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नयी दिल्ली, 11 सितंबर। राष्ट्रीय राजधानी में फरवरी 2020 में हुए दंगों से संबंधित कथित साजिश से जुड़े यूएपीए मामले में उच्चतम न्यायालय 12 सितंबर को कार्यकर्ताओं उमर खालिद, शरजील इमाम और गुलफिशा फातिमा की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करेगा।
न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया की पीठ उन कार्यकर्ताओं की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई कर सकती है, जिन्होंने दो सितंबर के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी है।
उच्च न्यायालय ने इस मामले में खालिद और शरजील इमाम समेत नौ लोगों को जमानत देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि नागरिकों द्वारा प्रदर्शनों की आड़ में ‘‘षड्यंत्रकारी’’ हिंसा की अनुमति नहीं दी जा सकती।
इन कार्यकर्ताओं में खालिद, इमाम, फातिमा, मोहम्मद सलीम खान, शिफा उर रहमान, अतहर खान, मीरान हैदर, अब्दुल खालिद सैफी और शादाब अहमद शामिल हैं।
एक अन्य आरोपी तस्लीम अहमद की जमानत याचिका दो सितंबर को उच्च न्यायालय की एक अन्य पीठ ने खारिज कर दी थी।
उच्च न्यायालय ने कहा था कि संविधान नागरिकों को विरोध प्रदर्शन या आंदोलन करने का अधिकार देता है, बशर्ते कि वे व्यवस्थित, शांतिपूर्ण और बिना हथियारों के हों और ऐसी कार्रवाई कानून के दायरे में होनी चाहिए।
खालिद, इमाम और अन्य पर फरवरी 2020 के दंगों के मुख्य षड्यंत्रकारी होने के आरोप में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था। दंगों में 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हुए थे।
संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क उठी थी।
आरोपी 2020 से जेल में हैं और उन्होंने अपनी जमानत याचिका खारिज करने के निचली अदालत के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख किया था। (भाषा)