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छत्तीसगढ़' संवाददाता
बिलासपुर, 28 नवंबर । छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के 16 हजार से अधिक संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी इन दिनों भारी संकट से जूझ रहे हैं। पिछले दो महीने से वेतन नहीं मिलने के कारण कर्मचारियों की आर्थिक हालत बिगड़ चुकी है। घर का खर्च, बच्चों की पढ़ाई, किराया, बैंक की किस्तें और रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करना मुश्किल हो गया है। स्थिति यह है कि कई कर्मचारियों पर मानसिक तनाव का असर साफ दिखने लगा है और असंतोष लगातार बढ़ रहा है।
हाल ही में चले आंदोलन के दौरान बड़ी संख्या में कर्मचारियों को सेवा से अलग कर दिया गया था। बाद में मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के हस्तक्षेप पर आंदोलन खत्म हुआ। उस समय मंच से वादा किया गया था कि सभी बर्खास्त कर्मचारियों की बिना शर्त बहाली होगी और मसले को पहली कैबिनेट बैठक में रखा जाएगा। लेकिन दो महीने से अधिक समय बीत गया, तीन कैबिनेट मीटिंग भी हो चुकीं—फिर भी बहाली आदेश अब तक जारी नहीं हुए। इससे कर्मचारियों में गहरी नाराजगी है।
प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष श्याम मोहन दुबे ने कहा कि आंदोलन विश्वास और सकारात्मक माहौल में खत्म हुआ था, लेकिन सरकार द्वारा किए गए वादों का पूरा न होना बेहद निराशाजनक है। उनका कहना है कि इससे कर्मचारियों का मनोबल टूट रहा है और सरकार पर भरोसा भी कमजोर हो रहा है।
प्रदेशभर में एनएचएम कर्मचारी अपनी दो प्रमुख मांगों को लेकर कलेक्टरों के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंप रहे हैं।पहली, दो माह का लंबित वेतन तत्काल जारी किया जाए; दूसरी, आंदोलन के दौरान सेवा से हटाए गए सभी कर्मियों की तुरंत बहाली की जाए। संघ के जिला अध्यक्ष राजकुमार यादव ने बताया कि 16 हजार कर्मचारी पूरे प्रदेश में अपनी समस्याओं से शासन को अवगत करा रहे हैं।
इसी क्रम में गुरुवार को बिलासपुर जिला इकाई ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में देरी से वेतन, पांच प्रतिशत एरियर भुगतान न होने और बर्खास्त कर्मचारियों की बहाली जैसे मुद्दों को प्रमुखता से उठाया गया। इस दौरान संघ के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष श्याम मोहन दुबे, जिला अध्यक्ष राजकुमार यादव, डॉ. अभिषेक बीबे, ऋतुराज शर्मा, मुकेश अग्रवाल, प्रमोद पटेल, रोशन साहू, अश्वत देवांगन, जीवन महंत और अंशुमान तिवारी सहित कई कर्मचारी मौजूद रहे।


