रायगढ़
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 5 सितंबर। रायगढ़ जिले में जर्जर सडक़ों की वजह से सडक़ दुर्घटनाओं में भी इजाफा देखा जा रहा है। हर दूसरे से तीसरे दिन जर्जर सडक़ की वजह से हादसे हो रहे हैं।
पिछले कुछ दिनों में देखा गया है कि शहर के बाहरी क्षेत्र के उर्दना, तराईमाल, तमनार के लोगों ने सडक़ पर उतरते हुए जर्जर सडक़ के निर्माण के लिए आंदोलन कर चुके हैं। यहां तक कि पिछले दिनों तमनार के एक किसान के द्वारा जर्जर सडक़ से त्रस्त होकर अनोखे अंदाज में इसका विरोध दर्ज किया गया और उसने सडक़ को ट्रैक्टर से जोत कर उसमें धान के बीज तक का छिडक़ाव कर दिया गया, पर इन सबके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई। जिलेवासियों का अच्छी सडक़ का सपना एक सपना बन कर रह गया है।
शहर के अंदर कोस्टा पारा, पंचधारी रोड,मालधक्का, बोईरदादर की सडक़ पूरी तरह से खराब हो चुकी है। कई जगहों पर घुटने भर के गड्ढे बन चुके हैं। मुख्यमंत्री के आगमन से पहले शहर के भीतर कई जगहों पर निगम द्वारा पैच वर्क अभी काम किया गया है, लेकिन यह सुधार कार्य बस थूक पालिश है, जो कुछ दिनों के बाद उखड़ जाएगी।
शहर के लोगों ने बताया कि शहर से लेकर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद उनमें एक उम्मीद जगी थी कि अब रायगढ़ जिला विकास की नई इबारत लिखेगा, आम जनता को मूलभूत समस्याओं के लिए आवाज मुखर नहीं करनी पड़ेगी, जिले की चारों दिशाओं की सडक़ों को पुन: निर्माण होगा, परंतु कांग्रेस सरकार के 3 साल गुजर जाने के बावजूद आज सडक़ों की हालत पहले से कहीं और ज्यादा बदतर हाल में पहुंच गई है। आये दिन सडक़ दुर्घटना में लोगों की मौत हो रही है।
शहर के लोगों ने यह भी बताया कि शहर सरकार के द्वारा शहर को सुंदर बनाने की दिशा में मुख्य मार्गों में पिछले दिनों तिरंगे नुमा लाइटिंग लगाया गया है, निसंदेह ये पहल बहुत अच्छी है। परंतु जब शहर के अंदर की सडक़ें ही खराब है तो ये लाइट का क्या औचित्य? अभी बरसात के दिनों में शहर के अंदर कुछ जगह ऐसे हैं जहां बारिश के बाद गड्ढों में पानी भर जाने से गड्ढे दिखते नहीं और लोग यहां गिर कर घायल हो रहे हैं।


