विचार / लेख

ओ शरद के चंद्रमा...
06-Oct-2025 10:27 PM
ओ शरद के चंद्रमा...

-ध्रुव गुप्त

शरद पूर्णिमा की रात साल की सबसे खूबसूरत रात है और इस रात का चांद सबसे बड़ा जादूगर। शीत के हल्के स्पर्श और स्निग्ध चांदनी के तिलिस्म के मेल से तन मन में रूमान जगाने वाली रात। यह प्रेमियों की रात है। यह वही रात है जब मधुबन में कदंब के वृक्षों के तले कृष्ण ने प्रेमाकुल गोपियों के साथ महारास रचाया था। कहा जाता है कि आज की चांदनी में प्रेमी जोड़ें अगर साथ नहा लें तो वे जन्म जन्मांतर के अटूट बंधन में बंध जाते हैं। बचपन में हममें से बहुत लोगों ने गांव में कदंब के वृक्ष के नीचे इस रात का आनंद लिया होगा। चांदनी में नहाई खीर भी खाई होगी। जवानी में जब तक इस रात का रूमान समझ आया तब तक बहुत कुछ बदल चुका था। कदंब के पेड़ लुप्त हो चुके थे। आकाश के धवल चांद की चमक कृत्रिम रोशनी ने छीन ली थी। कोलाहल ने उसका एकांत। जीवन की आपाधापी ने साहचर्य का सुख। शहर में रहने वाले लोगों के लिए यह रात अब किताबों में ही रह गई है। जो लोग गांवों में हैं वे इस रात का रूमान भूल चुके हैं। यह रात अब कर्मकांडियों के हवाले है।

परिस्थितियां आज चाहे जितनी बदल गई हों,आकाश में शरद पूर्णिमा का चांद तो अब भी उगता है। कदंब से छनकर आती चांदनी का तिलिस्म और प्रेम का कोई एकांत कोना भले अब न बचा हो, शीतल चांदनी में नहाई हमारे घर की छत और कल्पनाओं का खुला आकाश तो अब भी हमारे पास है न ? तो चलिए, आज की रात खीर का कटोरा चांदनी के हवाले कर इत्मीनान से बैठ जाएं। आसपास की चकाचौंध और शोर को नजरअंदाज कर देह पर चांदनी का मुलायम स्पर्श और सरकती हवा की गुदगुदी महसूस करें। आप अपने प्रेम के साथ हैं तो चांद उंगली पकड़कर आपको प्रेम की आंतरिक,अजानी अनुभूतियों तक ले जाएगा। आप परिवार के साथ हैं तो ऐसा महसूस होगा कि चांद मासूम बच्चे की तरह चुपके से आकर आपके बीच बैठ गया है। आप अकेले हैं तो चांद को निहारिए। उसकी खूबसूरती और अदा पर कुछ शेर वेर कहिए। पूरे साल सजने संवरने के बाद आज की रात जो चांद सौंदर्य का चरम और भावनाओं के इतने शेड्स लेकर हमारे सामने उपस्थित है, वह हमारी थोड़ी तारीफ और मुहब्बत का हकदार तो है ही। क्या हुआ जो वह हमारी पहुंच से बहुत दूर है। ये फासले न हों तो प्रेम टिकता भी कहां है इसका जादू भी फासले का है जादू, ऐ दिल / चांद मिल जाए तो फिर चांद कहां रहता है !

आप सबको शरद पूर्णिमा की शुभकामनाएं !


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