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हाईकोर्ट ने कहा- वकील बार-बार अनुपस्थित, लगता है आवेदक को केस आगे बढ़ाने में रुचि नहीं
छत्तीसगढ़' संवाददाता
बिलासपुर, 16 नवंबर। जांजगीर-चांपा जिले में पदस्थ रहने के दौरान एक महिला ने आईएएस अधिकारी जनक प्रसाद पाठक पर यौन शोषण और जातिगत प्रताड़ना के आरोप लगाए थे। महिला की शिकायत पर उनके खिलाफ दुष्कर्म और एससी-एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। यह मामला वर्तमान में जांजगीर-चांपा की विशेष अत्याचार न्यायालय में ट्रायल में चल रहा है।
जनक प्रसाद पाठक ने हाईकोर्ट में ट्रांसफर पिटीशन क्रिमिनल दायर कर मांग की थी कि यह केस जांजगीर-चांपा से हटाकर प्रदेश के किसी अन्य कोर्ट में भेजा जाए। शुक्रवार को यह याचिका चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की सिंगल बेंच में सुनवाई के लिए लगी। हाईकोर्ट ने रिकॉर्ड पर उल्लेख किया कि सुनवाई के लिए मामला पुकारे जाने के बावजूद किसी भी वकील की उपस्थिति नहीं रही। न तो किसी ने केस आगे बढ़ाने का अनुरोध किया और न ही स्थगन की अर्जी लगाई। बार-बार बुलाने के बाद भी अधिवक्ता के अनुपस्थित रहने पर कोर्ट को लगता है कि आवेदक खुद ही याचिका आगे नहीं बढ़ाना चाहते।
कोर्ट ने आदेश में लिखा कि बार-बार बुलाने पर भी आवेदक के वकील उपस्थित नहीं हुए, इससे प्रतीत होता है कि आवेदक को याचिका में रुचि नहीं है। पीड़िता या उनके वकील के अनुपस्थित होने की वजह से ट्रायल के लिए कोर्ट बदलने की याचिका खारिज कर दी गई। अब मामला उसी विशेष कोर्ट में ट्रायल में आगे बढ़ेगा, जहां यह पहले से लंबित है।


