राजनांदगांव

मृतात्माओं की शांति के लिए पूजा-पाठ के साथ कर रहे दान-पुण्य
छत्तीसगढ़ संवाददाता
राजनांदगांव, 13 सितंबर। पितृपक्ष में पूर्वजों की याद में लोग रोज जल तर्पण कर रहे हैं। मृतात्माओं की शांति के लिए पूजा-पाठ के साथ दान-पुण्य भी कर रहे हैं। शहर के सरोवर और तालाबों में अलसुबह लोगों का जमावड़ा दिख रहा है।
दिवंगत मृतात्माओं को नमन करते हुए विधि-विधान से जल तर्पण का सिलसिला चल रहा है। मृतात्माओं की शांति के लिए पखवाड़ेभर तक घरों में शांति-पूजा का सिलसिला जारी है। रोजाना तालाबों और सरोवरों में लोग पितरों के लिए जल अर्पित कर रहे हैं। हिन्दू धर्म में पितृपक्ष के दौरान नए कार्य की शुरूआत नहीं की जाती। साथ ही दिवंगत आत्माओं की याद में विशेष भोजन बनाए जा रहे हैं। रोज सुबह पितरों को भोजन चढ़ाया जा रहा है। पितृपक्ष में घरों में मृतात्माओं के लिए भजन-कीर्तन के अलावा शांतिपाठ भी कराए जाते हैं। लोक मान्यता है पितृपक्ष में मृत्यु पश्चात बुजुर्गों को नमन करने से घरों में खुशहाली के साथ शांतिमय वातावरण रहता है। इस दौरान पितरों के जीवनकाल में किए गए कार्यों को भी याद किया जाता है। दिवंगत हो चुके परिवार के सदस्यों की पसंदीदा खानपान के अलावा उनकी हर आवश्यक वस्तुओं को भी अर्पित किया जाता है। पितृपक्ष के मौके पर एक तरह से लोग पितरों की याद में डूबे रहते हैं। पितृपक्ष में भिक्षुओं का विशेष ख्याल रखा जाता है। घर की दहलीज पर भिक्षा लेने आने वालों की खास तारीमदारी होती है।
इस अवसर पर कौओं को भी भोजन परोसा जाता है। कहा जाता है कि कौओं के भोजन ग्रहण करने से दिवंगत लोगों को शांति मिलती है। इधर पितृपक्ष में लोग खुले मन से दान-दक्षिणा देते हैं। यही कारण है कि लोगों के घरों के सामने भिक्षुओं का मजमा लगा रहता है। इधर पितृपक्ष के चलते नए कामकाज नहीं किए जाते। वहीं नए पोशाक, सैर-सपाटे एवं अन्य मनोरजंक कार्यक्रमों से भी लोग दूर रहते हैं। माना जाता है कि पितरों के लिए पूरे दिन एक तरह से शोक रखकर लोग उन्हें याद करते हैं। दिवगंत आत्माओं की भावना को ठेस न लगे इसकी लोग कोशिश करते हैं।
9वीं तिथि में महिलाओं
को तर्पण
पितृपक्ष के नवमी तिथि में दिवंगत महिलाओं को तर्पित किया जाता है। ज्ञात हो कि पितृपक्ष में नवमी तिथि को महिलाओं के लिए विशेष दिन माना जाता है। इस दिन मृत महिलाओं की याद में घर में पूजा-अर्चना के साथ उनके मनपंसद चीजों को अर्पित किया जाता है। नवमी तिथि पर घरों में महिलाओं को याद करते तर्पण किया जाता है।
21 को पितृमोक्ष अमावस्या
पितृमोक्ष अमावस्या आगामी 21 सितंबर को मनाया जाएगा। इस तिथि में छूटे हुए पितरों को याद किया जाता है। ऐसे में पितृपक्ष के 15 दिनों तक नए कामकाज की शुरूआत न कर पितरों को जल तर्पण कर उन्हें याद कर उनके नाम की पूजा-अर्चना लोग करते हैं। वहीं पितृमोक्ष अमावस्या के दूसरे दिन नवरात्र प्रारंभ होने के साथ ही नए कामकाज की शुरूआत लोग करते हैं।