विचार / लेख
सीजेआई के हमलावर वकील को कोई पछतावा नहीं
-आर.के. जैन
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में भारत के चीफ जस्टिस (सीजेआई) बी आर गवई पर जूता फेंकने की कोशिश करने वाले 72 वर्षीय वकील राकेश किशोर ने कहा है कि उसे अपने कृत्य के लिए कोई पछतावा नहीं है, जबकि उसके परिवार ने इसके लिए उनकी कड़ी निंदा की है।
पुलिस पूछताछ में राकेश किशोर ने बताया कि उसने यह कदम इसलिए उठाया क्योंकि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने खजुराहो के वाद विषय पर एक याचिका न सुनने का आदेश दिया था। उस याचिका में भगवान विष्णु की मूर्ति को पुनर्स्थापित करने की मांग की गई थी।
न्यायालय की उस टिप्पणी पर उसने आपत्ति जताई कि “मंदिर के विषय में यह मामला ASI (पुरातत्व सर्वेक्षण) का विषय है।” यह भी कहा था कि “ईश्वर से कहो कि वे कुछ करें।”
राकेश ने कहा कि इस निर्णय के बाद “मैं चैन से नहीं सो सका, रातों को ईश्वर मुझसे पूछ रहे थे कि मैं कैसे आराम कर सकता हूँ।” उन्होंने यह भी कहा कि वे किसी राजनीतिक दल से नहीं जुड़े हैं और जेल जाने के लिए तैयार हैं। “अगर मैं जेल में होता तो अच्छा होता। मेरा परिवार बहुत दुखी है, उन्हें मेरा यह कदम समझ नहीं आ रहा है।”
घटना के समय, वह “सनातन का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान” कहता हुआ ले जाया गया। Supreme Court Bar Association के संयुक्त सचिव ने कहा कि किशोर से मिलने पर उन्होंने देखा कि वह अपराधबोध महसूस नहीं कर रहा था।
पुलिस ने यह भी पुष्टि की कि उसके पास वैध कोर्ट प्रवेश अनुमति थी। जिसमें बार काउंसिल ऑफ इंडिया कार्ड और अस्थायी SCBA सदस्यता शामिल थी।
सीजेआई गवई का शांत व्यवहार 57 साल पहले चाकू से हमला करने वाले एक व्यक्ति के साथ कोर्ट रूम में एक जज के साथ हुई घटना की याद दिलाता है।
13 मार्च, 1968 को, भारत के तत्कालीन चीफ जस्टिस एम. हिदायतुल्लाह ने अपने साथी जज जस्टिस ए.एन. ग्रोवर की जान बचाने के लिए अदालत कक्ष में चाकू लिए एक व्यक्ति से हाथापाई की। एक पुलिस अधिकारी द्वारा हमलावर को हथकड़ी लगाने के बाद, चीफ जस्टिस ने पुलिस अधिकारी से कहा कि वह उस व्यक्ति के साथ नरमी से पेश आए और मारपीट न करें।
मौजूदा सीजेआई बी.आर. गवई पर जब यह निंदनीय कोशिश की गई तो वह एकदम शांत रहे। उन्होंने परेशान वकीलों से बिना रुके अदालती कार्यवाही जारी रखने को कहा। जस्टिस गवई का शांत रहना उस घटना की याद दिलाता है जब स्व. सीजेआई हिदायतुल्लाह अपने साथी जज ए.एन. ग्रोवर की जान बचाने के लिए चाकू से लैस हमलावर से जूझ गए थे। फिर पुलिस वालों से कहा कि उस हमलावर से मारपीट न की जाए।
सीजेआई कुछ दिन बाद रिटायर होने वाले हैं और यह घटना भी इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाएगी। लेकिन ऐसी घटनाओं से न्यायपालिका को चोट पहुंचाने की कोशिश है।
राकेश किशोर नामक जिस शख्स ने सीजेआई गवई के साथ जिस मुद्दे पर घटिया हरकत की, वो कई मुद्दा नहीं था। न ही उस शख्स को कोई व्यक्तिगत परेशानी थी ।
लेकिन धर्म के नाम पर उस शख्स के कृत्य को जायज़ नहीं ठहराया जा सकता। यह हमला न्यायपालिका पर हुआ है। कोई भी व्यक्ति चाहे वह नेता हो या सांसद आजकल न्यायपालिका के खिलाफ कुछ भी टिप्पणी कर देता है। अदालत भी ऐसे लोगों पर कार्रवाई नहीं करतीं। जिससे ऐसे तत्वों का मनोबल बढ़ रहा है।
देश की न्यायपालिकाओं पर हमला करने वालों पर सख़्त कार्रवाई होनी ज़रूरी है , वरना न्यायालय मे बैठे न्यायाधीश निष्पक्ष नही रह पाएंगे ।
आज भी देश में जब व्यक्ति को शासन , प्रशासन से न्याय नही मिलता या जब दो लोगों के बीच में विवाद होता है तो वह न्याय के लिये न्यायालयों पर ही अंतिम भरोसा करता हैं क्योंकि वह समझता है कि भले ही देर से सही पर उसे न्याय जरूर मिलेगा ।


