राजनांदगांव

महापौर देशमुख का वार्ड सुरक्षित, कई दावेदारों के लिए आरक्षण से खुला द्वार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 20 दिसंबर। राजनांदगांव नगर निगम के 51 वार्ड की आरक्षण की प्रक्रिया खत्म होने के बाद वार्डों में चुनाव लडऩे के इच्छुक दावेदारों की तस्वीर अब साफ हो गई है। हालांकि आरक्षण के कई वार्डों से चुनाव लडऩे की तैयारी कर रहे दावेदारों को मायूस भी होना पड़ा है। जिला पंचायत सभाकक्ष में गुरुवार को संपन्न हुए आरक्षण प्रक्रिया में महापौर हेमा देशमुख को चुनाव लडऩे में कोई दिक्कत नहीं है। जबकि नेता प्रतिपक्ष किशुन यदु को निगम में दोबारा जाने के लिए दूसरे वार्ड में संभावना तलाशनी पड़ेगी। यदु का वार्ड ओबीसी महिला के लिए आरक्षित हो गया है। आरक्षण से एमआईसी मेम्बर के 4 वार्ड प्रभावित हुए हैं। महिला के लिए आरक्षित कर दिए गए हैं। एमआईसी मेम्बर के सदस्यों को भी अगल-बगल की सीट पर चुनाव लडऩे का विकल्प ढूंढना पड़ रहा है।
पूर्व नगर निगम के सभापति शिव वर्मा की मौजूदा वार्ड भी महिला के लिए आरक्षित हो गई है। शिव वर्मा इस वार्ड से दोबारा चुनाव लडऩे की ख्वाहिश पाले हुए थे। आरक्षण ने उनके इरादों पर पानी फेर दिया है। शहर कांग्रेस अध्यक्ष कुलबीर छाबड़ा के राह में आरक्षण का कोई असर नहीं पड़ा है। यानी उनका वार्ड अनारक्षित श्रेणी में आ गया है। राजनांदगांव निगम के 51 वार्डों में से 16 वार्ड ओबीसी के खाते में चले गए हैं। पहले चर्चा थी कि आरक्षण से कम से कम 25 वार्ड ओबीसी के हिस्से में चले जाएंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
इस बीच अनुसूचित जनजाति के लिए 3 और अनुसूचित जाति के लिए 6 सीट आरक्षित किया गया है। कुल 17 महिला अभ्यर्थी वार्डों में चुनाव लड़ती नजर आएगी। 26 वार्ड अनारक्षित श्रेणी में है।
निगम में आरक्षण की स्थिति स्पष्ट रूप से सामने आने के बाद कई दावेदार सक्रिय हो गए हैं। चुनावी जंग में कूदने के लिए नए दावेदारों की फौज भी है। साथ ही पूर्व पार्षदों को भी चुनाव लडऩे की इच्छा है। बताया जा रहा है कि प्रत्यक्ष प्रणाली में महापौर और पार्षद के लिए शहरी मतदाता वोट डालेंगे। ऐसे में इस बार चुनाव काफी दिलचस्प होने के आसार हैं। वहीं कई पार्षदों के लिए आसन्न निकाय चुनाव जीत-हार के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण रहेगा। राजनंादगांव नगर निगम में कांग्रेस का कब्जा है। महापौर हेमा देशमुख के दोबारा पार्षद चुनाव लडऩे की संभावना आरक्षण के बाद प्रबल हो चली है। हालांकि वह निकाय चुनाव लडऩे के लिए इच्छुक नहीं है। बहरहाल आरक्षण प्रक्रिया के बाद वार्डों में सियासी दांव-पेंच शुरू हो गया है।
3 जनवरी को महापौर का कार्यकाल होगा पूरा
वर्तमान महापौर हेमा देशमुख का कार्यकाल 3 जनवरी को समाप्त हो जाएगा। निकाय चुनाव को लेकर आरक्षण की प्रक्रिया पूरी होते ही निकाय चुनाव के तारीख का ऐलान पर सबकी नजर लगी हुई है। चर्चा है कि सरकार निकाय चुनाव को कम से कम 6 माह के लिए आगे बढ़ा सकती है। इसकी वजह त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव को भी निकाय चुनाव संग कराना है। 3 जनवरी के बाद राजनांदगांव महापौर का कार्यकाल समाप्त होते ही प्रशासक की नियुक्ति हो सकती है। बताया जा रहा है कि भाजपा का एक धड़ा चुनाव को टालने के लिए जोर लगा रहा है, लेकिन कुछ प्रमुख नेता निकाय चुनाव कराने के लिए सरकार पर दबाव बनाए हुए हैं। श्रीमती देशमुख ने 3 जनवरी 2020 को महापौर की कुर्सी सम्हाली थी। उनका कार्यकाल का एक बड़ा समय कोरोना से संघर्ष करते बीत गया। शेष कार्यकाल में उन्होंने शहर की बुनियादी संरचनाओं को मजबूत करने के लिए पूरा जोर लगाया।