ताजा खबर

नई दिल्ली, 23 जून ('छत्तीसगढ़' संवाददाता)। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आज कांग्रेस कार्य समिति की वर्चुअल बैठक में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच पार्टी की सोच सामने रखते हुए लॉकडाऊन के बुरे असर, कोरोना का संकट, मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों, और चीन के मोर्चे पर देश के सामने खड़े खतरे, इन सब पर अपनी तीखी राय सामने रखी।
सोनिया गांधी ने बैठक में अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में कहा- यह कहा जाता है दुखद घटनाएँ कभी अकेले नहीं आती। भारत एक भयावह आर्थिक संकट, एक भयंकर महामारी और अब चीन के साथ सीमाओं पर एक बड़े संकट का सामना कर रहा है। भाजपा की अगुवाई वाली राजग सरकार का कुप्रबंधन और गलत नीतियाँ इन संकटों का एक प्रमुख कारक हैं। इनके सामूहिक प्रभाव से जहाँ व्यापक पीड़ा और भय का माहौल है वहां देश की सुरक्षा और भूभागीय अखंडता पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं।
उन्होंने कहा-हमने पहले भी आर्थिक संकट पर जहां गहन चर्चा की है। तब से यह आर्थिक संकट और भी गहरा गया है। मोदी सरकार हर सही सलाह को सुनने से इंकार करती है। वक्त की मांग है कि बड़े पैमाने पर सरकारी खजाने से मदद, गऱीबों के हाथों में सीधे पैसा पहुँचाना, सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यमों की रक्षा करना और उनका पोषण करना और व मांग को बढ़ाना व प्रोत्साहित करना चाहिए। इसके बजाय, सरकार ने एक खोखले वित्तीय पैकेज की घोषणा की, जिसमें सकल घरेलू उत्पाद का 1 प्रतिशत से कम ही राजकोषीय प्रोत्साहन था।
सोनिया गांधी ने आगे कहा-वैश्विक बाजार में जब कच्चे तेल की कीमतें लगातार गिर रही हों, ऐसे समय में सरकार ने लगातार 17 दिनों तक निर्दयतापूर्वक पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि करके देश के लोगों पर पहले से लगी चोट और उसके दर्द को गहरा किया है। नतीजा यह है कि भारत की गिरती अर्थव्यवस्था 42 वर्षों में पहली बार तेजी से मंदी की ओर फिसल रही है। मुझे डर है कि बेरोजग़ारी और बढ़ेगी, देशवासियों की आय कम होगी, मजदूरी गिरेगी व निवेश और कम होगा। रिकवरी में लंबा समय लग सकता है, और वह भी तब, जब सरकार अपनी व्यवस्था को ठीक करे और ठोस आर्थिक नीतियों को अपनाए।
वे बोलीं-भारत में महामारी फरवरी में आयी। कांग्रेस ने सरकार को अपना पूरा समर्थन देते हुए लॉकडाउन 1.0 का समर्थन किया। शुरूआती हफ्तों के भीतर, यह स्पष्ट हो गया था कि सरकार लॉकडाउन से होने वाली समस्याओं का प्रबंधन करने के लिए बिल्कुल तैयार नहीं थी। जिसका परिणाम वर्ष 1947-48 के बाद सबसे बड़ी मानवीय त्रासदी के रूप में सामने आया। करोड़ों प्रवासी मजदूर, दैनिक वेतन भोगी और स्व-नियोजित कर्मचारी की रोजी रोटी तबाह हो गयी। 13 करोड़ नौकरियों के ख़त्म हो जाने का अनुमान लगाया गया है। करोड़ों सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम शायद हमेशा के लिए बंद हो गए हैं। प्रधानमंत्री, जिन्होंने सारी शक्तियों और सभी प्राधिकरणों को अपने हाथों में केंद्रीकृत कर लिया था, उनके आश्वासनों के विपरीत महामारी लगातार बढ़ रही है। स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे में गंभीर कमियाँ उजागर हुई हैं। महामारी शायद अभी भी सबसे ऊँचे पायदान पर नहीं पहुंची है। केंद्र ने अपनी सारी जिम्मेदारियां राज्य सरकारों पर डाल पल्ला झाड़ लिया, लेकिन उन्हें कोई अतिरिक्त वित्तीय सहायता नहीं दी गई है। वास्तव में, लोगों को यथासंभव अपनी स्वयं की रक्षा करने के लिए उनके हाल पर छोड़ दिया गया है। महामारी के कुप्रबंधन को मोदी सरकार की सबसे विनाशकारी विफलताओं में से एक के रूप में दर्ज किया जाएगा।
उन्होंने कहा- मैं पार्टी के अपने सभी कार्यकर्ताओं को धन्यवाद देना चाहती हूं, जो अलग-अलग राज्यों में अपने जोखिम पर प्रवासी और अन्य प्रभावित लोगों को सहायता और मदद देने के लिए आगे आये।
आखिर में उन्होंने कहा- चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अब हमारे सामने बड़े संकट की स्थिति है। इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता है कि अप्रैल-मई, 2020 से लेकर अब तक, चीनी सेना ने पैंगोंग त्सो झील क्षेत्र और गालवान घाटी, लद्दाख में हमारी सीमा में घुसपैठ की है। अपने चरित्र के अनुरूप, सरकार सच्चाई से मुँह मोड़ रही है। घुसपैठ की ख़बरें और जानकारी 5 मई, 2020 को आई। समाधान के बजाय, स्थिति तेजी से बिगड़ती गई और 15-16 जून को हिंसक झड़पें हुईं। बीस भारतीय सैनिक शहीद हुए, 85 घायल हुए और 10 लापता हो गए जब तक कि उन्हें वापस नहीं किया गया। प्रधानमंत्री के बयान ने पूरे देश को झकझोर दिया जब उन्होंने कहा कि किसी ने भी लद्दाख में भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ नहीं की। राष्ट्रीय सुरक्षा और भूभागीय अखंडता के मामलों पर पूरा राष्ट्र हमेशा एक साथ खड़ा है और इस बार भी, किसी दूसरी राय का प्रश्न ही पैदा नहीं होता। कांग्रेस पार्टी ने सबसे पहले आगे बढ़कर हमारी सेनाओं और सरकार को अपना पूरा समर्थन देने के घोषणा की। हालांकि, लोगों में यह भावना है कि सरकार स्थिति को संभालने में गंभीर रूप से असफल हुई है। भविष्य का निर्णय आगे आने वाला समय करेगा लेकिन हम उम्मीद करते हैं कि हमारी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए सरकार कदम उठाएगी।