महासमुन्द

गांवों-गौठानों में उत्साह-उमंग के साथ मनी हरेली
08-Aug-2021 9:30 PM
गांवों-गौठानों में उत्साह-उमंग के साथ मनी हरेली

कृषि औजारों की पूजा के साथ पारम्परिक खेलकूद भी 

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महासमुंद सांसद चुन्नी लाल साहू ने आज सुबह हरेली पर्व पर कृषि यंत्रों की पूजा की। उन्होंने यह तस्वीर फेसबुक पर शेयर की है।

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 8 अगस्त।
महासमुंद जिले में रविवार को हरेली का त्यौहार धूमधाम से मनाया गया। गांवों के किसानों ने पारम्परिक तरीके से नांगर और कृषि उपकरणों की पूूजा-अर्चना की और जिला प्रशासन की ओर से भी कई आयोजन किए गए । हालांकि बारिश की कमी से किसान बेहद चिंतित हैं। बावजूद इसके परम्पराओं के अनुसार हरेली का पर्व मनाया जा रहा है। 

हरेली पर्व पर गौठानों में पारंपरिक खेल जैसे गेड़ी दौड़, कुर्सी दौड़, फुगड़ी, रस्सा-कस्सी, भौंरा, नारियल फेंक प्रतियोगिता, छत्तीसगढ़ी पारंपरिक व्यंजन आदि की प्रतियोगिताओं का आयोजन करने के साथ ही गौठान प्रबंधन समिति, स्वसहायता समूह एवं जनप्रतिनिधियों से गौठानों की गतिविधियों के संबंध में चर्चा-परिचर्चा का आयोजन किया गया है।

आज सुबह से किसानों ने कृषि औजारों मसलन नांगर, गैंती, कुदाली, रापा समेत कृषि के काम आने वाले सभी तरह के औजारों की पूजा की। पिछली बार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हरेली त्यौहार को यादगार बनाने गोधन न्याय योजना की शुरुआत की थी। 

गौठानों में महिला स्वसहायता समूह द्वारा निर्मित होने वाले वर्मी कंपोस्ट के सुरक्षा एवं रख रखाव का प्रबंधन तथा स्थानीय स्तर पर कृषकों को वर्मी कंपोस्ट खाद का उपयोग करने के लिए प्रेरित भी किया जाएगा। गौठानों में फलदार, छायादार पौधों विशेषकर कदम का पौधा एवं चारागाह में नेपियर ग्रास रुटस भी लगाई जाएगी।

गौरतलब है कि हमारे प्रदेश में हरेली पर किसान नागर, गैंती, कुदाली, रापा समेत कृषि के काम आने वाले सभी तरह के औजारों की साफ. सफाई कर उनकी पूजा करते हैं। घरों में गुड़ का चीला बनाया जाता है। ज्यादातर लोग अपने कुल देवता और ग्राम देवता की पूजा करते हैं। इस दिन बैल, भैंस और गाय को बीमारी से बचाने के लिए बगरंडा और नमक खिलाने की परंपरा है। गांवों लोहार हर घर के मुख्य द्वार पर नीम की पत्ती लगाकर और चौखट में कील ठोंककर आशीष देते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से उस घर में रहने वालों की अनिष्ट से रक्षा होती है। इसके बदले में किसान उन्हे दान स्वरूप स्वेच्छा से दाल, चावल, सब्जी और नगद राशि देते हैं।

 


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