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सर्पदंश से भर्ती हुए 38 बच्चे, सभी सकुशल घर लौटे
07-Sep-2025 12:18 PM
सर्पदंश से भर्ती हुए 38 बच्चे, सभी सकुशल घर लौटे

डॉक्टरों की सतर्कता और दवाइयों की उपलब्धता बनी जीवन रक्षक

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बिलासपुर। बरसात के मौसम में साँपों का खतरा बढ़ने के बीच छत्तीसगढ़ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़ (सिम्स) में पिछले तीन महीनों में सर्पदंश से पीड़ित 38 बच्चों को भर्ती किया गया। इनमें से 16 गैर-विषैले और 22 विषैले सर्पदंश के मामले थे।

विषैले सर्पदंश वाले 10 बच्चों में साँस की मांसपेशियों में लकवा देखा गया, जिन्हें आईसीयू में वेंटिलेटर सपोर्ट पर इलाज दिया गया। समय पर एंटी-स्नेक वेनम, अन्य दवाइयों और डॉक्टरों की टीम की मेहनत से सभी बच्चे पूरी तरह स्वस्थ होकर डिस्चार्ज हो गए। इसके अलावा गैर-विषैले सर्पदंश के पीड़ित बच्चों को लक्षणों के आधार पर दवा देकर सुरक्षित डिस्चार्ज किया गया।

सिम्स के डॉक्टरों ने लोगों से अपील की है कि सर्पदंश की स्थिति में झाड़-फूंक या देसी इलाज पर समय न गँवाएँ। मरीज को तुरंत नज़दीकी अस्पताल पहुँचाएँ, क्योंकि जितनी जल्दी इलाज शुरू होगा उतनी जल्दी जान बचाना संभव है। डॉक्टरों ने सलाह दी कि बच्चों को ज़मीन पर न सुलाएं, ऊंचे व सुरक्षित बिस्तर का उपयोग करें। घर व आसपास की जगहें साफ-सुथरी रखें ताकि सांप छिप न सकें। रात में बाहर निकलते समय टॉर्च या रोशनी का उपयोग करें तथा खेतों और घास-फूस वाली जगहों में जूते पहनकर ही जाएं। डॉक्टरों ने कहा कि सर्पदंश का सही इलाज एंटी वेनम इंजेक्शन ही है। झाड़-फूंक में समय गंवाने से इलाज में देरी हो सकती है और जान जा सकती है।
सिम्स की ओर से बताया गया कि डीन डॉ. रमणेश मूर्ति और चिकित्सा अधीक्षक डॉ. लखन सिंह ने समय पर एंटी-स्नेक वेनम और अन्य दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की। बाल रोग विभागाध्यक्ष डॉ. राकेश नहरेल और यूनिट हेड डॉ. समीर जैन के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीमडॉ. वर्षा तिवारी, डॉ. पूनम अग्रवाल, डॉ. अभिषेक कलवानी, डॉ. सलीम खलखो और डॉ. अंकिता चंद्राकर—ने मिलकर बच्चों की जान बचाने में योगदान दिया।


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