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बहराइच (उप्र), 11 सितंबर। नेपाल में हिंसा के दौरान जेल से भागकर भारतीय सीमा में प्रवेश कर रहे छह कैदियों को सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) ने बुधवार को बहराइच की रूपईडीहा सीमा पर पकड़ लिया। उनमें से चार को पूछताछ के बाद नेपाल पुलिस के हवाले कर दिया गया है। बाकी दो बंदियों को पहचान साबित ना होने के कारण भारतीय क्षेत्र में रोका गया है।
सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) की बहराइच स्थित रूपईडीहा सीमा चौकी के सहायक सेनानायक अभिषेक ने बृहस्पतिवार को 'पीटीआई-भाषा' को बताया कि बुधवार को नेपाल की बांके जेल से भागकर भारतीय सीमा में प्रवेश कर रहे छह व्यक्तियों को एसएसबी के जवानों ने रोककर पूछताछ की तो मालूम हुआ कि सभी अलग अलग अपराधों में नेपाल की बांके जेल में बंद थे।
उन्होंने बताया कि वे हिंसा के दौरान जेल से भागकर भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे थे।
अभिषेक ने बताया कि इनमें से चार बंदियों की पहचान उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी निवासी शेर सिंह, समीरा सिंह व जस्पाल सिंह तथा बहराइच के रूपईडीहा निवासी अजय कुमार के रूप में हुई है।
उन्होंने बताया कि इन चारों को बुधवार रात नेपाल पुलिस के हवाले कर दिया गया है। दो अन्य कैदी जिन्होंने अपना नाम प्रेम सिंह व यूसुफ बताया है, उनकी पहचान का कोई सबूत नहीं मिल सका है। पहचान की पुष्टि होते ही इन्हें भी नेपाल पुलिस को सौंपा जाएगा।
सहायक सेनानायक ने बताया, ''नेपाल में अशांति फैलने के बाद से सीमा पर आवागमन बहुत कम है। नेपाल में कर्फ्यू लागू है। सिर्फ बीमार अथवा आपातकालीन परिस्थितियों में अथवा एक दूसरे देश में फंसे हुए नागरिक ही सीमा पार कर आवागमन कर रहे हैं। हम लोग आने जाने वालों को अनावश्यक आवागमन ना करने की सलाह भी दे रहे हैं। लोग मान भी रहे हैं।’’
उन्होंने बताया कि अशांति फैलने के बाद तीन दिन (नौ, 10 और 11 सितंबर) में दोनों तरफ से करीब 40 हजार लोगों ने सीमा पार की है जबकि यह आंकड़ा प्रतिदिन 55-60 हजार होता है।''
एक अन्य अधिकारी ने अपना नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि एकीकृत चेकपोस्ट पर खड़े सैकड़ों वाहनों में से प्रत्येक को प्रतिदिन व्यापारिक नुकसान के साथ—साथ हजारों रूपये सिर्फ डैमरेज और स्टाफ खर्च का नुकसान हो रहा है।
बुधवार को यहां नेपाल से वापस लाए गए 225 ट्रक, लारी व टैंकर खड़े थे। इनमें से करीब तीन दर्जन ऐसे ट्रकों को सुरक्षित नेपाल भेजा गया है जिनमें सब्जियां, मछली व अन्य खराब होने वाली सामग्री लदी हुई थी। शेष माल से लदे वाहन अभी भी रूपईडीहा में ही खड़े हैं।
उन्होंने बताया कि इनमें 100 से अधिक ट्रकों व टैंकरों में पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस जैसी अति आवश्यक वस्तुएं लदी हैं। लेकिन अधिक ज्वलनशील होने के कारण इन्हें हालात सुधरने तक भेजना उचित नहीं है।
उधर, नेपाल में उपद्रव आगजनी और तोड़फोड़ के बाद बन्द का सीधा असर नेपाल की सीमाओं से सटे भारतीय बाजारों में हुआ है। सीमावर्ती भारतीय बाजारों में सन्नाटा पसरा है। दुकानदार मायूस बैठे हैं और उन्हें अपनी रोजीरोटी की चिंता सताने लगी है।
रूपईडीहा कस्बे के दुकानदार हसन रिजवी, जाफर इमाम व आनंद यज्ञसेनी ने बृहस्पतिवार को 'पीटीआई-भाषा' को बताया कि नेपाल में अशांति के बाद नेपाल सीमा लगभग बंद हो गयी है।
इन लोगों ने बताया कि ये बाजार पूरी तरह से नेपाली फुटकर ग्राहकों के बलबूते पर फल फूल रहा था। उनका कहना था कि अब चूंकि नेपाली ग्राहक भारतीय बाजारों में नहीं आ रहे इसलिए बीते चार दिनों से हम ग्राहक देखने के लिए तरस गये हैं।
जाफर इमाम ने कहा कि आधे से ज्यादा दुकानें तो खुली ही नहीं हैं। जो खुली हैं उन पर ग्राहक नहीं आ रहे।
हसन रिजवी ने कहा, ‘‘यहां का 99 प्रतिशत बाजार नेपाली ग्राहकों के सहारे चलता है। नेपाल में बवाल के बाद यहां का व्यापार शून्य हो गया है। उम्मीद है कि वहां नये प्रधानमंत्री सत्ता संभालें, स्थिति सामान्य हो तो यहां के दुकानदारों का भला हो।’’
नेपाल में भ्रष्टाचार और के.पी. ओली सरकार द्वारा 26 सोशल मीडिया मंचों पर पाबंदी लगाये जाने के बाद युवाओं की अगुआई में नेपाल के विभिन्न इलाकों में शुरू हुए प्रदर्शनों ने गत आठ सितंबर को हिंसक रूप ले लिया। व्यापक आंदोलन की वजह से के.पी. ओली को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। (भाषा)