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भोपाल में दर्ज 134 करोड़ के जीएसटी फर्जीवाड़े में मरवाही का कोयला कारोबारी गिरफ्तार
03-Jul-2025 11:46 AM
भोपाल में दर्ज 134 करोड़ के जीएसटी फर्जीवाड़े में मरवाही का कोयला कारोबारी गिरफ्तार

512 करोड़ की फर्जी इनवॉयसिंग का जाल कई राज्यों में फैलाया

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बिलासपुर, 3 जुलाई। भोपाल में हुए 134 करोड़ रुपए के बड़े जीएसटी फर्जीवाड़ा मामले की जांच करते हुए आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने छत्तीसगढ़ के मरवाही में मंगलवार को कोयला कारोबारी शेख जफर को गिरफ्तार किया है। यह कार्रवाई गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले के रूमगा मटियाढांड इलाके में की गई।

ईओडब्ल्यू की टीम ने बताया कि शेख जफर, जबलपुर निवासी विनोद कुमार सहाय के लिए काम करता था, जो इस फर्जीवाड़े का मास्टरमाइंड है और पहले ही रांची से गिरफ्तार हो चुका है।

जांच में सामने आया है कि शेख जफर की अंबर कोल डिपो और अनम ट्रेडर्स नाम की कंपनियां हैं, जो कोयले के नाम पर फर्जी बिलिंग कर रही थीं। उसने अभिजीत ट्रेडर्स, मां रेवा ट्रेडर्स, नमामि ट्रेडर्स, महामाया ट्रेडर्स और जगदंबा कोल कैरियर्स जैसी फर्मों से व्यापार दिखाया, जो सभी विनोद सहाय के नेटवर्क से जुड़ी थीं।

पूछताछ में शेख जफर ने यह भी माना कि उसने बिलासपुर, रायगढ़ और अनूपपुर की कई बड़ी कोल कंपनियों को भी फर्जी बिल दिए, जिनमें प्रकाश इंडस्ट्रीज, एमएसपी पावर प्लांट और बीएस सिंघल पावर जैसे नाम सामने आए हैं। मरवाही के पास उसका एक डंपिंग यार्ड भी है, जहां से वह चोरी का कोयला छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के कई हिस्सों में भेजता था।

ईओडब्ल्यू की जांच में यह भी सामने आया है कि विनोद सहाय ने 2009 से ही फर्जी नामों और दस्तावेजों पर फर्में बनाना शुरू कर दिया था। वह खुद को लोन एजेंट बताकर लोगों से पैन, आधार और बैंक डिटेल लेकर उनके नाम पर जीएसटी रजिस्ट्रेशन करवाता और सारी जानकारी अपने पास रखता था।

अब तक की जांच में 23 फर्जी कंपनियां और 150 से ज्यादा बैंक खाते पकड़े गए हैं। घोटाला केवल एमपी-छत्तीसगढ़ तक सीमित नहीं है, यह महाराष्ट्र तक फैला हुआ है।

ईओडब्ल्यू ने बताया कि इस पूरे नेटवर्क में कोई असली गोदाम, माल का स्टॉक या ट्रांसपोर्ट का रिकॉर्ड नहीं मिला है, फिर भी 512 करोड़ की इनवॉयसिंग की गई है।

जांच एजेंसी का मानना है कि यह पूरा मामला एक संगठित नेटवर्क का हिस्सा है, जिसमें बैंक खाते, मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी, जीएसटी रजिस्ट्रेशन और इनकम टैक्स क्लेम सब आपस में जुड़े हुए हैं। अब तक जो कंपनियां सामने आई हैं, उनमें से कई में विनोद सहाय का सीधा या परोक्ष नियंत्रण था।

ईओडब्ल्यू ने आरोपी के पास से फर्जी सीलें, जीएसटी बिल बुक्स, ट्रांसपोर्ट की नकली रसीदें, पैन-आधार कार्ड सहित कई दस्तावेज जब्त किए हैं। अब इस नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों की तलाश की जा रही है। अधिकारी मान रहे हैं कि यह घोटाला 134 करोड़ से कहीं ज्यादा का हो सकता है।
 


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