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मणिपुर को तोड़ा नहीं जा सकता, कुकी समुदाय के लिए अलग प्रशासन की इजाजत नहीं देंगे : बीरेन सिंह
30-Aug-2024 4:38 PM
मणिपुर को तोड़ा नहीं जा सकता, कुकी समुदाय के लिए अलग प्रशासन की इजाजत नहीं देंगे : बीरेन सिंह

नयी दिल्ली, 30 अगस्त मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कुकी समूहों की अलग प्रशासन की मांग को सिरे से खारिज करते हुए खुद को राज्य के हित के पैरोकार और एक ऐसे व्यक्ति के रूप में पेश किया है, जो इसकी पहचान को कमजोर नहीं होने देगा।

‘पीटीआई वीडियो’ को बृहस्पतिवार को दिए एक साक्षात्कार में सिंह ने मणिपुर को एक छोटा, मेहनती राज्य बताते हुए कहा कि “हमारे पूर्वजों” का दो हजार वर्षों का इतिहास है। उन्होंने कहा, “इस राज्य को बनाने के लिए कई कुर्बानियां दी गईं। इस राज्य को तोड़ा नहीं जा सकता या अलग प्रशासन नहीं बनाया जा सकता। हम इसकी इजाजत नहीं देंगे।”

कुकी समुदाय की मांग को पहली बार स्पष्ट तौर पर खारिज किया गया है। नयी दिल्ली में बृहस्पतिवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कुकी-जो समुदाय के कुछ प्रतिनिधियों ने पुडुचेरी की तर्ज पर विधानसभा के साथ एक केंद्र-शासित प्रदेश के निर्माण की मांग की। उन्होंने तर्क दिया कि यह टकराव खत्म करने का एकमात्र तरीका है।

मेइती समुदाय से आने वाले सिंह मणिपुर में पिछले साल मई में भड़की जातीय हिंसा को लेकर विपक्ष के निशाने पर हैं। कुकी संगठन उन पर जातीय हिंसा में मेइती समुदाय का पक्ष लेने का आरोप लगा रहे हैं। इस हिंसा के कारण मणिपुर के समाज में अभूतपूर्व ध्रुवीकरण देखने को मिल रहा है।

हालांकि, मुख्यमंत्री ने राज्य के पहाड़ी क्षेत्र के लिए एक विशेष विकास पैकेज के प्रति समर्थन जताया। इन क्षेत्रों में ज्यादातर कुकी आदिवासी रहते हैं।

सिंह ने कहा, “हम विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए देख सकते हैं कि (पहाड़ी जिलों में मौजूद) स्वायत्त परिषदों के माध्यम से क्या किया जा सकता है।”

उन्होंने पहाड़ी क्षेत्रों में विकास की आवश्यकता रेखांकित करते हुए कहा कि वह केंद्र से विशेष पैकेज देने का अनुरोध करेंगे।

सिंह ने जातीय हिंसा से निपटने में मेइती समुदाय का पक्ष लेने के आरोपों को खारिज किया और कहा कि वह हर समुदाय के मुख्यमंत्री हैं, चाहे वह मेइती हो, कुकी हो या नगा हो।

मुख्यमंत्री ने दावा किया कि मादक पदार्थों, अवैध अप्रवासियों और जंगलों पर अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ उनकी सरकार की कार्रवाई का इस्तेमाल कुछ तत्वों ने समाज में अशांति फैलाने के लिए किया, जो अनुसूचित जनजाति के दर्जे की मेइती समुदाय की मांग के पक्ष में उच्च न्यायालय के फैसले के बाद पूर्ण जातीय हिंसा में तब्दील हो गई।

यह फैसला कभी लागू नहीं किया गया और इसे वापस ले लिया गया है।

सिंह ने कहा, “मैंने जो कुछ भी किया, मणिपुर और उसके लोगों की रक्षा के लिए किया।”

मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने खुद को पीछे किया और केंद्र को बातचीत तथा सुरक्षा उपायों के माध्यम से शांति बहाल करने संबंधी प्रयासों का नेतृत्व करने दिया।

सिंह ने भरोसा जताया कि मणिपुर में अगले पांच-छह महीने में शांति बहाल हो जाएगी और केंद्र सरकार जातीय सद्भाव कायम करने के लिए समझौते को ‘‘अंतिम रूप’’ देने में अहम भूमिका निभाएगी।  (भाषा)


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