विचार / लेख

सीधी-सरल अम्मा के साथ हमेशा अन्याय
30-Nov-2024 3:28 PM
सीधी-सरल अम्मा के साथ हमेशा अन्याय

द्वारिका प्रसाद अग्रवाल

मेरी अम्मा के पति और श्वसुर दोनों अद्भुत प्राणी थे। अम्माजी भोजन बनाने में अपने प्राण भी लगा दे तो भी उनको स्वाद नहीं आता था, खाते जाते थे, दांत पीसते जाते थे और थाली-गिलास पटक कर अपना क्रोध प्रगट करते रहते, बेचारी अम्मा चुपचाप सुनती-सहती रहती। हमारे घर में रोज दो-चार मेहमानों का भोज होता था, समाज में दोनों बाप-बेटे की मेहमाननवाज़ी की तारीफ हुआ करती थी, अम्माजी की बदौलत। बेचारी चूल्हे की आग में तपती भोजन बनाती, अकेले परोसती-खिलाती और सब खानेवाले मुंह पोछते हुए बिना कुछ कहे चले जाते। जिस भोजन के स्वाद पर दोनों बाप-बेटे अम्माजी को गरियाते थे, उस भोजन को याद करके आज हम तरसते हैं।

अम्माजी लाजवाब भोजन बनाती थी। चूल्हे में लकड़ी जलाकर बटुवे में पकी दाल और भात का स्वाद आज भी मुझे याद है। रोटी और पूरी को ऐसा गोल बेलती कि 'सर्कुलेटर' से 'चेक' कर लो। उनमें गजब की फुर्ती थी, रोटी सेंकते हर समय उनकी एक रोटी तवे पर होती, दूसरी अंगार पर और तीसरी पटे पर ! उनके हाथ से सिंकी हुई रोटियों की मुलायमियत अब स्मृति-शेष होकर रह गई। फूली हुई पूरियां और रसीली आलू या लौकी की सब्जी आज भी बहुत याद आती हैं। उनके हाथ से बने पापड़, बिजौरा, बड़ी, कचरिया, अथान (अचार) अब कहाँ ? मूंग और बेसन के लड्डू का वह सोंधापन, गुझिया और इन्दरसा की मिठास और प्रसव के पश्चात प्रसूता को खिलाए जाने वाले मेवा-मसालेदार 'सोंठइला लड्डू' का स्वाद न जाने कहाँ विलीन हो गया !

अम्माजी की याद में कितनी घटनाएँ मेरे ज़ेहन में उमड़ रही हैं, उन सब यादों को जोडक़र यदि उनका व्यक्तित्व परिभाषित किया जाए तो वे अत्यंत परिश्रमी और सरल स्वभाव की महिला थी। उनकी सरलता ने उनको बहुत सताया और जिस मान-सम्मान की वे हकदार थी, वह उन्हें नहीं मिला।

अम्माजी और दद्दाजी विपरीत स्वभाव वाले युगल थे, एक आग का गोला तो दूसरा बर्फ की चट्टान! लेकिन दद्दाजी तो दद्दाजी थे, उनके स्वभाव का क्या कहने ?

मैंने देखा है कि सीधे-सरल स्वभाव के व्यक्ति के साथ हमेशा अन्याय होता है। मनुष्य को फुफकारने वाले नाग की तरह जीवनशैली अपनानी चाहिए ताकि लोग उससे भयभीत रहें, यदि आप पिटपिटिया साँप के तरह अपना बचाव करते रहेंगे तो लोग आपको पैरों से कुचलते रहेंगे, आपको अपने अनुभव की बात बता रहा हूँ।

( आत्मकथा का एक अंश)


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