रायगढ़
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 14 सितंबर। हर अस्थायी समस्या का एक स्थायी समाधान होता है जो आत्महत्या करने के बारे में सोचते है, वह मरना नहीं चाहते बल्कि केवल अपनी पीड़ा को मारना चाहते हैं। दर्द का इलाज किया जा सकता है और जीवन मे छाई निराशा को एक नई दिशा दी जा सकती है। जन मानस में आत्महत्या जैसे गलत कदम लेने से रोकने और इसके प्रति जागरुकता उत्पन्न करने हेतु विश्व आत्महत्या रोकथाम सप्ताह मनाया जा रहा है। इस बार इसकी थीम गतिविधि के माध्यम से आशा का संचार करना है।
जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. प्रकाश चेतवानी ने बताया कि आत्महत्या का प्रमुख कारण मानसिक रूप से अस्वस्थ रहना है। अक्सर लोग अपनी मानसिक बीमारियों को छिपाते हैं और खुलकर उस पर बात नहीं करना चाहते हैं। अत: किसी भी परिस्थिति में अकेले ना रहें। यदि किसी को कुछ समस्या है तो अपने परिवार वालों या करीबी से बात करे, उन्हें अपनी समस्या बताएं और समस्या का समाधान खोजें। हमेशा सकारात्मक विचार मन मे लाने का प्रयास करें। आपके करीब ऐसे कई लोग होंगे जिन्हें आपकी जरूरत है। मौत का सामना करने के बजाए अपनी हिम्मत और साहस का उपयोग जीवन की कठिनाइयों का सामना करने के लिए कीजिए।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एसएन केशरी ने बतायारू अपने दैनिक गतिविधियों में से कुछ समय निकालकर खुद के लिये समय दें,योगाभ्यास करें, खानपान में सुधार करें और पर्याप्त नींद लें। मानसिक अस्वस्थता की स्थिति हो तो घबराएं नही, जिला अस्पताल में स्पर्श क्लीनिक के माध्यम से मानसिक रोगियों को नि:शुल्क परामर्श व उपचार दिया जाता है। इसके अलावा राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम लाइफलाइन नंबर (1-800-273-8255) में कॉल कर अपनी समस्या बता सकते हैं।
जिले में आत्महत्या रोकथाम और तनाव प्रबंधन के लिए 7-12 सितंबर तक विशेष सप्ताह मनाया जा रहा है जिसमें मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जनजागरूकता के लिए विविध कार्यक्रम स्वास्थ्य विभाग द्वारा आयोजित किये गए।
आत्महत्या रोकथाम सप्ताह के दौरान जिला जेल में 250 कैदियों को तनाव रहित जीवन और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करने के लिए कई गतिविधियों का आयोजन किया जिसके माध्यम से कैदियों को परेशान नहीं होने और अत्यधिक तनाव की स्थिति में किसी साथी से बात करने की सीख दी गई।
आत्महत्या रोकथाम दिवस यानि सितम्बर 10 को संत टेरेसा स्कूल के 12वीं के छात्रों को आत्महत्या को कैसे रोकें इसे स्वास्थ्य विभाग की टीम ने सिखाया। टीम ने बच्चों को अति महत्वाकांक्षी न होने और मित्रों-पालकों के प्रति इमानदार होने की बात कही जिससे छात्र किसी भी तनाव की स्थिति में उबर सकते हैं।
ओपी जिंदल स्कूल में 550 से अधिक एनसीसी कैड्ट्स जो यहां राष्ट्रीय इनटिग्रेटेड कैंप में शामिल होने आए हैं, उनके साथ आत्महत्या रोकथाम के ऊपर कार्यशाला हुई। कैडेट्स को तनाव दूर करने को लेकर कई टिप्स स्वास्थ्य विभाग की टीम ने दिए जिसमें दोस्तों-परिजनों से बात जारी रखना , अपनी समस्या शेयर करना। मेडिकल कॉलेज प्रांगण स्थित शासकीय नर्सिंग महाविद्यालय के छात्रों के लिए आत्महत्या रोकथाम विषय पर सेमिनार भी होगा।


