महासमुन्द
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 20 नवंबर। धान खरीदी की बिगड़ी व्यवस्था सुधारने के लिए सरकार या जिला प्रशासन एक मुसीबत से निबट भी नहीं पाता कि दूसरी दो मुसीबतें खड़ी हो जाती है। खरीदी केंद्रों में 4 दिन बाद भी धान खरीदी व्यवस्था पटरी पर लौट नहीं पाई है कि 50 से अधिक सोसायटियों के नवनियुक्त डाटा एंट्री ऑपरेटरों ने इस्तीफा देकर नौकरी छोड़ दी है।
चर्चा है कि अब फिर वेंडर से संपर्क कर नए डाटा एंट्री ऑपरेटर भर्ती की मांग की जाएगी। जबकि मूल प्रबंधक और डाटा एंट्री ऑपरेटरों की हड़ताल कल भी जारी रही। जिला प्रशासन के अनुसार कल चौथे दिन तक 80 खरीदी केंद्रों में 55 हजार क्विंटल धान खरीदी हो चुकी है। शेष 102 केंद्रों में अभी तक बोहनी नहीं हो पाई है।
सहकारी कर्मचारी संघ के पूर्व जिलाध्यक्ष जितेंद्र साहू के मुताबिक राजधानी में खाद्य सचिव, सहकारिता सचिव, पंजीयक के मध्य सहकारी कर्मियों की 4 मांगों में से 2 मांगों पर चर्चा की जा रही है। सूचना के मुताबिक सूखत तथा ऑपरेटरों के वेतन संबंधि मांगों पर विचार किया जा सकता है। यदि बात बनी तो आज हड़ताल समाप्त हो जायेगी। अन्यथा हड़ताली आज जल सत्याग्रह करेंगे। समाचार लिखते तक हड़ताल समाप्त होने की अधिकृत जानकारी नहीं मिल पाई है।
मालूम हो कि कृषक धान लेकर सोसायटियों में पहुंच रहे हैं लेकिन उनका धान नहीं खरीदा जा रहा है। धान खरीदी शुरू होने के कल चौथे दिन भी हालात नहीं सुधरी। किसान मायूस हैं। अधिकांश सोसायटियों में स्टॉफ नहीं होने तथा अव्यवस्था की बातें हो रही हैं। जिला प्रशासन की मानें तो जिले में अब तक 80 केन्द्रों में कुल 55 हजार क्विंटल खरीदी की जा चुकी है। इनमें
सर्वाधिक खरीदी बंसुलाडबरी में 1322 क्विंटल तथा सबसे कम साल्हेभांठा उपार्जन केन्द्र में 22 क्विंटल धान की खरीदी हुई है। कल बुधवार को कुल 605 किसानों ने धान बेचा। जबकि बीते 4 दिनों में कुल 938 किसान धान बेच चुके हैं।
कल जिला प्रशासन के समक्ष एक नई समस्या खड़ी हो गई कि आउट सोर्सिंग के माध्यम से उपार्जन केन्द्रों में जिन 174 डाटा एंट्री ऑपरेटरों की नियुक्ति की थी इनमें से 50 ऑपरेटर्स इस्तीफा देकर काम छोड़ चुके हैं। इनमें से कुछ ऑपरेटर्स काम समझ नहीं आने तथा कुछ वेतन की राशि का स्पष्ट उल्लेख नहीं किये जाने से खफ ा हैं। केन्द्रों में स्टेम्पसील प्रभारी, स्टेकिंग हमाल तथा भराई के लिये रेजा, हमाल की व्यवस्था नहीं होने की वजह से अब भी अव्यवस्था है।
किसानों को हार्वेस्टर का सहारा
