रायपुर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 5 सितंबर। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने जो मुझे होमवर्क दिया था, उसे मैंने पूरा किया। जब उनसे लौटने के बाद उनसे मुलाकात की, तब कुछ नया होमवर्क भी उन्होंने दिया। इसी होमवर्क के कारण आज रायपुर जिले के पूरे छत्तीसगढ़ के स्कूली बच्चों के साथ वर्चुअली मुलाकात कर रहा हूं और अपने अनुभव शेयर कर रहा हूं। जिससे बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित हो और वे स्पेस में कार्य करने के लिए अग्रसित हों। यह बात अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में पहुंचने वाले पहले भारतीय अतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने दानी स्कूल की छात्रा सुश्री प्रियांशी मिश्रा के सवाल के जवाब में कही।
फिर कहा कि हमारे अच्छे के लिए देते हैं उसे अवश्य पूरा करें।
श्री शुभांशु ने बच्चों से कहा कि भारत में यह अद्भुत समय है। हम अंतरिक्ष विज्ञान में तेजी से आगे ब? रहे हैं। यहां के बच्चों में भी प्रतिभा है। उन्होंने कहा कि वे आगे ब?ें, मेहनत करें उन्हें आगे ब?ने से कोई रोक नही सकता। भारत अभी गगनयान जैसे अनेक अंतरिक्ष अभियान संचालित करने की ओर है। हो सकता है कि इन्हीं स्कूलों बच्चों मे से कोई हमारे बीच रहे। इनमें से कोई बच्चा चन्द्रमा में भारत की ओर से कदम रखें। मेरी शुभकामनाए।
आत्मानंद शहीद स्मारक स्कूल फाफाडीह नोमान अली ने प्रश्न पूछा कि ’जब आप अंतरिक्ष पर थे तो आप दिन और रात के बीच फर्क कर पा रहे थे या नहीं’ इस पर श्री शुभांशु ने कहा कि मेरे जैसा कोई भी अन्य अंतरिक्ष यात्री जब स्पेस में होता है तो वह पृथ्वी के एक दिन में 16 चक्कर लगाता है। सूर्य को देखकर सोने की कोशिश करें तो वह 45 से 90 मिनट ही सो पाएगा। इसलिए हम जीएमटी के अनुसार अपनी समय सारिणी बनाते हैं। जिसमें समय पर उठना, खाना, रिसर्च करना और सोनाा इत्यादि होता है।