महासमुन्द

मां की ममता तब लगे जैसे अमृत घुले ...
20-Oct-2024 2:44 PM
मां की ममता तब लगे जैसे अमृत घुले ...

 शरद पूर्णिमा की रात काव्यपाठ 

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 20अक्टूबर।
छत्तीसगढ़ ब्राम्हण समाज महासमुंद में शरद महोत्सव के अवसर पर खीर प्रसाद संग साहित्यकारों ने काव्यपाठ किया।  भगवान परशुराम एवं कृष्ण-राधिका के युगल चित्र पर मलायर्पण कर दीप प्रज्ज्वलन किया गया। 

ब्राम्हण समाज के अध्यक्ष प्रमोद तिवारी ने उपस्थित सभी कवियों का स्वागत करते हुए कहा कि अपनी परम्परा धर्म संस्कृति की रक्षा करने हेतु ब्रम्ह समाज सदैव प्रयत्नशील रहा है।  जिसके तहत माह के शिवरात्रि में पूर्व में ग्यारह हजार शिवलिंग का सामूहिक अभिषेक पूजा पाठ,35 जोड़ो द्वारा आचार्य जवाहर द्विवेदी, आचार्य पंकज तिवारी, पं. हेमंत तिवारी के मार्गदर्शन में किया गया। नगर पुरोहित पंकज तिवारी ने शरद पूर्णिमा के महत्व को बताते हुए कहा कि इसी दिन भगवान कृष्ण ने महारास किया था जिससे प्रसन्न होकर चन्द्रमा ने अमृत वर्षा की। साथ ही देव और असुरों के महासंग्राम में समुद्र मंथन से 14 रत्नों में अमृत की प्राप्ति हुई थी।       

इसके बाद कवि सम्मेलन की शुरुआत में समाज के पदाधिकारियों ने आमंत्रित कवियों को अंग वस्त्र, श्रीफल, स्मृति चिन्ह भेंट किया। बागबाहरा से आये युवा कवि अनुराग द्विवेदी ने हास्य रस में ..फेस टू फेस दाई ददा बर समय नई हे.. डा. गरिमा दीवान ने कहा कि ..शीतल चांदनी जब धरती को चूमे, मां की ममता तब लगे जैसे अमृत घुले। बंधुु राजेश्वर खरे ने माटी की वंदना की। कवि रुपेश तिवारी ने अपने चिरपरिचित अंदाज में गुम होती ग्रामीण परम्पराओं को याद करते हुए खुडवा, फु गड़ी, गेंड़ी दौड़, उलांड बांटी और महिलाओं के श्रृंगार बिंदी पर रचना पेश की। 

सुरेन्द्र अग्निहोत्री उर्फ आगी ने ..अब तो जिंदगी के बेरा हा पहागे, सरिता तिवारी ने मंै शब्द रहित कविता हूं, वरिष्ठ साहित्यकार आनंद तिवारी पौराणिक ने लापता घर शीर्षक से कहा-बेटा विदेश में, बहू मायके में, बच्चे हास्टल में, वृद्ध आश्रम में मां बाप और एक लापता घर प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संंचालन सरिता तिवारी ने किया। आयोजन का समापन एवं सामाजिक जुड़ाव तथा सभी सहयोग के लिए प्रमोद तिवारी ने धन्यवाद तथा सचिव दीपक तिवारी ने आभार व्यक्त किया। 

कार्यक्रम को सफल बनाने में कार्यकारी अध्यक्ष अश्वनी तिवारी, उपाध्यक्ष सुशील शर्मा, वरिष्ठ सदस्य आचार्य पंकज तिवारी, मनीष शर्मा, अरुनेन्द्र दीवान, पुरषोत्तम शर्मा, रेखराज शर्मा, महेश शर्मा, सुधांशु दीवान, हेमंत तिवारी, महिला समाज अध्यक्ष राजेश्वरी तिवारी का योगदान रहा। शरद पूर्णिमा महोत्सव में मुख्य रूप से गोविन्द दीवान, अरुनेन्द्र दीवान, संदीप दीवान, समीर तिवारी, सतीश पांडे,महेश शर्मा, डा. मंजू दीवान, सुनीता दीीवान, प्रीति शर्मा, नीतू शर्मा, डाली शर्मा,कविता तिवारी सहित समाज के सदस्य उपस्थित थे। 
 


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