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श्रीनगर, 15 नवंबर। श्रीनगर के नौगाम पुलिस थाने में आकस्मिक विस्फोट होने से नौ लोगों की मौत हो गई है और 27 अन्य लोग घायल हो गए हैं। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि यह विस्फोट उस समय हुआ जब पुलिसकर्मी ‘‘सफेदपोश’’ आतंकवादी मॉड्यूल मामले के संबंध में फरीदाबाद से जब्त विस्फोटक सामग्री के नमूने ले रहे थे।
शुक्रवार रात हुई इस घटना में मारे गए लोगों में फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला के तीन लोग, एक नायब तहसीलदार समेत राजस्व विभाग के दो लोग, दो पुलिस फोटोग्राफर, राज्य जांच एजेंसी का एक सदस्य और एक दर्जी शामिल हैं।
अधिकारियों ने कहा कि विस्फोट उस समय हुआ जब पुलिसकर्मी हरियाणा के फरीदाबाद से लाई गई विस्फोटक सामग्री से नमूने ले रहे थे। उन्होंने बताया कि रसायनों की अस्थिर प्रकृति के कारण विस्फोट हुआ।
उन्होंने बताया कि यह सामग्री गिरफ्तार चिकित्सक मुजम्मिल गनई के किराए के आवास से बरामद 360 किलोग्राम विस्फोटक का हिस्सा थी।
शवों को श्रीनगर स्थित पुलिस नियंत्रण कक्ष ले जाया गया है।
अधिकारियों ने बताया कि कम से कम 24 पुलिसकर्मियों और तीन आम नागरिकों को शहर के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।
विस्फोट के बाद रात के सन्नाटे में एम्बुलेंस एवं पुलिस वाहनों के सायरन गूंजने लगे और घायलों को अस्पताल ले जाया गया। लगातार हुए छोटे-छोटे विस्फोटों के कारण बम निरोधक दस्ते के लिए तत्काल बचाव अभियान चलाना मुश्किल हो गया।
बरामद विस्फोटकों में से कुछ को पुलिस की फोरेंसिक प्रयोगशाला में रखा गया है जबकि 360 किलोग्राम विस्फोटकों का बड़ा हिस्सा पुलिस थाने में रखा गया था। इस थाने में आतंकवादी मॉड्यूल के संबंध में प्राथमिक मामला दर्ज किया गया है।
अक्टूबर के मध्य में नौगाम के बनपोरा में दीवारों पर पुलिस और सुरक्षा बलों को धमकी देने वाले पोस्टर दिखाई देने के बाद पूरी साजिश का पर्दाफाश हुआ।
श्रीनगर पुलिस ने इस घटना को गंभीर खतरा मानते हुए 19 अक्टूबर को मामला दर्ज किया था और एक समर्पित टीम का गठन किया था।
सीसीटीवी फुटेज के सावधानीपूर्वक, फ्रेम-दर-फ्रेम विश्लेषण से जांचकर्ताओं को पहले तीन संदिग्धों की पहचान करने में मदद मिली। ये तीन संदिग्ध आरिफ निसार डार उर्फ साहिल, यासिर-उल-अशरफ और मकसूद अहमद डार उर्फ शाहिद हैं, जिन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इन तीनों के खिलाफ पथराव के मामले दर्ज थे और इन्हें पोस्टर चिपकाते हुए देखा गया था।
उनसे पूछताछ के बाद शोपियां के एक पूर्व पराचिकित्सक से इमाम बने मौलवी इरफान अहमद को गिरफ्तार किया गया। उसने ही पोस्टर मुहैया कराए थे और माना जाता है कि उसने चिकित्सा समुदाय तक अपनी आसान पहुंच का इस्तेमाल करके चिकित्सकों को कट्टरपंथी बनाया।
इस सुराग के आधार पर श्रीनगर पुलिस अंततः फरीदाबाद स्थित अल फलाह विश्वविद्यालय पहुंची, जहां से उसने डॉ. मुजम्मिल अहमद गनई और डॉ. शाहीन सईद को गिरफ्तार किया। यहीं से अमोनियम नाइट्रेट, पोटेशियम नाइट्रेट और सल्फर सहित रसायनों का विशाल भंडार जब्त किया गया।
जांचकर्ताओं का मानना है कि पूरा मॉड्यूल चिकित्सकों की एक मुख्य तिकड़ी द्वारा चलाया जा रहा था - मुजम्मिल गनई (गिरफ्तार), उमर नबी (10 नवंबर को लाल किले के पास विस्फोट में शामिल कार का चालक) और मुजफ्फर राठेर (फरार)। फरार डॉ. मुजफ्फर राठेर के भाई डॉ. अदील राठेर की भूमिका अब भी जांच के दायरे में है। गिरफ्तार किए जा चुके अदील राठेर के पास से एक एके-56 राइफल जब्त की गई है। (एपी)


