रायपुर

5 माह से टेंडर और अन्य तैयारियां अधूरी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 4 सितम्बर। इलेक्ट्रिक बसों (ई-बसों) को अपनाने में छत्तीसगढ़ फिसड्डी साबित हो रहा है। इससे राष्ट्रीय स्तर पर शहरी परिवहन में हरित गतिशीलता के विस्तार की दिशा में बड़ा कदम उठाने में पिछड़ गया है। शहरी विकास मंत्रालय की
रिपोर्ट के अनुसार, पूरे भारत में वर्तमान में 14,329 ई-बसें चल रही हैं। शीर्ष चार राज्य दिल्ली (3,564), महाराष्ट्र (3,296), कर्नाटक (2,236) और उत्तर प्रदेश (850) हैं। 450 ई-बसों के साथ ओडिशा इन बड़े राज्यों से थोड़ा पीछे है। पूर्वी क्षेत्र में, ओडिशा ने टिकाऊ और लागत-प्रभावी शहरी गतिशीलता में महत्वपूर्ण निवेश के साथ अपने पड़ोसी राज्यों; पश्चिम बंगाल (391), आंध्र प्रदेश (238), छत्तीसगढ़ (215) और झारखंड (46) को पीछे छोड़ दिया है।
आने वाले वर्षों में बेड़े को 1,000 से अधिक ई-बसों तक बढ़ाने की योजना है। डिपो और टर्मिनलों पर चार्जिंग स्टेशन लगाए जा रहे हैं, साथ ही क्यूआर भुगतान, एनसीएमसी कार्ड और मोबाइल ऐप जैसे स्मार्ट टिकटिंग समाधान भी पेश किए जा रहे हैं। इस वर्ष अप्रैल में सरकार ने रायपुर में 100, दुर्ग भिलाई -बिलासपुर में 50-50, और कोरबा में 40 कुल 240 ई-बस उतारने की योजना मंजूर की थी। जो भारत सरकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री ई-बस सेवा के तहत राज्य में ये ई-बसें संचालित की जाएंगी। और 52.75 करोड़ रुपए की राशि नागरिक सुविधाओं और विद्युत संरचना के विकास के लिए स्वीकृत की है। राज्य के अधिकारियों ने बताया कि निविदा प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है और अनुबंध शीघ्र ही दिए जाएंगे।जो अब तक नहीं हो पाया है।