ताजा खबर

पॉवर कंपनी पौने 17 सौ करोड़ खर्च करने से बच रही, हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना भी
रायपुर, 16 जून। धरमजयगढ़ में मंगलवार को हुई करंट से हाथी की मौत के मामले में आरटीआई कार्यकर्ता नितिन सिंघवी ने विद्युत वितरण कंपनी और वन विभाग के अधिकारियों को दोषी ठहराते हुए आरोप लगाया है कि विद्युत वितरण कंपनी न्यायालय के आदेशों की अवहेलना करते हुए वन क्षेत्रों में मापदंडों से नीचे जा रही बिजली लाइनों तथा लटकते हुए तारों और बेयर कंडक्टर (नंगे तार) को कवर्ड तारों में बदलने से बचने के लिए रुपए 1674 करोड़ खर्च करने से बच रही है और इसके कारण से हाथी समेत अन्य वन्य प्राणियों की मौतें करंट से हो रही है। छत्तीसगढ़ निर्माण के पश्चात कुल 157 हाथियों की मृत्यु हुई है जिसमें से 30 हाथियों की मृत्यु विद्युत करंट के कारण हुई है।
छत्तीसगढ़ में लगातार विद्युत करंट से हाथियों की हो रही मौतों के मामले में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में जनहित याचिका क्रमांक 5/2018 नितिन सिंघवी विरुद्ध छत्तीसगढ़ राज्य नामक याचिका लंबित रहने के दौरान विद्युत वितरण कंपनी ने कहा था कि वन क्षेत्रों से नीचे जा रही विद्युत लाइनों और लटकते हुए तारों और बेयर कंडक्टर (नंगे तारों) को कवर्ड कंडक्टर में बदलने के लिए वन विभाग, विधुत वितरण कंपनी को रुपए 1674 करोड़ रुपए दे तो वह एक वर्ष के अंदर में सभी सुधार कार्य कर देगी।
क्लिक करें और पढ़ें : एक हाथी बिजली से मरा, इस हफ्ते 5वीं मौत
छत्तीसगढ़ शासन ने इस राशि की मांग भारत सरकार व पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से की। जिसके जवाब में भारत सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय तथा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्णयों का हवाला देते हुए पत्र लिखकर आदेशित किया कि छत्तीसगढ़ राज्य में टूटे विधुत तार एवं झूलते हुए विद्युत लाइनों से हाथियों और अन्य वन्य प्राणियों की मृत्यु के लिए छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी जवाबदेह है तथा उपरोक्त वर्णित सुधार कार्य विद्युत वितरण कंपनी अपने वित्तीय प्रबंध से करेगी।
एक वर्ष पूर्व 19 जून को प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी ने प्रबंध संचालक छत्तीसगढ़ राज्य विधुत वितरण कंपनी को भारत सरकार के निर्णय से अवगत करा दिया तथा 15 दिन के अंदर कार्य योजना तैयार कर प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी को भेजने को कहा। वन विभाग के प्रमुख सचिव ने भी प्रमुख सचिव ऊर्जा को पत्र लिखकर रुपए 1674 करोड़ स्वयं के वित्तीय प्रबंध से करके आवश्यक सुधार कार्य करने के लिए कहा अन्यथा न्यायालय के आदेश के अनुसार वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 एवं उसके अंतर्गत निर्मित नियम, इंडियन पेनल कोड 1860, इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 तथा अन्य सुसंगत विधियों के अंतर्गत डिस्कॉम के विरुद्ध वैधानिक कार्यवाही की जावेगी।
सिंघवी ने आरोप लगाया की विद्युत वितरण कंपनी न तो सुधार कार्य करा रही है न ही अपने वित्तीय प्रबंध से 1674 करोड़ की व्यवस्था कर रही है। हद तो तब हो गई जब वन विभाग लगातार ऊर्जा विभाग को पत्र लिख रहा था तो 9 माह पश्चात मार्च 2020 में ऊर्जा विभाग ने वन विभाग को पत्र लिखकर फिर कहा कि विधुत वितरण कंपनी के प्रस्ताव के अनुसार रुपए 1674 करोड़ उपलब्ध कराएं। इससे स्पष्ट है की विधुत वितरण कंपनी न्यायालय के आदेश का पालन नहीं कर रही है तथा न्यायालयों के आदेशानुसार सुधार कार्य भी नहीं करा रही है जिससे हाथियों सहित अन्य वन्यजीवों की मौतें हो रही है।
हाईकोर्ट ने पहले ही जताई थी चिंता
याचिका के निर्णय दिनांक 12 मार्च 2019 में विधुत करंट से हाथियों की मृत्यु धरमजयगढ़ क्षेत्र में अधिक होने के कारण धर्मजयगढ़ क्षेत्र में प्रगति पर ठोस कदम उठाने के निर्देश छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने दिए थे परंतु उसके बाद भी आज हाथी की मौत धर्मजयगढ़ के क्षेत्र में होने से ही स्पष्ट होता है कि विद्युत वितरण कंपनी किसी भी रुप से न्यायालय के आदेशों का पालन नहीं कर रही है।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने फील्ड के अपने समस्त अधिकारियों से यह जानना चाहा कि वर्ष 2019 में उन्होंने ऐसे प्रकरणों में विद्युत वितरण कंपनी और भू स्वामियों के विरुद्ध क्या कार्यवाही की है? परंतु पिछले एक वर्ष में 8 रिमाइंडर भेजे जाने के बाद में भी अधिनस्थों ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक को यह नहीं बताया की विद्युत करंट से वन्य प्राणियों की मौत के मामले में उन्होंने क्या कार्रवाई की। इससे स्पष्ट है कि वन विभाग के फील्ड के अधिकारी विद्युत करंट से वन्यजीवों की मौत के मामले में बिल्कुल भी गंभीर नहीं है।
सिंघवी ने कहा कि धरमजयगढ़ में हो रही विद्युत करंट से हाथियों की मौत के मामले में उच्च न्यायालय द्वारा भी चिंता बताए जाने के बावजूद आज हुई विद्युत करंट से हाथी की मौत के मामले में विधुत वितरण कंपनी के इंजीनियर तथा वन विभाग के लापरवाह अधिकारी जिम्मेदार है इनके विरुद्ध कार्यवाही होनी चाहिए।