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(कैलाशपति मिश्र)
पटना, 20 नवंबर। जनता दल-यूनाइटेड (जदयू) के प्रमुख नीतीश कुमार ने बृहस्पतिवार को लगातार दसवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और नयी मंत्रिपरिषद में जातीय आधार पर संतुलन साधने की पूरी कोशिश की गई है।
मंत्रिपरिषद में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से जहां 14 मंत्री शामिल किए गए हैं, वहीं जदयू को आठ मंत्री पद मिले हैं। इसके अलावा लोजपा (रामविलास) को दो तथा राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो) और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) को एक-एक मंत्री पद मिला है।
मंत्रिपरिषद में ब्राह्मण समुदाय की हिस्सेदारी में काफी कमी देखने को मिली है। पिछली मंत्रिपरिषद में भाजपा ने मंगल पांडे और नीतीश मिश्रा को शामिल किया था, लेकिन इस बार भाजपा और जदयू ने ब्राह्मण प्रतिनिधित्व को आधे से भी कम कर दिया है। भाजपा की ओर से केवल मंगल पांडे को जगह मिली है।
राजपूत समुदाय को इस बार सर्वाधिक प्रतिनिधित्व मिला है। भाजपा ने संजय सिंह टाइगर, श्रेयसी सिंह, लेसी सिंह और संजय सिंह जैसे चार प्रभावशाली नेताओं को शामिल कर अपने पारंपरिक समर्थन आधार को मजबूत करने का संकेत दिया है।
भूमिहार समुदाय के दो प्रमुख चेहरों में विजय कुमार सिन्हा और विजय कुमार चौधरी के माध्यम से गठबंधन ने संतुलन बरकरार रखा है। इससे यह संदेश गया है कि यह समुदाय अब भी सत्ता समीकरण में महत्वपूर्ण है।
कायस्थ समुदाय का प्रतिनिधित्व शहरी राजनीति के संदर्भ में महत्वपूर्ण माना जाता है। भाजपा ने नितिन नवीन को मंत्री बनाकर राजधानी पटना तथा शिक्षित मध्यमवर्गीय मतदाताओं के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने का प्रयास किया है।
बिहार की राजनीति में सबसे प्रभावशाली माने जाने वाले पिछड़ा समूह को राजग ने पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिया है। कुशवाहा समुदाय से सम्राट चौधरी उपमुख्यमंत्री हैं, जबकि दीपक प्रकाश को मंत्रिपरिषद में शामिल कर उपेंद्र कुशवाहा की राजनीतिक विरासत को साधने की कोशिश की गई है। यादव समुदाय से रामकृपाल यादव और विजेंद्र प्रसाद यादव को शामिल कर भाजपा-जदयू ने राजद के पारंपरिक वोट बैंक को संदेश देने का काम किया है।
कुर्मी समुदाय से श्रवण कुमार का मंत्रिपरिषद में होना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राजनीतिक आधार को मजबूत करता है। वहीं, चंद्रवंशी समाज से प्रमोद कुमार को शामिल कर पिछड़ा वर्ग के अन्य उपसमूहों को संतुलित प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की गई है।
अति पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) तथा अनुसूचित जाति (एससी) समूह के प्रतिनिधित्व को इस मंत्रिपरिषद की सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक रणनीति माना जा रहा है। जनसंख्या के लिहाज से सर्वाधिक हिस्सेदारी रखने वाले इस वर्ग से सुरेंद्र मेहता, रमा निषाद, मदन सहनी, लखेंद्र कुमार रोशन, सुनील कुमार, संतोष सुमन और संजय कुमार को मंत्री बनाया गया है।
मुस्लिम समुदाय को प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व देते हुए मोहम्मद जमा खान को मंत्रिपरिषद में शामिल किया गया है। (भाषा)


