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‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 15 नवंबर। झारखंड में सामने आए बड़े शराब घोटाले की जांच कर रही एसीबी की टीम ने शुक्रवार को बिलासपुर में दबिश देते हुए वेलकम डिस्टलरी के संचालक राजेंद्र उर्फ चुन्नू जायसवाल को गिरफ्तार कर लिया। यह वही घोटाला है जिसमें इससे पहले छत्तीसगढ़ के कारोबारी और सुमित फैसिलिटीज मैनपावर कंपनी के प्रमुख सिद्धार्थ सिंघानिया की गिरफ्तारी हो चुकी है। सिंघानिया पर आरोप था कि उसने 2022 में झारखंड की नई उत्पाद नीति तैयार कराने में ‘छत्तीसगढ़ मॉडल’ लागू करवाने में सक्रिय भूमिका निभाई और प्लेसमेंट एजेंसियों के लिए ऐसी शर्तें तय करवाईं, जिनसे केवल चुनी हुई कंपनियों को फायदा मिले।
एसीबी की टीम ने शुक्रवार सुबह सकरी के रामा लाइफ स्थित राजेंद्र जायसवाल के घर में दबिश दी और उसे हिरासत में लिया। बाद में बिलासपुर कोर्ट में पेश कर ट्रांजिट रिमांड लिया गया और टीम उसे रांची स्थित एसीबी की विशेष कोर्ट में पेश करने के लिए झारखंड रवाना हो गई।
झारखंड में एसीबी ने जिन आरोपों के आधार पर कार्रवाई की है, उनके मुताबिक दो प्लेसमेंट एजेंसियों ने शराब आपूर्ति के लिए फर्जी बैंक गारंटी जमा की थी। बैंक प्रबंधन ने कहा कि न गारंटी असली थी, न लेटरहेड, न सिग्नेचर। इस लापरवाही और साजिश के कारण 38.44 करोड़ रुपए का शराब घोटाला सामने आया।
वेलकम डिस्टलरी पर आरोप है कि कंपनी को झारखंड में शराब आपूर्ति का ठेका मिला था, लेकिन सप्लाई के दौरान कई भयंकर गड़बड़ियां पाई गईं। एसीबी को जांच में ऐसे सबूत मिले हैं जिनसे संकेत मिलता है कि गलत तरीके से शराब सप्लाई की गई और शराब सिंडिकेट के लोगों के साथ मिलकर अनियमितताएँ की गईं। दो महीने तक वेलकम डिस्टलरी से अंग्रेजी शराब की बड़ी मात्रा झारखंड भेजी गई थी, जिसमें गोवा और अन्य ब्रांड की प्रीमियम रेंज शामिल थी।
इस मामले की कड़ी छत्तीसगढ़ में पकड़े गए 450 करोड़ के शराब घोटाले से भी जुड़ती है। उसी सिंडिकेट में पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा, कारोबारी अनवर ढेबर, आबकारी अधिकारी अरुपति त्रिपाठी और अन्य लोग शामिल थे। एसीबी की जांच में सामने आया कि इसी सिंडिकेट के प्रभाव में आकर झारखंड की शराब नीति बदली गई थी और डुप्लीकेट होलोग्राम के सहारे बड़े पैमाने पर शराब बेची गई।
अब तक झारखंड एसीबी सात आरोपियों को जेल भेज चुकी है, जिनमें तत्कालीन उत्पाद सचिव विनय चौबे, पूर्व उत्पाद आयुक्त अमित प्रकाश और संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह भी शामिल हैं। छत्तीसगढ़ से जुड़ी चार प्लेसमेंट एजेंसियों- सुमित फैसिलिटीज, ईगल हंटर साल्यूशंस, ए-टू-जेड इंफ्रा सर्विसेज और प्राइम वन—पर भी सवाल उठ रहे हैं, जिन्हें झारखंड में काम दिया गया था।


