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नयी दिल्ली, 10 सितंबर। दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के खिलाफ कार्रवाई की मांग वाली एक याचिका पर अपना फैसला बृहस्पतिवार तक के लिए सुरक्षित रख लिया। याचिका में आरोप लगाया गया था कि सोनिया का नाम उनके भारतीय नागरिक बनने से तीन साल पहले मतदाता सूची में शामिल कर लिया गया था।
अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट वैभव चौरसिया ने कहा, ‘‘फैसला 11 सितंबर तक के लिए सुरक्षित रखा जाता है।’’
शिकायतकर्ता विकास त्रिपाठी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पवन नारंग ने कहा, ‘‘यहां एकमात्र मुद्दा यह है कि जनवरी 1980 में सोनिया गांधी का नाम नई दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र के मतदाता के रूप में जोड़ा गया था, जबकि वह भारतीय नागरिक नहीं थीं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘पहले आपको नागरिकता की प्रक्रिया पूरी करनी होगी, तभी आप किसी क्षेत्र के निवासी बनेंगे।’’
नारंग ने कहा कि 1980 में निवास का प्रमाण संभवतः राशन कार्ड और पासपोर्ट था।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर वह नागरिक थीं, तो 1982 में उनका नाम क्यों हटाया गया? उस समय निर्वाचन आयोग ने दो नाम हटाए थे, एक संजय गांधी का, जिनकी विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी, और दूसरा सोनिया गांधी का।’’
नारंग ने कहा कि आयोग को जरूर कुछ गड़बड़ लगी होगी जिसके कारण उनका नाम मतदाता सूची से हटा दिया गया।
नारंग ने कहा कि 4 सितंबर को सोनिया गांधी का नाम 1980 में नई दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूची में शामिल था, जिसे 1982 में हटा दिया गया था और 1983 में भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के बाद फिर से दर्ज किया गया।
यह याचिका भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 175 (4) (मजिस्ट्रेट को जांच का आदेश देने की शक्ति) के तहत दायर की गई थी, जिसमें पुलिस को इस आरोप की जांच करने के निर्देश देने की मांग की गई थी कि सोनिया 1983 में भारतीय नागरिक बनीं, लेकिन उनका नाम 1980 की मतदाता सूची में था।
उन्होंने कुछ जालसाजी’ होने और सार्वजनिक प्राधिकरण के साथ ‘धोखाधड़ी’ होने का दावा किया।
नारंग ने कहा, ‘‘मेरा इतना सा अनुरोध है कि पुलिस को उचित धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया जाए।’’ (भाषा)