खेतों में नमी सूखते ही अब किसान शीघ्र धान बेचने के लिये हार्वेस्टर का सहारा ले रहे हैं। ग्राम मचेवा, बम्हनी, लाफिन, परसकोल, बेमचा, परसवानी सहित आसपास के दर्जनों ग्रामों में हार्वेस्टर से लगातार धान कटाई चल रही है। ऐसे में अब धान की आवक उपार्जन केन्द्रों में बढऩे लगेगी। यदि 4-5 दिनों में 102 उपार्जन केन्द्रों में ऑपरेटर्स सहित अन्य कर्मचारियों की व्यवस्था नहीं हुई तो स्थिति और बिगड़ सकती है। 102 केन्द्रों में कल की स्थिति में बोहनी नहीं हुई है। इस्तीफा देकर काम छोड़ चुके ऑपरेटर्स के स्थान पर अब नये ऑपरेटर्स को फिर धान खरीदी का काम सिखाना पड़ेगा। इस तरह बार-बार प्रशासन के समक्ष चुनौतियों खड़ी हो रही है।
सोसायटियों में अब भी स्थिति सुधरी नहीं
अनेक सोसायटियों में ऑनलाइन माड्यूल शुरू नहीं होने की वजह से जिन किसानों का टोकन कट चुका है उनसे धान तो तौलाई कर उपार्जन केन्द्रों में डंप किया जा रहा है। लेकिन किसानों को यह स्पष्ट पता नहीं चल पा रहा है कि उनके धान की सुरक्षा होगी कैसे? दरअसल ऑनलाइन विक्रय इंद्राज होने के बाद ही यह माना जाता है कि किसान ने धान बेचा है। कल सर्वर डाउन होने की वजह से अनेक किसानों को गेट पास भी नहीं मिल पाया है। ऐसी स्थिति में किसानों का धान उपार्जन केन्द्रों में ही पड़ा हुआ है। उपार्जन केन्द्रों में भले ही ऑपरेटर्स, प्रबंधक की व्यवरथा कर ली गई है लेकिन जमीनी स्तर के कर्मचारी जैसे हमाल, रेजा तथा चौकीदार की व्यवस्था नहीं होने की वजह से अब भी स्थिति सुधरी नहीं है।
अनेक उपार्जन केन्द्रों में ऑनलाइन माड्यूल शुरू नहीं होने की वजह से किसानों को या तो उपार्जन केन्द्रों में धान छोडक़र जाना पड़ रहा या फिर किसान वापस अपना धान ले जा रहे हैं। चरौदा, ओंकारबंद, मामा-भांचा सहित आसपास के अनेक उपार्जन केन्द्रों में किसानों का धान ऑनलाइन नहीं चढ़ पाया है। किसानों को अब यह भय है कि उनका टोकन निरस्त ना हो जाये। चूंकि शासन की गाइडलाइन के अनुसार ऑनलाइन चढऩे के बाद ही उन्हें धान की विक्रय राशि का भुगतान होना है। ऐसे में किसानों को सभी प्रकार से हलाकान होना पड़ रहा है। अनेक समितियों में 3 दिनों का धान स्टेक नहीं बन पाया है।
जानकारी मिली है कि कोमाखान ब्रांच क्षेत्र के धान उपार्जन केंद्रों आईडी लॉकिन एवं साफ्टवेयर इंस्टालेशन कार्य लगभग पूरा हो चुका है। लेकिन हमालों की व्यवस्था समस्या के बीच तीन-चार धान उपार्जन केंद्रों में धान की खरीदी चल रही है। ब्रांच मैनेजर प्राधिकृत अधिकारियों के साथ समाधान में जुटे हैं। खोपली समिति अंतर्गत धान उपार्जन केंद्र घुंचापाली में किसानों के प्रदर्शन के बाद धान की खरीदी प्रारंभ हो गयी। वहीं खोपली में धान की खरीदी प्रारंभ नहीं हुई है। वहां पदस्थ समिति प्रभारी कल बुधवार को दस बजे तक सोसायटी का कार्यालय खुलने की प्रतीक्षा करते देखे गए। उस समय किसान भी वहां उपस्थित थे। वहीं गांजर में धान की कल खरीदी शुरू होने से किसानों में हर्ष है।
कई किसान लौटे
धान खरीदी केंद्रों में अव्यवस्था अपने चरम पर है। बुधवार को सावित्रीपुर,पेंड्रावन और भगत देवरी के किसान ट्रैक्टर में धान भरकर केंद्र पहुंचे लेकिन खरीदी शुरू न होने के कारण उन्हें खाली हाथ वापस लौटना पड़ा।


