रायगढ़
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
सारंगढ़, 16 सितंबर। नगर के पटेल धर्मशाला में इंजीनियर सर मोक्ष गुण्डम विश्वेश्वरैया का जन्मदिन अभियंता संघ सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिला में मनाया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि विधायक उत्तरी गनपत जांगड़े, विशिष्ट अतिथि जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष अरुण मालाकार, गनपत जांगड़े एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता एसडीओ आरईएस ने की।
कार्यक्रम का शुभारंभ विश्वेश्वरैया जी के छायाचित्र पर दीप प्रज्वलित कर माल्यार्पण कर किया गया। मंच संचालन अभियंता गुप्ता के द्वारा किया जा रहा था । गुप्ता जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति विश्व में अपना एक विशिष्ट स्थान रखती है । इस देश में समय-समय पर ऐसे महापुरुषों ने जन्म लिया है। जिन्होंने अपनी योग्यता से राष्ट्र और विश्व पटल पर अपना अमिट छाप छोड़ा है, जिसमें आर्यभट्ट, भास्कराचार्य, रामानुजम, नागार्जुन, चरक, जैसे वैज्ञानिक यहां अवतरित हुए, इन्हीं में से एक महान इंजीनियर, सर, भारत रत्न विश्वेश्वरैया जी का भी नाम बड़े ही आदर के साथ स्मरण किया जाता है।
अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ और फूल माला से सारंगढ़ अभियंता, बिलाईगढ़ अभियंता और बरमकेला के अभियंताओं के द्वारा किया गया । युवराज पटेल ने कहा कि महान इंजीनियर , राष्ट्र निर्माता विश्वेश्वरैया जी का जन्म 15 सितंबर अ_ारह सौ इकसठ मैसूर राज्य में हुआ था । गरीब थे और स्थानीय स्तर की पढ़ाई समाप्त कर वे अपने मामा घर चले गए और मामा के यहां ट्यूशन पढ़ाकर खुद अपना अध्ययन किया करते थे । एक अंग्रेज प्रधानाचार्य द्वारा इनकी योग्यता को देखते हुए इन्हें पुणे साइंस कॉलेज में एडमिशन करवाएं और साथ ही साथ इन्हें छात्रवृत्ति भी प्रदान करवाएं। उन्होंने ऐसे ऐसे बांध तैयार किए जो इतिहास में मील का पत्थर कहलाता है।
संगीता कमल ने कहा कि राष्ट्र इंजीनियर की असाधारण तकनीकी योग्यता की भूरी भूरी प्रशंसा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने की थी । कृष्णराज सागर बांध के निर्माण से देश में ही नहीं सारे विश्व में इनकी ख्याति फैल गई। इन्हें मैसूर राज का दीवान बना दिया गया। इंजीनियर विजय मिरी ने बताया कि महान अभियंता विश्वेश्वरैया जी अपनी योग्यता से चीफ इंजीनियर के पद पर आसीन होने वाले थे , लेकिन अंग्रेजी इंजीनियरों ने एक भारतीय को मुख्य अभियंता के पद पर आसीन करने का विरोध किया तथा इन्हें मुख्य अभियंता नहीं बनाया गया। इससे क्षुब्ध होकर उन्होंने उन्नीस सौ आठ में सरकारी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया ।इन्होंने प्रसिद्ध सक्खर बांध का निर्माण कराया तथा 1899 में सिंचाई के ब्लॉक सिस्टम का अविष्कार विश्वेश्वरैया जी ने किया। जिसकी प्रशंसा बाल गंगाधर तिलक, महादेव गोविंद रानाडे ने की थी ।
उत्तरी और गनपत जांगड़े ने राष्ट्र निर्माता, भारत रत्न से सम्मानित विश्वेश्वरैया जी के जीवन पर प्रकाश डाला।, विशिष्ट अतिथि अरुण मालाकार के द्वारा विश्वेश्वरैया जी के जीवन की अहम बातों को बताया गया ।


