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ट्रंप की टिप्पणी पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, भारत और अमेरिका हैं स्वाभाविक साझेदार
10-Sep-2025 8:49 PM
ट्रंप की टिप्पणी पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, भारत और अमेरिका हैं स्वाभाविक साझेदार

नयी दिल्ली, 10 सितंबर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को कहा कि भारत और अमेरिका स्वाभाविक साझेदार हैं और दोनों पक्षों की टीम द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत को अंतिम रूप देने के लिए काम कर रही हैं। यह बात उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उस टिप्पणी के जवाब में कही जिसमें उन्होंने कहा था कि दोनों देशों के बीच "व्यापार बाधाओं" को दूर करने के प्रयास जारी हैं।

सोशल मीडिया पर दोनों नेताओं के बीच बातचीत को मुख्य रूप से भारत और अमेरिका द्वारा अपने संबंधों को फिर से पटरी पर लाने के प्रयासों के रूप में देखा जा रहा है। ट्रंप द्वारा भारतीय वस्तुओं पर शुल्क दोगुना करने के बाद पिछले कुछ हफ्तों में दोनों देशों के बीच तल्खी बढ़ गई है।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि वह "आगामी सप्ताहों" में मोदी से बात करने के लिए उत्सुक हैं और उन्हें विश्वास है कि दोनों पक्ष प्रस्तावित व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने में सफल होंगे।

मोदी ने ‘एक्स’ पर कहा, ‘‘भारत और अमेरिका घनिष्ठ मित्र और स्वाभाविक साझेदार हैं। मुझे विश्वास है कि हमारी व्यापार वार्ता भारत-अमेरिका साझेदारी की असीम संभावनाओं को उजागर करने का मार्ग प्रशस्त करेगी।’’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘इसे अंतिम रूप देने के लिए हमारी टीम चर्चाएं कर रही हैं। मैं राष्ट्रपति ट्रंप से बातचीत के लिए भी उत्सुक हूं। हम दोनों देशों के लोगों के लिए एक उज्ज्वल और समृद्ध भविष्य सुनिश्चित करने को लेकर मिलकर काम करेंगे।’’

अमेरिकी राष्ट्रपति ने मंगलवार को ‘ट्रुथ सोशल’ पर एक पोस्ट में कहा कि उन्हें यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते में जो बाधाएं हैं, उन्हें दूर करने के लिए बातचीत जारी है।

ट्रंप ने कहा, ‘‘मैं आने वाले हफ्तों में अपने सबसे अच्छे दोस्त, प्रधानमंत्री मोदी से बात करने के लिए उत्सुक हूं। मुझे भरोसा है कि हमारे दोनों देशों के बीच वार्ता ठीक तरह से पूरी हो जाएगी, कोई मुश्किल नहीं आएगी।’’

ट्रंप ने मोदी की टिप्पणी को ‘ट्रुथ सोशल’ पर भी पुनः पोस्ट किया।

इस बीच, ‘फाइनेंशियल टाइम्स’ की खबर के अनुसार अमेरिकी राष्ट्रपति ने यूरोपीय संघ (ईयू) से कहा है कि वह रूस से कच्चे तेल की खरीद के लिए चीन और भारत पर 100 प्रतिशत तक शुल्क लगाए।

ट्रंप प्रशासन या यूरोपीय पक्ष द्वारा इस रिपोर्ट पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं आई है।

ऐसे संकेत मिले हैं कि भारत और अमेरिका के बीच अगले कुछ दिनों में कई कूटनीतिक बैठकें होंगी, जिनमें एक उच्च स्तरीय अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का भारत दौरा भी शामिल है। इस दौरे में भारतीय नौसेना द्वारा लंबी दूरी के बहु-मिशन समुद्री गश्ती विमान पी-8आई के अतिरिक्त बेड़े की खरीद के लिए दिए गए ऑर्डर की अंतिम रूपरेखा पर बातचीत की जाएगी।

पिछले चार दिन में यह दूसरी बार है जब ट्रंप ने भारत के साथ अपने देश के संबंधों की सराहना की है। प्रधानमंत्री मोदी ने भी ट्रंप की टिप्पणियों पर सकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

छह सितंबर को, मोदी ने भारत-अमेरिका साझेदारी के बारे में ट्रंप के "सकारात्मक आकलन" की "गहरी" सराहना की थी। यह टिप्पणी उस पोस्ट के जवाब में की गई जब अमेरिकी नेता ने दोनों देशों के बीच "विशेष" संबंधों की प्रशंसा करते हुए कहा था कि "चिंता की कोई बात नहीं है।"

ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत पारस्परिक शुल्क और रूसी तेल की खरीद के लिए अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क लगाया है। इससे भारत पर कुल शुल्क 50 प्रतिशत हो गया है, जो दुनिया में सबसे अधिक है।भारत ने इन शुल्कों को ‘‘अनुचित और अवांछित’’ बताया है।

पिछले कुछ दिनों में ‘व्हाइट हाउस’ के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो सहित ट्रंप प्रशासन के कई अधिकारियों ने भारत को निशाना बनाने के लिए आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया है।

मंगलवार को भी, नवारो ने सोशल मीडिया पर कई पोस्ट के ज़रिए भारत पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, "अमेरिका भारत के साथ अनुचित व्यापार नहीं चाहता। लेकिन भारत को अमेरिकी बाज़ारों और स्कूलों तक पहुंच की सख़्त जरूरत है और वह अमेरिकी नौकरियां छीनना जारी रखना चाहता है।"

नवारो ने यह भी दावा किया कि "भारत के आसमान छूते टैरिफ" अमेरिका की नौकरियां छीन रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया, "भारत रूसी तेल पूरी तरह से मुनाफ़े के लिए खरीदता है। उससे होने वाली आय पुतिन की युद्ध मशीन को ईंधन देती है।"

रूस से कच्चे तेल की खरीद का बचाव करते हुए, भारत यह कहता रहा है कि उसकी ऊर्जा खरीद राष्ट्रीय हित और बाज़ार की गतिशीलता से प्रेरित है। (भाषा)


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