राजनांदगांव

निलंबित अफसरों की कार्यप्रणाली से सुर्खियों में था राजनांदगांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 11 जुलाई। राज्य के बहुचर्चित शराब घोटाले में करोड़ों रुपए का कमीशन हजम करने के आरोप में निलंबित किए गए 22 अफसरों में से 5 अफसरों ने राजनांदगांव में बतौर जिला आबकारी अधिकारी के रूप में काम किया। पांचों अफसरों की पदस्थापना के दौरान राजनांदगांव अवैध शराब की खपत और कोचियागिरी को बढ़ावा मिलने से चर्चित रहा।
इन अफसरों पर स्थानीय स्तर पर भी कार्रवाई करने के लिए राजनीतिक और गैरराजनीतिक स्तर पर आवाज उठती रही, लेकिन प्रशासनिक तंत्र का वरदहस्त होने की वजह से इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई। आखिरकार राज्य सरकार ने निलंबन की कार्रवाई कर अफसरों पर नकेल कसा है। निलंबित अफसरों पर गिरफ्तारी की तलवार भी लटक रही है। निलंबित 5 अफसरों में अनिमेष नेताम, नीतू नोतानी ठाकुर, विजय सेन शर्मा, नवीन प्रताप सिंह तोमर और गरीबपाल दर्दी शामिल हैं।
बताया जा रहा है कि पिछली कांग्रेस सरकार में इन अफसरों ने खुलेआम सरकारी शराब के बजाय निजी शराब के कारोबार को बढ़ावा देकर करोड़ों रुपए के कमीशन लिए हैं। ईओडब्ल्यू/एसीबी ने 7 जुलाई को शराब घोटाले में शामिल आबकारी अधिकारियों के खिलाफ पूरक चालान पेश किया था। इन अफसरों के खिलाफ इसलिए राज्य सरकार ने आरोपी होने के चलते निलंबन की कार्रवाई की।
बताया जा रहा है कि राजनांदगांव में पदस्थ रही नीतू नोतानी ठाकुर ने भी आबकारी विभाग के राजस्व को काफी नुकसान पहुंचाया है। इसी तरह नवीन प्रताप सिंह तोमर ने भी मनमर्जी पूर्वक अवैध शराब की बिक्री कर करोड़ों रुपए का कमीशन हासिल किया। अनिमेष नेताम और विजय सेन शर्मा और जीपी दर्दी ने भी पिछली सरकार के शह पर बेहिसाब तरीके से निजी कंपनी के शराब बेचे। अब सरकार ने सभी को निलंबित कर बड़ी कार्रवाई करने का अपना इरादा जाहिर कर दिया।
विकास गोस्वामी और दिनकर वासनिक नांदगांव के बाशिंदें
निलंबित अफसरों में विकास गोस्वामी और दिनकर वासनिक का भी नाम है। भले ही दोनों की जिले में पदस्थापना नहीं थी, लेकिन दोनों स्थानीय निवासी हैं। विकास गोस्वामी मूलत: डोंगरगांव के हैं। जबकि दिनकर वासनिक ममता नगर के रहने वाले हैं। उनके पिता आयुर्वेदिक चिकित्सा विभाग के पूर्व सीएमओ हैं। विकास गोस्वामी के पिता भी कांग्रेस के प्रमुख नेता रहे हैं। दोनों के निलंबन से आबकारी अमले में चर्चाएं चल रही है। बताया जा रहा है कि निलंबित अफसरों की कारगुजारियों को लेकर राज्य सरकार गिरफ्तारी की भी कार्रवाई कर सकती है।