र विनम्र और मददगार थे, किंतु उसे कोई भी अपने घर नहीं बुलाता था। एक कप चाय के लिए भी नहीं।
हैरान और आहत होकर, आखिरकार उसने एक जापानी मित्र से पूछा कि ऐसा क्यों?
काफी देर तक चुप रहने के बाद, उस दोस्त ने जवाब दिया कि, ‘हमें भारतीय इतिहास पढ़ाया जाता है, किंतु प्रेरणा लेने के लिए नहीं, बल्कि एक चेतावनी के तौर पर।’
उस भारतीय व्यक्ति ने हैरान होकर पूछा, ‘चेतावनी, भारतीय इतिहास चेतावनी के तौर पर पढ़ाया जाता है? प्लीज़ बताओ क्यों।’
जापानी दोस्त ने उससे पूछा, ‘कितने अंग्रेजों ने भारत पर राज किया?’
भारतीय व्यक्ति ने कहा, ‘शायद...लगभग 10,000?’
जापानी व्यक्ति ने गंभीरता से हाँ में सिर हिलाया और पूछा उस समय भारत में 30 करोड़ से ज्यादा भारतीय रहते थे। हैं ना?’
‘तो फिर तुम्हारे लोगों पर अत्याचार किसने किया? उन्हें कोड़े मारने, यातना देने और गोली मारने के आदेशों का पालन किसने किया?’
उसने जोर देकर पूछा कि, ‘जब जनरल डायर ने जलियांवाला बाग में गोली चलाने का आदेश दिया, तो ट्रिगर किसने दबाया था? क्या वे अंग्रेज़ सैनिक थे?नहीं, वे भारतीय थे। किसी ने भी जनरल डायर पर अपनी राइफल क्यों नहीं तानी? ‘उसने आगे कहा, ‘तुम जिस गुलामी की बात करते हो ना यही तुम्हारी असली गुलामी थी। शरीर की नहीं, आत्मा की।
वह भारतीय व्यक्ति जड़वत, मौन और शर्मिंदा खड़ा सुनता रहा। जापानी मित्र ने आगे कहा, ‘मध्य एशिया से कितने मुग़ल आए थे? शायद कुछ हजार? और फिर भी उन्होंने सदियों तक तुम पर राज किया। मुगलों ने अपने संख्या बल से भारत में शासन नहीं किया बल्कि तुम्हारे अपने लोगों ने सिर झुका कर मुगलों को सलाम किया। अपने लोगों से द्रोह किया और मुगलों की वफादारी की। या तो जिंदा रहने के लिए या चाँदी के सिक्कों के लिए।’
‘तुम्हारे अपने ही लोगों ने अपना धर्म परिवर्तन कर लिया। अपनी बहन-बेटी मुगलों से ब्याह दी।
तुम्हारे ही लोगों ने तुम्हारे नायकों को अंग्रेजों को सौंप दिया। चंद्रशेखर आजाद के साथ विश्वासघात किसने किया? वे अल्फ्रेड पार्क में छुपे हैं ये खबर अंग्रेजों को किसने दी?
भगत सिंह को उन लोगों (गांधी-नेहरू) की अनुमति के बिना फाँसी पर चढ़ाना आसान था क्या? जो कि खुद को देशभक्त कहते थे।’
‘तुम भारतीयों को विदेशी दुश्मनों की जरूरत नहीं है। तुम्हारे ही लोग सत्ता, पद और निजी लाभ के लिए बार-बार तुम्हें धोखा देते हैं। इसीलिए हम भारतीयों से दूरी बना कर रखते हैं।’
‘जब अंग्रेज हांगकांग और सिंगापुर आए तो एक भी स्थानीय व्यक्ति उनकी सेना में शामिल नहीं हुआ। लेकिन भारत में, तुम सिफऱ् दुश्मनों की सेना में ही शामिल नहीं हुए बल्कि तुमने उनकी सेवा की। उनकी पूजा की। उन्हें खुश करने के लिए अपने ही लोगों को मार डाला।’
‘तुम भारतीय आज भी नहीं बदले हो। तुमने इतिहास से कोई सबक नहीं लिया है। आज भी थोड़ी सी मुफ्त की बिजली, एक बोतल शराब, एक कंबल दे दो और तुम्हारा वोट, तुम्हारा जमीर, तुम्हारी आवाज, सब बिना सोचे-समझे तुम बेच देते हो।’ ‘तुम्हारी वफादारी तुम्हारे देश के साथ नहीं, बल्कि तुम्हारे पेट के साथ है।’
‘तुम नारे लगाते हो। तुम विरोध प्रदर्शन करते हो। लेकिन जब देश को तुम्हारे बलिदान की ज़रूरत पड़ती है, तब तुम कहाँ होते हो? तुम्हारी पहली वफादारी अभी भी अपने घर-परिवार, पत्नी-बच्चों और धन-संपत्ति के प्रति है। बाकी देश और धर्म सब जाए भाड़ में।’
‘इतना कह कर वह जापानी वहाँ से चला गया और वह भारतीय शर्म के मारे सिर नीचा किए वहीं बुत की तरह खड़ा रह गया।’


