सरगुजा

स्कूल बैग का बोझ और बच्चों को शौचालय न भेजने के मामले पर उठे सवाल
09-Oct-2025 8:40 PM
 स्कूल बैग का बोझ और बच्चों को शौचालय न भेजने के मामले पर उठे सवाल

राज्य बाल संरक्षण आयोग के निर्देशों के बावजूद कई निजी स्कूलों में स्थिति में सुधार नहीं -शिल्पा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

अंबिकापुर, 9 अक्टूबर। बच्चों के स्कूल बैग के वजन और छोटे बच्चों को कक्षा के दौरान शौचालय न जाने देने से जुड़े मामले में राज्य बाल संरक्षण आयोग द्वारा दिए गए निर्देशों के पालन पर सवाल उठाए गए हैं। अधिवक्ता एवं समाजसेवी शिल्पा पांडे ने कहा है कि आयोग की अध्यक्ष और सरगुजा कलेक्टर द्वारा जारी निर्देशों के बावजूद कई निजी स्कूलों में स्थिति में सुधार नहीं हुआ है।

जानकारी के अनुसार, अंबिकापुर के कुछ निजी स्कूलों में छोटे बच्चों को कक्षा के दौरान शौचालय न जाने देने और बैग के अत्यधिक वजन को लेकर समाजसेवी शिल्पा पांडे ने राज्य बाल संरक्षण आयोग से शिकायत की थी। इस पर आयोग ने 11 बिंदुओं में दिशा-निर्देश जारी किए थे।

गुरुवार को प्रेस वार्ता में शिल्पा पांडे ने बताया कि निरीक्षण के दौरान कुछ स्कूलों में छोटे बच्चों के बैग अत्यधिक भारी पाए गए। उन्होंने कहा कि जब इस विषय में एक स्कूल की प्राचार्य से पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि इससे बच्चों की पीठ मजबूत होगी। इसी तरह, शौचालय जाने से रोकने पर एक अन्य प्राचार्य ने कहा कि ‘बच्चे कंट्रोल करना सीख रहे हैं।’

शिल्पा पांडे ने कहा कि आयोग, कलेक्टर और जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा निर्देश जारी किए गए हैं, लेकिन केवल पत्र जारी करने से समस्या हल नहीं होगी। उन्होंने सुझाव दिया कि एक निगरानी समिति बनाई जाए जो निजी और शासकीय स्कूलों में इन निर्देशों के पालन की वास्तविक स्थिति की जांच करे।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्कूल बैग नीति में प्रत्येक कक्षा के लिए बैग का अधिकतम वजन निर्धारित है, परंतु निजी स्कूलों में यह नियम अक्सर नहीं माना जाता। उन्होंने बताया कि कई बार छोटे बच्चे अपने शरीर के वजन का आधा बैग लेकर स्कूल जाते हैं, जिससे उनके स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है।

शिल्पा पांडे ने कहा कि सरकारी स्कूलों में ‘बैग-लेस डे’ का प्रावधान है, जबकि निजी स्कूलों में इस नीति का पालन नहीं किया जा रहा। अभिभावकों द्वारा शिकायत न करने के बारे में उन्होंने कहा कि कई माता-पिता डर के कारण चुप रहते हैं, क्योंकि उन्हें आशंका होती है कि स्कूल प्रशासन उनकी आपत्ति का असर बच्चों पर डालेगा।

उन्होंने कहा कि यह मुद्दा बच्चों के स्वास्थ्य और अधिकारों से जुड़ा हुआ है, इसलिए अभिभावकों और समाज को मिलकर इस पर ध्यान देना चाहिए।

 उन्होंने कहा कि यदि दिशा-निर्देशों का पालन जल्द नहीं हुआ, तो वे इस मामले में उच्च न्यायालय में याचिका दायर करेंगी।


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