रायपुर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 16 सितंबर। कल अनंत चर्तुदशी है। इस दिन देवों में प्रथम पूज्य गणेश भगवान की दस दिनों के बाद हवनपूजन कर विसर्जन किया जाता है। इसके साथ ही 18 से पितृ पक्ष की शुरूआत हो रही है। प्रदेशभर में बुधवार से पितृ पक्ष मनाया जाएगा।
पंडित कोमल प्रसाद दूबे ने बताया कि भाद्रपक्ष माह की पूर्णिमा तिथि से श्राद्ध पक्ष आरंभ हो रही है। जो 18 को सूर्यउदय के साथ मनाया जाएगा। और 2 अक्टूबर को समापन होगा। पितृ पक्ष के दौरान पितरों की आत्माशांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान के कार्य किए जाते हैं। मान्यताओं के अनुसार, पितृ पक्ष में घर के पूर्वज पितृ लोग से धरती लोक पर आते हैं। इस दौरान श्राद्ध और धार्मिक अनुष्ठान से पितर प्रसन्न होते हैं। पितृ पक्ष में पितरों की श्राद्ध तिथि के अनुसार ही पितरों की आत्मशांति के लिए श्रद्धाभाव से श्राद्ध करना चाहिए।
15 दिनों तक चलने वाले इस श्राद्ध कर्म में पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण किया जाता है। 17 सितंबर से शुरू होकर 2 अक्टूबर तक चलने वाले पितृपक्ष में पितरों के तर्पण और श्राद्ध के लिए काफी शुभ माना जाता है। श्राद्ध पक्ष में अन्न का भी महत्व है पितृश्राद्ध में काली मूंग, तेल, जोव चावल, कुश के साथ पिंड दान और पितृश्राद्ध तर्पण किया जाता है। इस समय घर में कोई शुभ कार्य नहीं किया जाते। इस माह पिंड दान का भी विशेष महत्व है। इस दिन श्राद्ध पक्ष में कौवे, गाय, कुत्ते को पितृतर्पण के बाद भोजन कराया जाता है।
इस दौरान ब्राम्हणों को दान, दक्षिणा देना शुभ माना गया है। शास्त्रों के अनुसार परिवार के पूर्वजों को तर्पण अलग-अलग तिथियों में किया जाता है।
प्रतिपदा तिथि को नाना-नानी का श्राद्ध करना शुभ माना जाता है। इस दिन श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। अविवाहित की मृत्यु होने पर पंचमी को श्राद्ध किया जाता है। महिला की मृत्यु पर नवमी तिथि को और दुर्घटना या अकाल मृत्यु होने पर उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि को श्राद्ध करने की मान्यता है। इसी तरह जिन पितरों के देहांत की तिथि याद न हो तो उनका श्राद्ध सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या को करना शुभ माना जाता है।