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राजपथ-जनपथ : किसका नाम लिया, नहीं लिया मोदी ने
02-Nov-2025 5:26 PM
राजपथ-जनपथ : किसका नाम लिया, नहीं लिया मोदी ने

किसका नाम लिया, नहीं लिया मोदी ने

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस के रजत समारोह में अपने उद्बोधन के दौरान राज्यपाल, मुख्यमंत्री, उप-मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों का नाम लिया। जिनका नाम लिया, उन सभी ने अपनी जगह से हाथ जोडक़र कृतज्ञता जताई। कोई मुख्य अतिथि मंच पर बैठे किन अन्य अतिथियों का नाम ले रहे हैं, किनका नहीं- राजनीतिक कार्यक्रमों में तो इसका बड़ा महत्व होता है, क्यों नहीं लिया गया इसके कारणों की तलाश होती है। अब सोशल मीडिया पर यह सवाल उठाया जा रहा है कि रायपुर के कार्यक्रम में स्थानीय सांसद बृजमोहन अग्रवाल का नाम तो मोदी ले सकते थे, क्यों नहीं लिया?

इसके जवाब में तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं हुई हैं। मगर सबसे अधिक 25 साल पुरानी घटना को याद किया जा रहा है। तब छत्तीसगढ़ राज्य बन चुका था, अजीत जोगी कांग्रेस के मुख्यमंत्री थे। विधानसभा सत्र के पूर्व भाजपा को नेता प्रतिपक्ष का चयन करना था। इसके लिए 13 दिसंबर 2000 को एकात्म परिसर में भाजपा विधायकों की बैठक बुलाई गई। मोदी तब पीएम-सीएम नहीं थे। वे पर्यवेक्षक के तौर पर छत्तीसगढ़ पहुंचे थे। बृजमोहन अग्रवाल के समर्थक विधायकों का इस पद पर दावा था। ज्यादातर विधायक उनके ही साथ दिखाई पड़ रहे थे। पर मोदी ने नंदकुमार साय का नाम आगे कर दिया। पार्टी के आदेश का पालन करते हुए यह प्रस्ताव बृजमोहन ने ही रखा। साय नेता प्रतिपक्ष चुन लिए गए। मगर, इसके बाद बृजमोहन समर्थकों का गुस्सा फूट पड़ा। एकात्म परिसर में पथराव व तोड़-फोड़ होने लगी। मोदी भीतर थे, कुछ प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि उन्हें अपनी हिफाजत के लिए टेबल के नीचे जाकर छिपना पड़ा। इस घटना के बाद बृजमोहन अग्रवाल को पार्टी ने निलंबित कर दिया था। लोगों का कहना है कि वह घटना अब तक मोदी के मन में गांठ की तरह पड़ी है, इसीलिए उन्होंने बृजमोहन अग्रवाल की उपेक्षा की।

मगर, इससे अलग प्रतिक्रियाएं भी हैं। जैसे, मोदी ने तो किसी भी सांसद का नाम नहीं लिया। केवल तोखन साहू का लिया- क्योंकि वे केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हैं। उन्होंने तो लोकसभा के स्पीकर और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष को भी छोड़ दिया। गांठ वाली बात सही नहीं है। मोदी के काल में भी बृजमोहन को बड़ी जिम्मेदारी मिलती रही है, अभी भी उन पर है। मगर किसी एक यूजर ने रायपुर एयरपोर्ट पर मोदी का स्वागत करते हुए बृजमोहन की हाथ जोड़े हुए तस्वीर को देखकर कहा कि- अभी इन्हें थोड़ा और झुकना पड़ेगा। इस कमेंट पर ढेर सारे लाइक्स हैं।

मिलने का मौका

आमतौर पर विशेष कर पीएम  नरेंद्र मोदी के स्वागत के लिए पार्टी के पदाधिकारियों में होड़ लगी रहती है। सुरक्षा कारणों से चुनींदा नेताओं को ही स्वागत का मौका मिल पाता है। लेकिन इस बार के दौरे में पार्टी के तमाम प्रमुख पदाधिकारियों को स्वागत का मौका मिल गया। मोदी ने किसी को निराश नहीं किया, और सबसे गर्मजोशी से मुलाकात की।

नए विधानसभा भवन के उद्घाटन कार्यक्रम में विशिष्ट लोगों से मुलाकात के लिए ग्रीन रूम बनाया गया था, जहां पीएम ने पूर्व विधानसभा अध्यक्षों प्रेम प्रकाश पाण्डेय, गौरीशंकर अग्रवाल, धरमलाल कौशिक और मंत्रियों से मेल मुलाकात की।

वो प्रेम प्रकाश पाण्डेय को देखते ही बोले, कि प्रेम’ तो बरस रहा है न। बावजूद कुछ को निराशा भी हाथ लगी। मसलन, जैनम के पास व्यापारी संगठन पीएम का स्वागत करना चाहते थे, इसके लिए काफी कुछ रिहर्सल भी हुआ था। सतीश थौरानी के नेतृत्व में चैम्बर के बड़ी संख्या में पदाधिकारी पीएम का स्वागत के लिए पहुंचे थे, लेकिन पीएम का काफिला आगे बढ़ गया। इससे उनमें काफी निराशा भी देखी गई।

मोदी ख़ुश होकर लौटे

पीएम नरेंद्र मोदी का इस बार का हर कार्यक्रम बेहद सफल रहा है। पीएम खुद काफी खुश नजर आए। राज्योत्सव समारोह के उद्घाटन से पहले जांजगीर-चांपा रामनामी संप्रदाय के दो प्रतिनिधियों ने पीएम से मुलाकात भी की।

एक ने तो पीएम से शिकायती लहजे में कह दिया कि आपके लिए मुकुट बना कर लाए हैं..। पीएम ने पूछा कि कहां हैं? इस उन्होंने कहा कि सिक्योरिटी वालों ने रख लिया है। इस पर पीएम ने सिक्योरिटी में लगे अफसरों ने कहा कि ये मुकुट बना कर लाए हैं। कृपा कर इनकी मदद कीजिए। इसके बाद उन्हें मुकुट लाकर दिया गया, जिसे बाद में उन्होंने पीएम को मंच पर पहनाकर स्वागत किया।

  मंच पर पीएम ने पीएम आवास के हितग्राहियों से भी चर्चा की। पीएम ने बलरामपुर जिले के पहाड़ी कोरवा समाज के नेत्रहीन कार्तिक, और गरियाबंद  की  कमार जनजाति की महिला हितग्राही से मंच पर बतियाते नजर आए। खास बात ये है कि देश में एक साथ सबसे ज्यादा 3 लाख 51 हजार पीएम आवास हितग्राहियों का गृहप्रवेश हुआ है। पीएम ने इसकी तारीफ भी की।


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