रायपुर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 12 मई। रायपुर की जिला वेटलैंड संरक्षण समिति की निरंतर निष्क्रियता और तालाबों (वेटलैंड्स) की रक्षा करने में विफलता और अक्षमता सामने आ रही है। सामाजिक कार्यकर्ता एंव ईएनटी विशेषज्ञ डॉ राकेश गुप्ता ने छत्तीसगढ़ राज्य वेटलैंड अथॉरिटी के वाईस चेयरमैन सह मुख्य सचिव को पत्र लिख कर मांग की है कि रायपुर की जिला वेटलैंड संरक्षण समिति को भंग कर दिया जाए और तालाबों की स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए वैज्ञानिकों सहित एक उच्च स्तरीय समिति गठित की जाए।
मार रहे हैं तालाब तो समिति की क्या जरूरत
डॉ. गुप्ता ने चर्चा में बताया कि जिला वेटलैंड संरक्षण समिति के अस्तित्व में रहते हुए सभी तालाब मारे जा रहे हैं, ऐसे में जिला वेटलैंड संरक्षण समिति की क्या जरूरत है? जिसने वर्षों से आदेश के बावजूद सभी तालाबों की जांच ही नहीं की है और जिन तीन तालाबों की अधूरी जांच की है उनकी भी रिपोर्ट दबा रखी है।
कैसे मारते है तालाब, उजाड़ते है चिडिय़ाओं का आशियाना
डॉ. गुप्ता ने कहा कि अगर किसी स्वच्छ जल वाले तालाब को मारना है, तो बस उसके चारों ओर एक रिटेनिंग वॉल बना दीजिए – इससे जल का रिसाव (पारगमन) रुक जाता है और तालाब धीरे-धीरे मर जाता है और यही रिटेनिंग वाल बना कर सभी तालाबों को मार दिया गया है। करबला तालाब में पहले से ही रिटेनिंग वाल है और खबर आई है कि अब और नई रिटेनिंग वाल बनाई जायेगी। यहाँ तक कि तालाब के बीच में जहा भरपूर जैवविविधता पेड़ पौधे है, जहां वर्ष भर पक्षी चिडिय़ाए रहती हैं, उनका घर उजाड़ कर मूर्ति स्थापित की जायेगी। तालाबों के मेंढ पर पहले से ही कंक्रीट पेवर का पाथ वे बना कर जल जाना बंद कर दिया गया है।
जांच के दौरान करोडों में काम सौन्दर्यीकरण के नाम से
डॉ गुप्ता ने कहा कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि रायपुर प्रशासन और तत्कालीन डीएफओ को पूर्ण जानकारी होने के बावजूद, 2024 की शुरुआत में करोड़ों रुपये के स्थायी निर्माण कार्य जैसे 1.13 करोड़ के सीएसआर फण्ड से पक्के पथों का निर्माण बिना किसी रोक-टोक के करबला तालाब में होते रहे। सेंध जलाशय में जांच चालू रहने के दौरान 17 करोड के कार्य सौन्दर्यीकरण के नाम से करवाए गए।