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कलेक्टर को नई समिति बनाकर 4 महीने में दोबारा जांच करने के निर्देश
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 16 नवंबर। बिलासपुर में एक कामकाजी महिला के ऑपरेशन में लापरवाही का मामला सामने आया है। सीढ़ी से गिरकर घायल हुई महिला के बाएं पैर का ऑपरेशन होना था, लेकिन डॉक्टरों ने दाएं पैर का ऑपरेशन कर दिया। शिकायतों के बाद भी प्रशासन से न्याय नहीं मिला तो पीड़ित शोभा शर्मा ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
अभियोजन के मुताबिक दयालबंद नारियल कोठी निवासी शोभा शर्मा सीढ़ी से गिर गई थीं। उनका इलाज ईसीआईएस योजना के तहत लालचंदानी हॉस्पिटल में शुरू हुआ। डॉक्टरों ने उन्हें आगे के इलाज के लिए गौरवपथ स्थित आरबी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस भेजा था।
उनका आरोप है कि डॉक्टरों ने रिपोर्ट देखे बिना दाएं घुटने का ऑपरेशन कर दिया, जबकि चोट बाएं पैर में थी। जब उन्होंने आपत्ति उठाई तो डॉक्टरों ने बिना पूरी जांच और तैयारी के बाएं घुटने का भी ऑपरेशन कर दिया। दोनों ऑपरेशनों के बाद उनकी हालत और बिगड़ गई। दैनिक काम करना मुश्किल हो गया और नौकरी करने की स्थिति भी नहीं बची।
शिकायतों के बाद प्रशासन ने एक 4 सदस्यीय जांच समिति बनाई थी। इस समिति ने आरबी हॉस्पिटल और लालचंदानी अस्पताल के डॉक्टरों को क्लीन चिट दे दी। इस रिपोर्ट पर आपत्ति जताते हुए शोभा शर्मा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। जस्टिस पार्थ प्रतीम साहू की बेंच में सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पाया कि समिति गठन में नियमों का उल्लंघन हुआ है। नियमों के अनुसार समिति का नेतृत्व डिप्टी कलेक्टर स्तर के अधिकारी को करना चाहिए, लेकिन इस प्रावधान को नजरअंदाज कर दिया गया था। कोर्ट ने कहा कि ऐसी रिपोर्ट का कोई कानूनी महत्व नहीं है और इसे किसी भी निष्कर्ष का आधार नहीं बनाया जा सकता। हाईकोर्ट ने कलेक्टर को आदेश दिया कि नियम 18 के तहत डिप्टी कलेक्टर की निगरानी में नई जांच समिति बनाई जाए और 4 महीने में विस्तृत रिपोर्ट पेश की जाए।


